अधिक खोजे गए शब्दशरीरमनुष्य या पशु आदि के समस्त अंगों की समष्टि। सिर से पैर तक के सब अंगों का समूह, देह, तन, बदन, जिस्म Show
फ़लाहमोक्ष, मुक्ति, नजात ज़िम्नी-इंतिख़ाबातवह चुनाव जो संसद या विधानसभा आदि के रिक्त स्थानों को भरने के लिए संबंधित क्षेत्रों में कराया जाए, उपचुनाव दस्तूरप्रथा या रीति, परंपरा, चाल, चलन, रस्म, रीति, रिवाज, तौर, तरीक़ा, परिपाटी, आचार, व्यवहार वेसरगदहा, गधा, खच्चर, अश्वतर औखीअनुचित बात, बुरी बात या चुभती हुई बात बियारीरात का भोजन, ब्यालू हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के औरदिखाने की चीज़ और होती है और काम में लाने की और, दिखावा और चीज़ है व्यवहार और चीज़, दुनिया के लोग बाहर से कुछ अंदर से कुछ और होते हैं झिलमिलजगमगाहट, झिलमिलाहट, सितारों की कम-कम चमक, चराग़ों का प्रतिबिंब पानी पर पड़ने की स्थिती गुमाश्तावह मनुष्य जो किसी बड़े व्यापारी या कोठीवाल की ओर से बही आदि लिखने या माल ख़रीदने और बेचने पर नियुक्त हो, तिनिधि, नुमाइंदा, कारकुन, अभिकर्ता, एजेंट सर तन से जुदा करनासर या गर्दन काटना, जान से मारना बख़्शी-ख़ानावेतन बाँटने का कार्यालय, सेना या चौकीदारों के वेतन बाँटने का कार्यालय पैग़ंबरमनुष्यों के पास ईश्वर का सँदेसा लेकर आने वाला, धर्मप्रवर्तक, संदेश वाहक, अवतार, दूत, प्रतिनिधि, जैसे, मूसा, ईसा, मुहम्मद हुल्मस्वप्न, सपना, ख़्वाब सरकशीअवज्ञा, विद्रोह, बग़ावत, अशिष्टता, दुष्टता, उद्देडता, उजड्डपन सूलीप्राचीन काल में अपराधियों को प्राण-दंड देने हेतु प्रयुक्त उपकरण; सलीब हम्मामप्राचीन स्नानागारों का वह भीतरी कक्ष जिसमें गरम पानी की व्यवस्था रहती थी साहिब-ए-मसनदसिंहास या मसनद पर बैठने वाला, मंत्री या सेनापति का राज-सिंहासन पर बैठना, महाराजा, राजा निखट्टूवह व्यक्ति जो कुछ न कमाए (कमाऊ का उलटा) मस्तमौलाजो मनमाने ढंग से काम करता हो, अपने में मस्त रहने वाला, मनमौजी त हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह दंत्य, अघोष, अल्पप्राण स्पर्श है। तँगिया [सं-स्त्री.] किसी चीज़ को बाँधने की तनी या कपड़े की पट्टी; बंद; तसमा। तँबोलिन [सं-स्त्री.] पान बेचने वाली स्त्री; बरइन; तमोलिन। तँबोली [सं-पु.] पान बेचने वाला व्यक्ति; बरई; तमोली। तँवाई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जलन; दाह 2. ताप। तंक (सं.) [सं-पु.] 1. भय; डर 2. किसी प्रिय के वियोग में होने वाला दुख 3. पत्थर काटने की टाँकी; छेनी 4. पहनने का वस्त्र। तंकन (सं.) [सं-पु.] कष्टमय जीवन व्यतीत करना। तंग (फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें उचित व आवश्यक विस्तार का अभाव हो (वस्त्र आदि में); जो रास्ता पतला अथवा सँकरा हो; जो आकार-प्रकार में अपेक्षाकृत छोटा हो 2. चुस्त; कसा हुआ 3. परेशान; त्रस्त; विकल। [सं-पु.] घोड़ों का जीन कसने का तस्मा। तंगदस्त (फ़ा.) [वि.] धन की कमी या आर्थिक कष्ट में पड़ा हुआ; धनाभाववाला; निर्धन। तंगदस्ती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] पैसे की कमी; धनाभाव; कंगाली; निर्धनता। तंगदिल (फ़ा.) [वि.] 1. संकीर्ण हृदय या मानसिकता वाला; अनुदार; संकुचित मनोवृत्ति वाला; छोटे दिल का 2. कंजूस 3. ओछा। तंगदिली (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. संकीर्ण मानसिकता 2. कंजूसी; कृपणता। तंगहाल (फ़ा.) [वि.] 1. जिसकी आर्थिक हालत अच्छी न हो; गरीब; निर्धन 2. संकटग्रस्त; दुर्दशाग्रस्त 3. जो विपदा में हो; ज़रूरतमंद। तंगहाली (फ़ा.) [सं-स्त्री.] गरीबी; तंग होने की अवस्था या भाव। तंगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. तंग होने की अवस्था या भाव 2. कमी; न्यूनता 3. अभाव; गरीबी; आर्थिक संकट 4. कष्ट; तकलीफ़; दुख 5. संकीर्णता; सँकरापन; संकोच। तंज़ेब (फ़ा.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का बढ़िया महीन मलमल। तंड (सं.) [सं-पु.] 1. नृत्य; नाच 2. संहार; वध; प्रहार 3. एक ऋषि का नाम। तंडक (सं.) [सं-पु.] 1. सजावट 2. समास बहुल वाक्य 3. बहुरुपिया 4. पेड़ का धड़ या तना 5. बाज़ीगर। तंडु (सं.) [सं-पु.] नंदी; नंदीकेश्वर; नंदीकेश; शिववाहन। तंडुल (सं.) [सं-पु.] 1. चावल; धान्य 2. चौलाई का साग 3. प्राचीन समय की आठ सरसों के बराबर हीरे की एक तौल 4. वायविडंग नामक औषधि। तंडुलोत्थ (सं.) [सं-पु.] (चावल से) भात बनाते समय उबलते हुए चावल का पानी; तंडुल-जल; माँड़। तंतु (सं.) [सं-पु.] 1. रेशा 2. ऊन रेशम सूत आदि के बारीक, पतले धागे; तागा; डोरा 3. संतान; औलाद 4. ताँत। तंतुक (सं.) [सं-पु.] 1. सरसों 2. रस्सी; सूत्र 3. एक प्रकार का साँप। तंतुकी (सं.) [सं-स्त्री.] नाड़ी। तंतुर (सं.) [सं-पु.] कमल की जड़ या नाल; भसींड़; मुरार; मृणाल। तंत्र (सं.) [सं-पु.] 1. डोरा या सूत; तंतु 2. कपड़े बुनने की सामग्री 3. चमड़े की डोरी; ताँत 4. शासन की विशिष्ट प्रणाली; (सिस्टम) 5. राज्य और उसके अंतर्गत काम करने वाले सभी राजकीय कर्मचारी 6. कोई कार्य करने की प्रक्रिया; प्रणाली; व्यवस्था 7. भारतीय साधना की एक पद्धति जिसमें प्रतीकों और बीजाक्षरों का प्रयोग अभीष्ट की सिद्धि के लिए किया जाता है। तंत्रकार (सं.) [सं-पु.] 1. बाजा बजाने वाला; वादक; बजनिया 2. संगीतकार। तंत्रज्ञान (सं.) [सं-पु.] 1. तंत्र या जादू को जानने की अवस्था 2. तंत्र या जादू-टोने का शास्त्र। तंत्रण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी को अपने शासन में रखना 2. शासन-प्रबंध; शासन की व्यवस्था या प्रणाली। तंत्रधारक (सं.) [सं-पु.] 1. कर्मकांडी व्यक्ति 2. यज्ञ आदि करवाने के उद्देश्य से जो व्यक्ति कर्मकांड की पुस्तक लेकर घूमता हो तथा याज्ञिक आदि के साथ बैठता हो। तंत्र-मंत्र (सं.) [सं-पु.] 1. नियत उद्देश्य की पूर्ति हेतु की जाने वाली कर्मकांड युक्त एक पारंपरिक विद्या जिसे वर्तमान में अधिकांश शिक्षित लोगों द्वारा अंधविश्वासपूर्ण माना जाता है; जादूटोना; जादूमंतर 2. किसी साधना में प्रयुक्त तंत्र 3. गंडा; ताबीज 4. {ला-अ.} किसी कार्य को सिद्ध करने की युक्ति; उपाय। तंत्रिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर के अंदर की नस; नाड़ी; (नर्व) 2. ताँत; वीणा का तार 3. गुडुची; गुरुच; एक बेल जिसका डंठल औषधि बनाने में प्रयुक्त होता है। तंत्रिकातंत्र (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर भर में फैला हुआ तंत्रिकाओं का जाल; (नर्वस सिस्टम) 2. तंत्रिका की कार्यप्रणाली। तंत्री (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तारों की सहायता से बजने वाला वाद्य; वीणा; ताँत 2. वीणा, सारंगी या सितार का तार 3. नस; नाड़ी। [सं-पु.] 1. बाजा बजाने वाला 2. एक तारवाला बाजा 3. गाने वाला; गवैया 4. तांत्रिक 5. प्रशासक 6. कठपुतलीवाला। [वि.] 1. तारवाला; जिसमें तार लगे हों 2. तंत्र संबंधी; तंत्र का पालन करने वाला। तंदुरुस्त (फ़ा.) [वि.] 1. स्वस्थ; निरोग 2. जिसे कोई बीमारी न हो; जिसका स्वास्थ्य उत्तम हो। तंदुरुस्ती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अच्छी सेहत; स्वास्थ्य 2. निरोग होने की अवस्था। तंदुल [सं-पु.] तंडुल; चावल। तंदूर (फ़ा.) [सं-पु.] रोटी पकाने के लिए मिट्टी से बनी भट्ठी। तंदूरी (फ़ा.) [वि.] 1. तंदूर में पका हुआ 2. तंदूर संबंधी। तंदेही (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य हेतु मन लगाकर किया गया परिश्रम 2. प्रयास; कोशिश 3. तल्लीनता; तत्परता। तंद्र (सं.) [वि.] 1. शिथिल; आलसी 2. क्लांत। तंद्रा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नींद आने से पहले की अवस्था; ऊँघ 2. आलस्य; उनींदापन 3. क्लांति 4. शरीर में इंद्रियों के शिथिल होने की अवस्था। तंद्रालु (सं.) [वि.] 1. जिसे नींद आती हो; तंद्रायुक्त; उनींदा 2. जो ऊँघ रहा हो। तंद्रावस्था (सं.) [सं-पु.] 1. तंद्रा में होने की स्थिति या अवस्था 2. अर्द्धनिद्रा। तंद्रिल (सं.) [वि.] 1. तंद्रावाला; तंद्रालु 2. उनींदा; निद्रिल 3. श्रांत; क्लांतियुक्त। तंबा (सं.) [सं-स्त्री.] गाय; गौ। तंबाकू (पु.) [सं-पु.] एक प्रकार का पौधा जिसकी पत्तियों को सुखाकर चूने के साथ रगड़कर खाते हैं और उसकी पत्तियों को चूर्ण बनाकर सुलगाकर धूम्रपान के रूप में भी प्रयोग किया जाता है; तंबाकू; सुरती। तंबिया [सं-पु.] 1. ताँबे या पीतल का बना हुआ तरकारी आदि बनाने का चौड़े मुँहवाला एक तरह का पात्र; तांबिया 2. तसला। [वि.] ताँबे का बना हुआ। तंबीह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. नसीहत; सीख; शिक्षा 2. चेतावनी; ताकीद 3. सजा; दंड। तंबुरु (सं.) [सं-पु.] 1. धनिया का पौधा 2. धनिया का बीज। तंबू [सं-पु.] शामियाना; खेमा; डेरा; शिविर; (टेंट)। तंबूर (फ़ा.) [सं-पु.] एक तरह का छोटा ढोल। तंबूरची (फ़ा.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो तंबूरा बजाता हो। तंबूरा [सं-पु.] सितार की तरह का तीन तारों वाला एक बाजा जो स्वर में संगति देने के लिए बजाया जाता है; तानपूरा। तंबूल [सं-पु.] दे. तांबूल। तंबोल [सं-पु.] पान; तांबूल। तअज्जुब (अ.) [सं-पु.] किसी विलक्षण बात अथवा घटना का रहस्य समझ में न आने पर मन में होने वाला विकार; अचंभा; आश्चर्य; हैरानी; विस्मय। तअम्मुल (अ.) [सं-पु.] 1. विचार; गौर; सोच 2. देरी; ढील 3. शंका; अंदेशा 4. संदेह; भ्रम 5. संकोच; पशोपेश। तअल्लुक (अ.) [सं-पु.] 1. रिश्ता; संबंध; संपर्क 2. प्रेम; आशनाई 3. पक्षपात; तरफ़दारी। तअल्लुका (अ.) [सं-पु.] 1. बड़ा इलाका 2. बहुत से गाँव जो किसी एक ज़मींदार के अधीन होते थे। तई [अव्य.] लिए; वास्ते; उपलक्ष्य में। तक (सं.) [अव्य.] कार्य, समय और स्थल का सीमावाचक अव्यय; पर्यंत, जैसे- आप कब तक आएँगे, आप कहाँ तक जाएँगे। तकदमा (अ.) [सं-पु.] अंदाज़ा; आकलन; अनुमान। तकदीर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किस्मत; भाग्य; नसीब; प्रारब्ध 2. संयोग। तकदीरवर (अ.+फ़ा.) [वि.] भाग्यशाली; भाग्यवान। तकना [क्रि-स.] 1. ताकना; देखना 2. किसी वस्तु या भोजन आदि को पाने के लिए किसी की ओर देखना 3. किसी की ओर बुरी दृष्टि या भाव से देखना 4. प्रतीक्षा करना। [क्रि-अ.] 1. आश्रय; सहायता आदि पाने के लिए किसी की ओर देखना; शरण लेना 2. दृष्टिपात करना। तकनीक (इं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी विशेष कला का ज्ञान 2. यांत्रिकी; प्रविधि 3. शिल्पविधि 4. कोई कठिन काम करने की व्यावहारिक निपुणता; (टेकनीक) 5. तरीका। तकनीकी [सं-पु.] प्रौद्योगिकी; (टेक्नोलॉजी)। [वि.] तकनीक का या तकनीक संबंधी; तकनीक विषयक; प्राविधिक; (टेक्निकल)। तकब्बुर (अ.) [सं-पु.] अहंकार; अभिमान; गुरूर; दर्प; अकड़। तकमील (अ.) [सं-स्त्री.] 1. पूरा होने की क्रिया; पूर्णता; समापन 2. पूर्ति; निष्पादन। तकरार (अ.) [सं-स्त्री.] 1. झगड़ा; विवाद; हुज्जत; बहस; वितंडा; वाग्युद्ध 2. खटपट; कलह; गरमागरमी 3. तूतू-मैंमैं; टंटा 4. नोकझोंक; झड़प। तकरारी (अ.) [वि.] तकरार करने वाला; झगड़ालू; लड़ाका। तकरीब (अ.) [सं-स्त्री.] 1. समीपता; नज़दीकी; पास आने का भाव 2. कोई मांगलिक अवसर या विवाह आदि का जलसा; उत्सव। तकरीबन (अ.) [अव्य.] लगभग; करीब-करीब; प्रायः। तकरीर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बातचीत 2. भाषण; वक्तव्य। तकला (सं.) [सं-पु.] 1. सूत कातने के लिए चरखे में लगी लोहे की वह सलाई जिसपर कता हुआ सूत लिपटता चलता है; टेकुआ 2. रस्सी बटने का एक उपकरण। तकली [सं-स्त्री.] सूत कातने का एक प्रकार का छोटा यंत्र जिसमें पीतल की एक चकई में छोटा सा सूजा लगा रहता है; कतनी; कतन; छोटा तकला। तकलीफ़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. कष्ट; दुख; क्लेश; परेशानी; पीड़ा; वेदना 2. संकट; मुसीबत; विपत्ति 3. रोग; बीमारी 4. गरीबी; मुफ़लिसी। तकलीफ़देह (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. दुख देने वाला; दुखदायी 2. कष्टप्रद; कष्टकारी; क्लेशकारी। तकल्लुफ़ (अ.) [सं-पु.] 1. शिष्टाचार 2. दिखावटी तौर पर कोई काम करना 3. बनावट; बाहरी दिखावा 4. संकोच; लज्जा; शर्म 5. तकलीफ़ उठाना 6. बेगानगी; परायापन। तकसीम (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बाँटने की क्रिया या भाव; बँटवारा; बाँटना; विभाजन 2. गणित में विभाजित करने की क्रिया; भाग। तकसीर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अपराध; कसूर; गुनाह; दोष 2. त्रुटि; कमी; कोताही 3. भूल; गलती। तकाई (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ताकने या देखने की क्रिया 2. देखभाल के एवज में दी जाने वाली मज़दूरी। तकाज़ा (अ.) [सं-पु.] 1. माँग; तगादा; दावा 2. आग्रह 3. किसी से कोई काम करने या कराने हेतु उसे बार-बार स्मरण दिलाना। तकाना [क्रि-स.] किसी को कुछ दिखाने या ताकने में प्रवृत्त करना; दिखाना। तकाव [सं-पु.] ताकने की क्रिया, ढंग या भाव। तक़ावी (अ.) [सं-स्त्री.] मध्यकाल में खेतिहरों को बैल, बीज या अन्य संसाधन ख़रीदने के लिए राजा, ज़मींदार या सरकार की ओर से दिया जाने वाला कर्ज़। तकिया (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सोते समय सिर के नीचे लगाने के लिए गोल या आयताकार चपटा रुई या गुदगुदा कपड़ा भरा हुआ मुँहबंद थैला 2. छज्जे में रोक या सहारे के लिए लगाई जाने वाली पत्थर की पटिया। तकिया-कलाम (अ.) [सं-पु.] 1. वह शब्द या वाक्यांश जो कुछ लोगों की ज़बान पर बातचीत करने पर प्रायः मुँह से निकला करता है, जैसे- क्या नाम; 'जो है कि' 2. सखुनतकिया। तकिला (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की औषधि; दवा; जड़ी। तकुआ [सं-पु.] 1. तकला सूत कातने तथा लपेटने के लिए चरखे से लगी लोहे की सलाई 2. तकना; देखने वाला या ताकने वाला। तक्र (सं.) [सं-पु.] मट्ठा; छाछ; ताक। तक्राट (सं.) [सं-पु.] मथानी; एक उपकरण जिससे दही आदि को मथकर मक्खन निकाला जाता है और मट्ठा बनाया जाता है। तक्षक (सं.) [सं-पु.] 1. भारत की एक प्राचीन जाति 2. साँप 3. (पुराण) पाताल के आठ नागों में से एक जिसने राजा परीक्षित को डसा था 4. बढ़ई 5. विश्वकर्मा; सूत्रधार। [वि.] लकड़ी काटने वाला। तक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. लकड़ी को छीलना साफ़ करना या काटना 2. रंदा करने का काम 3. लकड़ी या पत्थर आदि की मूर्तियाँ या बेलबूटे बनाने का काम; मूर्तियाँ गढ़ना। तक्षशिला (सं.) [सं-स्त्री.] वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित एक प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थल जहाँ विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय माना जाता है। तख़त (फ़ा.) [सं-पु.] 1. लकड़ी के पटरों से बनी समतल आयताकार या चौकोर चौकी 2. लकड़ी का पटरा; काष्ठ-पटल 3. बड़ी चौकी। तख़ता (फ़ा.) [सं-पु.] लकड़ी से बना समतल आयताकार या चौकोर पटरा; बड़ी चौकी। तख़तापलट (फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] 1. सत्ता या सरकार में परिवर्तन करने की क्रिया या भाव 2. बना काम बिगाड़ना। तख़ती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा तख़ता 2. काठ की वह पटरी जिसपर छोटे बच्चे अक्षर लिखने का अभ्यास करते हैं; पटिया; पट्टी 3. किसी चीज़ की छोटी पटरी। तखमीना (अ.) [सं-पु.] 1. मात्रा, मान आदि की जानकारी करने के लिए अंकों या संख्याओं आदि के संबंध में किया जाने वाला अनुमान; अटकल या अंदाज़ 2. किसी कार्य के लिए व्यय आदि का अनुमान। तख़ल्लुस (अ.) [सं-पु.] किसी कवि या शायर का वह उपनाम जो उसकी कविता या ग़ज़ल में लिखा जाता है। तख़सीर (अ.) [सं-स्त्री.] विजय; जीत। तख़सीस (अ.) [सं-स्त्री.] 1. विशेषता; ख़ासियत; ख़सूसियत 2. ख़ास बात। तख़्त (फ़ा.) [सं-पु.] 1. राजसिंहासन 2. शासन। तख़्तगाह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] राजधानी। तख़्तपोश (फ़ा.) [सं-पु.] तख़त या चौकी पर बिछाने की चादर। तख़्तबंदी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] तख़त से बनाई गई दीवार। तख़्ता (फ़ा.) [सं-पु.] दे. तख़ता। तख़्ती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. तख़ती। तगड़ा [वि.] 1. शक्तिशाली; बलवान; मज़बूत 2. हट्टा-कट्टा; मोटा-ताज़ा 3. बड़ा; अच्छा। तगड़ापन [सं-पु.] 1. तगड़े होने की अवस्था या भाव 2. ताकत; बल। तगड़ी [सं-स्त्री.] कमर या कूल्हे में पहनने का गहना; करधनी। [वि.] जो बलवान और सेहतमंद हो; मोटी। तगण (सं.) [सं-पु.] 1. (व्याकरण) दो गुरु और एक लघु वर्ण 2. तीन वर्णों का एक मात्रिक छंद। तगमा [सं-पु.] पदक; तमगा; (मेडल)। तगादा (अ.) [सं-पु.] किसी कार्य के लिए बार-बार कहना; तकाज़ा; अनुरोध; आग्रह। तगार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ घर या इमारत आदि बनाने के लिए गारा साना जाता है; तगाड़ 2. गारा ढोने का तसला 3. ओखली को गाड़ने का गड्ढा 4. दाल या सब्ज़ी पकाने का पीतल आदि का बड़ा बरतन। तचना [क्रि-अ.] 1. तपना; गरमाना; गरम होना 2. संतप्त होना 3. जलना। तचाना [क्रि-स.] 1. गरम करना 2. {ला-अ.} कष्ट पहुँचाना; दुखी या संतप्त करना। तज (सं.) [सं-पु.] 1. दारचीनी की जाति का एक सदाबहार पेड़ जिसके पत्तों को तेजपत्ता के नाम से जाना जाता है तथा जिसका खाद्य मसालों में उपयोग किया जाता है 2. उक्त पेड़ की सुगंधित छाल। तजदीद (अ.) [सं-स्त्री.] 1. फिर से नया करना; नवीनीकरण 2. नवीनता; नयापन 3. पट्टे आदि बदलना। तजन (फ़ा.) [सं-पु.] चाबुक या कोड़ा। तजना (सं.) [क्रि-स.] छोड़ना; त्यागना; दूर करना। तजरबा (अ.) [सं-पु.] 1. वह ज्ञान जो किसी कार्य को लंबे समय तक करने पर मिलता है; अनुभव; (एक्सपीरिएंस) 2. ज्ञान प्राप्त करने के लिए की जाने वाली परीक्षा; परीक्षण; परख; प्रयोग। तजरबाकार (अ.) [वि.] 1. जिसे तजरबा हो; अनुभवी 2. निपुण; कुशल। तजल्ली (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रकाश; रोशनी 2. वह ईश्वरीय प्रकाश जो तूर पर्वत पर हज़रत मूसा को दिखाई पड़ा था 3. प्रकट होना 4. झाँकी; चमक-दमक। तजवीज़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सलाह; सम्मति; राय; प्रस्ताव; योजना 2. निर्णय; फ़ैसला 3. निर्देश 4. बंदोबस्त; इंतजाम; प्रबंध। तज़ुरबा (अ.) [सं-पु.] 1. वह ज्ञान जो किसी कार्य को लंबे समय तक करने पर मिलता है; अनुभव; (एक्सपीरिएंस) 2. ज्ञान प्राप्त करने के लिए की जाने वाली परीक्षा; परीक्षण; परख; प्रयोग। तज़ुरबेकार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जिसे तज़ुरबा हो 2. अनुभवी; जानकार। तज्जन्य [वि.] उसके द्वारा उत्पन्न किया हुआ; उससे उत्पन्न; तज्जनित। तज्ञ (सं.) [वि.] तत्व को जानने वाला; तत्वज्ञानी; तत्वविद। तट (सं.) [सं-पु.] 1. नदी, झील, जलाशय या समुद्र आदि का किनारा; कूल; तीर 2. किसी नदी या जलाशय के किनारे के पास की ज़मीन। तटंक (सं.) [सं-पु.] कर्णफूल नामक कान का गहना। तटक (सं.) [सं-पु.] नदी, तालाब आदि किसी जलाशय का तट या किनारा। तटकर (सं.) [सं-पु.] जलमार्ग द्वारा आयात या निर्यात होने वाली वस्तुओं पर लगने वाला कर या टैक्स; (कस्टम टैक्स)। तटग (सं.) [सं-पु.] सरोवर; तालाब; तलैया। तटचर (सं.) [वि.] तट या किनारे पर विचरण करने वाला; तटीय (प्राणी)। तटबंध (सं.) [सं-पु.] नदी, झील या नहर के किनारे पर बनाई गई दीवार या ऊँचा बाँध। तटवर्ती (सं.) [वि.] 1. तट से संबंधित 2. किनारे के पास का; तटीय; तट पर स्थित। तटस्थ (सं.) [वि.] 1. तट या किनारे पर रहने वाला; तट पर स्थित; किनारे का 2. जो किसी का पक्ष न लेता हो; निरपेक्ष; निष्पक्ष 3. जो गुटबंदी से अलग हो; गुटनिरपेक्ष 4. भावहीन; उदासीन; अनासक्त। तटस्थता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तटस्थ रहने या होने की अवस्था या भाव; निरपेक्षता; (न्यूट्रैलिटी) 2. निष्पक्षता; उदासीनता 3. तट पर होने की स्थिति। तटस्थीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. तटस्थ या अलग रहने की क्रिया 2. किसी वस्तु की मूल प्रवृत्ति या गुण को नष्ट करने की क्रिया; (न्यूट्रलाइज़ेशन)। तटाक (सं.) [सं-पु.] तालाब; ताल; तड़ाग। तटिनी (सं.) [सं-स्त्री.] नदी; सरिता। तटी (सं.) [सं-स्त्री.] नदी; तटिनी। तड़ (सं.) [सं-पु.] 1. एक ही जाति या समुदाय के अलग-अलग विभाग; कबीला 2. जाति का उपविभाग 3. तमाचा मारने या कड़ी चीज़ तोड़ने-पटकने से उत्पन्न होने वाली ध्वनि। तड़क [सं-स्त्री.] 1. तड़कने की क्रिया या भाव 2. तड़कने के कारण पड़ने वाला निशान या दरार। तड़कना [क्रि-अ.] 1. गरम होकर तड़ की आवाज़ के साथ फटना; फूटना या चटकना; कड़कना 2. किसी चीज़ का सूखकर फटना। तड़क-भड़क [सं-स्त्री.] शानो-शौकत दिखाने के लिए किया जाने वाला आयोजन; ठाट-बाट; वैभव और रईसी का दिखावा; आडंबर; बनावट; शान; सजधज; रंगीनी; चटक-मटक। तड़का [सं-पु.] 1. सुबह; भोर; सूर्योदय; प्रभात; प्रातःकाल 2. छौंक; बघार (सब्ज़ी आदि में)। तड़काना [क्रि-स.] 1. 'तड़' जैसी ध्वनि के साथ तोड़ना 2. किसी सूखी हुई चीज़ को फाड़ना। तड़कीला [वि.] जो तड़क-भड़क वाला हो; तड़क-भड़कदार; चमकीला; दिखावटी; नुमाइशी; आलंकारिक; शब्दाडंबरपूर्ण; सजावटी। तड़के [क्रि.वि.] सुबह के समय; सवेरे-सवेरे; भोर में। तड़तड़ाना [क्रि-अ.] तड़तड़ की आवाज़ होना। [क्रि-स.] तड़तड़ की आवाज़ पैदा करना। तड़तड़ाहट [सं-स्त्री.] 1. तड़तड़ाने की क्रिया या भाव; तड़तड़ 2. तड़तड़ाने की आवाज़। तड़प [सं-स्त्री.] 1. तड़पने की क्रिया या भाव; छटपटाहट 2. व्याकुलता; बेचैनी 3. टीस; पीड़ा। तड़पन [सं-स्त्री.] 1. तड़पने की अवस्था या भाव; छटपटाहट 2. बेचैनी 3. नींद न आने की अवस्था। तड़पना [क्रि-अ.] बहुत अधिक पीड़ा या दर्द के कारण छटपटाना; कराहना; शारीरिक या मानसिक वेदना के कारण व्याकुल होना; तड़फड़ाना; तिलमिलाना। तड़पवाना [क्रि-स.] किसी को अन्य के माध्यम से तड़पाने का काम कराना; दूसरे के माध्यम से पीड़ा दिलाना। तड़पाना [क्रि-स.] 1. बहुत अधिक कष्ट या दुख पहुँचाना; पीड़ा देना 2. शारीरिक या मानसिक वेदना से व्याकुल करना 3. किसी को गरजने के लिए उकसाना 4. सताना; छटपटाने के लिए लाचार करना; कलपाना। तड़फड़ [सं-स्त्री.] 1. तड़पने की क्रिया; तड़फड़ाहट 2. पीड़ा। तड़फड़ाना [क्रि-अ.] 1. भयंकर कष्ट होना; तड़पना; छटपटाना 2. बेचैन होना; तिलमिलाना। [क्रि-स.] व्याकुल करना; कष्ट पहुँचाना। तड़ाक [सं-स्त्री.] तड़ाक की ध्वनि; किसी कड़ी चीज़ के टूटने से उत्पन्न होने वाली इस प्रकार की आवाज़। [सं-पु.] तालाब; सरोवर। [क्रि.वि.] 1. तड़ या तड़ाक की आवाज़ के साथ 2. चटपट; तुरंत; जल्दी से। तड़ाका [सं-पु.] 'तड़' की आवाज़। [सं-स्त्री.] 1. तड़तड़; कौंध; आघात से उत्पन्न ध्वनि। तड़ाग (सं.) [सं-पु.] सरोवर; तालाब; तलैया। तड़ातड़ [क्रि.वि.] 1. तड़तड़ की आवाज़ के साथ 2. जल्दी-जल्दी; जल्दी से 3. बिना रुके हुए; लगातार; निरंतर। तड़ातड़ी [सं-स्त्री.] 1. जल्दबाज़ी; शीघ्रता करने की अवस्था या भाव 2. बहुत जल्दी काम करने की क्रिया जो अनुचित समझी जाती है; उतावलापन; व्यग्रता। तड़ाना [क्रि-स.] किसी को कुछ ताड़ने में प्रवृत्त करना; ताड़ने का काम कराना; किसी को किसी के कार्य को भाँपने के कार्य में लगाना। तड़ावा [सं-पु.] 1. वह रूप जो दिखावे के लिए बनाया या धारण किया जाता है; दिखावटी या तड़क-भड़क 2. धोखा। तड़ित (सं.) [सं-स्त्री.] बादलों में चमकने वाली बिजली; आकाशीय विद्युत; सौदामिनी; चंचला। तड़ितझंझा (सं.) [सं-स्त्री.] वह तेज़ आँधी या तूफ़ान जिसके साथ विद्युत की चमक भी हो। तड़ितसमाचार [सं-पु.] विस्तृत समाचार छपने के पूर्व किसी अत्यंत महत्वपूर्ण समाचार की संक्षिप्त सूचना; (न्यूज़-फ़्लैश)। तड़ी [सं-स्त्री.] 1. चपत; थप्पड़ 2. मारपीट 3. धोखा; छल। तड़ीपार (सं.) [सं-पु.] किसी व्यक्ति को उसके रहवासी शहर से निकाला जाना; निर्वासन। ततसार (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ कोई चीज़ तपाई जाती है। तताई [सं-स्त्री.] 1. तेज़ी 2. गरमी 3. उग्रता। तत् (सं.) [पूर्वप्रत्य.] 'उस के' आदि के अर्थ के लिए प्रयुक्त, जैसे- तत्सम, तत्पश्चात। तत्काल (सं.) [अव्य.] तुरंत; तत्क्षण; अतिशीघ्र; उसी समय; फ़ौरन; अभी; अविलंब; एकदम; ताबड़तोड़; फटाफट; खट से। तत्कालीन (सं.) [वि.] उस समय या उसी समय का। तत्क्षण (सं.) [अव्य.] तुरंत; अविलंब; तत्काल; तभी; उसी पल; उसी समय; फ़ौरन। तत्ताथेई [सं-स्त्री.] नाचने के शब्द या बोल; नृत्य में पैरों के ज़मीन पर पड़ने की ध्वनि। तत्पर (सं.) [वि.] 1. किसी कार्य को लगन और निष्ठा के साथ करने वाला; तल्लीन; उद्यत 2. आज्ञाकारी; आतुर 3. आमादा; उतावला 4. उत्साही; इच्छुक। तत्परता (सं.) [सं-स्त्री.] किसी कार्य को करने की लगन; मुस्तैदी; उत्साह; तुरंत कर डालने की निष्ठा; उतावलापन। तत्परायण (सं.) [वि.] 1. तल्लीन; एकाग्र 2. जिसका मन किसी एक में ही लगा हो। तत्पश्चात (सं.) [अव्य.] पीछे; उसके बाद। तत्पुरुष (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) समास का एक प्रकार जिसमें दोनों पदों के बीच विभक्तियों का लोप होता है। तत्रक (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का वृक्ष। तत्रत्य (सं.) [वि.] वहाँ रहने वाला। तत्व (सं.) [सं-पु.] 1. (रसायनशास्त्र) ऐसा पदार्थ जिसमें दूसरे पदार्थ का मेल या मिश्रण न हो; पदार्थ; परमाणु; (एलिमेंट) 2. आकाश, जल, अग्नि, थल और पवन ये पाँच गुण जो प्राचीन भारतीय विचारधारा के अनुसार सृष्टि के निर्माण के मूल कारण हैं 3. घटक; अवयव। तत्वज्ञ (सं.) [वि.] 1. अध्यात्मवेत्ता; ब्रह्मज्ञानी; तत्वज्ञानी; दार्शनिक 2. गुणग्राहक 3. वेदांतवादी। तत्वज्ञता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तत्वज्ञ होने की अवस्था या भाव; वैज्ञानिकता 2. गुणग्राहकता 3. दार्शनिकता। तत्वज्ञान (सं.) [सं-पु.] ब्रह्मा, आत्मा और जगद्विषयक यथार्थ ज्ञान; ब्रह्मज्ञान। तत्वज्ञानी (सं.) [सं-पु.] 1. तत्वज्ञ; ब्रह्मज्ञानी 2. दार्शनिक; वैज्ञानिक। तत्वतः (सं.) [अव्य.] 1. महत्वपूर्ण गुण या तत्व के विचार से 2. वस्तुतः; वास्तव में; यथार्थ रूप में; (सब्स्टेंशली)। तत्वदर्शी (सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्मज्ञानी; अध्यात्मज्ञ 2. दार्शनिक 3. तत्व को जानने वाला; तत्वज्ञानी। तत्वबोध (सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्म, आत्मा और जगत के विषय में यथार्थ ज्ञान; ब्रह्मज्ञान; तत्वज्ञान; तत्व या किसी अन्य वस्तु की मूल प्रवृत्ति का ज्ञान 2. दार्शनिक ज्ञान। तत्वमसि (सं.) [सं-पु.] वेदांत का उपदेश वाक्य; जिसका अर्थ है- 'तू ब्रह्म है'। तत्वविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] दर्शनशास्त्र; तत्वशास्त्र; आध्यात्मिक विद्या। तत्ववेत्ता (सं.) [सं-पु.] जिसे तत्व का ज्ञान हो; तत्वज्ञ; दार्शनिक। तत्वशास्त्र (सं.) [सं-पु.] तत्वविद्या; दर्शनशास्त्र। तत्वहीन (सं.) [वि.] 1. तत्वरहित; जिसमें कोई तत्व न हो 2. असार; गुणहीन। तत्वांतरण [सं-पु.] एक मुख्य तत्व का अन्य तत्व में परिणत होना; (ट्रांसम्यूटेशन ऑव एलिमेंट्स)। यह प्रक्रिया तत्व के परमाणु के नाभिक की संरचना में परिवर्तन करके पूरी की जाती है। तत्वात्मक (सं.) [वि.] तत्व के रूप में होने वाला। तत्वान्वेषी (सं.) [वि.] ब्रह्मज्ञानी; तत्व का अन्वेषण करने वाला। तत्वावधान (सं.) [सं-पु.] किसी कार्य के ऊपर होने वाला निरीक्षण या देख-रेख। तत्संबंधी (सं.) [वि.] 1. उससे (किसी तथ्य या बात से) संबंध रखने वाला 2. विषयक। तत्सम (सं.) [सं-पु.] किसी भाषा का वह शब्द जो अन्य भाषा में अपने मूल रूप में प्रयोग किया जाता हो; तद्भव से भिन्न। [वि.] 1. उसके समान 2. अनपभ्रंश। तत्सामयिक (सं.) [वि.] उस समय के विचार के अनुरूप उपयोगी या उपयुक्त; उस समय का। तथा (सं.) [अव्य.] एवं; और। तथाकथित (सं.) [वि.] 1. अप्रामाणिक 2. संदिग्ध; विवादास्पद 3. कहने भर का; नाम भर का 4. किसी के द्वारा मान लिया गया; तथोक्त; (सो कॉल्ड)। तथाकथ्य (सं.) [वि.] 1. जो उक्त प्रकार से भी कही जा सके 2. तथाकथित; तथोक्त। तथागत (सं.) [सं-पु.] गौतम बुद्ध का एक नाम। [वि.] 1. जो गंतव्य तक पहुँच चुका हो 2. प्रबुद्ध। तथापि (सं.) [अव्य.] 1. फिर भी; तब भी 2. और भी 3. तदापि। तथास्तु (सं.) [अव्य.] ऐसा ही हो; एवमस्तु। तथैव (सं.) [अव्य.] 1. वैसा ही; उसी प्रकार 2. जो ऊपर है; वैसे ही; (डिटो)। तथोक्त (सं.) [वि.] 1. जैसा पहले कहा गया है; पूर्वोक्त 2. तथाकथित। तथ्य (सं.) [सं-पु.] 1. यथार्थपरक बात; सच्चाई; वास्तविकता 2. किसी विशेष अवसर पर प्रस्तुत आँकड़े 3. सार; अर्थ 4. ठोस विवरण 5. हकीकत। तथ्यक (सं.) [वि.] तथ्य संबंधी; जो सच्चाई से संबंध रखता हो। तथ्यपरक (सं.) [वि.] 1. जो तथ्यों पर आधारित हो; तथ्यात्मक 2. वास्तविकता के अनुकूल। तथ्ययुक्त (सं.) [वि.] 1. जिसमें तथ्य या प्रमाण हो; तथ्यात्मक 2. वास्तविक। तथ्यसंगत (सं.) [वि.] तथ्ययुक्त; सारयुक्त। तथ्यहीन (सं.) [वि.] 1. निराधार; अयथार्थ; अप्रामाणिक; अवास्तविक 2. मिथ्या; मनगढंत; सच्चाई से परे। तथ्यात्मक (सं.) [वि.] 1. जिसमें तथ्य हो; वास्तविक; यथार्थ; सटीक; विश्वसनीय; सच्चा 2. आधारयुक्त; ठोस; प्रामाणिक। तथ्यान्वेषण (सं.) [सं-पु.] 1. तथ्यों की खोज; अनुसंधान 2. जाँच-पड़ताल; तफ़तीश; पूछताछ; (इनक्वायरी)। तथ्यान्वेषी (सं.) [वि.] 1. तथ्य की खोज करने वाला; आधार या प्रमाण खोजने वाला 2. जाँचकर्ता; तहकीकाती 3. परीक्षक। तद [वि.] 1. 'तत' का समासगत रूप 2. वह। [अव्य.] 1. उस समय 2. तब। तदनंतर (सं.) [अव्य.] तदोपरांत; उसके बाद। तदनुकूल (सं.) [वि.] उसके अनुरूप या अनुसार। तदनुरूप (सं.) [वि.] 1. उसी के समान; उसी प्रकार का 2. वैसे; सदृश 3. मेल खाने वाला। तदनुवर्ती (सं.) [वि.] उसके पीछे का। तदनुसार (सं.) [क्रि.वि.] उसके अनुसार; पहले वाले के मुताबिक। [वि.] किसी के अनुसार होने वाला। तदपि (सं.) [क्रि.वि.] तथापि; तो भी; वह भी। तदबीर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. कार्य पूरा करने का साधन; अभीष्ट सिद्ध करने का साधन; प्रयास 2. उपाय; उद्योग; युक्ति; तरकीब 3. प्रबंध; इंतज़ाम 4. सुझाव। तदरूपता (सं.) [सं-स्त्री.] सादृश्य; समानता। तदर्थ (सं.) [अव्य.] किसी विशेष उद्देश्य के लिए बनाया या किया गया; उसके वास्ते; उसके लिए; (ऐडहॉक)। तदर्थीय (सं.) [वि.] उसके जैसा अर्थ रखने वाला; समानार्थी, जैसे- श्यामपट्ट अँग्रेज़ी के ब्लैकबोर्ड का तदर्थीय है। तदाकार (सं.) [वि.] उसी आकार या रूप का; उसी तरह का। तदापि (सं.) [अव्य.] तो भी; तथापि; तब भी। तदुपरांत (सं.) [अव्य.] उसके उपरांत; उसके बाद; बाद में। तद्गत (सं.) [वि.] 1. उससे संबद्ध 2. उसमें व्याप्त; उसमें स्थित; 3. तल्लीन। तद्गुण (सं.) [सं-पु.] एक अर्थालंकार जिसमें किसी वस्तु या प्राणी के स्वगुण को त्यागकर समीप की किसी दूसरी वस्तु के गुण को ग्रहण कर लिया जाता है। [वि.] उसके जैसे गुणों वाला। तद्धित (सं.) [सं-पु.] 1. वह प्रत्यय जिसे संज्ञा के अंत में लगाकर भाववाचक संज्ञा या विशेषण बनाते हैं, जैसे- शत्रुता में 'ता' तथा पाश्चात्य में 'त्य' 2. उक्त प्रत्यय लगाने से बना शब्द। [वि.] उसके लिए उपयुक्त। तद्भव (सं.) [सं-पु.] किसी भाषा के वे शब्द जो अन्य भाषा में कुछ भिन्न रूप में प्रयोग में किए जाते हैं; किसी भाषा से विकसित शब्द, जैसे- अग्नि से आग; हस्त से हाथ। [वि.] उससे उत्पन्न। तद्भवता (सं.) [सं-स्त्री.] तद्भव होने की अवस्था या भाव। तद्रूप (सं.) [वि.] समान रूप का; वैसा ही। तद्वत (सं.) [वि.] वैसे ही; उसी के अनुसार। तद्वत्ता (सं.) [सं-स्त्री.] तद्वत होने की अवस्था या भाव। तन (सं.) [सं-पु.] देह; काया; शरीर। तनक [सं-स्त्री.] एक प्रकार की रागिनी। तनकीह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. परिष्कृत करना; साफ़ करना 2. जाँच; तहकीकात 3. अदालत में किसी मुकदमे या अभियोग के संबंध में विचारणीय और विवादास्पद विषयों को खोज निकालना; किसी मुकदमे में विरोध या विवाद की उन मुख्य बातों का पता लगाना जो फैसले या निर्णय के लिए आवश्यक हैं 4. विवादास्पद मामलों का निश्चय। तनखैया [सं-पु.] 1. सिख धर्मानुसार धर्मविरोधी कार्य करने वाला; धर्मापराधी 2. धर्मच्युत। तनख़्वाह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] मासिक वेतन; मेहनताना; पगार; (सैलरी)। तनज़ील (अ.) [सं-स्त्री.] आतिथ्य करना। [सं-पु.] उतारना (पद या ओहदे से); अवनति करना। तनज़ेब (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अच्छी गुणवत्ता की महीन मलमल 2. बढ़िया सूती कपड़ा। तनतनाना (अ.) [क्रि-अ.] 1. क्रोध करना; गुस्साना; बिगड़ना; झुँझलाना 2. दबदबा दिखाना; शान दिखाना। तनना (सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ का एक ओर तन जाना; फैलना 2. खिंचकर कड़ा होना; खिंचना 3. अकड़ना; सीधा खड़ा होना 4. {ला-अ.} अहंकार के साथ रुष्ट होना या उदासीन होना। तनय (सं.) [सं-पु.] पुत्र; बेटा। तनया (सं.) [सं-स्त्री.] पुत्री; बेटी। तनवाना [क्रि-स.] 1. तानने का काम कराना; तनाना 2. तानने में प्रवृत्त करना 3. खिंचवाना 4. तानकर खड़ा करवाना। तनसुख (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का फूलदार बढ़िया महीन मलमल या उसी प्रकार का कपड़ा। तनहा (फ़ा.) [वि.] अकेला; एकाकी; जिसके साथ कोई न हो। तनहाई (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. तनहा होने की अवस्था; अकेलापन; एकाकीपन 2. निर्जन या एकांत स्थान। तना1 (सं.) [सं-पु.] 1. पेड़ का ज़मीन के ऊपर का मोटा भाग जहाँ से शाखाएँ निकलती हैं; वृक्ष का धड़ 2. स्कंध; स्तंभ। तना2 [वि.] 1. खिंचा हुआ 2. खड़ा हुआ; उत्तानित 3. जो उत्तेजित हो। तनाई [सं-स्त्री.] 1. तानने की क्रिया या भाव 2. तानने की मज़दूरी। तनाज़ा (अ.) [सं-पु.] 1. खींचातानी 2. झगड़ा; बखेड़ा; टंटा; फ़साद; दंगा 3. शत्रुता; दुश्मनी; अदावत 4. वैमनस्य; वैर। तनातनी [सं-स्त्री.] खिंचाव; आपसी तनाव; अनबन; वैमनस्य। तनाना [क्रि-स.] तानने का काम करवाना; तनवाना। तनाब (अ.) [सं-स्त्री.] वह रस्सी जिससे तंबू के बाँस आदि खींचकर खूँटों से बाँधे जाते हैं; डोरी; रस्सी। तनाव [सं-पु.] 1. तनने या खिंचे होने की अवस्था या भाव 2. किसी बात या विचार के कारण उत्पन्न होने वाली वह स्थिति जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे की ओर सकारात्मक रूप से प्रवृत्त नहीं होते; वैमनस्य 3. शत्रुता; कलह 4. {ला-अ.} उत्तेजना; 5. {ला-अ.} मनुष्य की चिंतायुक्त होने की अवस्था; (टेंशन)। तनावग्रस्त (हिं.+सं.) [वि.] जहाँ तनाव हो; तनाव से पीड़ित; चिंतित; परेशान; खींचा हुआ; भय या चिंता से विकल। तनावपूर्ण (हिं.+सं.) [वि.] तनाव से भरा; तनावयुक्त; खिंचा या कसा हुआ। तनावमुक्त (हिं.+सं.) [वि.] 1. जिसमें तनाव न हो; तनावरहित; चिंतामुक्त 2. सुखी; आनंदित 3. ढीला; झोलदार। तनासुख (अ.) [सं-पु.] 1. एक रूप से दूसरे रूप में आना; परिवर्तन 2. आवागमन। तनिक (सं.) [वि.] ज़रा; कम; थोड़ा-सा; अल्पतम; कुछ। तनिका (सं.) [सं-स्त्री.] किसी वस्त्र या वस्तु को बाँधने की डोरी; तनी। तनिमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कृशता; तन का दुबलापन 2. सुकुमारता 3. नज़ाकत। तनिया [सं-स्त्री.] 1. कसने या बाँधने के लिए किसी चीज़ में लगी हुई डोरी या मोटा धागा; बंधन; तनी 2. लँगोटी; कोपीन 3. कच्छा; जाँघिया 4. कसने के लिए चोली, अंगिया आदि में लगी हुई डोरी या बंद। तनी1 [सं-स्त्री.] 1. कसने या बाँधने के लिए किसी चीज़ में लगी हुई मोटी डोरी या रस्सी; बंधन; बंद; तनिया 2. वह डोरी जिससे पहनी हुई कुरती, चोली, मिरजई आदि कसी जाती है 3. तसमा; फ़ीता। तनी2 (सं.) [वि.] स्तनोंवाली; पयोधरा। तनु (सं.) [वि.] 1. दुबला-पतला 2. अल्प; कम; थोड़ा 3. सुकुमार; कोमल 4. छिछला; तुच्छ 5. छरहरा 6. {ला-अ.} नाज़ुक; कृश; सुंदर; श्रेष्ठ; बढ़िया। [सं-पु.] शरीर; काया; देह; बदन। तनुकरण (सं.) [सं-पु.] किसी तरल पदार्थ को तनु (पतला) करने की क्रिया; सांद्र (गाढ़ा) द्रव्य या पदार्थ को पतला करने का कार्य। तनुकारी (सं.) [वि.] द्रव को पतला (तनु) करने वाला। तनुज (सं.) [सं-पु.] 1. पुत्र; तनय; बेटा 2. रोआँ। तनुजा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बेटी; पुत्री 2. कन्या; लड़की। तनुत्राण (सं.) [सं-पु.] कवच; वर्म; बख़्तर। तनुधारी (सं.) [वि.] शरीर धारण करने वाला; शरीरी; देहधारी। तनुरुह (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर के रोम; रोएँ 2. पंख; पर 3. पुत्र; बेटा। तनुश्री (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छरहरी काया की स्त्री 2. सुंदर और सुकोमल स्त्री के लिए प्रशंसासूचक शब्द। तनू (सं.) [सं-पु.] 1. किसी प्राणी के सब अंगों का समूह जो एक इकाई के रूप में हो; देह; शरीर 2. पुत्र; बेटा; लड़का; नर संतान। [सं-स्त्री.] गाय; गौ। तनूनप (सं.) [सं-पु.] घी; घृत; तूप। तनूर (फ़ा.) [सं-पु.] तंदूर; खमीरी रोटी पकाने की गहरी भट्टी। तनैया [वि.] तानने वाला; कसकर बाँधने वाला। तन्मय (सं.) [वि.] 1. किसी काम में बहुत एकाग्र भाव से लगा हुआ; लीन; व्यस्त 2. लवलीन; दत्तचित्त 3. समाधिस्थ। तन्मयता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तन्मय होने की अवस्था या भाव 2. तल्लीनता 3. समाधि। तन्मात्र (सं.) [सं-पु.] 1. पंचभूतों के मूल सूक्ष्म रूप; सांख्य दर्शन में ये पाँच हैं- शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध, इन्हीं से पंचमहाभूतों (आकाश, वायु, तेज, जल एवं पृथ्वी) की उत्पत्ति होती है 2. अजैव पदार्थ। तन्य (सं.) [वि.] तानने या खींचने योग्य। तन्यक (सं.) [वि.] 1. खींचे जाने योग्य; जिसे खींचा जा सके; (इलैस्टिक) 2. (धातु) जिसका विस्तार किया जा सके। तन्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तनने या खिंचने का गुण; लोच; लचीलापन 2. ठोस वस्तुओं को तार के रूप में खींचे जा सकने का गुण; (डक्टिलटी)। तन्वंग (सं.) [वि.] 1. तनु (पतला) अंगों वाला; कृशांग 2. सुकुमार देह वाला 3. पतली कमर वाला। तन्वंगिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तनु या पतली कमर वाली स्त्री 2. सुंदर स्त्री; सुकुमारी। तन्वंगी (सं.) [वि.] 1. दुबली-पतली; कृशांगी 2. सुकुमारी; नाज़ुक शरीर वाली 3. छरहरी। [सं-स्त्री.] शालीपर्णी नामक लता। तन्वी (सं.) [वि.] 1. दुबली, कोमल अंगों वाली 2. सुकुमार; कृशांगी। [सं-स्त्री.] 1. कोमलांगी और सुंदर स्त्री 2. वर्णवृत्त का एक प्रकार। तप (सं.) [सं-पु.] 1. तपस्या; वह व्रत या नियम जिनसे शरीर या चित्त को कष्टप्रद दशाओं में रखकर शुद्ध या निर्मल तथा विषयों से निवृत्त किया जाता है 2. कठिन परिश्रम 3. सरदी-गरमी सहने की क्रिया; विद्या अध्ययन 4. योगाभ्यास 5. शरीर या इंद्रियों पर नियंत्रण 6. गरमी; ताप; दाह 7. एक लोक का नाम 8. एक कल्प। तपन (सं.) [सं-पु.] 1. ताप 2. उष्णता 3. मदार या भिलावाँ आदि वनस्पतियों का एक नाम 4. पुराणों के अनुसार एक नरक 5. {ला-अ.} कष्ट; परेशानी। [सं-स्त्री.] 1. तपने की क्रिया या भाव; तपे होने की स्थिति 2. तपिश; गरमी; ताप 3. जलन 4. {व्यं-अ.} (काव्य में) वियोग के कारण नायिका के हाव-भाव में परिवर्तन; प्रिय के विछोह या विरह से उत्पन्न संताप। [वि.] जलाने वाला; तपाने वाला। तपना (सं.) [क्रि-अ.] 1. आग या धूप से गरम होना; तप्त होना; गरमाना; दहकना; पिघलना 2. किसी पदार्थ का पकना या सिंकना 3. तप या तपस्या करना 4. सूर्य का प्रखर होना। तपनांशु (सं.) [सं-पु.] सूर्यकिरण; धूप। तपनी [सं-स्त्री.] 1. तपाने की वस्तु 2. अलाव 3. तप आदि के लिए प्रसिद्ध गोदावरी नदी। तपनीय (सं.) [वि.] 1. तपाने योग्य 2. सहन करने लायक। [सं-पु.] स्वर्ण; सोना। तपपूत (सं.) [वि.] तपस्या के द्वारा पवित्र। तपमुद्रा (सं.) [सं-पु.] शंख, चक्र आदि के निशान जो धार्मिक व्यक्ति दिखाने के लिए अपने अंगों पर दगवाते हैं। तपवंत (सं.) [वि.] 1. जो तप या श्रम करने में लीन हो; तपवाला 2. तपस्वी। तपवाना [क्रि-स.] 1. तप्त कराना; गरम करवाना 2. तपाने का कार्य दूसरे से कराना 3. {ला-अ.} अनावश्यक परिश्रम कराना या कष्ट देना। तपश्चरण (सं.) [सं-पु.] 1. तपश्चर्या; तपस्या; तप 2. कठिन उपवास 3. {ला-अ.} इच्छित वस्तु या अभीष्ट की सिद्धि के लिए उठाया जाने वाला कष्ट। तपश्चर्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तपस्या करने की अवस्था या भाव; तप; तपश्चरण 2. {ला-अ.} किसी कार्य के लिए किया गया कठिन श्रम। तपस (सं.) [सं-पु.] तपस्या; तप। तपसी (सं.) [सं-पु.] तपस्वी; तपस। तपस्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चित्त की शुद्धि अथवा धर्म लाभ के लिए किया जाने वाला व्रत और नियम; तप; योगसाधना; परिव्रज्या; तपश्चर्या; साधना; समाधि; इंद्रियनिग्रह; ब्रह्मचर्य 2. कठिन परिश्रम 3. {ला-अ.} इंतज़ार या प्रतीक्षा 4. {ला-अ.} किसी अभीष्ट सिद्धि के लिए उठाया जाने वाला कष्ट। तपस्विनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तपस्या करने वाली स्त्री 2. {ला-अ.} परिश्रम करने वाली स्त्री; कठिन दिनचर्या रखने वाली स्त्री। तपस्वी (सं.) [सं-पु.] 1. कठिन तप या साधना करने वाला व्यक्ति; योगी; तपोमूर्ति; साधक; संन्यासी; साधु 2. {ला-अ.} परिश्रम करने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. तप करने वाला 2. कष्ट सहने वाला। तपाक (फ़ा.) [सं-पु.] 1. आवेश; उत्साह; जोश; गरमजोशी 2. तेज़ी; वेग। तपाकर (सं.) [सं-पु.] 1. महान तपस्वी 2. सूर्य। तपाना [क्रि-स.] 1. गरम करना; तप्त करना 2. अग्नि पर रखकर पकाना; पिघलाना 3. किसी को दुखी या संतप्त करना 4. {ला-अ.} तपस्या से देह को कष्ट देना। तपावंत (सं.) [सं-पु.] 1. तप करने वाला; तपस्वी 2. श्रम करने वाला। तपित (सं.) [वि.] तपाया हुआ; तपा हुआ; ताप से युक्त। तपिश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गरमी; तपन 2. आँच। तपी [सं-पु.] तपस्या करने वाला; तपस्वी। तपेड़ना [क्रि-स.] थप्पड़ या चपत लगाना; आघात करना। तपेदिक (सं.) [सं-पु.] ज्वर और खाँसी का एक रोग जिसमें शरीर कमज़ोर होता जाता है; क्षय रोग; (टीबी)। तपोधन (सं.) [सं-पु.] 1. तपस्वी 2. वह जिसके लिए तपस्या ही सर्वस्व हो 3. दौने का पौधा। तपोनिष्ठ (सं.) [सं-पु.] तपस्वी। [वि.] जिसकी निष्ठा तप या तपस्या में हो। तपोबल (सं.) [सं-पु.] 1. तप का प्रभाव या सामर्थ्य 2. तपस्या से उत्पन्न तेज या आत्मबल; तप से प्राप्त शक्ति। तपोभूमि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तप करने का स्थान 2. तप करने वालों का देश; तपोवन 3. वह स्थान जहाँ किसी ने तप किया हो 4. {ला-अ.} कर्मभूमि। तपोमय (सं.) [सं-पु.] परमात्मा; ईश्वर। [वि.] तपस्या करने वाला; तपयुक्त। तपोवन (सं.) [सं-पु.] 1. तप या तपस्या करने का वन या आश्रम; तपस्या करने लायक जगह 2. वह स्थान जहाँ तपस्वी रहते हैं। तप्त (सं.) [वि.] 1. जो तपा या तपाया हुआ हो (पदार्थ) 2. दुखित; पीड़ित 3. जिसने ख़ूब तपस्या की हो (व्यक्ति)। तप्तकुंड (सं.) [सं-पु.] वह तालाब, झील या कुंड जिसका जल प्राकृतिक रूप से ही गरम रहता हो। तफ़तीश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] छानबीन; जाँच-पड़ताल; पूछताछ कर किसी बात की जानकारी हासिल करना; खोज; गवेषणा; तलाश। तफ़रीह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मनबहलाव के लिए घूमना-फिरना; मनोरंजन 2. हास-परिहास; मनोविनोद; दिल्लगी 3. फ़रहत; प्रसन्नता; ख़ुशी; ठट्ठा 4. हवाख़ोरी; सैर 5. ताज़ापन; ताज़गी। तफ़सीर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी जटिल शब्द या वाक्य का सरल शब्दों में स्पष्टीकरण या वर्णन 2. क़ुरान की आयतों की व्याख्या या भाष्य; टीका। तफ़सील (अ.) [सं-स्त्री.] 1. विस्तार से वर्णन; विवरण 2. कैफ़ियत; तशरीह 3. कठिन शब्द या पद आदि का सरलीकरण; व्याख्या; टीका 4. ब्योरा; सूची। तफ़ावत (अ.) [सं-पु.] 1. फ़र्क; अंतर 2. विरोध के कारण होने वाला मनमुटाव; फ़ासला; दूरी। तब (सं.) [अव्य.] 1. उस समय तक 2. इसके पश्चात व तुरंत बाद 3. इस कारण से। तबक (अ.) [सं-पु.] 1. इस्लामी कथाओं के आधार पर पृथ्वी के नीचे और ऊपर माने जाने वाले आकाश के कल्पित खंड या लोक; तल 2. तह; परत 3. मिठाइयों पर लगाने का सोने-चाँदी का वरक 4. चौड़ी थाली; बड़ी रकाबी 5. (अंधविश्वास) मुसलमान स्त्रियों द्वारा भूत-प्रेत या परियों के संकट से बचने के लिए फूल या धूप-दीप आदि से किया जाने वाला कर्मकांड। तबकगर (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो सोने-चाँदी आदि के वरक बनाता हो; तबकिया। तबका (अ.) [सं-पु.] 1. श्रेणी; वर्ग; दरजा 2. विभाग; खंड 3. गिरोह; समूह। तबकिया (अ.) [सं-पु.] तबकगर; वह व्यक्ति जो सोने-चाँदी आदि के वरक या पत्तर बनाता हो। [वि.] जिसमें परत हो। तबदील (अ.) [सं-स्त्री.] बदले जाने या परिवर्तन का भाव। तबदीली (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बदले जाने की क्रिया या अवस्था 2. किसी प्रकार का परिवर्तन या बदलाव 3. तबादला। तबर (फ़ा.) [सं-पु.] कुल्हाड़ी; एक प्रकार का औज़ार जिससे लकड़ी आदि काटी जाती है। तबर्रा (अ.) [सं-पु.] 1. नफ़रत; घृणा 2. शिया समाज द्वारा मुहम्मद साहब के कुछ मित्रों के बारे में कहे जाने वाले बुरे शब्द 3. शियाओं में अली से पूर्व के तीन ख़लीफ़ाओं के प्रति नफ़रत। तबल (अ.) [सं-पु.] 1. नगाड़ा 2. बड़ा ढोल। तबलची (अ.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो तबला बजाता हो। तबला (अ.) [सं-पु.] ताल देने का एक प्रसिद्ध वाद्ययंत्र। तबलिया [सं-पु.] तबला बजाने वाला; तबलची। तबस्सुम (अ.) [सं-पु.] 1. मुस्कराहट; मुस्कान; मंद हँसी 2. कलियों का खिलना। तबादला (अ.) [सं-पु.] किसी कर्मचारी को एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर नियुक्त किया जाना; स्थानांतरण। तबाशीर (सं.) [सं-पु.] वंशलोचन; तवक्षीर। तबाह (फ़ा.) [वि.] 1. बरबाद; नष्ट-भ्रष्ट 2. जिसकी बड़ी हानि हुई हो। तबाही (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बरबादी; विनाश; बड़ी हानि 2. तबाह होने का भाव। तबीयत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर या मन की स्थिति; मिज़ाज 2. चित्त; मन; जी; हृदय 3. स्वास्थ्य; सेहत 4. मनोवृत्ति; भावना; प्रवृत्ति। [मु.] -आना : किसी पर प्यार आना। -फड़क उठना : किसी बात से मन बहुत प्रसन्न होना। -लगना : मन को बहुत अच्छा लगना; किसी से प्रेम होना। तबीयतदार (अ.) [वि.] 1. सहृदय; भावुक; रसिक 2. समझदार। तबेला (अ.) [सं-पु.] 1. अस्तबल; घुड़साल 2. पशुओं या घोड़ों को बाँधने की जगह 3. इक्के या गाड़ी आदि खड़ी करने के लिए घिरा हुआ स्थान। [मु.] -में लत्ती चलना : आपस में लड़ाई झगड़ा होना। तभी [अव्य.] 1. उसी समय; उसी घड़ी 2. इसीलिए; इसी कारण; उस कारण या वजह से 3. किसी विशिष्ट अवस्था या स्थिति में। तम (सं.) [सं-पु.] 1. अँधेरा; अंधकार 2. तमाल वृक्ष 3. पाप; अपराध 4. कालिख 5. अज्ञान; अविद्या 6. प्रकृति के तीन गुणों में से अंतिम 7. नरक 8. क्रोध। [वि.] 1. बुरा 2. अंधकारमय; काला 3. प्रदूषित। तमंग (सं.) [सं-पु.] 1. मंच 2. रंगमंच। तमंचा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. छोटी देशी बंदूक; कट्टा; पिस्तौल 2. मज़बूती के लिए दरवाज़े के दोनों ओर लगाए जाने वाले लंबे पत्थर। तमक [सं-पु.] एक प्रकार का श्वास रोग। [सं-स्त्री.] 1. तमकने या क्रोध में आने की क्रिया या भाव 2. उद्वेग; आवेश; जोश 3. झुँझलाहट; रोष 4. तीव्रता; तेज़ी। तमकना [क्रि-अ.] क्रोध या आवेश में आना; गुस्से में बेकाबू होना; चेहरा लाल होना; तमतमाना। तमगा (तु.) [सं-पु.] किसी की उपलब्धि या करतब पर दिया जाने वाला पदक; (मेडल)। तमचर (सं.) [सं-पु.] रात में भ्रमण करने वाला प्राणी; राक्षस; निशाचर। तमतमाना [क्रि-अ.] क्रोध या आवेश में चेहरा लाल होना। तमतमाहट [सं-स्त्री.] गुस्से या क्रोध का भाव। तमन्ना (अ.) [सं-स्त्री.] इच्छा; अभिलाषा; आकांक्षा; कामना; ख़्वाहिश। तमराज (सं.) [सं-पु.] 1. अंधकार का राजा 2. एक तरह का खाँड़। तमस (सं.) [सं-पु.] 1. तम; अंधकार 2. अविद्या; अज्ञान। [सं-स्त्री.] तमसा या टौंस नदी। [वि.] श्याम या काले रंग का। तमसा (सं.) [सं-स्त्री.] एक छोटी नदी जो अयोध्या के पश्चिम से निकलकर बलिया के पास गंगा में मिलती है; यमुना की एक सहायक नदी। तमस्विनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अँधेरी रात; काली रात 2. हल्दी। तमस्वी (सं.) [वि.] अंधकारयुक्त; तमपूर्ण। तमस्सुक (अ.) [सं-पु.] 1. वह लेख्य जो ऋण लेने वाला व्यक्ति महाजन को लिखकर देता है; ऋण पत्र 2. किसी प्रकार का विधिक लेख। तमा1 (सं.) [सं-पु.] राहु; एक छाया ग्रह। [सं-स्त्री.] रात; रात्रि। तमा2 (अ.) [सं-स्त्री.] लालच; लोभ। तमाकू (पुर्त.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध पौधा जिसके पत्ते अनेक रूपों में नशे के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं 2. तंबाकू; एक प्रकार के निकोटियाना प्रजाति के पेड़ जिसके पत्तों को सुखाकर नशा करने की वस्तु बनाते हैं; सुरती। तमाचा (फ़ा.) [सं-पु.] थप्पड़; चाँटा; झापड़। तमाच्छन्न (सं.) [वि.] तम (अंधकार) से घिरा, भरा या ढका हुआ। तमाच्छादित (सं.) [वि.] तम (अंधकार) से ढका हुआ। तमादी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अवधि समाप्त होना 2. मियाद गुज़र जाना। [वि.] जिसकी अवधि समाप्त हो चुकी हो; (बार्ड बाइ लिमिटेशन)। तमाम (अ.) [वि.] 1. समस्त; कुल; सब; पूरा; सारा 2. समाप्त; ख़त्म। तमारि (सं.) [सं-पु.] सूर्य; भास्कर। तमाल (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का बड़ा सदाबहार पेड़ 2. वरुण नामक वृक्ष 3. तेजपत्ता 4. बाँस की छाल 5. काला खैर 6. सुरती 7. एक प्रकार की तलवार। तमाशगीर (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो तमाशा, खेल, जादू आदि दिखाता है। तमाशबीन (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. तमाशा देखने वाला व्यक्ति 2. वेश्यागामी; ऐयाश। तमाशबीनी [सं-स्त्री.] 1. तमाशा देखने की क्रिया या भाव 2. ऐयाशी। तमाशा (अ.) [सं-पु.] 1. मन को प्रसन्न करने वाला दृश्य; मनोरंजक दृश्य 2. वह खेल जिससे मनोरंजन होता है 3. अद्भुत व्यापार या कार्य; अनोखी बात। तमाशाई (अ.) [सं-पु.] 1. तमाशा देखने वाला 2. तमाशा दिखलाने वाला व्यक्ति। तमिल [सं-पु.] दक्षिण भारत की एक जाति। [सं-स्त्री.] तामिल जाति के लोगों की एक भाषा; तमिल। तमिस्र (सं.) [सं-पु.] 1. अँधेरा; अंधकार 2. क्रोध 3. अज्ञान; मोह 4. कृष्ण पक्ष 5. एक नरक। तमिस्रा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अँधेरी रात 2. निविड़; अंधकार। तमी (सं.) [सं-स्त्री.] निशा; रात। तमीचर (सं.) [सं-पु.] राक्षस; निशाचर। तमीज़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अच्छे-बुरे की पहचान; विवेक 2. आचार, व्यवहार आदि के पालन का उचित ज्ञान या बोध 3. ज्ञान; बुद्धि 4. अदब; कायदा। तमीज़दार (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसे तमीज़ हो; शिष्ट; सभ्य 2. सलीकेदार; व्यवहारकुशल। तमीज़दारी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] सलीकेदारी; शिष्टता; व्यवहार कुशलता। तमीपति (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा; निशापति। तमीश (सं.) [सं-पु.] चंद्र; तमीपति। तमोगुण (सं.) [सं-पु.] 1. प्रकृति के तीन गुणों (सत, रज, तम) में एक (अंतिम), जो अंधकार, अज्ञान, भ्रम, क्रोध, दुख आदि का कारण है 2. असत्यमय बनाने अथवा सत्य से हटाकर घोर पतन को प्राप्त कराने वाला विचार, कार्य एवं भोग आदि। तमोर (सं.) [सं-पु.] पान; तांबूल। तमोरी [सं-पु.] पनहेरी; तमोली; पान बेचने वाला; पनवाड़ी। तमोल (सं.) [सं-पु.] 1. पान का बीड़ा 2. विवाह में वर को टीका लगाकर धन देने की रीति। तमोली (सं.) [सं-पु.] 1. एक जाति जो पान बेचने का काम करती है 2. पान बेचने वाला। तमोहर (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. चंद्र। [वि.] तम या अंधकार हरने या दूर करने वाला। तय (अ.) [वि.] 1. निश्चित; मुकर्रर 2. ठहराया हुआ; स्थिर 3. जिसका निबटारा या फ़ैसला हो चुका हो; निर्णीत 4. जो पूरा किया हुआ हो; समाप्त। [सं-पु.] निर्णय; निबटारा। तयशुदा (अ.) [वि.] पूर्व निर्धारित; निश्चित; निर्णीत। तर (सं.) [वि.] 1. गीला; भीगा हुआ; नम 2. ठंडा; शीतल 3. ठंडक पैदा करने वाला। तरंग (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पानी की हिलोर; लहर 2. उमंग 3. उछाल 4. स्वरों का आरोह-अवरोह। तरंगवती (सं.) [सं-स्त्री.] नदी; सरिता। तरंगायित (सं.) [वि.] 1. वह जिसमें तरंगें उठती हों; तरंगित; तरंगयुक्त 2. तरंगों की तरह का लहरदार। तरंगावलि (सं.) [सं-स्त्री.] तरंगपंक्ति; तरंग समूह। तरंगावली (सं.) [सं-स्त्री.] दे. तरंगावलि। तरंगिणी (सं.) [सं-स्त्री.] नदी। [वि.] जिसमें तरंगें हों; तरंगों वाली। तरंगित (सं.) [वि.] 1. जिसमें लहरें या तरंगें उठ रही हों; तरंगयुक्त 2. लहराता हुआ 3. जो बार-बार नीचे गिरकर फिर ऊपर उठता हो 4. कंपायमान। तरंगी (सं.) [सं-पु.] बहुत बड़ी नदी। [वि.] 1. तरंग युक्त 2. जो मन की तरंग या भावावेश के अनुसार सब काम करता हो 3. भावुक; रसिक 4. अस्थिर। तरकश (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कंधे पर लटकाया जाने वाला वह आधान जिसमें तीर रखे जाते हैं 2. तूणीर; निषंग। तरका (अ.) [सं-पु.] 1. किसी को प्राप्त वह संपत्ति जो कोई व्यक्ति छोड़कर मरा हो 2. तड़का; उत्तराधिकारी या वारिस को मिलने वाली संपत्ति; उत्तराधिकार। तरकारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सब्ज़ी; शाक 2. वह पौधा जिसकी पत्तियाँ, डंठल, फल, फूल आदि पकाकर खाने के काम आते हैं। तरकी (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का कर्णाभूषण; कान में पहनने का एक प्रकार का फूल। तरकीब (अ.) [सं-स्त्री.] 1. तरीका; उपाय; ढंग; युक्ति 2. मिलान; मिलावट 3. रचना का प्रकार या शैली। तरकुला [सं-पु.] कान में पहनने का एक प्रकार का आभूषण; तरकी। तरक्की (अ.) [सं-स्त्री.] 1. नीचे के दरजे से ऊपर के दरजे में जाना; पदोन्नति 2. अभिवृद्धि; बढ़त; उन्नति। तरक़्क़ी (अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. तरक्की)। तरक्कीयाफ़ता (अ.) [वि.] तरक्की को पहुँचा हुआ। तरखा (सं.) [सं-पु.] बाढ़ या नदी आदि के पानी का तीव्र बहाव। तरखान (सं.) [सं-पु.] काष्ठकार; बढ़ई; तक्षक। तरजनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अँगूठे के बगल वाली उँगली; तर्जनी; अंगुष्ठ तथा मध्यमा के बीच वाली उँगली 2. डग; भय। तरजीला (सं.) [वि.] 1. उग्र; प्रचंड 2. क्रोधयुक्त। तरजीह (अ.) [सं-स्त्री.] प्रमुखता; वरीयता। तरजुमा (अ.) [सं-पु.] अनुवाद; भाषांतर; उल्था। तरजुमान (अ.) [सं-पु.] अनुवाद करने वाला; अनुवादक; दुभाषिया। तरजुमानी (अ.) [सं-स्त्री.] अनुवाद करने की क्रिया या भाव; अनुवाद। तरण (सं.) [सं-पु.] 1. नदी आदि का पार करना 2. उबारने की क्रिया या भाव 3. छोटी नाव। तरणि (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य; किरण 2. आक; मदार 3. ताँबा। [सं-स्त्री.] छोटी नौका। [वि.] तेज़; शीघ्रगामी। तरणिजा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. यमुना; कालिंदी 2. एक वर्णिक छंद। तरणितनूजा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूर्य की पुत्री; तरणिजा; यमुना नदी 2. एक वर्णिक छंद। तरणिसुता (सं.) [सं-स्त्री.] यमुना नदी; तरणि-तनुजा। तरणी (सं.) [सं-स्त्री.] नाव; नौका। तरतीब (अ.) [सं-स्त्री.] वस्तुओं का क्रम; सिलसिला। तरद्दुद (अ.) [सं-पु.] 1. परेशानी 2. झंझट 3. सोच; चिंता 4. अंदेशा। तरन (सं.) [सं-पु.] 1. उद्धार; मोक्ष; निस्तार 2. नौका; बेड़ा। तरनतार (सं.) [सं-पु.] मोक्ष; मुक्ति; निस्तार। [वि.] तरनतारन। तरनतारन (सं.) [वि.] भवसागर से पार कराने वाला (ईश्वर); उद्धार। तरना [क्रि-स.] पार करना। [क्रि-अ.] आवागमन या सांसारिक बंधनों से मुक्त होना। तरन्नुम (अ.) [सं-पु.] स्वर-माधुर्य; लय। तरपट [सं-पु.] भेद; अंतर; फ़र्क। [वि.] जिसमें टेढ़ापन हो। तरफ़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. दिशा; ओर 2. बगल; किनारा 3. पक्ष। तरफ़दार (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. पक्षपाती 2. सहायक 3. हिमायती। तरफ़दारी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] पक्षपात करने की क्रिया या भाव। तरब (अ.) [सं-पु.] 1. सारंगी के तार 2. प्रसन्नता। तरबतर (फ़ा.) [वि.] सराबोर; गीला; किसी तरल पदार्थ से पूर्णतः भीगा हुआ; आर्द्र। तरबूज़ (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध गोल बड़ा फल जिसका ऊपरी छिलका कड़ा होता है और जिसमें गुलाबी या लाल रंग का गूदा होता है; कलींदा; मतीरा; (वाटर मेलन)। तरमीम (अ.) [सं-स्त्री.] सुधार; संशोधन; दुरुस्ती; हेर-फेर। तरल (सं.) [वि.] 1. द्रव 2. चंचल; अस्थिर 3. कांतिवान; चमकीला 4. पोला 5. चलायमान 6. तीव्रगामी। तरलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तरल होने का भाव या अवस्था; द्रवता 2. पतलापन 3. विरलता 4. चपलता; चंचलता। तरलावस्था (सं.) [सं-स्त्री.] विलयन या द्रव की अवस्था। तरवन [सं-पु.] एक प्रकार का कर्णाभूषण; कान में पहनने का फूल। तरवर [सं-पु.] 1. तरुवर; श्रेष्ठ या बड़ा वृक्ष 2. रहस्य संप्रदाय में- (क) प्राण (ख) परमात्मा या ब्रह्म। तरस (सं.) [सं-पु.] 1. दया; रहम 2. किसी अभीष्ट या वस्तु को पाने के लिए उत्कट इच्छा होना, जैसे- पुत्र को देखने के लिए माँ की आँखें तरस गईं। [मु.] -खाना : किसी पर रहम करना। तरसना (सं.) [क्रि-अ.] 1. त्रस्त या पीड़ित होना 2. किसी वस्तु के लिए लालायित या व्याकुल होना; अधीर होकर प्रतीक्षा करना। तरसाना [क्रि-स.] 1. ललचाना 2. किसी चीज़ के लिए व्याकुल करना। तरह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रकार; किस्म; भाँति 2. युक्ति; बनावट 3. प्रणाली; रीति। तरहदार (फ़ा.) [वि.] 1. सजीला; सुंदर बनावट का 2. शौकीन। तरहेल [वि.] अधीन; वशीभूत; वश में आया हुआ। [क्रि.वि.] नीचे। तराइन (सं.) [सं-स्त्री.] आकाश के नक्षत्र; तारे आदि। तराई [सं-स्त्री.] पहाड़ के आस-पास का समतल मैदानी भू-भाग। तराज़ू (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सामान तौलने का यंत्र; मापक यंत्र 2. तुला; काँटा। तराना (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का गाना; अच्छे ढंग से गाया जाने वाला सुंदर गीत। तराबोर (फ़ा.+हिं.) [वि.] तर-बतर; पानी से सराबोर; पूरी तरह से भीगा हुआ। तरारा (सं.) [सं-पु.] 1. उछाल; छलाँग 2. निरंतर गिरने वाली जलधारा। तरावट (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. शीतलता; ठंडक 2. तर होने की अवस्था; नमी 3. स्वास्थ्यवर्धक आहार। तराश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु को सुंदर तरीके से काटने की कला या ढंग; काट 2. रचना-प्रकार; बनावट। तराशना [क्रि-स.] काटना; फाँक-फाँक करना; कतरना। तरियाना (फ़ा.) [क्रि-स.] तर या गीला करना; आर्द्र करना। तरिवन [सं-पु.] तरकी नामक कान का आभूषण; कर्णफूल। तरी1 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाव; नौका 2. कपड़े का छोर या सिरा 3. गदा 4. धुआँ। तरी2 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. तर होने की अवस्था या भाव; तरावट; गीलापन; नमी; आर्द्रता 2. शीतलता; ठंडक 3. वह नीची भूमि जहाँ बरसात का पानी जमा होता है; कछार; तराई 4. तलछट; तलौंछ 5. तला 6. जूती। तरीका (अ.) [सं-पु.] 1. काम करने का ढंग या शैली 2. उपाय; युक्ति 3. आचार या व्यवहार। तरीक़ा (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. तरीका)। तरीनि [सं-स्त्री.] तलहटी; पहाड़ के नीचे का भाग। तरु (सं.) [सं-पु.] वृक्ष; पेड़। तरुण (सं.) [वि.] 1. युवा; जवान 2. नया; नवीन 3. जिसमें ओज; नवजीवन या शक्ति हो। [सं-पु.] युवा पुरुष। तरुणाई (सं.) [सं-स्त्री.] युवावस्था; जवानी; यौवनावस्था। तरुणिमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तरुण होने की अवस्था या भाव 2. तारुण्य; जवानी। तरुणी (सं.) [सं-स्त्री.] युवती; जवान स्त्री। तरुरोपण (सं.) [सं-पु.] 1. पेड़ लगाने की क्रिया; वृक्षारोपण 2. एक प्रकार की परियोजना जिसका उद्देश्य पर्यावरण को हरा-भरा बनाना है 3. एक प्रकार की विद्या जिसमें पौधों के आरोपण, संवर्धन तथा संरक्षण की कला सिखाई जाती है। तरुवर (सं.) [सं-पु.] उत्तम या बड़ा वृक्ष; पेड़। तरेंदा [सं-पु.] जल में न डूबने वाला लकड़ी का टुकड़ा या तख़्ता; पानी पर तैरने वाला बाँस आदि से निर्मित बेड़ा। तरेरना (सं.) [क्रि-स.] क्रोध पूर्वक या तिरछी आँखों से घूरते हुए किसी की ओर देखना; आँखें दिखाना। तरेरा (अ.) [सं-पु.] 1. निरंतर (अजस्र; लागातार) डाली जाने वाली पानी की धार 2. जल की लहरों का आघात 3. क्रोधयुक्त (रोष भरी) दृष्टि। तरोई [सं-स्त्री.] 1. तोरी; तुरई; एक प्रकार की बेल जिसके फलों की तरकारी बनती है 2. उक्त बेल की फली जिसकी सब्ज़ी बनाई जाती है। तरोताज़ा (फ़ा.) [वि.] 1. ताज़गी और तरावट वाला 2. हरा-भरा 3. तुरंत तैयार किया हुआ 4. बहुत नया; आनंदित; प्रसन्नचित्त। तरौना (सं.) [सं-पु.] ताड़ के पत्ते की आकृति का कर्णाभूषण; तरकी। तर्क (सं.) [सं-पु.] किसी कथन को पुष्ट करने हेतु दिया जाने वाला साक्ष्य; दलील; कारण; (आर्ग्यूमेंट)। तर्कक (सं.) [वि.] 1. तर्क करने वाला 2. वादी 3. पूछताछ करने वाला। तर्कण (सं.) [सं-पु.] तर्क करने की क्रिया या भाव। तर्कपूर्ण (सं.) [वि.] तर्क से भरा हुआ; तर्कयुक्त। तर्क-मुद्रा (सं.) [सं-स्त्री.] तांत्रिक उपासना में शरीर की एक मुद्रा। तर्कयुक्त (सं.) [वि.] 1. तर्कसंगत 2. युक्तिपूर्ण। तर्कयुक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] तर्कसंगत उपाय; तार्किक व सुविचारित उपाय। तर्कवाद (सं.) [सं-पु.] वह शास्त्र या वाद जिसमें तर्क के सिद्धांत, नियम आदि का निरूपण हो। तर्क-वितर्क (सं.) [सं-पु.] वाद-विवाद; परिचर्चा; बहस। तर्कविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] न्यायशास्त्र। तर्कश (फ़ा.) [सं-पु.] कंधे पर लटकाया जाने वाला वह पात्र जिसमें तीर रखे जाते हैं; तूणीर; तरकश। तर्कशक्ति (सं.) [सं-पु.] तर्क करने की शक्ति। तर्कशास्त्र (सं.) [सं-पु.] 1. तर्क या विवेचना करने के नियम और सिद्धांतों के खंडन-मंडन का ढंग बताने वाला शास्त्र 2. हेतुवाद 3. मंतिख; (लॉजिक)। तर्कशास्त्रज्ञ (सं.) [सं-पु.] वह जो तर्कशास्त्र का ज्ञाता हो; तर्कशास्त्री। तर्कशील (सं.) [वि.] तर्क करने वाला। तर्कशीलता (सं.) [सं-स्त्री.] तर्क करने की क्रिया या भाव। तर्कसंगत (सं.) [वि.] 1. जो तर्क के आधार पर ठीक सिद्ध हो 2. जो तर्क की दृष्टि से ठीक हो; युक्तियुक्त; (लॉजिकल)। तर्कसिद्ध (सं.) [वि.] तर्क (सोच-विचार या वाद-विवाद) के बाद प्रमाणित या सिद्ध किया हुआ। तर्कातीत (सं.) [वि.] तर्क से परे; जिसपर तर्क न किया जा सके। तर्काभास (सं.) [सं-पु.] ऐसा तर्क जो ऊपर से देखने में उचित ही लगता हो परंतु जो वास्तव में ठीक न हो। तर्की (सं.) [सं-पु.] मीमांसक; विवेचक। [वि.] तर्क करने वाला। तर्क्य (सं.) [वि.] तर्क, सोच-विचार या वाद-विवाद करने योग्य। तर्ज़ (अ.) [सं-पु.] 1. बनावट 2. रीति; शैली 3. स्वरूप; किस्म; प्रकार। तर्जन (सं.) [सं-पु.] 1. डराने या डाँटने का भाव; क्रोध 2. धमकाना। तर्जना (सं.) [क्रि-अ.] 1. धमकाना 2. डाँटना; डपटना। तर्जनी (सं.) [सं-स्त्री.] अँगूठा और मध्यमा के बीच की उँगली। तर्जुमा (अ.) [सं-पु.] भाषांतर; अनुवाद। तर्ज़ेबयाँ (फ़ा.) [सं-पु.] बयान (बखान) करने का ढंग; वर्णन-शैली; वर्णन-प्रणाली। तर्पण (सं.) [सं-पु.] 1. तृप्त करने की क्रिया 2. देवताओं और पितरों को तिल या चावल मिला हुआ जल देने की क्रिया। तर्पणी (सं.) [सं-स्त्री.] तृप्त करने वाली; संतुष्ट करने वाली। तल (सं.) [सं-पु.] 1. निचला भाग 2. पेंदा; सतह; आधार 3. नदी, समुद्र आदि किसी जलाशय के नीचे का अंतिम भाग जहाँ ज़मीन हो 4. पैर का निचला भाग; तलवा। तलक (सं.) [सं-पु.] 1. मिट्टी का बरतन 2. तालाब; ताल; पोखरा। तलकर [सं-पु.] ताल-तलैया या तालाब में उत्पन्न होने वाली वस्तुओं पर या तालाब आदि पर लगने वाला कर। तलगृह [सं-पु.] तहख़ाना; तलघर; (बेसमेंट)। तलघर (सं.) [सं-पु.] ज़मीन की सामान्य सतह के नीचे बना घर; तहख़ाना। तलछट [सं-स्त्री.] 1. तरल पदार्थ के नीचे जमी गंदगी अथवा अवशिष्ट पदार्थ; गाद; मैल 2. कल्क; (सेडिमेंट)। तलना (सं.) [क्रि-स.] घी या तेल में डाल कर पकाना। तलपट (सं.) [सं-पु.] किसी पुस्तिका का वह पट या फलक जिसपर आय-व्यय का संक्षिप्त विवरण रहता है; आय-व्यय फलक। तलपद (सं.) [सं-पु.] 1. मूल वस्तु या बात; जड़ 2. मूलधन; मूल पूँजी। तलब (अ.) [सं-स्त्री.] 1. माँग; चाह; इच्छा 2. लत; आवश्यकता। तलबगार (फ़ा.) [वि.] 1. प्राप्त करने की इच्छा रखने वाला 2. माँगने वाला। तलबाना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. गवाहों को बुलाने के लिए न्यायालय में जमा किया जाने वाला ख़र्च 2. मालगुज़ारी समय से न जमा किए जाने पर लगने वाला अर्थदंड। तलबी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बुलावा 2. माँग। तलबेली [सं-स्त्री.] अतिउत्कंठा; बेचैनी; छटपटी। तलमलाना [क्रि-अ.] 1. क्रोध या अपमान से काँपने लगना; तिलमिलाना 2. पश्चात्ताप होना; तड़पना 3. आँखों के आगे कभी अँधेरा और कभी प्रकाश आना; चौंधियाना। तलमार्ग (सं.) [सं-पु.] पृथ्वी की सतह के नीचे सुरंग खोदकर बनाया गया मार्ग; ज़मीन के नीचे से होकर सड़क या रेलमार्ग आदि के उस पार जाने का रास्ता; पारपथ। तलवा [सं-पु.] पैरों के नीचे का वह भाग जो चलने या खड़े होने के समय ज़मीन पर पड़ता है। [मु.] तलवे चाटना : ख़ूब ख़ुशामद करना। तलवे धो-धोकर पीना : ख़ूब आदर-सत्कार करना। तलवार (सं.) [सं-स्त्री.] लोहे आदि का बना हुआ वह लंबा और धारयुक्त हथियार जिससे किसी के अंग या सिर काटने के लिए आघात किया जाता है; खड्ग। [मु.] तलवारें खींच लेना : लड़ने के लिए तैयार होना या उद्यत होना। तलवारधारी (सं.) [सं-स्त्री.] वह जो तलवार धारण करता हो; खड्गधारी। तलवारबाज़ (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] वह जो तलवार चलाने में कुशल हो। तलवारिया [सं-पु.] जो अच्छी तरह तलवार चलाना जानता हो; तलवारबाज़। तलवारी [वि.] तलवार संबंधी; तलवार विषयक। तलस्पर्शी (सं.) [वि.] तल को स्पर्श करने वाला; गंभीर; गहरा। तलहटी (सं.) [सं-स्त्री.] पहाड़ के नीचे की भूमि; तराई। तला (सं.) [सं-पु.] 1. नीचे का भाग 2. जूते के नीचे का चमड़ा। तलाई [सं-स्त्री.] 1. तलैया; छोटा ताल 2. तलने की क्रिया या भाव 3. तलने के कार्य हेतु मज़दूरी। तलाक (अ.) [सं-पु.] 1. पति-पत्नी का संबंध टूटना; विवाह-विच्छेद 2. वैधानिक रूप से विवाह संबंध का विच्छेद। तलाकशुदा [वि.] जिसका विधि या नियम के अनुसार पति-पत्नी का संबंध-विच्छेद हो गया हो। तलातल (सं.) [सं-पु.] सात पाताल लोकों (अधोलोकों) में से एक। तलाश (तु.) [सं-स्त्री.] 1. खोज; अनुसंधान; अन्वेषण 2. चाह; इच्छा 3. आवश्यकता को पूरी करने के लिए होने वाली खोजबीन। तलाशना (फ़ा.) [क्रि-स.] 1. तलाश करना; खोजना 2. किसी विषय का अनुसंधान करना। तलाशी (तु.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु को ढूँढ़ने के लिए किया जाने वाला प्रयास 2. छिपाई हुई वस्तु का पता लगाने के लिए किसी संदिग्ध व्यक्ति या घर की होने वाली जाँच। [मु.] -लेना : जाँच-पड़ताल करना। तली [सं-स्त्री.] 1. पेंदी 2. हाथ और पैर का तल 3. तलवा 4. तलछट। तलीय (सं.) [वि.] 1. तल या पेंदे से संबंध रखने वाला; तल संबंधी 2. तल में रह जाने वाला; अवशेष पदार्थ। तलुआ [सं-स्त्री.] दे. तलुवा। तलुवा [सं-पु.] पैर के नीचे की ओर का वह भाग जो चलने में पृथ्वी पर पड़ता है; तलवा। तले [अव्य.] 1. नीचे 2. किसी के ऊपर या ऊँची टँगी चीज़ के नीचे 3. किसी की छत्रछाया में। तलेटी [सं-स्त्री.] तलहटी; पेंदी। तलैया [सं-स्त्री.] छोटा तालाब या पोखरा। तल्ख़ (फ़ा.) [वि.] 1. कड़वा; कटु 2. शुष्क; बेरुखा 3. अप्रिय 4. कटुभाषी। तल्ख़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कड़वाहट; कटुता 2. स्वभाव की उग्रता। तल्ला [सं-पु.] 1. मकान की मंजिल 2. वस्त्र की भीतरी परत; अस्तर 3. जूते की भीतरी परत जिसपर तलवा रखा जाता है। तल्लीन (सं.) [वि.] 1. किसी काम में दत्तचित्त होकर लगा हुआ, डूबा हुआ या मग्न। तवज्जह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ध्यान; रुख़ 2. कृपादृष्टि; अनुदृष्टि; दया या अनुग्रह की दृष्टि। तवर्ग (सं.) [सं-पु.] त, थ, द, ध तथा न इन पाँच वर्णों का वर्ग। तवा [सं-पु.] 1. वह बरतन जिसको आग पर चढ़ाकर उसके ऊपर रोटी सेकी जाती है 2. चिलम पर रखकर तंबाकू पीने के प्रयोग में लाया जाने वाला गोल ठीकरा 3. हींग में मिलावट करने के काम आने वाली एक प्रकार की लाल मिट्टी। तवाई [सं-स्त्री.] 1. गरमी; ताप 2. लू; गरम हवा। तवायफ़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. गाने-नाचने का पेशा करने वाली स्त्री 2. वेश्या; रंडी। तवारीख़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. इतिहास 2. दिनांक; तिथि। तवारीख़ी (अ.) [वि.] ऐतिहासिक; इतिहास संबंधी। तवालत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. लंबाई; दीर्घता 2. विस्तार; अधिकता 3. बखेड़ा; झंझट। तविषी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी 2. शक्ति 3. इंद्र की एक कन्या 4. नदी। तशरीफ़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. आदर; इज़्ज़त; सम्मान 2. महत्व; बड़प्पन 3. सम्मानित व्यक्तित्व; बुजर्गी। [मु.] -रखना : विराजना; बैठना। -लाना : पधारना। तश्त (फ़ा.) [सं-पु.] परात के समान हलका तथा छिछला बरतन; बड़ा थाल। तश्तरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] छोटी रकाबी; चपटी तथा छिछली थाली। तश्तरीनुमा [वि.] थाली या तश्तरी के आकार का। तष्टा1 (सं.) [सं-पु.] 1. विश्वकर्मा 2. सुंदर ढंग से तराश या गढ़ कर ठीक करने वाला; काष्टकार; बढ़ई 3. रथकार 4. आदित्य (सूर्य) का नाम। तष्टा2 (फ़ा.) [सं-पु.] ताँबे की छोटी तश्तरी। तस (सं.) [वि.] 1. जैसा; सदृश 2. समान्यतः 'जस' के साथ प्रयुक्त होने वाला अव्यय, जैसे- जस-का-तस। तसकीन (अ.) [सं-स्त्री.] तसल्ली; ढाढस; सांत्वना। तसदीक (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सच्चे होने की अवस्था या भाव; सत्यता 2. किसी बात को सही बतलाना या ठहराना 3. उक्त के पक्ष में स्वीकृति देना; समर्थन 4. प्रमाणित; पुष्टि 5. गवाही। तसदीह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सिर दर्द 2. दुख; पीड़ा; कष्ट। तसबीह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. वह माला या सुमिरनी जिसे मुसलमान अल्लाह (ईश्वर) का नाम लेने के समय फेरते हैं 2. जप करने की माला। तसमई (सं.) [सं-स्त्री.] पायस; खीर। तसमा (फ़ा.) [सं-पु.] किसी वस्तु को बाँधने या कसने के काम में आने वाला कपड़े या चमड़े का फीता; (बेल्ट)। तसला [सं-पु.] कटोरे के आकार का बड़ा तथा गहरा बरतन। तसली [सं-स्त्री.] छोटा तसला; एक प्रकार का बरतन जो भोजन (दाल आदि) बनाने के काम आता है। तसलीम (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बात को मान लेने या अंगीकार कर लेने की क्रिया या भाव; स्वीकार 2. अभिवादन; नतमस्तक 3. नमस्कार; सलाम। तसल्ली (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सांत्वना; दिलासा; आश्वासन 2. धीरज; शांति। तसवीर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. रंग, कूँची आदि से बनाई जाने वाली किसी वस्तु, व्यक्ति या दृश्य की प्रतिकृति; चित्र 2. {ला-अ.} किसी घटना या वातावरण की जानकारी देने वाला सच्चा ब्योरा 3. फ़ोटो। तसव्वुर (अ.) [सं-पु.] 1. चित्त को ध्यान करके किसी को प्रत्यक्ष करना; समाधि-दर्शन 2. कल्पना 3. विचार; ख़याल; ध्यान। तसू (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार के माप की इकाई; इमारती काम की डेढ़ इंच की एक माप। तस्कर (सं.) [सं-पु.] 1. दो देशों की सीमा पर चुंगी आदि दिए बिना माल ले आने वाला (स्मगलर) 2. चोर। तस्करी (सं.) [सं-स्त्री.] चोरी से सीमापार माल ले जाने की क्रिया। [वि.] चोरी से लाया हुआ। तह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ की मोटाई का फैलाव; परत 2. वस्त्र आदि को चौतरफ़ा करके रखना 3. किसी चीज़ के नीचे का भाग; तल; पेंदा 4. पानी के नीचे की ज़मीन; थाह 5. महीन पटल; झिल्ली। तहकीक (अ.) [सं-स्त्री.] अनुसंधान; जाँचपड़ताल; शोध; शोधकार्य; गवेषणा; किसी विषय का अच्छी तरह अनुशीलन करके उसके संबंध में नई बातों या तथ्यों का पता लगाने की क्रिया। तहकीकात (अ.) [सं-स्त्री.] यथार्थ का पता लगाने के लिए की जाने वाली खोजबीन; किसी बात या घटना की ठीक-ठीक जाँच-पड़ताल; किसी विषय का अनुसंधान; खोज। तहक़ीक़ात (अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. तहकीकात)। तहख़ाना (फ़ा.) [सं-पु.] ज़मीन की सामान्य सतह के नीचे निर्मित कमरा; ज़मीन के नीचे बना घर; तलघर। तहज़ीब (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शिष्टाचार; भल-मनसाहत; सज्जनता 2. सभ्यता; संस्कृति। तहत (अ.) [सं-पु.] 1. अधिकार 2. अधीनता; मातहती। तहदरज़ (फ़ा.) [वि.] जिसकी तह तक न खुली हो; तहयुक्त; पूर्णतः नया (वस्त्र आदि)। तहबंद (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कमर में लपेटने का कपड़ा; अधोवस्त्र; अँगोछा 2. तहमत; तहमद; लुंगी। तहरी [सं-स्त्री.] 1. एक विशेष प्रकार की खिचड़ी जो चावल में तरकारी, चना, मटर आदि डाल कर बनाई जाती है; मसालेदार सूखी खिचड़ी 2. पेठे की बरी। तहरीक (अ.) [सं-स्त्री.] 1. हिलाना-डुलाना; गति 2. उत्तेजन 3. आंदोलन 4. बढ़ावा देना; भड़काना। तहरीर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. लिखाई; लिखावट; लेख-शैली 2. लिखी हुई बात 3. लिखा हुआ प्रमाणपत्र। तहरीरी (अ.) [वि.] 1. लिखा हुआ; लिखित; लिपिबद्ध 2. दस्तावेज़ी। तहलका (अ.) [सं-पु.] बहुत बड़ी हलचल; खलबली। तहवील (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सुपुर्दगी; हवाले करना 2. अमानत 3. खज़ाना; कोश। तहस-नहस [वि.] पूरी तरह से बरबाद; नष्ट-भ्रष्ट। तहसीन (अ.) [सं-स्त्री.] प्रशंसा; सराहना; तारीफ़। तहसील (अ.) [सं-स्त्री.] 1. तहसीलदार का दफ़तर या कार्यालय; कचहरी 2. ज़िले का वह विभक्त भाग जो तहसीलदार के अधीन होता है। तहसीलदार (अ.) [सं-पु.] 1. मालगुज़ारी वसूल करने वाला अधिकारी 2. तहसील का मुख्य अधिकारी। तहसीलना (अ.) [क्रि-स.] 1. वसूल करना 2. कर, लगान, चंदा आदि उगाहना। तहाँ (सं.) [अव्य.] उस स्थान पर; सामान्यतः जहाँ के साथ प्रयुक्त होने वाला शब्द, जैसे- जहाँ-तहाँ। तहाना [क्रि-स.] किसी वस्तु को तह लगा कर रखना; तह करना; लपेटना। तहियाना [क्रि-स.] तह करना; तहाना। तहेदिल (अ.) [सं-पु.] हृदय का भीतरी भाग; अंतर्मन। ता (सं.) [परप्रत्य.] एक भाववाचक प्रत्यय जो विशेषण और संज्ञा के अंत में लगता है जैसे- सुंदर+ता = सुंदरता। ताँगा [सं-पु.] दो पहियों की एक प्रकार की घोड़ा-गाड़ी; एक्का; टाँगा। ताँगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] किसी चीज़ को कसकर बाँधने वाली डोरी बंद या तस्मा, जैसे- अँगिया (चोली) की डोरी। ताँत (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जानवर आदि के चमड़े या नसों को बटकर बनाई हुई धागे जैसी वस्तु 2. धनुष में लगाई जाने वाली डोरी 3. सारंगी आदि में लगा हुआ तार 4. तंतु 5. जुलाहों का राछ नामक उपकरण। ताँता [सं-पु.] 1. व्यक्तियों, वस्तुओं आदि की अटूट कतार या पंक्ति 2. किसी कार्य या घटना का लगातार या निरंतर चलने वाला क्रम; सिलसिला। ताँती [सं-पु.] कपड़ा बुनने वाला; जुलाहा; तँतवा। ताँबा [सं-पु.] लाल रंग की एक प्रसिद्ध धातु। ताँवरना [क्रि-अ.] 1. तपना; गरम होना 2. क्रोध आदि से आवेश में आना। ताँवरा (सं.) [सं-पु.] 1. ताप; जलन 2. जाड़ा देकर आने वाला बुख़ार; जूड़ीताप। तांडव (सं.) [सं-पु.] 1. शिव का उग्र नृत्य 2. पुरुषों की एक नृत्य-शैली 3. उग्र और उद्धत नृत्य 4. उग्र क्रियाकलाप 5. एक प्रकार का तृण। तांडवी (सं.) [सं-स्त्री.] संगीत के चौदह ताल में से एक। तांत्रिक (सं.) [सं-पु.] 1. तंत्रशास्त्र का ज्ञाता या तंत्रविद्या का प्रयोग करने वाला 2. एक प्रकार का सन्निपात रोग। [वि.] तंत्र विषयक; तंत्र संबंधी। तांबूल (सं.) [सं-पु.] पान का पत्ता; बीड़ा। ताई [सं-पु.] 1. पिता के बड़े भाई की पत्नी; जेठी चाची 2. बुंदेलखंड में विवाह से पहले निभाई जाने वाली एक रस्म जिसमें दाल से मिथोंरी, मंगोड़ी, बड़ी, पापड़ आदि बनाए जाते हैं 3. जाड़ा देकर आने वाला बुख़ार; ताप 4. जलेबी बनाने की छिछली कड़ाही। ताईद (अ.) [सं-स्त्री.] 1. समर्थन; पुष्टि 2. पक्षपात; तरफ़दारी। ताऊ [सं-पु.] 1. पिता का बड़ा भाई 2. पिता के बड़े भाई के लिए संबोधन। ताऊस (अ.) [सं-पु.] मोर; मयूर; कलापी। ताक (अ.) [सं-पु.] कोई वस्तु रखने के लिए दीवार में बना एक स्थान; आला। [सं-स्त्री.] 1. ताकने की क्रिया; ढंग या भाव 2. स्थिर दृष्टि; टकटकी 3. अवसर की प्रतीक्षा; फ़िराक; घात 4. खोज; टोह। [मु.] -में रहना : अवसर की प्रतीक्षा करना। -पर रखना : बेकार समझ कर अलग करना। ताक-झाँक [सं-स्त्री.] 1. रह-रह कर देखने और झाँकने की क्रिया 2. छिपकर कुछ देखने की क्रिया; देखा देखी। ताकत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बल; शक्ति 2. ज़ोर 3. सामर्थ्य। ताक़त (अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. ताकत)। ताकतवर (अ.) [वि.] 1. शक्तिशाली; बलवान 2. सामर्थ्यवान। ताकना [क्रि-स.] 1. एकटक देखना; चाहना 2. घात में रहना; नज़र में रखना 3. बुरे भाव से देखना 4. देख-रेख या रखवाली करना। ताकि (फ़ा.) [अव्य.] 1. इसलिए कि 2. जिसमें; जिससे। ताकीद (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बात की आज्ञा या अनुरोध ज़ोर देकर कहना 2. किसी कार्य के लिए बार-बार चेताने की क्रिया; हिदायत; चेतावनी। ताग [सं-स्त्री.] तागने की क्रिया या भाव। [सं-पु.] तागा; धागा; डोरा; सूत। तागड़ी [सं-स्त्री.] करधनी; मानसूत्र। तागना [क्रि-स.] धागे या तागे से दूर-दूर पर मोटी सिलाई करना; गूँथना; पिरोना। तागा (सं.) [सं-पु.] 1. धागा; सूत; डोरा 2. जनेऊ; यज्ञोपवीत। ताज (अ.) [सं-पु.] 1. राजाओं या बादशाहों के पहनने का मुकुट 2. ताजमहल का संक्षिप्त नाम 3. कलगी 4. शिखा। ताजक (फ़ा.) [सं-पु.] 1. तुर्किस्तान के बुख़ारा प्रदेश से काबुल और बलूचिस्तान (बलोचिस्तान) तक पाई जाने वाली एक ईरानी जाति 2. यवनाचार्य कृत अरबी भाषा में ज्योतिष का एक प्रसिद्ध ग्रंथ जिसका भारत में संस्कृत में अनुवाद हुआ था। ताज़गी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ताजा होने का भाव 2. फूल-पौधों का हरापन 3. नयापन। ताजदार (फ़ा.) [सं-पु.] बादशाह; सम्राट। [वि.] ताज के ढंग का। ताजपोशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] राज्याभिषेक; नये राजा के सिंहासन पर बैठने या ताज धारण करने के समय होने वाला उत्सव या समारोह। ताजमहल (फ़ा.) [सं-पु.] उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के तट पर संगमरमर का बना हुआ एक भव्य मकबरा जिसे सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़महल की स्मृति में बनवाया था। ताज़ा (फ़ा.) [वि.] 1. नया; तुरंत तैयार या बना हुआ (कपड़े, भोजन आदि) 2. जिसे किसी से अलग हुए देर न हुई हो 3. जो सूखा हुआ न हो; हरा-भरा (फल, फूल आदि) 4. स्वस्थ; प्रफुल्लित 5. जो बहुत दिनों का न हो। ताज़िया (अ.) [सं-पु.] बाँस की कमचियों, रंगीन कागज़ों आदि का मकबरे के आकार का मंडप जिसमें इमाम हुसेन की कब्र होती है; मुहर्रम में शिया मुसलमान इसके सामने मातम मनाते हुए इसे दफ़न करते हैं। ताज़ी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. अरबी घोड़ा 2. अरब देश का शिकारी कुत्ता। [सं-स्त्री.] 1. ताज़ा का स्त्रीलिंग जैसे- ताज़ी हवा, ताज़ी सब्ज़ी 2. अरबी भाषा। [वि.] अरबी; अरब का। ताज़ीर (अ.) [सं-स्त्री.] दंड; सज़ा; जुर्माना। ताज़ीरात (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ताज़ीर का बहुवचन; सज़ाएँ 2. दंड विधियों का संग्रह। ताज़ीरी (अ.) [वि.] दंड के रूप में लगाया या बैठाया हुआ, जैसे ताज़ीरी कर। ताज्जुब (अ.) [सं-पु.] आश्चर्य; विस्मय; हैरत। ताटक (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का कर्णाभूषण; तरकी। ताड़ (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का बहुत अधिक लंबा और पतला वृक्ष जिसमें शाखाएँ नहीं होती, सिर्फ़ सिरे पर पत्तियाँ होती है तथा इस वृक्ष से ताड़ी नामक पेय निकाला जाता है 2. ध्वनि; शब्द; आवाज़ 3. बाँह पर पहनने का टाड़ नामक गहना। ताड़का (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) एक राक्षसी (सुकेतु यक्ष की पुत्री जिसका विवाह सुड नामक राक्षस के साथ हुआ था) जिसे राम ने मारा था। ताड़न [सं-पु.] 1. ताड़ना; मारने पीटने की क्रिया या भाव 2. किसी के कार्य व्यवहार आदि से असंतुष्ट होकर उसे सचेत करने तथा कर्तव्यपरायण बनाने के उद्देश्य से कही हुई कड़ी बात; चेतावनी 3. किसी को दिया जाने वाला कष्ट, दुख आदि; प्रताड़न। ताड़ना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मारने-पीटने की क्रिया या भाव 2. किसी को दिया जाने वाला दुख या कष्ट 3. किसी को उत्पीड़ित या परेशान करने की क्रिया 4. प्रहार; आघात। [क्रि-स.] 1. भाँपना; छिपी हुई बात समझना 2. सुधार के उद्देश्य से सज़ा या दंड देना 3. किसी को अपशब्द कहना 4. कष्ट देना। ताड़पत्र (सं.) [सं-पु.] ताड़ वृक्ष के पत्ते जिनका उपयोग प्राचीन काल में ग्रंथ, लेख आदि लिखने के लिए किया जाता था। ताड़ित (सं.) [वि.] 1. जिसे मारा पीटा गया हो 2. जिसे दंड या सज़ा दी गई हो 3. जिसे डराया या धमकाया गया हो। ताड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ताड़ के वृक्ष से निकलने वाला मादक रस 2. एक प्रकार का गहना। तात (सं.) [सं-पु.] 1. पिता; बाप 2. पूज्य, माननीय और बड़ा व्यक्ति 3. आदरसूचक और प्रेमपूर्ण संबोधन। ताताथेई [सं-स्त्री.] तत्ताथेई; संगीत का ताल। तातार (फ़ा.) [सं-पु.] फ़ारस के उत्तर में स्थित मध्य एशिया का एक देश। तातारी (फ़ा.) [सं-पु.] तातार देश का वासी। [सं-स्त्री.] तातार देश की भाषा। [वि.] तातार देश संबंधी। तातील (अ.) [सं-स्त्री.] अवकाश; छुट्टी का दिन। तात्कालिक (सं.) [वि.] 1. तत्काल संबंधी; तुरंत 2. उसी या उस समय का। तात्क्षणिक (सं.) [वि.] 1. उस समय का; उस पल का 2. तुरंत का। तात्पर्य (सं.) [सं-पु.] 1. वाक्य, पद, शब्द आदि का मुख्य अर्थ; आशय; अभिप्राय; हेतु 3. मतलब। तात्विक (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो तत्व का ज्ञान रखता हो। [वि.] 1. तत्व संबंधी 2. वास्तविक 3. तत्व से युक्त। तादात्मीकरण (सं.) [सं-पु.] किसी व्यक्ति द्वारा अपना अस्तित्व भूलकर किसी दूसरे व्यक्ति के गुणों व अवगुणों का अनुकरण; दूसरे के बाह्य व्यवहारों का अनुकरण करके स्वयं को उसके अनुकूल ढालने की प्रक्रिया। तादात्म्य (सं.) [सं-पु.] दो चीज़ों का परस्पर अभिन्न होने का भाव; अभेद मिश्रण या संबंध; अभिन्नता। तादाद (अ.) [सं-स्त्री.] 1. वस्तुओं, व्यक्तियों आदि की संख्या या जोड़ 2. मात्रा; गिनती; संख्या। तादृश (सं.) [वि.] उसी के जैसा; उसके समान; वैसा। तान (सं.) [सं-पु.] 1. विस्तार 2. ज्ञान का विषय 3. सूत्र। [सं-स्त्री.] 1. तनने या तानने की क्रिया, अवस्था या भाव 2. संगीत में स्वरों का कलात्मक विस्तार 3. किसी बात को धुन के साथ कहते रहना। [मु.] -कर सोना : निश्चिंत हो जाना। तानता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दृढ़ता; हठ; दुराग्रह 2. वह शक्ति जिससे वस्तुएँ अंदर दृढ़तापूर्वक जुड़ी रहती हैं। तानना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु को फैलाना 2. खिंचाव पैदा करना 3. आघात या प्रहार करने के लिए कोई चीज़ ऊपर उठाना। तानपूरा (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का प्रसिद्ध वाद्य जो सितार की तरह किंतु उससे बड़ा होता है; तंबूरा। तानसेन (सं.) [सं-पु.] 1. अकबर के दरबार का एक प्रसिद्ध गायक 2. संगीतज्ञ स्वामी हरिदास के शिष्य त्रिलोचन मिश्र। ताना1 [सं-पु.] करघे में लंबाई के बल फैलाया गया सूत। ताना2 (अ.) [सं-पु.] 1. व्यंग्यपूर्ण वाक्य 2. चुटीली बात। [मु.] -मारना : व्यंग्यपूर्ण बात कहना। ताना-पाई [सं-स्त्री.] 1. ताना तानने की क्रिया या भाव 2. घूम फिर कर आते-जाते रहना; व्यर्थ आते-जाते रहना। ताना-बाना [सं-पु.] 1. किसी कार्य को करने के लिए कुछ प्रबंध करना 2. कपड़ा बुनने में लंबाई और चौड़ाई के बल बुने हुए सूत 3. किसी रचना की मूल बनावट; तार या तत्व। तानारीरी [सं-स्त्री.] नवसिखिया व्यक्ति द्वारा गाया हुआ गीत; साधारण गाना। तानाशाह (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक बादशाह का उपनाम 2. {ला-अ.} स्वेच्छाचारी शासक जो मनमाने ढंग से कार्य करता हो। तानाशाही (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. तानाशाह होने की अवस्था या भाव 2. स्वेच्छाचारिता 3. जबरन बात मनवाने की आदत। तानी [सं-स्त्री.] वस्त्र निर्माण में करघे में लंबाई के बल फैलाया गया या तगाया गया सूत। तानूर (सं.) [सं-पु.] 1. वायु या पानी का भँवर 2. चक्रवात; बवंडर। ताप (सं.) [सं-पु.] 1. गरमी; उष्णता 2. आग; आँच 3. ज्वर; बुख़ार 4. दुख 5. मानसिक व्यथा (हीट)। तापक (सं.) [सं-पु.] विद्युत चालित एक प्रकार का उपकरण जो कमरे आदि को गरम करता है। [वि.] 1. ताप या गरमी लाने वाला 2. संतप्त करने वाला। तापक्रम [सं-पु.] 1. शरीर या वायुमंडल का वह ताप जो घटता-बढ़ता हो 2. वस्तुओं के ताप की मात्रा या अवस्थाओं को सूचित करने वाली इकाई। तापक्रम-यंत्र (सं.) [सं-पु.] वह यंत्र जिसके द्वारा किसी वस्तु, स्थान या शरीर का तापक्रम मापा जाता है; (थर्मामीटर)। तापघात (सं.) [सं-पु.] सूर्य की तेज़ धूप में भ्रमण करने से होने वाला रोग; धूप (ताप) से होने वाला आघात; (सनस्ट्रोक)। तापचालक (सं.) [सं-पु.] वह पदार्थ जिसमें ताप शीघ्रता से एक सिरे से दूसरे सिरे में व्याप्त हो जाता है; ताप का सुचालक। तापचालकता (सं.) [सं-स्त्री.] वस्तुओं का वह गुण जिससे वे ताप-चालक होती हैं। ताप-तिल्ली [सं-स्त्री.] तिल्ली वृद्धि का एक रोग जिसमें तिल्ली में सूजन हो जाती है इसीलिए बुख़ार आने लगता है। तापती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूर्यपुत्री; सूर्य की कन्या; तासी 2. ताप्ति नामक नदी। तापत्रय (सं.) [सं-पु.] तीन प्रकार के ताप (आधिदैहिक, आधिदैविक तथा आधिभौतिक दुख)। तापन (सं.) [सं-पु.] 1. तप्त करने या तपाने की क्रिया या भाव 2. सूर्य 3. सूर्यकांत मणि 4. कामदेव के पाँच वर्णों में से एक 5. एक नरक का नाम 6. शत्रु को ताप या कष्ट पहुँचाने के लिए किया जाने वाला एक प्रकार का तांत्रिक प्रयोग 7. आक का पौधा; मदार 8. ढोल। तापना (सं.) [क्रि-स.] 1. गरमी प्राप्त करना आग सेकना 2. नष्ट करना; उड़ाना। तापमान [सं-पु.] 1. वायुमंडल में ताप की एक निश्चित मात्रा या स्थिति 2. थर्मामीटर द्वारा मापी जाने वाली शरीर या वायुमंडल के ताप की एक विशिष्ठ स्थिति। तापमापी [सं-पु.] तापमापक-यंत्र; (थर्मामीटर)। तापस (सं.) [सं-पु.] 1. तप करने वाला (व्यक्ति); तपस्वी 2. तेजपात 3. दौना। तापी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ताप्ती नदी 2. एक अंतरराष्ट्रीय गैस पाइपलाइन परियोजना। [वि.] ताप संबंधी; ताप देने या तपाने वाला। ताफ़्ता (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का रेशमी कपड़ा। ताब (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ताप; गरमी 2. सामना, विरोध आदि करने की शक्ति; मजाल या हिम्मत 3. चमक; दीप्ति 4. रोटरी मशीन की पूरी प्लेट के आकार का पृष्ठ; (ब्राड शीट)। ताबड़तोड़ [क्रि.वि.] 1. बिना क्रम टूटे; एक के बाद एक; लगातार 2. तुरंत; तत्काल। ताबीज़ (फ़ा.) [सं-पु.] (लोकमान्यता) शरीर के विभिन्न अंगों जैसे गले, बाहों, कमर आदि पर पहना जाने वाला एक प्रकार का जंतर या रक्षा-कवच, जिसके बारे में प्राचीन काल से माना जाता है कि वह वर्तमान और भावी अनिष्टों, टोने-टोटकों और बुरे ग्रहों के दुष्प्रभावों से हमारी रक्षा करता है। ताबूत (अ.) [सं-पु.] मृत शरीर रखने का संदूक। ताबेदार (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. आज्ञा मानने वाला 2. सेवक; नौकर। ताबेदारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] सेवा; नौकरी। ताम (सं.) [सं-पु.] 1. दोष; त्रुटि; विकार 2. मनोविकार 3. कष्ट; तकलीफ़ 4. चिंता 5. ग्लानि 6. इच्छा। तामझाम [सं-पु.] 1. साज़-सामान 2. दिखावा; आडंबर 3. बोलबाला; रौब-रुतबा 4. एक तरह की खुली पालकी; तामजान। तामड़ा [सं-पु.] ताँबे के रंग का सा स्वच्छ आकाश। [वि.] ताँबे के रंग का; लाली लिए हुए भूरा। तामरस (सं.) [सं-पु.] 1. पद्म; कमल 2. स्वर्ण; सोना 3. कनक; धतूरा 4. ताँबा 5. सारस पक्षी 6. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में एक नगण, दो जगण और तब एक यगण होता है। तामलेट (इं.) [सं-पु.] टीन का गिलास जिसपर चमकदार रोगन या लुक लगाया गया हो; टीन का पात्र जिसपर चीनी मिट्टी आदि की कलई हो। तामस (सं.) [सं-पु.] 1. अंधकार 2. अज्ञान 3. गलत प्रवृत्ति का व्यक्ति 4. चौथे मनु का नाम 5. सर्प 6. उल्लू 7. राहु का पुत्र। [वि.] 1. जिसमें तमोगुण की प्रधानता हो 2. कुटिल 3. पापी 4. ज्ञानहीन। तामसिक (सं.) [वि.] 1. तमोगुण से युक्त 2. तामस स्वभाव का। तामसी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. महाकाली 2. जटामासी। [वि.] तमोगुण संबंधी; तामसिक। तामीर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मकान बनाना या मकान मरम्मत करने का कार्य 2. इमारत निर्माण। तामील (अ.) [सं-स्त्री.] 1. आज्ञा का पालन 2. आधिकारिक आदेश का निर्वाह; अमल 3. किसी परवाने, सम्मान या वारंट की तकमील 4. निष्पादन। तामीली (अ.) [सं-स्त्री.] 1. पालन; कार्य का निष्पादन; (आज्ञा) 2. अभीष्ट स्थान पर पहुँचाया जाना। ताम्र (सं.) [सं-पु.] 1. ताँबा; एक मिश्र धातु 2. कोढ़ का एक प्रकार। ताम्रकार (सं.) [सं-पु.] ताँबे के बरतन बनाने वाला। ताम्रचूड़ (सं.) [सं-पु.] 1. मुरगा 2. एक पौधा; कुकरौंधा। ताम्रपट [सं-पु.] 1. ताँबे का चद्दर 2. प्राचीन काल में दानपत्र आदि लिखने के लिए प्रयुक्त ताँबे के चद्दर का टुकड़ा या प्लेट। ताम्रपत्र (सं.) [सं-पु.] 1. ताँबे का पत्तर 2. ताँबे की चद्दर का वह टुकड़ा जिसपर प्राचीन काल में दानपत्र या प्रशस्ति-पत्र आदि लिखे जाते थे। ताम्रपर्णी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. 'सिंहलद्वीप' या श्रीलंका' का प्राचीन नाम 2. ताम्रपर्णी नदी; दक्षिण भारत की एक नदी 3. तालाब; बावड़ी। ताम्रपल्लव (सं.) [सं-पु.] अशोक वृक्ष। ताम्रमूला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जवासा; धमासा 2. छूई-मूई; लाजवंती। ताम्रयुग (सं.) [सं-पु.] इतिहास का वह आरंभिक युग जब लोग ताँबे के औज़ार, पात्र आदि काम में लाया करते थे; आधुनिक पुरातत्व के अनुसार पत्थर युग के बाद तथा लौह युग से पूर्व का युग। ताम्रलिप्त (सं.) [सं-पु.] पश्चिमी बंगाल के मिदनापुर जिले का आधुनिक तामलुक अथवा तमलुक जो कलकत्ता से तैंतीस मील दक्षिण पश्चिम में रूपनारायण नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है; बंगाल की खाड़ी में स्थित एक प्राचीन नगर था। विद्वानों का मत है कि वर्तमान तामलुक ही प्राचीन ताम्रलिप्ति था। ताम्रलेख (सं.) [सं-पु.] ताम्रपत्र पर अंकित लेख; ताम्रपत्र। ताम्रवृक्ष (सं.) [सं-पु.] कुलपी; लाल चंदन का वृक्ष। तायफ़ा (अ.) [सं-स्त्री.] 1. वेश्या; तवायफ़; रंडी 2. वेश्याओं का समाज 3. वेश्याओं की मंडली। तार (सं.) [सं-पु.] 1. धातु से तैयार की गई पतली डोरी; तंतु 2. समाचार को तीव्र गति से प्रेषित करने का माध्यम; (टेलिग्राफ़) 3. तार द्वारा भेजी गई सूचना; (टेलिग्राम) 4. सूत; तागा। [मु.] -तार कर देना : टुकड़े-टुकड़े कर देना; छिन्न-भिन्न कर देना। तारक (सं.) [सं-पु.] 1. तारों से भरा 2. तारा; नक्षत्र 3. एक चिह्न (*) जो पाद-टिप्पणी के संकेत आदि में किसी शब्द की कोई विशेषता सूचित करने के लिए लगाया जाता है 4. आँख की पुतली 5. नौका 6. एक मंत्र 7. एक पौराणिक दैत्य जो इंद्र का शत्रु था 8. एक उपनिषद। [वि.] तारने या पार लगाने वाला। तारकचिह्न (सं.) [सं-पु.] 1. तारे के समान अंकित चिह्न 2. ग्रंथ या लेख आदि में पाद-टिप्पणी या विशेषता सूचित करने के लिए लगाया गया चिह्न (*)। तारकमय (सं.) [वि.] तारों से परिपूर्ण या तारों से भरा; तारों से युक्त। तारकश (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] धातु (सोने, चाँदी आदि) के तार खींचने वाला या बनाने वाला कारीगर। तारका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तारा; नक्षत्र 2. आँख की पुतली 3. उल्का 4. ताड़का नामक राक्षसी 5. (पुराण) बृहस्पति की पत्नी का नाम 6. एक छंद। तारकासुर (सं.) [सं-पु.] (पुराण) तारक नामक असुर (राक्षस) जिसे कार्तिकेय ने मारा था। तारकेश (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा; शशि। तारकेश्वर (सं.) [सं-पु.] 1. शिव 2. एक प्रकार की औषधि। तारकोल (सं.) [सं-पु.] डामर; सड़क बनाने के लिए प्रयुक्त एक काला एवं चिपचिपा पदार्थ; कोलतार। तारघर (सं.) [सं-पु.] तार के माध्यम से संदेश भेजने और पाने का सरकारी कार्यालय जिसकी सेवा अब समाप्त हो गई है; (टेलिग्राफ़ ऑफ़िस)। तारघाट [सं-पु.] कार्य सिद्ध करने का अवसर, उपाय या व्यवस्था। तारण (सं.) [सं-पु.] 1. तारने अथवा उबारने की क्रिया या भाव 2. तारना; उबारना 3. पार कराना। [वि.] 1. तारने वाला; उबारने वाला 2. पार कराने वाला। तारणहार (सं.) [वि.] 1. तारने वाला; उबारने वाला 2. पार कराने वाला 3. मोक्ष दिलाने वाला। तारतम्य (सं.) [सं-पु.] 1. तर और तम का भाव; दो वस्तुओं के क्रमशः घटने-बढ़ने का भाव 2. निरंतर संपर्क का भाव 3. निरंतरता; नैरंतर्य 4. सामंजस्य; गुण-परिमाण का मिलान 5. किसी विचार (जैसे- ऊँच-नीच, अधिकार, गरीबी-अमीरी) के अनुसार लगाया जाने वाला क्रम या इनके बीच का सामंजस्य। तारतम्यता (सं.) [सं-स्त्री.] तारतम्य होने की अवस्था या भाव। तारना (सं.) [क्रि-स.] 1. उद्धार करना; उबारना 2. पार कराना या लगाना 3. सद्गति देना 4. तैराना 5. ताड़ना; देखना। तारपीन (इं.) [सं-पु.] चीड़ के पेड़ से निकला तेल जो वारनिश और औषधि के रूप में प्रयुक्त होता है; (टरपेंटाइन)। तारसप्तक (सं.) [सं-पु.] 1. संगीत शास्त्र से संबंधित एक विधा 2. हिंदी साहित्य में प्रयोगवादी कवियों द्वारा संपादित काव्य-ग्रंथ। तारहीन [सं-पु.] बेतार समाचार भेजने की प्रक्रिया का यंत्र; (वायरलेस)। [वि.] 1. जिसमें तार न हो; बेतार 2. तार प्रणाली से प्राप्त (समाचार) (वार्ता)। तारा (सं.) [सं-पु.] 1. रात को आकाश में चमकने वाला एक प्रकार का पिंड; सितारा; नक्षत्र 2. आँख की पुतली। [सं-स्त्री.] 1. बलि की पत्नी 2. बृहस्पति की पत्नी। [मु.] आकाश के तारे तोड़ लाना : बहुत ही कठिन काम कर दिखाना। तारे गिनना : चिंता में जागकर रात काटना। तारांकित (सं.) [वि.] 1. (शब्द वाक्य या प्रश्न) जिसके साथ सितारे का चिह्न लगा हो 2. जनप्रतिनिधियों की सभा या आधिवेशन में प्रश्नोत्तर-काल में मौखिक उत्तर पाने की दृष्टि से पूछा गया (प्रश्न)। ताराधिप (सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा 2. शिव 3. वानरराज बालि 4. सुग्रीव 5. देवगुरु बृहस्पति। ताराधीश (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा। तारापथ (सं.) [सं-पु.] तारों का भ्रमण मार्ग; गगन; आकाश। तारामंडल (सं.) [सं-पु.] 1. तारों का समूह 2. तारों से आवृत मंडल; ब्रह्मांड 3. कृत्रिम नक्षत्र गृह; (प्लैनिटेरियम)। तारिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तारा 2. आँख की पुतली 3. फ़िल्म की नायिका या अभिनेत्री। तारिणी (सं.) [सं-स्त्री.] तारा देवी; तारने वाली स्त्री। [वि.] तारने वाली। तारी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. समाधि की अवस्था; ईश्वर के ध्यान में तल्लीन होना 2. टकटकी। तारीक (फ़ा.) [वि.] 1. श्याम; काला 2. अँधेरा 3. धुँधला। तारीख़ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दिनांक; तिथि 2. न्यायालय में मामले की सुनवाई की तिथि 3. वह शास्त्र जिसमें पहले हो चुकी या भूतपूर्व घटनाओं और स्थितियों का वर्णन हो 4. किसी ऐतिहासिक अथवा महत्वपूर्ण घटना का दिन 5. कार्य-विशेष के लिए नियत किया हुआ दिन। [मु.] -डालना : तारीख़ या दिन नियत करना। तारीख़ी (अ.) [वि.] 1. किसी निश्चित तिथि को आयोजित होने वाला 2. किसी निश्चित तिथि को होने वाला। तारीफ़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रशंसा; बड़ाई; बखान 2. विशेषता; गुण; सिफ़त 3. परिचय; पहचान। तारुण्य (सं.) [सं-पु.] तरुणाई; यौवन; जवानी। तारेश (सं.) [सं-पु.] चाँद; चंद्रमा। तार्किक (सं.) [सं-पु.] 1. तर्कशास्त्र का ज्ञाता 2. तत्ववेत्ता 3. न्यायिक। [वि.] तर्क संबंधी; तर्क का। ताल (सं.) [सं-पु.] 1. हथेलियों के टकराने से होने वाली ध्वनि; करतल ध्वनि 2. संगीत (गायन, वादन और नर्तन) की निश्चित मात्राएँ 3. बाँह या जाँघ पर हथेली के प्रहार से होने वाली ध्वनि 4. वाद्ययंत्रों से निकलने वाली लयबद्ध ध्वनि 5. नृत्य में उसके समय का परिमाण ठीक रखने का एक साधन 6. संगीतशास्त्र का पारिभाषिक शब्द 7. तालाब; पोखर 8. ताड़ का वृक्ष। [मु.] -ठोंकना : लड़ने के लिए ललकारना; पहलवानों का जाँघ पर थापी मारना। तालपत्र (सं.) [सं-पु.] 1. ताड़ वृक्ष का पत्ता 2. ताड़ (ताल) के सूखे पत्तों पर लिखी पांडुलिपियाँ; तालपत्र अभिलेख 3. एक प्रकार का कान में पहनने का गहना; ताटंक। तालबद्ध (सं.) [वि.] ताल पर आधारित या विरचित (संगीत या काव्यरचना)। ताल-बैताल (सं.) [सं-पु.] (लोक मान्यतानुसार) दो प्रेत (यक्ष) जिन्हें राजा विक्रमादित्य ने वश में किया था। तालमखाना [सं-पु.] एक प्रकार का पौधा जिसके बीज गोल तथा सफ़ेद होते हैं। तालमेल (सं.) [सं-पु.] 1. संबंध; मेलजोल; तारतम्य; आपसी संगति 2. ताल और शब्द का सामंजस्य। तालव्य वे ध्वनियाँ जिनका उच्चारण तालु के मध्य से होता है तालव्य कहलाती हैं, जैसे- 'च्, छ्, ज्, झ्, ञ्, य्, श्'। ताला (सं.) [सं-पु.] 1. लोहा, पीतल आदि का बना यंत्र जो कुंजी या चाबी की सहायता से खुलता और बंद होता है और जिसे दरवाज़े आदि को बंद करने के लिए लगाया जाता है 2. लोहे का बना वह तवा जो योद्धा लोग युद्ध के समय छाती पर बाँधते थे। [मु.] -लगना या पड़ जाना : बंद हो जाना। तालाब (सं.) [सं-पु.] 1. छोटा जलाशय; पोखर; कुंड; सरोवर; ताल 2. वह स्थान जहाँ जानवरों, पक्षियों आदि के पीने के लिए पानी एकत्रित किया जाता है। तालाबंदी [सं-स्त्री.] 1. ताला लगाने या बंद करने की क्रिया या अवस्था 2. किसी कारख़ाना या कार्यस्थल को किसी कारण से बंद करना; (लॉक आउट)। तालाबनुमा (फ़ा.) [वि.] तालाब के आकार का। तालासाज़ [वि.] ताला बनाने वाला। तालिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूची; फ़ेहरिस्त; (लिस्ट) 2. ताली; चाबी; कुंजी। तालिब (अ.) [सं-पु.] 1. इच्छा रखने वाला; इच्छुक 2. याचना करने वाला; याचक 3. अभिलाषी 4. लालायित 5. विद्यार्थी। तालिबान (अ.) [सं-पु.] 1. 'तालिब' का बहुवचन रूप 2. एक आतंकवादी संगठन जिसने कुछ वर्षों के लिए अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया था। तालिबानी (अ.) [सं-पु.] तालिबान का सदस्य। [वि.] 1. तालिबान संबंधी 2. क्रूर; नृशंस। ताली [सं-स्त्री.] 1. ताला बंद करने या खोलने की चाभी; कुंजी 2. ताड़ का रस; ताड़ी 3. हथेलियों को आपस में मारने से उत्पन्न शब्द; करतल ध्वनि 4. तलैया; छोटा ताल। [मु.] -पीटना : उपहास करना। तालीम (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शिक्षा-दीक्षा 2. ज्ञान 3. उपदेश। तालु (सं.) [सं-पु.] मुँह के अंदर दाँत और कौवे के बीच का भाग। तालुका (अ.) [सं-पु.] 1. तहसील 2. कोई ऐसा भूखंड जो किसी विचार से एक माना गया हो अथवा एक व्यक्ति के अधिकार में हो। तालू (सं.) [सं-पु.] दे. तालु। ताल्लुक (अ.) [सं-पु.] 1. संबंध; वास्ता; लगाव 2. रिश्तेदारी 3. समाज विशेष में अनुचित या अवैध माना जाने वाला संबंध। ताल्लुक़ (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. ताल्लुक)। ताल्लुका (अ.) [सं-पु.] 1. संबंध-समूह 2. बड़ा इलाका। ताल्लुकात (अ.) [सं-पु.] दे. ताल्लुक। ताल्लुकेदारी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. इलाकेदार या ताल्लुकेदार होने का भाव या पद 2. बहुत बड़ा ज़मींदार होना। ताव (सं.) [सं-पु.] 1. ताप; गरमी; आँच 2. अहंकारयुक्त रोष या आवेश 3. कागज़ का चौकोर टुकड़ा। [मु.] -खाना : गरम होना। मूँछों पर ताव देना : अभिमान के कारण मूँछों पर हाथ फेरना। -दिखाना : क्रोध प्रकट करना। तावरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गरमी; ताप 2. धूप 3. ज्वर 4. ईर्ष्या 5. बुख़ार के कारण आने वाला चक्कर। तावान (फ़ा.) [सं-पु.] वह राशि जो क्षति पूर्ति के रूप में दी जाती है; दंड; जुर्माना; हरजाना। तावीज़ (अ.) [सं-पु.] 1. (लोकमान्यता) कागज़ या भोजपत्र पर मंत्र लिखकर किसी धातु के संपुट में बंद करके गले, बाँह या कमर में पहना जाने वाला एक आभूषण 2. जंतर; रक्षाकवच 3. कष्ट, रोग या प्रेतबाधा आदि से बचने के लिए अंधविश्वासपूर्वक पहना जाने वाला सोने-चाँदी या किसी धातु के गोल या चौकोर संपुट या डिबिया में बंद कोई वस्तु या पदार्थ। ताश (अ.) [सं-पु.] 1. कागज़ या प्लास्टिक के बने हुए बावन चौकोर पत्तों का खेल 2. उक्त पत्तों की गड्डी में से कोई एक पत्ता 3. रेशम और बादले का बनाया गया ज़रदोज़ी का सुनहरा कपड़ा; जरबफ़्त 4. सिलाई का धागा लपेटने की छोटी दफ़्ती। ताशा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. चमड़ा मढ़ा हुआ चौड़े मुँह का डुगडुगी की तरह का एक वाद्ययंत्र 2. सुनहरे तारों से सजाकर बनाया गया एक कपड़ा। तासीर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. गुण; योग्यता; प्रकृति 2. असर; प्रभाव। तास्सुब (अ.) [सं-पु.] 1. धर्म संबंधी कट्टरता 2. रक्त और वंश के आधार पर किया जाने वाला पक्षपात या तरफ़दारी 3. अनुचित पक्षपात; विद्वेष। ताहम (फ़ा.) [क्रि.वि.] तिस पर भी; तथापि; तो भी; फिर भी; इस पर भी। तिंतिड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. इमली का फल 2. इमली की चटनी। तिंदिश (सं.) [सं-स्त्री.] टिंडसी नामक सब्ज़ी। तिंदु (सं.) [सं-पु.] तेंदू का वृक्ष। तिंदुल (सं.) [सं-पु.] तेंदू। तिकड़म (सं.) [सं-पु.] 1. कोई तरकीब या उपाय जिससे किसी का उद्देश्य पूरा होता हो; षड्यंत्र; गुप्त युक्ति; जुगाड़ 2. चाल; कूटनीतिपरक युक्ति; छल-चातुर्य। तिकड़मी [सं-पु.] 1. अपना काम निकालने वाला व्यक्ति 2. चालबाज़ या चतुर व्यक्ति। [वि.] 1. जो तिकड़म से काम करता हो; तिकड़मबाज़ 2. होशियार; चालाक; चालबाज़; धोखेबाज़। तिकड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] तीन का समूह; तीन की जोड़ी। तिक-तिक [सं-स्त्री.] गधों तथा घोड़ों को आगे बढ़ाने के लिए मुख से किया जाने वाला शब्द। तिकोन (सं.) [सं-पु.] 1. त्रिकोण 2. तीन कोनों वाली चीज़। [वि.] तीन कोनों वाला; तिकोना। तिकोना [सं-पु.] 1. तीन कोनों की चीज़ 2. समोसा 3. धातुओं पर नक्काशी करने की छेनी 4. क्रोध में चढ़ी हुई त्यौरी। [वि.] 1. जिसमें तीन कोने हों, जैसे- तिकोना मैदान 2. तीन कोनोंवाला, जैसे- तिकोना पार्क 2. त्रिभुजाकार। तिकोनिया [सं-स्त्री.] बढ़इयों का लकड़ी का एक तिकोना उपकरण या औज़ार जिससे कोनों की सीध नापते हैं। [वि.] तिकोना; तीन कोणोंवाला। तिक्का (फ़ा.) [सं-पु.] मांस की बोटी; गोश्त का टुकड़ा। तिक्की (सं.) [सं-स्त्री.] तीन बूटियों वाला ताश या गंजीफे का पत्ता; तिड़ी; तिग्गी। तिक्त (सं.) [सं-पु.] छह रसों में से एक। [वि.] 1. कड़ुआ; तीता 2. मिर्च जैसे स्वाद का 3. जिसका स्वाद चिरायते या नीम जैसा हो। तिक्तक (सं.) [सं-पु.] 1. नीम; चिरायता 2. परवल 3. कुटज 4. तिक्त रस। [वि.] तीता; तिक्त। तिक्तता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तिक्त होने की अवस्था; कड़ुआपन 2. तीतापन; तिताई। तिक्ता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पाठा 2. कुटकी 3. ख़रबूज़ा 4. यवतिक्ता नामक लता। तिक्तिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कुटकी 2. तितलौकी; कड़वी लौकी 3. काकमाची। तिखारना [क्रि-अ.] ताकीद करना; किसी बात पर ज़ोर देने के लिए कई बार कहना; बार बार स्मरण दिलाना। तिखूँटा [वि.] जिसके या जिसमें तीन कोने (खूँट) हों; तिकोना। [सं-पु.] 1. समोसा नाम का पकवान 2. धातुओं पर नक्काशी करने की एक प्रकार की छेनी। तिगुना (सं.) [वि.] जो मात्रा या अनुपात में तीन गुना हो। तिग्म (सं.) [वि.] 1. प्रखर; तीक्ष्ण; तेज़; खरा 2. तपा हुआ; तपाने वाला 3. प्रचंड। [सं-पु.] 1. वज्र 2. पीपल 3. तीखापन; ताप; तीक्ष्णता। तिग्मांशु (सं.) [सं-पु.] सूर्य। तिजरा (सं.) [सं-पु.] तीन दिन के अंतर पर आने वाला बुख़ार या ज्वर; तिजारी। तिजारत (अ.) [सं-स्त्री.] सौदागरी; व्यापार; वाणिज्य; व्यवसाय; लेन-देन। तिजारती (अ.) [वि.] तिजारत करने वाला; व्यवसाय करने वाला; सौदा करने वाला। तिजारी [सं-स्त्री.] एक विशेष प्रकार का ज्वर जो प्रत्येक तीन दिनों पर आता है। तिजोरी [सं-स्त्री.] लोहे से बनी मज़बूत आलमारी जिसमें धन एवं आभूषण आदि रखे जाते हैं। तिड़ी [सं-स्त्री.] तिक्की। तिड़ी-बिड़ी [वि.] तितर-बितर; छितराया हुआ; अस्त-व्यस्त। तित (सं.) [वि.] तिक्त; तीता। [क्रि.वि.] 1. उधर; उस स्थान पर; वहाँ 2. तहाँ; वहाँ; उस ओर। तितर-बितर [वि.] इधर-उधर बिखरा हुआ; बेतरतीब ढंग से फैला हुआ; अव्यवस्थित; अस्त-व्यस्त; जो इधर-उधर हो गया हो; अनियमित रूप से बिखरा हुआ; छितराया हुआ; विकीर्ण। तितली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक उड़ने वाला सुंदर कीट जो प्रायः फूलों पर बैठा हुआ दिखाई पड़ता है 2. एक प्रकार की घास 3. {ला-अ.} तड़क-भड़क से रहने वाली सुदंर या चंचल स्त्री। तितारा [सं-पु.] सितार की तरह का तीन तारों वाला एक बाजा। तितिक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहनशीलता; सरदी-गरमी सहन करने का सामर्थ्य 2. दुख, कष्ट या विकलता के प्रति सहिष्णुता 3. संयम को पुष्ट करने के लिए उपवास या ब्रह्मचर्य आदि उपाय 4. शांति; क्षमा 5. चुप रहकर कोई आक्षेप या आघात सहन करने का भाव 6. मर्षण। तितिक्षु (सं.) [वि.] जिसमें तितिक्षा (सहनशीलता) हो; सहिष्णु। तितिम्मा (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अवशिष्ट अंश; बचा हुआ भाग 2. पुस्तक के अंत में लगाया गया परिशिष्ट; पूरक अंश 3. अनावश्यक विस्तार। तितिर (सं.) [सं-पु.] तीतर पक्षी। तितिल (सं.) [सं-पु.] 1. पशुओं के बनाई गई मिट्टी की नाँद; बालटी 2. तिल की खली। तितीर्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (अध्यात्म) सांसारिकता या भवसागर से पार होने या तर जाने की कामना 2. तैरने या पार करने की इच्छा। तितीर्षु (सं.) [वि.] 1. तरने या पार जाने की इच्छा करने वाला 2. मोक्ष प्राप्त करने की कामना करने वाला। तित्तिर (सं.) [सं-पु.] 1. तीतर नामक पक्षी 2. (महाभारत) एक जनपद। तिथ (सं.) [सं-पु.] 1. काल; समय 2. अग्नि; आग 3. कामदेव 4. पतझड़ 5. वर्षाकाल; बरसात। तिथि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चंद्र मास के किसी पक्ष का कोई दिन; मिती 2. वह कालखंड जिसमें चंद्रमा एक कला घटता या बढ़ता है 3. दिनांक; तारीख़ 4. श्राद्ध इत्यादि के विचार से किसी की मृत्यु-तिथि। तिथिपत्र (सं.) [सं-पु.] वह पुस्तिका जिसमें तिथि, पक्ष आदि का उल्लेख होता है; पंचांग; पतरा। तिथिवार (सं.) [वि.] तिथि के अनुसार; तिथि के हिसाब से। तिदरा (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] तीन दरों वाला कमरा। [वि.] तीन दरवाज़ों वाला। तिन (सं.) [सं-पु.] तिनका; तृण; घासफूस। [सर्व.] 'तिस' का बहुवचन, जैसे- तिनसे, तिनको आदि। तिनकना [क्रि-अ.] 1. आवेश में आना 2. बुरा लगना; नाराज़ होना 3. चिड़चिड़ाना; चिढ़ना। तिनका (सं.) [सं-पु.] 1. वह सूखी घास जिससे छप्पर आदि छाया जाता है 2. घासफूस; तृण। [मु.] -तोड़ना : संबंध तोड़ना। तिनके को पहाड़ बनाना : ज़रा-सी बात को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर कहना। तिनाशक (सं.) [सं-पु.] तिनिश या शीशम की तरह का वृक्ष। तिपहिया [वि.] तीन पहिए या चक्केवाला। तिपाई [सं-स्त्री.] तीन पावों वाली छोटी ऊँची चौकी। तिबारा [क्रि.वि.] तीसरी बार। तिबासी [वि.] तीन दिनों का बासी खाद्य पदार्थ। तिब्बती (सं.) [सं-पु.] तिब्बत का निवासी। [सं-स्त्री.] तिब्बत देश की भाषा। [वि.] 1. तिब्बत का रहने वाला 2. तिब्बत संबंधी 3. तिब्बत का। तिमंज़िला (हिं.+अ.) [वि.] तीन माले वाला; तीन मंज़िलों का; तीन खंडों वाला। तिमाही [वि.] तीन माह में होने वाला; तीन महीनों का; त्रैमासिक। तिमि (सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र; सागर 2. रतौंधी रोग। [क्रि.वि.] उस तरह; उसी प्रकार; वैसे। तिमिर (सं.) [सं-पु.] 1. अँधेरा; अंधकार 2. आँख का एक रोग 3. लोहे का मोरचा 4. एक प्रकार का पेड़। तिमिरमय (सं.) [वि.] जहाँ अँधेरा हो; अंधकारयुक्त। तिमिरारि [सं-पु.] तिमिर (अंधकार) का शत्रु; सूर्य। तिमिष (सं.) [सं-पु.] 1. पेठा; कद्दू; कुम्हड़ा 2. ककड़ी; फूट अर्थात डंगरा नामक फल; तरबूज़। तिमुहानी [सं-स्त्री.] तिरमुहानी; तिराहा; वह स्थान जहाँ तीन रास्ते मिलते हैं। तिर (सं.) [पूर्वप्रत्य.] तीन का सूचक प्रत्यय, जैसे- तिरमुहानी। तिरंगा (सं.) [वि.] तीन रंगों वाला। [सं-पु.] केसरिया, सफ़ेद और हरे रंगों से युक्त भारत का राष्ट्रीय ध्वज। तिरक (सं.) [सं-पु.] 1. दोनों टाँगों के ऊपर वाले जोड़ का स्थान; रीढ़ के नीचे का वह स्थान जहाँ दोनों कूल्हों की हड्डियाँ मिलती हैं 2. हाथी के शरीर का वह पिछला भाग जहाँ से दुम निकलती है। तिरकना [क्रि-अ.] तड़कना; चटखना; फट जाना। तिरछा (सं.) [वि.] 1. टेढ़ा; जो एक ओर कुछ झुका हुआ हो 2. {ला-अ.} कुटिल; वक्र; कज; बाँका। तिरछाना [क्रि-अ.] 1. तिरछा होना 2. टेढ़ा होना या मुड़ना। [क्रि-स.] तिरछा करना; मोड़ना। तिरछापन [सं-स्त्री.] 1. तिरछा होने का भाव; तिरछाई 2. तिरछा करने की क्रिया 3. बाँकपन। तिरछौंहा [वि.] जो कुछ तिरछा हो; जिसमें कुछ या थोड़ा तिरछापन हो। तिरना (सं.) [क्रि-अ.] 1. तरना 2. उतराना। तिरप (सं.) [सं-पु.] नाच में प्रयुक्त एक ताल; नृत्य में तिहाई आने पर तीन बार पैर पटकना। तिरपन [सं-पु.] संख्या '53' का सूचक। तिरपाई [सं-स्त्री.] तीन पायों वाली एक तरह की बैठने अथवा सामान आदि रखने की ऊँची चौकी; तिपाई; तीन पैरों वाली छोटी मेज़; (स्टूल)। तिरपाल [सं-पु.] 1. छाजन या छप्पर में लगाए जाने वाले फूस या सरकंड़ों के पूले जो खपरैल के नीचे लगाए जाते हैं 2. छत आदि पर ढाँकने का रोगन किया हुआ एक मोटा जलरोधी कपड़ा; राल चढ़ाया हुआ टाट; (कैनवस) 3. प्लास्टिक की मोटी चादर। तिरमिरा [सं-पु.] 1. आँख का एक रोग जिसमें अधिक प्रकाश के कारण आँखें चौंधिया जाती हैं और कभी अँधेरा, कभी उजाला दिखाई देने लगता है; चकाचौंध 2. घी, तेल या चिकनाई के छींटे जो पानी, दूध या और किसी द्रव पदार्थ के ऊपर तैरते दिखाई पड़ते हैं। तिरमिराना [क्रि-अ.] चमकदार वस्तु या तेज़ प्रकाश के सामने आँखों का चौंधियाना; चौंधना; तिलमिलाना। तिरमुहानी [सं-स्त्री.] वह स्थल जहाँ तीन रास्ते मिलते हों; तिराहा। तिरवाहाँ (सं.) [सं-पु.] नदी का किनारा। तिरविक्रम [सं-पु.] त्रिविक्रम; विष्णु। तिरसठ [वि.] संख्या '63' का सूचक। तिरस्कार (सं.) [सं-पु.] 1. अपमान; अनादरपूर्वक त्याग 2. निकृष्ट या हेय समझने का भाव 3. अवज्ञा; अवहेलना; उपेक्षापूर्वक त्याग 4. भर्त्सना; फटकार। तिरस्कारपूर्वक (सं.) [क्रि.वि.] तिरस्कार के साथ; अपमानित करते हुए; अपमानपूर्वक। तिरस्कृत (सं.) [वि.] जिसका तिरस्कार किया गया हो; जिसकी अवहेलना की गई हो; अपमानित। तिरहुत [सं-पु.] बिहार के मिथिला प्रदेश के आसपास के क्षेत्र का पुराना नाम। तिरहुति [सं-स्त्री.] तिरहुत में गाया जाने वाला एक तरह का गीत। तिरानवे [वि.] संख्या '93' का सूचक। तिराना [क्रि-स.] 1. पानी पर तैराना या ठहराना 2. तैरने में प्रवृत्त करना 3. पानी के ऊपर चलाना 4. पार करना 5. निस्तार करना; उद्धार करना; उबारना; तारना 6. पानी के तल पर रहना; उतराना। [क्रि-अ.] तिरना; तैरना। तिरासी [वि.] संख्या '83' का सूचक। तिराहा (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ तीन रास्ते मिलते हों; तिरमुहानी। तिरिया [सं-स्त्री.] दे. त्रिया। तिरीफल [सं-पु.] 1. तीन फलों का समूह (आँवला, हरड़, बहेड़ा); त्रिफला 2. दंती नामक वृक्ष। तिरोधान (सं.) [सं-पु.] 1. तिरोहित या दृष्टि से ओझल होने की अवस्था या भाव; अंतर्धान; लुप्त; लोप 2. इस प्रकार किसी वस्तु का हटाया या बढ़ाया जाना कि जल्दी दिखाई न पड़े। तिरोभाव (सं.) [सं-पु.] 1. तिरोहित या अदृश्य होने का भाव या अवस्था; अंतर्धान; लोप 2. छिपाव; गोपन। तिरोहित (सं.) [वि.] 1. अदृश्य; लुप्त; अंतर्हित 2. ओझल 3. ढका हुआ या छिपा हुआ। तिरौंदा (सं.) [सं-पु.] 1. ख़तरे आदि के किसी संकेत के लिए समुद्र में चट्टान के पास या छिछले पानी में रखे जाने वाले विभिन्न आकार के पीपे 2. मछली मारने के काँटे में थोड़ा ऊपर बँधी रहने वाली लकड़ी जो तैरती रहती है और जिसके डूबने से मछली फँस जाने का पता चलता है 3. तैरने वाली लकड़ी या कोई वस्तु जिसके सहारे नदी आदि को पार किया जाता है। तिर्यक (सं.) [वि.] 1. तिरछा; टेढ़ा; आड़ा; वक्र 2. ढालुआँ। [अव्य.] 1. तिरछे; आड़े 2. वक्रता या टेढ़ेपन के साथ। तिर्यग्गति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तिरछी या टेढ़ी चाल 2. तिर्यक योनि (पशु-पक्षियों आदि की योनि) में उत्पन्न होना। तिर्यग्योनि (सं.) [सं-स्त्री.] पशु-पक्षियों आदि की योनि। तिल (सं.) [सं-पु.] 1. काले अथवा सफ़ेद रंग का एक अत्यंत छोटे दाने का तिलहन 2. बहुत छोटा काला चिह्न जो शरीर पर कहीं-कहीं प्राकृतिक रूप से पाया जाता है 3. आँख की पुतली के बीच का बिंदु 4. किसी पदार्थ का बहुत छोटा भाग या अंश 5. काली बिंदी के आकार का गोदना। [मु.] -का ताड़ करना : ज़रा-सी बात को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करना। -भरने की जगह न होना : ज़रा भी जगह खाली न होना। तिलंगा (सं.) [सं-पु.] 1. सिपाही; सैनिक 2. अँग्रेज़ी फ़ौज का भारतीय सिपाही 3. तिलंगाने या तैलंग का निवासी। तिलंगी1 [सं-स्त्री.] आकाश में उड़ाने की गुड्डी; पतंग। तिलंगी2 (सं.) [सं-पु.] तिलंगाने का निवासी। [वि.] तिलंगाने का। तिलक (सं.) [सं-पु.] 1. धार्मिकता, लोकरीति या सौंदर्य की दृष्टि से चंदन, रोली आदि से माथे पर बनाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का चिह्न या निशान; टीका 2. सफ़ेद फूलों वाला एक पेड़ जो वसंत के मौसम में खिलता है 3. एक आभूषण जो सिर पर पहना जाता है 4. राज्याभिषेक 5. विवाह की एक रीति जिसमें वधू पक्ष द्वारा वर का टीका किया जाता है। [वि.] 1. उत्तम 2. शोभा या कीर्ति बढ़ाने वाला। तिलक कामोद (सं.) [सं-पु.] (संगीत) एक प्रकार का राग। तिलक मुद्रा (सं.) [सं-स्त्री.] (हिंदूधर्म) धार्मिक व्यक्तियों द्वारा माथे पर लगाया जाने वाला तिलक और देह पर अंकित किया जाने वाला अपने संप्रदाय का चिह्न। तिलका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गले का एक आभूषण 2. (काव्यशास्त्र) एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में दो सगण होते हैं जिसे 'तिल्ला' या 'डिल्ला' भी कहते हैं। तिलकुट (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का पकवान जो तिल तथा चीनी या गुड़ से बनाया जाता है; कुटे हुए तिलों की मीठी टिकिया; गज़क। तिलचट्टा (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का झींगुर। तिलठी [सं-स्त्री.] तिल के पौधे की वह डाली जिससे तिल झाड़ लिया गया हो। तिलड़ी [सं-स्त्री.] तीन लड़ियों की माला; तीन लड़ियों वाला गले का हार। तिलतंडुलवत (सं.) [वि.] तिल एवं तंडुल (चावल) की तरह मिश्रित। तिल-तिल (सं.) [अव्य.] धीरे-धीरे; शनैः-शनैः; थोड़ा-थोड़ा। तिलबट [सं-पु.] तिल और गुड़ से बनी मिठाई; गज़क; तिलकुट। तिलमिलाना [क्रि-अ.] 1. विवशता के साथ तड़पना; छटपटाना 2. बेचैन होना 3. चौंधियाना। तिलमिलाहट [सं-स्त्री.] 1. तिलमिलाने की अवस्था या भाव 2. बेचैनी 3. चकाचौंध। तिलवा [सं-पु.] तिलों का लड्डू; तिल और गुड़ का बना लड्डू। तिलशकरी (सं.) [सं-स्त्री.] तिल में शक्कर मिलाकर बनाई गई मिठाई। तिलस्म (अ.) [सं-पु.] दे. तिलिस्म। तिलस्मी (अ.) [वि.] दे. तिलिस्मी। तिलहन (सं.) [सं-पु.] 1. वह फ़सल समूह जो तेल प्राप्त करने के लिए बोया जाता है, जैसे- तिल, सरसों आदि 2. ऐसे बीज जिनसे तेल प्राप्त होता है। तिला (अ.) [सं-पु.] पुरुषेंद्रिय पर मालिश करने में प्रयुक्त किया जाने वाला एक औषधीय तेल। तिलांजलि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सदा के लिए किसी व्यक्ति, वस्तु आदि को त्याग करने का संकल्प; परित्याग 2. श्राद्ध कर्म की एक क्रिया जिसमें मृतक के पुत्र आदि के द्वारा तिल मिश्रित जल की अंजलि अर्पित की जाती है। [मु.] -दे देना : सदा के लिए परित्याग कर देना। तिलान्न (सं.) [सं-पु.] तिल से बनी हुई खिचड़ी। तिलाम (अ.) [सं-पु.] 1. गुलाम का गुलाम; दासानुदास 2. परम तुच्छ व्यक्ति या सेवक। तिलिस्म (अ.) [सं-पु.] 1. जादू; भ्रम 2. ऐंद्रजालिक रचना 3. कोई अद्भुत कार्य 4. जादू की कोई भयावह या रहस्यमयी आकृति 5. चमत्कार; करामात 6. अज़ीबोगरीब जगह 7. माया, अलौकिक या अद्भुत प्रतीत होने वाला कार्य। तिलिस्मी (अ.) [वि.] 1. जिसमें तिलिस्म हो; तिलिस्म का 2. जिसमें चमत्कारपूर्ण वर्णन हो, जैसे- तिलिस्मी कथा 3. जिसमें जादू या भ्रम हो; ऐंद्रजालिक 4. अद्भुत कार्ययोजनावाला; हैरतंगेज़ कार्य। तिलेदानी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] सुई, धागा आदि रखने की थैली। तिलोत्तमा (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) इंद्र की एक अप्सरा जिसके शरीर की रचना ब्रह्मा ने सृष्टि के सबसे सुंदर पदार्थों से एक-एक तिल भर अंश लेकर की थी और जिसको प्राप्त करने के लिए हिरण्याक्ष के दोनों पुत्र सुंद और उपसुंद में युद्ध हुआ था। तिलौंछना [क्रि-स.] किसी वस्तु को तेल लगा कर चिकना करना। तिलौंछा [वि.] जिसमें तेल का मेल, गंध या स्वाद हो; तेल जैसे स्वादवाला। तिलौरी [सं-स्त्री.] तिल मिली हुई बड़ी; तिल मिश्रित उड़द या मूँग की बड़ी। तिल्य (सं.) [सं-पु.] वह खेत जिसमें तिल बोया गया हो। [वि.] तिल की खेती के लायक। तिल्ला (अ.) [सं-पु.] 1. कलाबत्तू या बादले आदि की कसीदाकारी 2. दुपट्टा, पगड़ी या साड़ी का वह हिस्सा जिसमें कलाबत्तू का काम हुआ हो 3. किसी वस्तु में जोड़ी गई शोभा बढ़ाने वाली कोई चीज़। तिल्ली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर का एक आंतरिक अवयव; प्लीहा 2. तिल नाम का बीज। तिल्लेदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. जूते का एक प्रकार जो चमड़े का बना होता है 2. वह कपड़ा जिसमें बादले, कलाबत्तू आदि के तार भी बुने हों। तिल्व (सं.) [सं-पु.] 1. तिल का तेल 2. लोध। तिल्वक (सं.) [सं-पु.] 1. शीशम की जाति का तिनिश वृक्ष 2. लोध। तिवान [सं-पु.] फ़िक्र; चिंता; सोच। तिवारी [सं-पु.] ब्राह्मण समाज में एक कुलनाम या सरनेम। तिष्य (सं.) [वि.] 1. तिष्य या पुष्य नक्षत्र में उत्पन्न 2. भाग्यवान; भाग्यशाली 3. कल्याण या मंगल करने वाला 4. शुभ। तिष्यक (सं.) [सं-पु.] पौष मास; पूस। तिष्या (सं.) [सं-स्त्री.] आँवला; आमलक। तिसरायत [सं-स्त्री.] 1. तीसरा होने का भाव 2. गैर या पराया होने का भाव 3. मध्यस्थ; बिचौलिया 4. तटस्थ। तिसरैत [सं-पु.] 1. तीसरा व्यक्ति 2. तीसरे पक्ष का; तटस्थ 3. तीसरे भाग या हिस्से का मालिक। तिहत्तर [वि.] संख्या '73' का सूचक। तिहरा [सं-पु.] दूध दूहने या दही जमाने का मिट्टी का बरतन। [वि.] 1. तीन तहों या परतोंवाला 2. तीन तहों में लिपटा हुआ 3. जो तीसरी बार किया जाए 4. जो एक साथ तीन हों; तिगुना। तिहाई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु का तीसरा भाग; तृतीयांश 2. (संगीत) ख़याल, सरगम को समाप्त करने के लिए उसकी पहली पंक्ति के आधे भाग को तीन बार गाना। तीकुर [सं-पु.] 1. किसी चीज़ का तीसरा भाग; तिहाई 2. उपज का वह बँटवारा जिसमें एक भाग ज़मीदार को तथा दो भाग किसान या काश्तकार को मिलता है 3. किसी चीज़ का छोटा भाग। तीक्ष्ण (सं.) [वि.] 1. तीव्र; तेज़; प्रखर; निपुण; कुशाग्र 2. तेज़ धार या नोंकवाला; पैना 3. तीखा; चरपरा 4. असहनीय; अप्रिय; कटु; चुभने वाला 5. आत्मत्यागी 6. आलसरहित 7. मर्मभेदी 8. कठोर। तीक्ष्णक (सं.) [सं-पु.] 1. सफ़ेद या पीली सरसों 2. मोखा नामक पेड़; मुष्कक। तीक्ष्णता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तीक्ष्ण होने की अवस्था या भाव; तीक्ष्णता; तीखापन 2. तेज़ी; तीव्रता; प्रचंडता; प्रखरता। तीक्ष्णबुद्धि (सं.) [वि.] प्रखर बुद्धिवाला; निपुण। तीक्ष्णा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. केवांच; कौंछ 2. बच 3. मिर्च 4. जोंक। तीक्ष्णाग्नि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जठराग्नि 2. अजीर्ण या अपच का रोग 3. अग्निरस। तीक्ष्णाग्र (सं.) [सं-पु.] अजीर्ण या अपच नाम का रोग। [वि.] 1. जिसका अगला भाग बहुत तेज़ धार वाला या नुकीला हो 2. प्रबल (जठराग्नि)। तीखा (सं.) [वि.] 1. कड़वा; चरपरा; मसालेदार 2. कटु; अप्रिय 3. तीक्ष्ण; तीव्र। तीखापन [सं-पु.] 1. तीखा होने की अवस्था या भाव; चरपरापन 2. तीक्ष्णता; पैनापन 3. प्रखरता। तीखुर (सं.) [सं-पु.] हल्दी की प्रजाति का एक पौधा जिसकी जड़ का सत्त खीर, हलुआ आदि बनाने के काम आता है। तीज (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चांद्रमास के किसी पक्ष की तीसरी तिथि 2. भाद्रपद शुक्ल तृतीया का पर्व जिसमें विवाहित स्त्रियाँ व्रत रखती हैं; हरितालिका तीज व्रत। तीजा [सं-पु.] मुसलमानों में किसी की मृत्यु के बाद तीसरे दिन का कृत्य (इस दिन मृतक के संबंधी गरीबों को भोजन बाँटते हैं)। [वि.] तीसरा। तीतर (सं.) [सं-पु.] कबूतर के आकार का एक रंगीन, धारीदार तेज़ दौड़ने वाला पक्षी जिसे लड़ाने के लिए पाला जाता है। तीता (सं.) [वि.] 1. तीखा और चटपटे स्वादवाला 2. कड़ुआ; कटु। तीन [वि.] संख्या '3' का सूचक। [मु.] -तेरह होना : तितर-बितर होना। -पाँच करना : चालाकी की बातें करना। तीमार (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. रोगी की देखभाल; सेवा-शुश्रूसा 2. रक्षा; हिफ़ाज़त। तीमारदारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. रोगी की सेवा का कार्य 2. परिचर्या; देखभाल। तीर1 (सं.) [सं-पु.] 1. नदी का तट या किनारा; कूल 2. सीसा 3. रांगा। [अव्य.] निकट; समीप; पास। तीर2 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बाण; शर 2. उक्त का सूचक चिह्न जो किसी दिशा का परिचायक होता है 3. {ला-अ.} चतुराई से भरी युक्ति। तीरंदाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] तीर चलानेवाला व्यक्ति; धनुर्धर; (आर्चर)। तीरंदाज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. तीर से लक्ष्य भेदने की क्रिया या भाव 2. धनुष चलाने की कला; धनुर्विद्या। तीरथ [सं-पु.] दे. तीर्थ। तीरवर्ती (सं.) [वि.] 1. किनारे या तट पर रहने वाला 2. बगल या पास में रहने वाला। तीरु (सं.) [सं-पु.] 1. शिव; महादेव 2. शिव का स्तुतिगान। तीर्ण (सं.) [वि.] 1. जो तर या पार हो चुका हो 2. जिसने सीमा लांघी हो 3. जो पार किया जा चुका हो 4. गीला; तर; भीगा हुआ। तीर्थ (सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ लोग पूजा-पाठ, देवी-देवता के दर्शन और पर्यटन के लिए जाते हैं 2. पवित्र या पौराणिक महत्व का कोई स्थान; पुण्य क्षेत्र; धर्मस्थान। तीर्थंकर (सं.) [सं-पु.] जैन धर्म के चौबीस उपास्य देवता जो मुक्तिदाता माने जाते हैं; जिन। तीर्थयात्रा (सं.) [सं-स्त्री.] धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए जाना; तीर्थाटन। तीर्थयात्री (सं.) [वि.] तीर्थ यात्रा करने वाला; तीर्थ पर जाने वाला। तीर्थस्थान (सं.) [सं-पु.] 1. तीर्थ की दृष्टि से प्रसिद्ध स्थल; वह स्थान जहाँ लोग धार्मिक पुण्य या लाभ के लिए जाते हैं 2. धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व का कोई नगर या गाँव। तीर्थाटन (सं.) [सं-पु.] तीर्थयात्रा; तीर्थभ्रमण। तीला (फ़ा.) [सं-पु.] लंबा तिनका; सींक। तीली [सं-स्त्री.] 1. सलाई के आकार की धातु आदि की लंबी सींक 2. छोटा तीला; खपची; मोटी सींक 3. दियासलाई की तूली। तीवट (सं.) [सं-पु.] 1. (संगीत) दोपहर में गाया जाने वाला एक राग 2. संगीत में चौबीस या चौदह मात्राओं का एक ताल जिसे तेवरा भी कहते हैं। तीवर (सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र 2. मछुआ; धीवर 3. शिकारी 4. एक कामगार जाति। तीव्र (सं.) [वि.] 1. तीक्ष्ण; तेज़ 2. द्रुत; वेगमय 3. प्रखर 4. कटु 5. तीखा; असह्य। तीव्रता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तीव्र होने की अवस्था या गुण 2. तेज़ी; तीक्ष्णता; प्रखरता; शीघ्रता। तीव्रा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. राई 2. तुलसी 3. कुटकी 4. खुरासानी अजवायन 5. संगीत में षड़ज स्वर की चार श्रुतियों में से पहली श्रुति। तीव्रानंद (सं.) [सं-पु.] शिव; महादेव। तीस [वि.] संख्या '30' का सूचक। तीसमार खाँ [वि.] 1. बहुत बड़ा लड़ाका या बाँका वीर 2. (व्यंग्य) बड़ी-बड़ी बातें बनाने वाला; शेखीख़ोर। तीसरा [वि.] 1. तीन के स्थान पर पड़ने वाला 2. किसी क्रम में दूसरे के पश्चात आने वाला; जो गिनती में दो के बाद हो 3. जिसका दो पक्षों में से किसी से भी संबंध न हो; गैर 4. जिसका पेश किए गए विषय से कोई संबंध न हो; कोई और। [सं-पु.] 1. वह जो किन्हीं दो पक्षों में से किसी की तरफ़ न हो; तीसरा व्यक्ति 2. पंच; मध्यस्थ। तीसी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. डेढ़ हाथ ऊँचा एक पौधा जिसमें नीले रंग के फूल तथा मटमैले रंग के गोल और घुंडीदार बीज होते हैं; नीलपुष्पी; अलसी; क्षुमा; उमा; पार्वती 2. उक्त बीज जो वैद्यक के अनुसार वात, पित, और कफ़नाशक होते हैं 3. एक प्रकार की छेनी जिससे लोहे की थालियों आदि पर नक्काशी करते हैं 4. तीस वस्तुओं का एक मान। तुंग (सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत 2. पुन्नाग का वृक्ष; पश्चिमी हिमालय क्षेत्र का एक झाड़दार पेड़; एरंडी 3. नारियल 4. ऊँचाई 5. समूह। [वि.] 1. बहुत ऊँचा; उच्च 2. तीव्र; प्रचंड; उग्र 3. मुख्य; प्रधान। तुंगता (सं.) [सं-स्त्री.] ऊँचाई; उच्चता। तुंड (सं.) [सं-पु.] 1. मुँह; मुख 2. चोंच; चंचु 3. आगे निकला हुआ मुँह; थूथन 4. शिव 5. हाथी की सूँड़ 6. तलवार का नोक के समीप का भाग। तुंडि (सं.) [सं-पु.] 1. चोंच; मुख 2. बिंबाफल। [सं-स्त्री.] नाभि। तुंडी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाभि 2. एक तरह का कुम्हड़ा। [वि.] आगे निकले हुए चोंच या थूथनवाला। तुंद1 (सं.) [सं-पु.] 1. उदर; पेट 2. नाभि। तुंद2 (फ़ा.) [वि.] तीव्र; प्रचंड; तेज़। तुंदिल (सं.) [वि.] तोंदवाला; जिसकी तोंद या पेट बड़ा हो; बड़े उदरवाला। तुंबरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का अनाज 2. तूँबी। तुंबा (सं.) [सं-पु.] 1. कडुए कद्दू का सूखा हुआ वह रूप जिसके सहारे नदी-नाले आदि पार किए जाते हैं 2. कडुए कद्दू को सुखाकर और खोखला करके बनाया गया एक प्रकार का पात्र, जो प्रायः साधु-संन्यासी और भिखमंगे अपने पास खाने-पीने की चीज़ें रखने के लिए रखते हैं। [सं-स्त्री.] 1. दूध का बरतन 2. दुधारु गाय 3. कद्दू। तुअर (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अरहर का पौधा 2. अरहर के बीज या दाल। तुक [सं-स्त्री.] 1. समरूपता लाने का भाव; सामंजस्य 2. किसी कविता, गीत का कोई पद, चरण या कड़ी जिसमें ध्वनि साम्य हो; काफ़िया; अंत्यानुप्रास। [मु.] -जोड़ना : साधारण कविता करना। तुकदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें तुक या लय हो 2. जिसे गाया जा सकता हो 3. जिस छंद के चरणों के अंतिम अक्षरों में मेल हो। तुकबंद (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] तुकबंदी करने वाला कवि। [वि.] जिसमें तुकबंदी की गई हो। तुकबंदी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. तुक मिलाने या जोड़ने की क्रिया 2. साधारण या स्तरहीन कविता 3. ऐसी कविता (पद्य) जिसके चरणों के अंत में तुक या ध्वनि संबंधी मेल तो हो लेकिन जिसमें भाव या भाषा के सौंदर्य का अभाव हो। तुकमा (फ़ा.) [सं-पु.] पहनने के कपड़ों की घुंडी फँसाने का फंदा; पाशक। तुकांत [सं-पु.] 1. कविता या गीत के दो चरणों में अंतिम अक्षरों का मेल या साम्य; तुक का मेल 2. काफ़िया; अंत्यानुप्रास। तुक्कड़ [सं-पु.] 1. तुक मिलाने या जोड़ने वाला व्यक्ति; तुकबंदी करने वाला व्यक्ति 2. वह जो साधारण कविता करता हो। तुक्कल (फ़ा.) [सं-स्त्री.] मोटी डोर से उड़ाई जाने वाली बड़ी गुड्डी या पतंग। तुक्का (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शल्यरहित बाण; बिना फल का बाण 2. कोई लंबी-सी वस्तु या उसका तिनका। तुखार (सं.) [सं-पु.] 1. हिमालय के उत्तर-पश्चिम का एक प्राचीन देश जिसका उल्लेख अथर्ववेद, रामायण, महाभारत आदि में है, यहाँ के घोड़े बहुत अच्छे माने जाते थे 2. उक्त देश का निवासी 3. उक्त देश का घोड़ा। तुख़्म (अ.) [सं-पु.] 1. वह वीर्यकण जिससे संतान या औलाद पैदा होती है 2. बीज; गुठली; दाना। तुगलक (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सरदार 2. मध्य एशिया की एक जाति जिसने मध्यकाल में भारत में साम्राज्य की स्थापना की। तुग़लक (फ़ा.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. तुगलक)। तुगलकी (फ़ा.) [वि.] 1. तुगलक से संबंधित 2. अविवेकपूर्ण। तुच्छ (सं.) [वि.] 1. क्षुद्र; छोटा 2. सारहीन; मूल्यहीन; महत्वहीन 3. अल्प; थोड़ा 4. निर्धन; गरीब 5. मंद 6. नगण्य 7. निकृष्ट। [सं-पु.] 1. अनाज के ऊपर का छिलका; भूसी 2. नील का पौधा 3. तूतिया। तुच्छता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तुच्छ होने की अवस्था या भाव; ओछापन; हीनता 2. नीचता; क्षुद्रता 3. अल्पता; खोखलापन 4. दीनता। तुच्छा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नील का पौधा 2. नीला थोथा; तूतिया 3. छोटी इलायची। तुझ (सं.) [सर्व.] 'तू' का वह रूप जो कर्ता तथा संबंधकारक के सिवा अन्य कारक लगने से पूर्व प्राप्त होता है, जैसे- तुझसे, तुझको, तुझमें आदि। तुझे [सर्व.] 'तू' का कर्म और संप्रदान कारक का रूप; तुझको। तुड़वाना [क्रि-स.] 1. कोई चीज़ तोड़ने में किसी को प्रवृत्त करना; तुड़ाना 2. बड़े सिक्के को उतने ही मूल्य के छोटे-छोटे सिक्कों में बदलवाना। तुड़ाई [सं-स्त्री.] 1. तुड़ने या तुड़वाने की क्रिया या भाव 2. तोड़-फोड़; ढहाई 3. तोड़ने की मज़दूरी 4. चूर्ण करना; कुटाई; भंजन। तुड़ाना [क्रि-स.] 1. तोड़ने का काम कराना 2. ढहाना; फोड़वाना 3. स्वयं को मुक्त कराना 4. रुपए या सिक्के को भुनाना; खुला कराना। तुणि (सं.) [सं-पु.] तून का वृक्ष। तुतला [वि.] दे. तोतला। तुतलाना [क्रि-अ.] 1. अक्षरों का अधूरा और अस्पष्ट उच्चारण करना, जैसे- बच्चों का तुतलाना 2. रुक-रुककर, टूटे-फूटे शब्दों में बोलना; तोतलाना 3. सही या साफ़ न बोलना। तुतलाहट (सं.) [सं-स्त्री.] तुतलाने की क्रिया या भाव। तुत्थ (सं.) [सं-पु.] 1. तूतिया; नीलाथोथा 2. अग्नि 3. पत्थर। तुन [सं-पु.] नीम की तरह का एक बड़ा वृक्ष जिसकी लकड़ी वज़न में हलकी, मज़बूत और लाल रंग की होती है तथा जिसके फूलों का रंग बसंती होता है; तून। तुनक1 [सं-स्त्री.] 1. तुनकने की क्रिया या भाव 2. झुँझलाहट; चिड़चिड़ाहट 3. पतंग उड़ाते समय डोर को दिया जाने वाला झटका। तुनक2 (फ़ा.) [वि.] 1. कोमल; नाज़ुक 2. दुबला-पतला; क्षीणकाय 3. सूक्ष्म; हलका 4. थोड़ा; अल्प; छोटा। तुनकना (फ़ा.) [क्रि-अ.] 1. छोटी-छोटी बातों पर अप्रसन्न होना; जल्दी नाराज़ होना; रूठ जाना 2. चिढ़ना; झल्लाना 3. झुँझलाना। तुनकमिज़ाज (फ़ा.) [वि.] 1. बात-बात पर रूठ जाने वाला 2. जल्दी नाराज़ होने वाला या बिगड़ने वाला 3. चिड़चिड़ा; नाज़ुकमिज़ाज; घमंडी। तुनकमिज़ाजी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जल्दी रूठने या बिगड़ने का भाव 2. चिड़चिड़ापन; नाज़ुकमिज़ाजी। तुनतुन (अ.नु.) [सं-स्त्री.] सितार की ध्वनि। तुनतुनी [सं-स्त्री.] सितार जैसा एक वाद्य जिससे 'तुन-तुन' ध्वनि निकलती है। तुपक (तु.) [सं-स्त्री.] 1. कड़ाबीन नामक बंदूक 2. छोटी तोप। तुपकची [वि.] 1. छोटी तोप चलाने वाला; तोपची 2. कड़ाबीन नामक बंदूक चलाने वाला। तुफ़ंग (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. प्राचीन समय में प्रचलित वह नली जिसमें मिट्टी की गोलियाँ, लोहे के छोटे-छोटे टुकड़े आदि भरकर ज़ोर से फूँककर चलाया जाता था 2. हवाई बंदूक। तुफ़ैल (अ.) [सं-पु.] 1. साधन; कारण; जरिया; द्वारा 2. किसी के अनुग्रह या कृपा से प्राप्त होने वाला साधन। तुम (सं.) [सर्व.] संबोधित व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द। तुमड़ी [सं-स्त्री.] 1. सूखा कद्दू 2. सूखे कद्दू के खोल से बनाया हुआ पात्र 3. सूखे कद्दू के खोल से बनाया हुआ बाजा जिसे सँपेरे बजाते हैं। तुमुल (सं.) [सं-पु.] 1. घोर या भीषण युद्ध; मुठभेड़; घमासान 2. बहेड़े का वृक्ष। [वि.] 1. धूम; कोलाहल; शोरगुल; कई तरह की ध्वनियों के मेल से युक्त भयंकर ध्वनि 2. घबराया हुआ; क्षुब्ध। तुम्हारा (सं.) [सर्व.] 1. 'तुम' का संबंधकारक रूप 2. तेरा; आपका। तुम्हीं [सर्व.] 'तुम' और 'ही' के संयोग से बना हुआ शब्द। तुम्हें [सर्व.] 'तुम' का विभक्तियुक्त रूप जो कर्म और संप्रदान कारक में मिलता है, जैसे- तुमको। तुरंग (सं.) [सं-पु.] 1. घोड़ा; अश्व 2. चित्त; मन। [वि.] तेज़ चलने वाला। तुरंज (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बिजौरा या चकोतरा नीबू 2. कुरते या दुशाले आदि के मोड़ों तथा किनारों पर सुई से काढ़कर बनाया हुआ बड़ा बूटा। तुरंत (सं.) [अव्य.] शीघ्र; बिना विलंब के; जल्दी से; चटपट; तत्काल; उसी समय। तुरंता [सं-पु.] 1. सत्तू (तुरंत खाने योग्य पदार्थ) 2. गाँजा (तुरंत नशा करने वाला)। तुरई [सं-स्त्री.] एक बेल जिसके फल से तरकारी बनाई जाती है; तोरी; तोरई। तुरग (सं.) [सं-पु.] घोड़ा; अश्व; घोटक। तुरत-फुरत [क्रि.वि.] तत्काल; चटपट; बहुत जल्दी। तुरपन [सं-स्त्री.] 1. हाथ से की जाने वाली एक प्रकार की सिलाई या सीवन 2. कपड़े को मोड़कर सुई-धागे से सिलने का काम। तुरपना [क्रि-स.] 1. सुई-धागे से छोटे-छोटे टाँके लगाना 2. सीना; सिलना। तुरमती [सं-स्त्री.] एक तरह की शिकारी चिड़िया। तुरही (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का वाद्ययंत्र जिसे मुँह से फूँक कर बजाया जाता है। तुरावत (सं.) [वि.] वेगपूर्वक चलने वाला; तीव्र गति से चलने वाला। तुरावती (सं.) [सं-स्त्री.] वेगपूर्वक चलने या बहने वाली। [वि.] तीव्र वेग वाली। तुरीय (सं.) [वि.] 1. चौथा; चतुर्थ 2. जिसके चार खंड हों 3. शक्तिशाली 4. श्रेष्ठ। [सं-स्त्री.] 1. वेदांत के अनुसार एक अवस्था जिसमें आत्मा बह्म में लीन हो जाती है और मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है 2. वाणी का मुँह से उच्चारित होने वाला रूप; बैखरी। तुरुप (इं.) [सं-पु.] 1. ताश का एक खेल जिसमें चार रंगों में से वह रंग जिसे प्रधान मान लिया जाता है उसका सबसे छोटा पत्ता भी दूसरे रंगो के बड़े से बड़े पत्ते को काट सकता है 2. सैनिकों की टुकड़ी 3. घुड़सवारों का रिसाला। तुरुष्क (सं.) [सं-पु.] 1. तुर्किस्तान का रहने वाला व्यक्ति 2. तुर्क जाति 3. तुर्किस्तान देश 4. उक्त देश का घोड़ा। तुर्क (तु.) [सं-पु.] 1. तुर्किस्तान या तुर्की का निवासी 2. मुसलमान 3. सैनिक। तुर्कमान (तु.) [सं-पु.] 1. तुर्क जाति का व्यक्ति 2. तुर्की घोड़ा। [वि.] तुर्कों जैसा। तुर्किस्तान (तु.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. पश्चिमी एशिया का एक देश जो रूस के दक्षिण में पड़ता है 2. तुर्कों का देश; तुर्की। तुर्की (तु.) [सं-पु.] 1. तुर्की देश का निवासी; तुर्क 2. तुर्किस्तान का घोड़ा। [सं-स्त्री.] तुर्की की भाषा। [वि.] तुर्क देश का; तुर्क संबंधी। तुर्रा (अ.) [सं-पु.] 1. पगड़ी में खोंसा गया पंख या फुँदना; कलगी; गोशवारा 2. पगड़ी पर लगाया गया बादले का गुच्छा 3. पक्षियों के सिर पर निकला हुआ छोटे परों या बालों का गुच्छा; शिखा; चोटी 4. माथे पर घुँघराले बालों की लट; काकुल; ज़ुल्फ़ 5. दूल्हे के कान के पास लटकने वाली फूलों की लड़ी 6. मकान का छज्जा 7. किनारा; हाशिया 8. जटाधारी; गुलतुर्रा 9. चाबुक; कोड़ा 10. एक प्रकार की बुलबुल; बटेर; डुबकी 11. चुसकी; दूध या भाँग आदि का घूँट 12. किसी बात या वस्तु में कोई विलक्षणता या अनूठापन 13. मुहाँसे की कील 14. मुर्गकेश नामक फूल। [वि.] अद्भुत; अनूठा; अनोखा; विलक्षण। तुर्श (फ़ा.) [वि.] 1. खट्टा; अम्लीय 2. कड़ा; कठोर 3. अप्रसन्न; नाख़ुश; क्रुद्ध 4. रूखा। तुर्शी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. खटाई; खट्टापन; अम्लीयता 2. रुष्टता; व्यवहार आदि में दिखाई जाने वाली कटुता। तुलन (सं.) [सं-पु.] 1. तुलने या तौलने की क्रिया या भाव; तौलना 2. वज़न; तौल 3. तुलना या बराबरी करना; साम्य दिखाना। तुलना (सं.) [क्रि-अ.] 1. दो या दो से अधिक चीज़ों के गुण, मान आदि का एक-दूसरे से कम-ज़्यादा होने का विचार 2. मिलान। [सं-स्त्री.] न्यूनाधिक्य या कमीबेशी का विचार। तुलनात्मक (सं.) [वि.] 1. जिसमें दो या अधिक चीज़ों की समानता और असमानता दिखाई गई हो 2. जिसमें पारस्परिक तुलना की गई हो; तुलनायुक्त 3. जिसमें किसी की तुलना की जाए; तुलना विषयक। तुलनीय (सं.) [वि.] 1. तुलना के योग्य 2. जिससे तुलना की जा सकती हो। तुलवाई [सं-स्त्री.] तुलाई। तुलवाना [क्रि-स.] 1. माप करवाना; वज़न कराना; जोखना 2. औंगवाना; गाड़ी के पहियों में तेल लगाना। तुलसी (सं.) [सं-स्त्री.] औषधीय गुणों से युक्त एक घरेलू पौधा जिसे धार्मिक महत्व प्राप्त है। तुलसीदल (सं.) [सं-पु.] तुलसी के पौधे का पत्ता; तुलसीपत्र। तुलसीवन (सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ बहुत अधिक संख्या में तुलसी के पौधे लगे हों 2. तुलसी के पौधों का समूह 3. वृंदावन। तुला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तराजू; काँटा; भार नापने का यंत्र 2. मान; तौल; नाप 3. (ज्योतिष) बारह राशियों में सातवीं राशि 4. तुलना; मिलान; समानता। [मु.] -होना : कुछ करने के लिए दृढ़ निश्चय करना। तुलाई1 [सं-स्त्री.] 1. तौलने की क्रिया या भाव 2. तौलने की मज़दूरी। तुलाई2 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पतली और हलकी रजाई 2. गाड़ी की धुरी में तेल दिलाना। तुलादान (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का दान जिसमें अपने वज़न के बराबर अन्न, वस्त्र या तुला (रुई) आदि का दान किया जाता है। तुलाना [क्रि-स.] किसी से तौलने का काम कराना; तौलवाना। तुलापत्र (सं.) [सं-पु.] वह पत्र जिसमें आय-व्यय तथा लाभ-हानि का लेखा लिखा रहता है; तट-पट; (बैलेंस शीट)। तुल्य (सं.) [वि.] 1. जो तुलना में समान हो; बराबर 2. अभिन्न; सदृश्य; अनुरूप; समरूप 3. उसी प्रकार का। [परप्रत्य.] एक प्रत्यय जो शब्दों के अंत में जुड़कर 'के समान', 'के जैसा' अर्थ देता है, जैसे- अमृततुल्य, विषतुल्य, पितातुल्य आदि। तुल्यकाल (सं.) [वि.] समसामयिक; समकालिक; समकालीन; एक ही समय का। तुल्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तुल्य होने की अवस्था या भाव 2. समता; बराबरी 3. सादृश्य। तुल्ययोगिता (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक अलंकार जिसमें बहुत से उपमानों का एक ही धर्म बतलाया जाए। तुल्यरूप (सं.) [वि.] समरूप; सदृश्य; एक ही रूप का; एक जैसा। तुवर (सं.) [सं-पु.] दे. तुअर। तुष (सं.) [सं-पु.] 1. भूसी; अन्न का ऊपरी छिलका 2. बहेड़े का पेड़। तुषानल (सं.) [सं-पु.] 1. भूसी की आग 2. एक प्रकार का प्राणदंड जिसमें भूसी या तिनके को शरीर पर लपेट कर आग लगा दी जाती थी। तुषार (सं.) [सं-पु.] 1. पाला; हिम; बरफ़ 2. तुहिन 3. एक प्रकार का कपूर। [वि.] जो बरफ़ के समान ठंडा हो। तुषाररेखा (सं.) [सं-स्त्री.] पर्वतों पर स्थित वह कल्पित रेखा जिसके ऊपर वाले भाग पर सदा बरफ़ जमी रहती है जो कभी पिघलती नहीं; (स्नो लाइन)। तुषारांशु (सं.) [सं-पु.] वह जिसकी हिम के समान शीतल किरणें हों; चंद्रमा। तुषाराद्रि (सं.) [सं-पु.] 1. हिमालय पर्वत 2. वह जो हिम या तुषार से आच्छादित हो। तुषारापात (सं.) [सं-पु.] 1. पाला पड़ना 2. बरफ गिरना; हिमपात 3. ऐसा प्रहार जो विनाश का सूचक हो 4. {ला-अ.} अरमानों या आशाओं पर पानी फिरना; निराश होना। तुषी (सं.) [सं-स्त्री.] भूसी; अन्न आदि का छिलका; तुष। तुष्ट (सं.) [वि.] 1. संतुष्ट; तृप्त 2. प्रसन्न; ख़ुश। तुष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी काम के ठीक तरह से होने पर मन में होने वाली प्रसन्नता 2. संतोष; परितोष 3. तृप्ति। तुष्टिकर (सं.) [वि.] 1. तुष्टि प्रदान करने वाला 2. प्रसन्नता देने वाला; संतोषकारक। तुष्टीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. तुष्ट या प्रसन्न करने की क्रिया या भाव 2. किसी वर्ग, जाति या संप्रदाय को विशेष रियायतें या सुविधाएँ प्रदान करना 3. अनुनय-विनय; मनुहार। तुहमत (अ.) [सं-स्त्री.] दे. तोहमत। तुहिन (सं.) [सं-पु.] 1. हिम; तुषार 2. ओस कण 3. ज्योत्स्ना; चाँदनी शीत; ठंडक। तुहिनांशु (सं.) [सं-पु.] 1. शशि; चंद्रमा 2. कपूर 3. तुहिन किरण। तुहिनाचल (सं.) [सं-पु.] हिमाचल; हिमराज; हिमालय पर्वत। तू (सं.) [सर्व.] 1. 'तुम' का एकवचन रूप 2. किसी बहुत प्रिय या छोटे के लिए अथवा किसी को अशिष्टता से पुकारने के लिए प्रयुक्त होने वाला शब्द 3. मध्यम पुरुष एकवचन सर्वनाम। तूँबड़ा [सं-पु.] 1. पके हुए कद्दू या लौकी को खोखला करके बनाया गया एक पात्र जिसका प्रयोग साधु-संन्यासी या भिखमंगे खाने-पीने की चीज़ें रखने के लिए करते हैं; कटुतुंबी; कमंडल 2. कड़ुआ कद्दू या लौकी; तितलौकी। तूँबा [सं-पु.] दे. तूँबड़ा। तूण (सं.) [सं-पु.] तूणीर; तरकश। तूणीक (सं.) [सं-पु.] तुन का वृक्ष। तूणीर (सं.) [सं-पु.] तीर या बाण रखने का पात्र; तरकश; निषंग; तूण; भाथा। तूतमलंगा [सं-पु.] एक प्रकार के बीज जो औषधि के काम आते हैं। तूतिया (सं.) [सं-पु.] ताँबे और गंधक के अम्ल (सल्फ़्यूरिक एसिड) की अभिक्रिया से बनाया जाने वाला क्षार या लवण; नीला थोथा; औषधि और रंजक के रूप में उपयोग होने वाला रसायन; (कॉपर सल्फ़ेट)। तूती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पीली चोंच, बैगनी गरदन और हरे परों वाली एक प्रकार की तोते जैसी चिड़िया 2. मटमैले रंग की एक प्रकार की छोटी चिड़िया जो बहुत मधुर स्वर में बोलती है 3. कनेरी नाम की छोटी सुंदर चिड़िया 4. बाँसुरी या शहनाई की तरह का एक बाज़ा 5. मिट्टी की छोटी घरिया। [मु.] -बोलना : ख़ूब प्रभाव होना। नक्कारख़ाने में तूती की आवाज़ : ऐसी बात जिसपर किसी का ध्यान न जाए। तू-तू [सं-पु.] कुत्तों या कौओं को बुलाने का शब्द। तू-तू मैं-मैं [सं-स्त्री.] कहा-सुनी; झगड़ा; वाक्कलह; गाली-गलौज। [मु.] -करना : अशिष्ट प्रकार से झगड़ा करना। तूदा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ढेर; राशि; टीला 2. हदबंदी; सीमा का सूचक निशान 3. मिट्टी का टीला या ढूह जिसपर निशाना साधते हैं 4. वह दीवार जिसपर बैठ कर तीरंदाज़ निशाना साधते हैं। तून (सं.) [सं-पु.] 1. एक पेड़ जिसकी लकड़ी और फूल लाल रंग के होते हैं 2. चटकीला लाल रंग का कपड़ा। तूफ़ान (अ.) [सं-पु.] 1. धूल और बारिश के साथ आने वाला बहुत तेज़ अंधड़; आँधी 2. विनाश करने वाली बाढ़; सैलाब 3. कहर; आफ़त; आपदा; विपत्ति 4. {ला-अ.} झगड़ा; विवाद; हंगामा 5. {ला-अ.} उपद्रव; दंगा-फ़साद। तूफ़ानी (फ़ा.) [वि.] 1. तूफ़ान जैसी शक्तिवाला; तूफ़ान संबंधी 2. उपद्रवी; फ़सादी 3. प्रचंड; उग्र; प्रबल 4. {ला-अ.} बखेड़ा करने वाला; बावेला मचाने वाला। तूफ़ानी दौरा [सं-स्त्री.] तूफ़ान की तरह का तेज़ या प्रबल और चारों ओर वेगपूर्वक फैलने या होने वाला दौरा या यात्रा, जैसे- उन दिनों देश में कई बड़े-बड़े नेताओं के तूफ़ानी दौरे हो रहे थे। तूमड़ी [सं-स्त्री.] 1. छोटा तुंबा; गोल लौकी का फल 2. तूंबी का बना सपेरों का एक प्रकार का बाजा; बीन 3. सपेरों के बाजे में लगा गोल वाला भाग। तूमतड़ाक [सं-स्त्री.] 1. ठसक 2. तड़क-भड़क; शान-शौकत 3. व्यर्थ का आडंबर। तूमार (अ.) [सं-पु.] 1. बात को व्यर्थ में फैलाना; बात का बतंगड़ 2. लंबा-चौड़ा विवरण; विस्तार 3. बड़ा ढेर। तूर1 (सं.) [सं-पु.] 1. तुरही; नरसिंगा; हरकारा 2. एक प्रकार का नगाड़ा। [सं-स्त्री.] 1. तुअर का पौधा व बीज 2. अन्न; अनाज 3. ताना लपेटने की जुलाहों के करघे में लगी रहने वाली एक लकड़ी 4. रुई; कपास। [वि.] जल्दबाज़ी करने वाला। तूर2 (अ.) [सं-पु.] 1. प्राचीन समय में मध्य एशिया या शाम (सिरिया) देश का एक पहाड़ जिसके बारे में किंवदंती है कि इसी पर हज़रत मूसा को ईश्वरीय प्रकाश या जलवा दिखाई दिया था 2. {ला-अ.} दिव्य प्रकाश; अलौकिक ज्ञान का प्रकाश। तूर3 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बहादुर; महारथी 2. फ़िरेदूँ का बड़ा पुत्र जिसने तूरान वसाया था। तूरा (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बाजा जिसे फूँककर बजाया जाता है; तुरही। तूरान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. तातार देश; तुर्की 2. फारस के उत्तर-पूर्व में मध्य एशिया का समस्त भू-भाग जो तुर्क, तातार और मंगोल आदि जातियों का निवास क्षेत्र है; हिमालय के उत्तर में अल्टाई पर्वत का प्रदेश। तूरानी (फ़ा.) [सं-पु.] तूरान देश का निवासी। [सं-स्त्री.] तूरान देश की भाषा व लिपि। [वि.] तूरान देश से संबंधित; तूरान देश का। तूर्ण (सं.) [वि.] 1. शीघ्रता करने वाला 2. वेगवान; तेज़; फ़ुरतीला। [क्रि.वि.] शीघ्र; तेज़ी से; तुरंत; जल्दी से। तूर्य (सं.) [सं-पु.] 1. तुरही; नरसिंघा 2. नगाड़ा; मृदंग; मुरज। तूल1 (सं.) [वि.] तुल्य; सदृश; समान। [सं-पु.] 1. गाढ़ा या गहरा लाल रंग 2. चटकीले लाल रंग का कपड़ा 3. आसमान 4. कपास, सेमल और मदार आदि के डोड़ों के अंदर का रुई की तरह का घुआ या रेशा 5. तृण की नोक 6. शहतूत का वृक्ष 7. धतूरा। तूल2 (अ.) [सं-पु.] 1. लंबाई की दिशा में विस्तार; लंबाई; दीर्घता; बढ़ावा 2. ढेर। [मु.] -पकड़ना : किसी बात का बहुत बढ़ जाना। तूलना [क्रि-स.] पहिए की धुरी में तेल देना। [क्रि-अ.] 1. समान होना; बराबरी करना 2. तुलना करना 3. उपमा देना। तूलमतूल (अ.) [क्रि.वि.] 1. समक्ष; आमने-सामने 2. लंबाई में। तूलि (सं.) [सं-स्त्री.] दे. तूली। तूलिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तस्वीर या चित्र बनाने की कूची; (ब्रश) 2. लेखनी; कलम 3. रुई का हलका गद्दा; रजाई 4. रुई से बनी बत्ती 5. साँचा 6. बरमा; बढई का एक यंत्र जिससे वह लकड़ी में छेद करता है 7. दुलाई 8. नील। तूली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नील नामक पौधा 2. चिराग की बत्ती या बाती 3. रुई 4. ताने के फैले हुए रेशों या सूत को बैठाने का जुलाहों का एक औज़ार; कूची 5. चित्रकार की कूची। तूष्णीक (सं.) [वि.] मौन रहने वाला; मौनावलंबी; मौन साधने वाला। तूस [सं-पु.] 1. भूसा 2. भूसी 3. एक प्रकार का बढ़िया ऊन; पशमीना। तूसरी [सं-स्त्री.] गंभारी नामक वृक्ष; तुंबी। तृख (सं.) [सं-पु.] जायफल; जातीफल। तृण (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसी वनस्पतियाँ जिनके तने या कांड कमज़ोर होते हैं; तिनका 2. घास; दूब 3. खरपात; सरपत, जैसे- नरकट, सरकंडा आदि। तृणक (सं.) [सं-पु.] तृण; घास; तिनका। तृणमणि (सं.) [सं-पु.] एक विशेष प्रकार के वृक्ष का गोंद जिसे कहरुआ भी कहा जाता है। तृणमय (सं.) [वि.] तृण या घासफूस से बना हुआ या जिसमें तिनके हों; तृणनिर्मित। तृणमूल (सं.) [सं-पु.] 1. तिनके की जड़ 2. वह जो तृण से संबद्ध हो। तृणवत (सं.) [वि.] 1. तृण के समान; तिनके के बराबर; तुच्छ; अत्यंत हीन 2. जिसका महत्व न हो; नगण्य। तृणाग्नि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तिनकों या घास-फूस की वह आग जो शीघ्र बुझ जाती है; तुषानल; तृणानल 2. जल्दी बुझने वाली आग 3. करसी की आँच 4. भूसी की आग; तुषाग्नि। तृणाम्ल (सं.) [सं-पु.] 1. अमलोनी; नोनिया घास 2. उक्त घास से बनाया गया लवण या नमक। तृणेंद्र (सं.) [सं-पु.] ताड़ का वृक्ष। तृणोत्तम (सं.) [सं-पु.] उखर्वल नामक घास; ऊखल तृण। तृतीय (सं.) [वि.] जो क्रम या महत्व में दूसरे के बाद आता है; तीसरा। तृतीया (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चांद्र मास के किसी पक्ष की तीसरी तिथि; तीसरा दिन; तीज 2. व्याकरण में करणकारक या उसकी विभक्ति। [वि.] तीसरी। तृतीयांश (सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु या पदार्थ का तीसरा भाग; तिहाई। तृप्त (सं.) [वि.] 1. संतुष्ट; तुष्ट 2. जिसकी वासनाएँ शांत हो गई हों 3. जिसकी समस्त जरूरतें या इच्छाएँ पूरी हो चुकी हो; परितृप्त 4. अघाया हुआ 5. संतृप्त; भरपूर 6. प्रसन्न; ख़ुश। तृप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तृप्त होने की अवस्था या भाव 2. इच्छा या वासना पूरी होने पर मिलने वाली शांति; संतोष 3. आनंद; संतुष्टि; ख़ुशी; प्रसन्नता। तृषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्यास; तृष्णा; पिपासा 2. तीव्र इच्छा; अभिलाषा 3. लोभ; लालच 4. कलिहारी नामक घास। तृषाग्नि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्यास की तीव्रता; व्याकुलता 2. वासना; लोभ-लालसा 3. तीव्र अभिलाषा। तृषावान (सं.) [वि.] 1. तृषालु; तृषा से युक्त; जिसमें कामना हो 2. प्यासा; पिपासु। तृषित (सं.) [वि.] 1. प्यासा; पिपासु 2. आकुल; विकल; घबराया हुआ। तृष्ण (सं.) [वि.] 1. जिसे प्यास लगी हो; प्यासा 2. विशेष प्रकार की कामना या इच्छावाला। तृष्णा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अप्राप्त को पाने की तीव्र इच्छा 2. पिपासा; लालसा; तृषा 3. प्रबल वासना; कामना। तेंदुआ [सं-पु.] अफ़्रीका और एशिया के घने जंगलों में पाया जाने वाला चीते की जाति का एक माँसाहारी हिंसक जानवर। तेंदू (सं.) [सं-पु.] 1. भारत, श्रीलंका और म्याँमार आदि देशों में पाया जाने वाला ऊँचा सदाबहार वृक्ष जिसकी लकड़ी बहुत मज़बूत होती है; आबनूस; (एबॉनी) 2. तेंदू का फल 3. पंजाब क्षेत्र का छोटा तरबूज़ या उसकी एक किस्म। तेईस [वि.] संख्या '23' का सूचक। तेग (अ.) [सं-स्त्री.] तलवार; खड्ग। तेगा1 [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की मछली 2. एक देवी। [सं-पु.] कुश्ती का एक दाँव (कमर तेजा)। तेगा2 (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार की छोटी चौड़ी तलवार या खड्ग। तेज (सं.) [सं-पु.] 1. आभा; दीप्ति; चमक; ओज 2. आग; अग्नि 3. ताप; गरमी 4. शक्ति; पराक्रम; बल 5. वीर्य। तेज़ (फ़ा.) [वि.] 1. तीक्ष्ण धारवाला; पैनी धार का 2. द्रुतगामी; तीव्रगामी; वेगवान; जल्दी चलने वाला 3. फुरतीला 4. तीखे स्वाद का; तीता; झालदार; मसालेदार 5. कीमती; भाव या दाम में बढ़ा हुआ; महँगा 6. प्रचंड; प्रखर; जिसे सहना मुश्किल हो, जैसे- तेज़ धूप 7. तुरंत प्रभाव दिखाने वाला 8. चंचल; चपल 9. तीक्ष्ण बुद्धिवाला; समझदार, जैसे- तेज़ बालिका 10. चमकीला; चटक (रंग) 11. उग्र। तेज़तर्रार [वि.] 1. जो तेज़ और फुरतीला हो; तीक्ष्ण 2. होशियार; चतुर 3. उत्साही 4. जल्दी उग्र होने वाला। तेजपत्ता (सं.) [सं-पु.] दालचीनी जाति का एक सुगंधित पत्ता जिसे स्वाद हेतु सब्ज़ी में गरम मसाले के रूप में डाला जाता है; तेजपत्र। तेजपात (सं.) [सं-पु.] 1. गरम मसाले में काम आने वाला एक प्रकार का पत्ता; तेजपत्र; तेजपत्ता 2. दालचीनी की जाति का वृक्ष तथा उसका पत्ता। तेजमान (सं.) [वि.] तेजवान; तेजस्वी; प्रतापी। तेज़मिज़ाज (फ़ा.+अ.) [वि.] उग्र स्वभाववाला; क्रोधी; गुस्सैल। तेजवान (सं.) [वि.] 1. तेजयुक्त; तेजस्वी 2. चमकीला; कांतिमान 3. बलवान; पराक्रमी; शक्तिशाली; प्रतापी; बलिष्ठ 4. वीर्यवान 5. प्रभावशाली; उत्साही 6. तीखा। तेजस (सं.) [सं-पु.] तेज; शक्ति। तेजस्विता (सं.) [सं-स्त्री.] तेजस्वी होने का भाव। तेजस्विनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तेज वाली स्त्री 2. महाज्योतिष्मती। [वि.] तेजवाली। तेजस्वी (सं.) [वि.] 1. जो तेजवान हो; प्रतापी; शक्तिशाली 2. प्रभावशाली 3. क्रोधी 4. चमकीला; कांतियुक्त। तेजहीन [वि.] 1. तेज से रहित; कांतिहीन 2. दुर्बल; कमज़ोर। तेज़ाब (फ़ा.) [सं-पु.] एक रासायनिक द्रव जिसमें अन्य वस्तुओं या धातुओं को गलाने की शक्ति होती है; अम्ल; (एसिड)। तेज़ाबी (फ़ा.) [वि.] 1. तेज़ाब संबंधी; तेज़ाब का 2. तेज़ाब से बना हुआ 3. जिसे तेज़ाब से साफ़ किया गया हो 4. जिसमें तेज़ाब मिला हो।। तेजायतन (सं.) [वि.] तेजपुंज; परम तेजस्वी; अति तेजस्वी; प्रभावशाली; प्रतापी। तेज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. तेज़ होने का भाव; गतिशीलता 2. उग्रता; प्रबलता; तीव्रता 3. प्रखरता; तीक्ष्णता; पैनापन 4. शीघ्रता; जल्दी 5. दक्षता; होशियारी 6. अधिक चंचलता या चपलता 7. चलन से अधिक भाव हो जाना; महँगाई; 'मंदी' का विलोम 8. उत्साह; जोश। तेजोद्दीप्त (सं.) [वि.] तेज से परिपूरित; तेजोमय। तेजोमय (सं.) [वि.] 1. तेज से परिपूर्ण; ज्योतिर्मय; ज्योतिमान 2. शक्ति से परिपूर्ण; तेजस्वी। तेजोवलय (सं.) [सं-पु.] तेजोमंडल; तेजपूर्ण आभा। तेजोहत (सं.) [वि.] जिसका तेज नष्ट हो गया हो। तेरस (सं.) [सं-स्त्री.] चंद्रमास के किसी पक्ष की तेरहवीं तिथि; त्रयोदशी। तेरह [वि.] संख्या '13' का सूचक। तेरहवाँ [वि.] 1. किसी क्रम या गिनती में तेरह के स्थान पर आने वाला 2. जिसके पहले बारह हो। तेरहवीं [सं-स्त्री.] (हिंदू धर्म) किसी के मरने की तिथि से तेरहवें दिन किया जाने वाला पिंडदान संस्कार; तेरही; त्र्योदशी; उठावनी; रस्म-पगड़ी। तेरा (सं.) [सर्व.] 1. 'तू' का संबंधकारक रूप 2. मध्यम पुरुष एकवचन संबंधकारक षष्ठी का सूचक सर्वनाम। तेल (सं.) [सं-पु.] 1. किसी तिलहन से निकाला जाने वाला चिकना तरल पदार्थ; चिकनाई 2. विभिन्न वनस्पतियों को पेरकर निकाला हुआ स्निग्ध द्रव। [मु.] -चढ़ना : विवाह से पहले की एक रस्म का होना। तेलंगाना (ते.) [सं-पु.] 1. {शा-अ.} तेलुगूभाषियों की ज़मीन 2. भारत के आंध्रप्रदेश राज्य का एक क्षेत्र जिसे स्वतंत्र राज्य का दर्जा प्राप्त है; भारत का एक राज्य। तेलवाहक (सं.) [सं-पु.] तेल को ढोने वाला वाहन, जैसे- तेलवाहक जहाज़। तेलहन [सं-पु.] वह फ़सल जिसके बीज या दानों से तेल निकलता हो, जैसे- सरसों, तिल, तिसी आदि। तेलिन [सं-स्त्री.] 1. तेली जाति की स्त्री 2. चितकबरे रंग का एक बरसाती कीड़ा। तेलिया [सं-पु.] 1. तेल की तरह का काला और चमकीला रंग 2. उक्त रंग का घोड़ा 3. सींगिया नामक एक प्रकार का विष। [वि.] 1. तेल की तरह काला, चमकीला तथा चिकना पत्थर 2. तेल से युक्त। तेलिया मैना [सं-स्त्री.] मैना जाति की एक चिड़िया, जिसका सारा शरीर बहुत चमकीला, चटकीला और काला होता है; तिलारी। तेली [सं-पु.] 1. तेल पेरने और बेचने का व्यवसाय करने वाली एक हिंदु जाति 2. उक्त पेशे से जुड़ा व्यक्ति। तेलीय [वि.] दे. तैलीय। तेलुगू (सं.) [सं-स्त्री.] भारत में आंध्रप्रदेश राज्य की भाषा; तैलंग क्षेत्र की भाषा। तेलौना [वि.] 1. तेलयुक्त; स्निग्ध 2. जिसमें तेल जैसी गंध या चिकनाहट हो। तेवर1 [सं-पु.] महिलाओं के पहनने के तीन कपड़ों (साड़ी, ओढ़नी और चोली) का समूह। तेवर2 (सं.) [सं-पु.] 1. क्रोधयुक्त भाव; त्योरी 2. भृकुटि; भौंह 3. देखने का ढंग; दृष्टिकोण; नज़रिया 4. तिरछी नजर। [मु.] -चढ़ना : दृष्टि का क्रोधपूर्ण होना। -बदलना : उदासीनता प्रकट करना। तेहरा [वि.] 1. तीन तहों का; तीन परतवाला; तिगुना 2. जो एक साथ तीन हों 3. तीसरी बार किया हुआ 4. तिगुना। तेहराना [क्रि-स.] किसी कार्य को दोहराने के बाद तिहराने की क्रिया। तैंतालीस [वि.] संख्या '43' का सूचक। तैंतीस [वि.] संख्या '33' का सूचक। तैत्तिरीय (सं.) [सं-पु.] 1. 'यजुर्वेद' नामक वेद की एक शाखा 2. उक्त शाखा का एक प्रसिद्ध उपनिषद। तैत्तिरीयारण्यक (सं.) [सं-पु.] तैत्तिरीय शाखा से संबंधित आरण्यक या ग्रंथ जिसमें वानप्रस्थों के लिए उपदेश वर्णित हैं। तैनात (अ.) [वि.] किसी काम पर लगाया या नियत किया हुआ; नियुक्त; मुकर्रर। तैनाती (अ.) [सं-स्त्री.] किसी विशिष्ट कार्य पर लगाए जाने की क्रिया; नियुक्ति; मुकर्ररी। तैयार (अ.) [वि.] 1. कुछ करने के लिए तत्पर या उद्यत; कटिबद्ध; मुस्तैद 2. काम में आने के लायक; ठीक; दुरुस्त; लैस 3. पेश किए जाने योग्य 4. जो बनकर उपयोग के योग्य हो 5. पूरा; संपूर्ण; मुकम्मल 6. स्वस्थ और हृष्ट-पुष्ट; मोटा-ताजा 7. पका हुआ; पक्व; खानेयोग्य 8. मौजूद; प्रस्तुत 9. जिसने कुशलता और दक्षता प्राप्त कर ली हो; अभ्यस्त; साधित 10. सुसज्जित; प्रसाधित 11. पुख़्ता; पक्का 12. सहमत; सन्नद्ध। [मु.] हाथ तैयार होना : किसी काम में कुशल होना। तैयारी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. तैयार होने की क्रिया या भाव 2. वैभव, शोभा, सौंदर्य आदि को दिखाने के लिए की जाने वाली साज-सज्जा 3. निर्माण 4. मुस्तैदी; तत्परता। तैरना (सं.) [क्रि-अ.] 1. पैर, पंख, दुम आदि हिलाते हुए प्राणियों का इस प्रकार पानी में उतरना और चलना कि वे डूबने से बचे रहें 2. पैरना; तरना। तैराई [सं-स्त्री.] 1. तैरने की क्रिया या भाव 2. तैरने का इनाम 3. तैरने या तैराने का पारिश्रमिक। तैराक [सं-पु.] वह व्यक्ति जो तैरना जानता हो। [वि.] तैरने में कुशल; तैरने वाला। तैराकी [सं-स्त्री.] 1. तैरने की क्रिया या भाव 2. तैरने की कला 3. वह प्रतियोगिता जिसमें तैराकों की कुशलता देखी जाती है। तैराना [क्रि-स.] 1. तैरने का कार्य दूसरे से कराना 2. {ला-अ.} किसी धारदार हथियार को शरीर में घुसाना; गोदना; धँसाना। तैल (सं.) [सं-पु.] 1. तिल का तेल 2. सरसों या अन्य तिलहनों का तेल। तैलचित्र (सं.) [सं-पु.] कैनवस या मोटे कपड़े पर तेल मिले हुए रंगों से बनाया गया चित्र जो स्थायी होता है; (ऑयल पेंटिंग) तैल-धान्य (सं.) [सं-पु.] 1. तेल के लिए उगाई जाने वाली फ़सलों का समूह; तिलहन; तेलहन 2. वह धान्य वर्ग जिसमें तिल, अलसी, सरसों, राई, खस और कुसुम आदि सम्मिलित हैं और जिनसे तेल निकलता है। तैलपट (सं.) [सं-पु.] तेल के योग से बना हुआ एक प्रकार का कपड़ा जिससे पानी नहीं रिसता है। तैलाक्त (सं.) [वि.] 1. जिसमें तेल लगा हो; तैलयुक्त 2. तेल से सना हुआ; तेल सोखा हुआ। तैलीय (सं.) [वि.] 1. जिससे तेल निकलता हो; (ऑयली), जैसे- तैलीय त्वचा 2. तेल संबंधी; तिल का। तैश (अ.) [सं-पु.] क्रोध का आवेश; अत्यधिक क्रोध आने पर होने वाला आवेश। तैसा (सं.) [वि.] उस प्रकार का; उस के जैसा ('वैसा' का पुराना रूप)। तैसे [क्रि.वि.] वैसे; उस प्रकार से; उस तरह से। तो (सं.) [अव्य.] उस स्थिति में; तब। [नि.] किसी शब्द पर ज़ोर देने के लिए प्रयुक्त बल सूचक शब्द। तोंद (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पेट का आगे की ओर निकला हुआ या फूला हुआ भाग 2. मोटापे या चरबी के कारण बढ़ा हुआ पेट। तोंदल [वि.] जिसका पेट आगे की ओर निकला हो; तोंदवाला। तोंदियल [सं-पु.] ऐसा व्यक्ति जिसकी तोंद निकली हो। [वि.] तोंदवाला; तोंदल। तोंदी [सं-स्त्री.] नाभि; ढोंढ़ी; टुंड़ी। तोटक (सं.) [सं-पु.] 1. (काव्यशास्त्र) एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में चार सगण होते हैं 2. शंकराचार्य के चार प्रमुख शिष्यों में से एक; नंदीश्वर। तोड़ [सं-पु.] 1. तोड़ने की क्रिया या भाव 2. किसी आक्रमण पर प्रत्याक्रमण या उसका प्रत्युत्तर 3. किसी दाँव या साज़िश की काट 4. दही के छोड़ने या दूध के फटने पर निकला जल 5. किसी के प्रहार, प्रभाव या वार से बचने का उपाय 6. नदी आदि के जल का तीव्र बहाव। तोड़क [सं-पु.] तोड़ने वाला; खंडित करने वाला; ध्वंस करने वाला। तोड़ना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु को आघात करके टुकड़ों में विभक्त करना 2. खंडित करना 3. संबंध-विच्छेद करना 4. बल या प्रभाव कम करना; अशक्त या कमज़ोर करना 5. नियम, परंपरा, आज्ञा आदि का पालन न करना 6. मानसिक रूप से दुर्बल कर देना 7. किसी वस्तु में लगी हुई दूसरी वस्तु को उसके आधार से अलग करना 8. फोड़ना; फुसला लेना 9. दूर करना। तोड़फोड़ [सं-स्त्री.] 1. तोड़ने-फोड़ने की क्रिया या भाव 2. जान-बूझकर किसी वस्तु आदि को नष्ट-भ्रष्ट करना 3. खंडित करना; विखंडन। तोड़मरोड़ [सं-स्त्री.] अपने अनुसार करना या बनाना। तोड़ा [सं-पु.] 1. सोने-चाँदी का चौड़ी ज़ंजीर जैसा आभूषण; (ब्रेसलेट) 2. रुपए-पैसे रखने की थैली 3. भाग; उपविभाग 4. अभाव; तंगी; कमी; घाटा; टोटा; ज़रुरत 5. नदी का किनारा 6. नदी के किनारे पर बालू-मिट्टी से बना मैदान 7. रस्सी या जेवड़ी का टुकड़ा 8. हल की वह लंबी लकड़ी जिसपर जुआ लगाया जाता है; हरिस 9. तोड़कर हटाया गया भाग 10. एक बार में होने वाला नाच का कोई एक हिस्सा 11. किसी वस्तु का ज़रूरत से कम होना; घटती; ऊनता 12. मिसरी के समान साफ़ चीनी 13. तोड़ेदार बंदूक चलाने की नारियल की जटा की सूत से बुनी रस्सी; पलीता; फलीता 14. घमंड; अभिमान। तोड़िया [सं-स्त्री.] पैर में पहनने का ज़ंजीर जैसा एक आभूषण जो सोने, चाँदी आदि का बना होता है; पायल; पाज़ेब। तोड़ी [सं-स्त्री.] 1. सरसों की एक किस्म; तोड़िया 2. स्त्रियों का एक आभूषण। तोतई [वि.] तोते के रंग का। [सं-पु.] तोते जैसा रंग। तोतला [वि.] 1. जो तुतलाकर या अस्पष्ट बोलता हो; तुतलाकर बोलने वाला; तुतला 2. तुतलाने जैसा। तोता (फ़ा.) [सं-पु.] 1. हरे रंग का एक प्रसिद्ध पक्षी जिसकी चोंच लाल रंग की होती है; कीर; सुआ; सुग्गा 2. बंदूक का घोड़ा। [मु.] हाथों के तोते उड़ जाना : बहुत घबरा जाना। -पालना : जान-बूझ कर कोई रोग लगा लेना। तोता-चश्म (फ़ा.) [वि.] 1. तोते की तरह आँख फेर लेने वाला 2. जिसकी आँखों में तोते की तरह लिहाज़ या संकोच न हो 3. बेमुरौवत; बेवफ़ा 4. जिसमें निष्ठा न हो 5. अवसरवादी; दलबदलू। तोतापंखी [वि.] तोते के पंख जैसा हरे रंग का। तोतापरी [सं-पु.] एक प्रकार का आम; आम की एक प्रजाति। तोतारटंत [सं-स्त्री.] 1. तोते की तरह बिना सोचे-समझे रटने की अवस्था या भाव 2. तोते की तरह रटी हुई बात कहने की क्रिया। तोद (सं.) [सं-पु.] 1. तीव्र कष्ट; व्यथा 2. सूर्य 3. शूल; वेदना 4. चलाना; हाँकना। तोदन (सं.) [सं-पु.] 1. पशुओं को हाँकने की छड़ी, चाबुक, कोड़ा या अंकुश 2. व्यथा; त्रास; पीड़ा 3. औषधि में काम आने वाला एक प्रकार का फलदार वृक्ष। तोप (तु.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का बहुत बड़ा अस्त्र जो प्रायः दो या चार पहियों की गाड़ी पर रखा रहता है। तोपख़ाना (तु.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. तोप तथा उससे संबंधित उपकरण रखने या सहेजने का स्थान 2. गोलों और सामान की गाड़ियों आदि सहित युद्ध के लिए सुसज्जित चार से आठ तोपों तक का समूह 3. सेना का एक विभाग जो तोपों से संबंधित होता है; तोपों का एक साथ इकाई के रूप में काम करने का वर्ग; तोप सेना; (आर्टिलरी) तोपगाड़ी (तु.+हिं.) [सं-स्त्री.] वह वाहन जिसपर तोप लादकर ले जाई जाती है। तोपची (तु.) [सं-पु.] 1. तोप से गोला दागने वाला व्यक्ति; गोलंदाज़ 2. तोप सैनिक 3. तोप संचालक। तोपना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु के ऊपर कोई दूसरी वस्तु इस प्रकार रखना कि नीचे वाली वस्तु पूरी तरह ढक या छुप जाए 2. भरना; पाटना। तोपा [सं-पु.] एक टाँके में होने वाली सिलाई। तोबड़ा (फ़ा.) [सं-पु.] मोटे कपड़े, टाट या चमड़े से बनाया गया वह थैला जिसमें चने या भूसी आदि भरकर घोड़े के खाने के लिए उसके मुँह पर बाँध दिया जाता है। [मु.] किसी के मुँह पर तोबड़ा चढ़ाना : बलपूर्वक किसी को बोलने से रोकना। तोम (सं.) [सं-पु.] समूह; राशि; ढेर। तोमर (सं.) [सं-पु.] 1. भाले की तरह का एक प्राचीन अस्त्र 2. क्षत्रिय समाज में एक कुलनाम या सरनेम; तँवर 3. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का छंद जिसमें बारह मात्राएँ होती हैं। तोय (सं.) [सं-पु.] 1. जल; पानी 2. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र। तोयधि (सं.) [सं-पु.] समुद्र; सागर; जलधि। तोयनिधि (सं.) [सं-पु.] तोयधि। तोरई [सं-स्त्री.] एक प्रकार की बेल जिसके फल से सब्ज़ी बनाई जाती है; तुरई। तोरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी भवन या नगर का मुख्य द्वार; विशाल फाटक 2. बंदनवार 3. ऐसी बनावट जिसका ऊपरी भाग अर्द्धगोलाकार और बेलबूटेदार हो; मेहराब 4. ग्रीवा। तोरी [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की बेल जिसके लंबे फलों की तरकारी बनाई जाती है; तुरई; तोरई 2. काली सरसों। तोलक (सं.) [सं-पु.] बारह माशे का वज़न; तोला। तोलन (सं.) [सं-पु.] 1. तौलने की क्रिया; वज़न करना 2. उठाने की क्रिया। [सं-स्त्री.] छत के नीचे सहारा देने के लिए लगाई जाने वाली लकड़ी; थूनी; चाँड़। तोला (सं.) [सं-पु.] 1. तौल करने की एक माप जो बारह माशे या छियानवे रत्ती की होती है 2. एक तोला का बाट 3. वर्तमान में सुनारों द्वारा दस ग्राम को एक तोला माना जाने लगा है। तोशक (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बिछाने का गद्दा 2. दोहरी चादर 3. नारियल जटा या रुई से बनाया गया बिछावन या गद्दा; हलका बिछौना। तोशदान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह झोला या थैली जिसमें मार्ग के लिए यात्री विशेषतः सैनिक अपना जलपान आदि या दूसरी आवश्यक चीज़ें रखते हैं 2. चमड़े की वह पेटी जिसमें सैनिक कारतूस या गोलियाँ रखते हैं। तोशा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह खाद्य पदार्थ जो यात्री मार्ग के लिए अपने साथ रख लेता है; यात्रा आहार; पाथेय 2. खाने-पीने का सामान। तोशाख़ाना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वस्त्रों और आभूषणों आदि का भंडार 2. वह बड़ा कमरा या स्थान जहाँ राजाओं और अमीरों के पहनने के बढ़िया कपड़े, गहने आदि रखे जाते हों। तोष (सं.) [सं-पु.] 1. अघाने या तृप्त होने का भाव; तुष्टि; संतोष; (सोलेस) 2. लिप्सा का अभाव; मन भरने की अवस्था 3. आनंद; प्रसन्नता; ख़ुशी 4. प्रसाद। [अव्य.] अल्प; कम; थोड़ा। तोषक (सं.) [वि.] तृप्त करने वाला; संतुष्ट करने वाला। तोषण (सं.) [सं-पु.] 1. संतुष्ट करने की क्रिया या भाव; तृप्ति 2. संतोष; तोष 3. किसी को तुष्ट करना। [वि.] तृप्त करने वाला; प्रसन्नता देने वाला। तोषणिक (सं.) [सं-पु.] किसी को संतुष्ट करने हेतु दिया जाने वाला धन। [वि.] तोष संबंधी। तोषी (सं.) [परप्रत्य.] संतुष्ट करने वाला; तृप्तिदायक; संतोषप्रद, जैसे- सर्वतोषी, अल्पतोषी। तोहफ़गी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. उत्तमता; उम्दगी 2. भलाई 3. अच्छाई; ख़ूबी। तोहफ़ा (अ.) [सं-पु.] 1. उपहार; सौगात; भेंट; नज़र 2. वरदान; उपायन 3. कोई बहुमूल्य वस्तु; विलक्षण चीज़; अद्भुत पदार्थ। [वि.] 1. उत्तम; नायाब; अच्छा 2. श्रेष्ठ; बढ़िया। तोहमत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मिथ्या दोषारोपण; लांछन 2. इल्ज़ाम; आरोप 3. झूठे आरोप से की गई बदनामी 4. मिथ्या कलंक। तोहमती (अ.) [वि.] दूसरों पर तोहमत या आरोप लगाने वाला; झूठा अभियोग लगाने वाला; मिथ्या दोषारोपण करने वाला; लांछन लगाने वाला। तौंस (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गरमी और धूप के कारण लगने वाली तेज़ प्यास 2. उमस; ताप। तौक (अ.) [सं-पु.] 1. हँसुली नामक गले का आभूषण 2. अपराधियों या पागलों के गले में पहनाया जाने वाला लोहे का भारी वृत्ताकार घेरा 3. कबूतर आदि पक्षियों के गले का हँसुली जैसा प्राकृतिक चिह्न 4. गले में लटकाई जाने वाली चपरास 5. गोल घेरा 6. गुलामी या दासता का जुआ। तौक़ (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. तौक)। तौनी [सं-स्त्री.] छोटा तवा; तवी; तई। तौफ़ीक (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ईश्वर या ख़ुदा का रहम; अनुग्रह; दैवकृपा 2. श्रद्धा; भक्ति 3. शक्ति; सामर्थ्य 4. हौसला; उमंग; हिम्मत 5. संयोग से किसी पदार्थ को सुगमता से प्राप्त कर लेना 6. साधन; उपाय 7. पात्रता; योग्यता। तौबा (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी अनुचित कार्य को भविष्य में न करने की शपथपूर्वक दृढ़-प्रतिज्ञा 2. पछतावा; अफ़सोस 3. किसी चीज़ या काम के प्रति नफ़रत दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द। [मु.] -करना या मचाना : दीनता दिखलाते हुए रक्षा की प्रार्थना करना। -बुलवाना : पूरी तरह से परास्त कर देना। तौर (अ.) [सं-पु.] 1. ढंग; पद्धति; शैली 2. रूप-रंग 3. चाल-ढाल 4. भाँति; तरह 5. व्यवहार; आचरण 6. हालत; दशा। तौर-तरीका (अ.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य को सुचारु रूप से करने का ढंग; तरीका 2. चाल-ढाल; चाल-चलन; बात-व्यवहार। तौरेत (इब.) [सं-पु.] यहूदियों का प्रधान धर्मग्रंथ जो हज़रत मूसा पर प्रकट हुआ था जिसमें सृष्टि और आदम की उत्पत्ति आदि का उल्लेख है। तौल (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ का परिमाण निकालने के लिए उसे तराजू या काँटे अथवा किसी मापक-यंत्र पर चढ़ाने की क्रिया; माप 2. भार; वज़न 3. जाँच की मानक कसौटी 4. {ला-अ.} किसी बात की गंभीरता, महत्व आदि का आनुमान या थाह। [सं-पु.] 1. तराजू 2. तुला राशि। तौलना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु या पदार्थ का परिमाण या मात्रा जानने के लिए तराज़ू पर रखना; वज़न करना 2. जोखना 3. हाथ में उठाकर किसी चीज़ के वज़न का अंदाज़ा लगाना 4. किसी हथियार या बंदूक आदि को चलाने के लिए उसे हाथ में लेकर ऐसी मुद्रा या स्थिति में लाना या संतुलित करके पकड़ना कि वह सही वार कर सके; साधना 5. तुलना करना; मिलान करना 6. {ला-अ.} विचार या मनन करना (किसी विषय में) 7. {ला-अ.} किसी व्यक्ति के मन की थाह लेना; किसी बात के महत्व की कल्पना करना। तौला [सं-पु.] 1. अनाज या गल्ला आदि तौलने वाला व्यक्ति 2. महुए की शराब 3. मटका; मिट्टी का घड़ा। तौलिया (इं.) [सं-पु.] देह, हाथ आदि पोंछने का एक प्रकार का छोटा कपड़ा; अँगोछा। तौहीद (अ.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का मत या विचार जो यह मानता है कि एक ही ईश्वर है; एकेश्वरवाद। तौहीन (अ.) [सं-स्त्री.] अपमान; बेइज़्ज़ती; तिरस्कार; अनादर; अप्रतिष्ठा। त्यक्त (सं.) [वि.] त्यागा या छोड़ा हुआ; परित्यक्त। त्यजन (सं.) [सं-पु.] छोड़ने या त्यागने की क्रिया; त्याग; छोड़ना। त्याग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु के प्रति अपनेपन का भाव छोड़ देना अथवा उस वस्तु के प्रति मोह न रखना; 'ग्रहण' के विपरीत कर्म; उत्सर्ग 2. सांसारिक विषयों और व्यवहारों को छोड़ने का भाव; वैराग्य; विराग 3. स्वार्थ की उपेक्षा 4. किसी महान उद्देश्य के लिए अपना सुख-वैभव छोड़ देना 5. संबंध तोड़ने की क्रिया 6. उदारतापूर्वक दान देना। त्यागना (सं.) [क्रि-स.] 1. त्याग करना; छोड़ना; तजना 2. पृथक करना। त्यागपत्र (सं.) [सं-पु.] अपने पद या कार्य से मुक्त होने के लिए दिया जाने वाला पत्र; इस्तीफ़ा; (रेज़िग्नेशन लैटर)। त्यागी (सं.) [वि.] 1. महान उद्देश्य के लिए सांसारिक सुखों या अपने हितों का त्याग करने वाला 2. त्यागने वाला; छोड़ने वाला 3. जो भोग तथा वासना में लिप्त न हो; विरक्त। [सं-पु.] ब्राह्मण समाज में एक कुलनाम या सरनेम। त्याज्य (सं.) [वि.] त्यागने के योग्य; जिसे त्यागा या छोड़ा जा सके; तजनीय। त्यों (सं.) [क्रि.वि.] 1. वैसे; उस भाँति; उस तरह; उस प्रकार 2. तत्काल; उसी समय। त्योरस [सं-पु.] 1. वर्तमान वर्ष के विचार से बीता हुआ तीसरा वर्ष 2. वर्तमान वर्ष के विचार से आने वाला तीसरा वर्ष। त्योरी [सं-स्त्री.] 1. क्रोध से भृकुटि के ऊपर चढ़ने की स्थिति 2. क्रोध से पड़ी माथे की सिलवटें या बल 3. ललाट की भाव भंगिमा 4. क्रोध भरी दृष्टि 5. भौंह 6. तेवर; निगाह; अवलोकन। [मु.] -चढ़ना या बदलना : क्रोध से माथे में बल पड़ना। त्योहार (सं.) [सं-पु.] 1. प्रतिवर्ष किसी निश्चित तिथि को मनाया जाने वाला कोई धार्मिक या सांस्कृतिक उत्सव; पर्व; (फ़ेस्टिवल) 2. वह दिन या समय जब लोगों द्वारा सामूहिक रूप से उत्सव मनाया जाता है। त्योहारी [सं-स्त्री.] त्योहार के उपलक्ष्य में आश्रितों, छोटों या सेवकों को दी जाने वाली वस्तु। त्यौहार (सं.) [सं-पु.] दे. त्योहार। त्र1 हिंदी वर्णमाला में 'त्+र्' का संयुक्त वर्ण। हिंदी वर्णमाला में इसे 'क्ष' के बाद स्थान दिया गया है। त्र2 (सं.) [परप्रत्य.] 1. रक्षा करने वाला, जैसे- आतपत्र 2. उपकरण या यंत्र या साधन का सूचक, जैसे- खनित्र 3. स्थान विशेष पर आया या लाया हुआ, जैसे- एकत्र, सर्वत्र। त्रय (सं.) [वि] 1. तीन; तीसरा 2. तीन अंशों या रूपोंवाला। त्रयंबक (सं.) [सं-पु.] तीन अंबक या नेत्रों वाला अर्थात शिव; महादेव। त्रयताप (सं.) [सं-पु.] त्रिविध ताप; दैहिक, दैविक और भौतिक ताप। त्रयी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तीन विभिन्न इकाइयों का समूह, जैसे- देवत्रयी, वेदत्रयी, लोकत्रयी 2. दुर्गा 3. बोध; समझ 4. सोमराजी लता। त्रयोदश (सं.) [वि.] तेरह; तेरहवाँ। त्रयोदशाह (सं.) [सं-पु.] मृत्यु के तेरहवें दिन होने वाला कर्मकांड; तेरहवीं। त्रयोदशी (सं.) [सं-स्त्री.] चांद्र मास के किसी पक्ष की तेरहवीं तिथि; तेरस। त्रसन (सं.) [सं-पु.] 1. त्रस्त करने की क्रिया या भाव 2. भय; डर 3. चिंता; व्याकुलता। त्रसरेणु (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) सूर्य की एक पत्नी 2. वायु में उड़ते हुए धूल के वे सूक्ष्म कण जो प्रकाश-किरणों में दिखाई देते हैं। त्रस्त (सं.) [वि.] 1. पीड़ित; जो कष्ट में हो 2. डरा हुआ; भयभीत 3. चकित 4. काँपता हुआ 5. घबराया हुआ। त्राटक (सं.) [सं-पु.] 1. योग के षटकर्मों में से छठा कर्म या साधन 2. हठयोग या योग में दृष्टि तीव्र करने के लिए बिना पलक झपकाए किसी बिंदु पर दृष्टि स्थिर करने की क्रिया। त्राण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी को संकट से मुक्त करने की क्रिया 2. रक्षा; बचाव; परित्राण; हिफ़ाजत 3. भय या चिंता के कारण का निवारण; मुक्ति; राहत 4. जीवन रक्षा 5. बचाव का साधन या उपाय; वह चीज़ जिससे रक्षा हो, जैसे- शिरस्त्राण 6. शरण; आश्रय; सहायता 7. त्रायमाणा नामक लता 8. बख़्तर; कवच। [वि.] जिसकी रक्षा की गई हो। त्रात (सं.) [वि.] 1. जिसे त्राण दिया गया हो; जिसकी रक्षा की गई हो 2. विपत्ति से बचाया हुआ। त्राता (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो त्राण करता हो 2. रक्षा करने वाला व्यक्ति। [वि.] रक्षा करने वाला; बचाने वाला। त्रास (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा भय जिससे अनिष्ट या क्षति की संभावना हो 2. कष्ट; तकलीफ़ 3. मणि नामक रत्न का एक अवगुण। त्रासक (सं.) [सं-पु.] कष्ट या दुख देने वाला व्यक्ति [वि.] 1. त्रास देने वाला; डराने वाला; भयभीत करने वाला 2. कष्ट देने वाला 3. नाशकारी; नाशक 4. हटाने वाला; दूर करने वाला; निवारक 5. शोकपूर्ण। त्रासद (सं.) [वि.] 1. कष्टकारक; पीड़ादायक 2. दुखद। त्रासदी [सं-स्त्री.] 1. ऐसी रचना या नाटक जो दुखांत हो; (ट्रेजडी) 2. किसी के जीवन में घटित कोई अप्रिय और दुखद घटना। त्रासित (सं.) [वि.] डराया हुआ; त्रस्त किया हुआ। त्राहि (सं.) [अव्य.] घोर संकट से बचने के लिए कहा जाने वाला शब्द जिसका अर्थ है- रक्षा करो! बचाओ!। त्राहि-त्राहि (सं.) [अव्य.] 1. आर्तनाद; चीत्कार 2. संकट में लगाई जाने वाली गुहार। [मु.] -करना : रक्षा के लिए पुकारना। त्राहि-माम (सं.) [अव्य.] घोर संकट से बचने के लिए कहा जाने वाला शब्द जिसका अर्थ है- रक्षा करो! बचाओ! मुझे कष्ट से उबारो!। त्रि (सं.) [पूर्वप्रत्य.] 1. तीन; तिगुना 2. तीन अंगो, रूपों, खंड़ो या अवयवोंवाला, जैसे- त्रिदोष, त्रिकाल। त्रिआयामी (सं.) [वि.] तीन आयाम या पक्षवाला। त्रिक (सं.) [सं-पु.] 1. तीन रास्तों के मिलने का स्थान 2. तीन वस्तुओं या चीज़ों का समूह या वर्ग; त्रिफला; त्रिकटु 3. तीन तरफ़ से तीन चीज़ें आकर मिलने की जगह 4. कंधों के बीच का हिस्सा 5. कमर; कटिदेश 6. तीन समुदायों का योग। [वि.] 1. तीन खंड़ों, रूपों या इकाईयोंवाला 2. तिहरा; तिगुना 3. तीन बार होने वाला 4. तीन के समूह में आने वाला। त्रिकाल (सं.) [सं-पु.] 1. काल अथवा समय की तीन अवस्थाएँ (भूत, वर्तमान और भविष्य) 2. दिन के समय की तीन अवस्थाएँ (सुबह, दोपहर और शाम)। त्रिकालज्ञ (सं.) [वि.] तीनों कालों का ज्ञाता, तीनों कालों की बातें जानने वाला। त्रिकालदर्शी (सं.) [सं-पु.] 1. तीनों कालों (वर्तमान, भूत और भविष्य) पर विचार करने वाला या समझने वाला व्यक्ति; त्रिकालज्ञ 2. (पुराण) तीन कालों की बातें देखने वाला 3. सर्वज्ञ। त्रिकुटी (सं.) [सं-स्त्री.] ललाट पर भौहों के मध्य थोड़ा ऊपर का स्थान जहाँ त्रिकूट चक्र की अवस्थिति मानी जाती है। त्रिकूट (सं.) [सं-पु.] 1. तीन शृंगों वाला पर्वत 2. (पुराण) एक पर्वत जिसपर लंका बसी थी। त्रिकोण (सं.) [सं-पु.] 1. तीन कोनों वाला क्षेत्र; त्रिभुज 2. तीन कोनों वाली वस्तु; तिकोन; तिकोना 3. जन्मकुंडली में लग्नस्थान से पाँचवाँ और नौवाँ स्थान 4. तंत्रशास्त्र में योनि 5. (ज्योतिषशास्त्र) मोक्ष-स्थान। त्रिकोणमिति (सं.) [सं-स्त्री.] रेखागणित; ज्यामिति। त्रिकोणाकार (सं.) [वि.] त्रिभुज के आकार का। त्रिकोणात्मक (सं.) [वि.] 1. जो तीन कोण के रूप में हो 2. तीन व्यक्तियों के मध्य पारस्परिक प्रेम-प्रपंच से संबंद्ध; (ट्रैंगुलर)। त्रिकोणीय (सं.) [वि.] तीन कोणोंवाला। त्रिखंड (सं.) [सं-पु.] 1. तीन खंडोंवाला 2. जिसके तीन भाग हो। त्रिगुण (सं.) [सं-पु.] तीन गुणों (सत्व, रज और तम) का समाहार। त्रिगुणात्मक (सं.) [वि.] जिसमें तीनों गुणों (सत्व, रज और तम) का समाहार हो। त्रिचक्री (सं.) [सं-स्त्री.] त्रिचक्रिका; तीन पहियों वाली साइकिल। त्रिज्या (सं.) [सं-स्त्री.] (ज्यामिति) वृत्त के केंद्र से परिधि तक खींची गई सीधी रेखा जो व्यास की आधी होती है त्रिताप (सं.) [सं-पु.] तीन प्रकार के कष्ट- दैहिक, दैविक और भौतिक। त्रिदलीय (सं.) [वि.] 1. तीन दलों से बना हुआ; तीन दलोंवाला 2. तीन दलों से संबद्ध। त्रिदशांकुश (सं.) [सं-पु.] वज्र। त्रिदिवसीय (सं.) [वि.] तीन दिनों तक चलने वाला। त्रिदेव (सं.) [सं-पु.] (पुराण) तीनों देव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश। त्रिदोष (सं.) [सं-पु.] 1. तीनों दोष (वात, पित्त और कफ़) 2. सन्निपात नामक रोग जो इन दोषों के कारण उत्पन्न होता है। त्रिधा (सं.) [वि.] तीन प्रकार का; तीन रूपोंवाला। [अव्य.] तीन रूपों में; तीन प्रकार से। त्रिनयन (सं.) [सं-पु.] शिव; महादेव। [वि.] जिसके तीन नेत्र हों। त्रिनेत्र (सं.) [सं-पु.] शिव; महादेव। त्रिपथगा (सं.) [सं-स्त्री.] तीन धाराओं वाली (आकाश में मंदाकिनी, धरा पर भागीरथी तथा पाताल में भोगवती) गंगा नदी। त्रिपाठी (सं.) [सं-पु.] 1. ब्राह्मण समाज में एक कुलनाम या सरनेम 2. तिवारी; त्रिवेदी 3. तीन वेदों को जानने वाला व्यक्ति। [वि.] तीन वेदों का ज्ञाता। त्रिपाद (सं.) [सं-पु.] तिपाई; त्रिपदिका। [वि.] तीन पैरोंवाला। त्रिपिटक (सं.) [सं-पु.] बौद्धों का मूल ग्रंथ जो तीन पिटकों या भागों (विनय, सुत्त और अभिधम्म) में विभक्त है। त्रिपुंड (सं.) [सं-पु.] तीन आड़ी रेखाओं वाला एक तरह का तिलक जिसे ललाट आदि पर लगाते हैं। त्रिपुर (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) मयासुर नाम के दानव द्वारा निर्मित स्वर्ग 2. बाणासुर। त्रिपुरा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भारत के पूर्वी क्षेत्र का एक प्रांत 2. असम में पूजित कामाख्या देवी की एक मूर्ति। त्रिपुरांतक (सं.) [सं-पु.] शिव; महादेव। त्रिपुरारि (सं.) [सं-पु.] महादेव; शंकर। त्रिपुरासुर (सं.) [सं-पु.] (पुराण) बाणासुर नामक दैत्य का एक नाम। त्रिफला (सं.) [सं-पु.] 1. आँवला, हरड़ और बहेड़ा का समूह 2. उक्त फलों से बनाया जाने वाला प्रसिद्ध औषधीय चूर्ण। त्रिबली (सं.) [सं-स्त्री.] स्त्रियों के पेट पर नाभि के कुछ ऊपर दिखाई पड़ने वाली तीन रेखाएँ। त्रिभंग (सं.) [वि.] 1. तीन स्थानों से झुका हुआ 2. जो तीन स्थानों से टेढ़ा या बल खाया हो। [सं-पु.] खड़े होने की एक मुद्रा जिसमें गरदन, कमर और पैर में कुछ टेढ़ापन रहता है। त्रिभाषासूत्र (सं.) [सं-स्त्री.] शिक्षाशास्त्रियों द्वारा शिक्षा के माध्यमिक स्तर पर लागू करने हेतु सुझाया गया एक फ़ार्मूला जिसमें शिक्षा का माध्यम हिंदी, अँग्रेज़ी और मातृभाषा को रखा गया था। त्रिभुज (सं.) [सं-पु.] 1. तीन भुजाओं का क्षेत्र; त्रिभुजाकार स्थान 2. (ज्यामिति) वह आकृति जिसमें तीन भुजाएँ होती हैं 3. तीन रेखाओं या भुजाओं से घिरा हुआ धरातल 4. त्रिकोण। त्रिभुजाकार (सं.) [वि.] 1. त्रिभुज के आकार का 2. तीन भुजाओंवाला। त्रिभुजीय (सं.) [वि.] 1. तीनों भुजाओं से संबंधित 2. (गणित) त्रिभुज संबंधी। त्रिभुवन (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) तीन लोक- पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल 2. प्रकृति; सृष्टि। त्रिमात्रिक (सं.) [वि.] तीन मात्राओंवाला; प्लुत। त्रिमास (सं.) [सं-पु.] 1. तीन महीने की अवधि 2. वर्ष के तीन महीनों के चार विभागों में कोई एक। त्रिमुखी (सं.) [सं-स्त्री.] बुद्ध की माता; मायादेवी। [वि.] तीन मुख या मुँहवाला। त्रिमुहानी (सं.) [सं-स्त्री.] तीन नदियों, सड़कों या गलियों के मिलने का स्थान। त्रिमूर्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तीन मूर्तियों का समुच्चय 2. ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश तीनों की मूर्ति 3. {ला-अ.} आपस में विशेष रूप से संबंधित तीन लोग। त्रिया (सं.) [सं-स्त्री.] स्त्री; औरत। त्रियाचरित्र (सं.) [सं-पु.] (लोकमान्यता) स्त्रियों द्वारा किसी समय या परिस्थिति विशेष पर की जाने वाली चतुराई या चालाकी। त्रियान (सं.) [सं-पु.] बौद्ध धर्म की तीन शाखाएँ (महायान, हीनयान और मध्यमयान)। त्रियामा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच का समय 2. हल्दी 3. नीलपौधा 4. यमुना नदी 5. काला निसोथ। त्रियाहठ (सं.) [सं-स्त्री.] (लोकमान्यता) स्त्री द्वारा रूठकर की जाने वाली हठ या ज़िद। त्रिरत्न (सं.) [सं-पु.] बौद्ध धर्म में तीन रत्नों बुद्ध, धम्म और संघ का समाहार। त्रिलोक (सं.) [सं-पु.] (पुराण) तीनों लोक अर्थात पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल। त्रिलोकी (सं.) [वि.] तीन लोक अर्थात पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल में रहने वाला; तीनों लोकों में व्याप्त। त्रिलोकेश (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. ईश्वर। त्रिलोचन (सं.) [सं-पु.] शिव; महादेव। त्रिवर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. तीन पदार्थों या चीज़ों का समूह 2. तीन उद्देश्य- धर्म, अर्थ और काम 3. वृद्धि, स्थिति और क्षय 4. तीन गुण- सत्व, रज और तम 5. व्यक्तित्व के तीन भाग- शरीर, प्राण और चेतना 6. तीन देवता- ब्रह्मा, शिव और विष्णु 7. योग के अंग- ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग 8. त्रिफला 9. त्रिकुट। त्रिवाचा (सं.) [सं-पु.] 1. तीन बार कोई बात कहने की क्रिया 2. एक प्रकार की प्रतिज्ञा जिसमें कोई बात तीन बार कह कर शपथ ली जाती है। त्रिविध (सं.) [वि.] तीन प्रकार का; जिसके तीन रूप हों। त्रिवेणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तीन नदियों (गंगा, यमुना और सरस्वती) का मिलन-स्थल; प्रयाग 2. तीन नाड़ियों (इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना) का मिलन-स्थल। त्रिवेदी (सं.) [सं-पु.] 1. तीन वेदों का ज्ञाता 2. ब्राह्मण समाज में एक कुलनाम या सरनेम। त्रिशंकु (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) सत्यव्रत नाम के एक प्रसिद्ध सूर्यवंशी राजा 2. बिल्ली 3. जुगनू 4. एक प्राचीन पहाड़ का नाम 5. पपीहा। [वि.] 1. जो बीच में ही लटका हो 2. जिसमें किसी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हुआ हो, जैसे- त्रिशंकु विधानसभा। त्रिशूल (सं.) [सं-पु.] 1. शिव का अस्त्र 2. लोहे का एक अस्त्र जिसमें तीन नोकदार फल होते हैं। त्रिसंध्या (सं.) [सं-स्त्री.] तीनों संधि काल प्रातः, मध्याह्न तथा सायंकाल। त्रिस्तरीय (सं.) [वि.] तीन स्तरोंवाला। त्रुटि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गलती; कमी 2. भूल; चूक 3. वचन का भंग होना 4. छोटी इलायची का पौधा 5. अंगहीनता 6. कार्तिकेय की एक मातृका 7. संदेह 8. तोड़ने-फोड़ने की क्रिया। त्रुटित (सं.) [वि.] भग्न; खंडित; टूटा हुआ। त्रुटिपूर्ण (सं.) [वि.] जिसमें त्रुटि या कसर हो; दोषयुक्त। त्रेता (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) चार महायुगों में से दूसरा युग; त्रेता युग (राजा दशरथ और राम का शासन इसी युग में था) 2. तीन चीज़ों का समूह। [सं-स्त्री.] 1. तीन प्रकार की कल्पित अग्नियाँ- दक्षिण, गार्हपत्य और आहवनीय 2. जुए आदि में पासे का एक दाँव; तीया। त्रेतायुग (सं.) [सं-पु.] हिंदुओं की शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार चार युगों में से तीसरा युग। त्रैकालिक (सं.) [वि.] 1. भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों कालों में होने वाला 2. त्रिकाल संबंधी 3. त्रिकालवर्ती। त्रैकोणिक (सं.) [वि.] 1. तीनों कोणोंवाला 2. तीन पार्श्ववाला। त्रैत (सं.) [सं-पु.] तीन का समुदाय या समूह। त्रैभाषिक (सं.) [वि.] 1. तीन भाषाओं को जानने वाला 2. तीन भाषाओं के प्रयोग वाला स्थान, काल या देश। त्रैमासिक (सं.) [वि.] 1. तीन महीने में एक बार 2. वर्ष का चौथाई हिस्सा 3. तीन महीनों में होनेवाला 4. हर तीसरे महीने निकलनेवाला 5. तीन महीनों का। त्रैमासिकी (सं.) [सं-स्त्री.] तीन माह के अंतर से वर्ष में चार बार प्रकाशित होने वाली पत्रिका। त्रैलोक्य (सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल लोक 2. इक्कीस मात्राओं का एक छंद। त्रैवार्षिक (सं.) [वि.] 1. तीन वर्षों पर होने वाला 2. तीन वर्षों के अंतराल पर आयोजित 3. तीन वर्ष का। त्रोटक (सं.) [सं-पु.] 1. शृंगार रस प्रधान नाटक का एक भेद जिसमें पाँच, सात, आठ या नौ अंक होते हैं तथा प्रत्येक अंक में विदूषक होता है 2. संगीत में एक प्रकार का राग 3. एक छंद का नाम। त्र्यंबक (सं.) [सं-पु.] शिव; त्रिनेत्र। त्र्यंबकेश्वर (सं.) [सं-पु.] 1. शिव; महादेव 2. एक धार्मिक स्थल। त्र्यक्ष (सं.) [सं-पु.] 1. महादेव; शंकर; शिव; त्रिनेत्र 3. (पुराण) एक दैत्य। [वि.] जिसकी तीन आँखें हो; तीन नेत्रोंवाला। त्र्यक्षर (सं.) [वि.] तीन अक्षरोंवाला। त्वक (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर की खाल; चर्म; त्वचा 2. छिलका 3. पेड़ की छाल; वल्कल 4. पाँच ज्ञानेंद्रियों में से एक त्वचा जो स्पर्श का ज्ञान कराती है 5. दालचीनी; दारचीनी। त्वचा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खाल; चमड़ी; चर्म 2. पेड़ की छाल 3. साँप की केंचुली। त्वचारोग (सं.) [सं-पु.] त्वचा से संबंधित रोग; त्वचा में होने वाला रोग। त्वचारोपण (सं.) [सं-पु.] (चिकित्सा शास्त्र) एक प्रकार की चिकित्सा विधि जिसमें किसी स्थान की ख़राब, जली या घावयुक्त त्वचा के स्थान पर स्वस्थ त्वचा आरोपित कर दी जाती है। त्वचा विज्ञान (सं.) [सं-पु.] त्वचा से संबंधित तथ्यपरक और वैज्ञानिक जानकारी देने वाला शास्त्र। त्वचा विज्ञानी (सं.) [सं-पु.] त्वचा और त्वचा संबंधी तथ्यों की विशेष जानकारी रखने वाला व्यक्ति। त्वचा विशेषज्ञ (सं.) [सं-पु.] त्वचा संबंधी रोग का विशेषज्ञ। त्वचाशोथ (सं.) [सं-पु.] चमड़ी की जलन। त्वचीय (सं.) [वि.] त्वचा संबंधी; त्वचा विषयक। त्वरक (सं.) [वि.] गतिवर्धक; गति बढ़ानेवाला। त्वरा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शीघ्रता; जल्दी 2. तेज़ी; वेग। त्वरित (सं.) [वि.] 1. तीव्र गतिवाला; 2. जल्दी; शीघ्र। [क्रि.वि.] तेजी से; वेग से। त्वष्टा (सं.) [सं-पु.] 1. एक देवशिल्पी; विश्वकर्मा 2. (पुराण) एक प्राचीन वैदिक देवता जो गर्भ में वीर्य का विभाग करते हैं तथा पशुओं और मनुष्यों के शरीर बनाते हैं 3. शिव; महादेव 4. बढ़ई 5. ग्यारहवें आदित्य 6. वृत्रासुर नामक दैत्य के पिता का नाम 7. (विष्णु पुराण) सूर्य के सात सारथियों में से एक। त्वेष (सं.) [सं-पु.] 1. प्रकाशित; दीप्त 2. उत्साह; उमंग 3. भाव का आवेश; आवेग। शब्द कोष का प्राचीन नाम क्या है?शब्दकोश का उदाहरण : द चैम्बर डिक्शनरी । अन्य संदर्भ पुस्तक जिसमें शब्दों के संबंध में विवेचन होता है उसे पर्यायकोश कहते है । इस संदर्भ पुस्तक में, शब्द के समान या समानार्थ (पर्यायवाची एवं कभी - कभी विलोम शब्दों) के एकत्रित समूह होते हैं।
हिंदी का प्रथम शब्दकोश कौन सा है?हिंदी शब्द सागर, हिन्दी भाषा के लिए बनाया गया एक बृहत् शब्द-संग्रह तथा प्रथम मानक कोश है। इसका निर्माण नागरी प्रचारिणी सभा, काशी ने किया था। इसका प्रथम प्रकाशन १९२२-१९२९ के बीच हुआ। यह वैज्ञानिक एवं विधिवत् शब्दकोश मूल रूप में चार खण्डों में बना।
भारत में शब्दकोश का निर्माण कब हुआ?भारत में पुरातनतम उपलब्ध शब्दकोश वैदिक 'निघण्टु' है। उसका रचनाकाल कम से कम ७०० या ८०० ई० पू० है। उसके पूर्व भी 'निघंटु' की परंपरा थी। अत: कम से कम ई० पू० १००० से ही निघंटु कोशों का संपादन होने लगा था।
शब्दकोश को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?शब्दकोश (Shabdkosh) = dictionary
देवनागरी और रोमन लिपि में। एक लाख शब्दों का संकलन।
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