निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये: Show लेखक को कभी-कभी यह लगता था कि कहीं बालगोबिन पागल तो नहीं हो गए हैं क्योंकि वे अपने एकमात्र पुत्र की मृत्यु पर भी शोक मनाने पर आनंद मना रहे हैं तथा अपनी पतोहू को भी रोने के स्थान पर उत्सव मनाने के लिए कह रहे हैं। उन्हें मृत्यु आनंद मनाने का अवसर लगता है। इस दिन आत्मा परमात्मा से मिल जाती है। 368 Views बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी? बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के आश्चर्य का कारण इसलिए थी कि वे अपने नियमों का दृढ़ता से पालन करते थे। वे सुबह मुँह अँधेरे उठते, गाँव से दो मील दूर नदी पर स्नान के लिए जाते थे। वापसी में पोखर के ऊँचे स्थान पर खंजड़ी बजाते हुए गीत गाते थे। यह नियम न सर्दी देखता और न ही गर्मी। वे बिना पूछे न ही किसी की वस्तु छूते और न ही व्यवहार में लाते थे। कई बार तो वे अपने नियमों पर इतने दृढ़ हो जाते कि शौच के लिए भी दूसरों के खेतों का प्रयोग नहीं करते थे। उनकी नियमों पर दृढ़ता ही लोगों के आश्चर्य का कारण बनती थी। 379 Views लेखक को ऐसा क्यों लगता है कि भगत पागल हो गए हैं?लेखक को कभी-कभी यह लगता था कि कहीं बालगोबिन पागल तो नहीं हो गए हैं क्योंकि वे अपने एकमात्र पुत्र की मृत्यु पर भी शोक मनाने पर आनंद मना रहे हैं तथा अपनी पतोहू को भी रोने के स्थान पर उत्सव मनाने के लिए कह रहे हैं। उन्हें मृत्यु आनंद मनाने का अवसर लगता है। इस दिन आत्मा परमात्मा से मिल जाती है।
भगत को संबल लेने का हक क्यों नहीं था?- (ख) 'संबल' का अर्थ है- आश्रय, सहारा भगत जी को संबल लेने का कोई हक नहीं था इसका कारण यह था कि वह यह मानते थे कि साधु को संबल लेने का कोई हक नहीं है। ये स्वाभिमान और विनम्रता को साधुता का प्रमुख गुण मानते थे। किसी से कुछ माँगना अथवा हाथ फैलाना उन्हें गवारा नहीं था। वे गंगा स्नान के लिए पैदल जाते थे।
लेखक ने बाल गोबिन भगत को साधु क्यों कहा है?बालगोबिन भगत कबीर के पक्के भक्त थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और हमेशा खरा व्यवहार करते थे। वे किसी की चीज का उपयोग बिना अनुमति माँगे नहीं करते थे। उनकी इन्हीं विशेषताओं के कारण वे साधु कहलाते थे।
भगत जी कौन सा काम करते थे?बालगोबिन भगत एक गृहस्थ थे लेकिन उनमें साधु संन्यासियों के गुण भी थे। वे अपने किसी काम के लिए दूसरों को कष्ट नहीं देना चाहते थे। बिना अनुमति के किसी की वस्तु को हाथ नहीं लगाते थे। कबीर के आर्दशों का पालन करते थे।
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