लोग लाठी की तरह बंदूक पिस्तौल लिए क्यों घूमते हैं? - log laathee kee tarah bandook pistaul lie kyon ghoomate hain?

उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न होने के कारण यात्रियों पर हमेशा अपनी जान का खतरा बना रहता था । हथियार का कानून न होने के कारण लोग लाठी की तरह पिस्तौल और बंदूक लिए घूमते हैं । डाकू लोग किसी यात्री को देखकर मार डालते थे बाद में देखते थे कि उनके पास कुछ पैसा है या नहीं । निर्जन स्थान पर कोई गवाह भी नहीं मिलता था । इसलिए उस समय तिब्बत में यात्रियों की जान को हमेशा खतरा रहता था ।

विषयसूची

  • 1 डाँड़ा में लोग पिस्तौल लेकर खुले में चलते थे क्यों?
  • 2 जब लेखक चलने लगा तो एक आदमी क्या मॉंगने लगा?
  • 3 किले को परित्यक्त क्यों कहा गया है class 9?
  • 4 तिब्बत में लोग बन्दूक और पिस्तौल लेकर क्यों घूमते थे?
  • 5 थोड्ला क्या है?
  • 6 लेखक भिखमंगे के वेश में क्यों यात्रा कर रहे थे MCQ?
  • 7 नमसे कौन था?
  • 8 किले को क्या कहा गया है?

डाँड़ा में लोग पिस्तौल लेकर खुले में चलते थे क्यों?

इसे सुनेंरोकेंडाँड़ा में आदमी लाठी के स्थान पर बंदूक क्यों रखते हैं? उत्तरः पुलिस व गवाह की कमी और खुफिया विभाग के न होने के कारण यहाँ खून करने पर भी सजा नहीं मिलती। वहाँ हथियार का कानून नहीं है इसलिए लाठी के स्थान पर लोग बंदूक रखते हैं।

जब लेखक चलने लगा तो एक आदमी क्या मॉंगने लगा?

इसे सुनेंरोकेंहमने वह दोनों चिजें उसे दे दीं । शायद उसी दिन हम थोइला के पहले के आखिरी गाँव में पहुँच गए । यहाँ भी सुमित के जान-पहचान के आदमी थे और भिखमंगे रहते भी ठहरने के लिए अच्छी जगह मिली ।

डकैत लूटने से पहले ही आदमी को क्यों मारते थे?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न (ग) डाकू लूटने से पहले आदमी को क्यों मारते हैं? उत्तर: अपने प्राणों की रक्षा के लिए डाकू लूटने से पहले ही आदमी को मार देते हैं।

किले को परित्यक्त क्यों कहा गया है class 9?

इसे सुनेंरोकेंइन किलों में कभी चीनी सेना रहती थी। आज ये किले देखभाल के अभाव में गिरने लगे हैं। कुछ किसानों ने आकर यहाँ बसेरा बना लिया है। इसलिए इन्हें परित्यक्त कहा है।

तिब्बत में लोग बन्दूक और पिस्तौल लेकर क्यों घूमते थे?

इसे सुनेंरोकेंलोगों को डाकुओं का भय बना रहता था। डाकू पहले लोगों को मार देते और फिर देखते की उनके पास पैसा है या नहीं। तथा तिब्बत में हथियार रखने से सम्बंधित कोई क़ानून नहीं था। इस कारण लोग खुलेआम पिस्तौल बन्दूक आदि रखते थे।

फरी कलिङ्पोङ् क्या है?

इसे सुनेंरोकेंवह नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता है। फरी-कलिङ्पोङ् का रास्ता जब नहीं खुला था, तो नेपाल ही नहीं हिंदुस्तान की भी चीजें इसी रास्ते तिब्बत जाया करती थीं। यह व्यापारिक ही नहीं सैनिक रास्ता भी था, इसीलिए जगह-जगह फ़ौजी चौकियाँ और किले बने हुए हैं, जिनमें कभी चीनी पलटन रहा करती थी।

थोड्ला क्या है?

इसे सुनेंरोकेंथोड्ला’ क्या है? (D) एक व्यक्ति का नाम। उत्तर. – एक स्थान।

लेखक भिखमंगे के वेश में क्यों यात्रा कर रहे थे MCQ?

इसे सुनेंरोकेंलेखक भिखमंगे के वेश में क्यों यात्रा कर रहे थे? (क) डाकुओं के डर से (ख) गरीबी के कारण (ग) घर से दूर होने के कारण

ल्हासा की ओर पाठ के अनुसार डाकू पहले आदमी को क्यों मारते थे और उसके बाद लूटते थे?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: (i) उन दिनों तिब्बत में हथियार रखने का कोई कानून नहीं था। वहाँ के लोग लाठी की तरह पिस्तौल, बन्दूक लिए घूमते थे। (ii) डाकुओं का आतंक होने के कारण लोगों को अपनी जान का भय बना रहता था, क्योंकि डाकू पहले किसी को मारते थे, और उसके बाद उसका धन लूटते थे।

नमसे कौन था?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: शेकर विहार की खेती के मुखिया भिक्षु नम्से बड़े ही भद्र पुरुष थे। चूंकि लेखक मुखिया भिक्षु (नम्से) उनसे बहुत प्रेम से मिले। यहाँ एक अच्छा बौद्ध और उसका साथी, दोनों भिखमंगे के वेश में थे, इसलिए उन्हें डाकुओं मंदिर था, जिसमें कंजुर (बुद्धवचन अनुवाद) की हस्तलिखित एक का भय नहीं था।

किले को क्या कहा गया है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. शत्रु से सुरक्षा के लिए बनाए जानेवाले वास्तु का नाम किला या दुर्ग है। इन्हें ‘गढ़’ और ‘कोट’ भी कहते हैं। दुर्ग, पत्थर आदि की चौड़ी दीवालों से घिरा हुआ वह स्थान है जिसके भीतर राजा, सरदार और सेना के सिपाही आदि रहते है।

तिब्बत यात्रा के समय लेखक ने राह दारी मांगने आते व्यक्ति को कितनी चिटें दी थी *?

तिब्बत में इस मार्ग पर यात्रियों के लिए एक-जैसी व्यवस्थाएँ नहीं थीं। इसलिए वहाँ जान-पहचान के आधार पर ठहरने का उचित स्थान मिल जाता था। पहली बार लेखक के साथ बौद्ध भिक्षु सुमति थे।…

पाठविधा
दो बैलों की कथा कहानी
ल्हासा की ओर यात्रा-वृत्तांत
उपभोक्तावाद की संस्कृति निबंध
साँवले सपनों की याद रेखाचित्र

तिब्बत में लाठी की तरह लोग हथियार लेकर क्यों घूमते थे?

तिब्बत की कानून व्यवस्था अच्छी नहीं है। सरकार खुफ़िया विभाग व पुलिस पर अधिक खर्च नहीं करती। हथियार के संबंध में यहाँ कोई कानून नहीं है, इसलिए लोग अपनी सुरक्षा के लिए बंदूक और पिस्तौल लाठी की तरह लेकर घूमते हैं। चूँकि लेखक और उसका साथी, दोनों भिखमंगे के वेश में थे, इसलिए उन्हें डाकुओं का भय नहीं था।

यहाँ लोग लाठी की तरह पिस्तौल बंदूक क्यों रखते हैं?

डाँड़ा में आदमी लाठी के स्थान पर बंदूक क्यों रखते हैं? उत्तरः पुलिस व गवाह की कमी और खुफिया विभाग के न होने के कारण यहाँ खून करने पर भी सजा नहीं मिलती। वहाँ हथियार का कानून नहीं है इसलिए लाठी के स्थान पर लोग बंदूक रखते हैं

तिब्बत में सभी लोग पिस्तौल बंदूक आदि क्यों रखते हैं?

Answer: उस समय तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण, वहाँ के लोग बंदूक और पिस्तौल ऐसे रखते थे जैसे कि लोग लाठी रखते हैं। ऐसे में किसी भी ओर से जानलेवा हमले का खतरा बना रहता था। ... दोबारा से सही रास्ते पर आने में उसे कुछ समय लगा।

कहाँ पर लोग लाठी की तरह पिस्तौल बन्दुक लिए फिरते थे?

प्रशन - तिब्बत में लोग बंदूक या पिस्तौल को लाठी की तरह लेकर क्यों घूमते थे ? उत्तर :- उस समय तिब्बत के पहाड़ों की यात्रा सुरक्षित नहीं थी। लोगों को डाकुओं का भय बना रहता था।