कोयला खाने की आदत कैसे छोड़े? - koyala khaane kee aadat kaise chhode?

बच्चों का जमीन पर लेट कर मिट्टी चाटना, दीवार का प्लास्टर खाना, कोयला, चॉक, माचिस की तीलियां, घड़े या जहां भी मिट्टी दिखे, बस उसे खाने को लालायित हो जाना…।

बच्चों का जमीन पर लेट कर मिट्टी चाटना, दीवार का प्लास्टर खाना, कोयला, चॉक, माचिस की तीलियां, घड़े या जहां भी मिट्टी दिखे, बस उसे खाने को लालायित हो जाना…। यह बच्चों में एक आम समस्या है। ऐसी आदत को चिकित्सा विज्ञान की भाषा में जियोफेगिया कहते हैं। यह पाइका रोग से संबंधित है। पाइका से केवल बच्चे ही नहीं, बड़े भी ग्रस्त होते हैं। खासकर कई महिलाओं को मिट्टी के घड़े का टुकड़ा, कुल्हड़, चॉक आदि छिप-छिप कर खाते देखा जाता है। यह दरअसल, एक रोग है।

क्या है पाइका

बरेली जिला अस्पताल में जनरल फिजिशियन डॉक्टर वागीश वैश्य बताते हैं कि पाइका एक ऐसी बीमारी है, जिसमें ऐसे पदार्थों को खाने की लालसा होती है जो खाने लायक नहीं होते हैं। पाइका एक ऐसे पक्षी का नाम है, जो कुछ भी खा लेता है। उसी के नाम पर इस रोग का नाम रखा गया- पाइका।

समय रहते चेतें

वागीश वैश्य बताते हैं कि यह रोग अधिकतर बच्चों, महिलाओं और किशोरों में होता है। अगर समय रहते इस रोग का उपचार नहीं होता तो यह लंबी उम्र तक बढ़ सकता है। इसमें व्यक्ति का व्यवहार ऐसा हो जाता है कि उसे अखाद्य पदार्थों की आदत पड़ जाती है। बच्चों में मिट्टी खाने की आदत तो होती है, पर इसे महिलाओं में भी इसे देखा जाता है। यह केवल गर्भवती महिलाओं में नहीं बल्कि सामान्य महिलाओं में भी देखी जाती है। इस रोग के पैदा के निम्न कारण हैं :

कुपोषण

जब सही और संतुलित खानपान नहीं हो पाता, तो बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। कुपोषण की वजह से बच्चों और बड़ों दोनों में यह आदत देखने को मिलती है।

पोषक तत्त्वों की कमी

शरीर में आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड की कमी की वजह से भी मिट्टी खाने की तलब होती है। महिलाओं में यह आदत प्राय: इसी वजह से विकसित होती है।

अधिक स्तनपान

कोई भी खानपान अगर संतुलित मात्रा में कराया जाए तो वह नुकसानदेह नहीं होता। लेकिन अगर किसी भी चीज की अति हो जाए तो वह हमेशा नुकसान पहुंचाती है। डॉक्टर वागीश का कहना है कि शिशु को छह महीने तक स्तनपान कराना चाहिए। अगर यह स्तनपान दो साल या तीन साल तक कराया जाता है, तो बच्चा एनिमिक हो जाता है यानी उसमें खून की कमी हो जाती है। एनिमिक होने की वजह से भी बच्चा मिट्टी खाता है।

बीमारियां

कोयला, मिट्टी, चॉक आदि जैसे अखाद्य पदार्थ खाने से आगे चल कर इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं। समय रहते अगर बच्चे या बड़े की मिट्टी खाने की आदत को नहीं छुड़ाया गया, तो उन्हें इसके गंभीर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।

आंतों में रुकावट

अगर कोई महिला या बच्चा लगातार मिट्टी खाता है, तो उसकी आंतों में रुकावट हो जाएगी। इसके अलावा लिवर पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। मिट्टी खाने वाले बच्चों और बड़ों के शरीर में सूजन आने लगती है।

भूख न लगना

मिट्टी खाने की वजह से हमारी पाचन क्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे खाना ठीक से नहीं पच पाता। इसके अलावा भूख लगना या तो बंद हो जाती है या कम हो जाती है।

कमजोरी

मिट्टी खाने की वजह से भूख कम लगेगी तो शरीर में कमजोरी आ जाएगी।

पेट में दर्द

मिट्टी या ऐसे अखाद्य पदार्थ खाने से पेट का पाचन तो बिगड़ता ही है साथ ही पेट में दर्द की समस्या पैदा हो जाती है।

पेट में कीड़े

मिट्टी पेट में जाकर पचती नहीं है। इसकी वजह से पेट में कीड़े होंगे। आप जो भी खाना खाएंगे वह कीड़े खा जाएंगे। इससे बच्चे कमजोर होते चले जाएंगे।

किडनी में पथरी

विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी पानी के अंदर घुलती नहीं है और इसके कंकड़ धीरे-धीरे किडनी स्टोन में बदल जाते हैं।

एनीमिया

शरीर में हिमोग्लोबिन का कम हो जाना एनीमिया कहलाता है। हिमोग्लोबिन कम होने से खून में आॅक्सीजन नहीं जा पाता। इस वजह से एनीमिया हो जाता है।

सावधानियां और उपाय

  • अगर बच्चे या बड़ों में मिट्टी खाने की आदत दिखाई दे रही है तो शुरू में ही डॉक्टर के पास जाकर पोषक तत्त्वों की जांच कराएं।
  • अखाद्य पदार्थों की आदत किसी दूसरी आदत में बदलें।
  • अगर कोई व्यक्ति मिट्टी खाने की आदत का शिकार है, और वह आपकी बात समझ सकता है तो उसे डांट कर या लालच देकर भी यह आदत छुड़ाई जा सकती है।
  • महिलाओं में आयरन और कैल्शियम की कमी है, तो उसे समय रहते पूरा कीजिए।

कोयला खाने की आदत कैसे छोड़े? - koyala khaane kee aadat kaise chhode?

छोटे बच्चों में अक्सर यह आदत देखने को मिलती है जो कोई भी चीज देखी बस मुंह में डाल दी। बस इसी आदत के चलते हुए वे धीरे-धीरे कई बार मिट्टी, चौक या वॉल पेंट खाना भी सीख जाते हैं और इस आदत के कारण उन्हें कहीं बार अपने माता-पिता से डांट भी सुननी पड़ती है। परंतु इसके लिए बच्चों को डांटना या मारना सही उपाय नहीं है बल्कि आप उसे इस बात के लिए प्यार से समझाएं और उसे किसी दूसरे कामों में उलझा कर रखें ताकि उन्हें मिट्टी खाना याद ही ना रहे। परंतु जो बच्चे मिट्टी खाते हैं अक्सर उसके मां-बाप सख्ती से पेश आते हैं क्योंकि मिट्टी खाना (Mitti Khana) गलत आदत के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है जिसके कारण बच्चों में दस्त या उनके पेट में दर्द या कीड़े भी हो सकते हैं। कई बार ज्यादा मिट्टी खाने से बच्चों में स्टोन की भी शिकायत हो सकती है। जाहिर सी बात है इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मां बाप का सख्ती से पेश आना लाजमी है। परंतु आप यह काम बिना शक्ति आजमाएं कुछ घरेलू नुस्खे (Home Remedies for Soil Eating habit) अपनाकर भी कर सकती हैं, जो कि इस प्रकार है:

बच्चों में मिट्टी खाने की आदत छुड़ाने के घरेलू उपाय (Home Remedies for Soil Eating habit in Hindi)

कई बार जब बच्चा गर्भ में होता है तो मां के द्वारा भी मिट्टी या चौक खाने से शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और कुछ बच्चे तो ऐसे होते हैं जो मिट्टी के साथ-साथ इंट, कपड़ा, कोयला, कागज या राख आदि भी खाने लगते हैं। आइये इसके लिए कुछ घरेलू उपाय जाने।

#1. लौंग (Cloves)

लौंग की कुछ कलियों को लेकर पीस लें और फिर पीसी हुई लौंग को पानी में डालकर अच्छे से उबाल ले। बच्चे को दिन में उबालकर एक-एक चम्मच यह लौंग वाला पानी पिलाएं। इससे उसकी मिट्टी खाने की आदत जल्द ही छूट जाएगी।

#2. केला और शहद (Banana and Honey)

अगर आपके बच्चों को मिट्टी खाने की आदत है तो आप इस समस्या को दूर करने के लिए बच्चों को प्रतिदिन एक केला शहद के साथ मिला कर दें। आप पके हुए केले को मैश करके उसमें शहद मिलाकर बच्चों को थोड़ा-थोड़ा अंतराल के बाद खाने को दें। इससे उसका पेट भी पूरा भरा रहेगा और मिट्टी खाने की आदत भी छूट जाएगी।

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#3. अजवाइन (Ajwain)

अजवाइन का इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है और यह बहुत गुणकारी भी होता है। बच्चों में मिट्टी की आदत छुड़ाने के लिए आप प्रतिदिन रात को गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच अजवाइन का चूर्ण बनाकर बच्चे को खिलाएं। अगर बच्चा अजवाइन का चूर्ण ना ले तो आप उसे अजवाइन का पानी भी दे सकती हैं। अगर आप इस प्रक्रिया को 2 से 3 सप्ताह तक जारी रखेंगी तो आपके बच्चे में मिट्टी खाने की आदत जरूर छूट जाएगी।

#4. आम की गुठली (Mango Core)

इसके लिए आप आम की गुठली में से निकलने वाली गिरी का चूर्ण बना ले। फिर इसे पानी में मिलाकर बच्चों को दिन में तीन बार दे। ऐसा करने से आपके बच्चे के पेट के कीड़े भी मर जाएंगे और उसकी मिट्टी खाने की आदत भी छूट जाएगी।

#5. चूर्ण गाय के दूध के साथ (Churn with cow’s milk)

सोया 30 ग्राम, मुर्दासंग 20 ग्राम, शुद्ध गंधक 20 ग्राम, छोटी इलायची के बीज 10 ग्राम, इन सभी को पीसकर और फिर उसको कपड़े से छानकर चूर्ण बना कर रख लें। आप अपने बच्चों को यह चूर्ण 120 मिलीग्राम से 480 मिलीग्राम तक गाय के गर्म दूध के साथ दें। 5 दिनों तक रोजाना तीन बार देने से आमाशय और आंत्र की शुद्धि हो जाएगी और आपका बच्चा मिट्टी खाना छोड़ सकेगा। यहां यह ध्यान दें कि एक साल के बच्चों को गाय का दूध नहीं देना चाहिए।

#6. लोहा व घी (Iron and Ghee)

लोहा धात्री 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम की मात्रा में व समान मात्रा में घी और शहद के साथ मिश्री चूर्ण मिलाकर चटाने से भी बहुत लाभ मिलता है।

#7. इन सब घरेलू नुस्खों के अलावा आप बच्चों की किसी अच्छे से डॉक्टर से भी जांच करवा ले। यह मिट्टी की आदत कई बार बच्चों में पोषक तत्वों की कमी के कारण भी हो सकती है। इसके लिए आप बच्चे को पोषक तत्वों से भरपूर आहार दें ताकि उसके शरीर में कभी किसी भी पोषक तत्व की कमी ना आए।

इसके अलावा आप कुछ जरूरी बातों पर भी ध्यान दें (Necesary things to remember)

  • आप अपने बच्चों को प्यार से समझाएं की मिट्टी खाने से क्या-क्या बीमारियां लग सकती हैं।
  • आप घर में खाने का डिब्बा तैयार करके ऐसी जगह रखे जहां से बच्चा आसानी से उसे ले सके। जब भी उसका मिट्टी खाने का मन करे तो वह उस डब्बे में से खाने की चीज निकाल कर खा सके।
  • यदि बच्चा मिट्टी खाने की आदत छोड़ने की कोशिश करता है तो उसमें उसका पूरा सहयोग करें ना कि उसे बार-बार सजा दे।

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कोयले खाने से क्या बीमारी होती है?

खाना बनाने के लिए लंबे समय तक कोयला, लकड़ी या चारकोल का इस्तेमाल करने से हृदय रोग से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। यह बात एक अध्ययन के बाद सामने आई है। ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने खाना बनाने के लिए इनके स्थान पर बिजली या गैस चूल्हों का प्रयोग करने की सलाह दी है।

कोयला खाने का मन क्यों करता है?

जी हां, प्रेग्‍नेंसी के दौरान कुछ महिलाओं को कोयला खाने का मन करता है. ऐसे में वे द‍िन भर कोयले के बारे में सोचती रहती हैं. ऐसा करीब 25 से 30 फीसदी महिलाओं के साथ होता है. आपको बता दें कि कोयले का इस्‍तेमाल मेडिकल इमरजेंसी में मरीज के शरीर के अंदर से किसी जहरीली चीज को सोखने के लिए किया जाता है.