क्या होता अगर TSH स्तर उच्च है - kya hota agar tsh star uchch hai

थायराइड शरीर का एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैंड है जो तितली के आकार का होता है एवं गले में स्थित है। इसमें से थायराइड हार्मोन का स्राव होता है...

थायराइड क्‍या है

थायराइड शरीर का एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैंड है जो तितली के आकार का होता है एवं गले में स्थित है। इसमें से थायराइड हार्मोन का स्राव होता है जो हमारे मेटाबालिज्म की दर को संतुलित करता है। थायराइड ग्लैंड्स शरीर से आयोडीन लेकर इन्हें बनाते हैं। यह हार्मोन मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने के लिए जरूरी होती हैं। थायराइड हार्मोन का स्राव जब असंतुलित हो जाता है तो शरीर की समस्त भीतरी कार्यप्रणालियां अव्यवस्थित हो जाती हैं। थायराइड दो प्रकार का होता है, पहला हाइपोथायराइड एवं दूसरा हायपरथायराइड।  थाइरॉयड को करना है कंट्रोल तो डाइट में शामिल करें ये आहार

हाइपोथायराइड क्या है 

इसमें थायराइड ग्लैंड सक्रिय नहीं होता जिससे शरीर में आवश्यकतानुसार टी.थ्री व टी. फोर हार्मोन नहीं पहुंच पाता है। इस स्थिति में वजन में अचानक वृद्धि हो जाती है। सुस्ती महसूस होती है। रोजाना की गतिविधियों में रूचि कम हो जाती है। शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम़जोर हो जाती है। पैरों में सूजन व ऐंठन की शिकायत होती है। चलने में दिक्कत होती है। ठंड बहुत महसूस होती है। कब्ज होने लगती है। चेहरा व आंखें सूज जाती हैं। मासिक चक्र अनियमित हो जाता है। त्वचा सूखी व बाल बेजान होकर झड़ने लगते हैं। हमेशा डिप्रेशन में रहने लगता है। रोगी तनाव व अवसाद से घिर जाते हैं और बात-बात में भावुक हो जाते हैं। आवाज रूखी व भारी हो जाती है। यह रोग 30 से 60 वर्ष की महिलाओं को होता है।

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हायपरथायराइड 

इसमें थायराइड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है और टी. थ्री, टी. फोर हार्मोन अधिक मात्रा में निकलकर रक्त में घुलनशील हो जाता है। इस स्थिति में वजन अचानक कम हो जाता है। भूख में वृद्धि होती है। रोगी गर्मी सहन नहीं कर पाते। अत्यधिक पसीना आता है। मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। हाथ कांपते हैं और आंखें उनींदी रहती हैं। निराशा हावी हो जाती है। धड़कन बढ़ जाती है। नींद नहीं आती। मासिक रक्तस्राव ज्यादा एवं अनियमित हो जाता है। गर्भपात के मामले सामने आते हैं। हायपर थायराइड बीस साल की महिलाओं को ज्यादा होता है।

थायराइड रोग के कारण  इन लक्षणों से पता लगाएं कहीं आपको थाइरॉयड तो नहीं?

महिलाएं थायराइड की सबसे ज्यादा शिकार होती हैं। स्थिति यह है कि हर दस थायराइड मरीजों में से आठ महिलाएं ही होती हैं। उनका वेट बढ़ने की एक बड़ी वजह यह भी है। इससे तनाव, अवसाद, नींद ठीक से न आना, कोलेस्ट्रॉल, आस्टियोपोरोसिस, बांझपन, पीरियड का टाइम पर न आना, दिल की धड़कन बढ़ना जैसी परेशानियां सामने आ सकती हैं।

थायराइड में क्या नहीं खाना चाहिए

थायराइड के दोनों प्रकार में ब्लड टैस्ट किया जाता है। ब्लड में टी. थ्री, टी. फोर एवं टी. एस. एच. लेवल में सक्रिय हार्मोंस का लेवल जांचा जाता है। टैस्ट रिपोर्ट्स के अनुसार डाक्टर ट्रीटमेंट करते हैं। अधिकतर रोगियों को उम्र भर दवा खानी पड़ती है, किंतु पहले चरण में उपचार करा लेने से ज्यादा परेशानियां नहीं आतीं। मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। ऐसी चीजें न खाएं जिससे थायराइड से पैदा होने वाली परेशानियां और बढ़ जाएं। इन चीजों से जरा परहेज करें।  थायराइड होने पर भूलकर भी न खाएं ये चीजें, बढ़ जाएगी प्रॉब्लम

1. आयोडीन वाला खाना : चूंकि थायराइड ग्लैंड्स हमारे शरीर से आयोडीन लेकर थायराइड हार्मोन पैदा करते हैं, इसलिए हाइपोथायराइड है तो आयोडीन की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों से जीवनभर दूरी बनाए रखें। सी फूड और आयोडीन वाले नमक को अवॉइड करें।

2. कैफीन : कैफीन वैसे तो सीधे थाइराइड नहीं बढ़ाता, लेकिन यह उन परेशानियों को बढ़ा देता है, जो थायराइड की वजह से पैदा होती हैं, जैसे बेचैनी और नींद में खलल।

3. रेड मीट : रेड मीट में कोलेस्ट्रॉल और सेचुरेडेट फैट बहुत होता है। इससे वेट तेजी से बढ़ता है। थाइराइड वालों का वेट तो वैसे ही बहुत तेजी से बढ़ता है। इसलिए इसे अवॉयड करें इसके अलावा रेड मीट खाने से थाइराइड वालों को बदन में जलन की शिकायत होने लगती है।

4. एल्कोहल: एल्कोहल यानी शराब़, बीयर वगैरा शरीर में एनर्जी के लेवल को प्रभावित करता है। इससे थाइराइड की समस्या वाले लोगों की नींद में दिक्कत की शिकायत और बढ़ जाती है। इसके अलावा इससे ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है।

5. वनस्पति घी: वनस्पति घी को हाइड्रोजन में से गुजार कर बनाया जाता है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल को खत्म करते हैं और बुरे को बढ़ावा देते हैं। बढ़े थाइराइड से जो परेशानियां पैदा होती हैं, ये उन्हें और बढ़ा देते हैं। ध्यान रहे इस घी का इस्तेमाल खाने-पीने की दुकानों में जमकर होता है। इसलिए बाहर का फ्राइड खाना न ही खाएं।

-मीनाक्षी गांधी

यदि TSH बढ़ जाती है कि क्या होता है?

यदि आपका TSH का स्तर 2.0 से ज्यादा है, तो अंडरएक्टिव थायरॉइड यानी हाइपोथायरॉडिज्म बढ़ने का खतरा है। इसमें आपको वजन बढ़ने , थकान , अवसाद और नाखूनों के टूटने जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। जबकि TSH का कम स्तर ओवरएक्टिव थायरॉइड की निशानी है। इसका मतलब ये है कि शरीर में आयोडीन का स्तर बहुत बढ़ गया है।

टी एस एच बढ़ने पर क्या होता है?

हाइपोथाइरॉडड यानी शरीर में टीएसएच अधिक और टी3,टी4 कम होने पर मांसपेशियों में जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है। थाइरॉइड बढ़ने पर गर्दन में सूजन की संभावना बढ़ जाती है। गर्दन में सूजन या भारीपन का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

क्या होगा यदि टीएसएच 100 से अधिक है?

विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर आपका टीएसएच का स्तर 2.0 से अधिक है, तो हाइपरथायरॉयडिज्म बढ़ने का खतरा रहता है, जबकि टीएसएच का कम स्तर अतिसक्रिय थायरॉयड को दर्शाता है। दरअसल, इसका मतलब ये होता है कि शरीर में आयोडीन का स्तर बढ़ गया है।

टी एस एच बढ़ने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

थायरॉइड बढ़ने पर क्या न खाएं?.
आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ कम मात्रा में खाएं या बिल्कुल न खाएं.
जंक फूड न खाएं.
भोजन से पहले पानी या कोई भी ड्रिंक लेने से बचें.