Show बायोप्सी (Biopsy) कैंसर की पुष्टि करने का महत्वपूर्ण तरीका है। बायोप्सी कैंसर के निदान और इलाज दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। कई कैंसर का निदान (diagnosis) और उसका पता बायोप्सी के परिणामों के आधार पर लगाया जाता है, और इन परिणामों के आधार पर ही उपचार के प्रकार भी तय किए जाते हैं। जैसे किस तरह के कैंसर में कौन-सा ट्रीटमेंट प्लान क्रियांवित किया जाएगा। हालांकि, बायोप्सी के बारे में कई गलत धारणाएं और मिथक हैं, जो रोगियों को इस प्रक्रिया का लाभ उठाने से रोकते हैं, इसलिए बायोप्सी को लेकर लोगों के मन से इन मिथकों को दूर करना अत्यंत आवश्यक है। बायोप्सी क्या है? बायोप्सी एक मामूली सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें शरीर के प्रभावित हिस्सों से कोशिकाओं या ऊतकों का एक नमूना (सैंपल) लेकर माइक्रोस्कोप के जरिए उसकी जांच कर कैंसर की उपस्थिति का पता लगाया जाता है। और जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं, उपचार की प्रतिक्रिया निर्धारित करने के लिए भी इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर बायोप्सी करने की सलाह तब दी जाती है जब किसी शारीरिक परीक्षण या अन्य परीक्षणों के दौरान कुछ भी संदिग्ध दिखाई देता है, या यदि रोगी के लक्षण कैंसर के बढ़ने की संभावना का संकेत देते हैं। कैंसर के अध्ययन के अलावा, बायोप्सी कई अन्य स्थितियों, जैसे संक्रमण, सूजन, या किसी भी ऑटोइम्यून बीमारी को निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं। अलग-अलग उद्देश्यों और इसे करने की तरीकों के आधार पर बायोप्सी के कई प्रकार हैं। जिनमें एक्सीजनल (excisional) और इनसीजनल (incisional), नीडल बायोप्सी (needle biopsy), स्केलपेल बायोप्सी (scalpel biopsy) और लिक्विड बायोप्सी (liquid biopsy) शामिल हैं। बायोप्सी के बारे में मिथक और तथ्य : चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, बायोप्सी की संख्या में वृद्धि हुई है और यह प्रक्रिया रेडियोलॉजिस्ट या सर्जन द्वारा बड़े पैमाने पर की जाती है। हालांकि, यह 90% से अधिक मामलों के निदान (diagnosis) के लिए सबसे बेहतर माना जाता है, फिर भी प्रक्रिया से जुड़े कई मिथकों के कारण, बायोप्सी के बारे में मरीजों के मन में हमेशा संदेह रहता है। मिथक: बायोप्सी एक खतरनाक ऑपरेशन है तथ्य: आम तौर पर, सभी सर्जरी और दवाएं कुछ जोखिम भरी होती हैं, लेकिन बायोप्सी एक साधारण प्रक्रिया है और ज्यादातर बायोप्सी में ज्यादा जोखिम नहीं होता है। फायदे के लिए जोखिम उठाना कोई बड़ी बात नहीं है, और बायोप्सी में अधिकांश रोगियों को इस जोखिम से लाभ ही मिलता है। बायोप्सी कोई खतरनाक ऑपरेशन नहीं है, लेकिन सभी सर्जरी की तरह इसमें भी मामूली-सा खतरा होता है। बायोप्सी शायद ही कभी खून, संक्रमण, और निशान का कारण होता है। हालांकि, ये जोखिम ऊतकों के इकठ्ठे होने की जगह, बायोप्सी के प्रकार और पहले से अन्य बिमारियों की स्थितियों पर आधारित होते हैं, जिनसे रोगी पीड़ित होता है। मिथक: बायोप्सी से कैंसर फैलता है तथ्य: कई सालों से, रोगियों और यहां तक कि कुछ चिकित्सकों का मानना था कि बायोप्सी के बाद कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकती हैं। हालांकि, इस धारणा को मानने के लिए पर्याप्त उपयुक्त साइंटिफिक एविडेंस (वैज्ञानिक सबूत) नहीं हैं। जबकि कुछ मामलों में ऐसा पाया गया कि दुर्लभ केस में ऐसा हो सकता है। सैंपल कलेक्शन के दौरान कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाकर इसको प्रभावी ढंग से टाला जा सकता है। इस धारणा को दूर करने के लिए, जैक्सनविले, फ्लोरिडा में मेयो क्लिनिक के परिसर में शोधकर्ताओं द्वारा एक अध्ययन किया गया था। अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला कि जिन रोगियों की बायोप्सी हुई थी, उन रोगियों में बेहतर परिणाम और लंबे समय तक जीवित रहने की दर थी जबकि जिन्होंने बायोप्सी के लिए मना कर दिया था उनमें परिणाम और लंबे समय तक जीवित रहने की दर कम पाई गई थी। मिथक: बायोप्सी कैंसर के स्टेज को बढ़ा सकती है तथ्य: अभी तक इसका कोई सबूत नहीं है कि नीडल बायोप्सी (needle biopsy) कैंसर के स्टेज को बढ़ा सकती है। तथ्यों के आधार पर, इस प्रक्रिया में बायोप्सी नीडल की वापसी के दौरान ट्यूमर कोशिकाएं बायोप्सी नीडल के माध्यम से आसपास की त्वचा और नरम ऊतकों में फैल सकती है। हालांकि, व्यावहारिक रूप से, इसकी संभावना काफी कम होती है और इसका रोगी के उपचार के परिणाम पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है। बायोप्सी सटीक स्टेजिंग और उचित ट्रीटमेंट प्लान से रोगी को कई तरह से लाभ पहुंचा सकती है। इस प्रक्रिया के जोखिमों और परेशानी के बारे में इच्छुक मरीजों को इस बात का भरोसा दिलाया जा सकता है कि ऐसा होने पर भी, इसका आपके ट्रीटमेंट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, और बीमारी के वापस आने का खतरा काफी कम है। इसके लाभ आपके जोखिम को कम करते हैं। मिथक: कैंसर के इलाज के लिए बायोप्सी जरूरी नहीं है तथ्य: 90% से अधिक कैंसर में उपचार पर विचार करने से पहले बायोप्सी की पुष्टि ज़रूरी है। पोस्टऑपरेटिव (ऑपरेशन के बाद) सर्जिकल बायोप्सी कैंसर की स्टेज और उसकी सीमा के बारे में जानकारी देता है, जो कैंसर ट्रीटमेंट प्लान में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और किए गए ट्रीटमेंट की प्रतिक्रिया भी देता है। विशेष रूप से ऐसे मामलों जिनमें एक अंग से दूसरे अंग में कैंसर के फैलने के आसार होते हैं (मेटास्टेटिक), बायोप्सी के सैंपलों को टारगेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी जैसी विकसित थेरेपी की भूमिका को देखने के लिए आणविक अध्ययन (Molecular Testing) किया जाता है। टारगेटेड थेरेपी कैंसर के लिए एक प्रभावी उपचार विकल्प है। इस थेरेपी में कैंसर की शुरूआत और विकास में शामिल विशिष्ट जीन और प्रोटीन को सटीक रूप से टारगेट करने के लिए दवाओं या अन्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है। यहाँ, बायोप्सी टारगेट करने के लिए विशिष्ट अणुओं की पहचान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त, कुछ प्रकार की बायोप्सी, जैसे कि लिक्विड बायोप्सी का उपयोग उपचार के लिए ट्यूमर की प्रतिक्रिया का आकलन करने, कैंसर की पुनरावृत्ति के बारे में प्रारंभिक जानकारी प्रदान करने और उपचार प्रतिरोध के कारणों को निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है। मिथक: बायोप्सी में हमेशा अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है तथ्य: अधिकांश बायोप्सी में एक छोटी सी प्रक्रिया या ऑपरेशन किया जाता है किया जाता है और इसके लिए उस जगह को सुन्न किया जाता है (लोकल एनेस्थीसिया), इसके लिए आपको अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं है, आप आकर अपनी सर्जरी कराएं और वापस घर जा सकते हैं। हालांकि, कुछ बायोप्सी जिसमें आंतरिक अंगों से ऊतकों के सैंपल को एकत्र किया जाता है, जैसे कि लीवर या किडनी, उनमें मरीज को बेहोश करने की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे मामलों में, रोगी को एनेस्थीसिया के प्रभाव से बाहर आने के लिए अस्पताल में रात भर रहने की ज़रूरत हो सकती है। किसी भी हेल्थकेयर सेक्टर में बोली गई, लिखी गई और सुनी-सुनाई बातें बहुत आम होती है। इन मिथकों को दूर करने का एकमात्र तरीका यही है कि हेल्थकेयर टीम को रोगियों को अपनी चिंताओं के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए है, जो उन्हें मजबूत साइंटिफिक एविडेंस (वैज्ञानिक सबूत) के आधार पर सही और निष्पक्ष जानकारी दे सकें। स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को अपने हेल्थकेयर सेट-अप में रोगी की शिक्षा और परामर्श सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए भी पहल करने की आवश्यकता है। क्या बायोप्सी के बाद कैंसर ज्यादा फैलता है?लोगों में यह भ्रांति है कि बायोप्सी से कैंसर अधिक फैलता है। ऐसा बिलकुल नहीं होता, बल्कि बायोप्सी से यह पता चल जाता है कि कैंसर है या नहीं।
क्या बीओप्सी से कैंसर फैलता है?मिथक: बायोप्सी से कैंसर फैलता है
तथ्य: कई सालों से, रोगियों और यहां तक कि कुछ चिकित्सकों का मानना था कि बायोप्सी के बाद कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकती हैं। हालांकि, इस धारणा को मानने के लिए पर्याप्त उपयुक्त साइंटिफिक एविडेंस (वैज्ञानिक सबूत) नहीं हैं।
बायोप्सी के बाद क्या होता है?बायोप्सी होने के बाद आपको आमतौर पर कोई दर्द महसूस नहीं होगा। हालांकि यदि मुख्य अंग जैसे लीवर या अस्थि मज्जा से ऊतक का नमूना लिया गया हो तो आपको हल्का दर्द महसूस हो सकता है। आपके डॉक्टर या सर्जन आपको दर्द निवारक दवाएं लेने की सलाह देंगे। के दौरान, तो घाव को बंद करने के लिए टांके लगवाने या ड्रेसिंग की जरूरत पड़ सकती है।
बायोप्सी टेस्ट से क्या पता चलता है?स्किन की बायोप्सी तीन प्रकार की होती है। आपके घाव, त्वचा संबंधित समस्या और स्थान एक असामान्य वृद्धि या स्किन का क्षेत्र) के आधार पर डॉक्टर यह निर्धारित करता है कि आपको कौन सी स्किन बायोप्सी करवानी है. पंच बायोप्सी (Punch biopsy) :- पंच बायोप्सी में एक उपकरण की मदद से स्किन का एक छोटा, गोलाकार नमूना निकाला जाता है।
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