कृति पूर्ण करो : Show
Concept: पद्य (8th Standard) Is there an error in this question or solution? My Profilewhy create a profile on
Shaalaa.com? इसे सुनेंरोकेंजो मनुष्य जिस देश में जन्म लेता है उस पर उस देश की मिट्टी का ऋण होता है। उसका शरीर उस देश का अन्न खा कर, उस देश की वायु में श्वास लेकर तथा उस देश का जल पीकर वृद्धि को प्राप्त होता है। मातृभूमि से हमें क्या मिलता है प्रश्न संख्या 12 के आधार पर बताइए? इसे सुनेंरोकेंभारत हमारी मातृभूमि है। यह हमारी मां के समान है और हमें
प्राण से भी प्रिय है। हमें अपने भारत पर गर्व है। साथ ही ऐसे देश का नागरिक होना अपने आप में गौरवान्वित करता है। हम अपनी मातृभूमि को खुशहाल कैसे रख सकते है? इसे सुनेंरोकेंमातृभूमि हमारी माँ के सामान जिसकी रक्षा करना हमारा परम् कर्त्तव्य है। हम माँ सामान मातृभूमि के आँचल में पले बड़े है उसके सम्मान में हम भारतवासी जितना अधिक करे उतना कम है। क्यों की माँ का कर्ज़ा हम कभी नहीं चूका सकते। अपनी मिटटी की सौंधी खुशबु किस को नहीं पसंद। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए आप क्या क्या करना चाहेंगे?इसे सुनेंरोकेंजिससे हमारा जीवन बनता है। अपनी के कर्ज को चुकाना हमारा फर्ज है। गोमाता हमें जीवन भर दूध पिलाती है उसकी सेवा करना हमारा धर्म है। हमारी मातृभूमि की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। मातृभूमि से हमें क्या मिलता है? इसे सुनेंरोकेंमातृभूमि हमें अपने मातृत्व की छाया में बड़ा करती है और कई प्राकृतिक विपत्तियों से हमारी रक्षा करती है। माँ का स्थान सबसे सर्वोच्च है जिसे हम बयांन नहीं कर सकते है। मातृभूमि की जगह हमारे मन में बसी हुई है। चाहे परस्थिति हमे कितना भी दूर करे लेकिन हम फिर अपने माँ के आँचल में समां जाते है। कवि अपनी मातृभूमि को अपना सब कुछ समर्पित क्यों करना चाहता है? इसे सुनेंरोकेंकवि मातृभूमि के लिए तन-मन-प्राण सब कुछ समर्पित करना चाहता है। वह अपने मस्तक, गीत तथा रक्त का एक-एक कण भी अपने देश की धरती के लिए अर्पित कर देना चाहता है। कवि अपने गाँव, द्वार-घर-आँगन आदि सभी के प्रति अपने लगाव को छोड़कर मातृभूमि के लिए सर्वस्व प्रदान करना चाहता है। इसलिए वह इन सभी से क्षमा याचना करता है। १ हमारे ऊपर अपनी मातृभूमि का क्या क्या ऋण हो सकता है?इसे सुनेंरोकेंहमारी मातृभूमि का सबसे बड़ा ऋण तो ये है कि हमने उसकी गोद में जन्म लिया। वो देश जिसमें हमने जन्म लिया वो हमारी मातृभूमि कहलाती है। उस मातृभूमि ने हमें इतना कुछ दिया। हम इसकी मिट्टी में पले-बढ़े, शिक्षा-दीक्षा ली, यहीं पर हम सभ्य और संस्कारी बने।
प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. मातृभूमि अनुवर्ती कार्य: प्रश्न 1. जन्मभूमि से कवि का बचपन का संबंध व्यक्त करते हुए कवि कहते हैं कि इसके धूली में लोट-लोटकर बडे हुए है। इसी भूमि पर घुटनों के बल पर सरक सरक कर ही पैरों पर खड़ा रहना सीखा। यहाँ रखकर ही बचनप में उसने श्रीरामकृष्ण परमहंस की तरह सभी आनंद पाया। इसके कारण ही उसे धूली भरे हीरे कहलाये। इस जन्मभूमि के गोदी में खेलकूद करके हर्ष का अनुभव किया है। एसी मातृभूमि को देखकर हम आनंद से मग्न हो जाते हैं। कवि कहते हैं – जो सुख शाँती हमने भोगा है, वे सब तुम्हारी ही देन है। तुझसे किए गए उपकारों का बदला देना आसान नहीं है। यह देह तेरा है, तुझसे ही बनी हुई है। तेरे ही जीव-जल से सनी हुई है। अंत में मृत्यु होने पर यह निर्जीव शरीर तू ही अपनाएगा। हे मातृभूमि। अंत में हम सब तेरी ही मिट्टी में विलीन हो जाएगा। सरल शब्दों में कवि मातृभूमि केलिए अपनी जान अर्पित करने की प्रेरणा देती है। आधुनिक समाज में देशप्रेम की ज़रूरत बड़ते जा रहे हैं। आतंकवाद, सांप्रदायिकता आदि को रोकने केलिए देशप्रम की ज़रूरत हैं। मातृभूमि कविता पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखें। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. Plus Two Hindi मातृभूमि Questions and Answersसूचनाः निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें। नीलांबर परिधान हरित तट पर सुंदर है। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. सूचनाः निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें। पाकर तुझसे सभी सुखों को हमने भोगा। प्रश्न 1. प्रश्न 2 प्रश्न 3. प्रश्न 4. मातृभूमि के महत्व के बारे में याद करते हुए गुप्तजी कह रहे हैं आज तक जिन सुखों को हमने प्राप्त किया है, वह मातृभूमि का देन है। कवि कह रहे हैं, मातृभूमि माँ जैसी है। ऐसी मातृभूमि का प्रत्युपकार कभी भी हमसे नहीं हो सकता। हमारा शरीर जो है, तुम्हारी मिट्टी से बनी हुई है। तेरे ही जीव-जल से सनी हुई है। तुझसे किए गए उपकारों का बदला देना आसान नहीं है। सरल शब्दों में कवि मातृभूमि के लिए अपनी जान अर्पित करने की प्रेरणा दे रही है। कविता की भाषा एवं भाव अत्यंत सरल एवं सारगर्भित है। सूचनाः निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें। नीलंबर परिधान हरित पट पर सुंदर है। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. इस कवितांश में तत्सम शब्दों को इस्तेमाल किया है। प्रकृति, देशप्रेम आदि के प्रमुखता है। आज भी प्रासंगिकता रखते हैं यह छात्रानुकूल कविता। सूचनाः निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें। पाकर मुझसे
सभी सुखों को हमने भोगा। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रस्तुत कवितांश में मातृभूमि के विशेषतायें व्यक्त करते हैं। हमारा सभी सुखों का कारण मातृभूमि है। हमारा यह शरीर भी इस पृथ्वी से मिला है। हमें जीवन दिया है और मृत्यु के बाद वापस स्वीकार करेगा। इसलिए कवि के विचार में मातृभूमि का प्रत्युपकार करना असंभव है। यह छात्रानुकूल और प्रासंगिक कविता से कवि हमारे मन में देशप्रेम, प्रकृति से अटुट संबंध आदि दिखाते हैं। खड़ीबोली के साथ-साथ तत्सम शब्द भी यहाँ प्रयुक्त हुआ है। सभी नागरिकों को जागरित करने केलिए कविता सफल है। मातृभूमि कवि का परिचय – मैथिली शरण गुप्त मैथिली शरण गुप्त राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त का जन्म उत्तर प्रदेश के चिरगांव में 1885 में हुआ। भारतीय पुराणों में उपेक्षित कथा प्रसंग एवं पात्रों को लेकर युगानुरूप काव्य उन्होंने लिखे। साकेत, यशोधरा, जयद्रध वध आदि उनकी प्रमुख रचनाएँ है। मातृभूमि गुप्तजी की प्रमुख कविता है। इसमें कवि ने मातृभूमि को हमारी जननी के स्थान देकर उसकेलिए अपने जीवन अर्पित करने का आह्वान करती है। मातृभूमि Summary in Malayalamमातृभूमि Glossary Plus Two Hindi Textbook Answersकवि मातृभूमि के लिए क्या करना चाहता है?कवि मातृभूमि के लिए अपना तन, मन, जीवन, अपने गान, प्राण, रक्त का प्रत्येक कण, अपने स्वपन, प्रश्न, आयु का प्रत्येक क्षण, सुमन, चमन और अपने नीड़ का प्रत्येक तृण भी अर्पित करना चाहता है। अर्थात वह सर्वस्व अर्पित करना चाहता है।
मातृभूमि कविता में कवि क्या कामना करते है?कवि की कामना है कि वे सदा मातृभूमि की सेवा करते रहें और खुशी-खुशी देशहित में अपने प्राण निछावर कर दें। कवि कहते हैं, हे मातृभूमि, मैं तेरे चरणों में अपना सिर झुकाता हूँ। मैं अपनी भक्ति रूपी भेंट लेकर तेरी शरण में आना चाहता हूँ।
कवि ने मातृभूमि के लिए क्या समर्पित करने का आह्नवान किया है?उत्तर: 'समर्पण' कविता में कवि मातृभूमि को अपना सर्वस्व और सारा जीवन न्योछावर कर देना चाहता है। वह अपना मन, शरीर और जीवन समर्पित करना चाहता है। वह अपने प्राण तथा शरीर के रक्त को एक-एक कण भी समर्पित करने को तैयार है।
आप अपनी मातृभूमि के लिए क्या क्या करेंगे?अपनी के कर्ज को चुकाना हमारा फर्ज है। गोमाता हमें जीवन भर दूध पिलाती है उसकी सेवा करना हमारा धर्म है। हमारी मातृभूमि की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
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