Solutions For All Chapters Aroh Class 12 Show पाठ के साथप्रश्न 1. उत्तर: धाक-धिना, तिरकट तिना – दाँव काटो, बाहर हो जाओ। प्रश्न 2. उत्तर: प्रश्न 3. उत्तर: प्रश्न 4. उत्तर: प्रश्न
5. उत्तर प्रश्न 6. उत्तर: प्रश्न 7. उत्तर: (ख) कुश्ती की जगह अब अनेक आधुनिक खेल प्रचलन में हैं; जैसे-क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन, टेनिस, शतरंज, फुटबॉल आदि। (ग) कुश्ती को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर कुश्ती की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जा सकती साथ-साथ पहलवानों को उचित प्रशिक्षण तथा कुश्ती को बढ़ावा देने हेतु मीडिया का सहयोग लिया जा सकता है। प्रश्न 8. उत्तर: प्रश्न 9. उत्तर: औधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी। पाठ के आसपासप्रश्न 1. उत्तर:
प्रश्न 2. उत्तर: भाषा की बातप्रश्न 1.
पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली सूची प्रश्न 2.
उत्तर: प्रश्न 3. उत्तर:
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरप्रश्न 1. उत्तर: प्रश्न 2. उत्तर: प्रश्न 3. उत्तर: प्रश्न 4. उत्तर: प्रश्न 5. उत्तर: प्रश्न 6. उत्तर: प्रश्न 7. उत्तर: प्रश्न 8. उत्तर: प्रश्न 9. उत्तर: प्रश्न 10. प्रश्न 4 गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा?गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल इसलिए बजाता रहा ताकि वह अपनी हिम्मत न टूटने का पता लोगों को दे सके। वह अंतिम समय तक अपनी बहादुरी और दिलेरी का परिचय देना चाहता था। ढोल के साथ उसके हृदय का नाता जुड़ गया था।
महामारी फैलने के बाद गांव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता है?महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय होते ही लोग काँखते-कूँखते-कराहते अपने-अपने घरों से निकलकर अपने पड़ोसियों और आत्मीयों को ढाढ़स देते थे। वे बचे रह गए लोगों को रोकर दु:खी न होने को कहते थे। सूर्यास्त होते ही लोग अपनी-अपनी झोंपड़ियों में घुस जाते थे और चूँ तक न करते थे।
गाँव वालों की प्रताड़ना के कारण लुट्टन क्या बन गया?प्रश्नों के सामने दर्शाये गये अंक पूर्णाक के द्योतक हैं।
10 लुट्टन पहलवान ने ढोल को अपना गुरु क्यों कहा?ढोल से निकली <br> हुई ध्वनियाँ उसे दाँव-पेच सिखाती हुई और आदेश देती हुई प्रतीत होती थी। जब ढोल पर थाप पड़ती थी तो <br> पहलवान की नसें उत्तेजित हो जाती थी वह लड़ने के लिए मचलने लगता था। इसलिए लुट्टन पहलवान ने <br> ऐसा कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है।
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