कश्मीर भारत का अंग कैसे बना? - kashmeer bhaarat ka ang kaise bana?

12 अप्रैल को कश्मीर घाटी के हंदवाड़ा क्षेत्र में अफ्फाह उड़ी किसी सैनिक ने कश्मीरी नाबालिग लड़की को छेड़ दिया है कुछ मिनटों में बड़े सुनियोजित ढंग से भीड़ इक्कठी हो कर विरोध प्रदर्शन एवं पुलिस पर पथराव करने लगी |विषय इतना गरमा गया कश्मीर घाटी में जगह – जगह प्रदर्शन और हिंसक झड़पें होने लगीं |अलगाववादियों ने बंद का आह्वान किया | इसी बीच लड़की ने पुलिस के सामने ब्यान दिया वह अपनी मित्र के साथ सार्वजनिक शौचालय गई थी जैसे ही बाहर निकली दो स्थानीय लड़के उससे छीना झपटी करने और पर्स छीनने लगे एक लड़के ने स्कूल यूनिफार्म पहनी थी |लडकी के ब्यान को दबाब में दिया जाने वाला ब्यान कहा , मानवाधिकार संगठनों ने भी पुलिस स्टेशन में लिए ब्यान पर एतराज किया| लड़की का ब्यान दुबारा मैजिस्ट्रेट के सामने ब्यान कलम बंद हुआ यह ब्यान देने वह अपने पिता के साथ गयी थी दोनों बयानों में कोई अंतर नहीं था | यह जानबूझ कर सेना को बदनाम करने की साजिश थी लड़की तो एक बहाना थी , एक लड़का पकड़ा गया दूसरे की तलाश जारी है लड़की की सुरक्षा की किसी को चिंता नहीं है लेकिन अलगाव वादियों को यह राजनीतिक सुअवसर जान पड़ा |काफी समय स्थानीय लोग से वहाँ स्थित सेना के बंकर हटवाना चाह रहे थे जबकि यह सेना के महत्व का है भीड़ ने उसको तोड़ने की कोशिश भी की |कश्मीर में अफ्फाहें उड़ाना उसने बाद प्रदर्शन करना आम बात है | कश्मीर में आई बाढ़ के समय सेना हर काश्मीरी को बाढ़ क्षेत्र से निकाल करसुरक्षित स्थनों पर ले जा रही थी यही नहीं अलगाव वादी क्षेत्रों में भी सेना ने उनकी मदद की लेकिन तब भी शिकायत थी सेना बाहरी लोगों और ख़ास लोगों की मदद कर रही है | अलगाववादी आर्म फ़ोर्स स्पेशल एक्ट का विरोध करते हैं तथा घाटी से सेना हटवाना चाहते हैं | इसलिए सेना पर अक्सर आरोप लगाते रहते हैं |मुख्य मंत्री महबूबा मुफ़्ती ने लोगों से शान्ति की अपील की इस झगड़े में पांच लोग मारे गये प्रतिदिन घुसपेठिये घाटी में घुसने की कोशिश करते है उनके लिए सेना सतर्क है यदि भारत सरकार सतर्कता न बरते पूरी घाटी बाहर से आये आतंकवादियों का स्वर्ग बन जायेगी |
धारा 370 के तहत कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है | जम्मू कश्मीर में जनता की चुनी हुई अपनी सरकार रही है | कश्मीर घाटी के लोग आतंकवाद का परिणाम भुगत चुके हैं अत: वह शांति चाहते थे |अभी हाल के चुनावों में जनता ने आतंकवादियों के भय से मुक्त होकर चुनाव में हिस्सा लिया एक आतंकवादी कार्यवाही के बाबजूद 70% से 80% लोग मतदान के लिए लम्बी कतारों में वोट देते देखे गये उनमें नई सरकार बनाने का उत्साह था कश्मीर के नागरिको ने विकास के एजेंडे पर जम कर मतदान किया लेकिन किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला सरकार बननी थी अत: पीडीपी और भाजपा ने मिल कर कौमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत सरकार बनाई | दोनों दलों की विचारधारा एक दूसरे से नहीं मिलती भाजपा कश्मीर में धारा 370 का विरोध करता हैं उसे हटाने का हिमायती हैं |पीडीपी के एजेंडे में आर्म फ़ोर्स स्पेशल एक्ट हटाना है लेकिन फिर भी सरकार बनी| जिसके मुख्यमंत्री मुफ़्ती मुहम्मद सईद थे उनकी मृत्यु के बाद काफी समय तक सरकार बनाने का विचार टलता रहा अंत में उनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती ने ने सत्ता की बागडोर सम्भाली |
भारत और पाकिस्तान के बीच हुये शिमला समझौते में तय हुआ कश्मीर समस्या का अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं होगा हल आपसी बातचीत द्वारा किया जायेगा |पाकिस्तान.के हुक्मरान समझ चुके हैं भारत को दबाना आसान नहीं है इसलिए नये प्रकार के युद्ध की शुरुआत की गयी जियाउलहक मिलिट्री जरनल नें तख्ता पलट कर पाकिस्तानी सत्ता की कमान सम्भाली कश्मीर हथियाने के लिए और भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए I.S.I. को खुला फंड दिया कई आतंकवादी संगठ्नों ने कश्मीरी के नौजवानों को भारत के खिलाफ बरगलाना, उनके हाथ में हथियार दे कर जेहाद के लिए प्रेरित किया | पाकिस्तान के ट्रेंड आतंकवादी हरी भरी कश्मीर घाटी में खून की होली खेलने आते हैं | पाकिस्तान का जो भी हाकिम आया है सबकी पॉलिसी कश्मीर में एक सी रही है धीरे –धीरे इतना आतंक फैलाया ,कश्मीरी पंडितों को हुक्म दिया गया वह घाटी छोड़ कर चले जाएँ या इस्लाम कबूल लें | वह अपनी जन्म भूमि जहाँ सदियों से रहे थे उनके घर द्वार थे पलायन करना पड़ा |आतंक का साया कश्मीर पर पड़ने के बाद कश्मीरी मुस्लिम समुदाय के लोग भी दिल्ली और अन्य शहरों में बसने लगे | पाकिस्तान की आर्थिक हालत खराब हैं वह अमेरिका की सहायता पर निर्भर हैं | जिन आतंकवादियों को भारत के लिए तैयार किया था अब वह उनके लिए ही सिर का दर्द बन रहे है सत्ता पर भी कब्जा करना चाहते हैं |हाफिज सईद जैसे निरंतर आतंकवादियों की खेप हमारे लिए तैयार कर कश्मीर में निरंतर भेजे रहा है | कश्मीर में कई अलगाववादी है नेता हैं जिनकी राजनीति भारत विरोध पर चलती है |कुछ आजाद कश्मीर की बात करते हैं कुछ पाकिस्तान समर्थित कश्मीर चाहते हैं | मसर्रत आलम की पीठ पर हाफिज सईद ने हाथ रखा उसने कम उमर के किशोरों की पत्थर मारने की पूरी ब्रिगेड तैयार कर ली जो सेना और पुलिस पर पत्थर मारते हैं जबकि पत्थर काफिर या शैतान पर मारने का चलन रहा है पत्थर भी मुंह ढक कर मारते हैं मारने वाले स्वयं भी जानते हैं यह गुनाह है |कश्मीर पुलिस में ज्यादातर मुस्लिम हैं क्या मसर्रत यह नहीं जानता ?बस पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की नजर में अपना रूतबा बढाना है जिन बच्चों के हाथ में किताब या पैन होना चाहिए था या हुनर सिखाना चाहिए था जिससे वह अपना जीवन यापन कर सकें उन्हें भडका कर जीवन बर्बाद करते हैं जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की हालत खराब है वहाँ आतंकवाद के ट्रेनिग कैम्प चलते हैं किशोरों को आतंक की ट्रेनिग दी जाती है विरोध होता है परन्तु उनकी कौन सुनता है |पाकिस्तान भी जानता है इससे पहले कश्मीर विकास की राह पर चल पड़े जितना उत्पात करना है करवा लो क्योकि कश्मीरी जवान अपना कैरियर बनाने के बजाय पत्थर मारता रहेगा मजबूरी में प्रजा तन्त्र को बचाने के लिए कश्मीर का प्रशासन सहता हैं|
इन अलगाव वादियों की सुरक्षा पर भी भारत सरकार को खर्च करना पड़ता है हुरियत और अलगाववादी गुट कश्मीर में अपनी राजनितिक रोटियां सेकते हैं | पाकिस्तान को भी उनका कश्मीर समस्या को लगातार जिन्दा रखना बहुत पसंद हैं | स्वतन्त्रता दिवस एवं अन्य अवसरों पर मुहँ ढक कर पाकिस्तान के झंडे लहराना आम बात है |आई एस ( इस्लामिक स्टेट )की विचार धारा से मुस्लिम देश त्रस्त है कई देश बर्बाद हो गये लेकिन उसका झंडा कश्मीर में लहराया जाता है | |दुक्तराने मिल्लत 23 मार्च पाकिस्तान डे पर पाकिस्तान का झंडा फैला कर तकरीर करती हैं |
कश्मीर को विकास चाहिये, टूरिज्म बढ़े पहले की तरह फिल्मों की शूटिंग हो और शिक्षण संस्थानों में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारों के बजाये छात्र कैरियर बनाने पर पर जोर दे | हरी भरी घाटी आतंकवाद का रास्ता छोड़ कर फिर से तरक्की के मार्ग को अपनाए | यह कभी न भूलें कश्मीर भारत का सिरमौर है भारत का अभिन्न अंग है|
डॉ शोभा भारद्वाज

कश्मीर का भारत में विलय कैसे हुआ?

1947 में हुआ था सौदा साल 1947 में भारत और पाकिस्तान दोनों देश जम्मू-कश्मीर को अपने-अपने नक्शे में शामिल करना चाहते थे. लेकिन मुस्लिम बहुल रियासत जम्मू-कश्मीर के हिंदू शासक महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के विलय के लिए पाकिस्तान की जगह भारत को चुना.

कश्मीर का असली इतिहास क्या है?

कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम पर बसाया गया था। और कश्मीर के पहले राजा भी महर्षि कश्यप ही थे। उन्होंने अपने सपनों का कश्मीर बनाया था। कश्मीर घाटी में सर्वप्रथम कश्यप समाज निवास करता था| भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे उत्तरी भौगोलिक क्षेत्र कश्मीर का इतिहास अति प्राचीन काल से आरम्भ होता है।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग कब बना?

खतरे को देखते हुए राजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए और फिर 27 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया.

कश्मीर की उत्पत्ति कैसे हुई?

यहाँ एक राक्षस नाग भी रहता था, जिसे वैदिक ऋषि कश्यप और देवी सती ने मिलकर हरा दिया और ज़्यादातर पानी वितस्ता (झेलम) नदी के रास्ते बहा दिया। इस तरह इस जगह का नाम सतीसर से कश्मीर पड़ा। इससे अधिक तर्कसंगत प्रसंग यह है कि इसका वास्तविक नाम कश्यपमर (अथवा कछुओं की झील) था। इसी से कश्मीर नाम निकला।