कैसे पता चलेगा कि बच्चा होने वाला है - kaise pata chalega ki bachcha hone vaala hai

प्रसव का दूसरा चरण, जिसे जोर लगाने वाला चरण भी कहा जाता है, तब शुरु होता है जब आपकी ग्रीवा पूरी तरह विस्फारित (10 सें.मी. चौड़ी) हो चुकी होती है। इस चरण में ही आप जोर लगाकर अपने शिशु को प्रसव नलिका से बाहर धकेलेंगी और उसका जन्म होगा।

यदि यह आपका पहला शिशु है, तो जोर लगाने वाला यह चरण कई घंटों तक चल सकता है। यदि आपके शिशु को अपनी अवस्था बदलनी हो, ताकि उसके सिर का सबसे छोटा व्यास बाहर की तरफ हो, तो हो सकता है इसमें और ज्यादा समय लग जाए।

यदि आप पहले भी मॉं बन चुकी हैं, तो जोर लगाने वाला यह चरण शायद पांच से 10 मिनट ही चलेगा।

जोर कब लगाएं
जैसे ही आपका शिशु नीचे की तरफ आ जाता है, आपको प्रबल संकुचन महसूस होंगे। आपको अपने श्रोणि क्षेत्र में शिशु के सिर का दबाव महसूस होगा और साथ ही आपको जोर लगाने की तीव्र इच्छा महसूस होगी। जब तक आपको जोर लगाने की ऐसी इच्छा महसूस न हो, तब तक बेहतर है आप ज्यादा जोर न लगाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे पहले जोर लगाने के प्रयास में आपको केवल थकान ही होगी, और कुछ हासिल नहीं होगा।

यदि आपने एपिड्यूरल लिया है, तो शायद आपको जोर लगाने की इच्छा महसूस नहीं होगी। ऐसे में, डॉक्टर आपको बताएंगी कि जोर कब लगाना है।

डॉक्टर नजर रखेंगी कि आपका प्रसव किस तरह आगे बढ़ रहा है और आपके शिशु की सेहत कैसी है। इसे देखते हुए ही वे आपको निर्देश देंगी।

जोर कैसे लगाएं
बहुत से अस्पतालों में महिलाओं को हर संकुचन के साथ जोर लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि शिशु जल्दी नीचे की तरफ खिसक जाए।

सामान्यत: हर संकुचन की शुरुआत में आपको गहरी सांस लेने के लिए कहा जाएगा। आपको सांस थामे रखनी होगी और अपने पेट की मांसपेशियों को कड़ा करना होगा और पूरी ताकत से जोर लगाने के लिए कहा जाएगा। कुछ मांएं कहती हैं कि यह मलत्याग के लिए जोर लगाने जैसा महसूस होता है।

हर संकुचन के साथ आपको दो या तीन बार जोर लगाने की प्रबल इच्छा महसूस होगी। हर बार जोर लगाने के साथ आपका शिशु श्रोणि क्षेत्र से थोड़ा खिसक जाएगा। हालांकि, हर बार जोर लगाने पर आपका शिशु आपकी श्रोाणि से थोड़ा सा नीचे खिसक जाएगा। हालांकि, संकुचन के अंत में वह शायद फिर से अपने पहले की जगह पर आ जाए! इस समय प्रसव 'दो कदम आगे, और एक कदम पीछे' वाली गति से बढ़ रहा होगा।

आप निराश न हों। यह सामान्य है और इससे आपकी श्रोणि मंजिल (पेल्विक फ्लोर) की मांसपेशियों को धीरे-धीरे खुलने का समय मिल जाता है। जब तक हर बार आपका शिशु थोड़ा सा नीचे आ रहा है, तो इसका मतलब है कि आप सही कर रही हैं।

जैसे-जैसे शिशु नीचे आता है और आपके पेल्विक फ्लोर (गर्भाशय, योनि, मूत्राशय और गुदा को आधार देने वाली मांसपेशियां और अन्य उत्तक) पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। ऐसे में संकुचनों के दौरान आप और तेज और ज्यादा बार जोर लगाना शुरु कर सकती हैं। जोर लगाते हुए आप आवाजें निकालने या चिल्लाने लग सकती हैं।

जब शिशु का सिर श्रोणि में काफी नीचे की तरफ पहुंच जाता है, तो आपको शायद गर्माहट और चुभन सी महसूस होगी। ऐसा तब होगा, जब आपकी योनि का मुख शिशु के सिर को बाहर लाने के लिए चौड़ा खिंचना शुरु होता है। इसे अंग्रेजी में क्राउनिंग कहा जाता है।

जब डॉक्टर शिशु का सिर देख पाएंगी, तो वे आपको बताएंगी। इस चरण पर वे शायद आपको जोर लगाने से रोक कर छोटी व तेज सांसें लेने को कह सकती हैं। इससे यह सुनिश्चित होने में मदद मिलती है कि आपका शिशु आराम से और धीमे से जन्म ले सके। इस तरह से जोर लगाने से आपके पेरिनियम क्षेत्र (योनि और गुदा के बीच का स्थान) का भी बचाव हो सकता है।

अच्छी बात यह है कि इसके बाद से दर्द थोड़ा कम होने लगता है और तेज दबाव की अनुभूति भी समाप्त हो जाती है। जब आपके शिशु का सिर बाहर आता है और उसके आसपास से गर्भनाल हटा दी जाती है, तो डॉक्टर आपको एक बार फिर जोर लगाने के लिए कहेंगी। डॉक्टर शिशु को करवट के बल कर देंगी ताकि उसके कंधों के लिए जगह बन सके। पहले एक कंधा बाहर आता है, फिर दूसरा निकलता है और फिर उसका पूरा शरीर बाहर खिसक जाता है।

शिशु को जन्म देेने के लिए सुझाव:

  • यदि जोर लगाने वाले चरण से पहले ही आपके संकुचन कुछ समय के लिए रुक जाएं, तो उस समय का उपयोग अपनी ताकत जुटाने में करें।
  • यदि आपने कुछ समय से मूत्रत्याग नहीं किया है, तो अपना मूत्राशय खाली कर आएं। आपकी डॉक्टर शायद बताएंगी कि आपको कब बाथरूम जाना है।
  • जोर लगाते समय अपनी सांस बहुत देर तक थामे न रखें। थोड़ी-थोड़ी सांस लें और थोड़ा जोर लगाती रहें। प्रसव को आसान बनाने के लिए श्वसन तकनीक का इस्तेमाल करें।
  • जोर लगाने के बीच सांस लेती रहें, ताकि आपको और गर्भस्थ शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे।
  • आपकी डॉक्टर आपको एकदम सीधी अवस्था में रहने के लिए कह सकती है, ताकि गुरुत्व बल शिशु के जन्म में मदद कर सके। सीधी अवस्था में रहने से शायद प्रसव का दूसरा चरण जल्दी पूरा होने में मदद मिले। साथ ही, उपकरणों की सहायता से प्रसव का खतरा भी कम हो सकता है। यदि अपनी अवस्थाएं बदलने में आपको सहयोग चाहिए हो, तो मदद के लिए कहें।
  • नीचे की तरफ देखें, जहां शिशु का जन्म हो रहा है। इससे सुनिश्चित हो सकेगा कि आप अपनी जोर लगाने के लिए पूरी ताकत लगा रही हैं। इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि जोर लगाने से आपके शिशु को जन्म लेने में मदद मिल रही है। हर संकुचन के साथ आप यह कल्पना करें कि शिशु जन्म लने के लिए बाहर की ओर आ रहा है।
  • यदि आप बहुत अधिक थक गई हैं या एपिड्यूरल की वजह से लेटना हो, तो बाईं तरफ करवट लेकर लेटें। आपके बर्थ पार्टनर या नर्स आपकी ऊपर वाली टांग को सहारा दे सकते हैं। इससे आपके पीठ के निचले हिस्से से दबाव कम होगा और आपकी श्रोणि खुल सकेगी।
  • कुछ अस्पतालों में नर्स और ड्यूटी डॉक्टर महिला को और ताकत से जोर लगाने के लिए उंची आवाज में कहते हैं। कई बार डॉक्टर भी महिला की जांघों या पीठ को थपथपाते हैं ताकि वे और ज्यादा जोर लगाएं। आप ऐसा महसूस न करें कि आप सही से जोर नहीं लगा पा रही हैं। यदि आपको बेचैनी या असहजता हो, तो डॉक्टर को बताएं।
  • बहुत सी होने वाली माँएं इस बात को लेकर चिंतित रहती हैं कि जोर लगाने के दौरान उनका मल भी न निकल जाए। चिंता न करें, अधिकांश अस्पताल प्रसव से पहले एनिमा देते हैं। फिर भी यदि आपका मल या मूत्र त्याग हो जाए, तो भी परेशान न हों। यह बहुत आम बात है और लेबर रूम में डॉक्टर और नर्सों को इसकी आदत होती है। वे इससे तुरंत और सावधानीपूर्वक इसे साफ भी करवा देंगी। बहुत सी महिलाओं को तो मलत्याग करने के बारे में पता भी नहीं चलता!

जन्म के बाद, आपको शायद कुछ मिनट का आराम मिलेगा और आप अपने नन्हें शिशु को देख सकेंगी। इसके बाद दोबारा संकुचन शुरु होने लगेंगे। अब आपका शरीर प्रसव के तीसरे और अंतिम चरण में पहुंच जाता है। झिल्लियों के समेत अपरा (प्लेसेंटा) गर्भाशय की दीवार से हटकर नीचे की तरफ गिर जाएगी और आपकी योनि में आ जाएगी। जब ऐसा होगा तो शायद आपको फिर से जोर लगाने की तीव्र इच्छा महसूस होगी और प्लेसेंटा बाहर आ जाएगी।

प्रसव और शिशु के जन्म को लेकर यदि आपके कोई सवाल या चिंताएं हों, तो डॉक्टर से बात करने में न हिचकिचाएं।

बहुत से अस्पताल प्रसवपूर्व कक्षााएं भी आयोजित करते हैं, ताकि आप डिलीवरी के लिए तैयार हो सकें। इससे आपको सही निर्णय लेने और अपने डर को कम करने में मदद मिलेगी। आप चाहें तो किसी अन्य संस्था या प्रशिक्षक से भी यह सीख सकती हैं।  ले सकती हैं।

यदि इन कक्षाओं में शामिल होना आपके लिए संभव न हो, तो आप बेबीसेंटर की ऑनलाइन एंटेनेटल क्लासेज में शामिल हो सकती हैं। ये मुफ्त हैं और आप जब भी चाहें और जितनी बार भी चाहें, देख सकती हैं।

अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: How will I know when to push in labour and what's the best way to do it?

हमारे लेख पढ़ें:

  • मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरी पानी की थैली समय से पहले फट गई है। मुझे क्या करना चाहिए?
  • प्रसव और शिशु का जन्म (प्राकृतिक प्रसव)
  • प्रेरित प्रसव पीड़ा (इंड्यूस्ड लेबर)

कैसे पता चलेगा कि बच्चा होने वाला है - kaise pata chalega ki bachcha hone vaala hai

Neha translates BabyCenter India's English content into Hindi to make it available to a wider audience.

कैसे पता करें कि अब डिलीवरी होने वाली है?

जब डिलीवरी का समय बिलकुल नजदीक आ जाता है तो निम्‍न संकेत मिलने लगते हैं :.
पेट में गर्म महसूस होना।.
संकुचन बढ़ जाना.
संकुचन की वजह से तेज दर्द होना जो कि 40 से 60 सेकंड तक रहे।.
पीठ में तेज दर्द होना। यह भी पढें : प्रेगनेंसी में अब नहीं सताएगा कमर दर्द, अपनाएं ये तरीके.
योनि से खून आना.

डिलीवरी से पहले क्या संकेत मिलते हैं?

शिशु का सिर नीचे योनि की ओर आने की वजह से पेशाब करने की इच्छा बढ़ जाती है। अब आपको पहले से भी ज्यादा बार पेशाब करने जाना पड़ सकता है। लेबर शुरू होने पर आपको मल त्‍याग करने की जरूरत लग सकती है। चूंकि, इस समय आपको लेबर पेन भी शुरू हो रहा होता है, इसलिए आप इन दोनों के बीच के दर्द को समझ नहीं पाती हैं

बच्चेदानी का मुंह कौन से महीने में खुलता है?

​लेबर के दौरान बच्‍चेदानी का मुंह प्रेग्‍नेंसी के नौवें महीने में इसमें काफी बदलाव आता है। नौवें महीने से पहले बच्‍चेदानी का मुंह लगभग 4 से. मी लंबा होता है। नौवें महीने में यह छोटा होना शुरू हो जाता है और पोस्‍टीरियर से एंटीरियर पोजीशन में आ जाता है।

कैसे पता करे की बच्चेदानी का मुंह खुल गया है?

नौवें महीने में ये संकेत मिलने का मतलब है खुल रहा है बच्‍चेदानी का मुंह, कुछ ही घंटों में होने वाली है डिलीवरी.
​बच्‍चेदानी का मुंह खुलना ... .
​पेल्विस में प्रेशर ... .
​म्‍यूकस डिस्‍चार्ज ... .
​स्‍पॉटिंग या ब्‍लीडिंग ... .
​पेशाब करने की होती है इच्‍छा ... .
​क्रैम्‍प्‍स और कॉन्‍ट्रैक्‍शन ... .
​कितना खुलता है बच्‍चेदानी का मुंह.