फल किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है इस पंक्ति में कौन सी शक्ति की बात की गई है? - phal kisee doosaree shakti par nirbhar hai is pankti mein kaun see shakti kee baat kee gaee hai?

लेखक जब कुएँ में उतरा तो वह यह सोचकर उतरा था कि या तो वह चिट्ठियाँ उठाने में सफल होगा या साँप द्वारा काट लिया जाएगा। फल की चिंता किए बिना वह कुएँ में उतर गया और अपने दृढ़ विश्वास से सफल रहा। अत: मनुष्य को कर्म करना चाहिए। फल देने वाला ईश्वर होता है। मनचाहा फल मिले या नहीं यह देने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है। लेकिन यह भी कहा जाता है, जो दृढ़ विश्वास व निश्चय रखते हैं, ईश्वर उनका साथ देता है।

‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’- पाठ के सदंर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए 


मनुष्य तो कर्म करता है। उसे फल देने का काम ईश्वर करता है। फल को पाना मनुष्य के बस की बात नहीं है। मन चाहा फल प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह तो फल देने वाले की इच्छा पर निर्भर है। इस पाठ में लेखक ने चिट्‌ठियाँ प्राप्त करने के लिए भरसक प्रयास किया और उसे सफलता मिल ही गई गीता में भी कहा गया है कि ‘‘कर्मण्येव वाधिकारस्ते मा फलेषु कदावन कार्य के प्रति आसक्ति रखना उचित नहीं है।

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साँप का ध्यान बाँटने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाई?


साँप का ध्यान बाँटने के लिए लेखक ने निम्नलिखित युक्तियाँ अपनाईं-
- उसने डंडे से साँप को दबाने का ख्याल छोड़ दिया।
- उसने साँप का फन पीछे होते ही अपना डंडा चिट्‌ठियों की ओर कर दिया और लिफाफा उठाने की चेष्टा की।
- डंडा लेखक की ओर खींच आने से साँप के आसन बदल गए और वह चिट्‌ठियाँ चुनने में कामयाब हो गया।

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भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस प्रकार का डर था?


जब लेखक झरबेरी से बेर तोड़ रहा था तभी गाँव के एक आदमी ने पुकार कर कहा कि तुम्हारे भाई बुला रहे हैं, शीघ्र चले आओ। भाई के बुलाने पर लेखक घर की ओर चल दिया पर उसके मन में डर था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उससे कौन सा कसूर हो गया। उसे आशंका थी कि कहीं बेर खाने के अपराध में उसकी पेशी न हो रही हो। उस बड़े भाई की मार का डर था।

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मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?


मक्खनपुर पढ़ने जाने वाले बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी। उन बच्चों को पता था कि कुएँ में साँप है। वे ढेला फेंककर कुएँ में से आने वाली उसकी क्रोधपूर्ण फुँफकार सुनने में मजा लेते थे। कुएँ में ढेला फेंककर उसकी आवाज तथा उससे सुनने के बाद अपनी बोली की प्रतिध्वनि सुनने की लालसा उनके मन में रहती थी।

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किन कारणों से लेखक ने चिट्‌ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?


लेखक को चिट्‌ठियाँ बड़े भाई ने दी थीं। यदि वे डाकखाने में नहीं डाली जातीं तो घर पर मार पड़ती। सच बोलकर पिटने का भय और झूठ बोलकर चिट्‌ठियों के न पहुँचने की जिम्मेदारी के बोझ से दबा वह बैठा सिसक रहा था। वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। चिट्‌ठियाँ कुएँ में गिरी पड़ी थीं। उसका मन कहीं भाग जाने को करता था फिर पिटने का भय और जिम्मेदारी की दुधारी तलवार कलेजे पर फिर रही थी। उसे चिट्‌ठियाँ बाहर निकाल कर लानी थीं। अंत में उसने कुएँ से चिट्‌ठियाँ निकालने का निर्णय कर ही लिया।

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‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लेगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं'- यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?


यह घटना 1908 में घटी थी और लेखक ने इसे अपनी माँ को 1915 में सात साल बाद बताया था। जब तक वह इसे लिखा होगा और भी समय बीत चुका होगा। लेखक ने जब ढेला उठाकर कुएँ में साँप पर फेंका तब टोपी में रखी चिट्‌ठी कुँए में गिर गया इससे लेखक पर बिजली सी गिरी। वह बुरी तरह घबरा गया था। उसे निराशा, पिटने का भय और घबराहट हो रही थी। वह अपने होश खो बैठा था। उसे ठीक से यह भी याद नहीं कि जब उसने कुएँ में ढेला फेंका था तब साँप ने फुँफकार मारा या नहीं, उसका फेंका ढेला साँप को लगी या नहीं। इससे उसकी घबराहट झलकती थी।

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विषयसूची

  • 1 फल किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है वह शक्ति कौनसी है?
  • 2 दृढ़ संकल्प से दुविधा की बेड़ियाँ कट जाती हैं इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं पाठ स्मृति के आधार पर बताइए?
  • 3 लेखक के बड़े भाई ने चिट्ठियाँ कौन से डाकखाने में डालने को कहा?
  • 4 लेखक ने कुएँ में उतरने के लिए रस्सी का इंतज़ाम कहाँ से किया था?
  • 5 लेखक ने कुँए की दीवार से मिट्टी नीचे क्यों डाली?
  • 6 लेखक ने स्वयं को चक्षुश्रवा क्यों कहा है?

फल किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है वह शक्ति कौनसी है?

इसे सुनेंरोकेंफल देने वाला ईश्वर होता है। मनचाहा फल मिले या नहीं यह देने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है। लेकिन यह भी कहा जाता है, जो दृढ़ विश्वास व निश्चय रखते हैं, ईश्वर उनका साथ देता है।

दृढ़ संकल्प से दुविधा की बेड़ियाँ कट जाती हैं इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं पाठ स्मृति के आधार पर बताइए?

इसे सुनेंरोकेंअतः हम इस बात से सहमत हैं कि “दृढ़संकल्प से तो दुविधा की बेड़ियाँ कट जाती हैं।” प्रश्न 10. ‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’-का आशय स्पष्ट कीजिए। उत्तरः मनुष्य किसी कठिन काम को करने के लिए अपनी बुद्धि से कई योजनाएँ तो बनाता है किंतु यह आवश्यक नहीं कि वे योजनाएँ सफल भी रहें।

लेखक ने सांप को मारने का निर्णय क्यों लिया?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : चिट्ठियाँ डाकखाने में डालना बहुत ज़रूरी था। उनके होश गुम हो गए। भाई की पिटाई का डर सामने था और साथ ही झूठ न बोलने की भावना भी थी। इसलिए लेखक ने साँप को मारने का निर्णय लिया।

भाई सा ब ने लेखक को कौन सा काम करने को क ा उसके वलए मुसीबत क्यों खडी ो गई?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: लेखक को उसके बड़े भाई ने चिट्ठी गिराने का काम सौंपा था। लेखक चाहता तो चिट्ठियों को वहीं छोड़ देता और घर जाकर झूठ बोल देता। लेकिन लेखक ने तब तक झूठ बोलना नहीं सिखा था और उसकी उम्र के किसी भी निश्छल बालक की तरह था। वह हर कीमत पर अपनी जिम्मेदारी पूरी करना चाहता था।

लेखक के बड़े भाई ने चिट्ठियाँ कौन से डाकखाने में डालने को कहा?

इसे सुनेंरोकेंलेखक के बड़े भाई ने चिट्ठियों को मक्खनपुर डाकखाने में डालने के लिए कहा था।

लेखक ने कुएँ में उतरने के लिए रस्सी का इंतज़ाम कहाँ से किया था?

इसे सुनेंरोकेंलेखक ने कुएँ में उतरने के लिए रस्सी का इंतज़ाम कहाँ से किया था? (a) अपने पास रखी रस्सी से।

बच्चों के लिए मक्खनपुर से आते और जाते समय कौन सा स्थान कौतुहल का विषय था?

इसे सुनेंरोकेंमक्खनपुर पढ़ने जानेवाले बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी। उन बच्चों को पता था कि कुएँ में साँप है। वे ढेला फेंककर कुएँ में से आनेवाली उसकी क्रोधपूर्ण फुफकार सुनने में मजा लेते थे।

स्मृति पाठ के लेखक ने ऐसा क्या काम किया कि वह भारी मुसीबत में फँस गया स्पष्ट कीजिएI?

इसे सुनेंरोकें’स्मृति’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। लेखक ने ‘स्मृति’ पाठ में भ्रातृ स्नेह के ताने-बाने को चोट लगने की बात कही है। भाई-से-भाई के स्नेह का कोई अन्य उदाहरण प्रस्तुत करते हुए लेखक के इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट करें। “अपनी शक्ति के अनुसार योजना बनाने वाला ही सफल होता है”–स्मृति पाठ के अनुसार इस कथन की विवेचना कीजिए।

लेखक ने कुँए की दीवार से मिट्टी नीचे क्यों डाली?

इसे सुनेंरोकेंO ताकि सांप मर जाए सांप का ध्यान बट जाए

लेखक ने स्वयं को चक्षुश्रवा क्यों कहा है?

इसे सुनेंरोकेंचक्षु श्रवा का अर्थ होता है -आंखों से देखने वाला l सांप को चक्षु श्रवा कहा जाता है l लेखक ने स्वयं को चक्षु श्रवा इसलिए कहा है क्योंकि वह उस समय अपनी पूरी शक्ति आंखों को देकर सांप की प्रत्येक हरकत पर पैनी नजर रखे हुए था।

स्मृति पाठ के पढ़ने से बच्चों के बारे में क्या पता चलता है?

इसे सुनेंरोकेंस्मृति पाठ पढ़ने से बच्चो के बारे में पता चलता है कि बच्चे नासमझ , दुस्साहसी तथा शरारती होते हैं। स्मृति पाठ पढ़ने से बच्चो के बारे में पता चलता है कि बच्चे नासमझ , दुस्साहसी तथा शरारती होते हैं। सही विकल्प है (d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।

चिट्ठियों के कुएँ में गिर जाने पर लेखक को माँ की याद क्यों आई?

इसे सुनेंरोकेंलेखक निराशा, पिटने के भय, और उद्वेग से रोने का उफ़ान नहीं सँभाल पा रहा था। इस समय उसे माँ की गोद की याद आ रही थी। वह चाहता था कि माँ आकर उसे छाती से लगा ले और लाड-प्यार करके कह दे कि कोई बात नहीं, चिट्ठियाँ फिर लिख ली जाएँगी। उसे विश्वास था कि माँ ही उसे इस विपदा में सच्ची सांत्वना दे सकती है।

फल किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर होता है वह शक्ति कौन सी है?

फल देने वाला ईश्वर होता है। मनचाहा फल मिले या नहीं यह देने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है। लेकिन यह भी कहा जाता है, जो दृढ़ विश्वास व निश्चय रखते हैं, ईश्वर उनका साथ देता है।

फल किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर करता हैं दूसरी शक्ति क्या है स्मृति पाठ के आधार पर बताएँ?

'फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है'- पाठ के सदंर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए । मनुष्य तो कर्म करता है। उसे फल देने का काम ईश्वर करता है। फल को पाना मनुष्य के बस की बात नहीं है।