कौन सी धारा के अंतर्गत शिक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है? - kaun see dhaara ke antargat shiksha ko maulik adhikaar maana gaya hai?

6 से 14 साल की उम्र के हरेक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है।

6 से 14 साल की उम्र के हरेक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। संविधान के 86वें संशोधन द्वारा शिक्षा के अधिकार को प्रभावी बनाया गया है।
सरकारी स्कूल सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करायेंगे और स्कूलों का प्रबंधन स्कूल प्रबंध समितियों (एसएमसी) द्वारा किया जायेगा। निजी स्कूल न्यूनतम 25 प्रतिशत बच्चों को बिना किसी शुल्क के नामांकित करेंगे।
गुणवत्ता समेत प्रारंभिक शिक्षा के सभी पहलुओं पर निगरानी के लिए प्रारंभिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग बनाया जायेगा।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की मुख्य विशेषताएं
अधिनियम का इतिहास
दिसंबर 2002- अनुच्छेद 21 ए (भाग 3) के माध्यम से 86वें संशोधन विधेयक में 6 से 14 साल के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार माना गया।
अक्तूबर 2003- उपरोक्त अनुच्छेद में वर्णित कानून, मसलन बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा विधेयक 2003 का  पहला मसौदा तैयार कर अक्तूबर 2003 में इसे वेबसाइट पर डाला गया और आमलोगों से इस पर राय और सुझाव आमंत्रित किये गये।
2004- मसौदे पर प्राप्त सुझावों के मद्देनजर मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा विधेयक 2004 का संशोधित प्रारूप तैयार कर http://education.nic.in वेबसाइट पर डाला गया।
        जून 2005- केंद्रीय शिक्षा सलाहकार पर्षद समिति ने शिक्षा के अधिकार विधेयक का प्रारूप तैयार किया और उसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसे नैक के पास भेजा, जिसकी अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी हैं। नैक ने इस विधेयक को प्रधानमंत्री के ध्यानार्थ भेजा।
14 जुलाई, 2006- वित्त समिति और योजना आयोग ने विधेयक को कोष के अभाव का कारण बताते हुए नामंजूर कर दिया और एक मॉडल विधेयक तैयार कर आवश्यक व्यवस्था करने के लिए राज्यों को भेजा। (76वें संशोधन के बाद राज्यों ने राज्य स्तर पर कोष की कमी की बात कही थी।)
19 जुलाई 2006- सीएसीएल, एसएएफई, एनएएफआरई और केब ने आईएलपी तथा अन्य संगठनों को योजना बनाने, बैठक करने तथा संसद की कार्यवाही के प्रभाव पर विचार करने व भावी रणनीति तय करने और जिला तथा ग्राम स्तर पर उठाये जानेवाले कदमों पर विचार के लिए आमंत्रित किया।
अक्सर पूछे जानेवाले सवाल
1. यह विधेयक क्यों महत्वपूर्ण है?
यह विधेयक महत्वपूर्ण है क्योंकि संवैधानिक संशोधन लागू करने की दिशा में, सरकार की सक्रिय भूमिका का यह पहला कदम है और यह विधेयक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि-
इसमें निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक तथा माध्यमिक शिक्षा का कानूनी प्रावधान है।
प्रत्येक इलाके में एक स्कूल का प्रावधान है।
इसके अंतर्गत एक स्कूल निगरानी समिति के गठन प्रावधान है, जो समुदाय के निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम स्कूल की कार्यप्रणाली की निगरानी करेगी।
6 से 14 साल के आयुवर्ग के किसी भी बच्चे को नौकरी में नहीं रखने का प्रावधान है।
उपरोक्त प्रावधान एक सामान्य स्कूल प्रणाली के विकास की नींव रखने की दिशा में प्रभावी कदम है। इससे सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकेगी और इस प्रकार सामाजिक तथा आर्थिक रूप से वंचित वर्गों को अलग-थलग करने में रोक लग सकेगी।
2. 6 से 14 साल के आयु वर्ग को चुनने का क्या उद्देश्य है?
विधेयक में सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से प्रारंभिक से माध्यमिक स्कूल तक की शिक्षा देने पर जोर दिया गया है और इस आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षा देने से उनके भविष्य का आधार तैयार हो सकेगा।
यह कानून क्यों महत्वपूर्ण है और इसका भारत के लिए क्याः अर्थ है?
मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून 2009 का पास होना भारत के बच्चोंस के लिए ऐतिहासिक क्षण है।
यह कानून स‍ुनिश्चित करता है कि हरेक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा का अधिकार प्राप्ति हो और यह इसे राज्यर, परिवार और समुदाय की सहायता से पूरा करता है।
विश्वन के कुछ ही देशों में मुफ्त और बच्चेह पर केन्द्रित तथा तथा मित्रवत शिक्षा दोनों को सुनिश्चित करने का राष्ट्री य प्रावधान मौजूद है।
'मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा क्या है?
6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को अपने पड़ोस के स्कूलों में मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिलेगा।
इसके लिए बच्चेक या उनके अभिभावकों से प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के लिए कोई भी प्रत्यबक्ष फीस (स्कूल फीस) या अप्रत्यक्ष मूल्य (यूनीफॉर्म, पाठ्य-पुस्तकें, मध्या भोजन, परिवहन) नहीं लिया जाएगा। सरकार बच्चे को निःशुल्कू स्कूलिंग उपलब्ध करवाएगी जब तक कि उसकी प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं हो जाती।
आरटीई को सुनिश्चित करने के लिए समुदाय और अभिभावकों की क्या भूमिका तय की गई है?
मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून 2009 का पास होना भारत के बच्चोंअ के लिए ऐतिहासिक क्षण है। भारत के इतिहास में पहली बार बच्चोंद को गुणवत्तांपूर्ण प्राथमिक शिक्षा का अधिकार दिया गया है जिसे राज्यद्वारा परिवार और समुदायों की सहायता से किया जाएगा।
विश्वु के कुछ ही देशों में सभी बच्चों को अपनी क्षमताएं विकसित करने में सहायता के लिए मुफ्त और बच्चे पर केन्द्रित तथा मित्रवत शिक्षा दोनों को सुनिश्चित करने का राष्ट्री य प्रावधान मौजूद है। यह एक अनुमान है कि 2009 में भारत में 6 से 14 साल के आयु वर्ग के ऐसे 80 लाख बच्चेह हैं जो स्कूकल नहीं जाते थे। विश्व्, भारत के बगैर 2015 तक हरेक बच्चे को प्रा‍थमिक शिक्षा पूरी कराने के अपने उद्देश्यं को पूरा नहीं कर सकता।
स्कू ल स्थाकनीय अधिकरण, अधिकारियों, माता-पिता, अभिभावकों और शिक्षकों को मिलाकर स्कूल प्रबंधन समितियां (एसएमसी) बनाएंगे। ये एसएमसी स्कूल के विकास के लिए योजनाएं बनाएंगी और सरकार द्वारा दिए गए अनुदान का इस्तेमाल करेगी और पूरे स्कूल के वातावरण को नियंत्रित करेंगी।
आरटीई में यह घोषित है कि एसएमसी में वंचित तबकों से आने वाले बच्चों के माता-पिता और 50 फीसदी महिलाएं होनी चाहिए। इस तरह के समुदायों की भागीदारी लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग शौचालय सुविधाओं, स्वास्य , जल, स्वच्छ्ता जैसे मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान के जरिए पूरे स्कूदल के वातावरण को बाल मित्रवत बनाने को सुनिश्चित करने हेतु महत्वपूर्ण होंगी।
आरटीई बाल मित्रवत स्कूलों की कैसे सहायता करता है?
सभी स्कूलों को सीखने के प्रभावकारी वातावरण के लिए बुनियादी ढांचों और शिक्षक नियमों का पालन करना चाहिए। प्राथमिक स्तार पर हरेक 60 बच्चों पर दो प्रशिक्षित शिक्षक उपलब्धन कराए जाने चाहिए।
शिक्षकों को नियमित और सही समय पर स्कूल आना चाहिए, पाठ्यक्रम के निर्देशों को पूरा करना चाहिए, समाप्ति निर्देशों के मुताबिक, सीखने की क्षमता बढ़ाना और उन्हें माता-पिता और शिक्षकों के बीच बैठकें करानी चाहिए। शिक्षकों की संख्या बच्चों की संख्या के आधार पर होनी चाहिए न कि ग्रेड के आधार पर।
राज्य बच्चों को सीख्‍ाने में बेहतर बनाने के लिए शिक्षकों को पर्याप्त सहयोग सुनिश्चित करेगा। समुदाय और नागरिक समाज एसएमसी के साथ निष्पोक्ष तरीके से स्कूशल की गुणवत्तार सु‍निश्चित करने में महत्वपूर्ण भ‍ूमिका अदा करेंगें। राज्यक नीति फ्रेमवर्क उपलब्धक कराएगा और हरेक बच्चेे के लिए आरटीई को सुनिश्चित करने का वातावरण बनाएगा।
आरटीई के लिए पैसे कहां से आएंगे और भारत में इसका क्रियान्वयन कैसे होगा?
यह कानून स‍ुनिश्चित करता है कि हरेक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा का अधिकार प्राप्तै हो और यह इसे राज्य, परिवार और समुदाय की सहायता से पूरा करता है।
विश्व के कुछ देशों में मुफ्त और बच्चे पर केन्द्रित तथा बाल मित्रवत शिक्षा दोनों को सुनिश्चित करने का राष्ट्रीय प्रावधान मौजूद है।
केन्द्र। और राज्यव सरकारें आरटीई के लिए वित्तीयय जिम्मेउ‍दारियों का वहन करेंगी। केन्द्री य सरकार व्यनय का अनुमान बनाएगी। राज्यर सरकारें उन खर्चों का एक फीसदी उपलब्धर कराएंगी।
केन्द्रि सरकार आरटीई के प्रावधान को पूरा करने के सम्बंन्धक में वित्ती आयोग से राज्यी को अतिरिक्तन संसाधन उपलब्धे कराने का अनुरोध कर सकती है।
राज्यि सरकार पर बचे हुए अनुदान को क्रियान्वयन के लिए उपलब्धर कराने की जिम्मेदारी होगी। यदि यहां कोई वित्ती्य कमी होगी तो उसे नागरिक समाज, विकास एजेंसियां, कॉरपोरेट संस्था नों और देश के नागरिकों के समर्थन की आवश्य्कता होगी।
आरटीई को प्राप्त करने के लिए मुख्यो मुद्दे क्या हैं?
आरटीई कानून 1 अप्रैल से लागू हो जाएगा। ड्राफ्ट मॉडल रूल्सद को राज्यों के साथ साझा किया गया है जिसे राज्यों द्वारा निर्धारित करने और उन्हेंट जल्दै से जल्द लागू करने की जरूरत है|
आरटीई आरक्षित तबकों के लिए विशिष्ट प्रावधानों के साथ बाल श्रमिक, प्रवासी बच्चोंच, विशिष्ट जरूरतों वाले बच्चों या सामाजिक, सांस्कृरतिक, आर्थिक, भौगोलिक, भाषाई, लिंग या ऐसे किसी अन्य विशिष्टिता वाले सभी बच्चोंक को एक मंच उपलब्धे कराता है। आरटीई शिक्षण और सीखने की गुणवत्ता पर केन्द्रित है जिसे निरंतर प्रयास और सतत सुधारों की जरूरत होती है:
10 लाख से अधिक नए और अप्रशिक्षित शिक्षकों को अगले 5 साल के भीतर प्रशिक्षित करना और सेवा दे रहे शिक्षकों को बाल मित्रवत शिक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता में सुधार लाना।
भारत में अनुमानित 19 करोड़ लड़कियों और लड़कों को जिन्हें फिलहाल प्राथमिक शिक्षा में होना चाहिए, सभी को बाल मित्रवत शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए परिवार और समुदायों की बड़ी भूमिका है।
निष्पक्षता से असमानता का उन्मूलन गुणवत्तातपूर्ण शिक्षा के लिए आवश्य क है। प्रीस्कूपल में उद्देश्यों की प्राप्ति में निवेश महत्व पूर्ण रणनीति है।
स्कूल से बाहर के 80 लाख बच्चों को उनकी आयु के हिसाब से सही समय पर स्कूल में लाना और स्कूल में ठहराना तथा इन सफलताओं में लोचशीलता तथा अनोखे तरीके से पहल करना एक अहम चुनौती है।
यदि आरटीई का उल्लंघन होता है, तो कौन-सी प्रणाली उपलब्धो है?
बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए राष्ट्री य आयोग इस कानून के तहत उपलब्ध कराए गए अधिकारों के लिए निगरानी निर्देशों की समीक्षा, शिकायतों की जांच-पड़ताल करेगा और उसके पास नागरिक अदालत में जाने का विकल्पे मौजूद है।
1 अप्रैल के बाद छह महीने के भीतर राज्यों को बच्चोंय के अधिकारों की सुरक्षा के लिए राज्यआयोग (एससीपीसीआर) या शिक्षा के अधिकार का संरक्षण प्राधिकरण (आरईपीए) गठित करना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को यदि कोई शिकायत दर्ज करनी हो, तो स्थानीय प्राधिकरण को लिखित शिकायत सौंपनी होगी।
एससीपीसीआर/आरईपीए द्वारा याचिका पर निर्णय लिया जाएगा। दंडित करने के लिए उपयुक्ती सरकार द्वारा मान्य किसी अधिकारी की मंजूरी की जरूरत होगी।
आरटीई साकार कैसे होगा और यथार्थ में कैसे परिणत होगा?
असमानताओं को दूर करने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रयासों की जरूरत होगी। सरकार, नागरिक समाज, शिक्षक संगठनों, मीडिया और प्रतिष्ठित लोगों से प्रासंगिक भागीदारों को साथ लाने में युनिसेफ निर्णायक भूमिका निभाएगा।
युनिसेफ भागीदारों को संगठित कर जन जागरूकता को बढ़ाएगा और आह्वान की कार्रवाई करेगा। नीति और कार्यक्रम निर्माण/क्रियान्वयन पहुंच और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को बेहतर बनाने पर केंद्रित करेगा जो बच्चोंके लिए परिणामों को सुधारने के कारगर तरीकों पर आधारित होगा। आरटीई पर राष्ट्र स्तरीय और राज्यस्तरीय निगरानी इकाइयों को सुदृढ़ बनाने में युनिसेफ भागीदारों के साथ मिल कर काम करेगा।



1)   3 - 9 वर्ष
2)   6 - 14 वर्ष
3)   4 - 10 वर्ष
4)   6 - 18 वर्ष
5)   NULL

Answer : 2

शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार बन गया कब?

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2 दिसंबर, 2002 को संविधान में 86वाँ संशोधन किया गया था और इसके अनुच्छेद 21A के तहत शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया। इस मूल अधिकार के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 2009 में नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right of Children to Free and Compulsory Education-RTE Act) बनाया गया

शिक्षा और मौलिक अधिकार क्या है?

वर्ष 2002 में 86वें संवैधानिक संशोधन से शिक्षा के अधिकार को संविधान के भाग- III में एक मौलिक अधिकार के तहत शामिल किया गया। इसे अनुच्छेद 21A के अंतर्गत शामिल किया गया, जिसने 6-14 वर्ष के बच्चों के लिये शिक्षा के अधिकार को एक मौलिक अधिकार बना दिया। इसने एक अनुवर्ती कानून शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 का प्रावधान किया।

भारत के 6 मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं?

मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण.
समानता का अधिकार : अनुच्छेद 14 से 18 तक।.
स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 तक।.
शोषण के विरुध अधिकार : अनुच्छेद 23 से 24 तक।.
धार्मिक स्वतंत्रता क अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 तक।.
सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 तक।.
संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32..

86वां संविधान संशोधन कब हुआ?

86वां संविधान संशोधन 12 दिसंबर 2002 को लागू हुआ। और इसमे शिक्षा का अधिकार जोड़ा गया था। जिसमे यह कहा गया है कि हर राज्य सरकार 6–14 साल तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करेगी।