मॉं मेरी बे-वजह ही रोती है Show फोन पर जब भी बात होती है फोन रखने पर मैं भी रोता हूँ। सख्त ऊपर से मगर दिल से बहुत नाजुक हैं चोट लगती है मुझे और वह तड़प उठते हैं हर पिता में ही कोई माँ भी छुपी होती है। मेरे ऑफिस में महीनों से मेरी दिन की शिफ्ट तेरे ऑफिस में महीनों से तेरी रात की शिफ्ट नन्हे बच्चों को तो टुकड़ों में मिले हैं माँ-बाप उगते सूरज को सलामी तो सभी देते हैं डूबते वक्त मगर उसको भुला मत देना डूबना-उगना तो नजरों का महज धोखा है। चलते-चलते जो कभी गिर जाओ खुद को सँभालो और फिर से चलो चोट खाकर ही सीख मिलती है। चाहे कितना भी हो घनघोर अंधेरा छाया आस रखना कि किसी रोज उजाला होगा रात की कोख ही से सुबह जनम लेती है। कर्ज लेकर उमर के लम्हों से बो दिए मैंने बीज हसरत के पास थी कुछ जमीं खयालों की। ये न सोचो कि जरा दूर दिखाई देगा एक ही दीप से आगाज-ए-सफर कर लेना रोशनी होगी जहाँ पर भी कदम रखोगे। अपनी आँखों में जब भी देखा है एक बच्चा-सा खुद को पाया है कौन कहता है उम्र बढ़ती है? आँसू-खुशियाँ एक ही शय हैं, नाम अलग हैं इनके पेड़ में जैसे बीज छुपा है, बीज में पेड़ है जैसे एक में जिसने दूजा देखा, वह ही सच्चा ज्ञानी। चाहे कितनी ही मुश्किलें आएँ छोड़ना मत उम्मीद का दामन नाउम्मीदी तो मौत है प्यारे। (‘साँस के सिक्के’ त्रिवेणी संग्रह से) प्रेरणा रसास्वादन कविता 12वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]कवि परिचय -
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काव्य परिचय
प्रेरणा रसास्वादन कविता 11वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]जिंदगी की आपाधापी में बच्चों को टुकड़ों में क्या मिलता है *?पिता की आफिस में दिन की शिफ्ट होने के कारण वे अपने बच्चों से रात को मिलते हैं और माँ की आफिस में रात की शिफ्ट होने के कारण वे अपने बच्चों से दिन में मिलती हैं। इस तरह बच्चों को माता-पिता का प्यार टुकड़ों में मिलता है।
क्या मां बाप की खुशी के लिए मोहब्बत को छोड़ देना चाहिए?माता-पिता का भी यह फर्ज बनता है कि वह बच्चों की भावनाओं को समझें, अगर उनका प्यार सही है तो उनको सपोर्ट करें। इसलिए माता पिता के लिए प्यार का बलिदान नहीं करना चाहिए बल्कि उनको समझाना चाहिए कि वह बच्चों की भावनाओं को समझे। और इसी तरह से प्यार के लिए भी अपने माता पिता को भूल जाना या उनका त्याग करना, अनुचित है।
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