जिंदगी की आपाधापी में बच्चों को टुकड़ों में क्या मिलता है? - jindagee kee aapaadhaapee mein bachchon ko tukadon mein kya milata hai?

मॉं मेरी बे-वजह ही रोती है

फोन पर जब भी बात होती है

फोन रखने पर मैं भी रोता हूँ।

सख्त ऊपर से मगर दिल से बहुत नाजुक हैं

चोट लगती है मुझे और वह तड़प उठते हैं 

हर पिता में ही कोई माँ भी छुपी होती है।

मेरे ऑफिस में महीनों से मेरी दिन की शिफ्ट

तेरे ऑफिस में महीनों से तेरी रात की शिफ्ट

नन्हे बच्चों को तो टुकड़ों में मिले हैं माँ-बाप

उगते सूरज को सलामी तो सभी देते हैं 

डूबते वक्त मगर उसको भुला मत देना

डूबना-उगना तो नजरों का महज धोखा है।

चलते-चलते जो कभी गिर जाओ

खुद को सँभालो और फिर से चलो

चोट खाकर ही सीख मिलती है।

चाहे कितना भी हो घनघोर अंधेरा छाया

आस रखना कि किसी रोज उजाला होगा

रात की कोख ही से सुबह जनम लेती है।

कर्ज लेकर उमर के लम्हों से

बो दिए मैंने बीज हसरत के

पास थी कुछ जमीं खयालों की।

ये न सोचो कि जरा दूर दिखाई देगा

एक ही दीप से आगाज-ए-सफर कर लेना

रोशनी होगी जहाँ पर भी कदम रखोगे।

अपनी आँखों में जब भी देखा है

एक बच्चा-सा खुद को पाया है

कौन कहता है उम्र बढ़ती है?

आँसू-खुशियाँ एक ही शय हैं, नाम अलग हैं इनके

पेड़ में जैसे बीज छुपा है, बीज में पेड़ है जैसे

एक में जिसने दूजा देखा, वह ही सच्चा ज्ञानी।

चाहे कितनी ही मुश्किलें आएँ

छोड़ना मत उम्मीद का दामन

नाउम्मीदी तो मौत है प्यारे।

(‘साँस के सिक्के’ त्रिवेणी संग्रह से)

प्रेरणा रसास्वादन कविता 12वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

जिंदगी की आपाधापी में बच्चों को टुकड़ों में क्या मिलता है? - jindagee kee aapaadhaapee mein bachchon ko tukadon mein kya milata hai?

कवि परिचय -

  1.  त्रिपुरारि जी का जन्म 5 दिसंबर १९88 को समस्तीपुर (बिहार) में हुआ। 
  2. आपकी प्रारंभिक शिक्षा पटना से, स्नातक शिक्षा दिल्ली से तथा स्नातकोत्तर शिक्षा हिसार से हुई। दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करने के पश्चात वर्तमान में आप फिल्म, दूरदर्शन के लिए लेखन कार्य कर रहे हैं। 
  3. ‘त्रिवेणी’ के रचयिता के रूप में आपकी पहचान है । कल्पना की भावभूमि पर यथार्थ के बीज बोते हुए उम्मीदों की फसल तैयार करना आपकी रचनाओं का उद्देश्य है ।

प्रमुख कृतियाँ  -

  1. ‘नींद की नदी’ (कविता संग्रह), नॉर्थ कैंपस (कहानी संग्रह), साँस के सिक्के (त्रिवेणी संग्रह) आदि 

काव्य प्रकार -

  1.  ‘त्रिवेणी’ एक नए काव्य प्रकार के रूप में साहित्य क्षेत्र में तेजी से अपना स्थान बना रही है। 
  2. त्रिवेणी तीन पंक्तियों का मुक्त छंद है। मात्र इन तीन पंक्तियों में कल्पना तथा यथार्थ की अभिव्यक्ति होती है।
  3.  इसकी पहली और दूसरी पंक्ति में भाव और विचार स्पष्ट रूप से झलकते हैं और तीसरी पंक्ति पहली दो पंक्तियों में छिपे भाव को नये आयाम के साथ अभिव्यक्त करती है। सामयिक स्थितियों, रिश्तों तथा जीवन के प्रति सकारात्मकता ‘त्रिवेणी’ के प्रमुख विषय हैं।

काव्य परिचय 

  1.  प्रस्तुत त्रिवेणियों में कवि ने मनुष्य के जीवन में माँ के ममत्व और पिता की गरिमा को व्यक्त करने के साथ ही ‘जिंदगी की आपाधापी में जुटे माता-पिता से बच्चों को स्नेह भी टुकड़ों में मिलता है’, इस सच्चाई को भी उजागर किया है।
  2.  निराशा के बादलों के बीच आशा का संचार करते हुए कवि कहते हैं कि ठोकर खाकर जीने की कला जो सीख लेता है, दुनिया में उसी की जय-जयकार होती है। 
  3. सुख-दुख की स्थिति में स्थिर रहना ही मनुष्य की सही पहचान है।

प्रेरणा रसास्वादन कविता 11वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]

जिंदगी की आपाधापी में बच्चों को टुकड़ों में क्या मिलता है *?

पिता की आफिस में दिन की शिफ्ट होने के कारण वे अपने बच्चों से रात को मिलते हैं और माँ की आफिस में रात की शिफ्ट होने के कारण वे अपने बच्चों से दिन में मिलती हैं। इस तरह बच्चों को माता-पिता का प्यार टुकड़ों में मिलता है।

क्या मां बाप की खुशी के लिए मोहब्बत को छोड़ देना चाहिए?

माता-पिता का भी यह फर्ज बनता है कि वह बच्चों की भावनाओं को समझें, अगर उनका प्यार सही है तो उनको सपोर्ट करें। इसलिए माता पिता के लिए प्यार का बलिदान नहीं करना चाहिए बल्कि उनको समझाना चाहिए कि वह बच्चों की भावनाओं को समझे। और इसी तरह से प्यार के लिए भी अपने माता पिता को भूल जाना या उनका त्याग करना, अनुचित है।