उत्तर: कॉलेज के दिनों में रामन की दिली इच्छा थी कि अपना पूरा जीवन शोधकार्य को समर्पित कर दें। लेकिन उस जमाने में शोधकार्य को एक पूर्णकालिक कैरियर के रूप में अपनाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। Question 2: वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन ने कौन सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की? उत्तर: लोगों का मानना था कि भारतीय वाद्ययंत्र पश्चिमी वाद्ययंत्र की तुलना में अच्छे नहीं होते हैं। रामन ने अपनी खोजों से इस भ्रांति को तोड़ने की कोशिश की। Question 3: रामन के लिए नौकरी संबंधी कौन सा निर्णय कठिन था? उत्तर: उस जमाने के हिसाब से रामन सरकारी विभाग में एक प्रतिष्ठित अफसर के पद पर तैनात थे। उन्हें मोटी तनख्वाह और अन्य सुविधाएँ मिलती थीं। उस नौकरी को छोड़कर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की नौकरी करने का फैसला बहुत कठिन था। Question 4: सर चंद्रशेखर वेंकट रामन को समय समय पर किन किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया? उत्तर: रामन को 1924 में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया। 1929 में उन्हें ‘सर’ की उपाधि दी गई। 1930 में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें कई अन्य पुरस्कार भी मिले; जैसे रोम का मेत्यूसी पदक, रॉयल सोसाइटी का ह्यूज पदक, फिलाडेल्फिया इंस्टीच्यूट का फ्रैंकलिन पदक, सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार, आदि। उन्हें 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। Question 5: रामन को मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है? उत्तर: रामन को अधिकतर पुरस्कार तब मिले जब भारत अंग्रेजों के अधीन था। वैसे समय में यहाँ पर वैज्ञानिक चेतना का सख्त अभाव था। रामन को मिलने वाले पुरस्कारों से भारत की न सिर्फ वैज्ञानिक चेतना जाग्रत हुई बल्कि भारत का आत्मविश्वास भी बढ़ा। These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन. प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) मौखिक 2. समुद्र को देखकर रामन् के मन में समुद्र के नीला होने का कारण जानने की जिज्ञासा उठी। उन्होंने सोचा कि समुद्र का रंग नीला होने के अलावा और कुछ क्यों नहीं होता। 3. रामन् के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। उन्होंने हमेशा रामन् को इन दोनों विषयों के प्रति आकर्षित किया। इस कारण आगे चलकर रामन् ने जगत प्रसिद्ध पाई। 4. वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् इनके पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों की परतें खोलना चाहते थे। इस दौरान उन्होंने अनेक देशी और विदेशी वाद्ययंत्रों का अध्ययन किया। 5. सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की भावना वैज्ञानिक अध्ययन और शोधकार्य करने की थी। 6. ‘रामन-प्रभाव’ की खोज के पीछे समुद्र के नीले रंग की वजह का सवाल हिलोरें ले रहा था। उन्होंने आगे उसी | दिशा में प्रयोग किए। जिसकी परिणति रामन्-प्रभाव’ की महत्त्वपूर्ण खोज के रूप में हुई। 7. प्रकाश की तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है। उन्होंने | सूक्ष्म कणों की तुलना बुलेट से की और उसे ‘फोटॉन’ नाम दिया। 8. रामन् की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज बनाया। पहले उस नाम के लिए ‘इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाता था। लिखित प्रश्न (क) 2. वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने यह भ्रांति तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में घटिया है। 3. रामन् के लिए नौकरी संबंधी यह निर्णय कठिन था, जब कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद खाली था और आशुतोष मुखर्जी ने उनसे इस पद को स्वीकार करने का आग्रह किया। प्रोफेसर की नौकरी की अपेक्षा उनकी सरकारी नौकरी ज्यादा वेतन तथा सुविधा से भरी थी, फिर भी उन्होंने प्रोफेसर की नौकरी को स्वीकार किया, क्योंकि उनके लिए सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक सरस्वती की साधना थी इसलिए यह निर्णय करना सचमुच हिम्मत का काम था। 4. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया–
5. रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतवर्ष को एक नया सम्मान और आत्मविश्वास दिया। रामन् नवयुवकों के प्रेरणास्रोत बन गए। उन्होंने एक नयी भारतीय चेतना को जन्म दिया। उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के प्रति समर्पित थे। उन्हें भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव था। अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध के बाद भी उन्होंने सैकड़ों छात्रों का मार्गदर्शन किया और देश के भावी नागरिकों को भी एक सफल वैज्ञानिक प्रश्न (ख) 2. रामन् की खोज को ‘राम-प्रभाव’ के नाम को जाना जाता है। रामन् ने अनेक ठोस और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरणों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुजरने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन तरल या रवेदार पदार्थ से गुजरते हुए उनके अणुओं से टकराते हैं तो इस टकराव के परिणाम से या तो ये ऊर्जा का कुछ अंश पा जाते हैं या कुछ खो देते हैं। दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण में बदलाव लाती हैं। एकवर्षीय प्रकाश तरल या ठोस रवों से गुरजते हुए जिस परिणाम में ऊर्जा खोता या पाता है उसी के अनुसार उसका वर्ग परिवर्तित हो जाता है। 3. रामन् की खोज की वजह से पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया। पहले इस काम के इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाता था। यह मुश्किल तकनीक है और ग़लतियों की संभावना बहुत अधिक रहती है। रामन् की खोज के बाद पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए रामन् ‘स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाने लगा। यह तकनीक एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन के आधार पर पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देती है। इस जानकारी के कारण पदार्थों का संश्लेषण करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रूप से निर्माण संभव हो सका। 4. रामन् के अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी तथा वे देश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे। उन्हें अपने शुरुआती दिन हमेशा ही याद रहे जब उन्हें संघर्ष करना पड़ा। इसलिए उन्होंने एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध संस्थान की स्थापना की जो बंगलौर में स्थित है और उन्हीं के नाम पर अर्थात् ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के नाम से जानी जाती है। भौतिकी में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने ‘इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स’ नामक शोध-पत्रिका आरंभ की। विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए वे करंट साइंस’ नामक पत्रिका का संपादन करते थे। रामन् केवल प्रकाश की किरणों तक ही नहीं सिमटे थे। उन्होंने अपने व्यक्तित्व कें प्रकाश से पूरे देश को आलोकित और प्रकाशित किया। 5. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने कहीं भाषण के द्वारा अपना संदेश प्रसारित नहीं किया। उन्होंने अपना जीवन जिस प्रकार से जिया वह भाषण से भी प्रभावी संदेश देने का माध्यम था। उनका कर्मशील जीवन मुखर संदेश से भी प्रखर था। उन्होंने वैज्ञानिक शोध में अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे सरकारी नौकरी में रहते हुए भी कलकत्ता की प्रयोगशाला में प्रयोग करते रहे। जब उन्हें भौतिकी विभाग के प्रोफेसर की नौकरी मिली तो कम वेतन और कम सुख-सुविधाओं के बावजूद भी उन्होंने वह नौकरी स्वीकार कर ली। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि हमें धन और सुख-सुविधा का मोह त्यागकर शोध या किसी अन्य कल्याणकारी कार्य के लिए अपना जीवन अर्पित करना चाहिए। उन्होंने जिस प्रकार अनेक नवयुवकों को शोध के लिए प्रेरित किया वह भी अनुकरणीय है। उन्होंने राष्ट्रीयता एवं भारतीय संस्कारों को नहीं त्यागा। उन्होंने अपना दक्षिण भारतीय पहनावा भी नहीं छोड़ा। प्रश्न (ग) 2. आशय-हमारे आसपास के वातावरण में अनेक प्रकार की वस्तुएँ बिखरी होती हैं। उनके बारे में जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है। उन बिखरी चीजों को सही ढंग से सँवारने वाले व्यक्ति की आवश्यकता होती है, जो उन्हें नया रूप दे सकते हैं। इन घटनाओं को अनुसंधान करनेवाले खोजियों की तलाश रहती है। 3. आशय-हठयोग का अर्थ है-जिद करनेवाला। वह यह नहीं देखता कि परिस्थितियाँ उसके अनुकूल हैं या नहीं। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वह अपनी इच्छा शक्ति को दबने नहीं देता। अपने कार्य को पूरा करके ही रहता है। रामन् कलकत्ता में सरकारी नौकरी करने के दौरान भी बहू बाजार में स्थिति इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस की कामचलाऊ प्रयोगशाला के कामचलाऊ उपकरणों से प्रयोग करते थे। यह अपने-आप में आधुनिक हठयोग का उदाहरण है। प्रश्न (घ)
भाषा-अध्ययन प्रश्न 1. उत्तर (क) प्रमाण-प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। (ख) प्रणाम-हमें प्रात:काल उठकर माता-पिता को प्रणाम करना चाहिए। (ग) धारणा-मेरी धारणा है कि सारे चोर बुरे इंसान नहीं होते। (घ) धारण-मेरे पिता जी ने मौन व्रत धारण किया है। (ङ) पूर्ववर्ती-भारत के पूर्ववर्ती इलाकों में बिजली की कमी हो रही है। (च) परवर्ती-सम्राट अशोक के परवर्ती शासकों ने मौर्य साम्राज्य को कमज़ोर कर दिया। (छ) परिवर्तन-परिवर्तन प्रकृति का नियम है। (ज) प्रवर्तन-गौतम बुद्ध ने बौद्ध मत का प्रवर्तन किया। प्रश्न 2. (ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को ……………………. रूप से नौकरी दे दी गई है। (ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और …………………….. पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया। उत्तर आज बाजार में देशी और …………………….. दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं। उत्तर सागर की लहरों को आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद ………………… में परिवर्तित हो जाता है। प्रश्न 3. प्रश्न 4. उत्तर < प्रश्न 5. प्रश्न 6. उत्तर प्रश्न 7. प्रश्न 8.
योग्यता-विस्तार प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. NCERT-Solutions.com try to provide online tutoring for you. |