कोहलबर्ग के नैतिक विकास का सिद्धांत - kohalabarg ke naitik vikaas ka siddhaant

CTET 2021 : (Lawrence Kohlberg 15 Theory Questions For CTET) केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा की शुरुआत 16 दिसंबर से हो चुकी है और यह 13 जनवरी 2022 तक चलेगी। अब हालांकि परीक्षा का अंतिम चरण चल रहा है। CBSE द्वारा केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) की अब तक कई शिफ़्ट आयोजित की जा चुकी है और इनमें बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र (CDP) के अंतर्गत ‘लॉरेन्स कोहलबर्ग के नैतिकता के सिद्धांत’ पर आधारित सवाल पूछे गए हैं।

ऐसे में इस लेख में आज हम लॉरेन्स कोहलबर्ग के नैतिकता के सिद्धांत पर आधारित कुछ संभावित प्रश्न आपके सामने ला रहे हैं जो आगामी CTET परीक्षा शिफ्टों में पूछे जा सकते हैं। ऐसे में यदि आप भी अभी CTET परीक्षा में शामिल होने वाले हैं तो नीचे दिए गए इन प्रश्नों को जरूर पढ़ लें।

कोहलबर्ग के नैतिक विकास का सिद्धांत - kohalabarg ke naitik vikaas ka siddhaant
CTET 2021 : (Lawrence Kohlberg 15 Theory Questions For CTET)

प्रश्न : लॉरेन्स कोलबर्ग के द्वारा प्रस्तावित निम्नलिखित चरणों में से प्राथमिक विद्यालयों के बच्चे किन चरणों का अनुसरण करते हैं?
(i) आज्ञापालन और दण्ड-उन्मुखीकरण
(ii) वैयक्तिकता और विनियम
(iii)अच्छे अन्तः वैयक्तिक सम्बन्ध
(iv)सामाजिक अनुबन्ध और व्यक्तिगत

  • ii और iv
  • i और iii
  • i और iv
  • ii और I

उत्तर : 4

प्रश्न : कोहलबर्ग के अनुसार, बच्चे सीखते हैं

  • संज्ञानात्मक विकास के चरण
  • शारीरिक विकास के चरण
  • संवेगात्मक विकास के चरण
  • नैतिक विकास के चरण

उत्तर : 4

प्रश्न : एक बच्चा तर्क प्रस्तुत करता है “आप यह मेरे लिए करें और मैं वह आपके लिए करूँगा।” यह बच्चा कोह्लबर्ग की नैतिक तर्कणा की किस अवस्था के अन्तर्गत आएगा?

  • अच्छा लड़का-लड़की’ अभिमुखीकरण
  • सामाजिक अनुबन्ध अभिमुखीकरण
  • सहायक उद्देश्य अभिमुखीकरण
  • दण्ड और आज्ञापालन अभिमुखीकरण

उत्तर : 2

प्रश्न : कोहलबर्ग के अनुसार सही और गलत प्रश्न के बारे में निर्णय लेने में शामिल चिन्तन-प्रक्रिया को कहा जाता है।

  • नैतिक दुविधा
  • सहयोग की नैतिकता
  • नैतिक तर्कणा
  • नैतिक यथार्थवाद

उत्तर : 3

प्रश्न : लॉरेन्स कोहलबर्ग के नैतिक तर्क के सिद्धान्त की अनेक बातों के लिए आलोचना की जाती है। इस आलोचना के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?

  • अपनी सैद्धान्तिक रूपरेखा पर पहुँचने के लिए कोहलबर्ग ने पियाजे के सिद्धान्तों को दोहराया है।
  • कोहलबर्ग ने नैतिक तर्क के प्रत्येक सोपान के लिए विशेष उत्तर नहीं दिया है।
  • कोहलबर्ग का सिद्धान्त बच्चों के प्रत्युत्तरों पर ध्यान केन्द्रित नहीं करता।
  • कोहलबर्ग ने अपने अध्ययन को मूलतः पुरुषों के नमूनों का आधृत रखा है।

उत्तर : 1

प्रश्न : बच्चों में नैतिकता की स्थापना के लिए सर्वोत्तम मार्ग है

  • उन्हें धार्मिक पुस्तकें पढ़ाना
  • शिक्षक क आदर्श रूप में व्यवहार करना
  • उनका मूल्य शिक्षा पर मूल्यांकन करना
  • उन्हें प्रातः कालीन सभा में उपदेश देना

उत्तर : 2

प्रश्न : रोहित ने अजय की डेस्क से ली हुई पेन्सिल वापिस रख दी क्योंकि उसे पकड़े जाने पर सजा मिलने का डर था। यह कोहलबर्ग के किस स्तर को बताता है ?

  • पूर्व-परम्परागत स्तर
  • परम्परागत स्तर
  • उत्तर-परम्परागत स्तर
  • पूर्व-संक्रियात्मक स्तर

उत्तर : 1

प्रश्न : कोहलबर्ग के नैतिक विकास के सिद्धान्त एवं उसकी विभिन्न स्तरों के अनुसार निम्न में से कौन-सा सोपान उनके द्वारा प्रतिपादित नहीं है?

  • आत्मकेन्द्रित निर्णय
  • परस्पर एकरूप अभिमुखता
  • वैयक्तिकता व विनिमय अभिमुखता
  • सामाजिक अनुबन्ध विधिसम्मत अभिमुखता

उत्तर : 3

प्रश्न : लॉरेन्स कोलबर्ग विकास के क्षेत्र में शोध के लिए जाने जाते हैं

  • संज्ञानात्मक
  • नैतिक
  • शारीरिक
  • गामक

उत्तर : 2

प्रश्न : कोहलबर्ग के अनुसार वह स्तर जिसमें बालक की नैतिकता दण्ड के भय से नियन्त्रित रहती है, कहलाती है

  • पूर्व-नैतिक अवस्था
  • परम्परागत नैतिक स्तर
  • आत्म-स्वीकृत नैतिक अवस्था
  • नैतिकता स्तर

उत्तर : 1

प्रश्न : रिक्त स्थान भरिए: “कोहलबर्ग का सिद्धान्त एक
बालक ………. के विकास की व्याख्या करता है।”

  • अनैतिक
  • नैतिक
  • अनैतिक व नैतिक
  • इनमें से कोई नहीं

उत्तर : 2

प्रश्न : 9 वर्ष के बालक की नैतिक तर्कना आधारित होती है

  • किसी कार्य के भौतिक परिणाम उसकी अच्छाई या बुराई को निर्धारित करते हैं
  • कोई कार्य सही होना इस बात पर निर्भर करता है कि उससे व्यक्ति को अपनी आवश्यकता पूर्ति होती है
  • नियमों का पालन करने के बदले में कुछ लाभ मिलना चाहिए
  • सही कार्य वह है जो उस व्यक्ति के द्वारा किया जाए जो अन्य व्यक्तियों को अपने व्यवहार से प्रभावित करता है।

उत्तर : 1

प्रश्न : कोहलबर्ग के नैतिक विकास के सिद्धान्त के अनुसार निम्न अवस्था में लोगों की आशा तथा इच्छाएँ पूरी करने के सन्दर्भ में सही या गलत का निर्णय लेता है

  • अवस्था-1
  • अवस्था- 3
  • अवस्था-2
  • अवस्था-4

उत्तर : 2

प्रश्न : लॉरेन्स कोलबर्ग के सिद्धान्त के अनुसार, “किसी कार्य को इसलिए करना, क्योंकि दूसरे इसे स्वीकृति देते हैं”, नैतिक विकास के …….. चरण को दर्शाता है।

  • उत्तर-प्रथागत
  • अमूर्त संक्रियात्मक
  • प्रथा-पूर्व
  • प्रथागत

उत्तर : 4

प्रश्न : निम्नलिखित में से कौन सी लॉरेंस कोहलबर्ग के द्वारा प्रस्तावित नैतिक विकास की एक अवस्था है?

  • प्रसुप्ति अवस्था
  • सामाजिक अनुबन्ध अभिविन्यास
  • मूर्त संक्रियात्मक अवस्था
  • उद्योग बनाम अधीनता अवस्था

उत्तर : ??

इस प्रश्न का सही उत्तर क्या होगा? हमें अपना जवाब कमेंट सेक्शन में जरूर दें।

आशा है आपको हमारे द्वारा दिए गए “लॉरेन्स कोहलबर्ग के नैतिकता के सिद्धांत” से जुड़े 15 महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर की जानकारी आपको पसंद आई होगी। CTET परीक्षा से जुड़ी हर एक लेटेस्ट अपडेट्स के लिए सरकारी अलर्ट को बुकमार्क करें।

कोहलबर्ग का नैतिक विकास की कितनी अवस्थाएं बताएं?

साक्षात्कार द्वारा दिए गए उत्तरों के आधार पर कोलबर्ग ने नैतिक चिंतन की तीन अवस्थाएं बताई हैं, जिन्हें पुनः दो-दो चरणों में विभाजित किया गया है।

कोहलबर्ग ने नैतिक विकास का सिद्धांत कब दिया?

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लॉरेंस कोहलबर्ग ने 1970 में नैतिक विकास ( theory of moral development) सिद्धांत का विकास किया। यह सिद्धांत पियाजे और जॉन डेवी के विचारों पर आधारित था। उन्होंने नैतिक विकास सिद्धांत को तीन अवस्थाओं में बांटा है।

कोहलबर्ग के सिद्धांत को क्या कहते हैं?

कोहल बर्ग ने नैतिक विकास सिद्धांत को अवस्था सिद्धांत( stage theory) भी कहा है। उन्होंने नैतिक विकास सिद्धांत को 6 अवस्थाओं में विभाजित किया है एवं उन्हें सार्वभौमिक(Universal) माना है। सार्वभौमिक का तात्पर्य है कि कोई भी बच्चा हो वह इन अवस्थाओं से होकर अवश्य गुजरता है।

लॉरेंस कोहलबर्ग के सिद्धांत में कौन सा स्तर नैतिकता की अनुपस्थिति को सही अर्थ में सूचित करता है?

स्तर 1: पूर्व-पारंपरिक नैतिकता: इसमें नैतिक विकास के पहले दो चरण शामिल हैं। इस स्तर में नैतिकता सही अर्थों में अनुपस्थित होती है।