(क) आह्वान कविता में हा !

विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते पंक्ति विप्लव-रव से् क्या तात्पर्य है? छोटे ही हैं शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है?


‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य क्रांति के स्वर से है। जब क्रांति आती है तो उसका सबसे अधिक लाभ छोटे लोगों (किसान-मजदूरों-शोषित वर्ग) को ही मिलता है। शोषक वर्ग तो ‘विप्लव-रव’ अर्थात् क्रांति आने की संभावना से ही बुरी तरह घबरा जाता है। शोषित वर्ग जब क्रांति आने की आवाज (आहट) सुनता है तो उसके चेहरे पर प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती है। क्रांति में यह वर्ग शोभा प्राप्त करता है।

838 Views


इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर!, ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग कविता के शेष पाँच खंडों में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- अरे वर्ष के हर्ष!, मेरे पागल बादल!, ऐ निर्बंध!, ऐ स्वच्छंद!, ऐ उद्दाम!, ऐ सम्राट!, ऐ विप्लव के प्लावन!, ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार! उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बतायें बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है?


अरे वर्ष के हर्ष: बादल वर्ष भर के बाद वर्षा ऋतु में आते हैं अत: हर्ष के कारण होते हैं। यह संबोधन उचित ही है।

मेरे पागल बादल: कवि का बादल को पागल कहना सही है। बादल पागलपन की हद तक मस्त होते हैं।

ऐ निर्बंध: बादल सर्वथा स्वच्छंद होते हैं, किसी बंधन में नहीं बँधते अत: यह संबोधन भी उचित है।

ऐ उद्दाम: बादल उच्छृंखल और निरंकुश होते हैं। वे अपनी मर्जी के मालिक होते है अत: यह संबोधन सही है।

ऐ सम्राट.: बादल बादशाह के समान होते हैं। वे शासन करते है, मानते नहीं।

ऐ विप्लव के प्लावन: बादल विप्लव को लाते हैं अत: यह संबोधन सटीक है।

ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार: बादल चंचल शिशु के समान सुकुमार भी होते हैं अत: यह संबोधन उचित है।

1060 Views


कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता है जैसे-अस्थिर सुखसुख के साथ अस्थिर विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में प्रभाव पैदा कर दिया है। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ है?


दग्ध हृदय (दग्ध दुःख की अधिकता बताता है।)

निर्दय विप्लव (निर्दय-विशेषण विप्लव की हृदय हीनता को दर्शाता है।)

ऊँचा सिर (ऊँचा-विशेषण गर्व भावना को दर्शा रहा है।)

घोर वज्र-हुंकार (वज्र हुंकार की सघनता को दर्शाने के लिए ‘घोर’ विशेषण का प्रयोग)।

अचल शरीर (शरीर ‘अचल’ बताकर उसे निश्चल बताया गया है।)

आतंक भवन (भवन को आतंक का केंद्र बताने के लिए ‘आतंक’ विशेषण)।

सुकुमार शरीर (शरीर की कोमलता दर्शाने के लिए बच्चे के शरीर को सुकोमल बताया गया है।)

जीर्ण बाहु

शीर्ण शरीर (शरीर की दुर्बल अवस्था के लिए जीर्ण-शीर्ण-विशेषण।)

301 Views


                
                                                                                 
                            हे ! प्रेम पिपासु आवाहन है
                                                                                                
                                                     
                            
यौवन का ,जीवन का ।
राग-पराग अनुराग
रक्त चर्म, रसराज
त्याज्य है तुझ पर ,
पान करो धुन मधुर-मधुर
अब डर किसका ।
है ! प्रेम पिपासु आवाहन है,
यौवन का ,जीवन का।

आह उठे,
भयानक भाव उठे,
रौंद कुचलकर
बेपरवाह हर स्वाद चखे ।
तू बन मेरा मन
मैं बनूं तुम्हारी मन का
हे! प्रेम पिपासु आवाहन है।
यौवन का, जीवन का।

भंय भाग
भाग कर दूर सुदूर,
जीवन कर धन ,
धन-धन जीवन ,
अब क्यों ? दूरी,
क्यों हो मजबूरी,
मिटा भेद पराया परधन का
हे ! प्रेम पिपासु आवाहन है ।
यौवन का, जीवन का।

तुझसे सब निदान
हम निर्बल बे प्रान,
तुझ पर अर्पण
पल- पल का सम्मान ,
न्योछावर तृण-तृण
कण-कण,
अब चाह नहीं तन का।
हे ! प्रेम पिपासु आवाहन है,
यौवन का ,जीवन का ।

राह ना सूझे
चारों ओर घोर-घनेरा
डगमग नैया
मन उलझे अब कैसा फेरा ,
भंय बढ़े भयंकर
रति दाहक का ,
हे ! प्रेम पिपासु आवाहन है ,
यौवन का जीवन का ।

उनसे मन की आस ,
बारह मास लागी सही,
दीन दशा देख विरह की
प्रकृति कब शत्रु रही,
घेर-घनेरी घटा-घहरे
घन मोर-मिलन की बात कही ,
कैसे आभार करूं उनका ।
हे ! प्रेम पिपासु आवाहन है
यौवन का, जीवन का ।

कंचन कोमल कोरा ,
पुष्प रचित तन
प्रेम संचित धन ,
नेह- स्नेह सब,
वरण करो रग-रग का
अर्पण है समर्पण है
प्रेम रतन धन का ।
हे ! प्रेम पिपासु आवाहन है
यौवन का जीवन का ।

- एस.पी.यादव 'कठरवा '

- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है। आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करे।

1 year ago