ज्यादा खाने वाले लोग कैसे होते हैं? - jyaada khaane vaale log kaise hote hain?

ज़्यादातर बच्चे खाना पसंद करते हैं, लेकिन कुछ बच्चों को जितना खिलाओ कम होता है. वो हर वक़्त खाना ही चाहते हैं, जिससे उनके माता-पिता के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है.

ऐसा ही एक उदाहरण एमिली (वास्तविक नाम नहीं) की चार साल की बेटी का है, जो काफ़ी खाती है.

एमिली ने बताया, “एकदम सुबह की बात है. मुझे अपने फ्रीज़र डोर अलार्म की आवाज़ सुनाई दी. मैं किचन में गई. देखा कि मेरी बेटी फ़्रॉज़ेन आलू केक खा रही थी.”

एमिली बताती हैं कि उन्होंने अब यह मान लिया है कि घर में जो भी खाद्य पदार्थ होगा, उनकी बेटी उसे खा लेगी. वह कहती हैं कि एक ऐसा बच्चा जिसे हर वक़्त खाने की मज़बूरी हो, उसकी माँ बनना काफी जटिलता भरा है.

इमेज कैप्शन,

वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक सेहत पर कोई बुरा प्रभाव दिखाई न दे, बच्चों को ख़ुद तय करने दें कि उन्हें कितना खाना है.

बच्चों की खाने संबंधी आदतें अक्सर ख़बरों में रहती है. हाल में ख़बर आई थी कि पिछले एक दशक में मोटापे के चलते अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों और किशोरों की तादाद चार गुनी बढ़ गई है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि हर व्यक्ति की भूख अलग-अलग होती है.

इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के मोटापा रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर स्टीफ़न ब्लूम का कहना है, “हम सभी के शरीर का आकार-प्रकार अलग होता है. आप बाहर से कहते हैं कि हर व्यक्ति अलग है. ठीक ऐसा ही हमारे शरीर के भीतर भी है.”

प्रो. स्टीफ़न ब्लूम ने इंसान के शरीर की भूख नियंत्रण प्रणाली पर काफ़ी अध्ययन किया है. बहुत कम खाने वाले और बहुत ज़्यादा खाने वाले, दोनों तरह के बच्चे हैं.

मिशेल (वास्तवित नाम नहीं) बताती हैं कि उनका 11 साल का बेटा हमेशा भूखा रहता है. उसके खानपान का इंतज़ाम करना काफ़ी जटिल और थकाऊ है.

वह बताती हैं, “इतना भूखा होने के कारण आप अक्सर अपने बच्चे से परेशान रहते हैं और ग़ुस्सा भी हो जाते हैं, लेकिन मैं नहीं सोचती कि इसके लिए किसी को दोषी ठहराया जा सकता है.”

उन्होंने कहा, “मेरे बच्चे के साथ कुछ ग़लत नहीं है. खाने को लेकर कोई चिकित्सकीय दशा या मसला नहीं है. वह वास्तव में भूखा है न कि लालची. मैं ख़ुद को भी दोषी नहीं ठहराती क्योंकि मैं उसे पोषक आहार देने का हरसंभव प्रयास करती हूँ.”

इमेज कैप्शन,

विशेषज्ञों का मामना है कि ज़्यादातर बच्चों की खानपान की आदतें माता-पिता की लापरवाही के कारण बिगड़ती हैं.

मिशेल के मुताबिक़ “इस समय उसका वज़न ज़्यादा नहीं है क्योंकि मैं उसके खाने पर नियंत्रण रखती हूँ. मैं उसे बुरे खाने के नतीजों के बारे में समझाने की कोशिश करती हूँ. मगर वह हर समय मेरे साथ नहीं रहता. मुझे चिंता है कि भविष्य में क्या होगा.”

माता-पिता के लिए बच्चों का वज़न एक बड़ी चिंता का सबब बन जाता है. यह एमिली की चिंता का विषय भी है. वह कहती हैं कि उनकी बेटी अपने भाई-बहनों के मुक़ाबले हमेशा लंबी और अधिक भूखी रही है.

उन्होंने कहा कि, “वह बचपन में खूब खाती थी और अक्सर वज़न की ऊपरी सीमा के नज़दीक रहती थी, जबकि उसका बड़ा भाई दुबला-पतला था.”

इंसान की भूख नियंत्रित करने को लेकर कई शोध हुए हैं. कैम्ब्रिज़ विश्वविद्यालय में मेडिसिन की प्रोफेसर सदफ़ फारूक़ी ने कहा, “भूख इतनी जटिल चीज है कि वास्तव में हम उसके बारे में बहुत कम जानते हैं.”

वह बताती हैं कि, “हम भूख के बारे में इतना जानते हैं कि इसमें आनुवंशिक कारण शामिल हैं, लेकिन यह दूसरी बातों के अलावा माहौल और व्यवहार से भी प्रभावित होती है.”

वह बताती हैं कि स्वाद भी इसकी एक वजह है. सभी लोग एक ही तरह से स्वाद का अनुभव नहीं करते और एक ही खाना किसी व्यक्ति को अच्छा लग सकता है और दूसरे को नहीं.

स्वास्थ्य संबंधी अभियानों से जुड़े लोग बताते हैं कि कई माता-पिता उनसे संपर्क कर अपने बच्चों की भूख के बारे में चिंता जताते हैं, लेकिन ज़्यादातर मामलों में ऐसा माता-पिता की लापरवाही के चलते होता है.

कुछ की दलील है कि बच्चे जब तक स्वस्थ हैं, वो जो खाना चाहते हैं, उन्हें खाने दीजिए क्योंकि चिकित्सकीय साक्ष्य बताते हैं कि बच्चे आमतौर पर अपनी भूख के मुताबिक़ ही खाते हैं.

नेशनल ओबेसिटी फोरम के प्रवक्ता टॉम फ्राई कहते हैं, “आमतौर पर बच्चे अपनी ज़रूरत से ज्यादा नहीं खाते. यदि आप उन्हें स्वयं निर्णय लेने के लिए छोड़ देते हैं तो वो यह सीखते हैं कि खाने को कैसे नियंत्रित करना है.”

अक्सर आपने देखा होगा कि कई लोग वजन बढ़ने के डर से जंक फूड खाना तो दूर, बल्कि उसे देखने से भी डरते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो कितनी भी अनहेल्दी चीजें खा लें, लेकिन उनका वजन बढ़ता नहीं है. क्या कभी आपने सोचा है कि कुछ लोगों का वजन बिना अनहेल्दी चीजें खाएं ही बढ़ने लगता है, तो वहीं कुछ लोग सब कुछ खाकर भी बिल्कुल स्लिम कैसे रहते हैं? अगर नहीं तो अब जान जाएंगे.

दरअसल, हाल ही में हुई एक स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि जो लोग बिना कुछ मेहनत किए ही स्लिम रहते हैं, उसके लिए उनकी जींस (genes) जिम्मेदार होती हैं. यह स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के शोधकर्ताओं द्वारा की गई है. स्टडी के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ लोगों में जींस की सीरिज मौजूद होती है, जो उनके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती हैं या फिर शरीर के फैट को तेजी से कम करती हैं.

स्टडी के दौरान ये जींस लगभग 1,600 हेल्दी और स्लिम लोगों में पाई गईं. हालांकि, कुछ लोगों में इन जींस के होने से उनकी खाने में दिलचस्पी कम देखी गई. ऐसे लोगों का पतले होने का यह भी एक कारण है.

वहीं, स्टडी में शामिल 40 फीसदी पतले लोगों ने बताया कि उन्हें खाने का बहुत शौक है. उनका जो मन करता वे सब कुछ खाते हैं, फिर भी उनका वजन नहीं बढ़ता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि कुछ लोगों में खास तरह की जींस होती हैं. इन जींस की जांच करने के लिए उन्हें स्टडी करनी होगी, जिसके माध्यम से वे पता लगा पाएंगे कि ज्यादा खाने के बाद उनका शरीर किस तरह से काम करता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस स्टडी की मदद से वे ऐसी दवाई की खोज कर सकेंगे, जिससे मोटे लोग अपने वजन को कंट्रोल में रख सकेंगे.

स्टडी के सीनियर लेखक प्रोफेसर सदफ फारुकी ने बताया, 'स्टडी के दौरान हमने पाया कि कुछ पतले लोगों को खाने की इच्छा कम होती है, ऐसा उनकी जींस की वजह से होता है. लेकिन कुछ लोगों ने हमें बताया कि वे बहुत ज्यादा खाते हैं, लेकिन फिर भी उनका वजन बढ़ता नहीं है. इससे ये साफ पता चलता है कि कुछ लोगों में ऐसे जींस मौजूद होते हैं, जो अधिक खाने के बाद भी वजन को बढ़ने नहीं देती.'

शोधकर्ताओं के मुताबिक, पतले और हेल्दी लोग इसलिए पतले रहते हैं, क्योंकि उनमें वजन बढ़ाने वाली जींस कम होते हैं. बता दें, पतले लोगों की जींस पर की गई सबसे बड़ी स्टडी में शोधकर्ताओं ने ब्रिटिश के ऐसे लोगों को शामिल किया, जो पतले होने के साथ हेल्दी भी थे.

स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने 1,622 पतले लोगों के सलाइवा का सैंपल लिया. इसके बाद करीब 10,000 सामान्य वजन वाले और लगभग 2,000 मोटे लोगों के जींस से तुलना कर के देखा. नतीजों में पलतेपन का संबंध जींस से पाया गया.

यह स्टडी PLOS जेनेटिक जर्नल में प्रकाशित की गई है. इस स्टडी में बताया गया है कि 18 फीसदी पतलापन हमारे DNA के कारण होता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि व्यक्ति के पतले या मोटे होने में DNA की अहम भूमिका होती है.

ज्यादा खाने से क्या प्रॉब्लम है?

आपको बता दें मोटे हो जाने पर इंसुलिन रेजिस्टेंस हो जाता है और इससे टाइप-2 डाइबिटीज होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. 3- चोकिंग हो सकती है- दरअसल, जब आप जल्दबाजी में खाते हैं तो खाना कई बार गले में अटक जाता है जिससे चोकिंग होने लगती है. चोकिंग एक ऐसी परेशानी है जो आपकी जान के लिए खतरा बन सकती है.

तीखा खाने वाले लोग कैसे होते हैं?

ज्यादा मसालेदार और तीखा खाने वाले लोगों की जिंदगी भी स्पाइसी होती है। यह दावा 2 हजार अमेरिकी लोगों पर हुए एक हालिया सर्वे में किया गया है। इसके नतीजे कहते हैं कि मसालेदार भोजन करने की आदतों से आपकी पर्सनालिटी का गहरा रिश्ता होता है। सर्वे के मुताबिक 93% लोगों को खाने में तीखा और मसालेदार खाना पसंद होता है

सबसे ज्यादा खाने वाला व्यक्ति कौन है?

180 किलो के इस शख्स का नाम मोहम्मद रफीक अदनान है जो बिहार के कटिहार के रहने वाले हैं. इनकी उम्र महज 30 साल है.

कम भोजन करने से क्या होता है?

स्ट्रेस, एंग्जायटी से हो सकते हैं ग्रस्त रात में खाना ना खाने की आदत आपको एंग्जायटी का शिकार बना सकती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि ना खाने से मानसिक सेहत पर नेगेटिव असर होता है. जो लोग आए दिन डिनर स्किप करते हैं, उनमें देर रात जंक फूड या अनहेल्दी ईटिंग हैबिट डेवलप हो सकती है, जो मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए सही नहीं है.