राष्ट्रीय आय लेखांकन का क्या महत्व है? - raashtreey aay lekhaankan ka kya mahatv hai?

इसे सुनेंरोकेंराष्ट्रीय आय लेखांकन समष्टि अर्थशास्त्र की एक शाखा है और राष्ट्रीय आय तथा संबंधित समुच्चयों का आंकलन इसका एक भाग है। राष्ट्रीय आय और इससे संबंधित कोई भी समुच्चय एक देश की उत्पादन क्रियाओं का माप है।

राष्ट्रीय लेखांकन के लिए वर्गीकृत खातों में कौन सा खाता सम्मिलित नहीं होता है 😕

इसे सुनेंरोकेंव्यक्तिगत आय, सभी व्यक्तियों या परिवारों द्वारा एक वर्ष में अर्जित कुल आय होती है। इसमें LPG सब्सिडी जैसे हस्तांतरण भुगतान भी शामिल हैं। परिवारों द्वारा कल्याणकारी भुगतान प्राप्त किए जाते हैं, परन्तु ये भुगतान राष्टीय आय के घटक नहीं होते हैं क्योंकि ये हस्तांतरण भुगतान होते हैं।

भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना कब और किसके द्वारा की गई थी?

इसे सुनेंरोकेंभारत में राष्ट्रीय आय का अनुमान के लिए कोई विशेष प्रयत्न नहीं किए गये थे। भारत में सबसे पहले सन 1868 में दादा भाई नैरोजी ने राष्टीय आय का अनुमान लगाया था।

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आधार वर्ष क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंसामान्यतः आधार वर्ष एक प्रतिनिधि वर्ष होता है और उसके चुनाव के समय ध्यान रखा जाता है कि उस वर्ष में कोई बड़ी आर्थिक व प्राकृतिक घटना, जैसे- बाढ़, सूखा या भूकंप आदि न घटित हुई हो। आधार वर्ष का चुनाव करते समय यह भी ध्यान रखा जाता है वह चालू वर्ष के निकट ही हो, ताकि अर्थव्यवस्था की सही स्थिति का आकलन किया जा सके।

इसे सुनेंरोकेंराष्ट्रीय आय लेखांकन का तात्पर्य उन विधियों या तकनीकों से है जिनका उपयोग किसी भी अर्थव्यवस्था में समग्र रूप से आर्थिक गतिविधियों के मापन के लिए होता है। जिस प्रकार एक व्यक्ति या एक संस्था की आय की गणना की जा सकती है, ठीक उसी प्रकार एक देश की आय की भी गणना की जा सकती है।

आय कितने प्रकार की होती है?

आय और उसके प्रकार:

  • व्याख्या: आय तीन प्रकार की होती है-
  • अर्जित आय- अर्जित आय वह आय है जो आपके श्रम का प्रत्यक्ष परिणाम है।
  • पोर्टफोलियो आय- पोर्टफोलियो आय एक संपत्ति को बेचने से उत्पन्न आय है, और यदि आप उस संपत्ति को मूल रूप से इसके लिए भुगतान की गई कीमत से अधिक कीमत पर बेचते हैं, तो आपको लाभ होगा।
  • निष्क्रिय आय-

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राष्ट्रीय आय के अध्ययन का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंराष्‍ट्रीय आय का महत्‍व (rashtriya aay ka mahatva) राष्‍ट्रीय आय के विश्‍लेषण से अर्थव्‍यवस्‍था में विभिन्‍न उत्‍पादन कार्यों जैसे उद्योंग, कृषि यातायात इत्‍यादि के तुलनात्‍मक महत्‍व की जानकारी होती है। राष्‍ट्रीय आय का विश्‍लेषण से यह ज्ञात किया जाता है। देश में आर्थिक शक्ति तथा आय का वितरण किस प्रकार हो रहा है।

राष्ट्रीय आय की परिभाषा देश की गणना की प्रमुख विधि कौन कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंआय विधि — आय विधि के अन्तर्गत राष्ट्रीय आय की गणना करते समय किसी दिये गये वर्ष में मजदूरी एवं वेतन लगान एवं किराया ब्याज, लाभ, लाभांश एवं रायल्टी के समग्र योग को ज्ञात कर लिया जाता है। जिसमें समग्र योग आय को सकल राष्ट्रीय आय (GNI) कहते हैं।

लाभ में वृद्धि क्या है?

इसे सुनेंरोकेंयह निवेश आय तथा लाभ में होने वाले परिवर्तनों से प्रेरणा प्राप्त करता है। आय तथा लाभ के बढ़ने की सम्भावना से यह बढ़ता है तथा इसमें होने वाली कमी से यह कम होता जाता है। प्रेरित निवेश लाभ या आय सापेक्ष होता है। प्रेरित निवेश प्रायः निजी क्षेत्र में किया जाता है।

राष्ट्रीय आय लेखांकन की कठिनाइयाँ (Difficulties of National Accounting)-

नेल्सन के निम्न सन्तुलन पाश सिद्धान्त से क्या आशय है ?

  1. दोहरी गणना की समस्या (Problem of Doube Counting)- राष्ट्रीय आय लेखांकन में सबसे बड़ी समस्या दोहरी गणना की है जो अन्तिम एवं मध्यवर्ती वस्तुओं में सही अन्तर न कर पाने के कारण पैदा होती है। उदाहरण के लिए गेहूँ का आटा एक परिवार के लिए अन्तिम उत्पाद एवं बेकरी के लिए मध्यवर्ती उत्पाद है। यदि इसे अन्तिम उत्पाद मानकर गणना की जाय तो निष्कर्ष गलत निकलेंगे।
  2. लेखों की अपूर्णता (Incomplete Accounts)- राष्ट्रीय आय लेखांकन में कुछ लेखे अपूर्ण रह जाने के कारण उनसे अर्थव्यवस्था की सही जानकारी नहीं मिलती। इन अपूर्ण लेखों के कुछ उदाहरण है पुराने क्रय-विक्रय से उत्पन्न भुगतान, पूँजी का हस्तान्तरण एवं विदेशों से प्राप्त उपहार, अनुदान इत्यादि ।
  3. घिसावट की माप की कठिनाई (Difficulty in Measuring the Depreciation )- उत्पादन के क्षेत्र में कुछ मशीनों की अवधि दीर्घकाल की होती है तथा उनमें प्रतिवर्ष कुछ-न-कुछ घिसावट होती है किन्तु इसका मौद्रिक माप काफी कठिन होता है। पूँजीगत वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तनों से यह कठिनाई और भी बढ़ जाती है।
  4. मौद्रिक माप की कठिनाई (Difficulty of Monetary Measure)- जिन वस्तुओं एवं सेवाओं की माप मुद्रा में किया जा सकता है, उन्हें राष्ट्रीय आय लेखांकन में शामिल किया जा सकता है, किन्तु कुछ ऐसी वस्तुएँ एवं सेवाएँ हैं जिनका माप सम्भव नहीं है जैसे एक गृहिणी की घरेलु सेवाएँ घर के बगीचे में पैदा की गयी सब्जियाँ, इत्यादि। इनसे आय लेखांकन में कठिनाई होती है।
  5. लोक सेवाओं की माप में कठिनाई (Difficulty in Measuring the Public Services )- कुछ सेवाएँ ऐसी होती हैं जिनका उत्पादन में कोई प्रत्यक्ष हाथ नहीं दिखता। अतः राष्ट्रीय आय लेखांकन में उनके शामिल किये जाने में कठिनाई होती है जैसे मिलिटरी एवं स्वास्थ्य सेवाएँ। इनका मौद्रिक माप सम्भव नहीं हो जाता।
  • अवलोकन की परिभाषा दीजिए। अवलोकन की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  • सुल्तान ग्यासुद्दीन तुगलक की आर्थिक नीति का मूल्यांकन कीजिए।
  • भारत में विधि निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  • प्राचीन मिस्र के सामाजिक जीवन पर प्रकाश डालिये।
  • ‘पब्लिक स्कूल’ पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  • लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  • नगरीय जीवन की विशेषतायें क्या-क्या हैं
  • जीन बोदों का जीवन परिचय लिखिए।
  • गौरवपूर्ण क्रान्ति के राजनैतिक परिणाम बताइए।

राष्ट्रीय आय लेखांकन क्या है इसका महत्व बताइए?

राष्ट्रीय आय लेखांकन का तात्पर्य उन विधियों या तकनीकों से है जिनका उपयोग किसी भी अर्थव्यवस्था में समग्र रूप से आर्थिक गतिविधियों के मापन के लिए होता है। जिस प्रकार एक व्यक्ति या एक संस्था की आय की गणना की जा सकती है, ठीक उसी प्रकार एक देश की आय की भी गणना की जा सकती है।

राष्ट्रीय आय की विशेषताएं क्या है?

भारत की राष्ट्रीय आय समिति के अनुसार, ”राष्ट्रीय आय में एक दी हुई अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का आकलन किया जाता है किन्तु इसमें दोहरी गणना नहीं की जाती ।” उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय आय में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के वास्तविक मूल्य को शामिल किया जाता है ।

राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली के जन्मदाता कौन है?

राष्ट्रीय आय लेखांकन के अंतर्गत एक वित्तीय वर्ष में किसी देश की अर्थव्यवस्था के कुल आय को मापा जाता है। राष्ट्रीय आय लेखांकन का जन्मदाता अमेरिकी अर्थशास्त्री ''साइमन कुजनेट्स'' को माना जाता है।

राष्ट्रीय आय लेखांकन में आधार वर्ष का अर्थ क्या होता है?

राष्ट्रीय आय लेखांकन में “आधार वर्ष' का अर्थ है- जिस वर्ष की आय का उपयोग मौद्रिक जी. डी. पी. की गणना के लिए किया जाता है। जिस वर्ष की कीमतों का उपयोग मौद्रिक जी. डी. पी की गणना के लिए किया जाता है।