जनजाति विकास से आप क्या समझते हैं? - janajaati vikaas se aap kya samajhate hain?

इसे सुनेंरोकेंजनजाति (tribe) वह सामाजिक समुदाय है जो राज्य के विकास के पूर्व अस्तित्व में था या जो अब भी राज्य के बाहर हैं। जनजाति वास्‍तव में भारत के आदिवासियों के लिए इस्‍तेमाल होने वाला एक वैधानिक पद है। भारत के संविधान में अनुसूचित जनजाति पद का प्रयोग हुआ है और इनके लिए विशेष प्रावधान लागू किये गए हैं।

सबसे अधिक अनुसूचित जातियों के शोषण के विरुद्ध कानूनी मामले कहाँ दर्ज होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंअनुसूचित जाति के संबंध में- अनुसूचित जातियों (SC) के विरुद्ध होने वाले अपराधों के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश (11,829) में दर्ज किये गए, जिसके बाद राजस्थान और बिहार का स्थान है, जहाँ क्रमशः 6,794 और 6,544 मामले सामने आए।

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भारत में कितने प्रकार की जनजातियां पाई जाती है?

इसे सुनेंरोकेंहोस, कोरा, मुंडा, उरांव, भूमिज, संथाल, गेरो, लेप्चा, असुर, बैगा, बंजारा, भील, गोंड, बिरहोर, खोंड, कोरबा, लोहरा। गद्दी, गुर्जर, लाहौल, लांबा, पंगवाला, किन्नौरी, बकरायल।

भारत की प्रमुख जनजातियां कौन कौन सी हैं?

भारत की प्रमुख जनजातियां एवं विशेषता

  • भील जनजाति
  • गोंड जनजाति
  • संथाल जनजाति
  • मुंडा जनजाति
  • बोडो जनजाति
  • थारू जनजाति
  • भोटिया जनजाति
  • नागा जनजाति

भारत में अनुसूचित जातियों की मुख्य समस्याएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजिनका प्रमुख कारण अशिक्षा, निर्धनता एवं असुरक्षित आजीविका का साधन है। इन क्षेत्रों में पीलिया, हैजा, मलेरिया जैसे बीमारियां व्याप्त है। इन क्षेत्रों में कुपोषण से जुड़ी हुई समस्याएं जैसे लौह तत्व की कमी, रक्ताल्पता तथा उच्च शिशु मृत्यु दर बड़ी समस्या है। जनजातीय समूहों में मदिरापन परंपरा का हिस्सा है।

अनुसूचित जनजाति की प्रमुख समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार ने क्या प्रयत्न किए हैं?

इसे सुनेंरोकेंलघु वन उत्पाद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना क्रियान्वित की गई है। जनजातियों के समग्र विकास के लिए भी मंत्रलय स्तर पर विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता दी जाती है। इसमें जनजातीय क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए अन्य सहायता के कार्यक्रम शामिल हैं।

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St में कितनी जाती है?

इसे सुनेंरोकेंइस आधार पर मुख्यतः 4 चार वर्ग बनाये जा सकते हैं। जिनमे से ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र वर्ग हैं। अब इन वर्गों को फिर से अनेक जातियों में वर्गीकृत किया गया है या बांटा गया है। बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहाँ इन वर्गों के तहत कुल 250 जातियां हैं।

प्रदेश में तीन विशेष पिछड़ी जनजाति यथा भारिया, बैगा एवं सहरिया निवासरत हैं। राज्य शासन द्वारा 11 विशेष पिछड़ी जनजाति विकास अभिकरणों का गठन किया गया है। जो मण्डला, बैहर (बालाघाट), डिण्डौरी, पुष्पराजगढ़ (अनुपपुर) शहडोल, उमरिया, ग्वालियर, (दतिया जिला सहित), श्योपुर (भिण्ड, मुरैना जिला सहित) शिवपुरी, गुना (अशोकनगर जिला सहित) तथा (तामिया जिला छिन्दवाड़ा) में स्थित है। इन अभिकरणों में चिन्हांकित किए गए 2314 ग्रामों में विशेष पिछड़ी जनजाति के 5.51 लाख व्यक्ति निवास करते हैं।

चिन्हांकित क्षेत्रों में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजातियों हेतु योजनाओं के बनाने, क्रियान्वयन, अनुश्रवण एवं मूल्यांकन हेतु गवर्निंग बाडी के गठन का प्रावधान है। जिसमें विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के सदस्यों को ही अध्यक्ष एवं संचालक मण्डल के सदस्यों के रूप में शासन स्तर से दो वर्षों के लिए मनोनीत किया जाता है। संचालक मण्डल में अभिकरण क्षेत्र से संबंधित आदिवासी विधायक/जिला पंचायत अध्यक्ष एवं जनपद पंचायतों के अध्यक्षों को सदस्यों के रूप में रखा जाता है। संबंधित अभिकरण के परियोजना प्रशासक/सहायक आयुक्त/जिला संयोजक सदस्य सचिव के रूप् में कार्य सम्पादित करते हैं।

बैगा, भारिया एवं सहरिया प्राधिकरण

  • सहरिया जनजाति विकास प्राधिकरण
  • बैगा जनजाति विकास प्राधिकरण
  • भारिया जनजाति विकास प्राधिकरण  

इन प्राधिकरणों से संपूर्ण राज्य मे सामाजिक विकास संभव होगा । इन नवगठित राज्य स्तरीय प्राधिकरणों से इन्ही जातियों का एक अध्यक्ष, तीन अशासकीय सदस्य (मनोनित) होंगे । वित्त पंचायत एवं ग्रामीण विकास , लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जल संशाधन, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, स्कूल शिक्षा, कृषक कल्याण, उघानिकी, वन तथा जनजातीय कार्य विभाग के अपर मुख्य सचिव / प्रमुख सचिव/ सचिव शासकीय सदस्य हैं । प्राधिकरणों के अध्यक्षों एवं अशासकीय सदस्यों को राज्य शासन द्वारा मानदेय तथा अन्य सुविधाए प्रदाय होंगी। इन प्राधिकरणें के कार्य क्षेत्र में वर्तमान में संचालित क्षेत्रीय अभिकरण तथा राज्य के विभिन्न जिलों में निवासरत समस्त विशेष पिछडी जनजाति (बैगा, भारिया तथा सहरिया) सम्मिलित है इन प्राधिकरणों के गठन से इन समाज के व्यक्तियों को राज्य स्तर पर नीतिगत निर्णयों एवं राजनीतिक विषयों पर निर्णय हेतु प्रतिनिधित्व मिलेगा जिससे विभिन्न विकास एवं कल्याणकारी विभागों में बेहतर समन्वय एवं अभिकरण सुनिश्चित होगा । अभिकरणों के कार्य क्षेत्र के बाहर विशेष पिछड़ी जनजाति हेतु संचालित योजनाओं के संबंध प्राधिकरण आवश्यक अनुशंसा कर सकेगा ।

1.   भील, भील गरासिया, ढोली भील, डूंगरी भील, डूंगरी गरासिया, मेवासी भील, रावल भील, तड़वी भील, भगालिया, भिलाला, पावरा, वसावा, वसावें 2.   भील मीना 3.   डामोर, डामरिया 4.   धानका, तडबी, वालवी, तेतारिया 5.   गरासिया (राजपूत गरासिया को छोडकर) 6.   काथोडी, कातकरी, ढोर काथोडी, ढोर कातकरी, सोन काथोडी, सोन कातकरी 7.   कोकना, कोकनी, कूकना 8.   कोली ढोर, टोकरे कोली, कोलचा, कोलघा 9.   मीना 10.   नायकडा, नायका, चोलीवाला नायका, कापडिया नायका, मोटा नायका, नाना नायका 11.   पटेलिया 12.   सेहरिआ, सेहारिआ, सहारिया

जनजाति से आप क्या समझते हैं वर्णन कीजिए?

जनजाति (अंग्रेजी: Tribe) वह सामाजिक समुदाय है जो राज्य के विकास के पूर्व अस्तित्व में था या जो अब भी राज्य के बाहर हैंजनजाति वास्‍तव में भारत के आदिवासियों के लिए इस्‍तेमाल होने वाला एक वैधानिक पद है। भारत के संविधान में अनुसूचित जनजाति पद का प्रयोग हुआ है और इनके लिए विशेष प्रावधान लागू किये गए हैं

जनजाति के लोगों की क्या विशेषता है?

जनजातियों की प्रमुख विशेषताए एक जनजाति एक निश्चित भूभाग में निवास करती है! इनकी प्रायः अपनी भाषा (बोली) होती है ! एक जनजाति के सदस्यों की अपनी संस्कृति रहन-सहन व जीवनशैली होती है एक जनजाति के सदस्य अपनी संस्कृति के नियमों का पालन करते हैं।

भारतीय जनजातियों की विशेषताएं क्या है?

भारत में जनजातियाँ जनजातियाँ वह मानव समुदाय हैं जो एक अलग निश्चित भू-भाग में निवास करती हैं और जिनकी एक अलग संस्कृति, अलग रीति-रिवाज, अलग भाषा होती है तथा ये केवल अपने ही समुदाय में विवाह करती हैं। सरल अर्थों में कहें तो जनजातियों का अपना एक वंशज, पूर्वज तथा सामान्य से देवी-देवता होते हैं।

भारत में सबसे बड़ी जनजाति कौन सी है?

2011 की जनगणना के अनुसार भील भारत का सबसे बड़ा आदिवासी समूह है। वे भारत की कुल अनुसूचित जनजातीय आबादी का लगभग 38% हैं। भील जनजाति महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश के साथ-साथ त्रिपुरा में भी पाई जाती है। इस जनजाति द्वारा बोली जाने वाली भाषा भील है।