Show ऐसे जल को कठोर जल, (Hard water) कहते हैं जिसमें खनिज लवणों की अधिकता हो। इसमें कैल्शियम व मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट व कार्बोनेट उपस्थित रहते हैं। इसकी सरल पहचान है कि यह साबुन के साथ फेन (झाग) उत्पन्न नही करता। ध्यान रहे कि ‘भारी जल’ अलग चीज है। परिचय[संपादित करें]आम प्रयोग में ‘उच्च-टीडीएस जल’ को ‘कठोर जल’ के समानर्थी के रूम में इस्तेमाल किया जाता है। वैज्ञानिक प्रयोग में उच्च टीडीएस जल का मतलब उसमें घुले सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, कार्बोनेट. बाईकार्बोनेट, क्लोराइड, सल्फेट जैसे पदार्थों की घुली मात्रा से है। दूसरी ओर जल की कठोरता से मतलब कैल्शियम और मैग्नीशियम से है जिसे मिलीग्राम/लीटर से व्यक्त किया जाता है। कठोरता की मात्रा के अनुसार अगर इसकी मात्रा 60 से कम होती है तो उसे 'मृदु जल' (सॉफ्ट वाटर) कहा जाता है। 61 से 120 के बीच होने पर थोड़ा कठोर और 121 से 180 के बीच होने पर कठोर और 180 से अधिक होने पर बहुत कठोर कहा जाता है। ऐसे में कठोरता और उच्च टीडीएस को समानार्थक के रूप में न इस्तेमाल करना ही बेहतर है ताकि भ्रम की स्थिति से बचा जा सके। लाभ-हानि[संपादित करें]कठोर जल उसे कहा जाता है जिसमें कैल्शियम और मैगनीशियम की मात्रा अधिक होती है। वर्षा का पानी जब चट्टानों और मैदान से होकर गुज़रता है तो उसमें ये खनिज घुलते जाते हैं। विभिन्न अनुसंधानों से ये पता चला है कि अगर आपके आहार में कैल्शियम अधिक है तो आपकी हड्डियाँ मज़बूत रहेंगी। जहाँ तक मैगनीशियम का सवाल है उससे मांसपेशियों की कमज़ोरी, अवसाद और ऊँचाई के डर को रोका जा सकता है। अगर हमारे शरीर में मैगनीशियम की कमी हो जाए तो उससे हमारा विकास धीमा पड़ जाता है, हमारे गुरदे प्रभावित होते हैं और हमारे बाल झड़ने लगते हैं। इसलिए कठोर जल का सेवन स्वास्थ्य के लिए हितकर ही है। हाँ, इससे हमारी त्वचा रूखी ज़रूर हो जाती है और हमारे बालों को भी ये नुक़सान करता है। यह साबुन के साथ झाग उत्पन्न नहीं करता है। इन्हे भी देखें[संपादित करें]
बाहारी कड़ियाँ[संपादित करें]
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जल की कठोरता (Hardness of Water)जल में कई खनिजों के लवण अर्थात् कैल्सियम, मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट, सल्फेट या क्लोराइड, सिलिका, लोहे, जस्ता आदि के लवण विद्यमान होते हैं तो जल को कठोर जल कहा जाता है। इस प्रकार के जल से कपड़ों को धोते समय झाग नहीं बन पाते हैं। इसका कारण होता है कि जल में साबुन को रगड़ने से साबुन् जो स्टेरिएट होता है, कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के लवणों से क्रिया कर उसके स्टेरिएट को अवक्षेपित कर देता है। इसके कारण कठोर जल में कपड़े धोने से काफी साबुन का व्यय होता है। जल की कठोरता के कारण (Causes of Hardness of Water)कठोर जल के दुष्परिणाम- इसके निम्नांकित दुष्परिणाम हो सकते हैं-
कठोरता के प्रकार (Types of Hardness)प्राय: जल की कठोरता प्रमुख रूप से दो प्रकार की होती है- 1. अस्थायी कठोरता (Temporary Hardness) – जल में अगर मैग्नीशियम और कैल्सियम के बाइकार्बनिट घुले हों तो यह ‘अस्थायी कठोरता’ कहलाती है। इस कठोरता को उबालकर दूर किया जा सकता है। 2. स्थायी कठोरता (Permanent Hardness) – जल में अगर मैग्नीशियम तथा कैल्सियम क्लोराइड और सल्फेट घुले रहते हैं तो यह ‘स्थायी कठोरता’ कहलाती है। इस कठोरता को साधारण विधियों द्वारा दूर नहीं किया जा सकता है। कठोरता दूर करने की आवश्यकताजल की कठोरता को दूर करने के निम्न कारण हैं- (i) कठोर जल में साबुन से कपड़ा धोने में अधिक साबुन व्यय होता है। (ii) बॉयलर में कठोर जल उबालने से बर्तन की सतह पर लवणों की एक पर्त जम जाती है, जो ऊष्मा की कुचालक होती है। फलतः जल को गर्म करने में बॉयलर को अधिक ऊष्मा की आवश्यकता होती है। (iii) बॉयलर में कठोर जल गर्म करने पर उसमें घुलित लवणों की पर्त जल के साथ क्रिया कर अम्ल बनाती है, जो बॉयलर की धातु को विलेय करके बॉयलर में धातु की मोटाई कम करते रहते हैं। मोटाई अधिक कम हो जाने पर बॉयलर के फटने का डर रहता है। (iv) लवणों के अधिक मात्रा में घुल जाने पर कठोर जल पीने योग्य भी नहीं होता। जल की कठोरता दूर करनाजल के अन्दर विलेय यौगिकों के आधार पर कठोरता दो प्रकार की होती है (A) अस्थायी कठोरता- वह कठोरता, जो केवल जल को उबालने से दूर हो जाती है, जल की अस्थायी कठोरता कहलाती है। यह कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट जल में विलेय होने के कारण होती है। अस्थायी कठोरता दूर करने के उपाय(i) जल को उबालकर- अस्थायी कठोर जल को उबालने से उसमें विलेय बाइकार्बोनेट अविलेय कार्बोनेट में बदल जाते हैं, जो बर्तन की पेंदी में बैठ जाते हैं और जल मृदु हो जाता है जिन्हें निथारकर अलग किया जाता है। Ca (HCO3) 2 →CaCO3 + H2O + CO2 Mg(HCO3) 2→MgCO3 + H2O + CO2 (ii) चूने के द्वारा या क्लार्क विधि – अस्थायी कठोर जल में चूना मिलाने से भी यह कठोरता दूर हो जाती है, क्योंकि चूना बाइकार्बोनेट को कार्बोनेट में परिवर्तित कर देता है। Ca(OH) 2 + Ca(HCO3) 2 →2CaCO3 + 2H2O Ca(OH) 2 + Mg (HCO3 ) 2 → MgCO3 + 2H2O + Ca + CO3 (B) स्थायी कठोरता- जल की वह कठोरता जो जल को उबालने से दूर नहीं होती तथा जल में मैग्नीशियम तथा कैल्सियम के क्लोराइड व सल्फेट घुले रहने के कारण होती है, स्थायी कठोरता कहलाती है। स्थायी कठोरता दूर करने के उपाय(i) धावन सोडा अथवा सोडियम कार्बनिट द्वारा – धावन सोडा स्थायी कठोर जल में मिलाने से विलेय कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के क्लोराइड व सल्फेट अविलेय कार्बोनेट में बदल जाते हैं। CaSO4 + NaCO3 →CaCO3 + Na2SO4 CaCl2 + Na2CO3→2NaCl + CaCO3 MgSO4 + Na2CO3→ MgCO3 + Na2SO4 MgCl2 + Na2CO3- MgCO3 + 2NaCl जल में सोडियम लवण विलेय होने पर जल कठोर नहीं होता। इस विधि से जल की अस्थायी कठोरता भी दूर हो जाती है, क्योंकि क्रिया में Ca व Mg के बाइकार्बोनेट, सोडियम बाइकार्बनिट बनाते हैं जिससे जल कठोर नहीं होता। (ii) आसवन द्वारा – आसवन क्रिया में जल को उबालकर वाष्प में तथा वाष्प को ठण्डा कर जल में परिवर्तित करने पर प्राप्त जल आसुत जल कहलाता है। इस प्रकार प्राप्त जल में कोई लवण विलेय नहीं रहता, कठोर जल क्योंकि विलेय लवण बर्तन में रह जाते हैं। इस विधि से दोनों प्रकार की कठोरता दूर हो जाती है। (iii) परम्प्यूटिट विधि – इस विधि में परम्यूटिट (सोडियम जियोलाइट) का प्रयोग करते हैं। इसका सूत्र Na2Al2Si2O8 (सोडियम ऐल्यूमीनियम सिलिकेट) है। सुगमता के लिये Al2Si2O8 (ऐल्यूमीनियम सिलिकेट) के स्थान पर Z लिखा जाता है अत: सूत्र Na2z में प्रदर्शित होता है। जियोलाइट कठोर जल में विलेय यौगिकों से क्रिया कर कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के जियोलाइट में परिवर्तित कर देता है तथा सोडियम लवण जल में विलेय होते हैं, जो जल को कठोर नहीं बनाते। CaSO4 + Na2Z→ CaZ + Na2SO4 MgCb + Na2Z →MgZ + 2NaCl धीरे-धीरे सम्पूर्ण सोडियम जियोलाइट कैल्सियम जियोलाइट या मैग्नीशियम जियोलाइट में परिवर्तित हो जाता है। इस अवस्था में क्रिया रुक जाती है। इस जियोलाइट में यदि 10% NaCl का विलयन मिला दिया जाये तो फिर से सोडियम जियोलाइट प्राप्त हो जाता है और क्रिया पुनः प्रारम्भ हो जाती है। MaZ + 2NaCl →MgCl2 + Na2Z उपरोक्त बर्तन में यह क्रिया विधि चित्र में प्रदर्शित की गई है, इसमें जल बालू की सतह से होकर जियोलाइट के ऊपर जाता है और क्रिया के फलस्वरूप मृदु हो जाता है। (iv) कालगन विधि- कालगन सोडियम का संकर लवण है। इसका सूत्र Naa[Nai(PO4)6] है। कालगन जल में विलेय लवणों से क्रिया कर जल को मृदु बनाता 2CaSO4 + Na2[ Na4 ( PO4 ) 6 ] →2Na2SO4 + Na2 [Ca2 (PO4)6] Na2[Ca2(PO4)6] →2Na + +(Ca2 (PO4)6] ‾ ‾ उपरोक्त क्रियानुसार प्राप्त लवण जल में विलेय हो जाता है, किन्तु यह जल को कठोर नहीं बनाते। (v) आयन विनिमय रेजिन विधि – कुछ समय से जल में सब प्रकार के खनिज लवणों को हटाने के लिये आयन विनिमय रेजिनों का प्रयोग होने लगता है। एक टंकी को एक रेजिन α ऋणायन से लगभग आधा भरकर उसमें ऊपर से जल को प्रवाहित किया जाता है जो धनायनों का शोषण कर लेता है। इस टंकी से बाहर निकलने वाले जल में कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के धनायन नहीं होते अर्थात् वह मृदु होता है। फिर इस मृदु जल को एक दूसरे ऐसे रेजिन β धनायन में भेजते हैं जो ऋणायनों का अवशोषण कर लेता है। इस प्रकार जल में खनिज लवण बिल्कुल नहीं रहते और जल ‘आसुत जल’ जैसा होता है। IMPORTANT LINK
Disclaimer Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: जल की कठोरता क्या है यह कितने प्रकार की होती है?जल की कठोरता उसमें घुले लवणों के आधार पर दो प्रकार की होती है (1) अस्थायी कठोरता, और (2) स्थायी कठोरता ।
पानी की कठोरता के क्या कारण है?पानी की कठोरता:
यह कार्बोनेट्स, बाइकार्बोनेट्स, सल्फेट्स, कैल्शियम और मैग्नीशियम के क्लोराइड की उपस्थिति के कारण होता है। कैल्शियम और मैग्नीशियम के कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट पानी में मौजूद होते हैं, फिर यह कार्बोनेट या अस्थायी कठोरता की ओर ले जाती है।
जल की कठोरता का क्या कारण है स्थाई कठोरता कैसे दूर करेंगे?स्थायी कठोरता (Permanent hardness ) - स्थायी कठोरता कैल्सियम और मैग्नीशियम के क्लोराइड और सल्फेट लवणों के जल में घुले होने के कारण होती हैं , जिसे उबालने या चूने के पानी के व्दारा दूर नहीं किया जा सकता ।
हार्डनेस कितने प्रकार की होती है?'कठोरता' को मापने के अलग-अलग तरीके हैं :. खरोंच कठोरता (scratch hardness),. इंडेंटेशन कठोरता (indentation hardness), तथा. प्रतिक्षेप कठोरता (rebound hardness). |