हेलो सुरेंद्र हमें आपका क्वेश्चन के बिना जल की कठोरता से आप क्या समझते हैं ठीक है तो पहले तो ए टाउन समझते हैं कि जल की कठोरता ही होता क्या है तो क्या होता है कि जब इसका एग्जांपल ही समझते हैं ठीक है जैसे कि साबुन के साथ अगर आसानी से झाग दे देता है कोई भी जल्द ठीक है साबुन और पानी ठीक है इसको अगर मिलाया अगर आसानी से झाग मिलता है हमें ठीक है तो हम क्या बोलते हैं कि वह अधिक कठोर नहीं है जल वह किस टाइप का है मृदु जल है ठीक है लेकिन अगर आसानी से झाग नहीं मिलता है ठीक है कठिनाई से झाग मिलता है तो हम क्या Show बोलते हैं तुम बोलते हैं कि यह जो जल है वह किस टाइप का है वह कठोर जल है ठीक है तो जल की कठोरता यह क्या होता है जल में जो कठोरता होती है वह किसकी वजह से होती है और क्यों होती है तो जल में कठोर कठोर था उसमें विलय कैल्शियम और मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट क्लोराइड सल्फाइड एवं नाइट्राइट लोगों के कारण होती है तो यह होती है जल्दी कठोरता और यह भी दो टाइप की होती है अस्थाई कठोरता और स्थाई कठोरता थे जो अस्थाई कठोरता होती है इसमें क्या होता है कि इसमें जेल में उपस्थित है जितने भी कैल्शियम और मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट लवण होते हैं उनकी वजह से होती है ठीक है और इसे दूर करने के लिए क्या करते हैं कि जल को पालने इस प्रकार की कठोरता जल को वालों ने चुना डालने क्या na2 ca3 मिलाकर उबालने से खत्म हो जाती है ठीक है और होती किसकी वैसे है कैल्शियम और मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट की वजह से और जो स्थाई कठोरता होती है वह जल में उपस्थित कैल्शियम और मैग्नीशियम सल्फेट नाइट्रेट क्लोराइड लवणों के कारण होती है ठीक है और इसे दूर करने के लिए पानी को उबाल आया चुना नहीं डाला जाता है उसमें ठीक है इसके लिए कुछ अन्य विद्या यूज़ होते जैसे कि सोडियम कार्बोनेट का यूज़ करते हैं परमुटेड की विधि होती है उसका यूज़ करते हैं ठीक है तो यह था आंसर की जल की कठोरता क्या होती है थैंक यू कैल्शियम से लेपित पाइप से बाहर आते कठोर जलऐसे जल को कठोर जल, (Hard water) कहते हैं जिसमें खनिज लवणों की अधिकता हो। इसमें कैल्शियम व मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट व कार्बोनेट उपस्थित रहते हैं। इसकी सरल पहचान है कि यह साबुन के साथ फेन (झाग) उत्पन्न नही करता। ध्यान रहे कि ‘भारी जल’ अलग चीज है। इंस्टाग्राम पर फोलो करें आईडी Me Rajput Sonu plz सपोर्ट करे ❣️❣️ परिचय[संपादित करें]आम प्रयोग में ‘उच्च-टीडीएस जल’ को ‘कठोर जल’ के समानर्थी के रूम में इस्तेमाल किया जाता है। वैज्ञानिक प्रयोग में उच्च टीडीएस जल का मतलब उसमें घुले सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, कार्बोनेट. बाईकार्बोनेट, क्लोराइड, सल्फेट जैसे पदार्थों की घुली मात्रा से है। दूसरी ओर जल की कठोरता से मतलब कैल्शियम और मैग्नीशियम से है जिसे मिलीग्राम/लीटर से व्यक्त किया जाता है। कठोरता की मात्रा के अनुसार अगर इसकी मात्रा 60 से कम होती है तो उसे 'मृदु जल' (सॉफ्ट वाटर) कहा जाता है। 61 से 120 के बीच होने पर थोड़ा कठोर और 121 से 180 के बीच होने पर कठोर और 180 से अधिक होने पर बहुत कठोर कहा जाता है। ऐसे में कठोरता और उच्च टीडीएस को समानार्थक के रूप में न इस्तेमाल करना ही बेहतर है ताकि भ्रम की स्थिति से बचा जा सके। लाभ-हानि[संपादित करें]कठोर जल उसे कहा जाता है जिसमें कैल्शियम और मैगनीशियम की मात्रा अधिक होती है। वर्षा का पानी जब चट्टानों और मैदान से होकर गुज़रता है तो उसमें ये खनिज घुलते जाते हैं। विभिन्न अनुसंधानों से ये पता चला है कि अगर आपके आहार में कैल्शियम अधिक है तो आपकी हड्डियाँ मज़बूत रहेंगी। जहाँ तक मैगनीशियम का सवाल है उससे मांसपेशियों की कमज़ोरी, अवसाद और ऊँचाई के डर को रोका जा सकता है। अगर हमारे शरीर में मैगनीशियम की कमी हो जाए तो उससे हमारा विकास धीमा पड़ जाता है, हमारे गुरदे प्रभावित होते हैं और हमारे बाल झड़ने लगते हैं। इसलिए कठोर जल का सेवन स्वास्थ्य के लिए हितकर ही है। हाँ, इससे हमारी त्वचा रूखी ज़रूर हो जाती है और हमारे बालों को भी ये नुक़सान करता है। यह साबुन के साथ झाग उत्पन्न नहीं करता है। इन्हे भी देखें[संपादित करें]
बाहारी कड़ियाँ[संपादित करें]
जल की कठोरता | जल की कठोरता कितने प्रकार की होती है ◆ जल एक यौगिक (Compound) है। इसमें हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का अनुपात भार के अनुपात में 1:8 एवं आयतन के अनुपात में 2:1 होता है। ◆ जल दो प्रकार का होता है- 1. मृदु जल (Soft Water) एवं 2. कठोर जल (Hard Water)। 1. मृदु जल (Soft Water) जो जल साबुन के साथ आसानी से झाग देता है और पीने में उपयुक्त होता है, उसे मृदु व शुद्ध जल कहते हैं। 2. कठोर जल (Hard Water) ◆ वह जल जिसमें साबुन आसानी से झाग नहीं देता है और पीने में उपयुक्त नहीं होता है, उसे कठोर जल कहते हैं। ◆ जल की कठोरता : जल की कठोरता, जल में कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवणों (बाईकार्बोनेट, सल्फेट, क्लोराइड आदि) के कारण होती है। जल की कठोरता को दूर करने के लिए इसमें सोडियम कार्बोनेट (Na₂CO₃) मिलाया जाता है। ◆ जल की कठोरता दो प्रकार की होती है- 1. अस्थायी कठोरता (Temporary Hardness) 2. स्थायी कठोरता (Permanent Hardness)। 1. अस्थायी कठोरता (Temporary Hardness): जल की अस्थायी कठोरता उसमें कैल्सियम (Ca) और मैग्नीशियम (Mg) के बाईकार्बोनेट के घुले रहने के कारण होती है। जल की अस्थायी कठोरता निम्न विधियों से दूर की जा सकती है- (i) उबालकर : जल को उबालने पर कैल्सियम और मैग्नीशियम के बाईकार्बोनेट विच्छेदित होकर अघुलनशील कार्बोनेट में परिणत हो जाते हैं, जिन्हें छानकर अलग कर दिया जाता है। (ii) क्लार्क विधि : जल में चूना- जल मिलाकर भी अस्थायी कठोरता दूर की जाती है। इस विधि को क्लार्क विधि कहा जाता है। कठोर जल में चूना-जल की आवश्यक मात्रा डालने पर, कैल्सियम बाईकार्बोनेट और मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट क्रमशः कैल्सियम कार्बोनेट और मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट में परिणत होकर अवक्षेपित हो जाते हैं। (iii) जल में कॉस्टिक सोडा या अमोनिया हाइड्रोऑक्साइड भी डालकर अस्थायी कठोरता दूर की जाती है। 2. स्थायी कठोरता (Permanent Hardness) : जल की कठोरता यदि जल को उबालने से दूर नहीं होती है, तो उस प्रकार की कठोरता स्थायी कठोरता कहलाती है। जल की स्थयी कठोरता निम्नलिखित विधियों से दूर की जा सकती है- (i) सोडा विधि : जल की स्थायी कठोरता कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवणों के कारण होती है। इन्हें जल से अलग करने के लिए इसमें सोडियम कार्बोनेट का घोल मिलाया जाता है जिससे कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवण अघुलनशील कार्बोनेट में परिणत हो जाते हैं, जिन्हें छानकर अलग निकाल दिया जाता है। (ii) साबुन विधि : जल की स्थायी कठोरता साबुन मिलाकर भी दूर की जा सकती है। साबुन उच्च वसा-अम्लों का सोडियम लवण होता है। जल में उपस्थित कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवण साबुन की प्रतिक्रिया से, कैल्सियम और मैग्नीशियम के अघुलनशील लवण के रूप में परिणत हो जाते हैं, जिन्हें छानकर बाहर निकाल दिया जाता है। (iii) परम्यूटिट विधि : यह जल की स्थायी कठोरता दूर करने की मुख्य विधि है। सोडियम और एल्युमिनियम के मिश्रित सिलिकेट को परम्यूटिट या सोडियम जियोलाइट भी कहा जाता है। कठोर जल को जियोलाइट की तहों से प्रवाहित करने पर जल में उपस्थित कैल्सियम और मैग्नीशियम के लवण सोडियम लवण के रूप में परिणत हो जाते हैं। (iv) कैलगन विधि : कैलगन, सोडियम हेक्सामेटा फॉस्फेट का व्यापारिक नाम है। यह जल में उपस्थित कैल्शियम और मैग्नीशियम के लवणों के साथ प्रतिक्रिया करता है और इसके फलस्वरूप ऐसे यौगिक का निर्माण होता है, जो अवक्षेप के रूप में जल से अलग तो नहीं होता, साबुन के साथ प्रतिक्रिया भी नहीं करता है। (v) स्रवण विधि : इस विधि में जल को उबालकर वाष्प में परिणत किया जाता है, पुनः वाष्प को संघनित कर जल में परिणत कर दिया जाता है। फलस्वरूप अपद्रव्य जल से अलग हो जाता है। जल की संपूर्ण कठोरता से आप क्या समझते हैं?ऐसा जल जिसमें साबुन के साथ अधिक झाग उत्पन्न नहीं होता है, कठोर जल कहलाता है। जल की कठोरता को जल में घुलित आयनों, मुख्यतः कैल्शियम (Ca+2) एवं मैग्नीशियम (Mg+2) के लवणों की सान्द्रता के रूप में व्यक्त किया जाता है। जल में इन आयनों की उपस्थिति का कारण इनके खनिज हैं जैसे कि डोलोमाइट, मैग्नेसाइट, कैल्साइट इत्यादि।
जल की कठोरता कितने प्रकार के होते हैं?जल की कठोरता उसमें घुले लवणों के आधार पर दो प्रकार की होती है (1) अस्थायी कठोरता, और (2) स्थायी कठोरता ।
पानी की कठोरता का क्या कारण है?पानी की कठोरता:
यह कार्बोनेट्स, बाइकार्बोनेट्स, सल्फेट्स, कैल्शियम और मैग्नीशियम के क्लोराइड की उपस्थिति के कारण होता है। कैल्शियम और मैग्नीशियम के कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट पानी में मौजूद होते हैं, फिर यह कार्बोनेट या अस्थायी कठोरता की ओर ले जाती है।
जल की कठोरता का क्या कारण है स्थाई कठोरता कैसे दूर करेंगे?Detailed Solution
स्थायी कठोरता जल में क्लोराइड और सल्फेट के रूप में मैग्नीशियम और कैल्शियम के घुलनशील लवणों की उपस्थिति के कारण होती है। उबालने से स्थायी कठोरता दूर नहीं होती है। इस विधि भी जिओलाइट/पेरमुटाईट प्रक्रिया कहा जाता है। इस विधि में रेजिन का उपयोग करके जल की स्थायी कठोरता को दूर किया जाता है।
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