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पदबंध की परिभाषा:वाक्य में प्रयुक्त शब्द पद कहलाता है। पद- वाक्य से अलग रहने पर ‘शब्द’ और वाक्य में प्रयुक्त हो जाने पर शब्द ‘पद’ कहलाते हैं। पदबंध- जब दो या अधिक (शब्द) पद नियत क्रम और निश्र्चित अर्थ में किसी पद का कार्य करते हैं तो उन्हें पदबंध कहते हैं।
(1) सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र जीत गया। उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द पदबंध है। पहले वाक्य के ‘सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र’ में पाँच पद है, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात संज्ञा का कार्य कर रहे हैं। दूसरे वाक्य के ‘अत्यंत सुशील और परिश्रमी’ में भी चार पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात विशेषण का कार्य कर रहे हैं। तीसरे वाक्य के ‘बहती चली जा रही है’ में पाँच पद हैं किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया का काम कर रहे हैं। चौथे वाक्य के ‘कल-कल करती हुई’ में तीन पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया विशेषण का काम कर रहे हैं। इस प्रकार रचना की दृष्टि से पदबन्ध में तीन बातें आवश्यक हैं- एक तो यह कि इसमें एक से अधिक पद होते हैं। दूसरे ये पद इस तरह से सम्बद्ध होते हैं कि उनसे एक इकाई बन जाती है। तीसरे, पदबन्ध किसी वाक्य का अंश होता है। अँगरेजी में इसे phrase कहते हैं। इसका मुख्य कार्य वाक्य को स्पष्ट, सार्थक और प्रभावकारी बनाना है। शब्द-लाघव के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है- खास तौर से समास, मुहावरों और कहावतों में। ये पदबंध पूरे वाक्य नहीं होते, बल्कि वाक्य के टुकड़े हैं, किन्तु निश्र्चित अर्थ और क्रम के परिचायक हैं। हिंदी व्याकरण में इनपर अभी स्वतन्त्र अध्ययन नहीं हुआ है। पदबंध के भेद:मुख्य पद के आधार पर पदबंध के पाँच प्रकार होते
हैं- (1) संज्ञा-पदबंध-वह पदबंध जो वाक्य में संज्ञा का कार्य करे, संज्ञा पदबंध कहलाता है। जैसे- (2) विशेषण पदबंध-वह पदबंध जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बतलाता हुआ विशेषण का कार्य करे, विशेषण पदबंध कहलाता है।
जैसे- (3) सर्वनाम पदबंध-वह पदबंध जो वाक्य में सर्वनाम का कार्य करे, सर्वनाम पदबंध कहलाता है। बिजली-सी फुरती दिखाकर आपने बालक को डूबने से बचा लिया। (4) क्रिया पदबंध- वह पदबंध जो अनेक क्रिया-पदों से मिलकर बना हो, क्रिया पदबंध कहलाता है। जैसे- (5) अव्यय पदबंध-वह पदबंध जो वाक्य में अव्यय का कार्य करे, अव्यय पदबंध कहलाता है। अपने सामान के साथ वह चला गया। पदबन्ध और उपवाक्य में अन्तर:उपवाक्य (Clause) भी पदबन्ध (Phrase) की तरह पदों का समूह है, लेकिन इससे केवल आंशिक भाव प्रकट होता है, पूरा नहीं। पदबन्ध में क्रिया नहीं होती, उपवाक्य में क्रिया रहती है; जैसे-‘ज्योंही वह आया, त्योंही मैं चला गया।’ यहाँ ‘ज्योंही वह आया’ एक उपवाक्य है, जिससे पूर्ण अर्थ की प्रतीति नहीं होती। इन्हे भी पढ़े:
PADBANDH In Hindi VideoFAQs
जब कोई शब्द स्वतंत्र न रहकर व्याकरण के नियमों में बंध जाता है तो उसे क्या कहते हैं?जब कोई शब्द स्वतंत्र न रहकर व्याकरण के नियमों में बँध जाता है, तब वह शब्द 'पद' बन जाता है। इस प्रकार वाक्य में प्रयुक्त शब्द ही 'पद'है। कारक, वचन, लिंग, पुरुष इत्यादि में बँधकर शब्द 'पद'बन जाता है।
जब शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो क्या कहलाता है?(b) 'शब्द' जब वाक्य में प्रयुक्त होता है तो 'पद' कहलाता है ।
शब्द कब पद बन जाता है a जब स्वतंत्र होता है b जब वाक्य में प्रयोग होता है C जब संज्ञा से मिलता है D सर्वनाम से जुड़ता?'जब वह वाक्य में व्याकरण के नियमों के साथ प्रयुक्त हो। ' तब शब्द पद बन जाता है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प 'जब वह वाक्य में व्याकरण के नियमों के साथ प्रयुक्त हो' है।
4 शब्द पद कब बनता है क वाक्य में प्रयुक्त न होने से ख वाक्य में प्रयुक्त होने से ग अपना रूप बदलने से घ अपना अर्थ बदलने से?भाग-क 1.
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