हरतालिका तीज व्रत कैसे करें... जानिए हरतालिका तीज व्रत का महत्व > Show > भारत का प्रमुख त्योहार हरतालिका व्रत भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन किया जाता है। इस दिन गौरी-शंकर का पूजन किया जाता है। यह व्रत हस्त नक्षत्र में होता है। इसे सभी कुआंरी युवतियां तथा सौभाग्यवती महिलाएं ही करती हैं। इस संबंध में हमारे पौराणिक शास्त्रों में इसके लिए सधवा-विधवा सबको आज्ञा दी गई है। इस व्रत को 'हरतालिका' इसीलिए कहते हैं कि पार्वती की सखी उन्हें पिता-प्रदेश से हर कर घनघोर जंगल में ले गई थी। 'हरत' अर्थात हरण करना और 'आलिका' अर्थात सखी, सहेली। हरतालिका तीज की पूजन सामग्री :- हरतालिका पूजन के लिए - गीली काली मिट्टी या बालू रेत। बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनैव, नाडा, वस्त्र, सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते, फुलहरा (प्राकृतिक फूलों से सजा)। पार्वती मां के लिए सुहाग सामग्री- मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा आदि। श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद पंचामृत के लिए। जानें हरतालिका तीज व्रत कैसे करें :- तीज व्रत में पानी कब पीते हैं?Hartalika Teej 2022: महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए 30 अगस्त को निर्जला तीज व्रत रखेंगी। यह व्रत गणेश चतुर्थी से पहले आता है। इस दौरान महिलाएं 24 घंटे का निर्जला उपवास पर करेंगी और भगवान शिव मां पार्वती की पूजा-अर्चना करेंगी। इसके बाद अगले दिन व्रत का पारण किया जाएगा।
हरतालिका तीज की पूजा कैसे करते हैं?पूजा में शंकर और पार्वती को पांच फूल से बना फुलेरा और माता पार्वती को सुहाग से जुड़ी वस्तुएं जरूर चढ़ाएं. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती को फल एवं मिष्ठान आदि का भोग लगाएंं. इसके बाद हरतालिका व्रत की कथा पढ़ें और अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें.
हरतालिका तीज के दिन क्या क्या खाना चाहिए?1. व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व जब फल, मिठाई आदि खाना होता है. उस समय में आपको रसीले फल, नारियल पानी आदि का सेवन करना चाहिए ताकि पूरे दिन शरीर में पानी की मात्रा बनी रहे. मिठाई भी इसलिए खाया जाता है ताकि पानी अधिक पी सकें.
तीज का व्रत कैसे खोलते हैं?भगवान शिव को धोती या अंगोछा चढ़ाएं। सुहाग सामग्री सास के चरण में स्पर्श कर ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान देना चाहिए। इस व्रत की कथा जरूर सुनें। इस व्रत के अगले दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा कर माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोल लें।
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