स्वस्थ आहारपरिचयस्वस्थ और सक्रिय जीवन के लिए मनुष्य को उचित एवं पर्याप्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।शरीर की आहार संबंधी आवश्यकताओं के तहत पोषक तत्वों की प्राप्ति के लिए अच्छा पोषण या उचित आहार सेवन महत्वपूर्ण है।नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ पर्याप्त, उचित एवं संतुलित आहार अच्छे स्वास्थ्य का आधार है।ख़राब पोषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है औररोग के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है तथाशारीरिक एवं मानसिक विकास बाधित होता है तथा उत्पादकता कम हो जाती है। Show संपूर्ण जीवन में स्वस्थ आहार उपभोग अपने सभी रूपों में कुपोषण रोकने के साथ-साथ गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) तथा अन्य स्थितियां रोकने में भी मदद करता है,लेकिन तेजी से बढ़ते शहरीकरण/वैश्वीकरण, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के उपभोग और बदलती जीवनशैली के कारण आहार संहिता में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। लोग अधिक ऊर्जा, वसा, शर्करा या नमक/सोडियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैंतथा पर्याप्त फल एवं सब्जी तथा रेशा युक्त आहार जैसे कि साबुत अनाज का सेवन नहीं करते हैं। इसलिए, ये सभी कारक असंतुलित आहार में योगदान करते हैं। संतुलित और स्वस्थ आहार विभिन्न ज़रूरतों (जैसे कि उम्र, लिंग, जीवन शैली और शारीरिक गतिविधियों), सांस्कृतिक, स्थानीय उपलब्ध खाद्य पदार्थों और आहारीय रीति-रिवाजों (खानपान के संस्कार) के आधार पर अलग होता है, लेकिन स्वस्थ आहार का गठन करने वाले मूल सिद्धांत समान रहते हैं। संतुलित आहार वह होता है, जिसमें प्रचुर और उचित मात्रा में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होते है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य, जीवन शक्ति और तंदुरूस्ती/आरोग्यता बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व पर्याप्त रूप से मिलते हैं तथा संपूरक पोषक तत्व कम अवधि की कमजोरी दूर करने की एक न्यून व्यवस्था है। आहार संबंधी मुख्य समस्या अपर्याप्त/असंतुलित आहार का सेवन है।भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व की सबसे सामान्य पोषण संबंधी समस्याओं में से एक जन्म के समय कम वज़न, बच्चों में प्रोटीन-कैलोरी (ऊर्जा) कुपोषण, वयस्कों में चिरकालिक ऊर्जा की कमी, सूक्ष्म पोषक कुपोषण और आहार संबंधी गैर-संचारी रोग हैं।देश में मानव संसाधनों के विकास के लिए स्वास्थ्य और पोषण सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी कारक हैं। स्वस्थ आहार पद्धतिजीवन में जल्दी शुरू होती है। हालिया प्रमाण दर्शाते है, कि गर्भाशय में पोषण की कमी, बाद के जीवन में आहार संबंधी चिरकालिक रोगों के लिए भावभूमि निर्मित करती है।स्तनपान स्वस्थ विकास में वृद्धि करता है और संज्ञानात्मक विकास में सुधार करता हैतथा उससे लंबे समय तक का स्वास्थ्य लाभ होता है। यह अधिक वज़न या मोटापा और बाद के जीवन में एनसीडी होने का ज़ोखिम कम करता है। यद्यपि स्वस्थ आहार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, इसलिए ‘प्रमुखता’ खाद्य आधारित दृष्टिकोण से पोषक नवाचार पर स्थानांतरित हो गयी है। खाद्य पदार्थों को निम्नलिखित के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है-
जीवन के विभिन्न चरणों में आहार योजना पोषण सब के लिए आवश्यक है।हालांकि, हर व्यक्ति के लिए आवश्यकता अलग-अलग होती है, जिसमें एक शिशु, बढ़ता हुआ बच्चा, गर्भवती/धात्री/स्तनपान कराने वाली महिलाएं और बुजुर्ग लोग शामिल हो सकते हैं।आहार विभिन्न कारकों जैसे कि उम्र, लिंग, शारीरिक गतिविधि और विभिन्न शारीरिक चरणों में पोषण की आवश्यकता तथा अन्य कई कारकों पर निर्भर करता है। बच्चों की शारीरिक लंबाई और वज़न उनकी शारीरिक वृद्धि और विकास दर्शाता हैं, जबकि वयस्कों की लंबाई और वज़न अच्छे स्वास्थ्य की दिशा के उठाए गए चरण दर्शाता हैं। शिशु के लिए आहार: यदि आपके पास कोई शिशु या बच्चा है, तो सुनिश्चित करें, कि उसे उसकी बढ़ती उम्र के अनुसार पर्याप्त पोषण मिलता है। शिशु को जीवन के पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए। प्रसव के बाद, एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना शुरू किया जाना चाहिए तथा पहले दूध (कोलोस्ट्रम) को त्यागना नहीं चाहिए, क्योंकि यह शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है तथा उसे कई संक्रमणों से भी बचाता है। स्तनपान, शिशु के लिए सुरक्षित पोषण सुनिश्चित करता है, जिससे संक्रमण का ख़तरा कम होता है तथा यह उसके संपूर्ण विकास में भी मदद करता है। शिशुओं की वृद्धि और स्वस्थ विकास के लिए स्तनपान सबसे अच्छा प्राकृतिक और पौष्टिक आहार है। स्तनपान करने वाले शिशुओं को अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं होती है। छह महीने के बादआप स्तनपान कराने के साथ-साथ अपने बच्चे को अनुपूरक आहार खिला सकते हैं। अनुपूरक आहार पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए। ये अनुपूरक आहार सामान्यत: घर पर उपयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों जैसे कि अनाज (गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा आदि) दाल (चना/दाल), मेवा तथा तिलहन (मूंगफली, तिलआदि), तेल (मूंगफली का तेल, तिल का तेल आदि), चीनी और गुड़ से तैयार किए जा सकते हैं। आप अपने बच्चे को विभिन्न प्रकार के नरम/अर्ध ठोस खाद्य पदार्थ जैसे कि आलू, दलिया, अनाजया अंडे भी खिला सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार-
शिशु एक समय में अधिक मात्रा में भोजन नहीं कर सकता हैं, इसलिए उसे निरंतर अंतराल पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में (दिन में तीन से चार बार) आहार खिलाया जाना चाहिए। इसके अलावा, आहार अर्ध-ठोस और गाढ़ा होना चाहिए, ताकि शिशु इसे आसानी से निगल सकें। संतुलित आहार आपके बच्चे को पोषण संबंधी कमियों से बचाने की कुंजी है। प्रोटीन ऊर्जा (कैलोरी) कुपोषण छह महीने से लेकर पांच वर्ष के बच्चों को अधिक प्रभावित करता है। कुपोषण को "अपर्याप्त या असंतुलित आहार के कारण खराब पोषण की स्थिति" के रूप में परिभाषित किया गया है। स्मरण योग्य तथ्य
बढ़ते बच्चों के लिए आहार: संतुलित आहार खाने वाले बच्चे ‘स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली’ की नींव रखते हैं। इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का ज़ोखिम कम होता है। ‘बाल्यावस्था’ वृद्धि के साथ-साथ मस्तिष्क विकास और संक्रमण से लड़ने का महत्वपूर्ण समय होता है। इसलिए, यह बहुत आवश्यक है, कि बच्चों को ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की अच्छी खुराक मिलें। बच्चों के लिए अनुपूरक भोजन तैयार करते और खिलाते समय स्वच्छता पद्धतियों का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है; अन्यथायह कमी डायरिया/दस्त/अतिसार उत्पन्न कर सकती है। बच्चों और किशोरों के सर्वोत्तम विकास और उनकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए उचित तरीके से बनाया गया संतुलित आहार परम आवश्यक है। बच्चे के बाहर खेलने, शारीरिक गतिविधि, सर्वोत्तम शारीरिक संरचना, बाद के जीवन में आहार संबंधी चिरकालिक रोगों की स्थितियों और किसी भी प्रकार के विटामिन की कमी के ज़ोखिम को रोकने के लिए भी संतुलित आहारआवश्यक हैं। किशोरावस्था में इसके साथ कई अन्य कारक जैसे कि लंबाई और वज़न में त्वरित वृद्धि, हार्मोनल परिवर्तन और स्वभाव जुड़ें हैं। इस अवधि के दौरान हड्डियों (बोन मास) का विकास होता है, इसलिए कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि दुग्ध उत्पाद (दूध, पनीर, दही) और पालक, ब्रोकली एवं सेलरी/अजवाइन खाना ज़रूरी हैं, क्योंकि इनमें कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता हैं। बच्चों को ऊर्जा (कैलोरी) के लिए अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और वसा की आवश्यकता होती है। इसलिए, उनके लिए ऊर्जा (कैलोरी) से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे कि साबुत अनाज (गेहूं, भूरा चावल/ब्राउन राइस), मेवा, वनस्पति तेल, फल एवं सब्जियों जैसे कि केला एवं आलू, शकरकंद का प्रतिदिन सेवन आवश्यक है। बच्चों के मामले में‘प्रोटीन’ मांसपेशियों के निर्माण, मरम्मत और विकास तथा एंटीबॉडी निर्माण के लिए आवश्यक हैं। इसलिए उन्हें ऐसा आहार दें, जिसमें मांस, अंडा, मछली और दुग्ध उत्पाद शामिल हों। बच्चे के शरीर की अच्छी शारीरिक प्रक्रिया और प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने के लिए विटामिन की आवश्यकता होती है। बच्चे के आहार में विभिन्न रंगों के फलों और सब्जियों को शामिल किया जाना चाहिए।दृष्टि/आंखों की रोशनी के लिए विटामिन ‘ए’ आवश्यक है तथा उसकी कमी से रतौंधी (रात में देखने में कठिनाई) होती है। गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां, पीले, नारंगी रंग की सब्जियां एवं फल (जैसे कि गाजर, पपीता, आम) विटामिन ‘ए’ के अच्छे स्रोत हैं। विटामिन ‘डी’ हड्डियों की वृद्धि और विकास में मदद करता है तथा यह कैल्शियम के अवशोषण के लिए आवश्यक है। बच्चे अधिकांशत: विटामिन ‘डी’ धूप से प्राप्त करते है तथा थोड़ी मात्रा में कुछ खाद्य पदार्थों (मछली के तेल, वसायुक्त मछली, मशरूम, पनीर और अंडे की जर्दी) से प्राप्त करते हैं। मासिक धर्म की शुरुआत (रजोधर्म) के कारण किशोरियां, किशोरों की तुलना में अधिक शारीरिक परिवर्तन और मनोवैज्ञानिक तनाव महसूस करती है। इसलिए, किशोरियों को ऐसा आहार दिया जाना चाहिए, जिसमें एनीमिया रोकने के लिए विटामिन और खनिज दोनों भरपूर मात्रा में हों। आजकल बच्चों का झुकाव जंक फूड की ओर अधिक हो गया है, लेकिन आपके लिए अपने बच्चे को पोषण से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने के लिए प्रेरित करना बेहद ज़रूरी है। अधिकांश बच्चों में खाने की ख़राब/गलत आदतें होती हैं। ये आदतें विभिन्न दीर्घकालिक स्वास्थ्य जटिलताएं उत्पन्न करती हैं, जैसे कि मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह टाइप 2 और ऑस्टियोपोरोसिस। एक अभिभावक के तौर परप्रतिदिन एक तरह के आहार की नीरसता (बोरियत) से बचने के लिए अपनी आहार संहिता (मेनू) में लगातार बदलाव करते रहें।किशोरावस्था खराब/गलत आहार की आदतों के साथ-साथ धूम्रपान, चबाने वाले तंबाकू या अल्कोहल जैसी बुरी आदतों के लिए सबसे कमजोर समय होता है।इनसे बचा जाना चाहिए। पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार के अलावा, स्वस्थ जीवन शैली पद्धति और क्रीड़ा/खेल जैसी बाहरी गतिविधियों में भागीदारी के लिए बच्चों और किशोरों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। नियमित ‘शारीरिक व्यायाम’ मज़बूती और आंतरिक बल बढ़ाता हैं। ये अच्छे स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती के लिए आवश्यक हैं। स्मरण योग्य तथ्य
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माँ/धात्री के लिए आहार: मातृत्व (माँ बनना) हर महिलाओं के जीवन में शारीरिक औरमानसिक के साथ-साथ पोषण की दृष्टि से एक परीक्षणात्मक चरण होता है।यदि आप गर्भवती हैं या आपके परिवार में कोई बच्चे की उम्मीद कर रहा है, तो यह सुनिश्चित करें, कि वे अच्छी तरह से खाती हों।गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान संपूरक आहार और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है।आपके गर्भ में बच्चे की पोषण संबंधी आवश्यकता को पूरा करने के लिए संपूरक आहार की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था में वज़न बढ़ने (आमतौर पर दस से बारह किलोग्राम) और शिशुओं का जन्म वज़न (लगभग 2.5 किलोग्राम से 3 किलोग्राम) के लिए संपूरक आहार की आवश्यकता होती है।एक गर्भवती महिला की पोषण संबंधी आवश्यकता गर्भावस्था की विभिन्न तिमाहियोंके आधार पर बदलती है। कुछ मामलों के अंतर्गतबच्चे में विकृतियों के ज़ोखिम को कम करने और बच्चे का ‘जन्म वज़न’ बढ़ाने और माँ में होने वाला एनीमिया रोकने के लिए सूक्ष्मपोषक तत्व (जैसे कि फोलिक एसिड/आयरन की गोलियां) अधिक ख़ुराक की आवश्यकता होती हैं। गर्भावस्था की उम्मीद करने वाली महिला और स्तनपान कराने वाली माँ/धात्री में ऑस्टियोपोरोसिस रोकने और कैल्शियम से भरपूर स्तन-दूध स्राव एवं बच्चे की हड्डियों और दांतों के उचित गठन के लिए गर्भावस्था के दौरान और स्तनपान चरण में कैल्शियम की अधिक ख़ुराक की आवश्यकता होती है। इसलिएउनके आहार में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां और समुद्री भोजन शामिल होने चाहिए। बच्चे की उत्तरजीविता बढ़ाने के लिए स्तनपान के दौरान विटामिन ‘ए’ की आवश्यकता होती है। इसके अलावास्तनपान कराने वाली महिला को विटामिन ‘बी 12’ और ‘सी’ जैसे पोषक तत्वों का उपभोग करना चाहिए। हीमोग्लोबिन संश्लेषण के लिए आयरन की आवश्यकता होती हैतथा यह रोगों के खिलाफ़ प्रतिरक्षा प्रदान करता है। आयरन की कमी से एनीमिया होता है। आयरन की कमी विशेषकर प्रजनन वाली महिलाओं और बच्चों में बेहद सामान्य है। गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी से ‘मातृ मृत्यु दर और जन्म के दौरान कम वज़न वाले शिशु दर’ में वृद्धि होती है। वनस्पति खाद्य पदार्थ जैसे कि हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां और सूखे मेवे में आयरन होता है। मांस, मछली और पोल्ट्री (मुर्गी) उत्पाद स्रोतों के माध्यम से भी आयरन प्राप्त होता है। अपने आहार के माध्यम से आयरन के बेहतर अवशोषण के लिए विटामिन ‘सी’ से भरपूर फल जैसे कि आंवला (आंवला), अमरूद, संतरा और खट्टे फलों का सेवन करें। गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की कमी के परिणामस्वरूप मृत-जन्म, गर्भपात और बौनापन होता है, इसलिए अपने आहार में आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करें। इसलिए, अब आप जानते हैं, कि अच्छा पोषण क्यों आवश्यक है। अच्छा यह गर्भवती महिला के लिए अपने भ्रूण को बनाए रखने के साथ-साथ उसके स्वास्थ्य, प्रसव के दौरान आवश्यक शक्ति; और सफल स्तनपान के लिए बेहद ज़रूरी है। गर्भधारण करने वाली महिलाओं के लिए पुस्तिका (संदर्भ: nrhm.gov.in) स्मरण योग्य तथ्य
वयस्क पुरुष और महिला के लिए आहार: वयस्क पुरुष और महिला को अपने आहार का ध्यान रखना चाहिए।आमतौर पर वयस्क समय की कमी की शिकायत करते हैं तथा गतिहीन जीवन शैली के कारणस्वस्थ आहार संहिता का पालन करना और भी मुश्किल हो जाता है।वयस्कों को नमक का उपयोग कम करना चाहिए, क्योंकि नमक के अधिक सेवन से उच्च रक्तचाप होता है।संरक्षित (डिब्बा बंद) खाद्य पदार्थ जैसे कि अचार/पापड़ और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से भी बचना चाहिए, क्योंकि ये अधिक नमक सेवन में योगदान देते है।वयस्क महिलाओं को कैल्शियम (दुग्ध और दुग्ध उत्पादों) से भरपूर आहार के साथ-साथ आयरन (हरी पत्तेदार सब्जियां-पालक, ब्रोकली आदि) युक्त आहार का सेवन करना चाहिए।संतृप्त वसा और ट्रांस वसा जैसे कि घी, मक्खन, पनीर, वनस्पति घी का सीमित उपयोग करें तथा आहार में रेशेदार खाद्य पदार्थों जैसे कि साबुत अनाज, सब्जियां और फलों को अधिक से अधिक मात्रा में शामिल करें। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वयस्कों के लिए स्वस्थ आहार में निम्नलिखित शामिल हैं:
डब्ल्यूएचओ-स्वस्थ आहार बुजुर्ग लोगों के लिए आहार: साठवर्ष या इससे अधिक उम्र के व्यक्ति को बुजुर्ग माना जाता हैं। बुजुर्ग लोगों के आहार में पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए, ताकि वे तंदुरूस्त और सक्रिय रहें। वरिष्ठ नागरिकों को स्वस्थ और सक्रिय रहने के लिए विटामिन और खनिज की आवश्यकता अधिक होती है। उम्र बढ़ने से शारीरिक संरचना बदल जाती है तथा ये बदलाव बुजुर्गों की पोषण संबंधी ज़रूरत प्रभावित करता हैं।बुजुर्ग या वृद्ध लोगों को कम मात्रा में कैलोरी की आवश्यकता होती है, क्योंकि उनकी कमज़ोर मांसपेशियां और शारीरिक गतिविधियां उम्र बढ़ने के साथ घट जाती है।उम्र संबंधित विघटनकारी रोग रोकने और स्वस्थ वृद्धावस्था के लिए बुजुर्गों को अधिक से अधिक मात्रा में कैल्शियम, आयरन, जिंक, विटामिन ‘ए’ और एंटीऑक्सीडेंट की आवश्यकता होती है। उम्र बढ़ने की प्रक्रिया शुरू होते ही अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखना बेहद आवश्यक है क्योंकि यह जीवन प्रत्याशा बढ़ाता है।बुजुर्गों के लिए व्यायाम करना परम आवश्यक है, क्योंकि यह शरीर के वज़न और जोड़ों में लचीलेपन को नियंत्रित करने में मदद करता है।नियमित व्यायाम सत्र से विघटनकारी रोगों का ज़ोखिम काफी हद तक कम हो जाता है। आमतौर पर बुजुर्ग भूख कम लगने या कभी-कभी चबाने में कठिनाई की शिकायत करते हैं।बुजुर्गों का आहार फल और सब्जियों सहित नरम आहार होना चाहिए। हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों जैसे कि दुग्ध उत्पाद (कम वसा), हल्का दूध (टोंड दूध) और हरी पत्तेदार सब्जियां को प्रतिदिन आहार में शामिलकरना चाहिए, ताकि ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों के अस्थि-भंग (फ्रैक्चर) को रोका जा सकें। पर्याप्त मात्रा में दालें, टोन्ड दूध (हल्का दूध), अंडा-सफेद आदि का सेवन करें, क्योंकि इनमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। बुजुर्गों को संतृप्त वसा, मिठाई, तैलीय आहार, नमक और चीनी के स्तर में कटौती करनी चाहिए। घी, तेल, मक्खन के उपभोग से पूरी तरह बचना चाहिए। इसके अलावा, मसालेदार खाने से भी बचना चाहिए। बुजुर्गों के भोजन को अच्छी तरह से पकाया जाना चाहिए।उनका भोजन नरम, कम नमक व मसाला रहित होना चाहिए। निर्जलीकरण और कब्ज से बचने के लिए निरंतर अंतराल पर थोड़ी मात्रा में भोजन तथा निरंतर अंतराल पर पानी पीना सुनिश्चित करें।चिरकालिक रोगों और वृद्धावस्था या रोग के कारण बिस्तर पर पड़े रोगियों के मामले में, चिकित्सीय स्थिति के आधार पर व्यक्तिगत आहार के लिए चिकित्सक से परामर्श करें। स्मरण योग्य तथ्य
अच्छे स्वास्थ्य में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का महत्व
(क) आहार में फल एवं सब्जियां- फल एवं सब्जियों में सूक्ष्म पोषक (आयरन, कैल्शियम, विटामिन ‘सी’, फोलिक एसिड, कैरोटिनॉइड और पादपरासायनिक/फाइटोकेमिकल्स) और पोषक तत्व (जटिल कार्बोहाइड्रेट/रेशा) भरपूर मात्रा में होते हैं। कुछ फल एवं सब्जियां बहुत कम कैलोरी प्रदान करती हैं, जबकि कुछ अन्य ज़्यादा कैलोरी प्रदान करती हैं, क्योंकि इनमें शर्करा (जैसे कि आलू, शकरकंद, केला) भरपूर मात्रा में होती हैं।इसलिए, आहार में कैलोरी बढ़ाने या कम करने के लिए फलों और सब्जियों का उपयोग किया जा सकता है। एक व्यक्ति को प्रतिदिन फल एवं सब्जियों का कम से कम 400 ग्राम (पांच भाग) आहार में शामिल करना चाहिए। फल एवं और सब्जियों के उपभोग को निम्नलिखित के माध्यम से सुधारा जा सकता है-
(ख) विभिन्न प्रकार के तेल/वसा- ऊर्जा का मुख्य स्रोत तेल/वसा हैं। वसा के आहारीय स्रोतों को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है- पशुजन्य वसा (जानवरों से प्राप्त वसा)- जानवरों से प्राप्त वसा के प्रमुख स्रोतों में घी, मक्खन, दूध, पनीर, अंडा, मांस और मछली शामिल हैं।इनमें कोलेस्ट्रॉल और अत्यधिक मात्रा में संतृप्त वसा एसिड (सैचुरेटेड फैटी एसिड) तथा ट्रांस वसा एसिड होता हैं। वनस्पति वसा- कुछ पौधों के बीज वनस्पति तेलों (जैसे कि मूंगफली, सरसों, तिल, नारियल, राई, जैतून और सोयाबीन का तेल) के अच्छे स्रोत हैं। खाने योग्य पौधों में वसा और संतृप्त वसा एसिड (सैच्युरेटेड फैटी एसिड) की मात्रा कम होती है, लेकिन वे मोनो-अनसैचुरेटेड फैटी एसिड (एमयूएफए) और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (पीयूएफए) के अच्छे स्रोत होते हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष वसा प्रत्यक्ष वसा वह होती हैं, जो कि प्राकृतिक स्रोतों से अलग होती हैं, जैसे कि दूध से घी/मक्खन, तेल वाले बीज और मेवा से खाना पकाना। इनके सेवन पर निगरानी करना आसान है। अप्रत्यक्ष वसा वह होती हैं, जो कि अनाज, दालें, मेवा, दूध और अंडे जैसे खाद्य पदार्थों के लगभग हर पहलु में उपस्थित हैं तथा उसका अनुमान लगाना मुश्किल है। यह सिफ़ारिश की जाती है, कि आहार में कुल कैलोरी का पंद्रह से तीस प्रतिशत वसा (प्रत्यक्ष वसा+अप्रत्यक्ष वसा) के रूप में प्रदान किया जाए। वयस्कों की तुलना में शिशुओं और बच्चों में अधिक ऊर्जा की ज़रूरत पूरी करने के लिए उनके आहार में पर्याप्त मात्रा में वसा शामिल की जानी चाहिए। आहार में अत्यधिक वसा मोटापा, हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर का ज़ोखिम बढ़ाती है।कुल ऊर्जा सेवन का दस प्रतिशत संतृप्त वसा कम करके और कुल ऊर्जा सेवन का एक प्रतिशत ट्रांस वसा कम करके तथा असंतृप्त वसा (एमयूएफए + पीयूएफए)के साथ दोनों को बदलकर इन रोगों के विकसित होने के ज़ोखिम को कम किया जा सकता है। वनस्पति घी-जब वनस्पति तेल हाइड्रोजिनेटिड (हाइड्रोजनीकृत) होते हैं।यह उन्हें अर्धवृत्ताकार या ठोस रूप में परिवर्तित करता है, जिसे वनस्पति या वनस्पति घी कहा जाता है।हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया के दौरान ‘असंतृप्त वसा एसिड’ संतृप्त वसा एसिड और ट्रांस वसा एसिड में बदल जाती हैं। ‘संतृप्त वसा और ट्रांस वसा’ गैर-संचारी रोगों (कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह, कैंसर, मोटापा) के ज़ोखिम का कारक हैं।वयस्कों में वनस्पति घी का उपभोग सीमित होना चाहिए। वनस्पति घी का उपयोग ज्यादातर बेकरी उत्पादों, मिठाइयों और स्नैक्स इत्यादि में किया जाता है। वसा सेवन को निम्नलिखित के माध्यम से कम किया जा सकता है:
(ग) नमक (सोडियम और पोटेशियम) उपभोग- ‘नमक’ आहार का एक महत्वपूर्ण घटक है। ज़्यादातर लोग नमक की मात्रा नहीं जानते हैं, कि वे कितना नमक खाते हैं।अधिक नमक और अपर्याप्त पोटेशियम का सेवन (3.5 ग्राम से कम) उच्च रक्तचाप में योगदान करता है, जिससे हृदय रोग और स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार प्रतिदिन पांच ग्राम से कम नमक उपभोग की सिफ़ारिश की जाती है। नमक के उपभोग को निम्नलिखित के माध्यम से कम किया जा सकता है-
(घ) शर्करा ‘शर्करा’ आहार तैयार करने के दौरान या बनाने वाला या उपभोक्ता द्वारा खाद्य या पेय पदार्थों में डालने के साथ-साथ शहद, सिरप, फलों के रस में प्राकृतिक रूप में उपस्थित होती है। प्रत्यक्ष शर्करा दंत क्षय (दांतों की सड़न) का ज़ोखिम बढ़ाती हैं तथा अधिक वज़न और मोटापा उत्पन्न करती हैं।प्रत्यक्ष शर्करा का सेवन कुल ऊर्जा सेवन के दस प्रतिशत कम होना चाहिए। शर्करा सेवन को निम्नलिखित के माध्यम से कम किया जा सकता है-
(ड.) साबुत अनाज- साबुत अनाज में अनाज के सब खाने योग्य भाग जैसे कि चोकर, बीज और भ्रूणपोष/एंडोस्पर्म शामिल करें। साबुत अनाज (जैसे किसाबुत अनाज, भूरा चावल/ब्राउन राइज़, जई, अप्रसंस्कृत मक्का, बाजरा) से भरपूर ‘आहार’ हृदय रोग, मधुमेह टाइप 2, मोटापा और कुछ प्रकार के कैंसर के ज़ोखिम को कम करता है।साबुत अनाज युक्त आहार नियमित मल त्याग बनाए रखने और बृहदान्त्र में स्वस्थ जीवाणुओं का विकास बढ़ाने में मदद करके आंत्र स्वास्थ्य में सुधार करता है। (च) पानी और पेय पदार्थ- पानी मानव शरीर के वज़न का लगभग सत्तर प्रतिशत है। ‘पानी’ पसीना, पेशाब और मल के माध्यम से शरीर से उत्सर्जित होता है। प्रतिदिन तरल की आवश्यकता पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ एवं सुरक्षित पानी पीना चाहिए। दूध- दूध सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए एक पौष्टिक और पेय आहार है। दुग्ध प्रोटीन अधिकांश शाकाहारी आहारों में मूल्यवान अनुपूरक आहार है।कैल्शियम (आयरन का कम स्रोत) का प्रमुख स्रोत दूध है, जो कि मज़बूत हड्डियों के निर्माण में मदद करता है। इस प्रकार ‘दूध’ प्रोटीन, वसा, शर्करा, विटामिन (विटामिन सी को छोड़कर) और खनिजों का अच्छा स्रोत है। टोंड दूध (हल्का दूध)- यह प्राकृतिक दूध और बने दूध का मिश्रण है। इसमें पानी का एक हिस्सा, प्राकृतिक दूध का एक हिस्सा और स्किम दूध की शक्ति का 1/8 हिस्साहोता है। दूध की वसा संतृप्त प्रकार की होती है, जो लोग कम वसा वाले आहार पर रहते है। वे मलाईरहित दूध/स्किम्ड मिल्क का सेवन कर सकते हैं। शाकाहारी दूध-कुछ वनस्पति खाद्य पदार्थों (मूंगफली और सोयाबीन) से तैयार दूध को वनस्पति दूध कहा जाता है।इसका उपयोग पशु दूध के बदले किया जाता है। शीतल पेय/सॉफ्ट ड्रिंक- ये निम्नलिखित प्रकार के हैं: प्राकृतिक शीतल पेय (प्राकृतिक फलों का रस)- ये ऊर्जा के साथ-साथ कुछ विटामिन (बीटा कैरोटीन, विटामिन सी) और खनिज (पोटेशियम और कैल्शियम) प्रदान करते हैं। प्राकृतिक फलों के रस में पोटेशियम भरपूर मात्रा में होता हैं।ये उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों के लिए अच्छा पेय पदार्थ हैं। कृत्रिम या सिंथेटिक शीतल पेय/सॉफ्ट ड्रिंक- इन्हें परिरक्षकों, कृत्रिम रंगों और स्वादों का उपयोग करके तैयार किया जाता हैं। आमतौर पर इनमें कार्बोनेटेड (इसमें फॉस्फोरिक एसिड होता है, जो कि दांतों के इनेमल को प्रभावित कर सकता है) होता है। पेय पदार्थों के लिए संश्लेषिक पेय पदार्थों (सिंथेटिक ड्रिंक) की बजाए छाछ, लस्सी, फलों का रस और नारियल पानी बेहतर विकल्प हैं। चाय और कॉफी- इनका उपयोग स्वाद या उत्तेजक प्रभाव के लिए किया जाता है। चाय और कॉफी का सेवन कम मात्रा में करने की सलाह दी जाती है। चाय और कॉफी में मौजूद टैनिन आयरन अवशोषण में बाधा डालता हैं, इसलिए भोजन से एक घंटे पहले और बाद में इनसे बचना चाहिए। चाय विशेषकर हरी और काली चाय फ्लेवोनोइड्स (माना जाता है, कि इनमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं) का अच्छा स्रोत हैं। चाय को कॉफी से ज़्यादा वरीयता दी जाती है। स्पोर्ट्स ड्रिंक्स (खेलपरक पेय पदार्थ)-उपलब्ध स्पोर्ट्स ड्रिंक्स में एनर्जी देने वाले कार्बोहाइड्रेट के साथ-साथ इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जिनमें सोडियम, पोटैशियम और क्लोराइड शामिल हैं, जिससे एनर्जी मिलती है। ये तरल और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखते है। ऊर्जादायक पेय पदार्थ (एनर्जी ड्रिंक्स)- एनर्जी ड्रिंक्स कार्बोहाइड्रेट और कैफीन (सत्तर से पचासी मिलीग्राम कैफीन प्रति आठ औंस में) प्रदान करते हैं तथा कुछ पेय पदार्थों में बी कॉम्प्लेक्स विटामिन, अमीनो एसिड और जिन्को जैसे औषधीय रस (हर्बल अर्क) होते हैं। नारियल पानी- यह एक पौष्टिक पेय पदार्थ है, जिसका उपयोग मौखिक पुनर्जलीकरण के माध्यम के रूप में किया जाता है।हालांकि हाइपरकलेमिया जैसे कि गुर्दे की विफलता, अल्पकालिक या चिरकालिक अधिवृक्क अपर्याप्तता और पेशाब में कमी वाले रोगियों को इससे बचना चाहिए। अल्कोहल- अत्यधिक अल्कोहल का सेवन हृदय की मांसपेशियां (कार्डियोमायोपैथी) को कमजोर करता है तथा यकृत (सिरोसिस), मस्तिष्क और परिधीय नसों को नुकसान पहुंचाता है। यह सीरम ट्राइग्लिसराइड्स को भी बढ़ाता है।
(छ) प्रसंस्कृत और तैयार खाद्य पदार्थ- प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ- ऐसे खाद्य पदार्थ, जिन्हें तकनीकी संशोधनों के तहतया तो संरक्षण या खाने/तैयार खाद्य पदार्थ में परिवर्तित तथा श्रमसाध्य घरेलू प्रक्रियाओं को समाप्त करने के लिए बनाया जाता है, इसे "प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ" कहते हैं। खाद्य प्रसंस्करण तकनीकों में फ्रीजिंग (जमाना), कैनिंग (डिब्बाबंद), बेकिंग (सेंकना), ड्राइइंग(सुखाना) और पास्चुरीकरण उत्पाद (आंशिक निर्जीवीकरण) शामिल हैं। खाद्य प्रसंस्करण का उपयोग दूध, मांस, मछली और ताजे फल और सब्जियों जैसे जल्दी खराब होने वाले उत्पादों को संरक्षित करने के लिए किया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण में खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और लंबी दूरी तक परिवहन की सुविधा शामिल है। प्रसंस्करण के दौरान कभी-कभी घटक (जैसे कि नमक, चीनी और वसा) खाद्य पदार्थों को अधिक आकर्षक बनाने, खाद्य संरचना में बदलाव और उनकी निधानी आयु (शेल्फ लाइफ) बढ़ाने करने के लिए डाले जाते है। उनमें आहारीय रेशा और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। इस प्रकार, जब प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ भोजन का एक प्रमुख हिस्सा बनते हैं, तब उनके उपभोग के बारे में जानकारी होनी चाहिए। (ज) त्वरित खाद्य पदार्थ, फास्ट फूड (शीघ्रता से तैयार किया जा सकने वाला खाद्य पदार्थ), स्ट्रीट फ़ूड (सड़क पर तुरंत बनाया खाना),अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ (जंक फूड)- त्वरित खाद्य पदार्थ- ऐसे खाद्य पदार्थ, जो कि उपभोग के लिए विशेष प्रसंस्करण प्रक्रिया से गुजरते हैं जैसे कि नूडल्स, कॉर्न फ्लेक्स, सूप पाउडर। जिन्हें कम समय में पानी या तरल पदार्थ में खाने के लिए तुरंत बनाया जाता है। फ़ास्ट फ़ूड- ऐसे खाद्य पदार्थ है, जिन्हें तुरंत तैयार एवं पैक किया जाता है तथा कहीं भी लेकर जाया जाता हैं। इनमें कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि बर्गर, पिज्जा, फ्राइज़, हैमबर्गर, पैटीज, नगेट्स तथा भारतीय खाद्य पदार्थ जैसे कि पकोड़ा, समोसा, नमकीन आदि शामिल हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों का भंडारण, संभालना और संदूषण एक मुख्य समस्या हैं। स्ट्रीट फ़ूड (सड़क पर तुरंत बनाया खाना)- सड़कों या अन्य सार्वजनिक स्थानोंपर फेरीवालों या विक्रेताओं द्वारा तैयार खाद्य और पेय पदार्थ जैसे कि चाट, गोलगप्पे, समोसा, टिक्की, नूडल्स, चाउमीन, बर्गर बनाए और बेचे जाते हैं।स्ट्रीट फूड (खाद्य संदूषण की रोकथाम) में खाद्य स्वच्छता एक महत्वपूर्ण समस्या है। अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ या जंक फूड- नमक युक्त चिप्स, चॉकलेट, आइसक्रीम, शीतल पेय, बर्गर, पिज्जा में प्रोटीन, रेशा, विटामिन और खनिज की बजाए अधिक चीनी/वसा/ऊर्जा और कम पोषक तत्व होते हैं। स्वस्थ एवं स्वच्छ आहार भंडारण के लिए उचित पद्धति एक व्यक्ति उचित भंडारण साधन के माध्यम से कई प्रकार के खाद्य पदार्थ अनिश्चित काल तक संग्रहीत कर सकता है। भोजन को कैसे संग्रहित किया जाता है? यह सीखना सरल और लागत प्रभावी है। खाद्य पदार्थों का अनुचित भंडारण बैक्टीरिया उत्पन्न और प्रसारित करता है, जिसके कारण भोजन खराब हो जाता है, जिससे खाद्य अपव्यय और संभावित खाद्य विषाक्तता हो जाती है। आहार भंडारण करते समय निम्नलिखित तथ्यों पर विचार करना चाहिए:
विकारी खाद्य पदार्थों (खराब होने वाले खाद्य पदार्थ) संभालना यह सुनिश्चित करें, कि आपके द्वारा खाया गया आहार ताजा और सुरक्षित है।इसके लिए नीचे कुछ आसान सुझाव दिए गए हैं: सामान्य सुझाव
दुग्ध उत्पाद
ताज़े फल एवं सब्जियां
अंडा
मांसाहारी कच्चा मांस, पोल्ट्री (मुर्गी) और समुद्री भोजन
पका हुआ मांस, पोल्ट्री (मुर्गी) और समुद्री भोजन
व्यक्तिगत स्वच्छता क्या है?
विभिन्न उपायों के माध्यम से खाद्य उत्पादों से कीटनाशक अवशेष दूर करना (कीटनाशकों के प्रभाव को कैसे कम करें?) ‘कीटनाशक अवशेष’ दूर करने के चार तरीकें अपनाकर अधिकांश कीटनाशक अवशेषों को हटाया जा सकता है। ‘कीटनाशक अवशिष्ट संदूषण’ हटाने के लिए कुछ विधियों को आसानी से घरेलू स्तर पर अपनाया जा सकता है। इन विधियों में धुलाई, ब्लीचिंग, छीलना और पकाना शामिल हैं। धोना
ब्लीचिंग अधिकांश सब्जियों पर लगे कीटनाशक अवशेषों को गर्म पानी से धोने या भाप से दूर किया जाता जाता है। कुछ कीटनाशक अवशेषों को प्रभावी ढंग से ब्लीच करके हटाया जाता है,लेकिन ब्लीचिंग करने से पहले सब्जियों और फलों को अच्छी तरह से धोना बेहद ज़रूरी है। छीलना फलों और सब्जियों की सतह पर उपस्थित कीटनाशको को छीलकर हटाया जाता है। पकाना पशु उत्पाद मानव भोजन में कीटनाशक अवशेषों के लिए पशु उत्पाद भी संदूषण का प्रमुख स्रोत हैं, क्योंकि पशु चारा खाते हैं, जिन पर कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता हैं।दाब से पकाना (प्रेशर कुकिंग), तलना और सेंकना द्वारा पशु वसा ऊतकों में उपस्थित कीटनाशक अवशेष समाप्त हो जाते है। दुग्ध उत्पाद दूध को अधिक देर तक उबालने से कीटनाशक अवशेष नष्ट हो जाते है। वनस्पति तेल परिष्कृत तेलों में कम मात्रा में कीटनाशक अवशेष होते है। तेल का घरेलू ताप विशेष फ़्लैश बिंदु (पानी का सबसे कम तापमान, जिस पर वाष्प हवा में जलना शुरू हो जाती है) कीटनाशक अवशेष दूर करेगा। आमतौर पर मिलावट क्या हैं?
स्वस्थ आहार पद्धति खाद्य पदार्थों मेंअपनी प्राकृतिक अवस्था के अनुसारविभिन्न मात्रा में अलग-अलग पोषक तत्व होते हैं। खाना पकाने से अधिकांश खाद्य पदार्थों की पाचन क्षमता बढ़ जाती है। कच्चा खाना पकाने पर नरम हो जाता है तथा आसानी से चबाने योग्य बन जाता है। खाना पकाने के उचित तरीके भोजन को स्वास्थ्यवर्धक बनाते हैं। ‘सकारात्मक आहार अवधारणा और आहार पद्धति’ स्वाद, सुगंध और संरचना में सुधार करके अच्छे स्वास्थ्य की नींव रखता हैं, जिससे आहार की ग्राह्यता/स्वीकार्यता बढ़ती है। खाना पकाने की प्रक्रिया रोग उत्पन्न करने वाले जीवों को समाप्त और पाचन के प्राकृतिक अवरोधकों को नष्ट करने में भी मदद करती है। हमारे घरों में खाना पकाना एक सामान्य बात है, लेकिन यदि हम स्वस्थ आहार पद्धतिका पालन करते है, तो यह बेहतर होगा। हम भोजन पकाने की प्रक्रिया को तीन चरणों में वर्गीकृत करते हैं, जैसे कि:
खाना बनाने से पूर्व तैयारी: आहार तैयारी के अनुसार, किसी भी खाना पकाने की प्रक्रिया में धोना, पीसना, काटना, किण्वन, अंकुरण और खाना पकाना शामिल हैं। भारतीय व्यंजनों में, किण्वन (इडली, डोसा, ढोकला बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली प्रक्रिया) और अंकुरण (अंकुरण) सामान्य पद्धतियां हैं।ये तरीके पाचन क्षमता बढ़ाते हैं तथा पोषक तत्वों को भी बढ़ाते हैं, जैसे कि बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन और विटामिन सी। कच्चे खाद्य पदार्थ धोना और काटना: कच्चे खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों के अवशेष, परजीवी और अन्य बाहरी तत्त्व होते है।इनको साफ़ करने के क्रम में इन प्रदूषकों को हटाने के लिए खाद्य पदार्थों को पकाने से पहले अच्छी तरह धोया जाना चाहिए। सब्जियों और फलों को काटने से पहले साफ़ पानी से अच्छी से तरह धोना चाहिए। सब्जियों को छोटे टुकड़ों में काटने से खाद्य पदार्थों की सतह का एक बड़ा हिस्सा वायुमंडल में फैल जाता है, जिससे ऑक्सीकरण के कारण विटामिन की हानि होती है। इसलिए, सब्जियों को बड़े आकार में काटना चाहिए। कटी हुई सब्जियों को पानी में बिलकुल भी नहीं भिगोना चाहिए, क्योंकि इससे पानी में घुलनशील खनिज और विटामिन बह जाते हैं। हालांकि, पोषक तत्वों का नुकसान कम करने के लिए धोने और काटने के दौरान कुछ सावधानियां अपनायी चाहिए। चावल और दाल जैसे खाद्यान्नों को बार-बार धोने से बचें, क्योंकि इससे कुछ खनिजों और विटामिनों का नुकसान होता है। खाना पकाने की विधियां: खाना पकाने के कई तरीके हैं, जैसे कि उबालना, भाप औरदाब से पकाना (प्रेशर कुकिंग), तलना, भूनना और सेंकना। उबालना खाना पकाने का सबसे सामान्य तरीका है, लेकिन इस प्रक्रिया के कारण कुछ ऊष्मा-परवर्ती तथा पानी में घुलनशील विटामिन जैसे कि विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स और सी समाप्त हो जाते है। पानी की अधिकता के साथ चावल पकाने से मूल्यवान पोषक तत्वों की क्षति होती है इसलिए संपूर्ण अवशोषित के लिए पर्याप्त पानी का उपयोग करना चाहिए। विटामिन की हानि से बचने के लिएदाल पकाने के लिए बेकिंग सोडा (पाक चूर्ण) का उपयोग नहीं करना चाहिए। तेलों को बार-बार गर्म करने से पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (पीयूएफए) से भरपूर तेल के परिणामस्वरूप पेरोक्साइड और फ्री रेडिकल्स (मुक्त कणों) का निर्माण होता है, इसलिए केवल पर्याप्त तेल का उपयोग करके इससे बचा जाना चाहिए। इसी तरह, जिन तेलों को बार-बार गर्म किया जाता है, उन्हें ताजे तेल के साथ मिलाया नहीं जाना चाहिए, बल्कि उन्हें मसाला बनाने (स्वादिष्ट बनानेवाली वस्तु)जैसी प्रक्रिया के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। कुछ सामान्य भारतीय खाद्य धारणाएं,रूढ़ियां एवं सामाजिक वर्जनाएं: भोजन की आदतें बचपन में ही बन जाती हैं। यहपरिवार में बड़ों से बच्चों में पारित होती है तथा युवावस्था में स्थायी हो जाती है।खाद्य धारणा या तो विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों के उपभोग को प्रोत्साहित या हतोत्साहित करती हैं। ये निष्प्क्ष, हानिरहित या नुकसानकारकहो सकती हैं। दुर्भाग्य से अधिकांश खाद्य रूढ़ियां और पूर्वधारणाएं (वर्जनाएं) महिलाओं और बच्चों के साथ जुड़ी हैं, जो कि कुपोषण के सबसे अधिक शिकार हैं। कुछ खाद्य पदार्थ बेहद लाभकारी या हानिकारक दावा करते है। येखाद्य पदार्थ वैज्ञानिक आधार के बिना खाद्य रूढ़ियोंका गठन करते हैं। इसके अलावा, गर्मी और ठंडक उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों की धारणा व्यापक रूप से फैली है। यहां नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
आहार और वज़न प्रबंधन स्वस्थ आहार योजना आपके शरीर को हर दिन आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए इसमें पर्याप्त कैलोरी होनी चाहिए, लेकिन ज़्यादा नहीं, कि यह आपका वज़न बढ़ा दें। स्वस्थ आहार योजना में कम संतृप्त वसा व ट्रांस वसा तथा कोलेस्ट्रॉल, सोडियम (नमक) और उच्च चीनी की कमी शामिल है। अधिक वज़न/मोटापा, हृदय रोग तथा अन्य संबंधित स्थितियों के ज़ोखिम को कम करने के लिए स्वस्थ आहार योजना अपनाएं। स्वस्थ आहार में निम्नलिखित शामिल हैं:
राई और जैतून का तेल तथा इन तेलों से बने हल्के मार्जरीन (नकली या कृत्रिम मक्खन), हृदय को स्वस्थ रखते हैं। हालांकि, आपको उन्हें कम मात्रा में उपभोग करना चाहिए, क्योंकि इनमें कैलोरी अधिक होती हैं। आप अपने आहार में नमक रहित मेवाजैसे कि अख़रोट और बादाम शामिल कर सकते हैं, लेकिन इनका सेवन सीमित मात्रा में करें (क्योंकि मेवा में कैलोरी में अधिक होती हैं)। खाद्य पदार्थ, जिनमें संतृप्त और ट्रांस वसा तथा कोलेस्ट्रॉल अधिक मात्रा में होता हैं।ये हृदय रोग के ज़ोखिम को बढ़ाते हैं, इसलिए इनका सेवन सीमित होना चाहिए। संतृप्त वसा मुख्यत: वसा युक्त मांस के टुकड़ोंजैसे कि वास्तविक गोमांस, सॉसेज(गोमांस और सूअर के मांस, दोनों के पिसे मांस से बनाया जाता है)और प्रसंस्कृत मांस (उदाहरण के लिए, बलोनी, हॉट डॉग (एक प्रकार का मांस युक्त ब्रेड रोल) और डेली मीट/मुलायम मांस), खाल के साथ पोल्ट्री (मुर्गी), उच्च वसा युक्त दुग्ध उत्पाद जैसे कि वसा युक्त दूध से बना चीज़ (पाश्चात्य पनीर), वसा युक्त दूध, क्रीम, मक्खनऔर आइसक्रीम, सूअर की चर्बी, नारियलऔर कई प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाला ताड़ के तेलइत्यादि में पायी जाती है। ट्रांस वसा मुख्यत: आंशिक हाइड्रोजनीकृत तेलों जैसे किकठोर और मृदु (नकली या कृत्रिम) मक्खन (मार्जरीन), मृदु हाइड्रोजनीकृत में सिकें उत्पाद और स्नैक फूड औरतले हुए खाद्य पदार्थ में पायी जाती है। कोलेस्ट्रॉल मुख्यत: अंडे की जर्दी (एग योल्क), मांस (ऑर्गन मीट), जैसे कि यकृत, झींगा, वसा युक्त दूध या वसा युक्त दूध से बने उत्पादोंजैसे कि मक्खन, क्रीम और चीज़ (पाश्चात्य पनीर) में पाया जाता है। अतिरिक्त शर्करा युक्त खाद्य और पेय पदार्थों जैसे कि हाइ फ्रुक्टोस कार्न सीरप (फलशर्करा युक्त जई पेय)को कम करना महत्वपूर्ण है। विटामिन और खनिज जैसे पोषक तत्वों के बिना अतिरिक्त शर्करा आपको ज़्यादा कैलोरी देगी। अतिरिक्त चीनी कई मीठे खाद्य पदार्थों, डिब्बाबंद फलों के पेय, सामान्य फलों के रसऔर गैर आहार पेय पदार्थों में पायी जाती है। हाइ फ्रुक्टोस कार्न सीरप (फलशर्करा युक्त जई पेय) जैसी अतिरिक्त शर्करा के लिए पैक खाद्य पदार्थ पर सामग्री की सूची की जांच करें। जिन पेय पदार्थों में अल्कोहल होता है, उसमें अतिरिक्त कैलोरी भी होती है, इसलिए अल्कोहल के सेवन को सीमित करने एक अच्छा विचार है। आहार की आदतें न केवल शहरी आबादी, बल्कि ग्रामीण आबादी में भी बदल गयी हैं। मशीन से काम करने के कारणशारीरिक रूप से बेहद सक्रिय ग्रामीण आबादी, अब श्रमहीन हो गयी हैं, लेकिन आहार उपभोग की मात्रा समान या बढ़ी हुयी है। कम शारीरिक गतिविधियों के साथ अत्यधिक ऊर्जादायक खाद्य उपभोग की आदतें ग्रामीण जनसंख्या में जीवनशैली विकारों जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप का प्रमुख कारण बन गयी है। यह तब पायी जाती है, जब किसी व्यक्ति ने हाल ही में बाहर खाया है।वास्तव में, पिछले चालीस वर्षों मेंउपभोग के आकार (भाग) में काफी वृद्धि हुयी है। कम कैलोरी और ऊर्जा उपभोग के संतुलन के लिए उपभोग के हिस्से में कटौती एक अच्छा उपाय है। अध्ययनों से पता चला है, कि हम सभी एक निश्चित मात्रा में आहार सेवन करते हैं। शारीरिक सक्रियता और कम कैलोरी उपभोग आपको वज़न कम करने और समय के साथ वज़न कम रखने में मदद करेगा। वज़न धीरे-धीरे कम होना चाहिए। शारीरिक वज़न कम करने के लिए सुझाव:
स्वास्थ्य सुझाव
इस लेख की सामग्री स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के पोषण एवं आईडीडी प्रकोष्ठ से प्रामाणित की गयी है। संदर्भ: http://ninindia.org/DietaryguidelinesforIndians-Finaldraft.pdf http://readynutrition.com/resources/are-you-ready-series-best-practices-for-long-term-food-storage_03042011/ https://www.ava.gov.sg/docs/default-source/tools-and-resources/resources-for-businesses/(english)-good-storage-practices http://www.fda.gov/Food/ResourcesForYou/Consumers/ucm114299.htm http://ninindia.org/DietaryguidelinesforIndians-Finaldraft.pdf http://www.csiro.au/en/Research/Health/Food-safety/Refrigerating-foods http://ninindia.org/DietaryguidelinesforIndians-Finaldraft.pdf http://icmr.nic.in/final/rda-2010.pdf http://fda.up.nic.in/household_tests.htm http://ninindia.org/DietaryguidelinesforIndians-Finaldraft.pdf Dietary Guidelines for Indians- National Institute of Nutrition http://vikaspedia.in/health/nutrition Nutrient Requirements and Recommended Dietary Allowances for Indians nrhm.gov.in http://www.md-health.com/Balanced-Diet-Chart-For-Children.html http://www.nhlbi.nih.gov/health/health-topics/topics/obe/signs http://www.ncbi.nlm.nih.gov/tubmed/16866972 http://www.webmd.com/diet/obesity/weight-loss-surgery-making-the-choice www.nature.com/ijo/journal/v32/n2/full/0803715a.html http://www.homeoint.org/books/boericmm/c/calc.hmt http://treatment.hpathy.com/homeo-medicine/homeopathy-obesity http://www.who.int/mediacentre/factsheets/fs394/en/ http://ninindia.org/DietaryguidelinesforIndians-Finaldraft.pdf http://www.indianpediatrics.net/feb2011/97.pdf http://www.nutritionsocietyindia.org/Download_files/Diet%20in%20Metabolic%20Syndrome-final%201.pdf http://www.nhs.uk/Livewell/Goodfood/Pages/what-are-processed-foods.aspx http://www.nhp.gov.in/healthlyliving/healthy-nutrition https://www.beverageinstitute.org/article/types-of-beverages/ http://www.who.int/topics/nutrition/en/ http://www.who.int/nutrition/publications/nutrientrequirements/healthydiet_factsheet/en/ Park’s textbook of Preventive and Social medicine 22nd Edition, Nutrition and Health page No. 591. Park’s textbook of Preventive and Social medicine 22nd Edition, Nutrition and Health page No 563.
The content on this page has been supervised by the Nodal Officer, Project Director and Assistant Director (Medical) of Centre for Health Informatics. Relevant references are cited on each page. स्वस्थ आहार व्यवहार से क्या हम बीमारी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं?नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ पर्याप्त, उचित एवं संतुलित आहार अच्छे स्वास्थ्य का आधार है। ख़राब पोषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और रोग के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है तथा शारीरिक एवं मानसिक विकास बाधित होता है तथा उत्पादकता कम हो जाती है।
ववहार से क्या हम बीमारी पर ववजय प्राप्त कर सकते हैं पर 250 शब्दों में निबंध लिखिए?स्वस्थ आहार-विहार से हम बीमारी पर विजय प्राप्त कर सकते है | स्वस्थ्य आहार हमें सभी प्रकार की बीमारियों से बचाता है | वह हमारे दिमाग की पुष्टि करता है | बीमारी से बचाव के लिए हमें हरी सब्जियां , पौष्टिक आहार लेना चाहिए | अंकुरित दालें , फल , जूस सब खाने चाहिए | पोषण आहार वजन कम करने से पुरानी स्थितियों के जोखिम को कम ...
हमारे स्वास्थ्य में भोजन का क्या महत्व है?एक उचित आहार योजना शरीर के आदर्श वजन को प्राप्त करने और मधुमेह, हृदय और अन्य प्रकार के कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद करती है। एक स्वस्थ आहार खाना बहुत अच्छा महसूस करना है, अधिक ऊर्जावान होना, अपने स्वास्थ्य में सुधार होना और मनोदशा को प्रोत्साहित करना है।
संतुलित आहार किसे कहते हैं यह हमारे लिए क्यों आवश्यक है?संतुलित आहार एक ऐसा आहार है जिसमें कुछ निश्चित मात्रा और अनुपात में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं ताकि कैलोरी, प्रोटीन, खनिज, विटामिन और वैकल्पिक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में हो और पोषक तत्वों के लिए एक छोटा सा भाग आरक्षित रहे।
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