हमारे जीवन में डाकिए की क्या भूमिका है इस विषय पर 10 वाक्य लिखें? - hamaare jeevan mein daakie kee kya bhoomika hai is vishay par 10 vaaky likhen?

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Question

हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका पर दस वाक्य लिखिए।

Solution

डाकिए का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पहले की तुलना में बेशक डाकिए अब कम ही दिखाई देते हैं परन्तु आज भी गाँवों में डाकिए का पहले की तरह ही चिट्ठियों को आदान-प्रदान करते हुए देखा जा सकता है। चाहे कितना मुश्किल रास्ता हो, ये हमेशा हमारी चिट्ठियाँ हम तक पहुँचाते आए हैं। आज भी गाँवों में डाकियों को विशेष सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। गाँव की अधिकतर आबादी कम पढ़ी लिखी होती है परन्तु जब अपने किसी सगे-सम्बन्धी को पत्र व्यवहार करना होता है तो डाकिया उनका पत्र लिखने में मदद करते है। आज चाहे शहरों में चिट्ठी के द्वारा पत्र-व्यवहार न के बराबर हो पर ये डाकिए हमारे स्मृति-पटल में सदैव निवास करेगें।

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Q3. ‘हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका’ क्या हैं? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।


Answer. हमारे जीवन में डाकिए की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं | * डाकिया' भारतीय सामाजिक जीवन की एक आधारभूत कड़ी है| * डाकिया खाकी पैंट और खाकी कमीज़ पहने, कंधे पर खाकी झोला लटकाए एक व्यक्ति होता है। * डाकिया हमें दूसरे स्थानों पर रहने वाले हमारे रिश्तेदारों व मित्रों से जोड़ने का भी काम करता है। क्योंकि वह उनके द्वारा भेजें गये संदेशों को हम तक पहुँचाता हैं| * डाकिये केवल पत्र बांटते ही नहीं, अशिक्षित ग़रीबों को उसे पढकर सुनाते भी हैं। * ज़मीनी स्तर पर डाकिया ही डाक विभाग का वास्तविक प्रतिनिधि होता है। * भारतीय समाज में डाकिया को सबसे सम्मान का दर्जा मिला है। सरकार और जनता के बीच संवाद की वह सबसे मजबूत कड़ी है। * डाकिया कम वेतन पाकर भी अपना काम अत्यन्त परिश्रम और लगन के साथ सम्प्पन्न करता है। * गर्मी, सर्दी और बरसात का सामना करते हुए वह समाज की सेवा करता है। * जैसे-जैसे व्यक्तिगत एवं सामाजिक रिश्तों में आत्मीयता व भावनात्मकता कम होती गयी, वैसे-वैसे ही डाकिया का दृष्टिकोण भी भावनात्मक की बजाय व्यवसायिक होता गया। * आज भी गांव में डाकिये को देवदूत के रूप में जाना जाता है।

डाकिए का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पहले की तुलना में बेशक डाकिए अब कम ही दिखाई देते हैं परन्तु आज भी गाँवों में डाकिए का पहले की तरह ही चिट्ठियों को आदान-प्रदान करते हुए देखा जा सकता है। चाहे कितना मुश्किल रास्ता हो, ये हमेशा हमारी चिट्ठियाँ हम तक पहुँचाते आए हैं। आज भी गाँवों में डाकियों को विशेष सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। गाँव की अधिकतर आबादी कम पढ़ी लिखी होती है परन्तु जब अपने किसी सगे-सम्बन्धी को पत्र व्यवहार करना होता है तो डाकिया उनका पत्र लिखने में मदद करते है। आज चाहे शहरों में चिट्ठी के द्वारा पत्र-व्यवहार न के बराबर हो पर ये डाकिए हमारे स्मृति-पटल में सदैव निवास करेगें।

'हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका क्या हैं? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।'


हमारे जीवन में डाकिया अहम् भूमिका निभाता है क्योंकि यह देशीय व अंतर-देशीय पत्र व संदेश एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य तक पहुँचाता है। आज धन कमाने की लालसा व एकांकी परिवारों के प्रचलन से संयुक्त परिवार टूटते जा रहै हैं। जिससे सगे-संबंधी भी दूर-दूर निवास करने लगे हैं। ऐसे में उनके विचार, भावनाएँ व जरूरी बातें पत्राचार द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाई जाती हैं। डाकिया ही है जो जब आता है तो किसी के लिए खुशियाँ, किसी के लिए प्रेम संदेश, किसी की आर्थिक मजबूरियों से या दुख से भरे आदि पत्र लाता है। जो किसी के चेहरे की मुस्कुराहट बन जाते हैं व किसी को शोक में डुबो देते हैं। डाकिया मनीआर्डर लाने का भी कार्य करता है। इस प्रकार हमारे जीवन में डाकिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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किन पंक्तियों का भाव है-
पक्षी और बादल प्रेम सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।


पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।

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किन पंक्तियों का भाव है-
प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।


हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।

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पक्षी और बाबल द्वारा लाई गई चिट्टियों को कौन-कौन पढ पाते हैं? सोचकर लिखिए।


पक्षी और बादलों द्वारा लाई गई चिट्ठियों को पेड़, पौधे, नदियाँ, झरने, पानी और पहाड़ यानी प्रकृति के सभी रूप पढ़ लेते हैं।

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कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।


पक्षी व बादल देशों की सीमा रेखाओं को नहीं मानते। वे ईश्वर का विश्व--बंधुत्व का संदश सभी को समान रूप से बाँटते हैं। पक्षी के पंखों द्वारा फूलों की सुगंध दूर-दूर के देशों तक जाती है और बादल एक देश के पानी से बनकर दूसरे देश में बरसते हैं अर्थात् ये दोनों न कोई बंधन अपने पर रखते हैं और न किसी बंधन को मानते हैं। जबकि मनुष्य इस विश्व-बंधुत्व की भावना को समझ नहीं पाते और अपनी ही बनाई सीमा रेखाओं में बंद रहते हैं। इसीलिए कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए माना है।

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डाकिया, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू www.) तथा पक्षी और बादल-इन तीनों संवादवाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक लेख तैयार कीजिए। “चट्टियों की अनूठी दुनिया” पाठ का सहयोग ले सकते हैं।

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हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका क्या है इस विषय?

Solution : हमारे जीवन में डाकिए की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि वह पत्रों के माध्यम से एक मनुष्य से दूर-दराज बैठे दूसरे मनुष्य तक सन्देश पहुँचाता है। आज धन कमाने की लालसा व एकाकी परिवारों के प्रचलन से संयुक्त परिवार टूटते जा रहे हैं जिससे सगे-सम्बन्धी भी दूर-दूर रहने लगे हैं।

3 हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका क्या है इस विषय पर दस वाक्य लिखिए अनुमान और कल्पना?

पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं। हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं। हम तो केवल यह आँकते हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।

डाकिए का ग्रामीण जीवन में क्या महत्व है?

(1) डाकिए की हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। (2) वह हमारे संदेश को हमारे मित्रों एवं रिश्तेदारों तक पहुंचाता है। (3) वह मानव को मानव से जोड़ने का महान कार्य करता है। (4) वह देश-विदेश की सूचनाएँ हमारे पास पहुँचाता है।

डाकिया का क्या काम है?

उसका काम पत्रों, पार्सलों, मनीऑर्डरों को लोगों तक पहुँचाना है । वह खार्की वर्दी पहनता है और खाकी टोपी पहनता है । वह सदैव अपने साथ चमड़े का थैला रखता है जिसे वह अपने कंधे पर लटकाये रखता है । इसी थैले में कैश और पत्र होते हैं जिसको उसे वितरित करना होता है ।