ऑस्टियोपोरोसिस उन रोगों की श्रेणी में आता है जिनका सामान्य तौर पर पता लगाया जाना कठिन है। कभी-कभी तो जिस व्यक्ति को ऑस्टियोपोरोसिस हो रहा है उसे भी इस बीमारी का पता तब तक नहीं लगता जब तक कि वह फ्रैक्चर का सामना ना कर ले। दुनिया में लाखों फ्रेक्चर ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होते हैं। Show आइए जानते हैं ऑस्टियोपोरोसिस के मुख्य लक्षणों के बारे में1. पाॅश्चर यानी आसन में बदलाव इसके अलावा भी ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण देखने को मिल सकते हैं जिनमें शामिल है मसूड़ों का घटना, कमजा़ेर नाखून एवं किसी वस्तु को पकड़ने की शक्ति में कमी होना। जानिए ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़े विभिन्न कारणों कोइंसान के जन्म से लेकर एक निश्चित अवस्था तक हड्डियों का विकास चलता रहता है। तकरीबन 20 साल की आयु के नज़दीक वो समय आता है जहां हड्डियां मज़बूत और ठोस हो जाती हैं। यह वो उम्र होती है जहां फ्रैक्चर होने का खतरा बहुत कम होता है। मुमकिन है कि यह बात आपको मालूम ना हो लेकिन हमारी हड्डियों का नवीकरण होता है जहां नई हड्डी पुरानी हड्डी का स्थान ले लेती है। इसकी मदद से हमारी हड्डी का ढांचा मज़बूत रहता है। 1. ऑस्टियोपोरोसिस के कारणों में सबसे पहले बात करते हैं पारिवारिक इतिहास की। यदि एक ही परिवार के अन्य लोगों को यह समस्या है तो मुमकिन है कि इसका असर आप पर भी पढ़े। उदाहरण के तौर पर यदि आपके मां-बाप या दोनों में से किसी एक कोई यह समस्या है तो शायद आप भी इसकी शिकार बन सकते हैं। और भी कई ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से यह समस्या उत्पन्न हो सकती है जिसमें शामिल है धूम्रपान, शराब का सेवन, खाने में कैल्शियम की कमी, एक्सरसाइज की कमी, सामान्य स्वास्थ्य में खराबी एवं खराब पोषण, आदि। औरतों में एक स्थिति जिसे मेनोपाॅस (menopause) कहा जाता है, यह भी ऑस्टियोपोरोसिस के होने की संभावना को बढ़ा देती है। इसके अलावा वे औरतें जिन्हें कीमोथेरेपी का सामना करना पड़ता है या जिन्हें हाइपरथाइरॉयडिज़्म (hyperthyroidism) और हाइपरपैराथाइराॅयडिज़्म (hyperparathyroidism) की परेशानी होती है, उनमें भी ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। इन परिस्थितियों की पूर्ण रूप से जानकारी प्राप्त करने के लिए आप मेवाड़ हॉस्पिटल पधार कर हमारे डॉक्टर्स से बात कर सकते हैं। अन्य ऑस्टियोपोरोसिस के कारण में शामिल हैं कुछ दवाइयों का लंबे समय तक सेवन जैसे कि खून को पतला करने की दवाई, ओरल कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (oral corticosteroids) आदि। ऑस्टियोपोरोसिस की जांचयदि प्रारंभिक समय में ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाया जाए तो यह व्यक्ति के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकता है। जैसे कि यदि किसी व्यक्ति के हड्डी में फ्रैक्चर है, तो उस वजह से दूसरी हड्डी के टूटने का भी डर बना रहता है जिस कारण चलने-फिरने में असमर्थता और कई अन्य परेशानियां हो सकती है। इसलिए प्रारंभिक जांच में पता लगने से इलाज में मदद के साथ ही फ्रैक्चर होने की संभावना भी कम हो जाती है। इसे बोन डेंसिटोमेट्री या फिर ड्यूअल एनर्जी एक्स-रे एब्जा़ॅर्प्टियोमेट्री (DEXA) भी कहा जाता है। ये एक प्रकार की एक्स-रे जांच होती है जिससे शरीर के विभिन्न अंगों, जैसे कमर, कूल्हे और कलाई की हड्डी का घनत्व मापा जाता है। यह टेस्ट बिना किसी दर्द के कुछ ही समय में हो जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार विकल्पऑस्टियोपोरोसिस के उपचार में सबसे महत्वपूर्ण बात मानी जाती है हड्डी के फ्रैक्चर की संभावना को कम करना एवं हड्डी के घनत्व और मज़बूती को बढ़ावा देना। यदि ऑस्टियोपोरोसिस का समय पर पता लगा लिया जाए और इसका उपचार कर लिया जाए तो यह होने वाले फ्रैक्चर की संभावना को कम कर देगा। याद रहे कि ओस्टियोपोरोसिस का पूर्ण रूप से इलाज नहीं हो सकता और ना ही ऐसे कोई विकल्प मौजूद हैं जिनकी वजह से कमजोर हड्डियां दोबारा पहले जैसी हो जाएं। इसीलिए इस परिस्थिति का रोकथाम इलाज में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज इन बातों पर निर्भर रहता है:- कुछ दवाइयां मौजूद हैं जो इस परिस्थति के रोकथाम और उपचार में काम आती हैं। जैसे कि एस्ट्रोजन एगोनिस्ट और एंटागोनिस्ट, कैल्सीटोनिन, पैरा थायराॅइड हार्मोन्स, और मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़। ऑस्टियोपोरोसिस में काम आने वाली डाइटउपचार विकल्प के अलावा एक अच्छी डाइट भी हड्डियों को मज़बूत करने में उपयोगी है। खासतौर से अगर बात की जाए हड्डियों के स्वास्थ्य की, तो इन्हें स्वस्थ रखने के लिए विटामिन-डी और कैल्शियम का अहम योगदान होता है। इनके अलावा प्रोटीन, ज़िंक, मैग्नीशियम और विटामिन-ज्ञ भी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अच्छे स्त्रोत माने जाते हैं। यदि आप अपनी स्थिति के अनुसार एक बेहतरीन डाइट जानना चाहते हैं तो आज ही हमारे हॉस्पिटल पधारें और डॉक्टर्स से बात करें जो कि ना सिर्फ हड्डियों के स्वास्थ्य बल्कि आपकी शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन डाइट चार्ट द्वारा आपकी मदद करेंगे। हड्डी में होने वाली बीमारी कौन कौन सी है?हड्डी की टीबी के संकेत और लक्षण:. जोड़ों में दर्द।. कुट्ट रोग। ( रीढ़ की हड्डी की टीबी). पीठ दर्द।. कार्पल टनल सिंड्रोम।. कशेरुक डिस्क का कुशनिंग।. वक्षीय क्षेत्र में बेचैनी।. कार्पल हड्डी में दर्द। ( कार्पल टनल सिंड्रोम). कलाई का दर्द। ( कशेरुका अस्थि दोष के मामले में). हड्डियों की बीमारी का कारण क्या है?हड्डियों को जानें
ऐसे में भोजन में कैल्शियम की मात्रा कम हो या शरीर खाद्य पदार्थों से पर्याप्त कैल्शियम न प्राप्त करे तो अस्थि निर्माण या अस्थि टिश्यू प्रभावित हो सकते हंै। नतीजतन हड्डियां कमजोर, भंगुर या नाजुक हो सकती हैं, जिनके आसानी से टूटने का खतरा रहेगा।
हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए क्या खाना चाहिए?हड्डी मजबूत करने के लिए क्या चीज खानी चाहिए?. अनानस अनानास पोटैशियम का एक सोर्स है, जो शरीर के एसिड लोड को बैलेंस करने में मदद करता है और कैल्शियम की कमी को रोकता है. ... . पालक ... . नट ... . केले ... . हड्डी कमजोर होने के क्या लक्षण है?Bone Health: जवानी में ही लेना पड़ सकता है सहारा, यदि इन 5 संकेतों के दिखने के बाद भी नहीं किए ये 4 उपाय. कमर के निचले हिस्से में दर्द होना पीठ दर्द ऑस्टियोपोरोसिस के सबसे आम लक्षणों में से एक है। ... . लंबाई का घटना ... . हड्डियों का टूटना ... . जल्दी मेनोपॉज होना ... . खड़े होने में दिक्कत ... . मजबूत हड्डियों के लिए करें ये उपाय. |