घर में या घर के बाहर कई तरह के वास्तु दोष हो सकते हैं। वास्तु दोष से कई तरह के रोग या शोक उत्पन्न होते हैं। अत: यदि आपका घर कार्नर का है, तीराहे, चौराहे पर है, दक्षिण दिशा का घर है या घर के अंदर किसी भी प्रकार से वास्तु दोष है तो आप उक्त 10 उपाय आजमाएं और निश्चिंत हो जाएं। Show 1. दक्षिण में है घर का द्वार : यदि आपका घर दक्षिणमुखी है तो आप सबसे पहले घर के सामने द्वारा से दोगुनी दूर पर नीम का एक पेड़ लगाएं। दूसरा यह कि द्वारा के ऊपर पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाएं। आदमकद दर्पण भी लगा सकते हैं। मुख्य द्वार के ऊपर पंचधातु का पिरामिड लगवाने से भी वास्तुदोष समाप्त होता है। गणेशजी की पत्थर की दो मूर्ति बनवाएं जिनकी पीठ आपस में जुड़ी हो। इस जुड़ी गणेश प्रतिमा को मुख्य द्वार के बीचों-बीच चौखट पर फिक्स कर दें, ताकि एक गणेशजी अंदर को
देखें और एक बाहर को। 2.एक ही सीध में हैं द्वार : यदि आपके मुख्य द्वारा के बाद भीतर के द्वार भी एक ही सीध में हैं तो यह भी वास्तुदोष निर्मित करता है। इसके लिए घर में बीच वाले द्वार के मध्य मोटा परदा लगाएं या विंड चाइम लगाएं। यदि आपके मुख्य द्वार के बाद का हाल या कमरा बड़ा है आप ऐसा भी कर सकते कि दूसरे दरवाजे के ठीक सामने कुछ दूरी पर प्लायवुड का एक द्वार बराबर का पाट लगाएं और उसपर कोई अच्छी सी पेंटिंग लगा दें। 3.रसोई घर नहीं बना है आग्नेय कोण पर तो : यदि आपका रसोई घर आग्नेय कोण में नहीं बना है तो आप रसोईघर में किचन स्टैंड के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में ऊपर सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगाएं या यज्ञ करते हुए ऋषियं की फोटो लगाएं। 4.वास्तु दोष मिटाने के लिए कर्पूर रखें : यदि घर के किसी स्थान पर वास्तु दोष निर्मित हो रहा है तो वहां एक कर्पूर की 2 टिकियां रख दें। जब वह टिकियां गलकर समाप्त हो जाए तब दूसरी दो टिकिया रख दें। इस तरह बदलते रहेंगे तो वास्तुदोष निर्मित नहीं होगा। 6.बाथरूम
और टॉयलेट एक साथ है तो : बाथरूम और टॉयलेट एक साथ है तो यह भी भयंकर वास्तु दोष उत्पन्न करता है। इसके लिए सबसे पहले आप इसे हमेश स्वच्छ रखें। नीले रंग के मग और बाल्टी ही रखें। एक कटोरे में खड़ा नमक भरकर बाथरूम-टॉयलेट के किसी कौने में रखें। यदि गलती से आपका शौचालय ईशान कोण में बन गया है तो फिर यह बहुत ही धनहानि और अशांति का कारण बन जाता है। प्राथमिक उपचार के तौर पर उसके बाहर शिकार करते हुए शेर का चित्र लगा दें। 7.शयन कक्ष : वैसे तो दक्षिण-पश्चिमी दिशा में होना चाहिए या उत्तर दिशा भी ठीक है लेकिन यदि शयन कक्ष अग्निकोण में हो तो पूर्व-मध्य दीवार पर शांत समुद्र का चित्र लगाना चाहिए। सिर हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर ही रखना चाहिए। 8.उत्तर-पूर्व अर्थत ईशान दिशा : यदि ईशान दिशा में किसी भी प्रकार का दोष है तो आप इस दिशा को खाली करके इस दिशा में एक पीतल के बर्तन में जल भरकर रख दें या तुलसी का पौधा लगाकर उसमें नित्य जल देते रहें। पीतल के बर्तन का पानी नित्य बदलते रहें। 9.सुंदर कांड या रामचरित का पाठ : घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए समय समय पर रामचरित का पाठ या सुंदरकांड का पाठ करवाते रहें। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकाल जाएगी। 10.सुंदर बनाएं घर को : घर में किसी भी प्रकार से वास्तु दोष है तो घर को स्वास्तिक चिन्ह, मांडने और पौधों से सजाएं। पीले, गुलाबी और हल्के नीले रंग का उपयोग करें। दक्षिण की दिशा में भारी सामान रखें जैसे लोहे की अरमारी, पलंग, फ्रीज आदि। घर की वस्तुओं के स्थान को बदलकर भी वास्तु दोष ठीक किया जा सकता है। घर का वास्तु दोष दूर करने के लिए क्या करें?सुंदर बनाएं घर को : घर में किसी भी प्रकार से वास्तु दोष है तो घर को स्वास्तिक चिन्ह, मांडने और पौधों से सजाएं। पीले, गुलाबी और हल्के नीले रंग का उपयोग करें। दक्षिण की दिशा में भारी सामान रखें जैसे लोहे की अरमारी, पलंग, फ्रीज आदि। घर की वस्तुओं के स्थान को बदलकर भी वास्तु दोष ठीक किया जा सकता है।
वास्तु दोष के लक्षण क्या है?दस संकेत जिनसे पता चल सकेगा आपके घर और दफ्तर में वास्तु दोष है या.... ताजगी महसूस न होना. आरामदायक जोन से बाहर न निकल पाना. तरक्की ठप हो जाना. वित्तीय स्थिरता का अभाव. बिना कारण अस्वस्थ्य रहना. हर बार गलत लोग ही मिलते हैं. व्यापार या व्यवसाय में बाधाएं आना. जिंदगी में खुशी और उत्साह की कमी. घर का वास्तु कैसे जाने?वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की उत्तर-पूर्व कोने को ईशान कोण कहा जाता है जो कि जल तत्व को दर्शाती ह। उत्तर-पश्चिम दिशा को वायव्य कोण कहा जाता है जो कि वायु तत्व को दर्शाती है। दक्षिण-पूर्व दिशा को आग्नेय कोण कहा जाता है जो कि अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करती है।
किस प्रकार के वास्तु दोष से कौन से रोग होते हैं?वास्तु दोष के कारण हो सकती हैं ये बीमारियां, इस तरह करें बचाव. जानें किस वास्तुदोष के कारण हो सकती है कौन सी बीमारी ... . वास्तुदोष से अनिद्रा ... . चक्कर, बेचैनी और सिरदर्द का कारण ... . हार्ट अटैक, लकवा, हड्डी और स्नायु रोग कारण ... . गृहणी के रोगी रहने का कारण ... . वायु रोग और रक्त विकार ... . जोड़ों का दर्द और गठिया. |