यहां आप अव्यय की परिभाषा, भेद, और उदाहरण आदि का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। साथ ही कुछ प्रश्न उत्तर के अभ्यास से अपने जानकारी को पुख्ता करेंगे। Show
इस लेख के अध्ययन उपरांत आप स्वयं अव्यय शब्दों का निर्माण करेंगे तथा अपने साथियों को भी समझा सकेंगे। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण एवं क्रिया विकारी शब्द होते हैं। जिनपर लिंग,वचन एवं कारक का प्रभाव होता है। इनके कारण संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण एवं क्रिया का स्वरूप बदलता रहता है। अतः इन्हें विकारी या परिवर्तनीय शब्द कहा जाता है। इसके अतिरिक्त हिंदी में ऐसे शब्द भी है जो लिंग,वचन एवं कारक पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाते। लिंग,वचन एवं कारक बदलने पर भी यह शब्द यथास्थिति में रहते हैं। ऐसे शब्द को ही अव्यय/अविकारी शब्द कहते हैं। अव्यय की परिभाषाअव्यय का अर्थ है अ+व्यय अर्थात ना खर्च होने वाला। अतः अव्यय शब्द वह होते हैं जो लिंग,वचन,पुरुष एवं काल की दृष्टि से कोई परिवर्तन नहीं होता। इन्हें अविकारी अर्थात ना परिवर्तन होने वाले शब्द भी कहा जाता है। जैसे-
उपर्युक्त वाक्यों में देखें तो ‘दिनभर’ शब्द का बार बार प्रयोग हुआ है। जिसमें लिंग,वचन,पुरुष कारक आदि शब्दों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। अर्थात ‘दिनभर’ शब्द में किसी प्रकार का परिवर्तन देखने को नहीं मिलता। आतःयह अव्यय या अविकारी शब्द कहे जाएंगे। अव्यय शब्द के पांच भेद माने जाते हैं –
अव्यय के भेद1. क्रिया विशेषणक्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दों को क्रिया विशेषण कहते हैं जैसे –
उपर्युक्त पदों में ध्यान से देखें तो रीति,स्थान,परिणाम आदि क्रिया की विशेषता को बता रहे हैं। क्रिया के साथ कहां,कब,कैसे,कितना आदि के साथ प्रश्न करने पर अविकारी शब्द उत्तर में आते हैं वह क्रिया विशेषण होते हैं। जैसे –
क्रियाविशेषण के भेदक्रिया विशेषण के चार भेद है
१ कालवाचक क्रिया विशेषण Adverb of Timeक्रिया के होने का समय बताने वाले क्रिया विशेषण,कालवाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं।
इसके अंतर्गत समय वाचक – आज,कल, परसो, अब, तब, जब, कब, अभी, कभी, सवेरे, दोपहर, शाम, पहले, पीछे, आदि अवधी वाचक – दिनभर, रातभर, सालभर, हमेशा, सदा, शाम तक, कभी-कभी, निरंतर आदि पुनः पुनः वाचक – बार-बार, प्रतिदिन, हर समय, कई बार, हरसमय ,प्रायः , फिर, घड़ी घड़ी ,बहुधा आदि इन शब्दों का प्रयोग क्रिया के समय तथा काल को बताने के लिए किया जाता है। २ स्थान वाचक क्रिया विशेषण Adverb of Placeस्थान वाचक क्रिया विशेषण क्रिया के स्थान या निश्चित स्थिति का बोध कराता है। उसकी विशेषता से अवगत कराता है। जैसे –
स्थितिवाचक – आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, पास, दूर, भीतर, बाहर, यहां, वहां, सर्वत्र आदि दिशावाचक – इधर, उधर, दाहिने, बाएं, की तरफ, की ओर, के चारों ओर आदि ३ परिमाणवाचक क्रिया विशेषण Adverb of Quantityक्रिया की मात्रा या परिमाण का ज्ञान कराने वाले क्रिया विशेषण को परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। यह पांच प्रकार के होते हैं-
४ रीतिवाचक क्रिया विशेषण Adverb of Mannerजो क्रिया विशेषण शब्द क्रिया के होने की रीति की विशेषता का बोध कराते उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे-
प्रकार के अर्थ में – सा, अचानक, यथाशक्ति, सहसा, धीरे-धीरे, अकस्मात, आप ही आप , एकाएक ,जैसा निश्चय के अर्थ में – सचमुच, यथार्थ में, जरूर, अवश्य, बेशक, निसंदेह, दरअसल आदि निश्चय के अर्थ में – यथासंभव, संभवत, शायद ,कदाचित ,बहुत करके मुमकिन है आदि स्वीकार के अर्थ में – हां, जी, ठीक, अच्छा, सच, बिल्कुल ठीक, जरूर आदि कारण के अर्थ में – क्योंकि, अतः ,अतएव , के निमित्त , के उद्देश्य से , किस लिए आदि निषेध के अर्थ में – ना ,नहीं, मत, ना आदि प्रश्न के अर्थ में – कैसे, क्यों आदि। 2. सम्बन्धबोधक अव्ययवे अविकारी शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ आकर उनका संबंध वाक्य तथा अन्य शब्दों के साथ जोड़ देते हैं जैसे –
उपर्युक्त शब्द के बिना ,के मारे, के भीतर, आदि का संबंध पूरे वाक्य से जुड़ रहा है। अतः सभी संबंधबोधक अव्यय है। अगर इन अव्यय को वाक्य से हटा दिए जाएं तो वाक्य अर्थहीन हो जाता है। अतः यह सभी अव्यय शब्द संज्ञा तथा सर्वनाम के साथ जुड़कर वाक्य को सार्थक बनाते हैं। संबंधबोधक अव्यय के भेद –संबंधबोधक अव्यय दो प्रकार के माने जाते हैं १ सामान्य संबंधबोधक २ विभक्तियुक्त संबंधबोधक। १ सामान्य संबंधबोधक – जिस पद में संबंधबोधक विभक्ति रहित होते हैं उन्हें सामान्य संबंधबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे –
२ विभक्तियुक्त संबंधबोधक जिस पद में कारक चिन्ह विभक्ति के साथ संबंधबोधक प्रयोग किए जाते हैं। वह विभक्तियुक्त संबंधबोधक कहे जाते हैं। जैसे –
संबंधबोधक अव्यय के प्रकार-
संबंधबोधक अव्यय और क्रिया विशेषण में क्या अंतर है?स्थान वाचक तथा कालवाचक अवयव शब्द क्रिया विशेषण तथा संबंधबोधक दोनों होते हैं किंतु प्रयोग की दृष्टि से दोनों में भिन्नता होती है जब संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ इनका प्रयोग किया जाता है तो यह संबंधबोधक होते हैं किंतु जब प्रिया के साथ विशेषण ओं की तराइन का प्रयोग किया जाता है तो यह क्रिया विशेषण के रूप में परिवर्तित होते हैं जैसे –
3. समुच्चयबोधक अवयव ( Conjunction )जहां दो शब्दों में भेद करने ,वाक्यांशों को अलग करने तथा वाक्यों को तोड़ने वाले अव्यय प्रयोग किए जाते हैं ,वह समुच्चयबोधक कहे जाते हैं।यह योजक भी कहे जाते हैं। जैसे –
उपर्युक्त वाक्यों को पढ़कर स्पष्ट होता है कि उसमें प्रयोग किए गए अव्यय के कारण वाक्यों का दो भाग हो जाता है जो एक-दूसरे पर आश्रित है। समुच्चयबोधक अव्यय के भेदसमुच्चयबोधक के प्रमुख दो भेद माने गए हैं 1 समानाधिकरण समुच्चयबोधक 2 व्यधिकरण समुच्चयबोधक। 1. समानाधिकरण समुच्चयबोधकजो समुच्चयबोधक अव्यय शब्द वाक्यों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं तथा स्वतंत्र शब्दों या वाक्य को संयुक्त करने या जोड़ने की क्षमता रखते हो , जिससे एक संयुक्त वाक्य का निर्माण हो सके। वहां समानाधिकरण समुच्चयबोधक माना जाता है। जैसे –
उपर्युक्त वाक्य में और, कुछ अव्यय शब्द का प्रयोग हुआ है जो दोनों शब्दों तथा वाक्य को जोड़कर एक संयुक्त वाक्य बनाने की क्षमता रखते हैं समुच्चयबोधक अव्यय है। समानाधिकरण समुच्चयबोधक के चार भेद है१ संयोजक २ विभाजक ३ विरोधबोधक ४ परिणामबोधक । १ संयोजक- जो समानाधिकरण समुच्चयबोधक दो शब्दों अथवा वाक्यांशों का मुख्य वाक्यों में मेल कराता हो उन्हें संयोजक कहते हैं। जैसे –
२ विभाजक – जो समानाधिकरण समुच्चयबोधक एक ही श्रेणी के दो या अधिक प्राणियों वस्तुओं आदि में से किसी एक के ग्रहण या त्याग का बोध कराते हुए , दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं। जैसे –
३ विरोधबोधक – जो समानाधिकरण समुच्चयबोधक दो शब्दों में से विरोधी होने के कारण एक का निषेध करते हैं ,उन्हें विरोधबोधक कहते हैं जैसे –
४ परिणामबोधक – जो समानाधिकरण समुच्चयबोधक दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं तथा दूसरे उपवाक्य के परिणाम का बोध कराते हैं , उन्हें परिणामबोधक कहते हैं। जैसे –
2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययजो समुच्चयबोधक शब्द एक प्रधान उपवाक्य में एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य को जोड़ते हैं , उन्हें व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं जैसे –
व्यधिकरण समुच्चयबोधक के तीन भेद हैं – १ कारण बोधक २ संकेत बोधक ३ उद्देश्य बोधक। १ कारण बोधक – जो वाक्यों के उपवाक्यों में कार्य का बोध कराते हैं उन्हें कारण बोधक कहते हैं। जैसे –
२ संकेत बोधक – संकेत या शर्त प्रकट करने वाले व्यधिकरण समुच्चयबोधक संकेतबोधक कहलाते हैं। जैसे –
३ उद्देश्यबोधक – जिन व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्दों के बाद आने वाले वाक्य अपने से पहले वाक्य का उद्देश्य प्रकट करते हैं। जैसे –
4. विस्मयादिबोधक अवयव ( Interjection )विस्मयादिबोधक शब्द वह होते हैं जहां विस्मय ,आश्चर्य, हर्ष,घृणा , सुख, दुख,आदि मनोभावों का बोध होता हो। जैसे –
5. निपातवह अव्यय जो किसी शब्द या पद के बाद अलग कर उसके मूल अर्थ को विशेष प्रकार का बल प्रदान करते हैं ,उन्हें निपात या अवधार कहते हैं। जैसे –
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के सामने कौन सा अव्यय है?संस्कृत अव्यय. अव्यय कैसे पहचाने?“अव्यय वे शब्द हैं जिनमें लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि से कोई विकार या रूप परिवर्तन नहीं होता।”[1] ऐसे शब्दों को रूपांतरण न होने के कारण अविकारी और व्यय न होने के कारण अव्यय कहते हैं।
विद्यालय के सामने एक सुंदर बगीचा है वाक्य में सामने कौन सा पद है?विद्यालय के सामने एक सुंदर बगीचा है '- वाक्य में के सामने कौन सा पद है? इसे सुनेंरोकेंसंबंधबोधक – जो अव्यय संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर वाक्य के अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ संबंध बताते हैं उन्हें संबंधबोधक कहते हैं। जैसे – विद्यालय के पास बगीचा है।
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