ग्राम सभा की बैठक कैसे होती है? - graam sabha kee baithak kaise hotee hai?

ग्राम सभा की बैठक कैसे होती है? - graam sabha kee baithak kaise hotee hai?
ग्राम सभा प्रत्येक राजस्व ग्राम या वन ग्राम में उस गाँव के वयस्क मतदाताओं को मिलाकर तैयार की जाती है।

लखनऊ। ग्राम सभा किसी एक गांव या पंचायत का चुनाव करने वाले गाँवों के समूह की मतदाता सूची में शामिल व्यक्तियों से मिलकर बनी संस्था है। ग्राम सभा पंचायतीराज की मूलभूत इकाई है। यह ग्राम सभा प्रत्येक राजस्व ग्राम या वन ग्राम में उस गाँव के वयस्क मतदाताओं को मिलाकर तैयार की जाती है।

ग्राम सभा की संरचना

ग्राम सभा में राज्य निर्वाचन आयोग (पंचायत एवं स्थानीय निकाय) द्वारा तैयार पंचायत क्षेत्र की वोटर लिस्ट में दर्ज सभी लोग सदस्य होते हैं। ग्राम सभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना जरूरी है। प्रत्येक ग्राम सभा में एक अध्यक्ष होगा, जो ग्राम प्रधान, सरपंच अथवा मुखिया कहलाता है, तथा कुछ अन्य सदस्य होंगे। ग्राम सभा में 1000 की आबादी तक 1 ग्राम पंचायत सदस्य (वार्ड सदस्य), 2000की आबादी तक 11 सदस्य तथा 3000 की आबादी तक 15 सदस्य होंगे।

ग्राम सभा की बैठक

ग्राम सभा की बैठक वर्ष में दो बार होनी जरूरी है। इस बारे में सदस्यों को सूचना बैठक से 15 दिन पूर्व नोटिस से देनी होती है। ग्राम सभा की बैठक को बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को है। वह किसी समय आसामान्य बैठक का भी आयोजन कर सकता है। ग्राम सभा में एक साल में दो बैठकें ज़रूर होती हैं, जिसमें एक बैठक ख़रीफ़ की फसल कटने के बाद तथा दूसरी रबी की फसल काटने के तुरन्त बाद सम्पन्न होती है।

ग्राम सभा की अध्यक्षता प्रधान या उसकी गैरमूजदगी में उपप्रधान करता है। दोनों की अनुपस्थिति में ग्राम पंचायत के किसी सदस्य को प्रधान द्वारा मनोनीत किया जा सकता है। जि़ला पंचायत राज अधिकारी या क्षेत्र पंचायत द्वारा लिखित रूप से मांग करने पर अथवा ग्राम सभा के सदस्यों की मांग पर प्रधान द्वारा 30 दिनों के भीतर बैठक बुलाया जाएगा।

यदि ग्राम प्रधान बैठक आयोजित नहीं करता है तो यह बैठक उस तारीख़ के 60 दिनों के भीतर होगी, जिस तारीख़ को प्रधान से बैठक बुलाने की मांग की गई है। ग्राम सभा की बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के 5वें भाग की उपस्थिति आवश्यक होती है। लेकिन यदि गणपूर्ति (कोरम) के अभाव के कारण बैठक न हो सके तो इसके लिए दुबारा बैठक का आयोजन किया जा सकता है।

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ग्राम सभा के कार्य

  • ग्राम सभा गाँव के हित में योजना बनाती है, और उन्हें लागू करती है।
  • ग्राम सभा ग्राम पंचायत का बजट पारित कर एकत्रण के नियम बनाती है।
  • सार्वजनिक संपत्तियों की रक्षा करती है।
  • लाभार्थियों का चयन करती है।
  • जनसुनवाई के माध्यम से पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाती है।
  • समाज के सभी वर्गों मे मेल-जोल व एकता बढ़ाने का काम करती है।
  • प्रौढ़ शिक्षा का कार्यक्रम की व्यवस्था करती है।
  • अन्य मामले जो पहले से तय हों (जैसे परिवार कल्याण, पर्यावरण सुधार,टीकाकरण)

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ग्राम सभा (Gram Sabha) और ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) ऐसा विषय है जिसमे कई बार लोग भ्रम की स्थिति में होते है | ग्राम सभा और पंचायत दोनों अलग अलग है परन्तु एक दूसरे के पूरक है | ग्राम सभा पंचायती राज की एक मूलभूत इकाई के रूप मानीजाती है | वही ग्राम पंचायत को ग्राम स्तर पर कार्यपलिका के रूप में जाना जा सकता है, जिसके निश्चित सदस्य होते है जो प्रत्येक 5 साल में ग्राम प्रधानचुनाव द्वारा चयनित होते है |

ग्राम का मुखिया ग्राम प्रधान, सरपंच अथवा मुखिया के नाम से जाना जाता है | ग्रामीण क्षेत्र के विकास में ग्राम सभा व ग्राम पंचायत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है | ग्राम स्तर पर रोजगार, शिक्षा, विकास और अन्य मुद्दों पर कार्य भारतकी उन्नति के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है क्योंकि आज भी देश की 60 फीसदी जनता ग्रामीण क्षेत्र में रहती है और देश में रोजगार के रूप में भी ग्राम क्षेत्र आगे है | भारत में ग्रामीण स्तर देश के कुल रोजगार में आज भी यह 40 फीसदी का योगदान देता है | इस लेख के माध्यम से आज आपको ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के विषय में जानकारी उपलब्ध करायी जायेगी |

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ग्राम सभा क्या है (Gram Sabha Kya Hai)

  • ग्राम सभा क्या है (Gram Sabha Kya Hai)
    • ग्राम सभा के सदस्य और बैठक
    • ग्राम सभा के कार्य व अधिकार
    • ग्राम पंचायत क्या है (What is Gram Panchayat)
    • ग्राम पंचायत के कार्य और अधिकार
    • निगरानी समिति

ग्राम सभा का मतलब, ग्राम पंचायत का गठन करने हेतु किसी एक गाँव या एक से अधिक गाँव के समूहों के मतदाताओ की सूची में शामिल कुल व्यक्तियों की संस्था है | ग्राम सभा की परिभाषा अनुसार कम से कम 200 या उससे ज्यादा लोगो की जनसंख्या होनी चाहिए |

ग्राम सभा के सदस्य और बैठक

ग्राम सभा की बैठक 3 महीने में 1 बार बुलाई जाती है और जिसके लिए 15 दिन पहले ही इसकी सूचना सबको दे दी जाती है | बैठक में कम से कम 5% ग्राम सभा का होना अनिवार्य है अन्यथा बैठक को स्थगित कर दिया जाता है और फिर से बैठक बुलाई जाती है |     

प्रत्येक ग्राम सभा का अध्यक्ष व अन्य सदस्य का समूह होता है जिसे ग्राम प्रधान, सरपंच अथवा मुखिया नाम से बुलाया जाता है | नियमानुसार 1000 की आबादी पर 1 ग्राम पंचायत सदस्य (वार्ड सदस्य), 2000 की आबादी पर 11 सदस्य तथा 3000 की आबादी पर 15 सदस्य उस ग्राम पंचायत के सदस्य होंगे |

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ग्राम सभा के कार्य व अधिकार

  • ग्राम सभा ग्राम पंचायत द्वारा पारित बजट पर नियन्त्रण रखती है |
  • ग्राम सभा की बैठक में चर्च करके पारदर्शिता एवं जवाबदेही तय करती है |
  • गाँव में सभी वर्गो में विषमता समाप्त तथा समता का भाव स्थापित करना |
  • किसी भी लोकहित योजना, आय तथा व्यय के बारे में ग्राम पंचायत से सवाल करती है |
  • ग्राम पंचायत के समक्ष किसी अन्य मुद्दे को संज्ञान में लाती है |
  • योजना के लिए उचित लाभार्थी की पहचान करना |
  • निगरानी समिति की रिपोर्ट में कारवाही और अनुसंशा करना |

ग्राम पंचायत क्या है (What is Gram Panchayat)

ग्रामीण क्षेत्र में विकास के कार्य और मूलभूत योजनाये हेतु ग्राम सभा द्वारा एक कार्येकारी संस्था जिसे ग्राम पंचायत कहते है, का गठन या निर्माण किया जाता है | जिसका उम्मीदवार ग्राम सभा के सदस्य सूची से होता है और उचित चुनाव के माध्यम से ग्राम पंचायत के अध्यक्ष का चुनावकिया जाता है | ग्राम पंचायत को ग्राम स्तर पर कार्यपालिका की संज्ञा दी जाती है|

ग्राम पंचायत के 1/3 मतो के साथ किसी भी समय ग्राम सभा की बैठक बुलाने की मांग कर सकते है और ग्राम पंचायत अध्यक्ष को 15 दिनों के भीतर बैठक बुलानी होगी | ग्राम पंचायत में प्रधान के बाद उपप्रधान का चुनाव सिर्फ ग्राम पंचायत के सदस्य द्वारा किया जाता है और चुनाव सम्पन्न के होने पर नियत अधिकार भी उपप्रधान की नामित कर सकता है |

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ग्राम पंचायत के कार्य और अधिकार

  • गाँव में विकास कार्यो में सहायता करना |
  • किसी योजना को लागू करने हेतु गाँव के योग्य लाभान्वित होने वालों की पहचान करना (यदि ग्राम सभा नहीं कर पाती है तो) |
  • गाँव के भीतर रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों पर कार्य करना |
  • गाँव में उर्जा, सड़क व ग्राम विकास से जुड़े सभी मुद्दों पर कार्य करना या उचित स्तर पर सरकार के समक्ष रखना |
  • पशुधन विकास सम्बंधी कार्य |
  • गाँव के योग्य बालक व बालिकाओ में छात्रवृतिका स्वीकरण और आवंटन करना |
  • गाँव के गरीब परिवार व बुजर्गो के लिए पेंशन और अन्य सुविधा का लाभ देना |
  • राशन या सार्वजानिक वितरण प्रणालीद्वारा सस्ते मूल्य पर खाद्य का लाभ देना |
  • प्रावधानानुसार ग्राम सभा की नियमित बैठक बुलाना |

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निगरानी समिति

ग्राम पंचायत की निगरानी का कार्य ग्राम सभा की समितियों द्वारा किया जाता है | इसके लिए ग्राम सभा के ऐसे सदस्य जो ग्राम पंचायत के सदस्य नहीं है, समिति द्वारा ग्राम पंचायत के कार्य पर नज़र रखते है और किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोकते है | यही समिति ग्राम सभा में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है जिस पर खुलकर चर्चा की जाती है |

उम्मीद है कि हमारे प्रिय पाठको को आज ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के विषय में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ होगा और उन्हें ग्राम सभा व पंचायत के कार्य व अधिकार के विषय में भी अतिरिक्त ज्ञान प्राप्त हुआ होगा | कृप्या लेख अच्छा लगने पर hindiraj.com को आगे शेयर करे |

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ग्राम सभा अपने गांव में स्थानीय शासन कैसे चलती है?

आइए, इस बात की चर्चा करें कि भारत में स्थानीय शासन का विकास कैसे हुआ और हमारे संविधान में इसके बारे में क्या कहा गया है। माना जाता है कि अपना शासन खुद चलाने वाले ग्राम समुदाय प्राचीन भारत में 'सभा' के रूप में मौजूद थे। समय बीतने के साथ गाँव की इन सभाओं ने पंचायत का रूप ले लिया।

राजस्थान में ग्राम सभा की बैठक वर्ष में कितनी बार होती है?

उत्तर: ग्राम सभा की अनिवार्य बैठकों की संख्या राज्य पेसा नियम, राज्य पंचायती राज अधिनियम और राज्य पंचायती राज नियम के अनुसार होगी। कई राज्यों में एक वर्ष में ग्राम सभा की न्यूनतम चार अनिवार्य बैठकों का आयोजन करना अनिवार्य है।

ग्राम सभा कौन बोलो तो?

ग्राम सभा किसी एक गांव या पंचायत का चुनाव करने वाले गांवों के समूह की मतदाता सूची में शामिल व्यक्तियों से मिलकर बनी संस्था है। गतिशील और प्रबुध्द ग्राम सभा पंचायती राज की सफलता के केंद्र में होती है। किसी ग्राम की निर्वाचक नामावली में जो नाम दर्ज होते हैं उन व्यक्तियों को सामूहिक रूप से ग्राम सभा कहा जाता है।

क्या ग्राम सभा?

सबकी अलग-अलग ग्राम सभा होगी। इसके सदस्य उस राजस्व ग्राम में रहने वाले सभी मतदाता होते हैं। ग्राम सभा की बैठक में भाग लेना उनका अधिकार भी है और कर्त्तव्य भी । क्योंकि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो वे वास्तव में गणतंत्र के आधार को कमजोर ही करते हैं और स्वयं को अपने अधिकारों के लिए अयोग्य ही साबित करते हैं।