नमस्कार दोस्तों मैं रात को प्रश्न है नर तथा मादा मेंढक को आपके से विभेदित करेंगे तो आइए सूत्र की सहायता से समझ लेते हैं उत्तर तो देखिए नर व मादा मेंढक में निम्न अंतर होते हैं निम्न अंतर होते हैं जिन्हें हम एक-एक कर देखेंगे तो देखिए पहला लक्षण जो नर में पाया जाता है किंतु मादा में नहीं वह होता है वाह को देखिए वाह कोष क्या होता है कि मुख गुहा के आसपास मुख गुहा के आसपास दोनों तरफ क्या पाए जाते हैं आसपास दोनों तरफ फैली नुमा संरचनाएं पाई जाती है हथेली नुमा संरचनाएं पाई जाती है इन संरचनाओं का कहते हैं वह कुछ कहते हैं क्या कहते हैं बकवास करते हैं आंखें नरम नाक में यह बकवास पाए जाते हैं क्या होता है कि नर मेंढक में यहां वापस क्या होते हैं उपस्थित होते हैं किंतु किंतु क्या होता है मादा मेंढक में मादा मेंढक में यह वाक्य को उपस्थित नहीं होते हैं इनका क्या होता है इन का अभाव होता है मादा मेंढक में और नरमी डक इन बाकोस की वजह से ही क्या कर पाते हैं टाइटर की आवाज कर पाते हैं देखिए इसमें क्या होता है कि नर में यह वापस पाए जाते हैं किंतु मादा में इनका क्या होता है अभाव होता है तो पहला यह लक्षण है जो इन दोनों को विभेदित कहता है कि देखिए दूसरा अक्षर जो होता है वह है आ कर तो देखिए क्या होता है कि मादा मेंढक मादा मेंढक क्या होती है आकार में अपेक्षाकृत बड़ी होती है क्या होती है आकार में अपेक्षाकृत नरम इंटर की अपेक्षा में क्या होती है यह कार में बड़ी होती है और नर्मदा क्या होते हैं नर्मदा आकार में छोटे होते हैं नर्मदा का आकार में छोटे होते हैं देखिए यह उनका दूसरा विभेदित लक्षण है जिससे इन्हें क्या किया जा सकता है इन में विभक्त किया जा सकता है अब हम इनका तीसरा लक्षण देखेंगे तो वह है मिथुन रतिया प्रजनन के समय प्रेग्नेंट के समय प्रजनन के समय क्या होता है किन्नर मेंढक के अनुपात में प्रजनन के समय जो नर मेंढक होता है उसके अगर बाद में क्या होता है नर मेंढक के अगर बाद में मिथुन गतियां मिथुन मिथुन विधियां विकसित हो जाती है क्या होता है मैथुन गद्दिया विकसित हो जाती है प्रजनन काल में ठीक है वही मादा मेंढक क्या होता है कि मादा मेंढक में इनका अभाव होता है किस में मादा मेंढक में मादा मेंढक में क्या होता है इनका अभाव पाया जाता है मिथुन गलतियों का दिया 3 लक्षण है जिनके द्वारा नर व मादा मेंढक को विभाजित किया जा सकता है तो देखिए मेरा प्रश्न यहीं समाप्त होता है आशा करती हूं आपको यह प्रश्न समझ आया हु इस वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद
मेंढक उभयचर वर्ग का जंतु है जो पानी तथा जमीन पर दोनों जगह रह सकता है। यह एक शीतरक्ती प्राणी है अर्थात् इसके शरीर का तापमान वातावरण के ताप के अनुसार घटता या बढ़ता रहता है। शीतकाल में यह ठंडक से बचने के लिए पोखर आदि की निचली सतह की मिट्टी लगभग दो फुट की गहराई तक खोदकर उसी में पड़ा रहता है। यहाँ तक कि कुछ खाता भी नहीं है। इस क्रिया को शीतनिद्रा या शीतसुषुप्तावस्था कहते हैं। इसी तरह की क्रिया गर्मी के दिनों में होती है। ग्रीष्मकाल की इस निष्क्रिय अवस्था को ग्रीष्मसुषुप्तावस्था कहते हैं। मेंढक के चार पैर होते हैं। पिछले दो पैर अगले पैरों से बड़े होतें हैं। जिसके कारण यह लम्बी उछाल लेता है। अगले पैरों में चार-चार तथा पिछले पैरों में पाँच-पाँच झिल्लीदार उँगलिया होतीं हैं, जो इसे तैरने में सहायता करती हैं। मेंढकों का आकार ९.८ मिलीमीटर (०.४ ईन्च) से लेकर ३० सेण्टीमीटर (१२ ईन्च) तक होता है। नर साधारणतः मादा से आकार में छोटे होते हैं। मेंढकों की त्वचा में विषग्रन्थियाँ होतीं हैं, परन्तु ये शिकारी स्तनपायी, पक्षी तथा साँपों से इनकी सुरक्षा नहीं कर पाती हैं। भेक या दादुर (टोड) तथा मेंढक में कुछ अंतर है जैसे दादुर अधिकतर जमीन पर रहता है, इसकी त्वचा शुष्क एवं झुर्रीदार होती है जबकि मेंढक की त्वचा कोमल एवं चिकनी होती है। मेंढक का सिर तिकोना जबकि टोड का अर्द्ध-वृत्ताकार होता है। भेक के पिछले पैर की अंगुलियों के बीच झिल्ली भी नहीं मिलती है। परन्तु वैज्ञानिक वर्गीकरण की दृष्टि से दोनों बहुत हद तक समान जंतु हैं तथा उभयचर वर्ग के एनुरा गण के अन्तर्गत आते हैं। मेंढक प्रायः सभी जगहों पर पाए जाते हैं। इसकी ५००० से अधिक प्रजातियों की खोज हो चुकी है। वर्षा वनों में इनकी संख्या सर्वाधिक है। कुछ प्रजातियों की संख्या तेजी से कम हो रही है। बाह्यसूत्र
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