हमारे देश की सरकारी प्राथमिक शिक्षा प्रणाली पर विगत एक दशकों से भी अधिक समय से प्रश्न चिन्ह उठाए जाते रहे हैं। प्रथम संस्था और असर की सालाना रिपोर्टें अपने अध्ययन और आंकड़ों के आधार पर यह स्थापित करती रही हैं कि किसी विशेष दर्जे में पढ़ रहा बच्चा अपनी वर्तमान कक्षा के एक या दो स्तर निचली कक्षा की विषय वस्तु को समझ के साथ पढ़ने, अभिव्यक्त करने के बुनियादी भाषायी कौशल को प्राप्त नहीं कर सका है, और यही बात गणित विषय की बुनियादी दक्षताओं के बारे में भी सही है। Show उक्त संस्थाओं के प्रतिवेदन के सम्बन्ध में लिए गए सैंपल, मूल्यांकन के तौर-तरीकों पर बचाव की दृष्टि से सवाल खड़े किए जा सकते हैं परन्तु इसके साथ यह भी सही है कि हालात चिंतनीय तो हैं ही। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तत्वाधान में इस मुद्दे का विशेष संज्ञान लेते हुए निपुण भारत मिशन (NBMNBM) के अंतर्गत मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान (FLNFLN) कार्यक्रम वर्ष 2021 में शुरू किया गया है। इसमें 3 से 9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान दक्षता को बेहतर करने की बात कही गयी है। इसका अर्थ है कि पूर्व प्राथमिक कक्षा से कक्षा 3 तक के बच्चे इसमें शामिल होंगे। #FLN एक मिशन हैअपनी बात को आगे जारी रखने से पहले यहीं पर यह कहना बहुत जरुरी लगता है कि इसे एक मिशन कहा गया है। मिशन का सामान्य मकसद होता है कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्या-क्या किया जाएगा? जिससे मिशन के पूरा होने पर मुख्य विज़न को प्राप्त किया जा सके और यह मुख्य विज़न है, शिक्षा के व्यापक लक्ष्यों को प्राप्त करना।
इन कौशलों को प्राप्त करने के लिए आधारभूत साक्षरता और संख्या सम्बन्धी दक्षता की जरुरत होती है, बल्कि इसी आधारभूमि पर अन्य कौशलों को प्राप्त करना निर्भऱ करता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि बच्चे के स्कूल की शुरूआती कक्षाओं में आधारभूत साक्षरता और संख्या सम्बन्धी दक्षताओं पर काम किया जाना चाहिए। इसके लिए वर्तमान हालात पर नज़र डालने से हमें जरुरी गंभीर प्रयासों का अंदाजा लग सकता है। दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देना है जरूरीवर्तमान में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में एक या दो शिक्षक काम कर रहे हैं, पांच कक्षाओं को सँभालते हैं। इन शिक्षकों की नियुक्ति विषय विशेषज्ञता के आधार पर भी नहीं हुई है। ऐसे में प्रत्येक विषय में प्रत्येक बच्चे की सीखने की अलग-अलग गति और अभिरूचि के अनुसार, इन बच्चों के साथ काम करना कितना चुनौतीपूर्ण है? इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। आंगनबाड़ी केंद्र में खेलते बच्चे। भारत में लंबे समय से यह मांग की जा रही है कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के लिए भी क़दम उठाना चाहिए ताकि इन बच्चों को पढ़ाई के लिए पहले से तैयार किया जा सके। इतना ही नहीं हमारे देश में सरकारी शिक्षा के क्षेत्र में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का ढांचा अव्यवस्थित है। यदि देश में संचालित आँगनवाड़ियों को इसके निमित्त मान भी लिए जाए तो ये बच्चों को नाश्ता/खाना, यदि बहुत हुआ तो कुछ खेल खिलाने से ज्यादा कुछ करती नज़र नहीं आती हैं, और दूसरा इनमें काम कर रही कार्यकत्रियाँ आधारभूत साक्षरता और गणित शिक्षण हेतु प्रशिक्षित भी नहीं हैं। #FLN से जुड़ी दक्षता विकसित करने के लिए क्या करें?यदि गहनता से विचार किया जाए तो आधारभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान सम्बन्धी शिक्षण बच्चे की विषयगत पाठ्यचर्या से अलग कोई बात नहीं है। यह भाषा और गणित के बुनियादी कौशलों को सीखने का मामला है, और कक्षा के प्रत्येक बच्चे के लिए इसे सुनिश्चित करने का मसला है। अर्थात-
शिक्षा के व्यापक लक्ष्यों पर ध्यान देना है जरूरीउक्त बिन्दुओं के आलोक में एक बात बहुत जरुरी प्रतीत होती है कि ऐसा करने के लिए प्रत्येक कक्षा के लिए शिक्षक और विभिन्न विषयों की योग्यता रखने वाले शिक्षक/शिक्षिकाओं के संयोजन की जरुरत होगी। और दूसरा यह कि आधारभूत साक्षरता और गणितीय दक्षता शिक्षा के व्यापक लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक साधन मात्र है, माईल-स्टोन है अपने आप में लक्ष्य नहीं।
आधारभूत साक्षरता और गणितीय दक्षता का विचार बहुत जरुरी और सक्रियता पैदा करने वाला है बशर्ते कि जमीनी सच्चाईयों का संज्ञान लेते हुए कुछ ठोस कदम उठाए जाएं। इसके साथ ही साथ शिक्षा के व्यापक लक्ष्यों पर भी लगातार नज़र बनी रहे। ( डॉ0 केवल आनन्द काण्डपाल वर्तमान में उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद में रा0 उ0 मा0 वि0 पुड्कुनी (कपकोट) में प्रधानाचार्य के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययन, शोध व अध्यापन में सक्रियता से काम कर रहे हैं। इस लेख के बारे में आप अपनी राय टिप्पणी लिखकर या फिर Email: [email protected] के माध्यम से सीधे लेखक तक पहुंचा सकते हैं। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपनी प्रतिक्रिया जरूर साझा करें।) Share this:
Like this:Like Loading... Related#FLN सीरीज एजुकेशन मिरर, गणितीय दक्षताओं का विकास, प्राथमिक शिक्षा की समस्या, फाउण्डेशनल न्युमिरेसी, फाउण्डेशनल लिट्रेसी, भाषायी कौशलों का विकास, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020, शिक्षकों के अनुभव, शिक्षकों के लेख, शिक्षकों के विचार, शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षा के उद्देश्यों को हासिल करने में मदद करती है लाइब्रेरी, शिक्षा के व्यापक लक्ष्य, शिक्षा केव्यापक उद्देश्य |