रोज दीपक जलाने से क्या होता है - roj deepak jalaane se kya hota hai

हाइलाइट्स

  • शास्त्रों में दीपक जलाने का तरीका बताया गया है

  • पूजा में हमेशा साफ दीपक का ही इस्तेमाल करें

  • तेल का दीपक हमेशा अपने दाहिने ओर जलाना चाहिए

रोजाना हम सुब शाम की पूजा में दीपक जलाते हैं. किसी भी पूजा आराधना में बिना दीपक के पूजा उपासना संपन्न नहीं होती है. हम तीर्थ स्थानों पर जाते हैं तो दीपदान करते हैं. मंदिरों में रोजाना दीपक के जरिए ही भगवान की आरती और वंदना की जाती है. 

दीपक जलाने का आध्यात्मिक महत्व-
हर शाम को घर की चौखट पर दीपक को जलाना हमारी पुरातन परंपरा का हिस्सा रहा है. संपूर्ण ब्रह्मांड में प्रकाश ही गति की ऊर्जा है. जिसका मुख्य स्रोत सूर्य देव हैं और दीपक की बाती से निकलने वाले प्रकाश को वेदों में अग्नि या सूर्य का तत्व ही माना गया है. देवी-देवताओं की पूजा में दीपक जलाने का विशेष महत्व है. जो लोग विधि-विधान से पूजा नहीं कर पाते हैं, वे भगवान के सामने सिर्फ दीपक जलाकर भी पूजा कर सकते हैं. दीपक से आरती की जाती है. आरती के बाद ही पूजन कर्म पूर्ण होते हैं.

दीपक जलाने का शास्त्रीय विधान-
दीपक के आध्यात्मिक महत्व को तो आपने समझ लिया. इसीलिए चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर दीपक को जलाने का शास्त्रीय विधान क्या है.

  • पूजा में हमेशा साफ दीपक का ही इस्तेमाल करें
  • पूजा में कभी खंडित दीपक का प्रयोग नहीं करते
  • घी के दीपक में सफेद रुई का इस्तेमाल करना चाहिए
  • तेल के दीपक के लिए लाल मौली का प्रयोग करना चाहिए
  • दीपक हमेशा भगवान के बिल्कुल सामने लगाना चाहिए
  • घी का दीपक हमेशा अपनी बाईं ओर जलाना चाहिए
  • तेल का दीपक हमेशा अपने दाहिने ओर जलाना चाहिए
  • पूजा करते समय दीपक बुझना नहीं चाहिए
  • दीपक बीच में बुझ जाता है तो पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है

दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. साथ ही वास्तु दोष खत्म होता है. इसीलिए हमें घर में नियमित रूप से दीपक जलाना चाहिए. शास्त्रीय मान्यता है कि घी का दीपक हमेशा भगवान के समर्पण के लिए जलाते हैं. जबकि तेल का दीपक हमेशा हम अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए जलाते हैं.

धातुओँ के दीपक जलाने का विधान-
वैसे तो वेदों में प्रकृति पूजा का विधान है. इसीलिए सनातन धर्म में मिट्टी के दीपक के जलाने की परंपरा बताई गई है. लेकिन अलग अलग कामना पूर्ति के लिए सोना, चांदी,पीतल,कांसा तांबा, जैसी धातुओं के दीपक जलाने का विधान भी बताया गया है. 

  • सिद्धियां पाने के लिए आटे के बने दीपक को जलाना चाहिए
  • शनि और मंगल की कृपा पाने के लिए मिट्टी का दीपक जलाएं
  • सूर्य और गुरू की कामना के लिए सोने के दीपक को जलाएं
  • चंद्रमा की शुभता के लिए चांदी के दीपक को जलाना उत्तम है

किस दिशा में जलाएं दीपक-
वैसे तो दीपक के जलने से दसों दिशाओं का अंधकार खत्म होता है. लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की हर दिशा में दीपक जलाने के अलग अलग मायने होते हैं. अलग अलग दिशा में जलाया गया दीपक आपको अलग अलग फल देता है. 

  • पूर्व दिशा में जलाया गया दीपक आयु में वृद्धि करता है
  • पश्चिम में जलाया गया दीपक दुख बढ़ाता है
  • उत्तर दिशा में जलाया गया दीपक धन लाभ कराता है
  • दक्षिण दिशा में जलाया गया दीपक धन और जन हानि कराता है

मन्नत का एक दीप जलाएं-
दीपक को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है. घर के मंदिर से लेकर तीर्थों तक जलाया गया दीपक पुण्य फल दिलाती है. देवपूजा में दीपक का बड़ा महत्व माना गया है. पूजा के समय दीपक कैसा हो, उसमें कितनी बत्तियां हों यह जानना भी बेहद जरूरी है. यही जानकारी उस देवता की कृपा और अपने उद्देश्य की पूर्ति का कारण बनती है. तो चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं कि अलग अलग कामना के लिए आपको दीपक में बाती के साथ किस तैलीय द्रव्य का इस्तेमाल करना है.

  • आर्थिक लाभ के लिए रोजाना देसी घी का दीपक जलाएं
  • शत्रु भय दूर करने के लिए सरसो के तेल का दीपक जलाएं
  • भगवान सूर्य की प्रसन्नता के लिए सरसो के तेल का दीप जलाएं
  • अखंड सौभाग्य के लिए महुए के तेल का दीप जलाएं
  • राहु-केतु शांति के लिए अलसी के तेल का दीप जलाएं
  • ईष्ट या कुल देव के सामने घी का ही दीप जलाएं
  • अखंड दीप के लिए हमेशा घी या तिल के तेल का इस्तेमाल करें
  • हनुमत कृपा के लिए चमेली के तेल का दीप जलाएं
  • शनि कृपा के लिए सरसो के तेल का दीपक जलाएं
  • भैरव की प्रसन्नता के लिए सरसो के तेल का ही दीप जलाएं

देव कृपा के लिए जलाएं दीपक-
जिस तरह अलग अलग कामनाओं के लिए अलग अलग धातु के दीपक का इस्तेमाल किया जाता है. अलग अलग मन्नतों के लिए अलग अलग तैलीय द्रव्य का प्रयोग किया जाता है. वैसे ही अलग अलग देवों की कृपा पाने के लिए अलग अलग बत्ती के दीपक को जलाने का शास्त्रीय विधान बताया गया है. 

  • कुल देवता या ईष्ट देव की कृपा के लिए एक बत्ती का दीपक जलाएं
  • मां भगवती की आराधना में दो बत्ती का दीपक जलाएं
  • मां सरस्वती की पूजा में दो बत्ती का दीपक जलाएं
  • प्रथम पूज्य गणपति की कृपा पाने के लिए तीन बत्ती का दीपक जलाएं
  • भैरव का प्रसन्नता के लिए चार मुखी दीपक जलाएं
  • मुकदमे में विजय और कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए पंचमुखी दीप जलाएं
  • मां लक्ष्मी की कृपा के लिए सात मुखी दीपक जलाएं
  • भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए आठ मुखी दीपक जलाएं
  • दशावतार की प्रसन्नता के लिए दस मुखी दीपक जलाएं
  • भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए 16 मुखी दीप जलाएं

पुराणों में दीप जलाने का तरीका-  
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार दीपक का दान करना या दीप को जलाकर देव स्थान पर रखना ही दीपदान कहलाता है. वैसे हम जानते हैं कि किसी दीपक को उन्हें नदी में प्रवाहित करना दीपदान कहलाता है. कहा जाता है कि यह प्रभु के समक्ष निवेदन प्रकट करने का एक धार्मिक तरीका होता है. पद्म पुराण से लेकर अग्नि पुराण में दीपदान कैसे करें और कहां करें इस बात की व्याख्या मिलती है. 
अग्निपुराण में बताया गया है कि जो मनुष्य देव मंदिर अथवा ब्राह्मण के गृह में दीपदान करता है, वह सबकुछ प्राप्त कर लेता है
पद्मपुराण के अनुसार मंदिरों में और नदी के किनारे दीपदान करने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं
दुर्गम स्थान या भूमि पर दीपदान करने से व्यक्ति नरक जाने से बच जाता है

दीपदान की तिथियां- 
चलिए आपको बताते हैं कि दीप दान कब कब करना चाहिए.

  • सभी स्नान पर्व और व्रत के समय दीपदान किया जाता है
  • नरक चतुर्दशी और यम द्वितीया के दिन भी दीप दान करने का विधान है
  • दीपावली अमावस्या और पूर्णिमा के दिन भी दीपदान करने का अधिक महत्व बताया जाता है
  • कार्तिक मास में किया गया दीपदान मां लक्ष्मी की कृपा दिलाता है

दीपदान का विधान-
आखिर आपको किसी भी पुण्यकारी तिथि पर दीपदान कैसे करना है, ये भी जान लीजिए. 

  • दीपदान के लिए मिट्टी, तांबा, चांदी, पीतल या फिर सोने का दीपक लें
  • दीपक को अच्छी तरह से साफ़ कर लें
  • मिट्टी के दीपक को पहले पानी में भिगो कर सुखा लें
  • प्रदोषकाल या सूर्यास्त के बाद दीपक, तेल, गाय घी, बत्ती, चावल अथवा गेहूं लेकर मंदिर जाएं
  • घी के दीपक में रुई की बत्ती प्रयोग करें
  • तेल के दीपक में लाल धागे कलावा की बत्ती लगाएं
  • दीपक को हमेशा चावल,गेहूं,सप्तधान्य का आसन दें 
  • उसके बाद एक तेल का दीपक शिवलिंग के समक्ष रखें 
  • दूसरा गाय के घी का दीपक श्रीहरि नारायण के समक्ष रखें
  • उसके बाद दीपक मंत्र पढ़ते हुए दोनों दीप प्रज्वलित करें दीपक को प्रणाम करें

दीपक जलाने का मंत्र-
हिंदू धर्म में हर मांगलिक कार्य के लिए मंत्र है...कोई भी शुभ कार्य करने के दौरान इन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है. उसी प्रकार शाम के समय घर पर दीपक जलाते समय मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में कल्याण होगा और लाभ मिलेगा.
दीपो ज्योति परंब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोस्तुते।।
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोस्तुते।।

दीपक जलाते समय इस मंत्र का उच्चारण करने से कई विशेष लाभ मिलते हैं. तो आप भी शास्त्रीय विधान से दीपदान कीजिए और अपने जीवन को प्रकाशित कर लीजिए.

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घर में रोज दिया जलाने से क्या होता है?

अगर नियमित रूप से दीपक जलाया जाता है तो घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है। वास्तु दोष बढ़ाने वाली नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। दीपक के धुएं से वातावरण में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं। दीपक अंधकार खत्म करता है और प्रकाश फैलाता है।

रात में दिया जलाने से क्या होता है?

दीपक जलाने से सुख-समृद्धि का वास होता है और शांति की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में भी दीपक जलाने के महत्व के बारे में बताया गया है. दिवाली के दिन यूं तो हर कोने में दीपक जलाया जाता है, लेकिन वास्तु नियमों के अनुसार दिवाली पर कुछ विशेष जगहों पर दीपक जलाना बेहद शुभ होता है.

सुबह कितने बजे दीपक जलाना चाहिए?

पूजा जितनी जल्दी की जाए, उतना शुभ माना जाता है क्योंकि सुबह के समय ध्यान अच्छी तरह से केंद्रित होता है. पूजा के दौरान दीपक जलाने के लिए सर्वोत्तम समय सुबह 5 बजे से 10 बजे तक और शाम को 5 बजे से 7 बजे के बीच में जलाना शुभ है. दीपक पूर्व दिशा की ओर या उत्तर दिशा की ओर रखना शुभ माना जाता है.

दीपक कैसे चलाना चाहिए?

कैसे जलाते हैं आप दीपक, ध्यान रखें, सही दिशा में होनी चाहिए दीपक....
दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखने से आयु में वृद्धि होती है।.
दीपक की लौ पश्चिम दिशा की ओर रखने से दु:ख बढ़ता है।.
दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर रखने से धनलाभ होता है।.
दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर रखने से हानि होती है।.