आज की इस पोस्ट में हम आपको बताने बाले हैं, मौर्य वंश के सबसे पहले राजा चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में. Show चंद्रगुप्त मौर्य से संबिधित 1-2 सवाल हर परीक्षा में जरूर आता है और अगर आप इस पोस्ट को पूरा अच्छे से पढ़ लेते हैं तो आप चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में सब कुछ अच्छे से समझ जाएंगे. इससे आप चंद्रगुप्त मौर्य और मौर्य साम्राज्य से संबंधित किसी भी सवाल का जबाब आसानी से दे पाएंगे. इसलिए आप से अनुरोध है की आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े। मौर्यों की उत्पत्ति कैसे हुआ?हिन्दू साहित्य और धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य एक शुद्र थे, चाहे वह ब्रम्हाण साहित्य, मुद्राराक्षस या विष्णु पुराण इन सभी में मौर्य के बारे में शुद्र बताया गया है। लेकिन बौद्ध धर्म और जैन धर्म के अनुसार इन्हें क्षत्रिय बताया गया है। लेकिन इन सभी में सबसे प्रभावित मत बौद्ध धर्म और जैन धर्म के अनुसार बताए गए मत को माना जाता है, यानी अगर आपको इस से संबंधित को सवाल आता है की मौर्य क्या थे तो यैसे में आप मौर्य क्षत्रिय थे ये सही माना जाएगा। हेमचन्द्र के द्वारा लिखी गयी परिशिष्टपर्वन किताब में मौर्य वंश को मोर पालने वाला बताया गया है और इसी कारण से इनका नाम मौर्य वंश दिया गया था, और इस वंश का राजकीय चिन्ह मोर था। सर्बप्रथम ग्रन्वेडेल ने मौर्य के राज्यकियचिन्ह मोर है इसके बारे में बताया था। मौर्य वंश के जानकारी के कुछ प्रमुख स्रोत।मौर्य साम्राज्य की जानकारी इन सभी स्रोतों से मिला है।
चंद्रगुप्त मौर्य का परिचयचंद्रगुप्त मौर्य, मौर्य साम्राज्य के सबसे पहले राजा थे, इस वंश को लोग भारत के मुक्तिदाता के नाम से भी जानते है. इस वंश को मुक्तिदाता इसलिए बोला जाता है क्योंकि चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के अंतिम राजा घनानंद को हरा कर मौर्यवंश की स्थापना किया था. नंद वंश के क्रूर और अत्याचारी राजा के अंत करने के कारण इस वंश को भारत का मुक्तिदाता कहा जाता है. नंद वंश के अंतिम शासक घनानंद को चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य के साथ मिलकर मारा था, इसके बारे में आप सभी को जरूर पता होगा इसके पीछे की कहानी क्या थी, कैसे और क्यों ये सारा काण्ड हुआ था अब इसके बारे में बात करते हैं. चाणक्य, घनानंद के राज्य दरवार में थे, घनानंद बहुत ही क्रूर और अत्याचारी राजा था वो किसी कारण से चाणक्य पर क्रोधित हो गया और उन्हें अपमानित करके राज्य निकाला दे दिया था. चाणक्य अपमानित होने के बाद क्रोधित हो कर घनानंद और पूरे नंद वंश का विनाश करने का प्रण लेकर चल पार्टी हैं और उसी दरम्यान उन्हें विंध्याचल के जंगल में एक लड़के को राजकिलम खेल खेलते दिखा, चाणक्य उस लड़के के खेल को देख कर बहुत ही प्रभावित हुए, यह लड़का कोई और नही चंद्रगुप्त मौर्य था. चाणक्य ने उस बालक को 1000 कर्षापद दे कर खरीद लिया, यहाँ से यह भी साबित होता है की अगर चंद्रगुप्त मौर्य क्षत्रिय था तो उसे चाणक्य कभी खरीद नही पाता।(यह मेरा मत है) चाणक्य उस बालक को खरीदने के बाद उसे तक्षशिला लेकर आते हैं और उसे 7-8 वर्ष तक सभी प्रकार की शिक्षा देते हैं. Also Read: हर्यक वंश का शासन काल और प्रमुख राजा कई जगह पर इसके बारे में वर्णन मिलता है की चंद्रगुप्त मौर्य घनानंद का बेटा था, जितने भी किताबो में हमने इसके बारे में पढा है उससे हमे यह पता चलता है की ये बिल्कुल ही गलत बात है की चंद्रगुप्त मौर्य घनानंद का बेटा है. चंद्रगुप्त मौर्य के अन्य नामइससे संबंधित भी सवाल आते हैं की चंद्रगुप्त मौर्य के और कौन-कौन से नाम हैं. तो चलिए इसके बारे में भी जलते हैं. युनानी ग्रंथ –
अब आपकी बारी Share कीजिये | चंद्रगुप्त मौर्य और मौर्य साम्राज्य का वर्णनआशा करता हूँ की यह आर्टिकल “चंद्रगुप्त मौर्य और मौर्य साम्राज्य का वर्णन” आपको पसंद आया होगा और इनसे आपको बहुत कुछ सिखने को मिला होगा. यदि यह आर्टिकल आपको पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ Whatsapp और Facebook पर शेयर करे. ताकि वे भी इस मौर्य साम्राज्य के बारे में कुछ जाने और अपने प्रतियोगी परीक्षाओ में इस टॉपिक से सम्बन्धी सवालो का हल चुटकियों में कर पाए. पूरा आर्टिकल पढने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ईश्वर करे आपका दिन शुभ हो. Maurya कौन सी कैटेगरी में आते हैं?यह जानकारी... कुशवाहा समाज के अथक प्रयास के बाद हरियाणा राज्य में पिछड़ी जाति की सूची में 28 मार्च 2013 को कुशवाहा, कोइरी, मौर्य जाति को शामिल किया है।
मौर्य वंश का गोत्र क्या है?मौर्य वंश का ऋषि गोत्र भी गौतम है। लिया और उसे अपनी राजधानी बनाया। दक्षिण भारत चली गयी और मराठा राजपूतो में मिल गयी जिन्हें आज मोरे मराठा कहा जाता है वहां इनके कई राज्य थे। आज भी मराठो में मोरे वंश उच्च कुल माना जाता है।
मौर्य काल में कौन सी भाषा बोली जाती थी?मौर्य काल में तीन भाषाओं का प्रचलन था- संस्कृत, प्राकृत और पालि। पालि एक प्रकार की जन भाषा थी। अशोक ने पालि को सम्पूर्ण साम्राज्य की राजभाषा बनाया और इसी भाषा में अपने अभिलेख उत्कीर्ण कराए। इस युग में इन तीनों भाषाओं में श्रेष्ठ साहित्य की रचना हुई।
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