कंकाल तंत्र मानव शरीर को सख्त संरचना या रूपरेखा प्रदान करता है जो शरीर की रक्षा करता है। यह अस्थियों, उपास्थियों, शिरा (टेंडन) और स्नायु/ अस्थिरज्जु (लिगमेंट) जैसे संयोजी ऊतकों से बना है। इस लेख में हम इसकी संरचना, कार्य, अस्थियों के विकारों एवं विभिन्न प्रकार के जोड़ों के बारे में पढ़ेंगे। Show कंकाल तंत्र मानव शरीर को सख्त संरचना या रूपरेखा प्रदान करता है जो शरीर की रक्षा करता है। यह अस्थियों, उपास्थियों, शिरा (टेंडन) और स्नायु/ अस्थिरज्जु (लिगमेंट) जैसे संयोजी ऊतकों से बना है। क्याआपजानतेहैंकियदिकंकालबिनाकिसीजोड़केहोतोकिसीप्रकारकीगतिविधिनहींहोगीऔरमानवशरीर एकपत्थरकेसिवाकुछनहींरहजाएगा? Source: www.http:lh6.ggpht.com शरीर मेंमौजूदकंकालकेआधारपर, कंकालदोप्रकारकेहोतेहैं:1.
बाहरी (एग्जो) कंकाल: शरीर के बाहरी परत में पाए जाने वाले कंकाल को बाहरी कंकाल कहते हैं। ये मूल रूप से अपरिपक्व बाहरी त्वचा (ectoderm) या मध्यजनस्तर (mesoderm) से बनता है। यह भीतरी अंगों की रक्षा और संरक्षण करता है और मृत होता है। जैसे मछलियों के शल्क, कछुए का बाहरी सख्त परत, पंक्षियों के पंख आदि। संरचनाकेआधारपरआंतरिककंकालदोमूलघटकोंसेबनाहोता है:1. हड्डी: यह फाइबर और मैट्रिक्स से बना ठोस, सख्त और मजबूत संयोजी ऊतक है। इसका मैट्रिक्स प्रोटीन से बना होता है और इसमें कैल्शियम और मैगनीशियम की भी प्रचूरता होती है। क्याआपजानतेहैंकिहड्डियोंकीमजबूतीउसमेंमौजूद
खनिजोंकीवजहसेहोतीहै? हड्डी का मैट्रिक संकेंद्रिक छल्लों के रूप में होता है जिसे लामेल्ला कहते हैं। हड्डी की कोशिकाओं को ऑस्टियोब्लास्ट (osteoblasts) or या ऑस्टियोसाइट्स (osteocytes), कहते हैं। ये तरल से भरे स्थानों जिसे गर्तिका (lacunae) कहते हैं, में लामेल्ला के बीच रहता है। हड्डीकेकाम: - यह शरीर को आकार प्रदान करता है। 2. उपास्थि (Cartilage): यह विशेष संयोजी ऊतक है जो ठोस और कम संवहिनी नाड़ियों वाला होता है। इसका मैट्रिक्स(matrix)प्रोटीनों से बना होता है और कैल्शियम लवणों की वजह से थोड़ा सख्त हो जाता है लेकिन यह ठोस, चीज के जैसा और मजबूत होता है। साथ ही इसमें थोड़ा लचीलापन भी होता है। इसी कारण उपास्थि हड्डी के जैसा सख्त और कड़ा नहीं होता।
मानवशरीर मेंविभिन्नग्रंथियांऔरहार्मोन्स आईएअबमानवकंकालतंत्र केबारेमेंविस्तारसेचर्चाकरतेहैं। पूरे मानव शरीर के कंकाल में 206 अस्थियांहोती हैं और यह मुख्य रूप से दो हिस्सों से बना हैः 1. अक्षीयकंकाल (Axial Skeleton– 80 अस्थियां) वह कंकाल जो शरीर के मुख्य अक्ष का निर्माण करता है अक्षीय कंकाल तंत्र कहलाता है। इसमेंखोपड़ी कीहड्डी, मेरुदंड, पसलियांएवंउरोस्थि (sternum) होतेहैं। Source:www.humananatomy.co • अक्षीयकंकालखोपड़ीकेघटक: मानव की खोपड़ी में 29 अस्थियां होती हैं जिनमें से 8 अस्थियां मानव के मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करती हैं और खोपड़ी के अस्थि के जोड़ (sutures) से जुड़ी होती हैं। बाकी की अस्थियां मनुष्य का चेहरा बनाती है जिनमें से 14 अस्थियां उल्लेखनीय रूप से प्रतिवादी होती हैं। • मेरुदंड (Vertebral Column): यह शरीर की मुख्य धुरी है और एक ऐसे छड़ की तरह दिखती है जो लंबी और मोटी अस्थियों से बना है। यह मनुष्य के शरीर के गठीले सतह में सिर के मध्य से कमर तक पीछे की ओर होता है। यह 33 अस्थियों से मिल कर बनता है और पृष्ठरज्जु (notochord) द्वारा संयोपूर्वक और सुचारू रूप से विकसित होता है। केंद्र में रीढ़ की प्रत्येक अस्थि खोखली होती है। •
उरोस्थि (Sternum): पसलियों को जोड़ने वाली अस्थि को उरोस्थि कहते हैं और यह मनुष्य के शरीर के छाती के मध्य में होती है। इसलिएअक्षीय कंकालमें: खोपड़ी – में कपाल, चेहरा और कान (श्रवण अस्थिका – auditory ossicles) होते हैं। 2. उपबंधकंकाल ( Appendicular Skeleton – 126 bones) यह तंत्र हाथों और पैरों की अस्थियों एवं उनके अवलंब से बनता है। इसके अंतर्गत कमर, हाथों, पैरों आदि की अस्थियां आती हैं। Source:www.humananatomy.co • गर्डल्स (Girdles): अक्षीय कंकाल पर आगे और पीछे वाले अंगों (forelimb और hindlimb ) को समायोजित करने वाले
वृत्तचाप जैसी दो संरचनाओं को गर्डल्स कहते हैं। आगे वाले अंग (forelimb) के गर्डल को आंसपेशीघेरा (pectoral girdle) और पीछे वाले अंग (hindlimb) के गर्डल को श्रोणिचक्र (pelvic girdle)कहा जाता है। • श्रोणिचक्रऔरपैरकी हड्डियां: श्रोणि चक्र मुख्य रूप से तीन हड्डियों से मिल कर बना है– कूल्हे की हड्डी (Ilium), इस्चियम (Ischium) और पुरोनितंबास्थि (Pubis)। व्यस्कों में ये तीनों हड्डियां एक दूसरे से परस्पर जुड़ी होती हैं। इन हड्डियों के संधि स्थल पर एक संकरी गुहा होती है जिसे एसीटाबुलम कहते हैं। इसमें फीमर हड्डी का सिरा जुड़ा होता है। यहां तक कि श्रोणि चक्र पैर की हड्डियों को जोड़ने के लिए जोड़ प्रदान करता है। मनुष्यों मेंफीमर, टिबिया, फिब्युला, टारसाल्स, मेटाटरसाल्सआदिजैसेकईप्रकारके पैरकीहड्डियांपाईंजातीहैं। इन हड्डियों में से टिबिया फिबुला मुक्त होता है और फीमर एवं टिबिया फिबुला के संधि स्तान पर एक गोलाकार अस्थि पाई जाती है जिसे घुटने के उपर की हड्डी (knee bone petal) कहते है। मनुष्य का पैर इस स्थान पर सिर्फ एक बार मुड़ता है। इसलिए, हमकहसकतेहैंकिउपबंधकंकालमें: आंसपेशीघेरा(Pectoral Girdle) – में कंधे की हड्डियां होती हैं (हंसली और स्कंधास्थि)। हड्डियोंकेविकारगठिया (Arthritis): बुढ़ापे में होने वाली यह आम बीमारी है। यह जोड़ों में होने वाले सूजन से होता है जिसकी वजह से जोड़ों में बहुत दर्द और जकड़न हो जाती है। इसका कोई इलाज नहीं है सिर्फ दर्दनिवारक दवाओं का ही उपयोग किया जा सकता है। - अस्थिसंधिशोथ (Osteoarthritis): यह जोडों की अपक्षयी बीमारी है जिसमें जोड़ों की हड्डियां कमजोर होती चली जाती हैं और नई हड्डियां तेजी से बढ़ने लगती हैं। अस्थि– सुषिरता (Osteoporosis): यह उम्र पर निर्भर करने वाला क्रमिक विकार है जिसमें हड्डियों का द्व्यमान कम हो जाता है, हड्डियों की बनावट में धीरे– धीरे गिरावट होने लगती है, हड्डी आसानी से टूटने लगते हैं और इसके प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। जोड़:जोड़ वह स्थान होते हैं जो दो या दो से अधिक हड्डियों या एक हड्डी और उपास्थि को जोड़ने का काम करते हैं। जोड़केप्रकार:गतिशीलता एवं गति के आधार पर जोड़ों को तीन श्रेणियों में रखा जाता है: पूर्णजोड़ (Perfect Joint), अपूर्णजोड़(Imperfect Joint)औरस्थिर जोड़(Fixed Joint) 1. पूर्णजोड़ (Perfect Joint): इस प्रकार के जोड़ में हड्डियां अलग अलग दिशाओं में गतिशील हो सकती हैं और उनमें गतिशीलता या गति साथ– साथ हो सकती है। इस प्रकार के जोड़ों वाली हड्डियों पर उनके किनारों पर उपास्थि की पतली परत भी पाई जाती है और हड्डियों के जोड़ों पर स्नायुबंधन होते हैं। पूर्ण जोड़कोपांचउपश्रेणियोंमेंविभाजितकियागया है: - बॉलऔरसॉकेटजोड (Ball and Socket Joint): इस प्रकार के जोड़ में गेंद के आकार वाली हड्डियां आंसपेशी गर्डल और ह्यूमरस अस्थि के जोड़, फीमर और श्रोणी बंध आदि के जोड़ जैसे किसी भी दिशा में गतिमान हो सकते हैं। इसमें फीमर और ह्यूमरस हड्डी किसी भी दिशा में मुड़ा या गतिशील हो सकती है। 2. सैडलज्वाइंट (Saddle joint): इस प्रकार के जोड़ में एक हड्डी का उभार दूसरी हड्डी के अंतराल में पूरी तरह से समायोजित हो जाता है लेकिन आसानी और सुचारू रूप से
गतिशील या घूम नहीं पाता। जैसे– थिंब के अंडप और मेटा कार्पल के जोड़। मानवशरीरका
अंग
तंत्र कपाल की हड्डियां टूटने की क्या पहचान है?अस्थिभंग के कारण निम्नलिखित हो सकता है:
दर्द और रक्तस्राव। सूजन। प्रभावित हिस्से के आसपास की त्वचा में बदलाव या खरोंच। रोगी चोट लगे हिस्से पर वजन डालने में असमर्थ होता है।
टूटी हुई हड्डी कितने दिनों में जुड़ जाती है?यदि हड्डी टूटने पर आपको प्लास्टर चढ़ाया गया है तो इसकी अवधि टूटी हुई हड्डी की स्थिति और प्रकार के हिसाब से होती है। उदाहरण के लिए कलाई या लोअर आर्म के हिस्से में हुए फ्रेक्चर को ठीक होने में 4-6 हफ़्तों का समय लग सकता है।
फ्रैक्चर और टूटने में क्या अंतर?चिकित्सा स्थिति में, एक फ्रैक्चर किसी प्रकार के बाहरी आघात के कारण टूटी हुई हड्डी को संदर्भित करता है. दूसरी ओर, हड्डी में दरार, यह हड्डी को पूरी तरह से टूटने का कारण नहीं बनती है. यहाँ हड्डी सामग्री में केवल एक विभाजन होता है. क्रैक या हेयरलाइन फ्रैक्चर शायद ही कभी एक चोट के कारण होता है.
हड्डी टूट जाए तो क्या करना चाहिए?हड्डी टूटने पर क्या खाएं और क्या नहीं
हड्डियों के लिए कैल्शियम बेहद जरूरी होता है. ऐसे में आप अपनी डाइट में कैल्शियम को जोड़ें जैसे पत्ता गोभी, हरि सब्जियां, खट्टे फल, ब्रोकली आदि चीजों को जोड़ने से हड्डियां जल्दी स्वस्थ हो सकती हैं. चाय और कॉफ़ी का सेवन कम से कम मात्रा में करें.
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