फीचर लेखन की विशेषताएँ लिखिए । Show
फीचर किसी विशेष घटना, व्यक्ति, जीव-जंतु, स्थान, प्रकृति-परिवेश से संबंधित व्यक्तिगत अनुभूतियों पर आधारित आलेख होता है। फीचर समाचारों को नया आयाम देता है, उनका परीक्षण करता है तथा उन पर नया प्रकाश डालता है। फीचर समाचार पत्र का प्राण तत्त्व होता है। पाठक की प्यास बुझाने, घटना की मनोरंजनात्मक अभिव्यक्ति की कला का नाम फीचर है। फीचर किसी गद्य गीत की तरह होता है जो बहुत लंबा, नीरस और गंभीर नहीं होना चाहिए। इससे पाठक बोर हो जाते हैं और ऐसे फीचर कोई पढ़ना नहीं चाहता। फीचर किसी विषय का मनोरंजन शैली में विस्तृत विवेचन है। अच्छा फीचर नवीनतम जानकारी से परिपूर्ण होता है। किसी घटना की सत्यता, तथ्यता फीचर का मुख्य तत्त्व है। फीचर लेखन में शब्द चयन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। लेखन की भाषा सहज, संप्रेषणीयता से परिपूर्ण होनी चाहिए। प्रसिद्ध व्यक्तियों के कथनों, उद्धरणों, लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग फीचर में चार चाँद लगा देता है। फीचर लेखन में भावप्रधानता होनी चाहिए, क्योंकि नीरस फीचर कोई भी नहीं पढ़ना चाहता। फीचर से संबंधित तथ्यों का आधार दिया जाना चाहिए। विश्वसनीयता के लिए फीचर में तार्किकता आवश्यक है। तार्किकता के बिना फीचर अविश्वसनीय बन जाता है। फीचर में विषय की नवीनता होना आवश्यक है, क्योंकि उसके अभाव में फीचर अपठनीय हो जाता है। फीचर में किसी व्यक्ति अथवा घटना विशेष का उदाहरण दिया गया हो तो उसकी संक्षिप्त जानकारी भी देनी चाहिए। फीचर के विषयानुकूल चित्रों, कार्टूनों अथवा फोटो का उपयोग किया जाए तो फीचर अधिक प्रभावशाली बन जाता है। फीचर लेखन में राष्ट्रीय स्तर के तथा अन्य महत्त्वपूर्ण तथा समसामयिक विषयों का समावेश होना चाहिए। फीचर पाठक की मानसिक योग्यता और शैक्षिक पृष्ठभूमि के अनुसार होना चाहिए। फीचर लेखन क्या है? फीचर लेखन एक अच्छी पत्रकारिता है। एक उत्तम फीचर उसे ही माना जाता है जो उचित विषय पर आधारित हो, आकर्षक रूप में तथ्यों को प्रस्तुत करें, शैली में शालीनता हो तथा पत्र-पत्रिका में अपनी पहचान बनाये रखे। Feature lekhan में यह अपेक्षा की जाती है कि वह सहज एवं उचित शब्दों का प्रयोग करे। फीचर लेखन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी इस ब्लॉग में दी गई है। This Blog Includes:
जरूर देखें: हिंदी व्याकरण – Leverage Edu के साथ संपूर्ण हिंदी व्याकरण सीखें फीचर का अर्थ‘फीचर‘ को अंग्रेजी शब्द Feature (फीचर) का पर्याय कहा जाता है। फीचर शब्द को हिंदी में “रूपक” काहा जाता है। लेकिन आम भाषा में फीचर को ज्यादातर लोग फीचर ही कहते है। फीचर का अर्थ होता है– “किसी प्रकरण संबंधी (Sectional) विषय पर प्रकाशित आलेख है। लेकिन यह लेख संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित एक महत्वपूर्ण लेख की तरह एक महत्वपूर्ण लेख नहीं है।” फीचर की परिभाषाफीचर की कुछ परिभाषाएं नीचे दी गई है:
फीचर लेखन का आयोजन चार चरणों में संपूर्ण होता है – 1. विषय वस्तु का चयन Feature lekhan आरंभ में बहुत अच्छा होना चाहिए और मध्य घटना को विस्तार कर समझाने का प्रयत्न किया जाना चाहिए। अंत निष्कर्ष की तरह होता है , इसमें आरंभ और मध्य का निचोड़ होना चाहिए। फीचर लेखन के प्रकारफीचर लेखन के प्रकार के बारे में नीचे बताया गया है:
नोट – फैशन, स्त्री, यात्रा, समाज आदि विषयों पर भी फीचर लेखन किया जा सकता है। जरूर देखें: 150 पर्यायवाची शब्द जर्नलिज्म में फीचर के प्रकारजर्नलिज्म में फीचर 7 प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार है:
एक अच्छे फीचर लेखन की विशेषताएक अच्छे फीचर लेखन की कुछ विशेषताएं नीचे दी गई है:
फीचर लेखन विधाफीचर लेखन विधा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें निचे बताई गई है:
जरूर देखें: Anuswar in Hindi फीचर लेखन की तकनीकेंकिसी भी समाचार पत्र व पत्रिका में किसी विषय विशेष पर कई प्रधान लेख प्रकाशित होता है, तो वह फीचर कहलाता है। फीचर संवादों की गहराई में प्रवेश करता है। जहां समाचार में संक्षिप्तता होती है। वहीं फीचर में विस्तार ही उसकी स्थिति को प्रबल बनाता है। फीचर लेखन की विशिष्ट शैली होती है। जिसकी तकनीक के प्रमुख आधार इस प्रकार है।
जरूर देखें: सर्वनाम क्या है? समाचार और फीचर लेखन में भेदसमाचार तथ्यात्मक रिपोर्ट मात्र होता है। जबकि फीचर आलेख , तथ्यों का ललित भाषा और व्यक्ति की शैली में भावनात्मक प्रस्तुतिकरण है। फीचर की भाषा अधिक चुस्त , जटिल और साहित्यिक होती है। Feature lekhan में लेखक अपनी भावनाओं , धारणाओं और विचारों को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होता है। जबकि समाचार में ऐसा नहीं किया जा सकता। फीचर लेखन का फॉर्मेटफीचर लेखन का फॉर्मेट नीचे बताया गे है: विषय प्रतिपादन या भूमिकाफीचर लेखन की संरचना के इस भाग में फीचर के मुख्य भाग में व्याख्यायित करने वाले विषय का संक्षिप्त परिचय या सार दिया जाता है। इस संक्षिप्त परिचय या सार की कई प्रकार से शुरुआत की जा सकती है। किसी प्रसिद्ध कहावत या उक्ति के साथ, विषय के केन्द्रीय पहलू का चित्रात्मक वर्णन करके, घटना की नाटकीय प्रस्तुति करके, विषय से संबंधित कुछ रोचक सवाल पूछकर। भूमिका का आरंभ किसी भी प्रकार से किया जाये इसकी शैली रोचक होनी चाहिये मुख्य विषय का परिचय इस तरह देना चाहिये कि वह पूर्ण भी लगे लेकिन उसमें ऐसा कुछ छूट जाये जिसे जानने के लिये पाठक पूरा फीचर पढ़ने को बाध्य हो जाये। विषय वस्तु की व्याख्याफीचर की भूमिका के बाद फीचर के विषय या मूल संवेदना की व्याख्या की जाती है। इस चरण में फीचर के मुख्य विषय के सभी पहलुओं को अलग – अलग व्याख्यायित किया जाना चाहिये। लेकिन सभी पहलुओं की प्रस्तुति में एक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष क्रमबद्धता होनी चाहिये। फीचर को दिलचस्प बनाने के लिये फीचर में मार्मिकता, कलात्मकता, जिज्ञासा, विश्वसनीयता, उत्तेजना, नाटकीयता आदि का समावेश करना चाहिये। निष्कर्षअंत में पुरे फीचर को निष्कर्ष रूप में बताना होता हैं। इसमें आप समाधान, अपनी राय बताते हुए पुरे ब्लॉग का सार बताते हैं। यह भी पढ़ें: निबंध लेखन फीचर लेखन और लेख में अंतरफीचर लेखन और लेख में अंतर नीचे बताया गया है:
फीचर लेखन के प्रकारफीचर लेखन के प्रकार नीचे बताये गए हैं:
फीचर की रचना और लेखनFeature lekhan पत्रकारिता की एक ऐसी विधा है जिसमे लेखन को किसी खास सीमा मे नही बाधा जा सकता। फीचर रचना का मुख्य नियम यह है कि फीचर आकर्षक, तथ्यात्मक और मनोरजक होना चाहिए, मोटे तौर पर फीचर लेखन के लिए पाच मुख्य बातो का ध्यान रखा जाता है।
यह भी पढ़ें: विज्ञान के चमत्कार पर निबंध फीचर लेखन का वर्गीकरणफीचर लेखन का यदि प्रवृत्ति मूलक वर्गीकरण किया जाए तो उन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है –
घटना मूलकपत्रकारिता की भाषा में जिसे समाचार फीचर कहा जाता है।
वास्तव में वह घटना मूलक फीचर ही है। क्योंकि समाचार के मूल में कोई ना कोई घटना अवश्य होती है। विशिष्ट मूलकजीवन के कई क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें कुछ व्यक्तियों ने अपने कर्म से अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्हें विशिष्ट फीचर लेखन में समाहित किया जाता है। समाज सेवा , राजनीति , कला , साहित्य , व्यापार एवं उद्योग आदि क्षेत्रों में चारित्रिक एवं व्यक्ति की विशेषताओं तथा अपनी उपलब्धियों से अपने आप को विशिष्ट व्यक्तियों के उपलब्धि को विशिष्ट फीचर लेखन के तहत लिखा जा सकता है। कुछ विशेष वस्तुएं भी अपनी विशेषताओं के कारण विशेष अवसरों और विशेष स्थानों पर ऐसा स्वरूप ग्रहण कर लेती है। विषय वस्तु के आधार पर इस प्रकार के फीचरों को इन भागों में बांटा जा सकता है। व्यक्ति परक फीचर लेखन , स्थान परक फीचर लेखन और वस्तु परक फीचर लेखन। यह भी पढ़ें: सुभाष चंद्र बोस पर निबंध व्यक्तिगत फीचरजीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपने कर्म से विशेष उपलब्धियां प्राप्त करने वाले लोग काफी चर्चित होते हैं। महापुरुषों और प्रसिद्ध हस्तियों के जन्म दिवस तथा पुण्यतिथि भी फीचर लेखन के विषय हो सकते हैं। स्थान आधारित फीचरविशिष्ट व्यक्तियों की भांति ही कुछ ऐतिहासिक स्मारक , पर्यटक स्थल , दुर्ग , मंदिर , नदी , पहाड़ , झील आदि भी अपनी विशेषताओं के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध होते हैं। यह स्थान पर फीचर लेखन के अंग हो सकते हैं। वस्तु आधारित फीचरअनेक बार कुछ वस्तुएं भी अपनी प्राचीनता ऐतिहासिकता अद्वितीयता और विशेषता के कारण चर्चा का विषय बन जाती है। इन वस्तुओं का ऐतिहासिक उनके स्वामियों का विवरण और उनकी विशेषताएं फीचर लेखन का विषय वस्तु बन जाती है। विचित्रता आधारित फीचरसंपूर्ण विश्व विविधताओं और विचित्रताओं से भरा हुआ है। जो सामान्य से अलग हटकर है , वह विचित्र है। प्रकृति ने व्यक्तियों को कुछ असाधारण क्षमताएं दी है। विचित्रता मूलक फीचरों में समाचार पत्रों की अच्छी खपत है। चिंता आधारित फीचरचिंता मूलक फीचर वे फीचर लेखन होते हैं , जो किसी विशेष परिस्थिति प्रसंग अथवा वातावरण के प्रति फीचर लेखक के मन और चिंतन को प्रस्तुत करते हैं। चिंता मूलक फीचर लेखन किसी विशेष परिस्थिति संकट आदि को आधारभूत बनाकर कभी अपने विचारों को प्रकट करता है। Source: Hindi Wale SirFAQsजर्नलिज्म में फीचर कितने प्रकार के होते हैं? जर्नलिज्म में मुख्यत: फीचर 7 पप्रकार के होते हैं: फीचर लेखन और समाचार लेखन में क्या अंतर है? समाचार तथ्यात्मक रिपोर्ट मात्र होता है। जबकि फीचर आलेख , तथ्यों का ललित भाषा और व्यक्ति की शैली में भावनात्मक प्रस्तुतिकरण है। फीचर की भाषा अधिक चुस्त , जटिल और साहित्यिक होती है। Feature lekhan में लेखक अपनी भावनाओं , धारणाओं और विचारों को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होता है। जबकि समाचार में ऐसा नहीं किया जा सकता। फीचर क्या है? ‘फीचर‘ को अंग्रेजी शब्द Feature (फीचर) का पर्याय कहा जाता है। फीचर शब्द को हिंदी में “रूपक” काहा जाता है। लेकिन आम भाषा में फीचर को ज्यादातर लोग फीचर ही कहते है। फीचर का अर्थ होता है– “किसी प्रकरण संबंधी (Sectional) विषय पर प्रकाशित आलेख है। लेकिन यह लेख संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित एक महत्वपूर्ण लेख की तरह एक महत्वपूर्ण लेख नहीं है।” आशा करते हैं कि आपको Feature lekhan का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। हमारे Leverage Edu में आपको ऐसे कई प्रकार के ब्लॉग मिलेंगे जहां आप अलग-अलग विषय की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अगर आपको किसी भी प्रकार के सवाल में दिक्कत हो रही हो तो हमारे विशेषज्ञ आपकी सहायता भी करेंगे। फीचर लेखन की विशेषता कौन नहीं है?समाचार और फीचर लेखन में भेद
जबकि फीचर आलेख , तथ्यों का ललित भाषा और व्यक्ति की शैली में भावनात्मक प्रस्तुतिकरण है। फीचर की भाषा अधिक चुस्त , जटिल और साहित्यिक होती है। Feature lekhan में लेखक अपनी भावनाओं , धारणाओं और विचारों को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होता है। जबकि समाचार में ऐसा नहीं किया जा सकता।
फीचर लेखन की विशेषताएं कौन कौन सी होती है?फीचर लेखन की विशेषताएं
फीचर का आरंभ रोचक होना चाहिए न कि नीरस, उबाऊ, क्लिष्ट और व्यर्थ की अलंकृत शब्दावली से भरा। हृदय पक्ष से जुड़ा होने के कारण इसमें भाषागत सौंदर्य और लालित्य का विशेष स्थान है। फीचर में अनावश्यक विस्तार से बचा जाना चाहिए। गागर में सागर भरना फीचर की अपनी कलात्मकता होती है।
फीचर लेखन में क्या महत्वपूर्ण नहीं है answer?एक फीचर लेखक में निम्नलिखित गुण होने चाहिए
इसके माध्यम से फीचर लेखक उन तथ्यों तक पहुंच सकता हैं जिन तक सामान्य पाठक नहीं पहुंच पाता है। 2. फीचर-लेखक को बहुज्ञ, अध्ययनशील और कलम का धनी होना चाहिए। उसका भाषा पर पूरा अधिकार होना चाहिए।
3 फीचर लेखन की प्रक्रिया के मुख्य अंग कितने हैं?फीचर लेखन का आयोजन चार चरणों में संपूर्ण होता है –. विषय वस्तु का चयन. सामग्री का चयन. फीचर का चयन. शीर्षक. निष्कर्ष. |