एंटीबायोटिक ज्यादा लेने से क्या होता है? - enteebaayotik jyaada lene se kya hota hai?

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ज्यादा एंटीबायोटिक लेने से हो सकती हैं पेट की गंभीर बीमारियां

रोजाना की दौड़ती-भागती जिंदगी में अक्सर हम लोग सरदर्द, पेटदर्द या बुखार होने पर बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी एंटीबायोटिक दवा ले लेते हैं और तबीयत ठीक होने पर अक्सर ऐसा करते रहते हैं लेकिन चिकित्सकों...

एंटीबायोटिक ज्यादा लेने से क्या होता है? - enteebaayotik jyaada lene se kya hota hai?

Meenakshiनई दिल्ली, एजेंसीSun, 02 Dec 2018 11:12 AM

रोजाना की दौड़ती-भागती जिंदगी में अक्सर हम लोग सरदर्द, पेटदर्द या बुखार होने पर बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी एंटीबायोटिक दवा ले लेते हैं और तबीयत ठीक होने पर अक्सर ऐसा करते रहते हैं लेकिन चिकित्सकों ने जरूरत से अधिक एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने पर डायरिया जैसी पेट की गंभीर बीमारियां होने की चेतावनी दी है।

नारायणा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के इंटरनल मेडीसिन सीनियर कंसल्टेंट डॉ सतीश कौल ने कहा कि जरूरत से अधिक एंटीबायोटिक का सेवन आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।  इससे आपको डायरिया जैसी पेट की बीमारियां हो सकती हैं। गलत एंटीबायोटिकलेना भी एक समस्या बन सकता है अगर आपको उस दवा से एलजीर् है तो। 

उन्होंने कहा कि किसी भी एंटीबायोटिक का गलत या जरूरत से अधिक इस्तेमाल कई परेशानियां खड़ी कर सकता है जैसे कि इंफेक्शन जल्दी ठीक न हो पाना आदि।  इससे ऐंटीबायोटिक रेसिस्टेंट ऑगेर्ज्मस भी विकसित हो सकते हैं। अगर आप बिना डॉक्टर की सलाह के कोइ ऐन्टीबायोटिक लगातार लेते रहेंगे तो यह खतरा बहुत बढ़ सकता है। 

वर्तमान में एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बन गयी है। हमें अधिक से अधिक लोगों को एंटीबायोटिक्स के सही उपयोग और उसके फंक्शन के बारे में बताना चाहिए ताकि इस समस्या का निदान हो सके। हमें इस समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, एंटीबायोटिक दवाएं, वायरस संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं हैं। एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब होता है, जब इन दवाओं के उपयोग के जवाब में बैक्टीरिया अपना स्वरूप बदल लेता है।

डब्लूएचओ के मुताबिक बिना जरूरत के एंटीबायोटिक दवा लेने से एंटीबायोटिक प्रतिरोध में वृद्धि होती है, जो कि वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध संक्रमण से मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में भतीर् रहने, इलाज के लिए अधिक राशि और बीमारी गंभीर होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। डब्लूएचओ के मुताबिकएंटीबायोटिक प्रतिरोध संक्रमण किसी भी देश में किसी भी आयुवर्ग और किसी को भी प्रभावित कर सकता है। साथ ही जब  बैक्टीरिया एंटीबायोटिक के प्रतिरोध हो जाता है तो आम से संक्रमण का भी इलाज नहीं किया जा सकता।

आजकल सरदर्द, पेटदर्द या बुखार होने पर हम बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी एंटीबायोटिक दवा ले लेते हैं। कई बार तो हम बिना किसी जरूरत के भी एंटीबायोटिक लेते रहते हैं। बिना आवश्यकता के और नियमित रूप से एंटीबायोटिक लेते रहते से आपके शरीर के माइक्रोब्स या बैक्टीरिया खुद को बदल लेते हैं जिससे एंटीबायोटिक्स उन्हें हानि नहीं पहुंचा पाते।

उन्होंने कहा यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध क्षमता कहलाती है। एंटीबायोटिक का जरूरत से अधिक इस्तेमाल करने से सबसे प्रभावशाली एंटीबायोटिक दवाइयों का भी कुछ बैक्टीरिया पर असर नहीं पड़ता। ये बैक्टीरिया अपने आप को इस तरह बदल लेते हैं कि दवा, केमिकल्स या इंफेक्शन हटाने वाले किसी भी इलाज का इनपर या तो बिलकुल ही असर नहीं पड़ता या फिर बहुत कम असर पड़ता है।

डॉ. अरविन्द अग्रवाल ने कहा ऐसे बैक्टीरिया न सिर्फ दवाइयों से खुद को बचा लेते हैं बल्कि अपनी संख्या भी बढ़ाते रहते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक साबित होता है। बैक्टीरिया और इससे होने वाली बीमारियों को खत्म करने के लिए ली जाती हैं और यह सदीर्, खांसी, बुखार जैसे वायरल इंफेक्शन को खत्म नहीं कर सकता।

एंटीबायोटिक ज्यादा लेने से क्या होता है? - enteebaayotik jyaada lene se kya hota hai?

एंटीबायोटिक्स क्या हैं?

एंटीबायोटिक्स का उपयोग कुछ तरह के जीवाणु/ बैक्टीरिया संक्रमण (bacterial infection) के इलाज या रोकथाम के लिए किया जाता है। वे बैक्टीरिया को मारने या उनके प्रजनन करने और फैलने को रोकने का काम करते हैं। लेकिन ये हर चीज के लिए उपयोगी नहीं होते हैं। जब एंटीबायोटिक दवाओं की बात आती है, तो अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।

एंटीबायोटिक्स वायरल संक्रमणों (viral infections) में काम नहीं करते हैं, जैसे की सर्दी और फ्लू, और अधिकांश खांसी और गले की खराश।

कई हल्के जीवाणु संक्रमण एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किए बिना भी अपने आप बेहतर हो जाते हैं।

यदि आप तब एंटीबायोटिक्स लेते हैं जब आपको उनकी आवश्यकता नहीं है, तो वे आपके भीतर रह रहे खतरनाक बैक्टीरिया को प्रतिरोधी (resistant) बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इसका मतलब है कि जब अगली बार आपको उन एंटीबायोटिक्स की सबसे अधिक आवश्यकता होगी तब शायद वह काम नहीं करेंगे। यह आपको और आपके परिवार को गंभीर खतरे में डालता है।

एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कब किया जाता है?

एंटीबायोटिक्स का उपयोग उन बैक्टीरिया के संक्रमण के इलाज के लिए किया जा सकता जो:

  • ज़्यादातर मामलों में एंटीबायोटिक दवाओं के बिना ठीक ना हो सकें
  • दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं यदि उनका इलाज न किया जाए
  • यदि उपचार ना किया जाए तो सही होने में बहुत लंबा समय लगा सकते हैं
  • अधिक गंभीर परिणाम होने का जोखिम रखते हों
  • ऐसे लोग जिन्हे संक्रमण का ज़्यादा जोखिम हों, उन्हें एहतियात के रूप में एंटीबायोटिक भी दिया जा सकता है, जिसे एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस (antibiotic prophylaxis) के रूप में जाना जाता है

मुझे एंटीबायोटिक्स कैसे लेनी चाहिए?

एंटीबायोटिक्स लेने के लिए, पैकेट पर, या दवा के साथ आने वाले रोगी सूचना पत्र पर दिए गए निर्देशों का पालन करें या डॉक्टर या फार्मासिस्ट द्वारा बताए गए तरीके से लें।

एंटीबायोटिक दवाओं की खुराक कई तरीकों से प्रदान की जा सकती है:

  • ओरल एंटीबायोटिक्स (Oral antibiotics) - गोलियाँ (tablets), कैप्सूल या एक द्रव्य पदार्थ जिसे आप पीते हैं, जिसका उपयोग शरीर में हल्के से मध्यम संक्रमण (mild to moderate infections) के उपचार के लिए किया जा सकता है।
  • टॉपिकल एंटीबायोटिक्स (Topical antibiotics) - क्रीम, लोशन, स्प्रे या ड्रॉप, जो अक्सर त्वचा के संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं।
  • एंटीबायोटिक दवाओं के इंजेक्शन - ये रक्त या मांसपेशियों में सीधे ड्रिप या इंजेक्शन के माध्यम से दिए जा सकते हैं, और आमतौर पर अधिक गंभीर संक्रमण के लिए इनका प्रयोग किया जाता है।

यह आवश्यक है की एंटीबायोटिक दवाओं का निर्धारित कोर्स पूरा किया जाए, भले ही आप बेहतर महसूस कर रहे हों, जब तक कि कोई स्वास्थ्यकर्मी आपको ऐसा ना करने के लिए कहे। यदि आप एक कोर्स के बीच में एंटीबायोटिक लेना बंद कर देते हैं, तो बैक्टीरिया एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधी (resistant) बन सकते हैं।

एंटीबायोटिक दवाओं की एक खुराक (dose) छूटना

यदि आप अपनी एंटीबायोटिक दवाओं की एक खुराक लेना भूल जाते हैं, तो याद आते ही उस खुराक को लें और फिर अपने एंटीबायोटिक्स का कोर्स सामान्य रूप से जारी रखें

लेकिन अगर यह लगभग आपकी अगली खुराक का समय है, तो छूटी हुई खुराक को छोड़ दें और अपनी नियमित खुराक सामान्य रूप से जारी रखें। छूटी हुई खुराक के लिए एक डबल खुराक ना लें।

यदि आप बताई गयी खुराक की जगह दो खुराक एक साथ लेते हैं तो साइड इफेक्ट्स (side effects) का खतरा बढ़ जाता है।

गलती से एक अतिरिक्त खुराक लेना

यह पेट में दर्द, दस्त, उबकाई या उल्टी जैसे दुष्प्रभावों की संभावना को बढ़ाता है।

यदि आप गलती से अपने एंटीबायोटिक की एक से अधिक खुराक ले लेते हैं, और चिंतित हैं या गंभीर दुष्प्रभाव हो रहे हों, तो अपने डॉक्टर से बात करें।

एंटीबायोटिक दवाओं के दुष्प्रभाव

किसी और दवा की तरह, एंटीबायोटिक दवाओं के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। अधिकांश एंटीबायोटिक्स समस्याओं का कारण नहीं बनते हैं यदि वे ठीक तरह से उपयोग किए जाएँ और इनके गंभीर दुष्प्रभाव दुर्लभ हैं।

सबसे आम दुष्प्रभावों में शामिल हैं:

  • उल्टी
  • उबकाई
  • ब्लोटिंग और अपच (indigestion)
  • दस्त

कुछ लोगों को एंटीबायोटिक दवाओं, विशेष रूप से पेनिसिलिन और एक प्रकार का सेफलोस्पोरिन (cephalosporins) से एलर्जी हो सकती है। बहुत ही दुर्लभ मामलों में, यह एक गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया, एनाफिलेक्सिस (anaphylaxis) हो सकता है, जो एक आपातकाल मेडिकल स्थिति (medical emergency) है।

एंटीबायोटिक दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में और पढ़ें।

ध्यान देना और अन्य दवाओं से प्रतिक्रिया

कुछ एंटीबायोटिक्स कुछ चिकित्सा स्थितियों (medical conditions) वाले लोगों, या गर्भवती या स्तनपान (breast feeding) कराने वाली महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। आपको केवल आपके लिए निर्धारित एंटीबायोटिक्स ही लेनी चाहिए - कभी भी किसी मित्र या परिवार के सदस्य से उनकी एंटीबायोटिक्स ना माँगें।

कुछ एंटीबायोटिक्स अन्य दवाओं के साथ अप्रत्याशित रूप से प्रतिक्रिया भी कर सकती हैं, जैसे कि गर्भनिरोधक गोली (oral contraceptives) और शराब। यह महत्वपूर्ण है की आप आपकी दवा के साथ आने वाले सूचना पत्र (information leaflet) को अवश्य पढ़ें और अपने फार्मासिस्ट या डॉक्टर के साथ अपनी सभी चिंताओं पर चर्चा करें।

इसके बारे में और पढ़ें:

  • एंटीबायोटिक्स लेने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें
  • एंटीबायोटिक्स अन्य दवाओं के साथ कैसे प्रतिक्रिया करती है

एंटीबायोटिक्स के प्रकार

एंटीबायोटिक दवाएँ सैकड़ों प्रकार के होते हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर को मोटे तौर पर छह समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है। ये निम्लिखित हैं:

  • पेनिसिलिन (Penicillins) (जैसे पेनिसिलिन और एमोक्सिसिलिन) - इनका उपयोग कई ट्रक के त्वचा के संक्रमण (skin infections), छाती के संक्रमण और मूत्र मार्ग (urinary tract) के संक्रमण सहित विभिन्न प्रकार के संक्रमणों का इलाज करने के लिए किया जाता है
  • सेफलोस्पोरिन (Cephalosporins) (जैसे सेफैलेक्सिन (cephalexin)) - इनका उपयोग संक्रमणों की एक विस्तृत श्रृंखला का इलाज करने के लिए किया जाता है, लेकिन कुछ अधिक गंभीर संक्रमणों के इलाज के लिए भी यह प्रभावी होते हैं, जैसे कि सेप्टीसीमिया और मेनिन्जाइटिस (septicaemia and meningitis)
  • अमीनोग्लाइकोसाइड्स (Aminoglycosides) (जैसे जेंटामाइसिन और टोबैमाइसिन (gentamicin and tobramycin)) - अस्पताल में इनका उपयोग केवल सेप्टिसीमिया (septicaemia) जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज करने के लिए किया जाता है, क्योंकि वे गंभीर दुष्प्रभाव पैदा कर सकते हैं, जिसमें बहरापन और गुर्दे की क्षति (kidney damage) शामिल है; इन्हे आमतौर पर इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है, लेकिन कुछ कान या आंखों के संक्रमण के लिए इन्हे बूंदों के रूप में भी दिया जा सकता है
  • टेट्रासाइक्लिन (Tetracyclines) (जैसे टेट्रासाइक्लिन और डॉक्सीसाइक्लिन) (such as tetracycline and doxycycline) - का उपयोग कई प्रकार के संक्रमण के इलाज के लिए किया जा सकता है, लेकिन आमतौर पर मध्यम से गंभीर मुँहासे और रोजेशिया (acne and rosacea) के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है
  • मैक्रोलाइड्स (Macrolides) (जैसे इरिथ्रोमाइसिन और क्लैरिथ्रोमाइसिन) (erythromycin and clarithromycin) - फेफड़े (lungs) और छाती में संक्रमण के इलाज के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है, या पेनिसिलिन एलर्जी (penicillin allergy) वाले लोगों के लिए या बैक्टीरिया के पेनिसिलिन प्रतिरोधी प्रकारों के इलाज करने के लिए एक विकल्प हो सकता ह
  • फ़्लोरोक्विनोलोन (Fluoroquinolones) (जैसे सिप्रोफ्लोक्सासिन और लेवोफ़्लॉक्सासिन (ciprofloxacin and levofloxacin)) – ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स (broad-spectrum antibiotics) जिनका उपयोग कई प्रकार के संक्रमणों के इलाज के लिए किया जा सकता है

एंटीबायोटिक प्रतिरोध (Antibiotic resistance)

एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को कम करने के लिए दुनिया भर की स्वास्थ्य संगठनों द्वारा कोशिश की जा रही है, खासकर उन स्थितियों में जो गंभीर नहीं हैं।

हाल के वर्षों में एंटीबायोटिक दवाइयों के अधिक उपयोग का मतलब है कि उनके असर कम होते जा रहे हैं और इसके कारण "सुपरबग्स" (superbugs) का प्रसार होना शुरू हुआ। ये बैक्टीरिया के वो प्रकार हैं जिन्होंने कई अलग-अलग प्रकार के एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोध विकसित किया है, जिनमें शामिल हैं:

  • मेथिसिलिन-रेसिस्टेंट स्टैफिलोकोकस ऑरियस ((methicillin-resistant Staphylococcus aureus) (MRSA))
  • क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल ((Clostridium difficile) (C. diff))
  • बहु-दवा प्रतिरोधी ट्यूबरक्लोसिस (multi-drug-resistant tuberculosis) (MDR-TB) उत्पन्न करने वाला जीवाणु
  • कार्बापेनमेज़-उत्पादन करने वाला एंटरोबैक्टीरिया (carbapenemase-producing Enterobacteriaceae) (CPE)

इस प्रकार के संक्रमण गंभीर और उपचार की दृष्टि से चुनौती पूर्ण हो सकते हैं जो दुनिया भर में विकलांगता और मृत्यु का कारण भी बन रहे हैं।

सबसे बड़ी चिंता यह है कि बैक्टीरिया के नए उपभेद(strains) उभर कर आ सकते हैं जिनका इलाज किसी भी मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा प्रभावी ढंग से नहीं किया जा सकता है।

एंटीबायोटिक्स लेते समय मुझे क्या नहीं करना चाहिए?

एंटीबायोटिक्स कभी-कभी अन्य दवाओं या पदार्थों के साथ मिलकर प्रतिक्रिया कर सकती है। जिसका मतलब है कि इसका असर आपकी अपेक्षा से भिन्न हो सकता है।

सामान्य प्रतिक्रियाओं में से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं, लेकिन यह पूरी सूची नहीं है।

यदि आप यह जाँचना चाहते हैं कि आपकी दवाएँ आपके एंटीबायोटिक दवाओं के साथ लेने के लिए सुरक्षित हैं या नहीं, तो आप अपने डॉक्टर या स्थानीय फार्मासिस्ट (local pharmacist) से पूछ सकते हैं।

कुछ एंटीबायोटिक दवाओं को भोजन के साथ लेने की आवश्यकता होती है, जब की अन्य दवाओं को खाली पेट लेना होता है। आपको हमेशा आपकी दवाओं के साथ मिलने वाले, मरीज़ सूचना पत्रक (patient information leaflet) को पढ़ना चाहिए।

शराब Alcohol

जब आप मैट्रोनिडाज़ोल या टिनिडाज़ोल ले रहे हों तब ये दवाइयाँ लेने के 48 घंटे बाद तक आपको शराब बिल्कुल नहीं पीनी चाहिए, क्योंकि इन एंटिबयोटिक्स और शराब के मिलने से बहुत अप्रिय दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे:

  • उबकाई और उल्टी (feeling and being sick)
  • पेट में दर्द (stomach pain)
  • चेहरे और शरीर पर गर्मी महसूस होना, हॉट फ्लशेज (hot flushes)
  • सिर में दर्द (headaches)

एंटिबयोटिक्स के साथ शराब ना पीने की सलाह दी जाती है। हालांकि जब तक आप शराब संतुलित मात्रा में लेते है तब तक इनके मिलने से रिएक्शन होने कि संभावना काफी कम होती है।

संयुक्त गर्भनिरोधक गोलियां (combined oral pills)

कुछ एंटिबयोटिक्स जैसे कि रिफामपसीन (rifampicin) और रिफाबूटिन (rifabutin) गर्भनिरोधक गोलियों का असर कम करती हैं।

यदि आपको रिफामपसीन या रिफाबूटिन लेने की सलाह दी गई है तो आपको
अतिरिक्त गर्भनिरोधक जैसे कंडोम (condom) का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। एंटिबयोटिक्स लेते समय अपने डॉक्टर, नर्स या फार्मसिस्ट से सलाह लें l

दवाइयाँ

कुछ ऐसी दवाइयाँ जिनका इस्तेमाल आपको विशेष एंटिबयोटिक्स के साथ नहीं करना चाहिए, या एक साथ उनके इस्तेमाल से पहले आपको सलाह लेनी चाहिए, नीचे बताई गयी हैं।

पेनिसिलिन्स (Penicillins)

आम तौर पर पेनिसिलिन (penicillin) और मिथोट्रेक्सेट (methotrexate), जो सोरियासीस (psoriasis) , रूमेटाइड आर्थ्राइटिस (rheumatoid arthritis) और कुछ प्रकार के कैंसर के इलाज में काम आता है, का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए । इन दवाइयों के एक साथ इस्तेमाल से बहुत सारे अप्रिय और कई बार गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं।

हालाँकि, पेनिसिलिन (penicillin) के कुछ प्रकार जैसे कि अमोक्सिसिलिन (amoxicillin) का मिथोट्रेक्सेट के साथ उपयोग किया जा सकता है।

आपकी त्वचा पर लाल चकत्ते हो सकते हैं यदि आप पेनिसिलिन और आलोपूरिनॉल (alloupurinol) को एक साथ लेते हैं तो, जो गठिया के एक प्रकार के इलाज़ में काम आती है।

सेफलोस्पोरिनस (Cephalosporins)

यदि आप खून पतला करने कि दवाइयाँ (anticoagulants) जैसे कि हेपरिन (heparin) या वार्फरिन (warfarin) का इस्तेमाल सेफलोस्पोरिनस (cephalosporins) के साथ करंगे तो रक्तहस्त्राव (bleeding) की संभावना आधिक हो जयगी।

यदि आपको इलाज़ में सेफलोस्पोरिनस का उपयोग करने की आवश्यकता है तो आपको थक्का-रोधी दवाइयों (anticoagulants) की मात्रा बदलनी पड़ सकती है या खून की अतिरिक्त निगरानी करवानी पड़ सकती है।

एमीनोगल्यकोसाइड्स (Aminoglycosides)

आपके गुर्दे और सुनने की क्षमता को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है यदि आप इनमें से एक या अधिक दवाइयाँ ले रहे हैं :

  • एंटीफंगल - फंगल संक्रमण के इलाज़ के लिये 
  • साइक्लोस्पोरिन - स्व-प्रतिरक्षित अवस्था (autoimmune conditions) जैसे की क्रोहन रोग (Crohn’s disease) के इलाज़ के लिये और उनको दी जाती हैं जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो 
  • मूत्रवर्धक दवा (diuretics) - शरीर से पानी निकालने या कम करने के लिए प्रयोग की जाती है
  • मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाइयाँ

एमीनोगल्यकोसाइड्स का जानलेवा स्थिति जैसे सेप्टिसीमिया में इस्तेमाल करने से पहले उसके गुर्दे और सुनने की शक्ति के नुकसान और उसके फायदे की तुलना कर लेनी चाहिए, जैसे सेप्टिसेमिया (septicaemia) के इलाज में।

अस्पतालों में इलाज़ के समय खून की जांच सावधानी से की जाती है जिससे यह पता रहे कि खून में एंटीबायोटिक्स की मात्रा सुरक्षित स्तर से आधिक ना हो। त्वचा पर इस्तेमाल होने वाली दवा जैसे कि कान में डालने वाली बूंदों में यदि अमीनोगल्यकोसाइड्स का उचित उपयोग होता है तो इससे कोई दुष्परिणाम नहीं होते । 

टेट्रासाइक्लिन (tetracyclines)

टेट्रासाइक्लिन लेने से पहले आपको अपने डॉक्टर या फार्मसिस्ट से सलाह लेनी चाहिये अगर आप इनमें से कुछ ले रहे हैं:

  • विटामिन ए के पूरक (vitamin A supplements)
  • रेटिनोइड्स (retinoids) - जैसे एसिट्रेटिन (acitretin), आइसोट्रेटिनॉइन (isotretinoin) और ट्रेटिनॉइन (tretinoin), जिनका उपयोग गंभीर मुँहासों के इलाज के लिए किया जाता है
  • खून को पतला करने वाली दवाएँ
  • काओलिन-पेक्टिन (kaolin-pectin) और बिस्मथ सबसालिसिलेट (bismuth subsalicylate) - दस्त का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती हैं
  • मधुमेह का इलाज करने वाली दवाएँ - जैसे इंसुलिन (insulin)
  • एटोवाक्वोन (atovaquone) - निमोनिया के इलाज में उपयोग की जाने वाली दवा
  • एंटासिड्स (antacids) - अपच और हार्टबर्न का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवा
  • सुक्रालफेट (sucralfate) - अल्सर (ulcer) के इलाज के लिए उपयोगी
  • लिथियम (lithium) - द्विध्रुवी विकार/बाइपोलर डिस्‍आर्डर और गंभीर अवसाद (depression) के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है
  • डिगोक्सिन (digioxin) - हृदय गति से जुड़े विकारों के इलाज के लिए उपयोगी
  • मिथोट्रेक्सेट (Methotrexate)
  • स्ट्रोंटियम रैनलेट (strontium ranelate) - ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवा
  • कोलस्टिपोल या कोलेस्टिरमाइन (colestipol or colestyramine) - हाई कोलेस्ट्रॉल के इलाज के लिए उपयोगी
  • एर्गोटामाइन (ergotamine) और मेथाइसेरगाइड (methysergide) - माइग्रेन के इलाज में उपयोगी

मैक्रोलाइडस (macrolides)

यह सलाह दी जाती है कि आप निम्न दवाओं में से किसी के साथ मैक्रोलाइड का सेवन न करें जब तक कि आपके डॉक्टर द्वारा आपको ऐसे निर्देश ना दिए जाएं, क्योंकि इन दवाओं के साथ मैक्रोलाइड का संयोजन हृदय की समस्याओं का कारण बन सकता है:

  • टेर्फेनाडिन (terfenadine), एस्टेमिज़ोल (astemizole) और मिज़ोलैस्टिन (mizolastine) - ये सभी एंटीहिस्टामाइन (antihistamines) हैं जिनका उपयोग एलर्जी जैसे हे फीवर के इलाज के लिए किया जाता है
  • एमिसुलप्राइड (amisulpride) - इसका उपयोग साइकोसिस के दौरों के इलाज के लिए किया जाता है
  • टोल्टेरोडीन (tolterodine) - मूत्र असंयम (urinary incontinence) का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है
  • स्टैटिन (statin) - बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल (high cholesterol) के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है

फ़्लोरोक्विनोलोन (fluoroquinolones)

अगर आप निम्न में से कोई भी दवा ले रहे हैं, तो फ्लोरोक्विनोलोन (fluoroquinolone) लेने से पहले आपको अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से सलाह लेनी चाहिए:

  • थियोफिलाइन (theophylline) - इसका उपयोग अस्थमा के इलाज के लिए किया जाता है; यह कुछ खांसी और सर्दी की दवाओं में भी पाया जाता है
  • गैर-स्टेरायडल ऐंटाई-इन्फ़्लैमटॉरी दवा (non-steroidal anti-inflammatory drug) (NSAID) दर्द निवारक - जैसे इबुप्रोफेन (ibuprofen)
  • साइक्लोस्पोरिन (ciclosporin)
  • प्रोबेनेसिड (probenecid) - गठिया (gout) के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है
  • क्लोज़ापीन (clozapine) – सिजोफ्रेनिया, एक प्रकार का मानसिक विकार के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है
  • रोपिनिरोल (ropinirole) – पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease) के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है
  • टाइजेनिडिन (tizanidine) - मांसपेशियों में ऐंठन के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है
  • ग्लाइबनक्लेमाइड (glibenclamide) - मधुमेह के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है
  • सिसप्राइड (cisapride) - अपच, हार्टबर्न, उल्टी या मतली के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है
  • ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स (tricyclic antidepressants) - जैसे एमिट्रिप्टिलाइन (amitriptyline)
  • स्टेरॉयड (steroid) दवाएं (कोर्टिकोस्टेरोइड (corticosteroids))

कुछ फ्लोरोक्विनोलोन, कैफीन (कॉफी, चाय और कोला में पाया जाने वाला एक स्टिम्युलंट) के प्रभाव को तेज कर सकते हैं, जो आपको चिड़चिड़ा, या बेचैन महसूस करा सकते है और अनिद्रा (insomnia) जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

आपको ऐसी दवा लेने से बचने की आवश्यकता हो सकती है जिसमें ज्यादा मात्रा में खनिज या लोहे होते हैं, क्योंकि यह फ्लोरोक्विनोलोन के लाभकारी प्रभावों को काम कर सकता है। ऐसी दवाओं में शामिल हैं:

  • प्रत्यम्ल (antacid)
  • जिंक सप्लीमेंट्स
  • कुछ प्रकार के मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स

एंटिबयोटिक्स लेने से पहले मुझे क्या जानना जरूरी है ?

एंटिबयोटिक्स लेने से पहले आपको कुछ जानकारी होनी आवश्यक है।

इस पृष्ठ पर छह मुख्य एंटिबयोटिक्स श्रेणियों की जानकारी दी गई है:

  • पेनिसिलिन (penicillin)
  • सेफलोस्पोरिनस (cephalosporins)
  • एमिनोग्लीकोसाइड्स (aminoglycosides)
  • टेट्रासाइक्लिन (tetracyclines)
  • मैक्रोलाइड्स (macrolides)
  • फ़्लोरोक्विनोलोन (fluoroquinolones)

पेनिसिलिन (Penicillin)

वे लोग पेनिसिलिन युक्त एंटिबयोटिक्स ना लें जिन्हें पहले इनसे एलर्जिक रिएक्शन हो चुका है। जो लोग किसी एक प्रकार के पेनिसिलिन से एलर्जिक हैं वे हर प्रकार के पेनिसिलिन से एलर्जिक होंगे।

जिन लोगों को एलर्जी की पुरानी शिकायत हो जैसे कि अस्थमा, एक्जिमा (eczema) हे फीवर/परागज ज्वर (hay fever) उन्हें पेनिसिलिन से गंभीर एलर्जिक रिएक्शन (anaphylaxis) होने का खतरा आधिक होता है, हालांकि ऐसे उदाहरण कम पाए जाते हैं ।

आपको पेनिसिलिन का उपयोग कम मात्रा में और ज्यादा सावधानी के साथ करने की आवश्यकता हो सकती है यदि आपको इनमें से कोई स्थिति है:

  • गंभीर गुर्दे की बीमारी (severe kidney disease)
  • यकृत (लिवर) रोग

गर्भावस्था और स्तनपान (Pregnancy and breastfeeding)

गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान अधिकांश पेनिसिलिन की सामान्य खुराक इस्तेमाल की जा सकती हैं।

यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं, तो अपने स्वास्थ्यकर्मी (healthcare professional) को अवश्य बताएं, ताकि वे आपके लिए सबसे उपयुक्त एंटीबायोटिक बता सकें।

सेफलोस्पोरिन्स (Cephalosporins)

यदि आपको पहले पेनिसिलिन से एलर्जी थी, तो आपको सिफेलोस्पोरिन से भी एलर्जी हो सकती है।

यदि आपको गुर्दे की बीमारी है, तो हो सकता है सेफलोस्पोरिन आपके लिए उपयुक्त नहीं हो, लेकिन यदि आपको इसकी आवश्यकता होती है, तो संभवतः आपको सामान्य से कम खुराक दी जाएगी।

यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं, या आपको एक्यूट पोरफाइरिया (acute porphyria) है, तो सेफेलोस्पोरिन लेने से पहले अपने डॉक्टर, नर्स या फार्मासिस्ट से सलाह लें।

एमिनोग्लीकोसाइड्स (Aminoglycosides)

आमतौर पर अस्पताल में केवल सेप्टिसीमिया (septicaemia) जैसी जानलेवा स्थिति का इलाज करने के लिए अमीनोग्लाइकोसाइड्स उपयोग किया जाता है, क्योंकि ये उन लोगो में गुर्दे की क्षति का कारण बन सकते हैं जिन्हे पहले से कोई गुर्दे की बीमारी हो।

गर्भावस्था के दौरान इनका उपयोग केवल तब ही किया जाता है जब आपके डॉक्टर के अनुसार वे आपके लिए अत्यावश्यक हों।

टेट्रासाइक्लिन (Tetracyclines)

आमतौर पर टेट्रासाइक्लिन का उपयोग तब तक नहीं किया जाता जब तक कि निम्नलिखित समूहों में अत्यावश्यक न हो:

  • गुर्दे की बीमारी से ग्रसित लोग - इस समूह में डॉक्सीसाइक्लिन (doxycycline) का उपयोग जरूरत पड़ने पर किया जा सकता है
  • जिगर (liver) की बीमारी से ग्रस्त लोग
  • वो लोग जो ल्यूपस (lupus) नामक ऑटोइम्यून स्थिति से ग्रस्त हो - इस से त्वचा की समस्या, जोड़ों में दर्द और सूजन, और थकान (हर समय थकान महसूस करना) हो सकती है।
  • 12 साल से काम उम्र के बच्चे
  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं

मैक्रोलाइड्स (Macrolides)

आपको मैक्रोलाइड्स नहीं लेना चाहिए यदि आपको पोरफाइरिया (porphyria) है - जो एक दुर्लभ आनुवंशिक रक्त विकार (rare inherited blood disorder) होता है।

यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं, तो इरिथ्रोमाइसिन (Erymax, Erythrocin, Erythroped या Erythroped A) वह एकमात्र मैक्रोलाइड है जिसे आप ले सकती हैं, जब तक क आपके डॉक्टर द्वारा कोई और एंटीबायोटिक लेने की सलाह आपको ना दी जाए।

इरिथ्रोमाइसिन (Erythromycin) की सामान्य मात्रा की खुराक का उपयोग आपकी गर्भावस्था के दौरान और स्तनपान के दौरान भी किया सकता है।

गर्भावस्था के दौरान अन्य मैक्रोलाइड्स (macrolides) का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, जब तक किसी विशेषज्ञ द्वारा इसे लेने की सलाह ना दी जाए।

फ़्लोरोक्विनोलोन (Fluoroquinolones)

फ्लुओरोक़ुइनोलोनेस सामान्य तौर पर उन महिलाओं के लिए उचित नहीं हैं, जो की गर्भवती हैं या फिर स्तनपान करा रही हैं।

क्या एंटीबायोटिक्स (antibiotics) दवाओं का दुष्प्रभाव हो सकता हैं?

एंटीबायोटिक्स दवाओं का सबसे सामान्य दुष्प्रभाव पाचन तंत्र को प्रभावित करना है। यह लगभग 10 लोगों में से 1 में होता है।

पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाले एंटीबायोटिक्स दवाओं के दुष्प्रभाव में शामिल हैं:

  • उल्टी आना
  • मतली (आपको उल्टी हो सकती है ऐसा महसूस होना)
  • दस्त हो सकते है
  • पेट फूलना (ब्लोटिंग) और अपच होना।
  • पेट में दर्द होना
  • भूख में कमी

यह दुष्प्रभाव अक्सर हल्के (mild) होते हैं और उपचार का समय पूरा होते ही, इन्हे समाप्त हो जाना चाहिए।

यदि आप ऊपर सूचीबद्ध दुष्प्रभाव के अलावा किसी भी अतिरिक्त दुष्प्रभाव का अनुभव करते हैं तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, या सलाह के लिए डॉक्टर इन चार्ज (doctor in charge) से संपर्क करना चाहिए।

एंटीबायोटिक एलर्जी प्रतिक्रिया (Antibiotic allergic reactions)

15 में से लगभग 1 व्यक्ति को एंटीबायोटिक्स से एलर्जी की प्रतिक्रिया होती है, ख़ास तौर पर पेनिसिलिन (penicillin)और सेफालोस्पोरिन्स (cephalosporins) से। अधिकतर मामलों में, एलर्जी की प्रतिक्रिया मध्यम से हल्की होती है और निम्न स्थितियों का कारक हो सकती है:

  • त्वचा से ऊपर उठे हुए खुजली वाले चकत्ते (पित्ती (urticaria), या खराश वाली त्वचा) (hives)
  • खाँसना
  • खरखराहट होना (wheezing)
  • गले में जकड़न होना, जिसके कारण साँस लेने में कठिनाइ हो सकती हैं

इन हल्के से मध्यम एलर्जी प्रतिक्रियाओं का इलाज आमतौर पर एंटीथिस्टेमाइंस (antihistamines) लेने से सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

लेकिन अगर आप चिंतित हैं, या आपके लक्षण उपचार से सही नहीं हो रहे हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यदि आप अपने डॉक्टर से संपर्क नहीं कर सकते हैं, तो आपातकालीन सेवाओं (emergency services) को कॉल करें।

दुर्लभ मामलों में ऐसा हो सकता है कि, एंटीबायोटिक एक गंभीर, और जीवन के लिए एक संभावित खतरा बनने वाली एलर्जी प्रतिक्रिया का कारण बन जाए, जिसे एनाफिलेक्सिस (anaphylaxis) के रूप में जाना जाता है।

एनाफिलेक्सिस (anaphylaxis) के शुरुआती लक्षण अक्सर ऊपर दिए गए लक्षणों के समान होते हैं, और इनसे निम्न बातें हो सकती हैं:

  • तेजी से दिल की धड़कन बढ़ जाना
  • गर्दन में सूजन और जकड़न के कारण साँस लेने में कठिनाई होना
  • आशंका और भय की एक तीव्र भावना महसूस होना
  • आपके रक्तचाप (blood pressure) में तेज और अचानक गिरावट होना, जिसके कारण आपको चक्कर आ सकट हैं और आप भ्रमित महसूस कर सकते हैं
  • बेहोशी हो जाना

एनाफिलेक्सिस (Anaphylaxis) एक मेडिकल इमरजेंसी है और अगर तुरंत इलाज ना हो तो ये जानलेवा भी हो सकती है। यदि आपको लगता है कि आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति एनाफिलेक्सिस (anaphylaxis) का अनुभव कर रहा है तो, आपातकालीन सेवाओं को तुरंत कॉल करें और एम्बुलेंस बुलाएँ।

टेट्रासाइक्लिन (Tetracyclines) और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता (sensitivity to light)

टेट्रासाइक्लिन (Tetracyclines) आपकी त्वचा को सूरज की रोशनी और प्रकाश के कृत्रिम स्रोतों (artificial sources of light) के प्रति संवेदनशील बना सकती है, जैसे सन लैम्प्स और सन बेड (sunbeds)।

इन दवाओं को लेते समय, आपको लम्बे समय तक तेज रोशनी के संपर्क में आने से बचना चाहिए।

एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग क्यों किया जाता है?

एंटीबायोटिक्स का उपयोग कुछ प्रकार के बैक्टीरियल संक्रमणों (bacterial infections) के इलाज या रोकथाम के लिए किया जाता है। वे वायरल संक्रमण (viral infections) के खिलाफ प्रभावी नहीं हैं, जैसे कि सामान्य सर्दी या फ्लू (common cold and flu)।

एंटीबायोटिक्स का उपयोग केवल उन बीमारियों के इलाज के लिए किया जाना चाहिए:

  • जो विशेष रूप से गंभीर नहीं होते हैं, लेकिन एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के बिना ठीक नहीं हो सकते - जैसे गंभीर मुँहासे (acne)
  • जो आमतौर पर गंभीर नहीं हैं, लेकिन अगर इनका इलाज तुरंत नहीं किया जाता है तो अन्य लोगों में फैल सकते हैं - जैसे कि त्वचा संक्रमण, इम्पेटिगो (impetigo) या यौन संक्रमण (sexually transmitted infection)
  • जहां साक्ष्य बताते हैं कि एंटीबायोटिक्स स्वस्थ्य सुधर में काफी तेजी ला सकते हैं - जैसे कि किडनी संक्रमण
  • जो अधिक गंभीर स्तिथियों का कारण बन सकती हैं - जैसे कि सेल्युलाइटिस (cellulitis) या निमोनिया (pneumonia)

एंटीबायोटिक्स प्रतिरोध (Antibiotic resistance)

अब एंटिबयोटिक्स नियमित रूप से संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल नहीं किए जा रहे हैं क्योंकि:

  • वायरस कई संक्रमणों का कारण होते हैं जिनमें एंटिबयोटिक्स प्रभावी नहीं होते
  • एंटिबयोटिक्स अधिकांश स्थितियों में सुधार की रफ्तार को नहीं बढ़ाते और इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं
  • यदि एंटिबयोटिक्स का इस्तेमाल छोटी छोटी बीमारियों में ज्यादा किया गया तो हो सकता है की वे गंभीर बीमारियों के इलाज में प्रभावी ना हों

उदाहरण के लिए आजकल एंटिबयोटिक्स नियमित रूप से बच्चों में छाती के संक्रमण, कान के संक्रमण और गले की बीमारी में इस्तेमाल नहीं किए जा रहे हैं।

वो लोग जिनको बैक्टिरीअल संक्रमण होने का खतरा है

एंटिबयोटिक्स उन्हें भी दिये जा सकते हैं जिन्हें संक्रमण के दुष्परिणाम होने का खतरा अधिक हो। इनमें शामिल हो सकते हैं :

  • 75 वर्ष से अधिक आयु के लोग
  • 72 घंटे से कम आयु के शिशु जिनको बैक्टिरीअल संक्रमण होने की पुष्टि हुई हो, या जिनको इस तरह का संक्रमण होने का सामान्य से अधिक खतरा है
  • हृदय फ़ेल्यर के मरीज़
  • लोग जो मधुमेह (diabetes) को नियंत्रित करने के लिये इंसुलिन (insulin) लेते हैं
  • वो लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है - किसी अन्य रोग से ग्रसित होने के कारण जैसे कि एचआईवी इन्फेक्शन (HIV infection) या किसी अन्य रोग के इलाज के दुष्परिणाम जैसे कीमोथेरपी (chemotherapy)

संक्रमण रोकने के लिये एंटिबयोटिक्स

कई बार एंटिबयोटिक्स संक्रमण की रोकथाम के लिये दिये जाते हैं, ना की उसके इलाज के लिये। इसे एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस (antibiotic prophylaxis) कहा जाता है

एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस (antibiotic prophylaxis) की सलाह तब दी जाती है जब आपको शरीर के ऐसे हिस्से की शल्य चिकित्सा (Surgery) करवानी हो जहां संक्रमण का खतरा आधिक हो या संक्रमण के परिणाम बुरे हो सकते हों।

उदाहरण के लिए, इसका इस्तेमाल तब होगा जब आप नीचे दिये गये इलाज करवाने वाले हों

  • कुछ प्रकार की आँखों की शल्य क्रिया जैसे - मोतियाबिंद (cataract) की शल्य क्रिया या ग्लौकोमा (glaucoma) शल्य क्रिया
  • जोड़ों को बदलने (joint replacement) की शल्य क्रिया
  • स्तन प्रत्यारोपण (breast implant) शल्य क्रिया
  • पेसमेकर (pacemaker) शल्य क्रिया
  • पित्त की थैली/ गॉलब्लेडर (Gallbladder) निकालने की शल्य क्रिया
  • अपेंडिक्स(appendix) निकालने की शल्य क्रिया

यदि आपको एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस की जरूरत है तो आपका शल्य चिकित्सक दल (सर्जिकल टीम) आपको ये बता सकता है।

काटा जाना या घाव

एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस की सलाह तब दी जा सकती है जब घाव में संक्रमण होने का खतरा अधिक हो – जैसे जानवर या इंसान द्वारा काटा जाना, या ऐसा घाव जो मिट्टी या मल के संपर्क में आया हो।

स्वास्थ्य स्थितियाँ

ऐसी कई बीमारियाँ हैं जिनमें मरीज को संक्रमण का खतरा आधिक होता है, जिसकी वजह से एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस जरूरी होता है।

उदाहरण के लिए, स्प्लीन (प्लीहा) खून में से नुकसानदायक जीवाणों को अलग/ फ़िल्टर करने का जरूरी कार्य करता है । जिन लोगों का स्प्लीन निकाला गया हो, जिन लोगों ने कर्क रोग (cancer) की कीमोथेरपी करवाई हो या जिनको सिकल सेल अनेमिया (sickle cell anaemia) हो, जिसमें स्प्लीन ठीक से काम नहीं करता, उन्हें संक्रमण रोकने के लिये एंटिबयोटिक्स लेना चाहिए ।

कुछ मामलों में एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस की सलाह उन लोगों को दी जाती है जिन्हें बार बार संक्रमण के कारण तकलीफ हो या जिनको संक्रमण की जटिलताओं का खतरा आधिक हो, जैसे :

  • सेल्यूलाइटिस (cellulitis)
  • युरीनरी ट्रैक्ट का संक्रमण
  • जननेन्द्रिय हर्पीज़ (Herpes genitalis या genital herpes)
  • आमवात ज्वर (रुमैटिक फीवर)

ज्यादा एंटीबायोटिक दवा खाने से क्या होता है?

ज्यादा एंटीबायोटिक लेने पर डायरिया जैसी पेट की बीमारियां हो सकती है। डॉक्टर से पूछे बिना यदि आप गलत एंटीबायोटिक ले लेते हैं तो हो सकता है कि उस दवा से आपको कोई एलर्जी निकल आए, ऐसे में तो समस्या और भी विकट हो सकती है।

एंटीबायोटिक दवा खाने से क्या नुकसान होता है?

प्रमुख एंटीबायोटिक दवाओं के नुकसान,कैसे बचें इनके खतरों से?.
पेनिसिलिन- लाल चकत्ते, डायरिया, पेट दर्द,.
सेफालॉसपोरिन्स- बुखार, उल्टी, हायपर सेंसेटिविटी.
एमिनोग्लायकोसाइड्स- किडनी संबंधी समस्या, बहरापन.
कार्बापेनेम्स- उल्टी-दस्त, सिर दर्द.
ग्लायकोपेपटाइड्स- चक्कर आना, स्वाद परिवर्तन सिर दर्द.

ज्यादा एंटीबायोटिक लेने से क्या नुकसान होता है?

एंटीबायोटिक के सेवन के अधिक नुकसान -पेट में अच्छे और बुरे दोनों तरह के बैक्टीरिया का संतुलन होना जरूरी होता है. अगर ज्यादा मात्रा में एंटी बायोटिक का सेवन किया जाता है तो यह पेट के अंदर के अच्छे बैक्टीरिया को खत्म करने लग जाता है. इससे पाचन से जुड़ी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं.

एंटीबायोटिक कितने दिन तक खा सकते हैं?

बैक्टीरियल संक्रमण के आधार पर रोगी को एंटीबायोटिक दवाओं का 3 से 5 दिन का कोर्स कराया जाता है। रोगी को अधिकतर 8-12 घंटे के अंतराल पर ये दवाएं लेनी पड़ती हैं। लेकिन चेस्ट इंफेक्शन जैसी कुछ बीमारियों में ये दवाएं 24 घंटे में एक या दो बार लेने की सिफारिश की जाती है।