एकाधिकार की परिभाषा दीजिए ।

विषयसूची

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  • 1 एकाधिकार की विशेषताएं क्या है?
  • 2 एकाधिकार की परिभाषा दीजिए यह कैसे एकाधिकार प्रतियोगिता से भीन है?
  • 3 एकाधिकार फर्म में फर्म की संख्या कितनी होती है?
  • 4 एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में कीमत कैसे निर्धारित होती है?

एकाधिकार की विशेषताएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएकाधिकार की विशेषताएं (ekadhikar ki visheshta) 1. एकाधिकारी अपने क्षेत्र मे एक ही उत्पादक होता है अर्थात् फर्म तथा उद्योग एक ही होते है। एकाधिकारी एक फर्म उद्योग है। एकाधिकारी का अपनी वस्तु की पूर्ति पर पूरा-पूरा नियंत्रण रहता है बाजार की पूर्ति पर नही अर्थात् वस्तुओं की पूर्ति पर नही।

एकाधिकार की परिभाषा दीजिए यह कैसे एकाधिकार प्रतियोगिता से भीन है?

इसे सुनेंरोकेंएकाधिकार एक बाजार संरचना को संदर्भित करता है जहां एक एकल विक्रेता अपने अनूठे उत्पाद को बेचकर पूरे बाजार पर हावी होता है। दूसरी ओर, एकाधिकार प्रतियोगिता प्रतिस्पर्धी बाजार को संदर्भित करती है, जिसमें बाजार में कुछ विक्रेता ग्राहकों के लिए विकल्प के पास की पेशकश करते हैं।

एकाधिकार की उत्पत्ति का कारण कौन है?

इसे सुनेंरोकेंजब किसी वस्तु के उत्पादन करने के कारण किसी उत्पादक का बहुत बड़ा नाम हो जाता है, तब नये उत्पादक उद्योग मे प्रवेश नही करते। इस कारण भी एकाधिकार की उत्पत्ति होती है। जब किसी स्थान या क्षेत्र मे कच्चे माल का केन्द्रीकरण हो जाता है, तो इससे भी एकाधिकार की उत्पत्ति होती है।

विभेदात्मक एकाधिकार क्या है?

इसे सुनेंरोकेंmulya vibhed arth paribhasha prakar;जब कोई एकाधिकारी एक ही वस्तु के कई मूल्य रखता है, तब ऐसी स्थिति मे “कीमत विभेद” होता है और इस प्रकार एकाधिकार को विभेदात्मक या विवेचनात्मक एकाधिकार कहते है। इस प्रकार विभेदात्मक एकाधिकार के अंतर्गत एक वस्तु के लिए अलग-अलग ग्राहकों से अलग-अलग मूल्य वसूल किया जाता है।

एकाधिकार फर्म में फर्म की संख्या कितनी होती है?

इसे सुनेंरोकेंअकेला विक्रेता : एकाधिकार में वस्तु का उत्पादन करने वाली केवल एक फर्म होती है।

एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में कीमत कैसे निर्धारित होती है?

इसे सुनेंरोकेंबेन्स के अनुसार, “एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता बाजार की एक ऐसी संरचना है, जिसमें विभेदीकृत तथा निकट स्थानापन्न वस्तुओं के विक्रेताओं की एक बड़ी संख्या होती है।”

एकाधिकार से आप क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकेंएकाधिकार (Monopoly) एकाधिकार दो शब्दों से मिलकर बना है- (एक+अधिकार) अर्थात बाजार की वैसी स्थिति जहाँ किसी वस्तु या सेवाओं का एकमात्र विक्रेता हो और उनकी वस्तु या सेवाओं का स्थानापन्न भी लगभग शून्य हो। उदाहरण के लिए :- रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल, बिजली, रेल, डाक सेवा, आदि की व्यवस्था साधारणतया एक ही कंपनी के हाथ रहती है।

एकाधिकार शक्ति को कैसे मापा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंवस्तुतः वस्तु कीमत तथा सीमान्त लागत का अन्तर ही एकाधिकारी शक्ति की कोटि का माप है । एक एकाधिकारी की शक्ति इस बात पर निर्भर करती है कि वह वस्तु की सीमान्त लागत से कितने अधिक कीमत पर वस्तु को बेचने में सफल होता है । सीमान्त लागत से ऊपर वस्तु की कीमत जितनी अधिक होगी, एकाधिकारी शक्ति भी उतनी ही अधिक होगी ।

इसे सुनेंरोकेंएकाधिकार की विशेषताएं (ekadhikar ki visheshta) एकाधिकारी अपने क्षेत्र मे एक ही उत्पादक होता है अर्थात् फर्म तथा उद्योग एक ही होते है। एकाधिकारी एक फर्म उद्योग है। 2. एकाधिकारी की वस्तु की कोई भी निकट स्थानापन्न वस्तुएं बाजार मे नही होती।

विषयसूची

  • 1 एकाधिकार से आप क्या समझते हैं?
  • 2 बाजार किसे कहते हैं बाजार के आवश्यक तत्व कौन से हैं?
  • 3 एकाधिकार व्यापार प्रथा क्या है?
  • 4 एकाधिकार बाजार में मूल्य निर्धारण कैसे होता है?
  • 5 एकाधिकार की परिभाषा दीजिए यह कैसे एकाधिकार प्रतियोगिता से भिन्न है?
  • 6 एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता को परिभाषित कीजिए एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में कीमत कैसे निर्धारित होती है?
  • 7 अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन कीमत कैसे निर्धारित होती है?
  • 8 एकाधिकार की परिभाषा दीजिए कैसे एकाधिकार प्रतियोगिता से भिन्न है?
  • 9 पूर्व प्रतियोगी कार्य कीमत निर्धारण नहीं होती क्यों?
  • 10 पूर्ण प्रतियोगिता में आर्थिक क्षमता कैसे उपलब्ध की जाती है?
  • 11 पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताएं क्या है?
  • 12 एकाधिकार की विशेषता क्या है?
  • 13 अपूर्ण प्रतिस्पर्धा क्या है?
  • 14 पूर्ण प्रतियोगिता बाजार क्या है इसकी प्रमुख विशेषताएं लिखिए?
  • 15 एक फर्म का कीमत स्वीकारक कब कहा जाता है?

एकाधिकार से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकें”Mono” का अर्थ है एक और “Poly” का अर्थ है विक्रेता। इस प्रकार एकाधिकार एक बाजार की स्थिति को संदर्भित करता है जिसमें किसी विशेष उत्पाद का केवल एक विक्रेता होता है। इसका मतलब यह है कि फर्म स्वयं उद्योग है और फर्म के उत्पाद का कोई नजदीकी विकल्प नहीं है।

बाजार किसे कहते हैं बाजार के आवश्यक तत्व कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंबाजार के आवश्यक तत्त्व निम्नलिखित हैं। एक क्षेत्र – वह समस्त क्षेत्र जिसमें किसी वस्तु के क्रेता व विक्रेता क्रय-विक्रय करते हैं। एक वस्तु – अर्थशास्त्र में प्रत्येक वस्तु का बाजार अलग-अलग माना जाता है। बाजार के लिए एक वस्तु का होना आवश्यक है।

इसे सुनेंरोकेंएकाधिकार (Monopoly) क्या है? “Mono” का अर्थ है एक और “Poly” का अर्थ है विक्रेता। इस प्रकार एकाधिकार एक बाजार की स्थिति को संदर्भित करता है जिसमें किसी विशेष उत्पाद का केवल एक विक्रेता होता है। इसका मतलब यह है कि फर्म स्वयं उद्योग है और फर्म के उत्पाद का कोई नजदीकी विकल्प नहीं है।

एकाधिकार प्रतियोगिता की विशेषताएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएकाधिकार प्रतियोगिता बाजार की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसके अंतर्गत प्रत्येक फर्म अपनी वस्तु का प्रचार करने के लिए विज्ञापन आदि पर बहुत धन खर्च करती है। फर्म अपनी वस्तुओं को अधिक से अधिक मात्रा में बेचने के लिए अखबारों ,पत्रिकाओं, रेडियो, टीवी आदि में विज्ञापन आदि पर जो खर्च आता है उसी को विक्रय लागत कहते हैं।

एकाधिकार व्यापार प्रथा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएकाधिपत्य शब्द, अक्सर बाजार में बड़ी हिस्सेदारी के कारण, बाजार शक्ति के कब्जे को, और उस शक्ति को बनाए रखने या बढ़ाने के लिए आचरण को दर्शाता है। बाजार शक्ति आम तौर पर कीमतों को नियंत्रित करने या बाजार से दूसरों को बाहर करने की शक्ति है।

एकाधिकार बाजार में मूल्य निर्धारण कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंश्रीमती रॉबिन्सन का सिद्धान्त-श्रीमती रॉबिन्सन के अनुसार एकाधिकारी अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए अपना मूल्य उस बिन्दु पर निश्चित करता है जिस बिन्दु पर सीमान्त आय एवं सीमान्त व्यय एक दूसरे के बराबर हो।

एकाधिकार शक्ति क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइसका मतलब यह है कि कोई अन्य फर्म एक समान उत्पाद का उत्पादन नहीं करती है। इस प्रकार, एकाधिकार फर्म स्वयं एक उद्योग है और एकाधिकार उद्योग की मांग वक्र का सामना करता है। उनके उत्पाद की मांग वक्र है, इसलिए, अपेक्षाकृत स्थिर और ढलान दाईं ओर नीचे की ओर, अपने ग्राहकों के स्वाद और आय को देखते हुए।

एकाधिकार की परिभाषा दीजिए यह कैसे एकाधिकार प्रतियोगिता से भिन्न है?

इसे सुनेंरोकेंएकाधिकार एक बाजार संरचना को संदर्भित करता है जहां एक एकल विक्रेता अपने अनूठे उत्पाद को बेचकर पूरे बाजार पर हावी होता है। दूसरी ओर, एकाधिकार प्रतियोगिता प्रतिस्पर्धी बाजार को संदर्भित करती है, जिसमें बाजार में कुछ विक्रेता ग्राहकों के लिए विकल्प के पास की पेशकश करते हैं।

एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता को परिभाषित कीजिए एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में कीमत कैसे निर्धारित होती है?

इसे सुनेंरोकेंekadhikaratmak pritiyogita ak arth visheshta;लेप्ट विच के अनुसार,” एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता बाजार की वह दशा है जिसमे वस्तु विशेष के अनेक विक्रेता पाये जाते है किन्तु प्रत्येक विक्रेता की वस्तु उपभोक्ता के मस्तिष्क मे दूसरे विक्रेताओं की वस्तु से पृथक होती है।

एकाधिकार प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम 1969 क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएकाधिकार तथा अवरोधक व्यापार व्यवहार अधिनियम, 1969 (एमआरटीपी अधिनियम) औद्योगिक सुधार के तहत भारत में लागू किया गया था जिसका उदेश्य आर्थिक शक्ति के केंद्रीकरण को रोकना तथा एकाधिकार पर नियत्रण रखना था। इस के अलावा अन्य उद्देश्य प्रतिबंधात्मक और अनुचित व्यापार की रोकथाम करना था । उस समय चौथी पंचवर्षीय योजना लागू थी।

अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन कीमत कैसे निर्धारित होती है?

इसे सुनेंरोकेंउत्पत्ति के एक कारण के रूप में लागत को अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन दो भागों में बांटा जाता है। अल्पकाल में, उत्पत्ति के साधन भौतिक रूप से स्थिर होते हैं और अल्पकालीन लचीलेपन के प्रभाव के कारण उत्पत्ति में तत्क्षण समायोजन नहीं किया जा सकता है। इस तरह का समायोजन आंशिक होता है जबकि दीर्घकाल में यह समायोजन पूर्ण होता है।

एकाधिकार की परिभाषा दीजिए कैसे एकाधिकार प्रतियोगिता से भिन्न है?

इसे सुनेंरोकेंअर्थशास्त्र में जब कोई एक व्यक्ति या संस्था का किसी उत्पाद या सेवा पर इतना नियंत्रण हो कि वह उसके विक्रय से सम्बन्धित शर्तों एवं मूल्य को अपनी इच्छानुसार लागू कर सके तो इस स्थिति को एकाधिकार (monopoly) कहते हैं। अर्थात बाजार में प्रतियोगिता का अभाव एकाधिकार की मुख्य विशेषता है।

पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकार में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंपूर्ण प्रतियोगिता में विक्रेताओं एवं क्रेताओं को बाजार का पूर्ण ज्ञान रहता है। एकाधिकार में क्रेताओं को वस्तुओं की लागत का पूर्ण ज्ञान नहीं होता है। पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म आसानी से बाजार में प्रवेश एवं बाजार से निकल सकती है। जबकि एकाधिकार में फर्मों का प्रवेश नियंत्रित रहता है।

पूर्व प्रतियोगी कार्य कीमत निर्धारण नहीं होती क्यों?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: पूर्ण प्रतियोगिता की अवस्था में वस्तु की कीमत उद्योग की कुल माँग एवं पूर्ति की सापेक्षिक शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है। व्यक्तिगत फर्म की कीमत निर्धारण में कोई भूमिका नहीं होती है क्योंकि उसका उत्पादन में हिस्सा बहुत अल्प मात्रा में होता है।

पूर्ण प्रतियोगिता में आर्थिक क्षमता कैसे उपलब्ध की जाती है?

पूर्ण प्रतियोगिता के लक्ष््ण

  1. प्रत्येक उत्पादक बाजार की पूरी आपूर्ति का इतना छोटा हिस्सा प्रदान करता है की वो अकेला बाजार में वस्तु की कीमत पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकता।
  2. प्रत्येक उत्पादक के द्वारा बनाई गयी वस्तु समान होती है।
  3. प्रत्येक उत्पादक बाजार में उप्लब्ध उत्पादन तकनीक तक पहुंच रखता है।

प्रतिस्पर्धा प्रपत्र क्या है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंप्रतिस्पर्धा अधिनियम यह अधिनियम प्रतिस्पर्धा-रोधी करारों, उद्यमों द्वारा प्रमुख स्थिति के दुरूपयोग को निषेध करता है तथा संयोजनों (अधिग्रहण, नियंत्रण तथा एम एण्ड ए की प्राप्ति) को विनियमित करता है जिसके कारण भारत में प्रतिस्पर्धा पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है अथवा उसके पड़ने की संभावना हो सकती है।

पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताएं क्या है?

इसे सुनेंरोकें(1) क्रेता एवं विक्रेताओं की अधिक संख्या का होना, (2) वस्तुएं रूप-रंग, गुण एवं वचन में एक समान होना, (3) बाजार का पूर्ण ज्ञान, (4) फर्मों का स्वतन्त्र प्रवेश तथा बहिगर्मन, (5) उत्पादन के साधनों की पूर्ण गतिशीलता, (6) मूल्य नियन्त्रण की अनुपस्थिति, (7) औसत तथा सीमान्त भाव का बराबर होना, (8) दीर्घकालीन स्थिति में एक …

एकाधिकार की विशेषता क्या है?

अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार क्या है इसकी प्रमुख विशेषताएं लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंअपूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताएँ अपूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत प्रतियोगिता तो होती है, किन्तु वह इतनी अपूर्ण तथा दुर्बल होती है कि माँग और पूर्ति की शक्तियों को कार्य करने का पूर्ण अवसर नहीं मिलता। क्रेताओं और विक्रेताओं को बाजार की स्थिति का पूर्ण ज्ञान नहीं होता है। परिणामस्वरूप बाजार में कीमतें भिन्न-भिन्न होती हैं।

अपूर्ण प्रतिस्पर्धा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअपूर्ण प्रतियोगिता हैमंडी विफलता की स्थिति जिसमेंमांग का नियम और कीमतों को समझने के लिए आपूर्ति का स्वतंत्र रूप से उपयोग नहीं किया जाता है, बल्कि इसमें कीमतों में संतुलन होना चाहिए। इस स्थिति में, कंपनियों के पास बाजार की कीमत को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त बाजार शक्ति हो सकती है।

पूर्ण प्रतियोगिता बाजार क्या है इसकी प्रमुख विशेषताएं लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंश्रीमती जांन रॉबिंसन के शब्दों में, “पूर्ण प्रतियोगिता तब होती है जब कि प्रत्येक उत्पादक की वस्तु के लिए मांग पूर्ण लोचदार हो और मांग उस दशा में पूर्णतया लोचदार होगी जबकि (i) किसी भी एक विक्रेता का उत्पादन उस वस्तु के कुल उत्पादन का एक नगण्य भाग हो और (ii) क्रेता-विभिन्न विक्रेताओं के मध्य अपने चुनाव की दृष्टि से समान …

सीमांत संप्राप्ति से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंसीमान्त संप्राप्ति वह राशि है जो वस्तु की अंतिम इकाई बेचकर प्राप्त की जाती हैं। सीमान्त प्राप्ति कुल संप्राप्ति का वह अंतर है, जो उत्पादन की एक अतिरिक्त इकाई बेचकर प्राप्त होता है। औसत संप्राप्ति से अभिप्राय है उत्पादन की प्रति इकाई की बिक्री से प्राप्त संप्राप्ति।

एक फर्म का कीमत स्वीकारक कब कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंफर्म कीमत स्वीकारक होती है : फर्म को उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत पर वस्तुओं को बेचना पड़ता है, क्योंकि फर्म का कीमत पर कोई नियंत्रण नहीं होता। जैसा कि आगे रेखाचित्र में दिखाया गया है, बाजार या उद्योग बाजार मांग तथा बाजार पूर्ति के आधार पर कीमत निर्धारित करता है।

एकाधिकार की परिभाषा क्या है?

एकाधिकार (Monopoly) क्या है? "Mono" का अर्थ है एक और "Poly" का अर्थ है विक्रेता । इस प्रकार एकाधिकार एक बाजार की स्थिति को संदर्भित करता है जिसमें किसी विशेष उत्पाद का केवल एक विक्रेता होता है। इसका मतलब यह है कि फर्म स्वयं उद्योग है और फर्म के उत्पाद का कोई नजदीकी विकल्प नहीं है।

एकाधिकार की परिभाषा दीजिए यह कैसे एकाधिकार प्रतियोगिता से भिन्न है?

एकाधिकार प्रतियोगिता में वस्तु विभेद के कारण एक फर्म का अपने उत्पादन की कीमत पर नियंत्रण होता है। परंतु एकाधिकार के विपरीत वस्तु के निकटतम स्थानापन्न उपलब्ध होने के कारण एकाधिकार प्रतियोगिता में फर्म का कीमत पर पूरा नियंत्रण नहीं होता।

एकाधिकार की विशेषताएं क्या हैं?

अकेला विक्रेता : एकाधिकार में वस्तु का उत्पादन करने वाली केवल एक फर्म होती है। समस्त उद्योग इस अकेली फर्म से बनता है। इस प्रकार एकाधिकार में फर्म तथा उद्योग में कोई भेद नहीं होता। अकेली फर्म होने के कारण फर्म का वस्तु की पूर्ति और कीमत पर महत्वपूर्ण नियंत्रण होता है