एक कूलाम आवेश से क्या तात्पर्य है? - ek koolaam aavesh se kya taatpary hai?

Physics April 23, 2022 December 11, 2017

सब्सक्राइब करे youtube चैनल

आवेश का मात्रक (unit of charge) : विद्युत धारा को S.I (system international) (अंतर्राष्ट्रीय पद्धति) में मूल राशि के रूप में माना जाता है तथा विधुत धारा का मात्रक एम्पियर (A) होता हैं। 

आवेश का S.I पद्धति में मात्रक कूलम्ब (Coulomb) (कूलॉम) होता है।

1C = 1 AS

विद्युत आवेश की विमा निम्न प्रकार लिखी जाती है।

[Q] = M0L0T1A1

अन्य मात्रक निम्न प्रकार भी लिखे जाते हैं।

1 PC = 10-12 C

1 nC = 10-9 C

1 μC = 10-6 C

आवेश का CGS (centimetre–gram–second) (सेन्टीमीटर – ग्राम – सेकण्ड ) पद्धति में मात्रक फ्रैंकलिन या स्टेट कूलाम है।

1  C = 3 x 109 esu

आवेश का मात्रक फैराडे भी होता हैं।

1 फैराडे = 96500 C

आवेश की परिभाषा (definition of charge) :

आवेश का मात्रक कूलाम होता है इसको निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है –

किसी तार में एक बिंदु से गुजरने वाले आवेश की प्रति सेकंड की मात्रा जबकि धारा 1 एम्पियर रखी जाये , आवेश की इस मात्रा को 1 कूलॉम आवेश कहते है।

इसको निम्न सूत्र द्वारा भी समझा जा सकता है –

चूँकि हम जानते है

विद्युत धारा (I) = गुजरने वाला आवेश (Q) (कूलॉम में) / समय (T) (सेकंड में)

अतः

Q (आवेश) = IT

यदि I = 1 ऐम्पियर रखा जाए तथा समय 1 सेकण्ड रखी जाये तो आवेश (Q) का मान 1  कूलॉम होगा।

Q = 1 x 1

Q = 1 A

विद्युत आवेश : किसी वस्तु के पदार्थ या कण का आवेश , वह प्रकृति (ग्रहण की गयी या प्राकृतिक) है जिसके कारण यह वैद्युत व चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न और महसूस करता है। कुछ प्राकृतिक आवेशित कणों के उदाहरण – इलेक्ट्रॉन , प्रोटोन , एल्फा कण आदि।

आवेश एक व्युत्पन्न भौतिक राशि है। S.I पद्धति में आवेश कुलाम में मापा जाता है।

अभ्यास में इसे मिलीकुलाम (mC) = 10-3C

माइक्रोकुलाम (uC) = 10-6C

नैकोकुलाम (nC) = 10-9C आदि काम में लेते है।

आवेश का C.G.S मात्रक = स्थिर वैद्युत इकाई = esu

1 कूलाम = 3 x 109 स्थिर वैद्युत इकाई का आवेश

आवेश की विमा = M0L0T1I1

आवेश के गुण :

1. आवेश एक अदिश राशि है :- आवेश को बीजगणितीय रूप में जोड़ा जाता है और इलेक्ट्रॉनो की न्यूनता या अधिकता को प्रदर्शित करता है।

2.  आवेश दो प्रकार का है :- (i) ऋणात्मक आवेश , (ii) धनात्मक आवेश। किसी वस्तु का आवेशन एक वस्तु से दूसरी वस्तु में आवेश का स्थानान्तरण है। धनात्मक आवेश से तात्पर्य इलेक्ट्रानों की हानि से है अर्थात इलेक्ट्रॉनों की न्यूनता। ऋणात्मक आवेशित वस्तु से तात्पर्य इलेक्ट्रॉनों की अधिकता है। इससे यह भी प्रदर्शित होता है कि एक ऋण आवेशित वस्तु का द्रव्यमान > समान धन आवेशित वस्तु का द्रव्यमान।

3. आवेश संरक्षित रहता है : एक विलगित निकाय में कुल आवेश (धनात्मक व ऋणात्मक का जोड़) नियत रहता है , चाहे उस निकाय में कुछ भी परिवर्तन हो।

5. समान प्रकृति के आवेश एक दुसरे को प्रतिकर्षित करते है जबकि विपरीत प्रकृति के आवेश परस्पर आकर्षित होते है।

6. आवेश सदैव द्रव्यमान से सम्बद्ध होता है अर्थात द्रव्यमान के बिना आवेश का अस्तित्व नहीं होता यद्यपि आवेश के बिना द्रव्यमान का अस्तित्व संभव है। कुछ कण जैसे फोटोन , न्यूट्रीनो इनका द्रव्यमान (विराम) नहीं होता , अत: इन पर कोई आवेश भी नहीं होता है।

7. आपेक्षिकता के सन्दर्भ में अपरिवर्तित है : इसका तात्पर्य यह है कि आवेश निर्देश तन्त्र पर निर्भर नहीं करता है अर्थात किसी वस्तु का आवेश परिवर्तित नहीं होता है , चाहे इसकी चाल कुछ भी हो , इसके विपरीत वस्तु का द्रव्यमान वस्तु की चाल पर निर्भर करता है और चाल के साथ बढ़ता है।

8. एक स्थिर आवेश इसके चारों ओर केवल विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है , एक समान रूप से गति करने वाला आवेश इसके चारो ओर विद्युत क्षेत्र व चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जबकि त्वरित गति करता हुआ एक आवेश व चुम्बकीय विद्युत चुम्बकीय तरंगे उत्पन्न करता है।

हम इस टॉपिक में देखेंगे कि आवेश की विमा क्या होती है ?

जैसा कि हम सभी जानते है कि आवेश एक प्रकार की अदिश राशि की श्रेणी में गिनी जाती है |

विद्युत आवेश विमा Q = [T1 I1] होती है , आगे देखते है कि आवेश का यह विमीय सूत्र कैसे प्राप्त होता है |

आवेश की विमा ज्ञात करने के लिए इसका सूत्र देखते है –

विद्युत धारा = आवेश / समय

होता है , इस सूत्र में हम आवेश = विद्युत धारा x समय लिख सकते है |

अत: हमें विद्युत आवेश का जो सूत्र प्राप्त होता है वह है –

Q = I x T

अब इस सूत्र में हम वैद्युत धारा (I) और समय (T) का विमीय सूत्र लिखकर आवेश की विमा का सूत्र ज्ञात करते है |

धारा का विमीय सूत्र = [I1]

इसी प्रकार हम समय का विमीय सूत्र लिखते है = [T1]

इन दोनों राशियों का मान आवेश वाले सूत्र में लिखकर हमें आवेश का विमीय सूत्र प्राप्त हो जाता है जो निम्नलिखित प्रकार है –

Q = I x T

Q = [I1] x [T1]

Q = [T1 I1]

we have also covered the answer of what is dimension of electric charge in hindi ?

एक कूलॉम आवेश से क्या तात्पर्य है?

एक कूलाम्ब आवेश की वह मात्रा है जो 1 एम्पीयर धारा 1 सेकण्ड तक प्रवाहित करने पर प्राप्त होती है।

1 कूलाम आवेश में कितने इलेक्ट्रान होते है?

सही उत्तर 6.25 × 1018 इलेक्ट्रॉन है। 6.25 × 1018 इलेक्ट्रॉन एक साथ मिलकर एक कूलॉम बनाते हैं। एक इलेक्ट्रॉन पर 1.6 × 10-19 C का ऋणात्मक आवेश होता हैइलेक्ट्रान का आविष्कार जे.

कूलाम से आप क्या समझते हैं?

कूलाम की परिभाषा( kulam ka niyam ki paribhasha ) :- इस नियम के अनुसार स्थिर अवस्था में दो विधुत आवेशो के मध्य आकर्षण या प्रतिकर्षण का बल उनके आवैशों के परिमाण के गुुुुणनफल के समानुपाती तथा उनकी मध्य की दूरी के व्युत्क्रानुपाती होता है। इसेे ही kulam ka niyam कहते है।

मूल आवेश क्या होता है इसका मान कूलाम में लिखिए?

Solution : आवेश की सबसे छोटी इकाई को मूल आवेश कहते है। प्रकृति में यह न्यूनतम आवेश एक इलेक्ट्रॉन आवेश (e) के बराबर होता है तथा अन्य सभी आवेश इस निश्चित न्यूनतम आवेश के पूर्ण गुणज होते है। इसका मान `e = 1.6 xx 10^(-19)` कॉलम होता है।