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शिशु को दी जाने वाली जन्म घुट्टी में
अश्वगंधा, अतिविष, मुरुडशेंग, बाल हिरडा,
जायफल, हल्दी की जड़, सौंठ, खारीक,
बादाम, जेष्ठमध, डिकेमाली, वेखंड और काकड शिंगी से घुट्टी बनाई जाती है। जन्म घुट्टी से क्या होता हैजन्म घुट्टी को बाल घुट्टी भी कहते हैं और ये एक पारंपरिक भारतीय आयुर्वेदिक काढ़ा है जिसे मां के दूध या पानी में दवा मिलाकर तैयार किया जाता है। जन्म घुट्टी में जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है जिनमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। कुछ पैरेंट्सबच्चे के
जन्म के पहले दिन से ही घुट्टी पिलाना शुरू कर देते हैं। माना जाता है कि इससे इम्यूनिटी बढ़ती है और दांत आने, दस्त, कब्ज और कोलिक पेन जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। जन्म घुट्टी रेसिपीसभी जड़ी-बूटियों को साफ पानी से अच्छी तरह से धो लें। 20 से 30 मिली ब्रेस्ट मिल्क लें। आप चाहें तो फॉर्मूला मिल्क भी ले सकती हैं। स्लेट पर एक बूंद दूध डालें और फिर एक-एक करके सभी जड़ी बूटियों को इस पर दो से तीन बार घिसें। एक जड़ी बूटी को घिसने के बाद उसके पेस्ट को उंगली से उठाकर चम्मच में लें। जब सारी जड़ी बूटियों को घिस लें तो उस पेस्ट को ब्रेस्ट मिल्क या पानी में मिलाकर शिशु को दें। यह भी पढ़ें : क्या सच में बच्चे का मुंडन करवाने से घने और काले बाल आते हैं? जन्म घुट्टी कब पिलाना चाहिएअगर आपके बच्चे में कोलिक के संकेत दिख रहे हैं और वो लगातार रोता रहता है तो उसे चुप करवाने के लिए
घुट्टी पिला सकते हैं। दांत आने पर मसूड़ों में सूजन और दर्द या वैक्सीन लगने पर दर्द को कम करने के लिए भी जन्म घुट्टी दे सकते हैं। इसके अलावा जन्म घुट्टी पेट फूलने और पाचन में सुधार करने में भी मदद करती है। यह भी पढ़ें : नवजात शिशु रोजाना 3 घंटे से ज्यादा रोए तो हो जाएं सावधान क्या है डब्ल्यूएचओ की रायविश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो नवजात शिशु को छह महीने का होने तक मां के दूध या फॉर्मूला मिल्क के अलावा और कुछ नहीं देना चाहिए। डॉक्टर भी नवजात शिशु को घुट्टी पिलाने से मना करते हैं। बाजार में मिलने वाली घुट्टी
में भी प्रिजर्वेटिव्स होते हैं जो कि शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। यह भी पढ़ें : बच्चों की आंखें नैचुरली तेज करने के लिए खिलाएं ये फूड्स क्या करेंइस आयुर्वेदिक औषधि को लेकर विज्ञान और आयुर्वेद के बीच एकमत नहीं है। फिलहाल विज्ञान की मानें तो एक साल से कम उम्र के
बच्चे को कच्चा शहद नहीं देना चाहिए। इसकी वजह से शिशु में बोटुलिस्म हो सकता है जो कि एक घातक लेकिन दुर्लभ बीमारी है। यह बीमारी एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद के कारण होती है। बेहतर होगा कि आप किसी भी प्राचीन नुस्खे का प्रयोग छह महीने या एक साल से कम उम्र के बच्चे पर न करें और जन्म घुट्टी देने से पहले भी डॉक्टर से परामर्श कर लें। यह भी पढ़ें : बच्चों को कैसे समझाएं जन्माष्टमी का महत्व Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें
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Dabur Janma Ghunti की खुराक - Dabur Janma Ghunti Dosage in Hindiयह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली Dabur Janma Ghunti की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर Dabur Janma Ghunti की खुराक अलग हो सकती है।
Dabur Janma Ghunti के नुकसान, दुष्प्रभाव और साइड इफेक्ट्स - Dabur Janma Ghunti Side Effects in Hindiचिकित्सा साहित्य में Dabur Janma Ghunti के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Dabur Janma Ghunti का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें। Dabur Janma Ghunti से सम्बंधित चेतावनी - Dabur Janma Ghunti Related Warnings in Hindi
Dabur Janma Ghunti कैसे खाएं - Dabur Janma Ghunti How to take in Hindiआप Dabur Janma Ghunti को निम्नलिखित के साथ ले सकते है:
इस जानकारी के लेखक है - Dr. Braj Bhushan Ojha BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक संदर्भ Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 9-10 Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986 : Page No 101 - 102 डाबर जन्म घुट्टी कितने महीने के बच्चे को दे सकते हैं?विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो नवजात शिशु को छह महीने का होने तक मां के दूध या फॉर्मूला मिल्क के अलावा और कुछ नहीं देना चाहिए। डॉक्टर भी नवजात शिशु को घुट्टी पिलाने से मना करते हैं।
बच्चे को जन्म घुट्टी कब से दिया जाता है?मां का दूध नवजात बच्चे के लिए अमृत सामान होता है और अनेक प्रकार की बीमारियों से नवजात की रक्षा करता है। उन्होंने बताया कि नवजात बच्चे को जन्म घुट्टी, पानी, शहद और अन्य कुछ भी नहीं देना चाहिए। छह माह के बाद ही नवजात को अन्य खुराक देने की शुरुआत की जानी चाहिए।
जन्म घुट्टी बच्चे को कैसे दें?जन्म घुट्टी बनाने के आगे के स्टेप्स हैं :. दूध उबलने के बाद इसे ठंडा होने दें।. ठंडा होने पर इस दूध की दही जमा दें।. जब दही जम जाए तो उसमें से जायफल निकाल लें।. जायफल को घिसें और घिसते समय एक या दो बूंद गुनगुना पानी उसमें डालें।. अब घिसे हुए पदार्थ को बच्चे को चटाएं।. 1 महीने का बच्चा क्या क्या एक्टिविटी करता है?एक महीने का शिशु अपने हाथों को आंखों और मुंह के नजदीक लाने लगता है। वो पेट के बल लेटने पर अपनी गर्दन को घुमा सकता है। सपोर्ट न मिलने पर बच्चा पीछे की ओर अपना सिर उठा सकता है। एक महीने का शिशु मुट्ठी बंद कर सकता है।
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