चाँदनी रात कविता कौन सी रात पर आधारित कविता है *? - chaandanee raat kavita kaun see raat par aadhaarit kavita hai *?

विषयसूची

  • 1 1 चाँदनी रात के बाद क्या आती है?`?
  • 2 चांदनी रात कब लगती है?
  • 3 चांदनी रात के बाद क्या आती है Class 10?
  • 4 चाँदनी रात की विशेषताएँ क्या है?
  • 5 मुख्य गायक के बुझते स्वर को कौन उठाता है?
  • 6 जल और थल में चांदनी बिछी होने का क्या अर्थ है?
  • 7 चांदनी रात का मतलब क्या होता है?
  • 8 चाँदनी रात कविता कौन सी रात पर आधारित कविता है *?

इसे सुनेंरोकेंचांदनी रात की बात अलग है। रात को एक अलग से दृश्य देखने को मिलता है जैसे जनत हो। चांदनी खुदरत का एक बहुत प्यारा तोहफा हैं। आसमान में चाँद और तारें चमकते हुए बहुत अद्भुत लगते है | रात को घुमने में और मज़ा आता है।

चांदनी रात कब लगती है?

इसे सुनेंरोकेंअमावस्या और पूर्णिमा के बीच वाले भाग को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। अमावस्या के बाद के 15 दिन को हम शुक्ल पक्ष कहते हैं। अमावस्या के अगले ही दिन से चन्द्रमा का आकर बढ़ना शुरू हो जाता है और अंधेरी रात चांद की रोशनी में चमकने लगती है।

चाँदनी रात कविता कौन सी रात पर आधारित कविता है?

इसे सुनेंरोकेंप्रासंगिक कथाओं को इसमें स्थान नहीं मिलता। प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता ‘चाँदनी रात’ पंचवटी खंडकाव्य से ली गई है। कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने इस कविता में प्रकृति की छटा का सुंदर रूप बड़े ही माधुर्य के साथ अभिव्यंजित किया है तथा चाँदनी रात का मनोहारी वर्णन सुंदर शब्दों में चित्रित किया है।

चांदनी रात क्या होती है?

इसे सुनेंरोकेंचांदनी रात में वातावरण पूर्णतय: शान्त होता है अगर हम शहर की नीरसता से थोड़ा दूर देहात की ओर चले जायें तो प्रदूषण रहित स्वच्छ शीतल वातावरण का सानिध्य प्राप्त होता है । चांद की किरणें प्रकृति के हर रूप का चुम्बन करती हुई प्रतीत होती हैं । मन ठगा सा रह जाता है । आंखे बंद कर चांदनी आत्मा में उतर जाती है ।

चांदनी रात के बाद क्या आती है Class 10?

इसे सुनेंरोकेंचाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों से देखा है? कवि ने चाँदनी रात की सुंदरता को स्फटिक की शिलाओं से बने सुधा मंदिर में प्रकट किया है, जो दही के समुंदर में उत्पन्न तरंगों के रूप में दिखाई देती है। वह दूध की झाग के समान सर्वत्र फैलकर अपनी सुंदरता को व्यक्त करती है। सारा आकाश उसकी आभा से जगमगाता है।

चाँदनी रात की विशेषताएँ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: चांदनी रात को चांदी की झील जैसा दिखता है दिन में दुनिया सोने की एक झील है सूरज की चमकदार रोशनी रात में चंद्रमा की नरम रोशनी का रास्ता देती है। झीलों और पहाड़ों दूरी में चमक गईं खेतों में एक परियों का देश है।

चाँदनी रात कविता में सौरमंडल के कौन से प्रसिद्ध ग्रह का वर्णन किया है *?

इसे सुनेंरोकेंकोई भी दिशा ऐसी नहीं है, जिस ओर १ कहते हैं कि यह कामदेव-सा भोगी (गृहस्थ) कोई संन्यासी जैसा आनंद का माहौल न हो। अर्थात सर्वत्र आनंद ही ३ बना हुआ-सा दिखाई देता है। आनंद है। | पद्यांश में आया सौर-मंडल का प्रसिद्ध ग्रह- पदयांश क्र.

चाँदनी को देखकर कवि को किसकी याद आती है और क्यों?

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मुख्य गायक के बुझते स्वर को कौन उठाता है?

इसे सुनेंरोकेंसदा मुख्य गायक के कष्टों का निवारक रहा है। संगतकार उसके पीछे लगातार गाता रहता है और उसके बुझते स्वर को सँभाले रहता है।

जल और थल में चांदनी बिछी होने का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: भावार्थ — कवि कहता है कि सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणें जल और थल सभी स्थानों पर क्रीड़ा कर रही हैं। पृथ्वी से आकाश तक सभी जगह चंद्रमा की स्वच्छ चाँदनी पैâली हुई है, जिसे देखकर ऐसा मालूम पड़ता है कि धरती और आकाश में कोई धुली हुई सफेद चादर बिछी हुई हो।

स्वच्छ चाँदनी कहाँ कहाँ फैली हुई है?

इसे सुनेंरोकेंकविवर गुप्त जी कहते हैं कि रात के समय पहरा देते समय प्रकृति की इस सुषमा को देखकर लक्ष्मण जी कहते हैं कि पंचवटी में कितनी सुन्दर और निर्मल चाँदनी फैली हुई है।

चाँदनी रात की विशेषताएँ क्या है *?

चांदनी रात का मतलब क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंचाँदनी रात की परिभाषा, अर्थ और उदाहरण चाँदनी रात में नौका-विहार करने का आनन्द ही कुछ और होता है ।

चाँदनी रात कविता कौन सी रात पर आधारित कविता है *?

चाँदनी रात इस कविता में झोंपड़ी इस अर्थ में आया हुआ शब्द कौनसा है?

इसे सुनेंरोकें(ii) झोंपड़ी-पर्ण कुटीर।

चाँदनी रात कविता में किसका महत्व बताया गया है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: भावार्थ: गुप्त जी चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। संपूर्ण पृथ्वी तथा आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है। पृथ्वी हरी-हरी घास की नोकों के माध्यम से अपनी खुशी प्रकट कर रही है।

                
                                                                                 
                            चाँदनी रात
                                                                                                
                                                     
                            

जब सूरज की किरणें
तन को झुलसती है

तब चाँद की ये रौशनी
मन को ठंडक पहुंचाती है।

हो कितना भी मन में क्रोध
देख कर इन्हें

शांत हो जाता है
तपता हुआ अग्नि कुण्ड ।

गगन में चमकते ये चाँद तारें
लगता है जैसे खिला हो फूल
मन की बगिया में

रात के चादर तले बेचैनी सी बातें करती है
परत दर परत कई राज खुलते जाते हैं

इस चाँद की रौशनी में
चाँद से उतरी हुई कविता

नहाकर रुपहली रौशनी में
हौले हौले से मेरे मन को
अजीब सी हलचल कर जाती है

जब भी देखता हूँ उसे
आसमान में चमकते हुए

ख्यालों मे एक नूर झलक दे जाती है ।
जियो तो तारे की चमक सी

भले ही एक दिन ही सही
पर एक पल चमक

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3 years ago

चाँदनी रात कविता की विधा कौन सी है?

प्रस्तुत कविता 'चाँदनी रात' कवि 'मैथिलीशरण गुप्त' द्वारा रचित 'पंचवटी' खंडकाव्य से ली गई है। प्रस्तुत पंक्तियों में चंद्रमा की छटा का सुंदर वर्णन किया गया है। चंद्र किरणें धरती पर अपनी अद्भुत छटा बिखेर रही है। धरती से आकाश तक स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है।

चाँदनी रात की विशेषताएँ क्या है?

चाँदनी रात में आकाश में सुंदर चंद्रमा शोभायमान है। उसकी चंचल किरणें झिलमिल-झिलमिल करती हुई अठखेलियाँ कर रही हैं। ऐसा लगता है, जैसे वे जल और जमीन के साथ खेल रही हों । चंद्रमा का निर्मल प्रकाश पृथ्वी पर और समूचे नभ मंडल में फैला हुआ है और वह उन्हें प्रकाशित कर रहा है।

चांदनी रात किसकी रचना है?

चांदनी रात की संगोष्ठी ग्रंथ के चित्रकार है - - Chandni Raat Ki Sangoshthi Granth Ke Chitrakar Hai - -33559.

चांदनी रात कविता में किसका महत्व बताया गया है?

कवि ने चाँदनी रात की सुंदरता को स्फटिक की शिलाओं से बने सुधा मंदिर में प्रकट किया है, जो दही के समुंदर में उत्पन्न तरंगों के रूप में दिखाई देती है। वह दूध की झाग के समान सर्वत्र फैलकर अपनी सुंदरता को व्यक्त करती है।