ब्रह्मदेव की पूजा कैसे होती है? - brahmadev kee pooja kaise hotee hai?

विषयसूची

  • 1 हम ब्रह्म की पूजा क्यों नहीं करते?
  • 2 ब्रह्मदेव कौन होते हैं?
  • 3 ब्रह्मा जी की पत्नी का नाम क्या था?
  • 4 ब्रह्मदेव के कितने नाम हैं?
  • 5 हिन्दू धर्म में इतने भगवान क्यों है?

हम ब्रह्म की पूजा क्यों नहीं करते?

इसे सुनेंरोकेंब्रह्माजी की पूजा करना वर्जित क्यों माना गया है‌? दरअसल देवी सावित्री के श्राप के कारण ही ब्रह्माजी की पूजा वर्जित मानी गई है। – पुराणों के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी हाथ में कमल का फूल लिए हुए अपने वाहन हंस पर सवार होकर अग्नि यज्ञ के लिए उचित स्थान की तलाश कर रहे थे। – तभी एक जगह पर उनके हाथ से कमल का फूल गिर गया।

ब्रह्मदेव कौन होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंब्रह्मदेव कौन हैं और उनका प्रमुख कार्य क्या हैं? जगत यानि ब्रह्मांड मे जो शक्ति निर्माण का कार्य करती है उसे ब्रह्म शक्ति कहते हैं। चूंकि निर्माण में शक्ति, बुद्धि और ज्ञान की अधिक आवश्यकता होती है इसलिए ब्रह्मा को जगत पिता और ज्ञान को प्रकट करने वाला माना जाता है।

हिंदू धर्म में किसकी पूजा करनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दू पूजा के जरूरी नियम 1. सनातन परंपरा को मानने वाले के घर में कम से कम पांच देवी-देवता यानी भगवान गणेश, भगवान शिव, देवी दुर्गा, भगवान सूर्य एवं भगवान विष्णु की पूजा अवश्य होनी चाहिए. इन्हें भगवान सूर्य की सात, भगवान विष्णु की चार, गणपति की तीन, दुर्गा जी की एक परिक्रमा और भगवान शिव की आधी परिक्रमा करनी चाहिए.

ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री से विवाह क्यों किया?

इसे सुनेंरोकेंसरस्वती पुराण के अनुसार सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा ने सीधे अपने वीर्य से सरस्वती को जन्म दिया था। इस कारण माँ सरस्वती ने अपने पिता की इस मनोभावना को भांपकर उनसे बचने के लिए चरों दिशाओं में छिपने का प्रयत्न किया लेकिन उनका हर प्रयत्न निष्फल हुआ। इसलिए माना जाता है विवश होकर उन्हें अपने पिता के साथ विवाह करना पड़ा।

ब्रह्मा जी की पत्नी का नाम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंभगवती सरस्वती ब्रह्मा जी की पत्नी हैं। ब्रह्मा के छः पुत्र थे- सनकादिक ऋषि,नारद व दक्ष। बहुत से पुराणों में ब्रह्मा की रचनात्मक गतिविधि उनसे बड़े किसी देव की मौजूदगी और शक्ति पर निर्भर करती है।

ब्रह्मदेव के कितने नाम हैं?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा ने अपने मन से १० पुत्रों को जन्म दिया जिन्हें मानसपुत्र कहा जाता है। भागवत पुरान के अनुसार ये मानसपुत्र ये हैं- अत्रि, अंगरिस, पुलस्त्य, मरीचि, पुलह, क्रतु, भृगु, वसिष्ठ, दक्ष, और नारद हैं।

ब्रह्मा का 1 दिन कितने वर्ष का होता है?

इसे सुनेंरोकेंश्रीमद्भग्वदगीता के अनुसार “सहस्र-युग अहर-यद ब्रह्मणो विदुः”, अर्थात ब्रह्मा का एक दिवस = 1000 महायुग. इसके अनुसार ब्रह्मा का एक दिवस = 4 अरब 32 करोड़ सौर वर्ष. इसी प्रकार इतनी ही अवधि ब्रह्मा की रात्रि की भी है.

कौन से भगवान की पूजा करें?

इसे सुनेंरोकेंअधिकतर हिन्दू ईश्वर, परमेश्वर, ब्रह्म या भगवान को छोड़कर तरह-तरह की प्राकृतिक एवं सांसारिक वस्तुएं, ग्रह-नक्षत्र, देवी-देवता, नाग, नदि, झाड़, पितर और गुरुओं की पूजा करते रहते हैं।

हिन्दू धर्म में इतने भगवान क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दू धर्म में एक परमेश्वर है, सात ईश्वर हैं, अनेक देव हैं और अनन्त भगवान हैं। परमेश्वर वह है जो द्यावाभूमी का जनक है, विश्व का कर्ता है और भुवन का गोप्ता है। जब क्लास में कोई प्रथम/अव्वल आता है तो वह सर्वश्रेष्ठ कहलाता है। दो लोग सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकते।

ब्रह्म , हिन्दू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) पहले सदस्य और सृजन के देवता माना जाता है। आइए जानते है ब्रह्मा देव का रहस्य…

ब्रह्मदेव की पूजा कैसे होती है? - brahmadev kee pooja kaise hotee hai?

मुख्य बिंदू:-

  • ब्रह्मा का सामने परिचय
  • ब्रह्मा की उत्पत्ति कैसे हुई?
  • ब्रह्मा की पत्नी, बच्चें और वंशज।
  • ब्रह्मा का मंत्र और साधना।
  • ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना कैसे करी।
  • ब्रह्मा की पूजा क्यों नही होती।
  • पुष्कर: ब्रह्मा का एक मात्र मंदिर।
  • ब्रह्मा से सम्बंधित पौराणिक कथा।

ब्रह्मा कौन है? (Who is Lord Brahma)

ब्रह्मा, हिन्दू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) पहले सदस्य, सृजन के देवता हैं, जिनको अपनी पत्नी सरस्वती मूलभूत ज्ञान की देवी-द्वारा सृजन में सहायता मिली थी।

ब्रह्मा को एक दाढ़ी वाले परिपक्व उम्र के व्यक्ति के रूप में दर्शाया जाता है। पौराणिक कथाओं में ब्रह्मा को चार सिर है जो चार सिर और कमल पर बैठे हुए दिखाया जाता है और उनका वाहन हंस है। अपनी चार भुजाओं में वे वेद, कमंडल, सुरुव और माला पकड़े रहते हैं। वे शांति का मानवीकरण हैं और ज्ञान तथा बुद्धि के प्रदाता हैं।

जब से ब्रह्मा ने विश्व की सृष्टि की यह माना जाता है कि यह सृष्टि 21,60,000,000 वर्षों तक अस्तित्व में रहेगा। इस दिन के अंत के बाद ब्रह्मा सोने चले जाते हैं और संपूर्ण विश्व और इसमें रहने वाले समस्त जीव-जंतु सभी कुछ अग्नि में समाहित हो जाता है। यह क्रम चलता रहता है।

ब्रह्मा के सिर से जुड़ी पौराणिक कथा

इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि ब्रह्मा चतुर्मुख (चार मुखीय) और अष्टकर्ण (आठ कान वाले) कहे जाने जाते हैं। लेक़िन मूल रूप से उनके पांच सिर थे। पुराणों के अनुसार उनका केवल एक सिर था अपने ही शरीर का एक हिस्सा काटने के बाद, ब्रह्मा ने सरस्वती का निर्माण किया। और वे उससे अपनी आंखें ही नहीं हटा सके। वह जहां भी जाती, वे उसे टकटकी साधे देखते रहते।

ब्रह्मा ने अन्य सिरों का सृजन कर लिया – एक बाएं, दूसरा दाएं और तीसरा उनके पहले वाले सिर के पीछे। शतरूपा फिर उनकी टकटकी से बचने के लिए आकाश में चली गई, तो ब्रह्मा ने सभी चारों सिरों के ऊपर पांचवें सिर का सृजन कर लिया। इस प्रकार उनके पांच सिर हो गए।

शिव ने काट दिया था 5वा सिर: पुराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा ने शिव का निरादर किया, जिससे रुष्ट होकर उन्होंने क्रोध में, अपनी अग्निमय तीसरी आंख से उनके पांचवें सिर को भस्म कर दिया।

अत्यंत दयालु है ब्रह्मा

ब्रह्मा अत्यंत दयालु है। वह अपने भक्तों पर शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते है और मनोवांछित फल दे देते है। हिरण्यकश्यप से लेकर रावण तक, को ब्रह्मा के द्वारा वरदान दिए गए थे। तब विष्णु जी के लिए यह आवश्यक हो गया कि वे राक्षसों को मारने के लिए अनेक अवतार लें। और पढ़ें: भगवान विष्णु के दशावतार

क्यों नही होती ब्रह्मा की पूजा

अतः ब्रह्मा न तो किसी के घर में पूजे जाते हैं और न ही किसी मंदिर में मूर्ति के रूप में विष्णु और शिव को समर्पित अनेक मंदिर हैं परंतु ब्रह्मा को समर्पित केवल एक ही मंदिर राजस्थान में अजमेर की पुष्कर झील पर स्थित है। और पढ़ें: पुष्कर: ब्रह्मा का एक मात्र मंदिर

कौन से भगवान की पूजा नहीं होती?

एक ओर जहां ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता माना जाता है, तो वहीं भगवान विष्णु को संसार का पालनहार और भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है। इन त्रिदेवों में से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा पूरी दुनिया में होती है, लेकिन ब्रह्मा जी की पूजा संसार में कहीं नहीं होती है।

विष्णु जी की पूजा क्यों नहीं होती?

Thursday Vishnu Puja: धार्मिक ग्रंथों में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है.

ब्रह्मदेव के कितने सिर हैं?

ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा के चार सिर हैं, जिन्हें चारों वेदों के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। शुरू में उनके पांच सिर थे, जिनमें से एक को शिव जी ने क्रोध में आकर काट दिया था।

ब्रह्मदेव कौन होते हैं?

ब्रह्मदेव प्राचीन भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे। इनका जीवनकाल लगभग १०६० ई से ११३० ई के बीच है। इन्होने आर्यभट प्रथम की कृतियों का भाष्य लिखा है।