बंद द्वार की सांकल खोलने के लिए कवयित्री ने क्या उपाय सुझाया है? - band dvaar kee saankal kholane ke lie kavayitree ne kya upaay sujhaaya hai?

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Vaakh Questions and Answers Class 9

जीवन-परिचयः सन् 1320 ई. में कश्मीरी भाषा की लोकप्रिय संत ललद्यद का जन्म कश्मीर स्थित पाम्पोर के सिमपुरा गाँव में हुआ था। उनको ओर भी नामों से जाना जाता था जैसे लल्लेश्वरी, ललारिफा, लाल्ल योगेश्वरी आदि। उनके जीवन के बारे में ज्यादा प्रामाणिक जानकरी नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि 1391 ई. के आसपास उनकी मृत्यु हुई।

प्रश्न 1. ‘रस्सी’ यहां किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?

उत्तर: ‘रस्सी’ यहा पर मानव के शरीर या सांस के लिए प्रयुक्त हुई है और यह रस्सी कच्ची तथा नाशवान है। यह कब टूट जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है।

प्रश्न 2. कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?

उत्तर: कवयित्री सांसारिक मोह माया के बंधनों से मुक्त नहीं हो पा रही है। ऐसे में वह प्रभु भक्ति सच्चे मन से नहीं कर पा रही है। अतः उसे लगता है, कि उसके द्वारा की जा रही सारी साधनाएं व्यर्थ हुई जा रही हैं। इसलिए उसके द्वारा मुक्ति के प्रयास भी विफल होते जा रहे हैं।

प्रश्न 3. कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: कवयित्री का घर जाने की चाहत से तात्पर्य प्रभु से मिलना है। कवयित्री इस भवसागर को पार करके अपने परमात्मा की शरण में जाना चाहती है।

प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए:
(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।
(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।

उत्तर: (क) कवयित्री कहती है कि इस संसार में आकर वह संसारिकता में उलझ कर रह गई है और जब अंत समय आया और जेब टटोली तो कुछ भी हासिल ना हुआ। अब उसे चिंता सता रही है कि भवसागर पार कराने वाले मांझी अर्थात ईश्वर को उतराई के रूप में क्या देगी।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग अपनाने को कहा है। कवयित्री कहती है कि मनुष्य को भोग विलास में पडकर कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। और मनुष्य जब संसारीक भोगों को पूरी तरह से त्याग देता है तब उसके मन में अहंकार की भावना पैदा होती हैं। अतः सभी को सुख-दुख के मध्य का मार्ग अपनाना चाहिए।

प्रश्न 5. बंद द्वार की सांकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया है?

उत्तर: बंद द्वार की सांकल खोलने के लिए ललद्यद ने उपाय सुझाया है कि भोग विलास और त्याग के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए। मनुष्य को सांसारिक विषयों में ना तो अधिक लुप्त और ना ही उसमें अधिक विरक्त होना चाहिए। बल्कि उसे बीच का मार्ग अपनाना चाहिए।

प्रश्न 6. ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्त नहीं होता। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है?

उत्तर: उपयुक्त भाग निम्न पंक्तियों में व्यक्त हुआ है:
आई सीधी राह से, गई ना सीधी राह,
सुषम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!
जेब टटोली कोड़ी न पाई।
मांझी को दूं, क्या उतराई?

प्रश्न 7. ‘ज्ञानी’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?

उत्तर: ज्ञानी से कवयित्री का यह अभिप्राय है कि जिसने आत्मा और परमात्मा के संबंध को जान लिया हो। कवयित्री के अनुसार, ईश्वर का निवास तो हर एक कण-कण में है। परंतु मनुष्य इसे धर्म में विभाजित कर मंदिर और मस्जिद में पहचानने की कोशिश करता है।

प्रश्न 8. हमारे संतों, भक्तों और महापुरुषों ने बार-बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है-

(क) आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है?

(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।

उत्तर-

(क) हमारे समाज में जाति-धर्म, भाषा, संप्रदाय आदि के नाम पर भेदभाव किया जाता है। इससे समाज और देश को बहुत हानि हो रही है। यह समस्या कानून व्यवस्था के सामने एक गंभीर समस्या बनकर उठ खड़ी होती है तथा विकास पर किया जाने वाला खर्च अकारण नष्ट होता है। 

(ख) आपसी भेदभाव मिटाने के लिए वोट की खातिर किसी धर्म विशेष का तुष्टीकरण बंद करना होगा। लोगों को सहनशील बनना होगा, सर्वधर्म समभाव की भावना लानी होगी तथा कट्टरता का त्याग करना होगा।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 9. भक्तिकाल में ललद्द्यद के अतिरिक्त तमिलनाडु की आंदाल, कर्नाटक की अक्क महादेवी और राजस्थान की मीरा जैसी भक्त कवयित्रियों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए एवं उस समय की सामाजिक परिस्थितियों के बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर- छात्र स्वयं करें।

अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर

प्रश्न. वाख क्या है?

उत्तर: ललद्यद की काव्य-शैली को वाख कहा जाता है। जिस तरह से हिंदी में कबीर के दोहे और मीरा के पद।

विषयसूची

  • 1 बंद द्वार की साँकल खोलने से कवयित्री क्या कहना चाहती है?
  • 2 रस्सी कच्चे धागे की को क्या कहा गया है?
  • 3 ललद्यद ने रस्सी कच्चे धागे की ककसे कहा है और क्यों?
  • 4 कवयित्री नाव कैसे खींच रही है?
  • 5 कच्चे धागे किसका प्रतीक है?
  • 6 लेखक सुमति को यजमानों से मिलने क्यों नहीं जाने देना चाहता था?
  • 7 कवयित्री का घर जाने की चाह से क्या तात्पर्य है वाख काव्य के अनुसार लिखिए?

बंद द्वार की साँकल खोलने से कवयित्री क्या कहना चाहती है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवयित्री का मानना है कि मनुष्य को भोग लिप्ता से आवश्यक दूरी बनाकर भोग और त्याग के बीच का मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। उसे संयम रखते हुए भोग और त्याग में समान भाव रखना चाहिए।

रस्सी कच्चे धागे की को क्या कहा गया है?

इसे सुनेंरोकेंकच्चे धागे की रस्सी बहुत कमजोर होती है और हल्के दबाव से ही टूट जाती है। हालाँकि हर कोई अपनी पूरी सामर्थ्य से अपनी जीवन नैया को खींचता है। लेकिन इसमें भक्ति भावना के कारण कवयित्री ने अपनी रस्सी को कच्चे धागे का बताया है।

ललद्यद ने रस्सी कच्चे धागे की ककसे कहा है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: यहाँ रस्सी से कवयित्री का तात्पर्य स्वयं के इस नाशवान शरीर से है। उनके अनुसार यह शरीर सदा साथ नहीं रहता। यह कच्चे धागे की भाँति है जो कभी भी साथ छोड़ देता है और इसी कच्चे धागे से वह जीवन नैया पार करने की कोशिश कर रही है।

घर जाने की चाह से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकें’घर जाने की चाह’का तात्पर्य है-इस भवसागर से मुक्ति पाकर अपने प्रभु की शरण में जाना। वह परमात्मा की शरण को ही अपना वास्तविक घर मानती है। (क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।

बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललयद ने क्या उपाय सुझाया है?

इसे सुनेंरोकेंबंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललदय ने उपाय सुझाया है कि भोग-विलास और त्याग के बीच संतुलन बनाए रखना, मनुष्य को सांसारिक विषयों में न तो अधिक लिप्त और न ही उससे विरक्त होना चाहिए बल्कि उसे बीच का मार्ग अपनाना चाहिए। जिस दिन मनुष्य के हृदय में ईश्वर भक्ति जागृत हो गई अज्ञानता के सारे अंधकार स्वयं ही समाप्त हो जाएँगे।

कवयित्री नाव कैसे खींच रही है?

इसे सुनेंरोकेंनाव इस नश्वर शरीर का प्रतीक है। कवयित्री उसे साँसों की डोर रूपी रस्सी के सहारे खींच रही है। कवयित्री ने अपने व्यर्थ हो रहे प्रयासों की तुलना कच्चे सकोरों से की है। मिट्टी के इन कच्चे सकोरों में जल रखने से जल रिसकर बह जाता है और सकोरा खाली रहता है उसी प्रकार कवयित्री के प्रयास निष्फल हो रहे हैं।

कच्चे धागे किसका प्रतीक है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: कच्चा धागा कमजोरी एवं अनिश्चितता का प्रतीक है। कच्चे धागा झूठे प्रयासों और नश्वर संसार का प्रतीक है।

लेखक सुमति को यजमानों से मिलने क्यों नहीं जाने देना चाहता था?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- लेखक ने शेकर विहार में सुमति को यजमानों के पासजाने से रोका था क्योंकि अगर वह जाता तो उसे बहुत वक्त लग जाता और इससे लेखक को एक सप्ताह तक उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती। परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियों का अध्ययन करना चाहते थे।

कवयित्री के हृदय में हूक क्यों उठ रही है?

इसे सुनेंरोकेंमित्र कवयित्री द्वारा ईश्वर प्राप्ति के सारे प्रयास विफल हो गए हैं। इसलिए उसके हृदय में एक हूक उठ रही है। वह ईश्वर के समीप जाना चाहती है अर्थात् मोक्ष प्राप्त करना चाहती है।

कवयि त्री का घर जानेकी चाह सेक्या तात्पर्य है वाख कवि ता केआधार पर उत्तर दीजि ए?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से तात्पर्य प्रभु से मिलन है। उसके अनुसार जहाँ प्रभु हैं वहीं उसका वास्तविक घर है।

कवयित्री का घर जाने की चाह से क्या तात्पर्य है वाख काव्य के अनुसार लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंकवयित्री का घर जाने की चाह से तात्पर्य है प्रभु से मिलना। कवयित्री इस भवसागर को पार करके अपने परमात्मा की शरण में जाना चाहती है क्योंकि जहाँ प्रभु हैं वहीं उसका वास्तविक घर है।

बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललाद ने क्या उपाय?

5. बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललाद ने क्या उपाय सुझाया है? 6. ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती।

बंद द्वार की साँकल खोलने से कवयित्री का क्या अभिप्राय है *?

उत्तर:- बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवयित्री का मानना है कि मनुष्य को भोग लिप्ता से आवश्यक दूरी बनाकर भोग और त्याग के बीच का मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। उसे संयम रखते हुए भोग और त्याग में समान भाव रखना चाहिए।

बंद द्वार की शक्ल में कौन सा अलंकार है?

Answer: बंद द्वार की साँकल' में अनुप्रास सा अलंकार है ।