बुढ़ापा एक सामान्य मानवीय प्रक्रिया है जो मानव जीवन चक्र में स्वाभाविक रूप से चलती रहती है। इस प्रकिया में मानव शरीर के अंगों के कामकाज की क्षमता में गिरावट आती है, परंतु, ज्ञान, गहन अंतर्दृष्टि और विविध अनुभवो का भंडार होता है। Show प्राचीन भारत के गुरुकुलों व विद्यालयों में “मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः व आचार्य देवो भवः” इन मंत्रों का उद्घोष प्रतिदिन सुना जाता था, परंतु पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव व तीव्र गति के शहरीकरण की वजह से भारतीय समाज की संरचना में परिवर्तन आ रहे हैं एवं हम अपने संस्कार व बुजुर्गों के प्रति सम्मान के भाव को खोते जा रहे है। वर्तमान समय में हम आए दिन हमारे समाज में हो रहे वृद्धजनों पर अत्याचार से सभी वाक़िफ़ हैं, एवं उनके अधिकारों का हर दिन हनन किया जा रहा है, इसलिए सरकार द्वारा वृद्धजनों को उनके विशेषाधिकारों तथा उनको संरक्षण प्रदान करने कि लिए , पुराने कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ ही विभिन्न नए प्रावधान लायें गए हैं। भारतीय समाज में हो रहे परिवर्तन के कारण भारत में बुज़ुर्गों को पहले जैसा सम्मान व यथोचित अनेकों विशेषाधिकार जो क़ानून के तहत प्राप्त है,वो लाभ और अधिकार प्राप्त नहीं हो रहे हैं।बहुत से बुज़ुर्ग, मूक दर्शक बनकर अपने बच्चों के हाथों दुर्व्यवहार सहन कर रहे हैं, एवं बुज़ुर्गों का अनादर उपेक्षा, शारीरिक, मौखिक, दुर्व्यवहार एक सामान्य सी घटना हो गयी है। हमारे देश में वरिष्ठ नागरिक चिकित्सा देखभाल, भरणपोषण एवं पर्याप्त वित्तीय सहायता के साथ साथ अन्य और भी बहुत सी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और उन्हें दुर्व्यवहार, असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है जैसे उनके परिवार द्वारा उन्हें घर से निकालकर अपमानजनक जीवन जीने के लिए असहाय छोड़ दिया जाना आदि शामिल है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है “एक राष्ट्र जो अपने बुजुर्ग और निर्बल नागरिकों की देखभाल नहीं कर सकता, उसे पूर्ण रूप से सभ्य नहीं माना जा सकता है।” लेकिन अक्सर ऐसे मामले देखने में आते हैं जहां बच्चें अपने बुजुर्गों की अनदेखी करते हैं। मां-बाप को संपत्ति से बेदखल कर दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया जाता है या फिर उन्हें वृद्धाश्रम की चार दिवारी में रहने को मजबूर कर दिया जाता है। हमारे देश में बुजुर्गों पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए कानून बनाये गए हैं और वक्त-वक्त पर देश के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने बुजुर्गों की देखभाल को लेकर कई दिशानिर्देश दिए हैं। सरकार की भूमिका: देश में सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को यात्रा से लेकर स्वास्थ्य सेवाएँ और इनकम टैक्स तक में छूट दी है, अगर आपके घर में भी कोई बुजुर्ग हैं, तो आप उनके लिए इन योजनाओं व सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। इनकम टैक्स (Income Tax)
मेडिकल बिल में छूट:
यात्रा में मिलने वाली छूट
टेलीफोन बिल पर छूट बीएसएनएल में 65 साल से अधिक उम्रवाले वरिष्ठ नागरिक प्राथमिकता के आधार पर टेलीफोन के रजिस्ट्रेशन के योग्य हैं। वरिष्ठ नागरिक अगर अपने नाम पर टेलीफोन का पंजीकरण कराते हैं, तो उन पर कोई रजिस्ट्रेशन फीस नहीं लगेगी एमटीएनएल लैंडलाइन टेलीफोन लगाने के लिए 65 साल से अधिक उम्रवाले बुजुर्गों के लिए इंस्टॉलेशन चार्जेस और उसके मासिक सेवा शुल्क पर 25% की छूट है। सीनियर सिटीजन कार्ड एक ऐसा कार्ड हैं जो 62 साल के बुजुर्गों के लिए बनाया गया हैं। इस कार्ड के माध्यम से बुजुर्गो को कई सारी सुविधाएं मिलती हैं । सरकार के इस योजना को शुरुआत करने का एकमात्र कारण यह था की वह बुजुर्गों के जिंदगी में कुछ सुधार ला सके । सीनियर सिटीजन कार्ड बुजुर्गो की दैनिक जरूरतों की पूर्ति करता हैं । 1. बैंकिंग को सरल बनाया 2. कम पैसे में हवाई टिकिट 3. पासपोर्ट आवेदन सरकार द्वारा बुजुर्गों के लिए विभिन्न नीतियों और योजनाओं के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उनमें से कुछ पर नीचे चर्चा की गई है: विशेष योजनाएँ सरकार ने बुजुर्गों के स्वास्थ्य और सहूलियत को ध्यान में रखकर कुछ सीनियर सिटीजन वेलफेयर स्कीम लागू की हैं, जो इस प्रकार से हैं-
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था। भारत सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित मानदंडों के अनुसार 60 वर्ष और उससे अधिक (2011 से पहले यह 65 वर्ष और उससे अधिक) और गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी से संबंधित सभी व्यक्ति इस योजना के लाभार्थी होने के पात्र हैं। वृद्ध व्यक्तियों के लिए एकीकृत कार्यक्रम की केंद्रीय क्षेत्र योजना इस योजना का उद्देश्य भोजन, आश्रय, चिकित्सा देखभाल और मनोरंजन जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है । इस योजना के तहत वृद्धाश्रमों, डे-केयर सेंटरों और चल चिकित्सा इकाइयों के संचालन और रखरखाव के लिए गैर-सरकारी संगठनों को परियोजना लागत का 90 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। वृद्ध व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय नीति इस नीति के प्राथमिक उद्देश्य हैं:
वृद्ध व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय परिषद इस परिषद के मूल उद्देश्य हैं:
वरिष्ठ नागरिकों के लिए राष्ट्रीय नीति इस नीति का केंद्र बिंदु :
वरिष्ठ नागरिकों के लिए पहचान पत्र का प्रावधान इस योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष और महिला) को जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी द्वारा जारी पहचान पत्र मिलेगा। इन कार्डों की सहायता से वे अस्पतालों, बस स्टैंडों आदि में पानी और बिजली के बिलों के भुगतान के लिए अलग-अलग कतारें लगा सकते हैं। हमारे समाज में संवादहीनता को खत्म करने की पहल होनी चाहिए। सामंजस्य स्थापित करने की समझ सभी के अंदर विकसित होनी चाहिए, ताकि भारतीय समाज की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण संस्था परिवार पूरे दमखम के साथ चिर नवीन बनी रहे, इसमें न कभी कोई घुन लगे, न कोई दीमक। और भारत अपनी भारतीयता के साथ अपने संस्कारों के साथ अपने कल और आज के साथ नित नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सके। वास्तव में विकसित देश होने का प्रमाण इस बात में निहित है कि वह न केवल अपनी युवा आबादी का पालन-पोषण करता है बल्कि अपने वृद्धों की भी समान रूप से देखभाल करता है। “माननीय सर्वोच्च न्यायालय” ने सामाजिक न्याय के पहलू पर ज़ोर देते हुए कहा कि बुजुर्गों सहित सभी नागरिकों को एक गरिमापूर्ण जीवन जीने और स्वास्थ्य से जुड़े अधिकार सुनिश्चित करना राज्य की ज़िम्मेदारी ही नहीं बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि इन अधिकारों की रक्षा हो और इन्हें लागू किया जाए।
अनुच्छेद 41 के तहत राज्य के नीति निर्देशक तत्त्व राज्य के ऊपर यह कर्तव्य अधिरोपित करते हैं कि वह अपनी आर्थिक क्षमता और विकास की सीमाओं के भीतर ऐसे प्रभावी उपायों को अपनाएगा, जिसमें वृद्धावस्था, बीमारी और निर्योग्यता जैसे मामलों का सार्थक समाधान निकाला जा सकेगा।
वर्तमान परिस्थिति में बुजुर्गों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है , जैसे कि शारीरिक, सामाजिक , भावनात्मक एवं आर्थिक सहारा ना मिलना। इस समस्या के समाधान एवं नयी चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 41 का पालन करते हुए “माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007” क़ानून बनाया है। “माता–पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007” इस अधिनियम का उद्देश्य संविधान के अंतर्गत मान्य मातापिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण के लिए अधिक प्रभावकारी प्रावधान सुनिश्चित करना है।
इसके अंतर्गत राज्य सरकार, वृद्धाश्रमों में दी जाने वाली ऐसी विभिन्न सेवाओं का प्रबंध करेगी जो ऐसे आश्रमों के निवासियों को चिकित्सकीय देखरेख और मनोरंजन के साधनों के लिए आवश्यक है।
इसके अंतर्गत राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सरकारी अस्पताल सभी वरिष्ठ नागरिकों को, यथासंभव, बिस्तर प्रदान करेंगे; उनके लिए पृथक पंक्तियों की व्यवस्था की जाएगी ; पुरानी जानलेवा और ह्रासी रोगों के उपचार के लिए सुविधाएँ वरिष्ठ नागरिकों तक विस्तारित की जाएँ।
इस धारा के अंतर्गत जो कोई, जिसके पास वरिष्ठ नागरिक की देखरेख या सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है, ऐसे वरिष्ठ नागरिक को, किसी स्थान में, पूर्णतया परित्याग करने के आशय से छोड़ेगा तो वह तीन मास की अवधि के लिए किसी कारावास तथा 5000/- तक के जुर्माने से दंडनीय होगा। अन्य अधिकार:
“लोक उत्थान संस्थान बनाम राज्य (सामाजिक न्याय) अन्य, 2018”
“विनोद शर्मा बनाम शांति देवी और अन्य[1]”
इस कानून का उद्देश्य बच्चों को सजा देना नहीं अपितु माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को संरक्षण देने का है। इस कानून के अन्तर्गत सोच-समझकर हर प्रक्रिया को अत्यन्त सरल और बिना खर्च के निर्धारित किया गया है जिससे माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को न्याय प्राप्त करने में जरा सा भी कष्ट न हो। इस कानून के अन्तर्गत गठित प्राधिकरण, अपील अधिकारी और यहाँ तक कि उच्च न्यायालय माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के प्रति होने वाले अन्याय की घटनाओं के सामने मूक दर्शक बने नहीं रहें। जब माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का संरक्षण बच्चों के द्वारा नहीं हो पाता तो धर्म की रक्षा के लिए इस कानून में अधिकार प्राप्त अधिकारी ही उनके संरक्षक की तरह कार्य करते हैं। यह कानून एक प्रकार से गीता में श्रीकृष्ण जी के द्वारा की गई उस घोषणा की तरह लगता है जिसमें कहा गया है जब-जब भी धर्म असुरक्षित होता है तो मैं बुराईयों का दमन करने और धर्म की स्थापना के लिए सामने आता हूँ। इसलिए इस कानून को भी उसी प्रकार धर्म की स्थापना का प्रयास समझा जाना चाहिए जो माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के प्रति बच्चों के धर्म को स्थापित करने के लिए भारत की संसद ने बनाया।
[1] SBCWP No. 1936/2022 [2] Majesty Legal, स्थापना 2013, एक कानूनी फर्म है, जो की विधिक राय और कानूनी प्रतिनिधित्व की सेवाएँ उपलब्ध करवाती हैं। उपर्युक्त लेख का उद्देश्य वर्तमान कानूनों के बारे में ज्ञान प्रदान करना है, लेख में प्रस्तुत राय व्यक्तिगत प्रकृति की हैं और कानूनी सलाह के रूप में नहीं मानी जानी चाहिए। वरिष्ठ नागरिक अधिनियम 2007 के क्या प्रावधान हैं?Senior Citizen Rights:2007 में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम (वरिष्ठ नागरिक अधिनियम) को लागू हुए 15 साल बीत चुके हैं, जो इस तरह के अधिकार प्रदान करता है. Senior Citizen Rights: संपत्ति का मालिकाना हक बुजुर्ग माता-पिता और उनके बच्चों के बीच संबंधों के सबसे कठिन पहलुओं में से एक होता है.
धारा 2007 क्या है?माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) भारत सरकार का एक अधिनिय है जो वृद्ध व्यक्तियों एवं माता-पिता के भरण-पोषण एवं देखरेख का एक प्रभावी व्यवस्था करती है। इसका विधेयक सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय द्वारा लाया गया था।
वरिष्ठ नागरिक का क्या अर्थ है?'वरिष्ठ नागरिक' का तात्पर्य भारत का कोई नागरिक जिसकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक हो।
माता पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण कल्याण अधिनियम कब पारित किया गया था?माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 को माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों की आवश्यकता के आधार पर उनका भरणपोषण और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए 29 दिसंबर 2007 को अधिनियमित किया गया था ।
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