भारत में वरिष्ठ नागरिकों के कानूनी अधिकारों - bhaarat mein varishth naagarikon ke kaanoonee adhikaaron

बुढ़ापा एक सामान्य मानवीय प्रक्रिया है जो मानव जीवन चक्र में स्वाभाविक रूप से चलती रहती है। इस प्रकिया में मानव शरीर के अंगों के कामकाज की क्षमता में गिरावट आती है, परंतु, ज्ञान, गहन अंतर्दृष्टि और विविध अनुभवो का भंडार होता है।

प्राचीन भारत के गुरुकुलों व विद्यालयों में “मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः व आचार्य देवो भवः” इन मंत्रों का उद्घोष प्रतिदिन सुना जाता था, परंतु पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव व तीव्र गति के शहरीकरण की वजह से भारतीय समाज की संरचना में परिवर्तन आ रहे हैं एवं हम अपने संस्कार व बुजुर्गों के प्रति सम्मान के भाव को खोते जा रहे है।

वर्तमान समय में हम आए दिन हमारे समाज में हो रहे वृद्धजनों पर अत्याचार से सभी वाक़िफ़ हैं, एवं उनके अधिकारों का हर दिन हनन किया जा रहा है, इसलिए सरकार द्वारा वृद्धजनों को उनके विशेषाधिकारों तथा उनको संरक्षण प्रदान करने कि लिए , पुराने कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ ही विभिन्न नए प्रावधान लायें गए हैं।

भारतीय समाज में हो रहे परिवर्तन के कारण भारत में बुज़ुर्गों को पहले जैसा सम्मान व यथोचित अनेकों विशेषाधिकार जो क़ानून के तहत प्राप्त है,वो लाभ और अधिकार प्राप्त नहीं हो रहे हैं।बहुत से बुज़ुर्ग, मूक दर्शक बनकर अपने बच्चों के हाथों दुर्व्यवहार सहन कर रहे हैं, एवं बुज़ुर्गों का अनादर उपेक्षा, शारीरिक, मौखिक, दुर्व्यवहार एक सामान्य सी घटना हो गयी है।

हमारे देश में वरिष्ठ नागरिक चिकित्सा देखभाल, भरणपोषण एवं पर्याप्त वित्तीय सहायता के साथ साथ अन्य और भी बहुत सी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और उन्हें दुर्व्यवहार, असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है जैसे उनके परिवार द्वारा उन्हें घर से निकालकर अपमानजनक जीवन जीने के लिए असहाय छोड़ दिया जाना  आदि  शामिल  है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है “एक राष्ट्र जो अपने बुजुर्ग और निर्बल नागरिकों की देखभाल नहीं कर सकता, उसे पूर्ण रूप से सभ्य नहीं माना जा सकता है।” लेकिन अक्सर ऐसे मामले देखने में आते हैं जहां बच्चें अपने बुजुर्गों की अनदेखी करते हैं। मां-बाप को संपत्ति से बेदखल कर दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया जाता है या फिर उन्हें वृद्धाश्रम की चार दिवारी में रहने को मजबूर कर दिया जाता है। हमारे देश में बुजुर्गों पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए कानून बनाये गए हैं और वक्त-वक्त पर देश के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने बुजुर्गों की देखभाल को लेकर कई दिशानिर्देश दिए हैं।

सरकार की भूमिका:

देश में सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को यात्रा से लेकर स्वास्थ्य सेवाएँ और इनकम टैक्स तक में छूट दी है, अगर आपके घर में भी कोई बुजुर्ग हैं, तो आप उनके लिए इन योजनाओं व सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।

इनकम टैक्स (Income Tax)

  • 60 साल या उससे अधिक आयुवाले वरिष्ठ नागरिकों को आयकर विभाग विशेष छूट देता है। ऐसे वरिष्ठ नागरिकों की आय अगर तीन लाख रुपए तक है, तो उन्हें 3 लाख रुपए तक आय पर टैक्स देने की ज़रूरत नहीं है।
  • सुपर सीनियर सिटीजन यानी जिन वरिष्ठ नागरिकों की उम्र 80 साल से अधिक है, उन्हें पांच लाख रुपए तक की आय पर कर देने की जरूरत नहीं है।
  • स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम भुगतान में छूट: जैसे जैसे व्यक्ति की उम्र बढती जाती है उसको बीमारियाँ घेरने लगतीं हैं, इसलिए आयकर अधिनियम (Income Tax Act) 1961 की धारा 80डी के तहत वरिष्ठ नागरिकों को हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 30 हजार रुपए तक छूट मिलती है। अगर कोई वरिष्ठ नागरिक किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो वह धारा 80DDB के अंतर्गत 60 हजार रुपए तक डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं इसके अलावा सुपर सीनियर सिटीजन के लिए यह सीमा बढ़ाकर 80 हजार रुपए तक की गई है।

मेडिकल बिल में छूट

  • सरकार ने सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए कैंसर, मोटर न्यूरॉन रोग, एड्स इत्यादि जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज पर होने वाले चिकित्सा खर्चों के लिए छूट सीमा को बढ़ा दिया है। अब सभी वृद्ध जन आयकर अधिनियम की धारा 80DDB के तहत ऊपर लिखी गयी बीमारियों के लिए 1 लाख रुपये तक के इलाज पर इनकम टैक्स में रिबेट ले सकते हैं अर्थात अब इन लोगों को अपनी कुल आय में से ‘और एक लाख रुपये’ की आय पर कर नहीं देना होगा। 

यात्रा में मिलने वाली छूट

  • हवाई यात्रा: वरिष्ठ नागरिक को अधिकतर सरकारी और निजी हवाई कंपनियां टिकट पर 50% की छूट देती हैं।
  • रेल यात्रा: भारतीय रेलवे ने भी वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा के दौरान विशेष सुविधाएं प्रदान की हैं। जिन पुरुष यात्रियों की आयु 60 साल या उससे अधिक है, तो उन्हें सभी क्लास की टिकटों पर 40% की छूट दी गई है। इसी तरह से महिला यात्रियों को, जिनकी आयु 58 साल या उससे अधिक है, उन्हें सभी क्लास की टिकटों पर 50% की छूट दी गई है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकार ने टिकट रिज़र्वेशन काउंटर पर एक अलग टिकट काउंटर बनाए हैं। सरकार ने मुख्य स्टेशनों पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए व्हील चेयर की सुविधा भी प्रदान की है।
  • बस यात्रा: वरिष्ठ नागरिकों को सुविधा प्रदान करने हेतु कुछ राज्यों की सरकारों और वहां के नगर निगम पालिकाओं ने उन्हें बस किराए में रियायत दी है। यहां तक कि उनके लिए बस में कुछ सीटें भी आरक्षित की हैं। 

टेलीफोन बिल पर छूट

बीएसएनएल में 65 साल से अधिक उम्रवाले वरिष्ठ नागरिक प्राथमिकता के आधार पर टेलीफोन के रजिस्‍ट्रेशन के योग्‍य हैं। वरिष्ठ नागरिक अगर अपने नाम पर टेलीफोन का पंजीकरण कराते हैं, तो उन पर कोई रजिस्‍ट्रेशन फीस नहीं लगेगी एमटीएनएल लैंडलाइन टेलीफोन लगाने के लिए 65 साल से अधिक उम्रवाले बुजुर्गों के लिए इंस्टॉलेशन चार्जेस और उसके मासिक सेवा शुल्क पर 25% की छूट है।

सीनियर सिटीजन कार्ड 

एक ऐसा कार्ड हैं जो 62 साल के बुजुर्गों के लिए बनाया गया हैं। इस कार्ड के माध्यम से बुजुर्गो को कई सारी सुविधाएं मिलती हैं । सरकार के इस योजना को शुरुआत करने का एकमात्र कारण यह था की वह बुजुर्गों के जिंदगी में कुछ सुधार ला सके । सीनियर सिटीजन कार्ड बुजुर्गो की दैनिक जरूरतों की पूर्ति करता हैं ।

1. बैंकिंग को सरल बनाया

2. कम पैसे में हवाई टिकिट

3. पासपोर्ट आवेदन

सरकार द्वारा बुजुर्गों के लिए विभिन्न नीतियों और योजनाओं के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उनमें से कुछ पर नीचे चर्चा की गई है: 

विशेष योजनाएँ

सरकार ने बुजुर्गों के स्वास्थ्य और सहूलियत को ध्यान में रखकर कुछ सीनियर सिटीजन वेलफेयर स्‍कीम लागू की हैं, जो इस प्रकार से हैं-

  • नेशनल इंश्योरेंस कंपनी (राष्ट्रीय बीमा कंपनी) ने 60-80 आयुवाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए वरिष्ठ मेडिक्लेम पॉलिसी प्रदान की है. इसके अंतर्गत अस्पताल में भर्ती होने के लिए अधिकतम बीमा राशि एक लाख रुपए और गंभीर बीमारी के लिए अधिकतम बीमा राशि दो लाख रुपए है।
  • एलआईसी ने भी वरिष्ठ नागरिकों के लिए वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना 2017 लागू की है। इस योजना के तहत एलआईसी गारंटी के साथ 10 साल के लिए 8 फीसदी रिटर्न उपलब्ध कराएगी। वरिष्ठ नागरिक इस पेंशन योजना में साढ़े सात लाख रुपए का निवेश कर सकते हैं।
  • केंद्र सरकार ने बुजुर्गों के लिए प्रधानमंत्री व्यय वंदन योजना शुरू की है, बुज़ुर्ग निवेशक इस योजना में 15 लाख रुपए तक निवेश कर सकते हैं। यह पालिसी योजना 10 वर्षो के लिए है इसके अंतर्गत  8 % की दर से इस पर साल का ब्याज मिलेगा। इसके अलावा इस योजना को जीएसटी से छूट प्रदान की गई है।
  • सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम पर अधिक ब्याजवरिष्‍ठ नागरिक बचत योजना में निवेश करने पर आपको सालाना 7.35 फीसद ब्याज का फायदा मिलता है। इस योजना में 1,000 रुपये के गुणक में अधिकतम 15 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है। डाकघर की इस स्कीम में निवेश आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 C के लाभ के लिए योग्य है।
  • वृद्धावस्था पेंशन (Old Age Pension): देश और प्रदेश की सरकारें वृद्ध लोगों को बुढ़ापे में भी स्वाभिमान से जीने के लिए वृद्धावस्था पेंशन देतीं हैं।

 इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना

इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था। भारत सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित मानदंडों के अनुसार 60 वर्ष और उससे अधिक (2011 से पहले यह 65 वर्ष और उससे अधिक) और गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी से संबंधित सभी व्यक्ति इस योजना के लाभार्थी होने के पात्र हैं।

 वृद्ध व्यक्तियों के लिए एकीकृत कार्यक्रम की केंद्रीय क्षेत्र योजना

इस योजना का उद्देश्य भोजन, आश्रय, चिकित्सा देखभाल और मनोरंजन जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है । इस योजना के तहत वृद्धाश्रमों, डे-केयर सेंटरों और चल चिकित्सा इकाइयों के संचालन और रखरखाव के लिए गैर-सरकारी संगठनों को परियोजना लागत का 90 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

 वृद्ध व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय नीति

इस नीति के प्राथमिक उद्देश्य हैं:

  • बुजुर्गों की भलाई सुनिश्चित करना ताकि वे किसी भी मामले में असुरक्षित या उपेक्षित न हों।
  • व्यक्तियों को अपने और अपने पति या पत्नी के बुढ़ापे के लिए पर्याप्त प्रावधान करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • वित्तीय सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आश्रय और कल्याण जैसे विभिन्न आधारों पर सुरक्षा प्रदान करना, जिसमें दुर्व्यवहार एवं शोषण से सुरक्षा शामिल है ।
  • विकास के लाभों में बुजुर्गों के लिए समान हिस्सेदारी सुनिश्चित करके कमजोर बुजुर्गों को देखभाल और सुरक्षा प्रदान करना।
  • बुजुर्गों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाना।
  • बुजुर्गों के लिए देखभाल करने वालों और सेवाओं के आयोजकों को प्रशिक्षित करने के लिए अनुसंधान और प्रशिक्षण सुविधाओं को बढ़ावा देना।
  • बुजुर्ग व्यक्तियों के बारे में जागरूकता पैदा करना ताकि उन्हें स्वतंत्र जीवन जीने में मदद मिल सके।

वृद्ध व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय परिषद

इस परिषद के मूल उद्देश्य हैं:

  • वृद्ध व्यक्तियों के लिए नीतियों और योजनाओं पर सरकार को सलाह देना।
  • सरकार को बुजुर्ग व्यक्तियों की सामूहिक राय का प्रतिनिधित्व करना।
  • वृद्धावस्था को उत्पादक और रोचक बनाने के उपाय सुझाएं।
  • पीढ़ी दर पीढ़ी संबंधों की गुणवत्ता बढ़ाने के उपायों का सुझाव देना।
  • वृद्ध व्यक्तियों की शिकायतों के निवारण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक नोडल बिंदु प्रदान करना, जो एक व्यक्तिगत प्रकृति के हैं, सरकार के साथ-साथ कॉर्पोरेट क्षेत्र के साथ-साथ वृद्ध व्यक्तियों के लिए रियायतों, छूट प्रदान करते है ।
  • वृद्धजनों की शिकायतों के निवारण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक नोडल बिंदु के रूप में कार्य करना।
  • बुजुर्ग लोगों के सर्वोत्तम हित में कोई अन्य कार्य या गतिविधि करना।

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वरिष्ठ नागरिकों के लिए राष्ट्रीय नीति

इस नीति का केंद्र बिंदु :

  • वृद्धावस्था में गरिमा को बनाए रखने के लिए ‘एजिंग इन प्लेस’ या अपने घर की अवधारणा, आवासीय, आय सुरक्षा और होमकेयर सेवाओं, वृद्धावस्था पेंशन एवं स्वास्थ्य बीमा योजनाओं और सुविधाओं के लिए सेवाओं को बढ़ाना । नीति का जोर उपचार के बजाय निवारक होगा।
  • मुख्यधारा के वरिष्ठ नागरिक, विशेष रूप से वृद्ध महिलाएं, और सरकारों द्वारा पहले से निर्धारित और नागरिक समाज और वरिष्ठ नागरिक संघों द्वारा समर्थित तंत्र को लागू करने के लिए प्राथमिकता के साथ राष्ट्रीय विकास बहस में अपनी चिंताओं को लाते हैं।विशेष रूप से महिलाओं के बीच वरिष्ठ नागरिकों के संघ की स्थापना और प्रोत्साहन का समर्थन करना।
  • नीति संस्थागत देखभाल को अंतिम उपाय मानेगी। यह अंतिम उपाय के रूप में वरिष्ठ नागरिकों की संस्थागत देखभाल को मान्यता देता है। यह मानता है कि वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल उस परिवार में निहित रहनी चाहिए जो समुदाय, सरकार और निजी क्षेत्र को भागीदार बनाए।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए पहचान पत्र का प्रावधान

इस योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष और महिला) को जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी द्वारा जारी पहचान पत्र मिलेगा। इन कार्डों की सहायता से वे अस्पतालों, बस स्टैंडों आदि में पानी और बिजली के बिलों के भुगतान के लिए अलग-अलग कतारें लगा सकते हैं।

हमारे समाज में संवादहीनता को खत्म करने की पहल होनी चाहिए। सामंजस्य स्थापित करने की समझ सभी के अंदर विकसित होनी चाहिए, ताकि भारतीय समाज की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण संस्था परिवार पूरे दमखम के साथ चिर नवीन बनी रहे, इसमें न कभी कोई घुन लगे, न कोई दीमक। और भारत अपनी भारतीयता के साथ अपने संस्कारों के साथ अपने कल और आज के साथ नित नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सके। वास्तव में विकसित देश होने का प्रमाण इस बात में निहित है कि वह न केवल अपनी युवा आबादी का पालन-पोषण करता है बल्कि अपने वृद्धों की भी समान रूप से देखभाल करता है।

“माननीय सर्वोच्च न्यायालय” ने सामाजिक न्याय के पहलू पर ज़ोर देते हुए कहा कि बुजुर्गों सहित सभी नागरिकों को एक गरिमापूर्ण जीवन जीने और स्वास्थ्य से जुड़े अधिकार सुनिश्चित करना राज्य की ज़िम्मेदारी ही नहीं बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि इन अधिकारों की रक्षा हो और इन्हें लागू किया जाए।

  • संवैधानिक अधिकार (राज्य के नीति निर्देशक तत्त्व)

अनुच्छेद 41 के तहत राज्य के नीति निर्देशक तत्त्व राज्य के ऊपर यह कर्तव्य अधिरोपित करते हैं कि वह अपनी आर्थिक क्षमता और विकास की सीमाओं के भीतर ऐसे प्रभावी उपायों को अपनाएगा, जिसमें वृद्धावस्था, बीमारी और निर्योग्यता जैसे मामलों का सार्थक समाधान निकाला जा सकेगा।

  • दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 (1) के अंतर्गत प्रावधान है कि अगर माता-पिता स्वयं अपनी देखभाल करने में सक्षम नहीं हैं, तो उनके पुत्र – पुत्री  उनकी देखभाल करेंगे।
  • हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरणपोषण अधिनियम भी पुत्र -पुत्री  पर अपने माता-पिता के भरण-पोषण का दायित्व अधिरोपित करता है।

वर्तमान परिस्थिति में बुजुर्गों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है , जैसे कि शारीरिक, सामाजिक , भावनात्मक एवं आर्थिक सहारा ना मिलना। इस समस्या के समाधान एवं नयी चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 41 का पालन करते हुए “माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007” क़ानून बनाया है।

मातापिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007” इस अधिनियम का उद्देश्य संविधान के अंतर्गत मान्य मातापिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण के लिए अधिक प्रभावकारी प्रावधान सुनिश्चित करना है।

  • इस अधिनियम की धारा 2() के अंतर्गत वरिष्ठ नागरिक को भारत के किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जिसकी आयु 60 वर्ष या अधिक की हो।
  • धारा 4 के अधीन माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों को भरण पोषण का अधिकार प्राप्त है। इसके अंतर्गत कोई वरिष्ठ नागरिक जो स्वयं के अर्जन से या उसके स्वामित्वाधीन सम्पत्ति में से स्वयं का भरणपोषण करने में असमर्थ है तो वह अपने एक या अधिक बालकों के विरुद्ध (जो वयस्क नहीं है) या निः संतानता की दशा में अपने ऐसे नातेदार के विरुद्ध जो उनकी मृत्यु के पश्चात् उनका विधिक वारिस होगा, धारा 5 के अधीन आवेदन करने का हकदार होगा ।।
  • धारा 23 के अंतर्गत कतिपय परिस्थितियों में सम्पत्ति के अंतरण का शून्य होना  जब कोई वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों के नाम कोई सम्पत्ति हस्तांतरित कर देता है और बाद में यदि उसे जीवन की मूल सुविधाएँ आदि प्राप्त नहीं होती तो उसके द्वारा किया गया तो सम्पत्ति का उक्त अंतरण कपट या प्रपीड़न या अनावश्यक प्रभाव के अधीन अवैध घोषित किया जा सकता है।
  • धारा 5 के अधीन किसी भी वरिष्ठ नागरिक द्वारा भरणपोषण के लिए अधिकरण में एक या अधिक व्यक्तियों के विरुद्ध आवेदन किया जा सकेगा।अधिकरण इस धारा के अधीन वरिष्ठ नागरिकों को अंतरिम भरणपोषण के लिए मासिक भत्ता देने के लिए निदेश देगा।
  • धारा 7 में राज्य सरकारों को भरण-पोषण के मामलों के अधिकार क्षेत्र और निबटान के लिए राज्य स्तर पर भरण-पोषण न्यायाधिकरण गठित करने का अधिकार दिया गया है;
  • धारा 15 में भरण-पोषण न्यायाधिकरण के आदेश के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई के लिए अपील न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
  • धारा 18. भरणपोषण अधिकारी इस धारा के अंतर्गत जिला समाज कल्याण अधिकारी या किसी भी ऐसे अधिकारी को जो जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद से नीचे के पद का न हो, भरणपोषण अिधकारी के रूप में पदाभििहत करेगी इस अधिकारी को इस अधिनियम के अंतर्गत गठित भरण पोषण न्यायाधिकरण या अपील न्यायाधिकरण के सामने वरिष्ठ नागरिक का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार भी होता है।
  • धारा 19- वरिष्ठ नागरिकोंके लिए वृद्धाश्रमों की स्थापनाइस धारा के अधीन रहते हुए राज्य सरकार प्रत्येक ज़िले में, चरणबद्ध रीति में, क्षमतानुरूप उतने वृद्धाश्रम स्थापित करेगी, जितने वह आवश्यक समझे और उनका अनुरक्षण करेगी । इसके अलावा यह राज्य सरकार को इस अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु नियम बनाने की शक्तियां भी प्रदान करता है। राज्य सरकार ऐसे प्रत्येक वृद्ध निवास में कम से कम 150 निर्धन वरिष्ठ नागरिकों के निवास का प्रबंध करेगी। राज्य सरकार वृद्ध निवासों की सुचारु व्यवस्था के लिए नीति बनाएगी जिसमें सुविधाओं का ( मापदंड सहित) विशेष प्रावधान हों ।

इसके अंतर्गत राज्य सरकार, वृद्धाश्रमों में दी जाने वाली ऐसी विभिन्न सेवाओं का प्रबंध करेगी जो ऐसे आश्रमों के निवासियों को चिकित्सकीय देखरेख और मनोरंजन के साधनों के लिए आवश्यक है।

  • धारा 20 वरिष्ठ नागरिकों के लिए चिकित्सा सहायता

इसके अंतर्गत राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सरकारी अस्पताल सभी वरिष्ठ नागरिकों को, यथासंभव, बिस्तर प्रदान करेंगे; उनके लिए पृथक पंक्तियों की व्यवस्था की जाएगी ; पुरानी जानलेवा और ह्रासी रोगों के उपचार के लिए सुविधाएँ वरिष्ठ नागरिकों तक विस्तारित की जाएँ।

  • धारा 24 वरिष्ठ नागरिकों को आरक्षित छोड़ना और उनका परित्याग

इस धारा के अंतर्गत जो कोई, जिसके पास वरिष्ठ नागरिक की देखरेख या सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है, ऐसे वरिष्ठ नागरिक को, किसी स्थान में, पूर्णतया परित्याग करने के आशय से छोड़ेगा तो वह तीन मास की अवधि के लिए किसी कारावास तथा 5000/- तक के जुर्माने से दंडनीय होगा।

 अन्य अधिकार:

  • भरणपोषण का दावा अधिनियम के तहत गठित विशेष अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जिसका अध्यक्ष उप-खंड अधिकारी (SDO) होता है।
  • भरणपोषण के दावे की कार्यवाही का प्रारम्भ किसी भी संतान या सम्बन्धी के विरुद्ध उस ज़िले में होगी जाह माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक वर्तमान में निवास करते है, या पहले निवास किया है या जाह संतान या सम्बन्धी निवास कर रहे है।
  • अधिकरण द्वारा पारित भरणपोषण आदेश का प्रभाव धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के समान होगा यानी एक महीने का कारावास एवं वसूली के वारंट भी जारी किए जा सकते है।
  • अधिनियम 2007 के अनुसार भरणपोषण का दावा वरिष्ठ नागरिक के द्वारा स्वयं दायर किया जा सकता है। यदि वरिष्ठ नागरिक दायर करने में असमर्थ है तो वह किसी व्यक्ति या संस्था (जो सोसाईटीज़ ऐक्ट 1860 के अंतर्गत पंजीकृत हो ) को दावा करने के लिए अधिकृत कर सकते हैं अथवा भरणपोषण अधिकरण स्वयं संज्ञान ले सकता है।
  • वरिष्ठ नागरिक उपरोक्त दोनो अधिनियमों में से किसी एक में भरणपोषण का दावा कर सकते हैं।
  • राज्य सरकार भरणपोषण मासिक भत्ते की अधिकतम सीमा निर्धारित कर सकती है। किसी भी परिस्थिति में भरणपोषण भत्ता प्रतिमाह 10,000/- रुपये से अधिक नहीं हो सकता।
  • यदि वरिष्ठ नागरिक अधिकरण के आदेश से असंतुष्ट है तो वे 60 दिन के भीतर अपीलीय अधिकरण के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं।
  • इस अधिनियम की धारा 16(5) के अनुसार अपीलीय अधिकरण को अपील प्राप्त होने के 1 माह के भीतर अपील का निबटान करने का प्रयास करना होगा।
  • यदि किसी प्रकार की कानूनी सहायता की आवश्यकता हो तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से नि: शुल्क विधिक सहायता उपलब्ध करायी जाएगी।
  • न्यायालयों में लंबित मुकदमों में वृद्धजनों के मुकदमों को वरीयता के आधार पर सुना जाता है।

 लोक उत्थान संस्थान बनाम राज्य (सामाजिक न्याय) अन्य, 2018”

  • माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने तत्काल रिट याचिका का निपटारा करते हुए राजस्थान राज्य को निर्देश दिए की एक वर्ष की अवधि के भीतर 2007 के अधिनियम के अनुसार माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए भरणपोषण प्रदान करने के लिए 2007 के अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया जाए और 2007 के अधिनियम के अनुसार वरिष्ठ नागरिकों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करें। राजस्थान राज्य के सभी जिला स्तरीय सेवा प्राधिकरणों को प्रत्येक तीन महीने के बाद संबंधित जिला कलेक्टरों से रिपोर्ट प्राप्त करने और इस आदेश के अनुपालन की प्रगति रिपोर्ट राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है।

विनोद शर्मा बनाम शांति देवी और अन्य[1]

  • माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा कि 2007 का अधिनियम वृद्ध लोगों की भलाई और कल्याण के लिए बनाया गया था जिसके अंतर्गत वृद्धाश्रमों की स्थापना की गयी और राज्य सरकार के साथ-साथ जिलाधिकारियों और उनके अधीनस्थ अधिकारियों को बुजुर्गों के जीवन और आजीविका की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से जवाबदेह बनाने का प्रयास किया गया।
  • यह जिला मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि जिले के वरिष्ठ लोगों के जीवन और संपत्ति की रक्षा की जाए और उन्हें सुरक्षा और सहायता प्रदान की जाए।

इस कानून का उद्देश्य बच्चों को सजा देना नहीं अपितु माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को संरक्षण देने का है। इस कानून के अन्तर्गत सोच-समझकर हर प्रक्रिया को अत्यन्त सरल और बिना खर्च के निर्धारित किया गया है जिससे माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को न्याय प्राप्त करने में जरा सा भी कष्ट न हो। इस कानून के अन्तर्गत गठित प्राधिकरण, अपील अधिकारी और यहाँ तक कि उच्च न्यायालय माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के प्रति होने वाले अन्याय की घटनाओं के सामने मूक दर्शक बने नहीं रहें। जब माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का संरक्षण बच्चों के द्वारा नहीं हो पाता तो धर्म की रक्षा के लिए इस कानून में अधिकार प्राप्त अधिकारी ही उनके संरक्षक की तरह कार्य करते हैं।

यह कानून एक प्रकार से गीता में श्रीकृष्ण जी के द्वारा की गई उस घोषणा की तरह लगता है जिसमें कहा गया है जब-जब भी धर्म असुरक्षित होता है तो मैं बुराईयों का दमन करने और धर्म की स्थापना के लिए सामने आता हूँ। इसलिए इस कानून को भी उसी प्रकार धर्म की स्थापना का प्रयास समझा जाना चाहिए जो माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के प्रति बच्चों के धर्म को स्थापित करने के लिए भारत की संसद ने बनाया।

  • Team Majesty Legal[2]

[1] SBCWP No. 1936/2022

[2] Majesty Legal, स्थापना 2013, एक कानूनी फर्म है, जो की विधिक राय और कानूनी प्रतिनिधित्व की सेवाएँ उपलब्ध करवाती हैं। उपर्युक्त लेख का उद्देश्य वर्तमान कानूनों के बारे में ज्ञान प्रदान करना है, लेख में प्रस्तुत राय व्यक्तिगत प्रकृति की हैं और कानूनी सलाह के रूप में नहीं मानी जानी चाहिए।

वरिष्ठ नागरिक अधिनियम 2007 के क्या प्रावधान हैं?

Senior Citizen Rights:2007 में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम (वरिष्ठ नागरिक अधिनियम) को लागू हुए 15 साल बीत चुके हैं, जो इस तरह के अधिकार प्रदान करता है. Senior Citizen Rights: संपत्ति का मालिकाना हक बुजुर्ग माता-पिता और उनके बच्चों के बीच संबंधों के सबसे कठिन पहलुओं में से एक होता है.

धारा 2007 क्या है?

माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) भारत सरकार का एक अधिनिय है जो वृद्ध व्यक्तियों एवं माता-पिता के भरण-पोषण एवं देखरेख का एक प्रभावी व्यवस्था करती है। इसका विधेयक सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय द्वारा लाया गया था।

वरिष्ठ नागरिक का क्या अर्थ है?

'वरिष्‍ठ नागरिक' का तात्‍पर्य भारत का कोई नागरिक जिसकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक हो।

माता पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण कल्याण अधिनियम कब पारित किया गया था?

माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 को माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों की आवश्यकता के आधार पर उनका भरणपोषण और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए 29 दिसंबर 2007 को अधिनियमित किया गया था