नवरात्रि क्यों मनाया जाता है - navaraatri kyon manaaya jaata hai

जब भी बात नवरात्र की आती है तो हमारा दिमाग पाठ-पूजा, देवी मां की अर्चना-आरती तक ही सीमित रह जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्र का त्योहार क्यों मनाया जाता है? इसकी मान्यता क्या है?

सदियों से हम नवरात्र का त्योहार मनाते आ रहे हैं, व्रत रखते आ रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से इस त्योहार को मनाया जाता है। कहीं कुछ लोग पूरी रात गरबा और आरती कर नवरात्र के व्रत रखते हैं तो वहीं कुछ लोग व्रत और उपवास रख मां दुर्गा और उसके नौ रूपों की पूजा करते हैं, लेकिन इस नवरात्र के पीछे असल कहानी क्या है?

इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है। महिषासुर नाम का एक बड़ा ही शक्तिशाली राक्षस था। वो अमर होना चाहता था और उसी इच्छा के चलते उसने ब्रह्मा की कठोर तपस्या की। ब्रह्माजी उसकी तपस्या से खुश हुए और उसे दर्शन देकर कहा कि उसे जो भी वर चाहिए वो मांग सकता है। महिषासुर ने अपने लिए अमर होने का वरदान मांगा।

महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्मा जी बोले, 'जो इस संसार में पैदा हुआ है उसकी मौत निश्चित है। इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर जो चाहो मांग लोग।' ऐसा सुनकर महिषासुर ने कहा,' ठीक है प्रभु, फिर मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मेरी मृत्यु ना तो किसी देवता या असुर के हाथों हो और ना ही किसी मानव के हाथों। अगर हो तो किसी स्त्री के हाथों हो।'

महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्माजी ने तथास्तु कहा और चले गए। इसके बाद तो महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। देवता घबरा गए। हालांकि उन्होंने एकजुट होकर महिषासुर का सामना किया जिसमें भगवान शिव और विष्णु ने भी उनका साथ दिया, लेकिन महिषासुर के हाथों सभी को पराजय का सामना करना पड़ा और देवलोक पर महिषासुर का राज हो गया।

महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की। उन सभी के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने एक बेहद खूबसूरत अप्सरा के रूप में देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया। देवी दुर्गा को देख महिषासुर उन पर मोहित हो गया और उनसे शादी करने का प्रस्ताव सामने रखा। बार बार वो यही कोशिश करता।

देवी दुर्गा मान गईं लेकिन एक शर्त पर..उन्होंने कहा कि महिषासुर को उनसे लड़ाई में जीतना होगा। महिषासुर मान गया और फिर लड़ाई शुरू हो गई जो 9 दिनों तक चली। दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया...और तभी से ये नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा चैत्र नवरात्रि में भी की जाती है और शारदीय नवरात्रि में भी, फिर भी आखिर ऐसा क्या है, जो दोनों को एक दूसरे से अलग बनाता है. 2 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहे हैं, इस मौके पर यहां जानिए चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के बीच अंतर के बारे में.

नवरात्रि क्यों मनाया जाता है - navaraatri kyon manaaya jaata hai

नवरात्रि 2022

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गृहस्थ लोगों के लिए साल में दो बार नवरात्रि (Navratri) का पर्व आता है. पहला चैत्र के महीने में, इस नवरात्रि के साथ हिंदू नव वर्ष (Hindu New Year) की भी शुरुआत होती है. इसे चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) कहा जाता है. दूसरी नवरात्रि आश्विन माह में आती ​है, जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. पौष और आषाढ़ के महीने में भी नवरात्रि का पर्व आता है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है, लेकिन उस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है, गृहस्थ और पारिवारिक लोगों के लिए ​सिर्फ चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही उत्तम माना गया है. दोनों में ही मातारानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल को शनिवार के दिन शुरू हो रही है. इस मौके पर यहां जानिए आखिर चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि से ​कैसे अलग है.

चैत्र नवरात्रि मनाने का कारण

कहा जाता है कि जब धरती पर म​हिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया और देवता भी उसे हरा पाने में असमर्थ हो गए, क्योंकि महिषासुर का वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता. ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया. इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया. ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला, तब से इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाया जाने लगा.

शारदीय नवरात्रि मनाने का कारण

देवी दुर्गा ने आश्विन के महीने में महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया. इसलिए इन नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया गया. चूंकि आश्विन मास में शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है.

इन मामलों में भी अलग है चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि

चैत्र नवरात्रि के दौरान कठिन साधना और कठिन व्रत का महत्व है, जबकि शारदीय नवरात्रि के दौरान सात्विक साधना, नृत्य, उत्सव आदि का आयोजन किया जाता है. ये दिन शक्ति स्वरूप माता की आराधना के दिन माने गए हैं. चैत्र नवरात्रि का महत्व महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में अधिक है, जबकि शारदीय नवरात्रि का महत्व गुजरात और पश्चिम बंगाल में ज्यादा है. शारदीय नवरात्रि के दौरान बंगाल में शक्ति की आराधना स्वरूप दुर्गा पूजा पर्व मनाया जाता है. वहीं गुजरात में गरबा आदि का आयोजन किया जाता है.

चैत्र नवरात्रि के अंत में राम नवमी आती है. मान्यता है कि प्रभु श्रीराम का जन्म राम नवमी के दिन ही हुआ था. जबकि शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन महानवमी के रूप में मनाया जाता है. इसके अगले दिन विजय दशमी पर्व होता है. विजय दशमी के दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का मर्दन किया था और प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था. इसलिए शारदीय नवरात्रि विशुद्ध रूप से शक्ति की आराधना के दिन माने गए हैं.

मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि की साधना आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाती है और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति करने वाली है. वहीं शारदीय नवरात्रि सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने वाली मानी जाती है.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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9 दिनों तक क्यों मनाई जाती है नवरात्रि?

शारदीय नवरात्रि मनाने का कारण देवी दुर्गा ने आश्विन के महीने में महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया. इसलिए इन नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया गया. चूंकि आश्विन मास में शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है.

नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई?

श्रीराम की भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने उनको लंका में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया था. जिसके बाद भगवान राम ने लंका नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर दिया और लंका पर विजय प्राप्त की. तब से इन नौ दिनों को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है.

नवरात्रि का इतिहास क्या है?

माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है। एक दूसरी कथा के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले और रावण के संग युद्ध में जीत के लिए शक्ति की देवी माँ भगवती की आराधना की थी।

नवरात्री क्यों मनाई जाती है?

देवी दुर्गा मान गईं लेकिन एक शर्त पर.. उन्होंने कहा कि महिषासुर को उनसे लड़ाई में जीतना होगा। महिषासुर मान गया और फिर लड़ाई शुरू हो गई जो 9 दिनों तक चली। दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया...और तभी से ये नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।