भारत में तीसरी शिक्षा नीति कब लागू हुई? - bhaarat mein teesaree shiksha neeti kab laagoo huee?

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नई शिक्षा नीति का एक बड़ा उद्देश्य 2030 तक प्री स्कूल से लेकर सेकंडरी स्तर में सौ फीसदी सकल नामांकन अनुपात हासिल करना है. नई शिक्षा नीति में प्री स्कूल से लेकर बारहवीं तक के सभी बच्चों को समग्र शिक्षा मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर समेकित प्रयास किए जा रहे हैं.

भारत में तीसरी शिक्षा नीति कब लागू हुई? - bhaarat mein teesaree shiksha neeti kab laagoo huee?

प्रतीकात्मक तस्वीर

Two Years of Education Policy: शुक्रवार 29 जुलाई को भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 2 वर्ष पूरे हो रहे हैं. 29 जुलाई 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई थी. नई शिक्षा नीति का एक बड़ा उद्देश्य 2030 तक प्री स्कूल से लेकर सेकंडरी स्तर में सौ फीसदी सकल नामांकन अनुपात हासिल करना है. नई शिक्षा नीति में प्री स्कूल से लेकर बारहवीं तक के सभी बच्चों को समग्र शिक्षा मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर समेकित प्रयास किए जा रहे हैं. ड्रॉप आउट हुए बच्चों को वापस स्कूल से जोड़ने और पढ़ाई बीच में छोड़ने से रोकने के लिए स्कूलों में पर्याप्त बुनियादी ढांचा और स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के साथ साथ हर स्तर पर पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित शिक्षक उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आने से पहले स्कूलों में 10 प्लस 2 पैटर्न था. अब नई शिक्षा नीति में 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 के पैटर्न को लागू किया जा रहा है. इसके तहत 12वीं तक की स्कूली शिक्षा में प्री स्कूली शिक्षा को भी शामिल किया गया है. इसका अर्थ है कि स्कूली शिक्षा को 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बीच विभाजित किया गया है. इसमें प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा. तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा. छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12वीं तक आखिरी और हिस्सा है.

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के फाउंडेशन स्टेज में 3 से 8 साल के बच्चे शामिल हैं. इस स्टेज में 3 साल की अपनी स्कूली शिक्षा तथा 2 साल प्री स्कूली शिक्षा जिसमें कक्षा 1 तथा दो शामिल है. फाउंडेशन स्टेज में छात्रों को भाषा कौशल और शिक्षण के विकास के बारे में सिखाया जाएगा और इस पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

प्रीप्रेटरी स्टेज के तहत 8 से लेकर 11 साल के बच्चे शामिल हैं. कक्षा 3 से कक्षा पांच के छात्रों को इस स्टेज में भाषा और संख्यात्मक कौशल और क्षेत्रीय भाषाओं का अध्ययन कराया जाएगा. मिडिल स्टेज के अंतर्गत कक्षा 6 से कक्षा 8 के बच्चे शामिल होंगे, मिडिल स्टेज के तहत कक्षा 6 के बच्चों को कोडिंग सिखाया जाएगा साथ ही उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण और इंटर्नशिप भी प्रदान की जाएगी.

सेकेंडरी स्टेज के तहत कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के बच्चे हैं. सेकेंडरी स्टेज के तहत जैसे बच्चे पहले साइंस, कॉमर्स तथा आर्ट्स लेते थे इस सुविधा को खत्म कर दी गई है, सेकेंडरी स्टेज के तहत बच्चे अपने पसंद की सब्जेक्ट ले सकते हैं. नई शिक्षा नीति के तहत छठी कक्षा से व्यवसायिक प्रशिक्षण , इंटर्नशिप को भी आरंभ कर किया गया है. पांचवी कक्षा तक शिक्षा मातृभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा प्रदान की जाएगी. यानी पांचवी कक्षा तक छात्र अपनी भाषा में ही पढ़ाई कर सकते हैं.

पहले केवल साइंस, आर्ट्स तथा कॉमर्स के स्ट्रीम हुआ थे जिनके तहत छात्रों को निश्चित विषयों की पढ़ाई करनी होती थी लेकिन अब छात्रों को अपनी पसंद के विषय चुनने की स्वतंत्रता दी गई है. इसका अर्थ यह है कि यदि कोई छात्र फिजिक्स का चयन करता है तो वह इसके साथ ही अकाउंट या आर्ट्स के भी विषय भी ले सकता है. इसके अलावा छात्रों को छठी कक्षा से ही कंप्यूटर और एप्लीकेशन के बारे में जानकारी दी जाएगी साथ ही उन्हें कोडिंग ही सिखाई जा रही है.

नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के अंतर्गत सभी स्कूलों को डिजिटल करने की दिशा में भी पहल की जा रही है. सभी प्रकार के कंटेंट को क्षेत्रीय भाषा में ट्रांसलेट भी किया जा रहा है. साथ ही छात्रों को वर्चुअल लैब की सुविधा भी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव नई शिक्षा नीति में है.

वहीं यूजीसी चेयरमैन एम जगदीश कुमार का कहना है कि नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में भी बड़े बदलाव किए गए हैं. इन बदलावों के अंतर्गत इसी वर्ष से सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले हेतु कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट लागू किए गए हैं. 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को भी विश्वविद्यालयों में लागू किया जा रहा है. नए क्रेडिट स्कोर सिस्टम को लागू किया जा चुका है.

यूजीसी चेयरमैन का कहना है कि यूजीसी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ गठजोड़ किया है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मदद से सुदूर क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच बनाने के लिए ‘सामान्य सेवा केंद्रों’ (सीएससी) और ‘विशेष प्रयोजन वाहन’ (एसपीवी) केंद्रों का सहयोग लिया जाएगा. ग्राम पंचायतों और देश के कोने-कोने में 5 लाख से अधिक सीएससी व एसपीवी केंद्र कार्यरत हैं. यूजीसी क्षेत्रीय भाषाओं में इस नेटवर्क के माध्यम से साथ संचार प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे पाठ्यक्रम प्रदान करेगा.

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भारत में तीसरी शिक्षा नीति कब लागू हुई? - bhaarat mein teesaree shiksha neeti kab laagoo huee?

केंद्र सरकार ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020’ (National Education Policy- 2020) को मंज़ूरी दी है। नई शिक्षा नीति 34 वर्ष पुरानी ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986’ [National Policy on Education (NPE),1986] को प्रतिस्थापित करेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020, 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है। वर्ष 1968 और 1986 के बाद यह भारत की तीसरी शिक्षा नीति है। NEP-2020 के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा के क्षेत्र पर देश की जीडीपी के 6% हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है।  

  • अध्यक्ष : सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक पूर्व इसरो प्रमुख पद्म विभूषण डॉ. के कस्तूरीरंगन
  • समिति : कस्तूरीरंगन समिति
  • समिति का गठन : जून, 2017 में किया गया तथा मई, 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ कैबिनेट को प्रस्तुत किया गया।
  • मंजूरी : 29 जुलाई, 2020 को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल द्वारा इसे मंजूरी मिली। 

शिक्षा मंत्रालय

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development- MHRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय’ कर दिया गया है। 1985 से पहले यह मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय ही था जिसे 1985 में बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) कर दिया गया था।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्य

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उद्देश्य शिक्षा की पहुँच, समानता, गुणवत्ता, वहनीय शिक्षा और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान देना है।
  • छात्रों को जरूरी कौशलों एवं ज्ञान से लैस करना और विज्ञान, टेक्नोलॉजी, अकादमिक क्षेत्र और इण्डस्ट्री में कुशल लोगों की कमी को दूर करते हुए देश को ज्ञान आधारित सुपर पॉवर के रूप में स्थापित करना है। 
  • शिक्षा नीति में छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करना। 
  • भाषाई बाध्यताओं को दूर करने, दिव्यांग छात्रों के लिये शिक्षा को सुगम बनाने आदि के लिये तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल देना।

स्कूली शिक्षा में सुधार

नई शिक्षा नीति में वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक मॉडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कही गई है।

नया फॉर्मेट चरण आयु कक्षा स्तर
5 फाउण्डेशन स्टेज 3 से 6 वर्ष आँगनबाड़ी
फाउण्डेशन स्टेज 6 से 8 वर्ष नर्सरी (प्री प्राइमरी)
3 प्राथमिक शिक्षा 8 से 11 वर्ष कक्षा 3 से 5
3 मध्यम स्तर 11 से 14 वर्ष कक्षा 6 से 8
4 अंतिम स्तर 14 से 18 वर्ष कक्षा 9 से 12
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शिक्षण प्रणाली में सुधार:

  • उच्चतर शिक्षा संस्थानों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, अनुसंधान एवं सामुदायिक भागीदारी उपलब्ध करवाने के लिए उच्च साधन सम्पन्न एवं बहु विषयक संस्थानों में रूपान्तरित किया जाएगा। 
  • पहले सरकारी स्कूलों में प्री स्कूलिंग नहीं होती थी, बच्चा 6 वर्ष की आयु से पढ़ना प्रारम्भ करता था लेकिन अब 3 वर्ष से ही शिक्षा ECCE (Early Childhood Care and Education) द्वारा प्रारम्भ (ऑगनबाड़ी के माध्यम से)।
  • पहले जहाँ कक्षा 11 से विषय चुन सकते थे अब छात्रों को कक्षा 9 से विषय चुनने की आजादी रहेगी।
  • कक्षा 9 से 12 की पढ़ाई में किसी विषय के प्रति गहरी समझ तथा बच्चों की विश्लेषणात्मक क्षमता को बढ़ाकर जीवन में बड़े लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। 
  • 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव कर अब वर्ष में दो बार (सेमेस्टर प्रणाली द्वारा) ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव फॉर्मेट में परीक्षा आयोजित की जाएँगी ।
  • NEP-2020 के  तहत मिड-डे मील के साथ नाश्ता देने की भी बात कही गई है। सुबह के समय पोषक नाश्ता अधिक मेहनत वाले विषयों की पढ़ाई में लाभकारी हो सकता है।

उच्च शिक्षा (Higher Education)

  • बहु-स्तरीय प्रवेश एवं निकासी (Multiple entry & Exit)-वर्तमान मे तीन या चार वर्ष के डिग्री कोर्स में यदि कोई छात्र किसी कारण वश बीच में पढ़ाई छोड़ देता है, तो उसे डिग्री न मिलने से इस पढाई का कोई महत्त्व नहीं रहता है। लेकिन अब इसमें निम्न परिवर्तन है :
    • एक वर्ष की पढ़ाई पर – सर्टिफिकेट
    • दो वर्ष की पढ़ाई पर – डिप्लोमा
    • तीन या चार वर्ष पर – डिग्री
  • एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट– इसमें विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखा जाएगा तथा अलग-अलग संस्थानों में छात्र के प्रदर्शन के आधार पर प्रमाण-पत्र दिया जायेगा।
  • जो छात्र हायर एजुकेशन में नहीं जाना चाहते उनके लिए ग्रेजुएशन डिग्री 3 साल की है किन्तु शोध अध्ययन करने वालों के लिए ग्रेजुएशन डिग्री अब 4 साल की होगी।
  • पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में एक साल बाद पढ़ाई छोड़ने का विकल्प रहेगा तथा पाँच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया जाएगा।
  • कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT)– उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एग्जाम होगी जिसे राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी कराएगी। संस्था के लिए यह प्रवेश एग्जाम अनिवार्य नहीं है।
  • केन्द्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय और प्राइवेट विश्वविद्यालय के लिए अलग-अलग नियम हैं, अब सबमे एक समान नियम बनाया जाएगा।
  • अंतर्राष्ट्रीयकरण – भारत के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों को अपने परिसर अन्य देशों में स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा साथ ही विश्व के चुनिंदा विश्वविद्यालयों( शीर्ष 100 में से) को भारत में संचालित करने की अनुमति दी जाएगी।
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC ), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और नेशनल काउंसिल फॉर टेक्नीकल एजुकेशन (NCTE)को समाप्त कर रेगुलेटरी बॉडी बनाई जाएगी।

शिक्षकों से सम्बंधित सुधार:

  • नेशनल मेंटरिंग प्लान- इससे शिक्षकों का उन्नयन किया जाएगा। 
  • शिक्षकों को प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए भर्ती किया जाएगा तथा पदोन्नति भी अब योग्यता (शैक्षणिक प्रशासन व समयसमय पर कार्य प्रदर्शन का आकलन) आधारित होगी। 
  • शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् द्वारा वर्ष 2022 तक राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (NPST) तैयार किया जाएगा। 
  • प्रत्येक स्कूल में शिक्षक-छात्रों का अनुपात (PTR)30 : 1 से कम हो तथा सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित बच्चों की अधिकता वाले क्षेत्रों के स्कूलों में यह अनुपात 25 : 1 से कम हो। 
  • प्रत्येक शिक्षक से अपेक्षित होगा कि वह स्वयं व्यावसायिक विकास (पेशे से सम्बन्धित आधुनिक विचार, नवाचार और खुद में सुधार करने) के लिए स्वेच्छा से प्रत्येक वर्ष 50 घण्टों का सतत् व्यावसायिक विकास (CPD) कार्यक्रम में हिस्सा लें। 
  • शिक्षकों को गैर-शिक्षण गतिविधियों (जटिल प्रशासनिक कार्य, Mid Day Meal) से सम्बन्धित कार्यों में शामिल न करने का सुझाव। 
  • ECCE शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए NCERT द्वारा 6 माह (जो आँगनबाड़ी कर्मचारी 10 +2 या अधिक योग्यता) एवं 1 वर्ष (जो कर्मचारी कम शैक्षणिक योग्य) का डिप्लोमा कार्यक्रम कराया जाएगा।
  • राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा NCERT के परामर्श के आधार पर ‘अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ [National Curriculum Framework for Teacher Education (NCFTE), 2021] का विकास किया जाएगा।
  • वर्ष 2030 तक शिक्षण कार्य (अध्यापन) के लिये न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।      
  • संविदा शिक्षक रखने की बजाय नियमित शिक्षक भर्ती करने पर जोर। 

शैक्षणिक भाषा से सम्बंधित सुधार:

  • इस नीति में भारतीय भाषाओं में पढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया गया है। इसमें तीन भाषा फॉर्मूला यानी कि हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषाओं में पढाई करवाई जाएगी।
  • NEP-2020 के तहत कक्षा-5 तक की पढ़ाई मातृभाषा/ स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में करवाई जाएगी। जिससे अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता (मैक्याले पद्धति) समाप्त होगी। 
  • स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परन्तु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव को थोपा नहीं जायेगा।
  • ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे। वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है। 
  • बधिर छात्रों के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएगी तथा भारतीय संकेत भाषा (Indian Sign Language- ISL) को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा।  
  • छठी कक्षा से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके तहत इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी।         
  • 9वीं कक्षा से विद्यार्थी को विदेशी भाषाओं को भी सीखने का विकल्प मिलेगा।     
  • भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिये एक “भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान” तथा “फारसी, पाली और प्राकृत भाषा के लिये राष्ट्रीय संस्थान” स्थापित किया जायेगा।   

भारत उच्च शिक्षा आयोग

  • भारत उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India -HECI) को सम्पूर्ण उच्च शिक्षा के सर्वोच्च निकाय के रूप में गठित किया जायेगा। इसमें मेडिकल और कानूनी शिक्षा को शामिल नहीं किया जाएगा।
  • वर्ष 2040 तक सभी वर्तमान उच्चतर शिक्षा संस्थानों (HEI) का उद्देश्य अपने आपको बहु-विषयक संस्थानों के रूप में स्थापित करना होगा।
  • वर्ष 2030 तक प्रत्येक जिले में या उसके समीप कम से कम एक बड़ा बहु-विषयक उच्चतर शिक्षा संस्थान स्थापित किया जायेगा।
  • HECI के कार्यों के प्रभावी और प्रदर्शितापूर्ण निष्पादन के लिये चार संस्थानों/निकायों का निर्धारण किया गया है-
    • विनियमन हेतु- राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (National Higher Education Regulatory Council- NHERC) 
    • मानक निर्धारण- सामान्य शिक्षा परिषद (General Education Council- GEC)  
    • वित पोषण- उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (Higher Education Grants Council-HEGC) 
    • प्रत्यायन- राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (National Accreditation Council- NAC)

अनुसंधान

  • नई शिक्षा नीति में एमफिल (MPhil)  को समाप्त किया जायेगा।
  • Ph.D के लिए 4 वर्षीय ग्रेजुएशन फिर एम.ए. उसके बाद Mphil) की अनिवार्यता समाप्त कर दी जाएंगी।
  • राष्ट्रीयअनुसंधान फाउंडेशन(NRF) – राष्ट्र में गुणवत्तापूर्ण अनुसन्धान को सही रूप में उत्प्रेरित और विकसित करने के लिए तथा सभी प्रकार के वैज्ञानिक एवं सामाजिक अनुसंधानों पर नियंत्रण रखने के लिए NRF का गठन।    

स्कॉलरशिप पोर्टल व खुला विधालय योजना

  • SC,ST और OBC के सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर स्कॉलरशिप पोर्टल का निर्माण किया जाएगा। स्कॉलरशिप प्रदान कर स्कूल न आने वाले बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा।
  • IIT और IIM की तरह Multidisciplinary Education and Research University (MERUS) की स्थापना की जाएगी।
  • देश के जो युवा किसी संस्था में नियमित रूप से अध्ययन नहीं कर सकते उन्हें NIOS (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग) और राज्यों के ओपन स्कूलों द्वारा चलाए जा रहे ODL (ओपन एण्ड डिस्टेंस लर्निंग) कार्यक्रम से जोड़ कर पढ़ाया जाएगा।
  • NIOS (राष्ट्रीय खुला विद्यालय संस्थान)- कक्षा तीन, पाँच और आठ के लिए ओपन लर्निंग की व्यवस्था की जाएगी। ऐसे स्थान जहाँ विद्यालय तक आने के लिए छात्रों को अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। वहाँ जवाहर नवोदय विद्यालयों के स्तर की तर्ज पर निःशुल्क छात्रावासों का निर्माण किया जाएगा।
  • NEP-2020 में जेंडर इंक्लूजन फण्ड और वंचित इलाकों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र की स्थापना पर जोर।  

परिक्षण तथा मूल्यांकन

  • 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षाएँ जारी रहेंगी, बोर्ड और प्रवेश परीक्षाओं की मौजूदा प्रणाली में सुधार किया जाएगा। छात्र परीक्षा देने के लिए अपने विषयों में से कई विषय चुन सकेंगे।
  • छात्रों को वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी जिससे बोर्ड परीक्षाओं के ‘उच्चतर जोखिम’ पहलू को समाप्त किया जा सके ।
  • विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा सम्पूर्ण देश में एक समान होगी इसे राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा साल में 2 बार करवाया जाएगा।
  • परख – छात्रों के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में ‘परख(PARAKH) नामक एक नए ‘राष्ट्रीय आकलन केंद्र (National Assessment Centre) की स्थापना की जाएगी।          
  • 360° Assesment – छात्र का रिपोर्ट कार्ड 360° Assesment के आधार पर उसके व्यवहार, अन्य पाठ्य सहगामी क्रियाओं तथा मानसिक क्षमताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जायेगा। जिसमे मूल्यांकन स्वयं छात्र, शिक्षक एवं सहपाठियों द्वारा किया जायेगा।         

भारत में तीसरी शिक्षा नीति कब लागू हुई? - bhaarat mein teesaree shiksha neeti kab laagoo huee?

तीसरी शिक्षा नीति कब आई?

वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 National Education Policy 2020 ( NEP 2020) in Hindi तीसरी शिक्षा नीति है।

भारत में अब तक कितनी बार शिक्षा नीति लागू की जा चुकी है?

राय कहते हैं कि गौर करने की बात यह है कि अब तक सिर्फ दो बार शिक्षा नीति लागू हुई है। पहली बार शिक्षा नीति 1968 में लागू हुई थी, जिसमें कहा गया था कि इसका हर पांच साल में रिव्यू होगा। 1986 तक एक बार भी नहीं हुआ। इसी साल दूसरी शिक्षा नीति बनाई गई।

नई शिक्षा नीति कब लागू होगी 2022?

नई शिक्षा नीति कब से लागू होगी ? राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 अभी इतनी जल्दी लागू होने वाली नहीं है सरकार ने खुद राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुझावों को पूरी तरह से लागू करने के लिए 2040 तक का टारगेट रखा है । हालांकि नई शिक्षा नीति के तहत कुछ महत्वपूर्ण सुझाव आने वाले दो-तीन सालों में लागू हो सकते हैं ।

नई शिक्षा नीति में 5 3 3 4 क्या है?

5+3+3+4 System Stage in Hindi फाउंडेशन स्टेज के अंतर्गत पहले तीन वर्ष बच्चों को आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेना होगा। इसके बाद बच्चे अगले 2 वर्ष कक्षा 1 एवं 2 स्कूल पढेंगे। इसमें 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों को कव किया जाएगा। उनके लिए नया पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा और 5 वर्ष में उनका पहला चरण समाप्त हो जाएगा।