भारत में सामान्य बीमा का राष्ट्रीयकरण कब हुआ? - bhaarat mein saamaany beema ka raashtreeyakaran kab hua?

भारतीय साधारण बीमा निगम (General Insurance Corporation of India) भारत के घरेलू पुनर्बीमा बाजार की एकमात्र कम्पनी है। यह पुनर्बीमा व्यवसाय के क्षेत्र में तीन दशक से अधिक समय से सक्रिय है। इसका पंजीकृत कार्यालय और मुख्यालय मुंबई में है।

इतिहास[संपादित करें]

भारत में पूरे साधारण बीमा व्यवसाय को, साधारण बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम 1972(जिब्ना) के अधीन राष्ट्रीयकृत किया गया था। भारत सरकार ने राष्ट्रीयकरण के द्वारा साधारण बीमा व्यवसाय के लिए 55 भारतीय बीमा कम्पनियों के शेयर और 52 बीमाकर्ताओं की अन्डरटेकिंग प्राप्त की।

जैसे ही सा. बी. नि. का गठन हुआ भारत सरकार ने साधारण बीमा कंपनियों के सभी शेयर सा. बी. नि. को स्थानांतरित कर दिए। सभी भारतीय बीमा कंपनियों को एकीकृत करके चार कंपनियाँ गठित की गई जो कि सा. बी. नि. की अनुषंगी कंपनियां थी।

(1) नेशनल इन्शोरेंस कंपनी लिमिटेड

(2) दि न्यू इंण्डिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

(3) दि ओरिएण्टल इन्शोरेंस कंपनी लिमिटेड एवं

(4) युनाइटेड इंडिया इन्शोरेंस कंपनी लिमिटेड।

भारतीय साधारण बीमा निगम (सा. बी. नि.) का गठन जिब्ना के खण्ड 9 (1) के तहत किया गया था। 22 नवम्बर 1972 को कंपनी अधिनियम 1958 के तहत शेयर के आधार पर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में उसकी स्थापना हुई। सा. बी. नि. साधारण बीमा व्यवसाय एवं प्रबंधन करने हेतु की गई थी।

19 अप्रैल 2000 को, जब बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 (आई. आर. डी. ए.) प्रभावी हुआ, इस अधिनियम के द्वारा जिब्ना (संशोधन) अधिनियम और बीमा अधिनियम 1938 लाया गया। जिब्ना के एक संशोधन ने सा. बी. नि. एवं उसकी अन्य सहायक कंपनियों को भारत में सामान्य बीमा करने का एकाधिकार समाप्त कर दिया।

नवम्बर 2000 में सा. बी. नि. को भारतीय पुनर्बीमाकर्ता पुनर्निर्धारित किया गया और एक प्रबंधकीय आदेश द्वारा कंपनियों पर सा. बी. नि. का पर्यवेक्षीय रोल समाप्त हो गया।

भारतीय बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) (संशोधन) अधिनियम 2002 (2002 का 40) जो कि 21 मार्च 2003 को प्रभावी हुआ, के द्वारा सा. बी. नि. का कंपनियों पर से स्वामित्व समाप्त हो गया। उनका स्वामित्व अब भारत सरकार के पास है

भारतीय साधारण बीमा निगम का व्यवसाय[संपादित करें]

स्वदेशी पुनर्बीमा व्यवसाय[संपादित करें]

स्वदेशी पुनर्बीमा बाजार में एकल बीमाकर्ता के रूप में सा. बी. नि. भारतीय बाजार में सीधे कार्यरत सामान्य बीमा कंपनियों को पुनर्बीमा प्रदान करती है। सा. बी. नि. प्रत्येक पालिसीं पर कुछ सीमाओं के तहत 20% साविधिक अर्पण प्राप्त करती है। यह कई स्वदेशी कंपनियों के ट्रीटी कार्यक्रम एवं फैकलटेटिव प्लेसमेंट में प्रमुख भूमिका अदा करती है। स्वदेशी व्यवसाय के लिए सा. बी. नि. की क्षमता का विवरण निम्न तालिका में दिया गया है।

अन्तरराष्ट्रीय पुनर्बीमा व्यवसाय[संपादित करें]

सा. बी. नि. एफ्रो एशियन क्षेत्र में एक प्रभावशाली पुनर्बीमाकर्ता भागीदार के रूप में अपना स्थान बनारहा है और सार्क देशों, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका की कई बीमा कम्पनियों के पुनर्बीमा कार्यक्रमों में अग्रणी रूप से भाग ले रही है। अपने अर्न्तराष्ट्रीय ग्राहकों को सरल उपलब्धता, प्रभावी सेवा और टेलर मेड पुनर्बीमा संरक्षण प्रदान करने के लिए सा. बी. नि. ने लंदन और मास्को में संपर्क/प्रतिनिधि कार्यालय खोले हैं। सा. बी. नि. व्यवसाय के वरीयता क्रम केआधार पर अंतरष्ट्रियि बाजार द्वारा उत्पन्न जोखिमों पर ट्रीटी तथा फैकलटेटिव व्यवसाय हेतु निम्नलिखित क्षमता उपलब्ध करा रही है।

सा. बी. नि. को रेटिंग एजेन्सी ए. एम्. बेस्ट द्वारा ए- (उत्कृश्ट्/एक्सिलेन्ट) श्रेणि में रखा गया है।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • भारतीय साधारण बीमा निगम

बीमा का राष्ट्रीयकरण कब हुआ था?

राष्ट्रीयकरण भारतीय संसद ने १९ जून १९५६ को भारतीय जीवन बीमा विधेयक पारित किया। जिसके तहत ०१ सितम्बर १९५६ को भारतीय जीवन बीमा निगम अस्तित्व में आया। भारतीय जीवन बीमा व्यापार का राष्ट्रीयकरण औद्योगिक नीति संकल्प १९५६ का परिणाम है।

भारत में सामान्य बीमा निगम की स्थापना कब हुई?

भारतीय साधारण बीमा निगम (सा. बी. नि.) का गठन जिब्ना के खण्ड 9 (1) के तहत किया गया था। 22 नवम्बर 1972 को कंपनी अधिनियम 1958 के तहत शेयर के आधार पर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में उसकी स्थापना हुई

भारत की प्रथम बीमा कंपनी कौन सी है?

भारत में जीवन बीमा का शुभारम्भ 1818 में कलकत्ता में 'ओरिएन्टल लाइफ इन्श्योयोरेन्स कम्पनी' की स्थापना के साथ हुआ। 1823, 1829, 1847 में भी अन्य कम्पनियां स्थापित हुई।

विश्व की सबसे बड़ी बीमा कंपनी कौन सी है?

निजी कंपनियों में एफवाईपी के लिहाज से एचडीएफसी लाइफ पहले पायदान पर रही. इसकी बाजार हिस्सेदारी 5.85 फीसदी रही. कंपनी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2016-17 में उसकी एफवाईपी 1,24,451 करोड़ रुपये थी. कंपनी के मुताबिक, "कंपनी अब भी पहले पायदान पर बरकरार है.