भारत में बौद्ध धर्म से पहले कौन सा धर्म था? - bhaarat mein bauddh dharm se pahale kaun sa dharm tha?

भारत में बौद्ध धर्म से पहले कौन सा धर्म था? - bhaarat mein bauddh dharm se pahale kaun sa dharm tha?

हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म दोनों ही प्राचीन धर्म हैं और दोनों ही भारतभूमि से उपजे हैं। हिन्दू धर्म के वैष्णव संप्रदाय में गौतम बुद्ध को दसवाँ अवतार माना गया है, हालाँकि बौद्ध धर्म इस मत को स्वीकार नहीं करता।

बौद्धधर्म भारतीय विचारधारा के सर्वाधिक विकसित रूपों में से एक है और हिन्दुमत (सनातन धर्म) से साम्य रखता है। हिन्दुमत के दस लक्षणों यथा दया, क्षमा अपरिग्रह आदि बौद्धमत से मिलते-जुलते हैं। यदि हिन्दुमत में मूर्ति पूजा का प्रचलन है तो बौद्ध मन्दिर भी मूर्तियों से भरे पड़े हैं। प्रसिद्ध अंग्रेज यात्री डाॅ. डी.एल. स्नेलगोव ने अपनी पुस्तक ‘द बुद्धिस्ट हिमालय’ में लिखा है, ‘‘मैं सतलुज घाटी लाँघकर भारत आया था’’, उन दिनों कश्मीर से सतलुज तक का मार्ग एक ही था। यही वह समय था जब कश्मीर भारतीय तंत्र का केंद्र रहा है, अतः बौद्ध मतावलम्बियों द्वारा भारतीय तंत्र को अपनाया जाना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं।

ओल्डेनबर्ग का मानना है कि बुद्ध से ठीक पहले दार्शनिक चिन्तन निरंकुश सा हो गया था। सिद्धांतों पर होने वाला वाद-विवाद अराजकता की ओर लिए जा रहा था। बुद्ध के उपदेशों में ठोस तथ्यों की ओर लौटने का निररंतर प्रयास रहा है। उन्होंने वेदों, जानवर बलि और इश्वर को नकार दिया। भुरिदत जातक कथा में ईश्वर, वेदों और जानवर बलि की आलोचना मिलती है।

समानताएँ[संपादित करें]

  1. दोनों ही धर्म भारतीय हैं।
  2. दोनों ही अतिप्राचीन धर्म हैं।
  3. दोनों धर्मों के ९०% से अधिक अनुयायी एशिया में रहते हैं।
  4. समान मूलभूत शब्दावली - कर्म, धर्म, बुद्ध[1], अवतार आदि
  5. समान प्रतीकवाद - मुद्रा, तिलक, शिखा, रुद्राक्ष, धर्मचक्र तथा स्वस्तिक आदि
  6. समान कर्मकाण्ड - मंत्र, योग, ध्यान
  7. समान ब्रह्माण्डविद्या - हिन्दू और बौद्ध दोनों धर्मों में नरक और स्वर्ग की संकल्पना है। मेरु (या सुमेरु) और जम्बूद्वीप तथा देव, असुर, नाग, प्रेत, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर, ब्रह्मा आदि दोनों ही धर्मों के साहित्य में समान रूप से प्रयुक्त हुए हैं। दोनों में समय का मापक 'कल्प' है।

असमानताएँ[संपादित करें]

ईश्वर

गौतम बुद्ध ने ब्रह्म को कभी इश्वर नहीं माना। [2]

ब्रह्मा की आलोचना खुद्दुका निकाय के भुरिदत जातक कथा में कुछ इस तरह मिलती है:

"यदि वह ब्रह्मा सब लोगों का "ईश्वर" है और सब प्राणियों का स्वामी हैं, तो उसने लोक में यह माया, झूठ, दोष और मद क्यों पैदा किये हैं? यदि वह ब्रह्मा सब लोगों का "ईश्वर" है और सब प्राणियों का स्वामी है, तो हे अरिट्ठ! वह स्वयं अधार्मिक है, क्योंकि उसने 'धर्म' के रहते अधर्म उत्पन्न किया।" [3]

और महाबोधि जातक में बुद्ध कुछ इस तरह कहते है:

"यदि ईश्वर ही सारे लोक की जिविका की व्यवस्था करता है, यदि उसी की इच्छा के अनुसार मनुष्य को ऐश्वर्या मिलता है! है, उस पर विपत्ति आती है, वह भला-बुरा करता हैं, यदि आदमी केवल ईश्वर की आज्ञा मानने' वाला है, तो ईश्वर ही दोषी ठहरता है।"[4]

आत्मा

बुद्ध ने आत्मा को भी नकार दिया है और कहा है कि एक जीव पांच स्कन्धो से मिल कर बना है अथवा आत्मा नाम की कोई चीज़ नहीं है। [5]

वेद

बुद्ध ने वेदों को भी साफ़ तौर से नकार दिया है। इसका उल्ल्लेख हमे तेविज्ज सुत्त और भुरिदत्त जातक कथा में मिलता है। बुद्ध, अरिट्ठ को सम्भोधित करते हुए कहते है :

"हे अरिट्ठ ! वेदाध्ययन धैयेवान् पुरुषों का दुर्भाग्य है और मूर्खो का सौमाग्य है। यह (वेदत्रय) मृगमरीचिका के संमान हैं। सत्यासत्य का विवेक न करने से मूर्ख इन्हें सत्य मान लेते हैं। ये मायावी (वेद) प्रज्ञावान को घोखा नहीं दे सकते ॥ मित्र-द्रोही और जीवनाशक (-भ्रूण-हत्यारे ?) को वेद नहीं बचा सकते। द्वेषी, अनार्यकर्मी आदमी को अग्नि-परिचर्या भी नहीं बचा सकती।" [6] [7] [8]

वर्ण

हिन्दू धर्म जहा चार चार वर्ण में भेद बताता है तो वही बुद्ध ने सभी वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) को समान माना। अस्सलायान सुत्त इस बात की पुष्टि करता है कि सभी वर्ण सामान है। [9] बुद्ध का वर्ण व्यवस्था के खिलाफ एक प्रसिद्ध वचन हमें वसल सुत्त में कुछ इस प्रकार मिलता है :

"कोई जन्म से नीच नहीं होता और न ही कोई जन्म से ब्राह्मण होता है। कर्म से ही कोई नीच होता है और कर्म से ही कोई ब्राह्मण होता है।"[10]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • ब्रह्मा (बौद्ध धर्म)
  • महात्मा बुद्ध, विष्णु के अवतार के रूप में
  • जम्बूद्वीप
  • बौद्ध धर्म में शाकाहार
  • कान्हेरी गुफाएँ

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान (बौद्ध धर्म - 26 सितम्बर, 1893)

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. namah suddhaya buddhaya"; P. 67 Cultural History From The Vayu Purana By Devendrakumar Rajaram Patil, Rajaram D. K. Patil
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 18 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2017.
  3. कौसल्यान, भदंत आनंद. Jatak Part 6 Bhadanta Ananda Kausalyayan (PDF). पृ॰ 221.
  4. कौसल्यान, भदंत आनंद. Jataka Part 5 (PDF). पृ॰ 325.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 15 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2017.
  6. कौसल्यान, भदंत आनंद. जातक भाग 6 (PDF). पृ॰ 219.
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 18 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2017.
  8. "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अक्तूबर 2017.
  9. http://www.buddhisma2z.com/content.php?id=70 Archived 2017-07-10 at the Wayback Machine Buddha on Caste
  10. रत्न, भिक्खु धर्म. वसल सुत्त, सुत्त निपात (PDF). पृ॰ 39.

भारत का सबसे पहला धर्म कौन सा है?

हिन्दू धर्म (संस्कृत: हिन्दू धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत, नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसके अलावा सूरीनाम, फिजी इत्यादि। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म माना जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है।

क्या बौद्ध धर्म सबसे पुराना धर्म है?

बौद्ध धर्म प्राचीन भारत के पूर्वी भाग में उत्पन्न हुआ, और सिद्धार्थ गौतम की शिक्षाओं पर आधारित है। यह आज के सबसे पुराने धर्मों में से एक है।

ईसाई धर्म से पहले कौन सा धर्म था?

यजीदी- यजीदी धर्म प्राचीन विश्व की प्राचीनतम धार्मिक परंपराओं में से एक है। यजीदियों की गणना के अनुसार अरब में यह परंपरा 6,763 वर्ष पुरानी है अर्थात ईसा के 4,748 वर्ष पूर्व यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों से पहले से यह परंपरा चली आ रही है। मान्यता के अनुसार यजीदी धर्म को हिन्दू धर्म की एक शाखा माना जाता है।

बौद्ध धर्म कौन से धर्म में आता है?

बौद्ध धर्म में राजकुमार सिद्धार्थ जिन्हें बाद में चलकर बुद्ध के नाम से दुनिया ने जाना, उनका जन्म 2500 साल पहले एक शाही परिवार में हुआ था. ये जगह अब नेपाल में है.