भारत में भाषा शिक्षण की वर्तमान स्थिति क्या है? - bhaarat mein bhaasha shikshan kee vartamaan sthiti kya hai?

भारत में भाषा शिक्षण की वर्तमान स्थिति क्या है? - bhaarat mein bhaasha shikshan kee vartamaan sthiti kya hai?
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भारत में विद्यालय स्‍तर पर स्‍थानीय भाषाओं की स्थिति

रामपुर

 22-02-2021 10:11 AM

ध्वनि 2- भाषायें

    भारत में भाषा शिक्षण की वर्तमान स्थिति क्या है? - bhaarat mein bhaasha shikshan kee vartamaan sthiti kya hai?

    भारत के विषय में कहा जाता है कि "कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वानी"। भारत विश्‍व का विशाल बहुभाषी राष्‍ट्र है। भारत में लगभग 200 भाषाएं एवं 1600 से अधिक मातृभाषाएं या बोलियां हैं। कई भाषाई अल्पसंख्यकों की आबादी यूरोपीय देशों से भी ज्‍यादा है। भारत में बहुभाषावाद ऐतिहासिक संपत्ति है और विविध संस्कृतियों का प्रतिबिंब है। बहुभाषिकता बनाए रखने और इसकी प्रकृति को बदलने में स्कूल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय भाषाओं के विकास की योजना विद्यालय स्‍तर पर शुरू होती है और यह बहुभाषी आधार को बनाए रखती हैं। छात्रों को कई भाषाएं सीखने के लिए तभी प्रेरित किया जा सकता है जब उन्‍हें इससे होने वाले संभावी लाभों से अवगत कराया जाए। भारत में मुख्‍यत: चार भाषा परिवार हैं भारोपीय (indoeuropean), द्रविड़, आस्ट्रिक (Austric) व चीनी-तिब्‍बती। भारत में बोलने वाले प्रतिशत के आधार पर भारोपीय परिवार सबसे बड़ा भाषा परिवार है हिंदी भी भारोपीय परिवार की सदस्‍य है। भारत शायद एक अनूठा राष्‍ट्र है जहां भाषाई विविधता राज्य विभाजन का एक स्तंभ रही है, वहीं हिंदी को राष्‍ट्र भाषा बनाने का प्रयास किया गया किंतु गैर-हिंदी भाषियों में यह सामाजिक-राजनीतिक बहस का स्रोत बना रहा। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में पहली, दूसरी और तीसरी भाषा बोलने वालों की संख्या:

    भारत में भाषा शिक्षण की वर्तमान स्थिति क्या है? - bhaarat mein bhaasha shikshan kee vartamaan sthiti kya hai?
    अल्पसंख्यक बच्चों द्वारा घर पर बोली जाने वाली भाषा और स्कूल में उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली भाषा के बीच का अंतर उनकी प्रमुख विशेषताओं में से एक है। यदि बच्चा अपनी स्थानीय भाषा को लेकर कक्षा में आता है तो उसका उपहास बनाया जाता है ऐसे बच्चों को स्कूल की भाषा में दक्षता देने के लिए कोई अकादमिक रणनीति नहीं अपनाई जाती है, ताकि वे बहुसंख्यक भाषा के बच्चों के समान अध्ययन कर सकें, जिससे उनमें हीन भावना पैदा हो जाती है। यह बदले में उनके व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। भाषा इसलिए अयोग्य शिक्षा प्रणाली का कारण और लक्षण दोनों है। इसलिए भाषा कम अवसर, कम सामाजिक स्थिति, और भेदभाव (अप्रत्यक्ष, 1981) का एक अप्रत्यक्ष कारण है। अत: स्कूली शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम में कई भाषाओं को शामिल करने की आवश्यकता है।
    हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली लोगों को बहुभाषा से एक प्रमुख भाषा की ओर ले जाती है। पट्टनायक (1981) के अनुसार, एक प्रमुख भाषा की धारणा के रूप में शिक्षा का माध्यम हजारों बच्चों को उनकी मातृभाषा में निरक्षर बना देता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि शिक्षा के दौरान स्कूल छोड़ने और रूकने के मामले में भाषा एक प्रमुख कारक है। बहुत हद तक अशिक्षा की उच्च दर, विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में, एक राज्य में एक प्रमुख भाषा की धारणा और उचित भाषा नियोजन की कमी को स्वीकार करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। स्‍कूलों में त्रिभाषा सूत्र में मातृभाषा शिक्षा का संवैधानिक अधिकार माना गया है। इस बहुभाषी शिक्षा प्रणाली के अनुसार शिक्षा के लिए एक क्षेत्रीय भाषा या मातृभाषा, अंग्रेजी और / या हिंदी और एक अन्य भारतीय भाषा का उपयोग किया जाएगा। हालांकि, मातृभाषा शिक्षा केवल कुछ प्रमुख मानकीकृत भाषाओं में ही प्रदान की जाती है, जो कि प्राथमिक से उच्च प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय स्तर पर ही होती है।
    संभवत: शिक्षा एक-समतावादी सामाजिक और आर्थिक स्तरीकरण में सबसे मौलिक तत्व है। भाषा, भाषा के उपयोग, उत्‍कृष्‍ठ सामाजिक गठन और शिक्षा के ऊर्ध्वाधर विकास, असमान अवसरों और अधिक सामाजिक और आर्थिक असमानता के बीच पारस्परिक रूप से मजबूत संबंधों को समझने की कुंजी है। मातृभाषा (घर की मातृभाषा से भिन्न) को पढ़ाया जाता है, जानबूझकर थोपी गई मानक और अधिमान्य भाषाएँ न केवल मौजूदा असमानताओं को बढ़ाती हैं, बल्कि असमानताओं का भी परिचय देती हैं, जहाँ पहले कोई भी मौजूद नहीं था।
    भारत में भाषा शिक्षण की वर्तमान स्थिति क्या है? - bhaarat mein bhaasha shikshan kee vartamaan sthiti kya hai?

    इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि भारत का भाषाई परिदृश्य अत्यंत जटिल है, हमने पूरे ढांचे में उनकी प्रधानता और कार्यात्मक महत्व के अनुपात में शिक्षा में भाषा की समस्याओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है। शिक्षा में भाषाई उपयोग के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण को अपनाना आवश्यक है, और बहुभाषी समाजों में भाषा के मानकीकरण के तंत्र को ध्यान में रखना चाहिए। बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक शिक्षा में सकारात्मक दृष्टिकोण के अलावा भाष्य भिन्नता, योजना की एक डिग्री, कक्षा की भाषा में प्रवीणता और शिक्षार्थियों की दक्षता, और शिक्षण में उच्च स्तर के कौशल की आवश्यकता है। सामाजिक-सांस्कृतिक प्रक्रिया की समझ भाषा, शिक्षा और समाज के बीच द्वंद्वात्मक संबंध की समझ के बिना अधूरी मानी जाती है।
    संदर्भ:
    https://bit.ly/3aDKiGo
    https://www.mam.mml.cam.ac.uk/being-ml/overview/mmintro/why-india
    https://en.wikipedia.org/wiki/Multilingualism_in_India

    चित्र संदर्भ:
    मुख्य चित्र भारत में बहुभाषिकता को दर्शाता है। (प्रारंग)
    दूसरी तस्वीर 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में पहली, दूसरी और तीसरी भाषा बोलने वालों की संख्या दिखाती है। (प्रारंग)
    अंतिम तस्वीर भारत में बहुभाषिकता को दर्शाती है। (विकिमीडिया)

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    भारत में भाषा शिक्षण की वर्तमान स्थिति क्या है? - bhaarat mein bhaasha shikshan kee vartamaan sthiti kya hai?

    भारत में भाषा की क्या स्थिति है?

    संविधान सभा में एक बृहत चर्चा के उपरांत 14 सितंबर 1949 में हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया. संविधान के भाग 17 में अनुच्छेद 343 से 351 तक देश की अधिकारिक भाषा के संबंध में व्यवस्था की गई जिसमें हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को भी रखा गया.

    वर्तमान समय में हिंदी की क्या स्थिति है?

    भले ही आज हिंदी की वैश्विक स्थिति काफी बहेतर है विश्व के प्रायरू सभी महतवपूर्ण देशों के विश्व विद्यालयों में हिंदी अध्ययन . अध्यापन हो रहा है। परन्तु विडंबना यह है कि विश्व में अपनी स्थिति के बावजूद हिंदी भाषा अपने ही घर में उपेक्षित जिंदगी जी रही है। जहां गुड मॉर्निग से सूर्योदय और गुड इवनिंग से सूर्यास्त होता है।

    विश्व स्तर पर हिंदी भाषा की स्थिति क्या है?

    तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा विश्व में हिंदी भाषी करीब 70 करोड़ लोग हैं। यह तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। 1.12 अरब बोलने वालों की संख्या के साथ अंग्रेजी पहले स्थान पर है। चीनी भाषा मेंडरिन बोलने वाले करीब 1.10 अरब हैं।

    शिक्षा में भाषा की क्या भूमिका है?

    बच्चे भाषा के माध्यम से ही हर प्रकार की शिक्षा ग्रहण करने की कोशिश करते हैं । हमारे भारत देश में ही आप देखिएगा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में प्रवेश करते ही भाषा में परिवर्तन आ जाता है और यही भाषा ही हमें एक-दूसरे के साथ से कार्य करने हेतु सहयोग करती है ।