भीम को मारने की दुर्योधन ने क्या योजना बनाई - bheem ko maarane kee duryodhan ne kya yojana banaee

उसने एक बार जल विहार के लिए गंगा के तट पर प्रणामकोटि स्थान में बड़े-बड़े तंबू और खेमे लगाकर अलग-अलग कमरे बनवाए। उस स्थान का नाम रखा उदयनक्रीडन। चतुर रसोइयों ने खाने पीने की बहुत-सी वस्तुएं तैयार कीं। दुर्योधन के कहने पर युधिष्ठिर ने वहां की यात्रा करना स्वीकार कर लिया। वहां सभी कौरव और पांडव इकट्टे हुए। वहां सभी राजकुमार एक-दूसरे को खिलाने-पिलाने लगे। दुर्योधन की योजना अनुसार भीमसेन के भोजन में विष मिला दिया गया। कहते हैं कि यह कालकूट विष था जिसका असर धीरे-धीरे होता है।

भीमसेन को भोजन अतिप्रिय था, इसलिए उसके लिए अलग से दुर्योधन भाई की तरह आग्रह करके भोजन परोस देता है। भीमसेन वह सब भोजन खा लेता है। दुर्योधन समझ जाता है कि अब मेरा काम हो गया। उसके बाद सभी जलक्रीड़ा करते हैं। जलक्रीड़ा करते समय भीमसेन जल्दी थक जाता है और वह जल्द ही खेमे में आकर सो जाता है। दरअसल उसके रग-रग में विष फैलने से वह निश्चेष्ठ हो जाता है। निश्चेष्‍ठ भीम को दुर्योधन लता की रस्सियों से मुर्दे की तरह बांधकर गंगा के ऊंचे तट से जल में ढकेल देता है। अन्य पांडवों को इसका भान भी नहीं होता है।

भीम बेहोश अवस्था में ही गंगा के भीतर स्थित नागलोक जा पहुंचता है। वहां विषैले सांप भीमसेन को खूब डसते हैं। सर्पों के द्वारा डसने से दुर्योधन द्वारा दिए गए विष का प्रभाव कम हो जाता है। भीमसेन का चमड़ा इतना कठोर था कि सर्प उसका कुछ बिगाड़ नहीं सके। सर्पों के डसने और विष का प्रभाव खत्म होने से भीमसेन जाग्रत हो जाता है। तब वह सर्पों को पकड़ पकड़ कर मारने लगता है। यह देख बाकी के सर्प भाग जाते हैं। भागकर वे नागराज वासुकि के पास जाते हैं और उन्हें सारा वृत्तांत सुनाते हैं।

ऐसे में वासुकि नाग स्वयं भीमसेन के पास जाते हैं। उनके साथ गए आर्यक नाम के एक नाग भीमसेन को देखकर पहचान लेते हैं। आर्यक नाग भीमसेन के नाना का नाना था। तब वासुकि पूछते हैं, 'हम इसको क्या भेंट दें। इसको बहुत सारे धन और रत्न दे दों।'... आर्यक कहते हैं कि नागेंद्र यह धन और रत्न लेकर क्या करेगा। यदि आप इस पर प्रसन्न हैं तो इस उन कुण्डों का रस पीने की आज्ञा दीजिए, जिनसे सहस्रों हाथियों का बल प्राप्त होता है।' वासुकि की आज्ञा से भीमसेन कुण्ड का सारा रस एक ही घूंट में पी लेता है। इस प्रकार आठ कुण्डों का रस पीकर नागों के निर्देशानुसार वे एक दिव्य शय्या पर जाकर सो जाता है।

इधर, नींद टूटने पर कौरव और पाण्डव खूब खेल-कूदकर हस्तिनापुर चले जाते हैं। आपस में वे बात करते हैं कि हो सकता है कि भीमसेन हमसे पहले ही हस्तिनापुर पहुंच गया हो। लेकिन जब वहां पहुंचकर पता चलता है कि भीम तो यहां आया ही नहीं तो माता कुंती सहित चारों पांडव घबरा जाते हैं। कुंती को दुर्योधन पर शक हो जाता है और वह चीखकर कहने लगती है उस दुष्ट ने मेरे पुत्र को मार डाला। ऐसे में विदुर उन्हें समझाते हैं कि वेद व्यासजी के कथानुसार तुम्हारे पुत्र दीर्घायु हैं तुम चिंता मत करो और यहां इस तरह विलाप करने से सभी को पता चलेगा।

उधर, नागलोक में बलवान भीम आठवें दिन रस पच जाने पर जागता है। तब नाग कहते हैं कि आपने जो रस पीया है वह बहुत ही बलवर्द्धक है। अब आपमें हजार हाथियों का बल आ गया है। युद्ध में आपको कोई हरा नहीं सकता है। अब आप दिव्य जल से स्नान करके श्‍वेत वस्त्र धारण करें और हस्तिनापुर के लिए पधारें, वहां आपके परिजन व्याकुल हो रहे होंगे। फिर नागलोक के नाग उन्हें जल से ऊपर निकालकर पुन: उसी उद्यान में पहुंचा देते हैं।

भीमसेन वहां से हस्तिनापुर पहुंचकर सारा वृत्तांत बताता है और दुर्योधन की दुष्टता का वर्णन भी करता है। तब युधिष्ठिर कहते हैं कि यह बात कभी किसी के समक्ष प्रकट मत करना कि तुम्हारे साथ क्या हुआ और कैसे तुममें हजार हाथियों का बल आया। अब से हम सब भाई आपस में एक-दूसरे की बड़ी सावधानी से रक्षा करेंगे।

इसे सुनेंरोकेंकालकूट विष देकर मारने की कोशिश इसी के चलते दुर्योधन ने एक बार भीम को जहर देकर मारने की योजना बनाई. इसके लिए दुर्योधन ने जल विहार की योजना बनाकर युधिष्टिर को अपने सभी भाइयों के साथ आने का निमत्रंण दिया. दुर्योधन जनता था कि भीम को भोजन करना बहुत प्रिय था, इसलिए उसने भीम के लिए विशेष भोजन बनवाए.

पांडवो को मारने की योजना दुर्योधन ने क्या बनाया था?

इसे सुनेंरोकेंदुर्योधन ने उन्हें लाक्षागृह में जलाकर मारने की योजना बनाई। इसके लिए लाख का लाक्षागृह तैयार कराया। एक रात लाक्षागृह में आग लगाकर पांडव अपनी माता कुंती के साथ उसी सुरंग से बाहर निकल गए। यह कहानी सबको पता है।

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पांडवों को लाख के भवन में जलाकर मारने की योजना विफल क्यों हो गई?

इसे सुनेंरोकेंदुर्योधन की यह योजना विदुर के कारण विफल हो गई. जब युधिष्ठिर वाणावृत जा रहे थे तो उनकी भेंट तो उन्होंने दुर्योधन के सारे षड्यंत्र के बारे में बता दिया और सर्तक रहने के लिए कहा. विदुर ने युधिष्ठिर को बताया कि दुर्योधन ने ज्वलनशील पदार्थों से महल बनवाया है जो आग लगते ही राख हो जाएगा.

धृतराष्ट्र भीम को क्यों मारना चाहते थे?

इसे सुनेंरोकेंयुद्ध में जब पांडवों ने दुर्योधन और पूरी कौरव सेना का अंत कर दिया तो धृतराष्ट्र पुत्र शोक में बहुत दुखी थी। > भीम ने धृतराष्ट्र के प्रिय पुत्र दुर्योधन और दु:शासन को बड़ी निर्दयता से मार डाला था, इस कारण धृतराष्ट्र भीम को भी मार डालना चाहते थे।

भीम को मारने के लिए कौरवों ने क्या फैसला किया 1 Point?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: कौरव-पांडव कृपाचार्य से अस्त्र-विद्या सीखने लगे। भीम को मारने के लिए कौरवों ने क्या फ़ैसला किया? Answer: भीम को मारने के लिए कौरवों ने गंगा में डूबो कर मारने का फैसला किया।

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लाक्षागृह से पांडव कैसे निकले?

इसे सुनेंरोकेंसाथ ही पांडव के अन्य भाई आखेट जाने के बहाने छिपने के लिए स्थान भी ढूंढने लगे। कुछ दिन इसी तरह व्यतीत करने के बाद एक दिन युधिष्ठिर ने अपने भाइयों से कहा, “अब इस दुष्ट पुरोचन को लाक्षागृह में जलाकर हमें निकल जाना चाहिए।” उसके बाद भीम ने उसी रात्रि पुरोचन को किसी बहाने बुलवाया। उसे उस भवन के एक कक्ष में बन्दी बना दिया।

पांडवों को वारणावत भेजने की योजना किसकी थी?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न- 4 दुर्योधन ने पांडवों को वारणावत के मेले में भेजने के लिए किस प्रकार अपने पिता धृतराष्ट्र पर दबाब डाला? उत्तर – दुर्योधन ने धृतराष्ट्र पर दबाब डालने के लिए कुछ कूटनीतिज्ञों को अपने पक्ष में मिला लिया और वे बारी – बारी से धृतराष्ट्र के पास जाकर पांडवों के विरुद्ध उन्हें उकसाने लगे ।

लाख के भवन में कौन जलकर मर गयाा?

इसे सुनेंरोकेंलाक्षागृह में पुरोचन तथा अपने बेटों के साथ भीलनी जलकर मर गई। लाक्षागृह के भस्म होने का समाचार जब हस्तिनापुर पहुंचा तो पांडवों को मरा समझकर वहां की प्रजा अत्यंत दुःखी हुई।

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धृतराष्ट्र दुर्योधन का साथ क्यों देते थे?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न-1 धृतराष्ट्र दुर्योधन का साथ क्यों देते थे? उत्तर- अपने बेटे पर अंकुश रखने की शक्ति धृतराष्ट्र में नहीं थी। इस कारण यह जानते हुए भी कि दुर्योधन कुराह पर चल रहा है, उन्होंने उसका ही साथ दिया। उत्तर – धृतराष्ट्र जन्म से अंधे थे इसलिए उनके छोटे भाई पांडु को सिंहासन दिया गया था।

श्री कृष्ण ने भीम को धृतराष्ट्र से कैसे बचाया?

इसे सुनेंरोकेंभीम की मूर्ति तोड़ने से उनके मुंह से भी खून निकलने लगा था। इसके बाद जब धृतराष्ट्र का क्रोध शांत हुआ तो वे भीम को मृत समझकर रोने लगे। तब भगवान श्रीकृष्ण बोले की भीम तो जीवित है आपने भीम समझ भीम की मूर्ति को तोड़ा है। इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने धृतराष्ट्र से भीम की जान बचाई थी।

भीम को मारने की दुर्योधन ने क्या योजना बनाई class 7?

भीम को मारने की दुर्योधन ने क्या योजना बनाई ? उत्तर: भीम को मारने के लिए दुर्योधन ने पांडवों को जल-क्रीड़ा का न्योता दिया। खेलने व तैरने से थकने के बाद सभी को भोजन कराया गया।

दुर्योधन ने क्या योजना बनाई?

क्या आपको पता है कि दुर्योधन ने एक बार पांडवों के पूरे परिवार को एक साथ खत्म करने की योजना बनाई थी। दुर्योधन कौरवों में सबसे बड़ा भाई था। वह अपने मामा शकुनि की अधिकतर बातें मानता था। शकुनि की बातों में आकर ही दुर्योधन ने पांडवों को एक बार जिंदा जलाने की कोशिश की थी।

दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए कौन सी योजना बनाई थी?

Answer. Answer: माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवों को जलाकर मारने के लिए यहीं पर लाक्षागृह बनवाया गया था। - यहां प्रचलित मान्यताओं के अनुसार युधिष्ठिर को युवराज घोषित किया गया, तो दुर्योधन को ये बात बिलकुल पसंद नहीं आई और उसने ईर्ष्या के कारण पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह बनवाया था।

भीम को मारने के लिए कौरवों ने क्या फैसला किया?

Answer: भीम को मारने के लिए कौरवों ने गंगा में डूबो कर मारने का फैसला किया। Question 31. भीम पर विष का क्या असर हुआ? Answer: भीम को बेहोशी आ गई और वह गंगा के किनारे गिर पड़ा।