बच्चे नींद में डरते क्यों है? - bachche neend mein darate kyon hai?

बच्‍चों को अक्‍सर रात को सोते समय डर लगता है। उन्‍हें कभी अंधेरे से डर लगता है तो कभी सोते-सोते उठ जाते हैं। इसमें बच्‍चे को डर की वजह से नींद नहीं आ पाती है और बच्‍चों में होने वाली इस कंडीशन को स्‍लीप डिस्‍ऑर्डर कहते हैं।

आप इसे ऐसे न समझें कि बच्‍चे को बुरे सपने देखने की वजह से डर लग रहा है बल्कि उसे इससे भी ज्‍यादा डर लगता है। ऐसे बच्‍चे डर की वजह से रात को नींद से उठकर चीखने-चिल्‍लाने भी लग सकते हैं।

​बच्‍चे में नाइट टेरर के लक्षण और संकेत

बच्चे नींद में डरते क्यों है? - bachche neend mein darate kyon hai?

नाइट टेरर के दौरान बच्‍चा रात को बिस्‍तर से उठकर अचानक बैठ सकता है, वो स्‍ट्रेस में चिल्‍ला सकता है, तेज सांस आने लग सकती है या दिल की धड़कन बढ़ सकती है। इसमें बच्‍चे को पसीना भी आता है और वो डरा हुआ या दुखी रहता है।

कुछ देर बाद बच्‍चा शांत होकर सो जाता है। नाइट टेरर बुरे सपने से डरने जैसा नहीं होता है क्‍योंकि इसमें सुबह बच्‍चे को कुछ याद नहीं रहता है। ये सब जब होता है, तब बच्‍चा गहरी नींद में होता है इसलिए सुबह उठकर उसे कुछ याद नहीं रहता।

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​बच्‍चों में क्‍यों होता है नाइट टेरर

बच्चे नींद में डरते क्यों है? - bachche neend mein darate kyon hai?

नींद के दौरान सेंट्रल नर्वस सिस्‍टम के अति उत्तेजित होने की वजह से नाइट टेरर होता है। नींद के कई स्‍टेज होते हैं जिनमें रैपिड आई मूवमेंट के दौरान हम सपने देखते हैं।

रैपिड आई मूवमेंट में बहुत गहरी नींद आने पर नाइट टेरर होता है। इसमें इंसान नींद के एक स्‍टेज से दूसरे स्‍टेज में चला जाता है। बच्‍चे के सोने के लगभग दो या तीन घंटे के बाद नाइट टेरर होता है।

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​किसे होती है नाइट टेरर की परेशानी

बच्चे नींद में डरते क्यों है? - bachche neend mein darate kyon hai?

ज्‍यादा थकान, बीमार या तनाव में होने पर, कोई नई दवा लेने, घर से दूर होने या नई जगह पर सोने, नींद पूरी न लेने और बहुत ज्‍यादा कैफीन की वजह से ऐसा हो सकता है।

यह समस्‍या बच्‍चों में कम ही देखी जाती है लेकिन हर बच्‍चे को कभी न कभी बुरा सपना जरूर आता है। आमतौर पर 4 से 12 साल के बच्‍चों में नाइट टेरर देखा जाता है लेकिन 18 महीने के शिशु को भी यह परेशानी हो सकती है।

जिन परिवारों में नाइट टेरर की हिस्‍ट्री हो, वहां पैदा होने वाले बच्‍चे भी इससे ग्रस्‍त हो सकते हैं।

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​कैसे करें बच्‍चे की मदद

बच्चे नींद में डरते क्यों है? - bachche neend mein darate kyon hai?

पेरेंट्स के लिए बच्‍चे में नाइट टेरर होना काफी परेशान करने वाली बात है। नाइट टेरर के कुछ मिनट बाद ही बच्‍चे अपने आप ठीक हो जाते हैं और वापस सो जाते हैं। इस दौरान बच्‍चे को जगाएं नहीं। अगर आप बच्‍चे को इस समय उठा देते हैं, तो उसे शांत होने और दोबारा सोने में दिक्‍कत हो सकती है।

नाइट टेरर के लिए कोई ट्रीटमेंट नहीं है लेकिन आप बच्‍चे काे इससे बचाने के लिए जरूर कुछ कर सकते हैं :

  • बच्‍चे का स्‍ट्रेस कम करने की कोशिश करें।
  • बच्‍चे के लिए आसान और रिलैक्‍स करने वाला बेडटाइम रूटीन बनाएं।
  • आप बच्‍चे को पर्याप्‍त आराम करने दें।
  • बच्‍चे को ज्‍यादा थकान न होने दें और रात को देर तक जागने भी न दें।

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Night Terror In Children: कुछ बच्चे रात में अचानक से सोते हुए रोने लगते हैं या बहुत तेज डर जाते हैं. बच्चे के ऐसा करने से मां-बाप (Parents) परेशान होने लगते हैं. उन्हें लगता है कि शायद बच्चे ने कोई बुरा सपना या डरावनी चीज देखी होगी, जिससे बच्चा (Kids) रात को नींद से एकाएक जाग गया है. कई बच्चे तो इस कदर डर जाते हैं कि चिल्लाने लगते और डर से कांपने लग जाते हैं. इससे बच्चों के अंदर डर बैठ जाता है और वो रात में सोने से ही घबराने लग जाते हैं. लंबे समय तक इस तरह बच्चे का परेशान रहना उनकी सेहत पर भी असर डालता है.

दरअसल इस कंडीशन को नाइट टेरर (Night Terror) या स्लीप टेरर (Sleep Terror) कहते हैं. इसमें बच्चे को डरावने और भयावह सपने आते हैं, जिससे वो बुरी तरह प्रभावित होता है. अगर आपके बच्चे के साथ भी यही समस्या है तो उसे डॉक्टर को जरूर दिखाएं. 

क्या होता है नाइट टेरर
ज्यादातर 4 से 12 साल के बच्चों को ये समस्या होती है. इसमें बच्चा सोते हुए बहुत तेज डर जाता है. ये समस्या ऐसे बच्चों में ज्यादा होती है, जिनकी फैमिली में किसी को स्लीप वॉकिंग की समस्या रही हो. नाइट टेरर सोने के 2-3 घंटे बाद यानि गहरी नींद में जाने के बाद होता है. इसमें किसी डरावने सपने की तरह आपको महसूस होता है. इसमें बच्चे को काफी परेशानी होती है. वो डरा हुआ महसूस करता है. ऐसा सेंट्रल नर्वस सिस्टम में कुछ डिसटर्वेंस होने की वजह से होता है.

नाइट टेरर की वजह

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  • कोई डरावना या बुरा सपना देखना 
  • थकान या तनाव ज्यादा होना
  • किसी दवाई का सेवन करना 
  • बुखार या शरीर का टेंपरेचर का बढ़ना
  • मस्तिष्क के कार्यों में हस्तक्षेप 
  • रात को टॉयलेट आना

नाइट टेरर के लक्षण

  • सोते हुए बहुत ज्यादा डर जाना
  • चीखना, चिल्लाना और रोना
  • बहुत तेज सांस लेना
  • भय से पसीना आ जाना
  • आक्रामक तरीके से पैर हाथ हिलाना
  • आंखें खुली होने पर भी डरते रहना
  • नींद में चलना या भागना

बच्चे को नाइट टेरर से कैसे बचाएं

1- कभी भी बच्चे को एकदम झटके से न उठाएं- अगर बच्चा डर रहा है तो उसे एकदाम झटके से न डराएं. इससे बच्चे के दिमाग पर असर पड़ सकता है. नाइट टैरर की स्थिति में दिमाग अस्थिर स्थिति में होता है, ऐसे में झटके के उठाना परेशान कर सकता है.

 2- बच्चे को प्यार से दिलासा दें- जब आप बच्चे को नाइट टेरर से जगाएं तो उसे प्यार से दिलासा दें. गले लगाकर उसको सहलाएं इससे बच्चे का डर दूर होगा और वो  सुरक्षित महसूस करेगा. बच्चे को फिर से सुलाने की कोशिश करें.

3- हल्की लाइट जलाकर रखें- जिस कमरे में बच्चा सोता है उसमें थोड़ी रोशनी रखें. आप नाइट लैंप या स्लीपिंग लैंप का इस्तेमाल करें. 

4- शांत वातावरण और अच्छी कहानी सुनाएं- जिस कमरे में बच्चा सोतो हो उस जगह को शांत रखें. ज्यादा शोर होने पर भी बच्चे की नींद खराब होती है. बच्चे को सुलावे वक्त अच्छे विचार और अच्छी कहानी सुनाएं. इससे डरावने सपने कम आते हैं.

 5- बच्चे को सोने से पहले टॉयलेट कराएं- अक्सर नींद में टॉयटेल आने पर बच्चे की नींद टूट जाती है. सोने से पहले हमेशा बच्चे को पेशाब करके सुलाएं. कई बार टॉयलेट भरा होने की वजह से भी नाइट टेरर का शिकार बनते हैं.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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बच्चा नींद में क्यों डरता है?

बच्‍चों में क्‍यों होता है नाइट टेरर नींद के दौरान सेंट्रल नर्वस सिस्‍टम के अति उत्तेजित होने की वजह से नाइट टेरर होता है। नींद के कई स्‍टेज होते हैं जिनमें रैपिड आई मूवमेंट के दौरान हम सपने देखते हैं। रैपिड आई मूवमेंट में बहुत गहरी नींद आने पर नाइट टेरर होता है।

बच्चे डर जाए तो क्या करना चाहिए?

बच्चों के डर से बचाव.
बच्चों को घर या कमरे में अकेले न छोड़ें। बच्चे अकेले होने पर जल्दी डर जाते हैं।.
छोटे बच्चों को अंधेरे कमरे में न सुलाए। ... .
बच्चों को जिन चीजों से डर लगता है उनके बारे में बताएं।.
डर को दूर भगाने से संबंधित कुछ किताबें बच्चों को दे सकते हैं। ... .
बच्चों को समय-समय पर चिड़िया घर लेकर जाते रहें।.

बच्चे को रात में नींद नहीं आती क्या करें?

​शिशु को अच्छी नींद कैसे दें कोशिश करें कि बच्चे को दिन के समय अच्छी तरह दूध पिलाएं ताकि बच्चा रात में भूखा ना रहे और सोने से पहले भी उसे दूध पिलाएं। दिन के समय बच्चे के सोने का समय तय करेंबच्चे को दिन में 4 से 5 घंटे से ज्यादा ना सुलाएं ताकि बेबी रात में अच्छी तरह सो सके।

बच्चे कितने महीने में पलटी मारते हैं?

आपका शिशु शायद छह या सात महीने की उम्र में पलटना शुरु करेगा। इस समय तक उसकी गर्दन और बाजुओं की मांसपेशियां मजबूत हो चुकी होंगी। कुछ शिशु तीन महीने की उम्र में ही पलट लेते हैं, वहीं कुछ अन्य शिशुओं को ऐसा करने में सात महीने से भी अधिक समय लग जाता है।